'बेटियां है तो घर निराला है, घर में इनसे ही तो उजाला है....'
डीएवी कॉलेज में मुशायरे में शायरों ने दिया मोहब्बत का पैगाम
Varanasi (dil India live)। डीएवी पीजी कॉलेज के उर्दू विभाग के तत्वावधान में शनिवार को मुशायरे का आयोजन किया गया। कॉलेज के स्व. पीएन सिंह यादव स्मृति सभागार में आयोजित मुशायरे में शायरों ने उर्दू अदब की जुबान में राष्ट्रीय एकता, आपसी सौहार्द एवं मोहब्बत की शायरी सुनाकर मिसाल पेश की। प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आये शायरों ने एक से एक शायरी प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीत लिया।
मशहूर शायर समर गाजीपुरी ने सबसे पहले 'जहाँ हिन्दू मुसलमां सिख ईसाई रहते है मिलकर, जहाँ वालों उसी धरती को हिन्दुस्तान कहते है' सुनाया तो समूचा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। सुहैल उस्मानी ने 'अब मुझे तुम बुरा नही कहते, आईना देखने लगे हो क्या' सुनाया। मिर्जापुर से आये डॉ. शाद मशरीकी ने 'वही करता है खुशहाली की इज्जत, मज़ा चखा है जिसने मुफलिसी का' सुनाया। शमीम गाजीपुरी ने 'जरूर हाथ किसी का तो इसमें होता है चिराग खुद से कभी भी बुझा नहीं करते' सुनाया।
डॉ. नसीमा निशा ने 'बेटियां है तो घर निराला है, घर में इनसे ही तो उजाला है' सुनाया, प्रोफेसर इशरत जहां ने 'हम एक थे अपना यह भारत महान था, कश्मीर, पाक, वर्मा भी हिंदुस्तान था, आपस में एकता थी बड़ा इत्मीनान था, जन्नत नुमा हमारा तुम्हारा मकान था' सुनाया। अहमद आज़मी ने 'हमारी फिक्र पर पहरा लगा नहीं सकते, हम इंकलाब है हमको दबा नहीं सकते' सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। बादशाह राही ने 'हक बयानी पर जब आ गया मुझको दुनिया सताने लगी' सुनाया, डॉक्टर कमालुद्दीन शेख उर्फ कमाल जौनपुरी ने 'अहले गुलशन के जख्मी बदन हो गए, अच्छे मौसम भी अब बदचलन हो गए' सुना कर महफ़िल का समापन किया। अध्यक्षता बसन्ता कॉलेज की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. नफीस बानो ने किया।
इसके पूर्व महाविद्यालय के प्रबंधक अजीत कुमार सिंह यादव ने शुभकामनाएं दी, कार्यकारी प्राचार्य प्रो. राहुल ने शायरों का स्वागत किया। संयोजन उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. हबीबुल्लाह ने किया। इस मौके पर मुख्य रूप से प्रो. सतीश कुमार सिंह, प्रो. इंद्रजीत मिश्रा, प्रो. मधु सिसोदिया, प्रो. प्रशांत कश्यप, डॉ. संजय सिंह, प्रो. संजय शाह, डॉ. नजमुल हसन आदि सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापक एवं विद्यार्थी शामिल रहे।