Varanasi (dil India live)। इमाम हसन, इमाम हुसैन समेत शहीदाने कर्बला का तीजा आज 12 मोहर्रम को पूरी अकीदत के साथ मनाया जा रहा है। इस दौरान जहां अजाखानों व इमामबारगाहों में 12 वीं मुहर्रम पर फूल की मजलिसे होंगी वहीं घरों में फातेहा और नज़र दिलाकर लोगो में तबर्रुक तक्सीम किया जाएगा। इस दौरान चना, इलायची दाना, पान, डली और तेल पर फातिहा कराकर अकीदतमंद इमाम हुसैन व शहीदाने कर्बला को नजराना-ए-अकीदत पेश करेंगे। दोपहर बाद अलग-अलग इलाकों से अलम व अखाड़ों के जुलूस निकालेंगे। जुलूस के दौरान फन-ए-सिपहगरी का हैरतअंगेज प्रदर्शन भी होता है। बुजुर्ग व बच्चे भी बनेठी, लाठी आदि से अपने जौहर दिखाते हैं। भोजूबीर, अर्दली बाजार, नदेसर, जैतपुरा, छित्तनपुरा, चौहट्टा लाल खां, कोयला बाजार, बजरडीहा, नई सड़क, लल्लापुरा, पितरकुंडा, पीली कोठी, सदर बाजार, शिवाला, गौरीगंज, बजरडीहा, नयी सड़क, दालमंडी आदि क्षेत्रों से निकलने वाले अलम सद्दे के जुलूस दरगाह फातमान पहुंच कर ठंडे होंगे। जुलूस में युवा छोटे से लेकर बड़े बड़े अलम लेकर चलते हैं, जिन्हें गुब्बारे, फूल-माला, मोती व बिजली की आकर्षक झालरों से सजाया जाता है। इस दौरान एक समय ऐसा भी आता है जब नई सड़क चौराहे से दरगाहे फातमान तक तिल रखने की भी जगह नहीं रहती है। मुख्य मार्ग के दोनों ओर के मकानों की छतों व बरामदों पर महिलाओं व बच्चों की भीड़ उमड़ती है।
उधर, गौरीगंज से नन्हे खां के इमामबाड़े से दोपहर में अलम का जुलूस निकलेगा। इस जुलूस में शिवाला का अलम का जुलूस भी शामिल हो होगा। जुलूस में सैकड़ों लोग कलाम पेश करते हुए चलते हैं। जुलूस शिवाला घाट पहुंच कर ठंडा होगा।
सिद्धचक्र महामंडल विधान के पांचवें दिन उमड़े भक्तजन
Varanasi (dil India live). भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली भेलूपुर में बड़े धूमधाम से उत्साह पूर्वक सिद्धचक्र महाविधान भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हो गया। श्री दिगंबर जैन समाज काशी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश जैन ने बताया कि इस आठ दिवसीय पूजा का पूजा का आज पांचवा दिन था। इस अवसर पर आगरा से विशेष रूप से पधारे पंडित राकेश कुमार ब्रह्मचारी द्वारा कहा गया कि सिद्ध चक्र महामंडल विधान में शामिल होना भी बहुत बड़े पुण्य का काम है जो भी सिद्धचक पाठ में शामिल होता है उसके सातों जन्म के पापों का नाश हो जाता है। हर व्यक्ति इसमें शामिल भी नहीं हो पाता है जिसका पुण्य का योग होता है सिर्फ वही लोग इस महामंडल विधान में शामिल हो पाते है।
इस अवसर पर सैकड़ो की संख्या में उपस्थित स्त्री पुरुष द्वारा संगीतमय भजनों द्वारा द्वारा प्रभु की आराधना की गई इस अवसर पर 128 अर्घ्य प्रभु को समर्पित किया गया संपूर्ण कार्यक्रम को संगीत मनीष सरगम जो भोपाल वालों द्वारा दिया गया पूजा का संचालन प्रोफेसर पंडित कमलेश चंद जैन और पंडित फूल चंद्र प्रेमी जी द्वारा किया गया इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष ऋषभ चंद्र जैन वरिष्ठ उपाध्याय राकेश जैन समाज मंत्री विनोद जैन,भेलपुर मंत्री पवन जैन नरियां मंत्री आलोक जैन, अशोक कुमार जैन , डॉक्टर पंखुड़ी जैन, कुसुम जैन राजूल बागड़ा, प्रतीक जैन, रजनी जैन इत्यादि प्रमुख लोग उपस्थित थे।
दालमंडी से निकले जुलूस में बजा इमाम हुसैन की जीत का डंका
दोषीपुरा में उठा 18 बनी हाशिम का ताबूत
Sarfaraz Ahmad
Varanasi (dil India live). उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आज 7 जुलाई (11 मोहर्रम 1447 हिजरी) सोमवार को बनारस में इमाम हसन, इमाम हुसैन समेत कर्बला के शहीदों व असीरो की याद में ग़म मनाने का सिलसिला जारी रहा। इस दौरान हकीम काजि़म और डॉक्टर नाजिम जाफरी के आजाखाना दालमंडी से उठाया गया। इस जुलूस को चुप के डंके का जुलूस भी कहते हैं जुलूस से पहले मजलिस को इमाम हैदर ने खिताब किया और कई शायरों ने अपने कलाम पेश किए।
जुलूस की खासियत है के इसमें नौहाख्वानी व मातम नहीं होता बल्कि लोग लाउडस्पीकर पर शाहिदाने कर्बला को खिराज अकीदत पेश करते हुए शेर सुनाते हुए नज्में पढ़ते हुए सलाम पढ़ते हुए चलते रहते हैं। इसमें मौके पर सरफराज हुसैन, शुजात हुसैन, सैयद फरमान हैदर, प्रिंस, अब्बास जाफरी, सलमान हैदर जुलूस में व्यवस्था संभालने हुए थे।
जुलूस के नई सड़क पहुंचने पर सैयद फरमान हैदर ने कलाम पेश किया। लगभग पिछले 50 वर्षों से या कलम पेश कर रहे हैं अशरे पर भी जो शब्बीर का गम नहीं करते, वह पैरवी-ए-सरवरे आलम नहीं करते, हिम्मत है तो महशर में भी कहना, हम जिंदा ए जावेद का मातम नहीं करते...। जुलूस दालमंडी से उठकर दालमंडी, नई सड़क, काली महल, पितरकुंडा होता हुआ दरगाहे फातमान पहुंचा, यहां रौजे पर सलामी देने के बाद मजलिस का आगाज़ हुआ। संयोजक अब्बास जाफरी व जीशान जाफरी जुलूस के साथ-साथ चल रहे थे। पदम् श्री वाइस चांसलर प्रो. ऐनुल हसन (मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी हैदराबाद) ने कलाम को पेश किया और साथ-साथ हैदर कीरतपुरी ने भी कलाम पेश किया।
मजलिसों की शुरुआत जनाबे जैनब की देन
ख़्वातीन की मजलिस को किताब करते हुए डॉक्टर नुज़हत फातेमा ने कहा कि आज जो सारे जमाने में मजलिस हो रही है। यह इमाम हुसैन की बहन जनाबे जैनब की देन है, उन्हें कर्बला में कैद कर लिया गया था। उन्होंने सारी दुनिया में इमाम हुसैन के पैगाम को पहुंचाया।
उठा 18 बनी हाशिम का ताबूत
दोषीपुरा के बारादरी इलाके में दोषीपुरा की अंजुमनों ने 18 बनी हाशिम का ताबूत उठाया। इस मौके पर आयोजन की जिया़रत के लिए बड़ी संख्या में अजादार दोषीपुरा पहुंचे। यहां मजलिस का आयोजन हुआ और एक-एक ताबूत का परिचय कराया गया।
Innerwheel shristi ने किया काशी के मुमुक्षु भवन में अन्नदान
Varanasi (dil India live). इनरव्हील क्लब वाराणसी, सृष्टि ने काशी के अस्सी सिथत मुमुक्षु भवन में अन्नदान से अपने नए सत्र का आगाज़ किया। इस दौरान क्लब की सदस्यों ने गरीब और जरूरतमंद लोगों के बीच अन्न एवं दैनिक जरूरत की चीजों को वितरित कर समाज सेवा सदैव करने की शपथ ली। इस अवसर पर क्लब की नई अध्यक्ष सोनिया शाह ने कहा कि हर सत्र की शुरुआत सेवा भाव से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अन्नदान को ही सबसे श्रेष्ठ दान माना गया है। इसलिए सत्र की शुरुआत हम लोगों ने अन्न दान से ही की है।
कार्यक्रम के दौरान क्लब की अन्य सदस्यों यामिनी अग्रवाल, स्नेहा गुप्ता, राशि खरे, सुनीता सिंह, छवि अग्रवाल, ज्योति गुप्ता, मीता मजुमदार आदि की उपस्थिति रही। सबने मिलकर अन्न के पैकेट, फल दवाइयां जरूरतमंद परिवारों को वितरित किया और यह संकल्प लिया कि पूरे वर्ष ऐसे सेवाकार्य नियमित रूप से किए जाएंगे।
इनरव्हील क्लब की यह पहल न सिर्फ समाज को प्रेरणा देती है बल्कि यह दर्शाती है कि सेवा भावना के साथ कोई भी कार्य शुभ आरंभ बन सकता है।
भारतीय डाक कर्मचारी महासंघ के बानाएं गये राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
Varanasi (dil India live). हिमाचल प्रदेश में आयोजित भारतीय डाक कर्मचारी महासंघ के 14 वें फेडरल कोंसिल में सम्पूर्ण भारतवर्ष से आयें सभी संघ प्रतिनिधि एवं डेलिगेट ने एक बार पुनः सर्वसम्मति से निर्विरोध अनंत कुमार पाल को सेक्रेटरी जनरल एवं संतोष कुमार सिंह (गुरु जी) को मार्गदर्शक के रूप में निर्वाचित किया, साथ ही उत्तर प्रदेश के वाराणसी निवासी जगदीश चंद्र शादेजा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। इससे इनके मजबूत कंधों पर बड़ा बोझ आ गया है। जगदीश शादेजा ने कहा कि संगठन की सेवा का अवसर मिला मैं पूरी लग्न और मेहनत से संगठन को मजबूत करने का प्रयास करुंगा।
इस कार्यक्रम में पवन कुमार सिंह (क्षेत्रीय संगठन मंत्री बीएमएस), एम पी सिंह (पोस्टल प्रभारी, स्थानीय सांसद), सुरेश कश्यप, (DG) जितेन्द्र गुप्ता, DGG(P), जगदीप गुप्ता की गरिमामय उपस्थिति के साथ सोलन डिवीजन के सभी संगठन के साथियों ने अपने त्याग तपस्या समर्पण से BPEF के 14 वें फेडरल कोंसिल को ऐतिहासिक बना दिया।
इमाम हुसैन समेत कर्बला के शहीदों व असीरो की याद में मस्जिदों में हुआ शहादतनामा, मोमीनीन ने रखा रोज़ा
मरकजी सीरत कमेटी के जलसे को खेताब करते आलिम
सरफराज अहमद/मोहम्मद रिजवान
Varanasi (dil India live)। इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की शहादत के गम में शहर कि बल खाती गलियों-मुहल्लों से लेकर सूदूर ग्रामीण इलाकों से तकरीबन 1000 से अधिक ताजियों का जुलूस इतवार को निकला। बोल मोहम्मदी या हुसैन...की सदाओं संग कर्बला में ताजिया का जुलूस पहुंचा। जहां ताज़िए के फूल दफन किए गए, तो दूसरी ओर शहर भर की शिया अंजुमनों ने जंजीर और कमा का मातम किया, जिसे देखकर तमाम लोग कांप उठे। इस दौरान सुन्नी मस्जिदों में कर्बला के शहीदों की याद में शहादतनामा पेश किया गया, और मोमीनीन ने नफल रोज़ा रखा। शाम में अज़ान की सदाओं पर मोमिनीन ने रोज़ा खोला। इस दौरान जहां घरों में कुरानख्वानी और फातिहा हुई वहीं इमामबाड़ों, अजाखानों से नौहाख्वानी और मजलिसों की सदाएं गूंजी।
इससे पहले शहर और ग्रामीण इलाकों से सुबह 11 बजे के बाद से ही नौवीं मुहर्रम पर इमाम चौक पर बैठाए गए ताजियों का जुलूस उठाया जाना शुरू हो गया जो अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ कर्बला पहुंचा। लल्लापुरा, मदनपुरा, रेवड़ी तालाब, दालमंडी, नई सड़क, रामापुरा, बजरडीहा आदि इलाकों के ताजिये दरगाहे फातमान ले जाकर ठंडे किए गए। उधर बड़ी बाजार, दोषीपुरा, कज्जाकपुरा, जलालीपुरा, कोयला बाजार, पीलीकोठी, पुरानापुल आदि इलाकों के ताजिये सदर इमामबाड़ा लाट सरैया व तेलियानाला घाट में ले जाकर ठंडे किए गए। कुछ ताजिये शिवाला घाट और भवनिया कब्रिस्तान में दफन हुए।शिवपुर, बीएचयू, लंका आदि इलाकों से भी ताजिये कर्बला पहुंचकर ठंडे हुए। दरगाहे फातमान मार्ग पर खासी भीड़ देर रात तक उमड़ी रही। ताजिये के साथ ढोल, ताशा बजाते और युवा लाठी, डंडे आदि के जरिये फन-ए-सिपाहगिरी का करतब दिखाते हुए चल रहे थे।
शामे गरीबां की मजलिस
शाम में जुलूस के बाद देर शिया समुदाय की ओर से शाम-ए-गरीबां की मजलिसें हुई। दरगाहे फातमान, दालमंडी, पितरकुंडा, काली महाल, गौरीगंज व शिवाला में मजलिस को उलेमा ने खेताब करते हुए शहीदान-ए-कर्बला का जिक्र किया। उधर नई सड़क स्थित खूजर वाली मस्जिद, रेवड़ी तालाब में मस्जिद नगीना, मस्जिद सुल्तानिया, पठानी टोला में मस्जिद जाहिद शहीद, मस्जिद कंकडीयाबीर कमच्छा, मस्जिद नूरी, गौरीगंज स्थित मस्जिद हबीबिया, मस्जिद नयी बस्ती में जिक्र शोहदा-ए-कर्बला कार्यक्रम हुआ जिसमें उलेमा ने कर्बला के वाक़यात पर रौशनी डाली। इम्तियाज अहमद ने बताया कि यहां तकरीबन चार दशक से यह आयोजन होता आ रहा है। जलसों के बाद मस्जिदों में खिचडे़ का लंगर भी चलाया गया।
नफिल रोजा रखकर पेश की अकीदत-
सुन्नी समुदाय ने इमाम हुसैन की शहादत की याद में घरों में फातिहा और दुआख्वानी की। नफिल रोजा रखकर अकीदत पेश की। मगरिब की नमाज के बाद रोजा खोला गया।
जुलूस में जंजीर का मातम
शिया समुदाय ने मजलिस, मातम व जुलूस निकाल कर कर्बला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश किया। जगह-जगह से अंजुमनों ने अलम, ताबूत दुलदुल का जुलूस उठाया। अजादारों ने कमा, जंजीर से मातम किया। जोहर की नमाज के बाद शहर की सभी अंजुमनों के जुलूस उठने लगे। अंजुमन हैदरी नई सड़क, अंजुमन जौव्वादिया कच्चीसराय, अंजुमन मातमी जौव्वादिया पितरकुडा, अंजुमन गुलजारे अब्बासिया व अंजुमन कासिमिया अब्बासिया ने गौरीगंज व शिवाला से अलम, दुलदुल का जुलूस उठाया। इस दौरान बड़े संग बच्चे भी सीनाजनी, खंजर, कमा से मातम कर रहे थे। खूनी मातम देख जियारतमंदों की आंखें नम हो गईं।
उधर, अर्दली बाजार इमामबाड़े से अंजुमन इमामिया के कमा व जंजीरी मातम देखकर सभी की आंखें नम हो गईं। इस दौरान काफी भीड़ रही। अर्दली बाजार से दसवीं मोहर्रम पर अलम, ताबूत, दुलदुल का जुलूस यौम-ए अशूरा को उल्फत बीबी हाता स्थित मास्टर जहीर हुसैन के इमामबारगाह से उठा। जुलूस में अंजुमन इमामिया के नेतृत्व में लोग नौहाखानी, मातम और सीनाजनी करते हुए चल रहे थे। जुलूस अपने कदीमी रास्ते से होता हुआ नदेसर, अंधरापुल, लोहा मंडी,पिशाचमोचन के रास्ते देर शाम फातमान पहुंच कर ठंडा हुआ़। जुलूस में इरशाद हुसैन "शद्दू ", जैन, दिलशाद, ज़ीशान,फिरोज़, जफर अब्बास, दिलकश. मिसम, अयान, शाद, अमान, अलमदार हुसैन, अद्दनान, अरशान आदि ने सहयोग किया। सैय्यद फरमान हैदर ने बताया कि 11 वीं मुहर्रम को लुटे हुए काफिले का जुलूस दालमंडी में हकीम काजिम के इमामबाड़े से सुबह 11 बजे से उठेगा।
दूल्हे का जुलूस हुआ ठंडा
परवेज़ कादिर खां की अगुवाई में उठा दूल्हे का कदीमी जुलूस सकुशल संपन्न हो गया। इस दौरान जुलूस 60 ताजिया को सलामी और 72 अलाव पर दौड़ने के बाद शिवाला स्थित इमाम बाड़ा दूल्हा कासिम नाल पहुंच कर ठंडा हुआ। शाम में पुनः पानी वाला दूल्हा निकला जौ आसपास के इलाकों में होकर वापस शिवाला घाट पर पहुंच कर सम्पन्न हुआ। परवेज़ कादिर खां ने अवाम और पुलिस प्रशासन को शुक्रिया कहा।
मेडिकल कैम्प लगाकर खिदमत
जिया क्लब द्वारा 10 मोहर्रम को पितरकुंडा में मोहर्रम पर एक मंच लगाया गया। उस मंच पर अल्पाहार की जहां व्यवस्था किया गया वहीं एक मेडिकल कैंप भी लगाया गया। कैंप में आए हुए सभी ताजियादारो के लिए व रोजा रखे हुए लोगों को रोजा खुलवाया गया। जुलूस में आए हुए लोगों का उपचार कराया गया मेडिकल द्वारा हमारे कैंप पर बनारस दुर्सेघटना सेआई हुई ताजिया जिसमें लगभग 250 से ऊपर ताजिया थी जिसमें बुराक पीतल रंगी की मोती की शीशम की ताजिया इस मंच पर प्रमुख रूप से फजलुर रहमान इरशाद अंसारी रब्बानी अंसारी शमीम अंसारी हाजी काजू जुलूस का संचालन समाजसेवी शकील अहमद जादूगर ने की।
Varanasi (dil India live). हज़रत इमाम हसन, हज़रत इमाम हुसैन समेत कर्बला के 72 शहीदों कि याद में शनिवार को मलीदे, शरबत और शिरनी कि मुस्लिम घरों, इमाम चौकों व इमामबाड़ों में फातेहा करायी गई। फातेहा कराने के बाद जहां लोगों में तबर्रुक तकसीम किया गया वहीं इमाम चौक और इमामबाड़ों पर अदब और एहतराम के साथ ताजिये बैठा दिए गए। ताजिया बैठते ही उसकी जियारत करने दोनों वर्ग के लोगों का हुजुम देर रात तक उमड़ा हुआ था।
9 वीं मोहर्रम को इमाम चौक पर सभी ताजिया फातेहा करके बैठा दी गईं। शहर भर में इनकी जियारत के लिए भारी भीड़ उमड़ी रही। जैतपुरा की बुर्राक की ताजिया, नईसडक की पीतल की ताजिया, लल्लापुरा की रांगे की ताजिया, गौरीगंज की शीशम की ताजिया, अर्दली बाजार की जरी के साथ ही चपरखट की ताजिया, मोतीवाली ताजिया, हिंदू लहरा की ताजिया, शीशे की ताजिया, मोटे शाबान की ताजिया, काशीराज की मन्नत की ताजिया व बड़ादेव मुहल्ले आदि प्रमुख ताजिया लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं। इस दौरान बच्चे आकषर्ण ताजिये के साथ सेल्फी भी लेते दिखाई दिए।
गश्ती अलम का निकला जुलूस
दूल्हे का जुलूस निकलने के बाद गश्ती अलम का जुलूस विभिन्न शिया इमामबाडों से निकाला गया जो गश्त करते हुए एक जगह से दूसरे जगह एक इमामबाड़े से होकर दूसरे इमामबाड़े तक गश्त करता दिखाई दिया। काले पोशाक में शिया वर्ग के लोगों ने इस जुलूस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।