शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

Matami dhun सुन Ustad Bismillah Khan की यादें हुई ताज़ा

5 वीं मोहर्रम का कदीमी दुलदुल का जुलूस रवायत संग निकला


Varanasi (dil India live)। वक़्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली व मेहंदी बेगम गोविंदपुरा छत्तातले से कदीमी पांचवी मोहर्रम का जुलूस अपनी पुरानी रवायतों संग मुतवल्ली  सैयद मुनाज़िर हुसैन 'मंजू' के ज़ेरे एहतमाम उठाया गया। जुलूस उठने से पूर्व मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ने करबला के शहीदों के मसायब बयां किए। जुलूस उठाने मुजफ्फरपुर से खास तौर पर आए नजाकत अली खां व उनके साथियों ने सवारी शुरू की, जब नहर पर आदा ने अलमदार को मारा...। 
जुलूस गोविंदपूरा, राजा दरवाजा, नारियल बाजार, चौक होते हुए दालमंडी स्थित हकीम काजिम के अज़ाख़ाने पहुंचा जहां से अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने नौहाख्वानी शुरू की, मुझको जन्नत ये अज़ाख़ाने लगे...। जिसमें  शराफत हुसैन, लियाकत अली खां, साहेब ज़ैदी, शफाअत हुसैन शोफी, अंसार बनारसी, शानू, राजा आदि ने नौहाख्वानी की।जुलूस दालमंडी, खजुर वाली मस्जिद, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, काली महाल, पितरकुंड, मुस्लिम इंटर कालेज होते हुए लल्लापूरा  स्थित दरगाहे फ़ातमान पहुंचा। पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खां व उनके साथियों ने शहनाई पर आंसुओं का नज़राना पेश किया। जिसे सुनकर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की यादें लोगों के जेहन में ताजा हो गई। फ़ातमान से जुलूस पुनः वापस मुस्लिम स्कुल, लाहंगपूरा, रांगे की ताज़िया, औरंगाबाद, नई सड़क, कपड़ा मंडी, दालमंडी नया चौक होते हुए इमामबाडे में समाप्त हुआ।
काशी नरेश की मन्नत का निकला जुलूस 

रामनगर में पांच मुहर्रम शुक्रवार को रात्रि में गोलाघाट मोहल्ला स्थित सुन्नी समुदाय के इमामबाड़े से सुन्नी समुदाय के लोगों ने काशी नरेश की मन्नत का ऐतिहासिक दुलदुल का जुलूस निकाला। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ पंचवटी स्थित कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। दुलदुल के जुलूस में शामिल सभी धर्मों के लोगों ने मन्नत के अनुसार दूध और नीबू आदि चढ़ाया। जिसमें महिलाएं बड़ी संख्यामें उपस्थित रही। दुलदुल के जुलूस को देखने के लिए सड़कों पर हिंदू मुस्लिम दोनों की भारी भीड़ थी, लोगों में दुलदुल की जियारत की होड़ देखी गई। यह जुलूस पूर्व काशी नरेश की मन्नत के उपलक्ष्य में निकाला जाता है। यह बरसों पुरानी परंपरा आज भी यहां जीवंत हैं। तो वहीं दूसरी ओर शिया समुदायके के लोगों ने इसी मोहल्ला स्थित मरहूम विलायत हुसैन रिजवी के अजाखाने से अलम का जुलूस निकाला गया। जो अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ टेंगरामोड़ भिटी स्थित कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस में रास्ते भर अंजुमन मोहाफी अजा ने नौहाख्वानी मातम किया। बड़ागांव स्थित इमाम बारगाह अब्बा की दालान गाग खुर्द बगिया से शुक्रवार को दुलदुल, अलम, गहवार-ए-अली असगर का जुलूस निकाला गया। जुलूस उठने से पूर्व मौलाना गुलजार मौलाई ने मजलिस को खिताब किया। जुलूस में कई अंजुमनों ने नौहाख्वानी, मातम किया। सैकड़ों की संख्या में जायरीन शामिल थे। जुलूस में सुरक्षा व्यवस्था के लिए एसीपी बड़ागांव प्रतिक कुमार, हरहुआ एस.डी.एम प्रतिभा मिश्र, बड़ागांव थाना प्रभारी अजय कुमार पाण्डेय एवं पुलिस, पीएसी के जवान जुलूस के साथ-साथ चल रहे थे।

सोमवार, 8 जुलाई 2024

इंसान को बेदार तो हो लेने दो, हर कौम पुकारेंगी हमारे है हुसैन


Varanasi (dil India live)। इंसान को बेदार तो हो लेने दो, हर कौम पुकारेंगी हमारे है हुसैन...इस्लामिक कैलेण्डर का पहला महीना मोहर्रम 8 जुलाई को शुरू हो गया। हिजरी सन का पहला महीना मोहर्रम है जिसे शिया गम के तौर पर मनातें है। इस महीने में शिया मुसलमान गमगीन रहते हैं क्योंकि इसी माह की दस तारीख को पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन को दुनिया के पहले आतंकवादी यजीद ने ईराक के कर्बला शहर में तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया था। इन शहीदों में 6 माह के मासूम अली असगर भी थे। ऐसे में शहर बनारस में भी गौरीगंज, शिवाला, दालमंडी, मदनपुरा, बजरडीहा, दोषीपुरा, चौहट्टा, मुकीमगंज, प्रहलाद घाट, सरैया, अर्दली बाजार, कोयला बाजार आदि इलाकों में मजलिसों और जुलूसों का दौर शुरू हो जाता है। Dil India live के संपादक aman से इस सम्बन्ध में शिवाला स्थित कुम्हार के इमामबाड़े के संरक्षक सैयद आलिम हुसैन रिजवी, हजरत अली समिति के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने विस्तार से बातचीत की। 

बताया कि हिजरी सन 1446 का आगाज माहे मोहर्रम से हो गया है। इस दौरान शिया दो महीना आठ दिन तक ग़म का अय्याम मनाते हैं। काला लिवास धारण करते हैं।शहर भर में तकरीबन 60 से ऊपर जुलूस एक से 13 मोहर्रम तक उठाये जायेंगे। इस्तकबाले अजा की मजलिसे पहले ही हो चुकी। इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की याद में विभिन्न इलाकों में जुलूस उठेंगे।

पहली मोहर्रम-

पहली मोहर्रम शहर भर के विभिन्न इलाकों में प्रातः सात बजे से मजलिसों का कार्यक्रम शुरु हो जायेगा। शाम में 4 बजे सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में कैम्पस के अन्दर ही अलम और दुलदुल व ताबुत का पहला जुलूस उठाया जायेगा। अंजुमन नौहा और मातम करेंगी।

दूसरी मोहर्रम-

शिवपुर में अंजुमने पंजतनी के तत्वावधान में अलम व दुलदुल का जुलूस रात 8 बजे उठाया जायेगा। बनारस के अलावा दूसरे शहरों की अंजुमनें भी शिरकत करेंगी। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ के मकान पर दिन में 2 बजे कदीमी मजलिस का आयोजन होगा।

तीसरी मोहर्रम-

अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज नवाब की ड्योढ़ी से सायं 5 बजे उठाया जायेगा। अंजुमन जव्वादिया जुलूस के साथ-साथ रहेगी। वहीं शिवाला स्थित आलीम हुसैन रिजवी के निवास से भी एक जुलूस उठाया जायेगा, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुम्हार के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। तीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के मकान से अलम का जुलूस उठाया जायेगा ।

चार मोहर्रम-

ताजिये का जुलूस शिवाले में आलीम हुसैन रिजवी के निवास से गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2 बजे दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक जायेगा। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खाँ इमामबाड़ा से रात 8 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त होगा।

पांचवीं मोहर्रम-

वक्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली, छत्तातला, गोविंदपुरा से अलम का जुलूस उठया जाएगा, जिसमें मुजफ्फरपुर के मर्सिया ख्वां वज्जन खां के बेटे सवारी पढ़ेंगे। इसके अलावा जुलूस में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजन शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे।

छठवीं मोहर्रम-

इस दिन विश्व प्रसिद्द 40 घंटे तक चलने वाले दुलदुल का जुलूस कच्ची सराय (दालमंडी) इमामबाड़े से शाम 5 बजे उठेगा। इस जुलूस में हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ कई मशहूर बैंड भी मौजूद रहते हैं जो मातमी धुन बजाते हैं। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाता है। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाता है और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होता है। यह जुलूस लगातार 6 से 8 मोहर्रम तक चलता रहता है।   

7 मोहर्रम को मेहंदी का जुलूस-

चौहट्टा लाल खां इलाके से मोहर्रम के सातवें रोज़ छोटी मेहंदी व बड़ी मेहंदी के दो कदीमी जुलूस निकाला जाता है। इसमें बड़ी मेहंदी का जुलूस सदर इमामबाड़ा जाकर देर रात सम्पन्न होता है।

आठवीं मुहर्रम-

अलम व तुर्बत का जुलूस ख्वाजा नब्बू साहब के चहमामा स्थित इमामबाडा से कार्यक्रम संयोजक सयेद मुनाजिर हुसैन मंजू के संयोजन मे रात 8:30 बजे उठेगा जुलूस उठने पर शराफत अली खां साहब, लियाकत अली साहब व साथी सवारी पढेंगे। जुलूस दालमंडी पहुचने पर अंजुमन हैदरी चौक नौहा ख्वानी व मातम शुरू करेगी। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होकर फातमान पहुंचेगा और पुनः वापस अपने कदीमी रास्तों से होते हुए चहमामा स्थित इमामबाडे  मे आकर एक्तेदाम पदीर होगा। जुलूस में पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खा व साथी शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे।

नवीं मोहर्रम-

शहर भर के तमाम इमामबाड़ों में तथा इमाम चौक पर जातिया रखी जाती है जो सैकड़ों की तादाद में होती है। कई इलाकों में गश्तीअलम का जुलूस उठाया जाता है जो अपने इलाकों में भ्रमण करता है। लोग नौहा मातम करते चलते हैं। अंजुमन हैदरी चौक गश्ती अलम लेकर फातमान पहुंचती है वहां 4 बजे भोर में अंगारों पर चलकर मातम किया जाता है। 9 मोहर्रम को ही अपनी नवैयत का खास दुल्हा का जुलूस शिवाला से उठाया जाता है। जिसमें हजारों लोग शिरकत करते हैं ये जुलूस बनारस की अलग पहचान रखता है। लोग शहर भर के इमामबाड़ों में जाकर नौहा मातम करते हैं ताजीये पर मन्नते मांगते हैं। 9 मोहर्रम को ही हड़हा सराय में सायं 3 बजे से हजरत अली असगर के झूले का जुलूस उठता है जो दालमण्डी, नईसड़क, कोदई चौकी होता हुआ छत्तातले पर समाप्त होता है।

दसवीं मोहर्रम यौमे आशूरा-

आज से 1379 साल पहले सन् 61 हिजरी 10 वीं मोहर्रम को (शुक्रवार) के दिन इमाम हुसैन ने अजीम कारनामा कर दिखाया था। अपने साथ साथ अपने 71 साथियों जिसमें 18 परिवार के सदस्य भी थे। जिनमें 32 वर्ष का भाई अब्बास, 18 वर्ष का बेटा अली अकबर, 13 साल का भतीजा कासीम, 9 व 10 साल के भांजे औन तथा मोहम्मद के अलावा 6 महीने का उनका सबसे छोटा बच्चा अली असगर समेत शहादत दे दिया था। इसी अजीम शहादत कि याद में 10 वीं मोहर्रम को पूरे शहर भर में सुबह से जुलूसों का सिलसिला शुरू रहता है। शहर की तकरीबन 26 अंजुमने अलम व तुरबत व दुलदुल को जुलूस सुबह से शाम तक उठाती रहती है। जिसमें जंजीर व कमा (खंजर) का मातम होता है लोग आंसुओं के साथ-साथ खून का नजराना भी पेश करते हैं ये जुलूस विभिन्न इलाकों में उठते हैं और सदर इमामबाड़ा लाट सरैया और दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा शिवाले घाट पर शाम तक समाप्त होते हैं। शिया हजरात 10 मोहर्रम को जुलूस के बाद विभिन्न स्थानों पर शामे गरीबों की मजलिस करते हैं।

लुटा हुआ काफिला

ग्यारहवीं मोहर्रम को स्व. डा. नाजीम जाफरी के निवास से डा. मुज्तबा जाफरी के संयोजन में लुटे हुए काफिले का जुलूस 11 बजे दिन में उठाया जाता है इस जुलूस को चुप का डंका भी कहते हैं। रास्ते भर लोग नातिया कलाम पढ़ते हैं जो फातमान जाकर समाप्त होता है।  

तीजे का जुलूस-

 शहर भर के इमामबाड़ों वर फातिहा दिलाई जाती है सुबह से ही इमाम के फूल की मजलिसें शुरू हो हैं दोपहर बाद आलम व अखाड़े का जुलूस उठाया जाता है। जो अपने रास्तों से होकर दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा सदर इमामबाड़ा लाट सरैया पर शाम को समाप्त होता है।

तेरहवीं मोहर्रम-

सदर इमामबाड़े में दुलदुल का जुलूस शाम 4 बजे कैम्पस में ही उठाया जाता है। शहर की कई अंजुमने नौहा मातम करती हैं।

Online attendance के खिलाफ प्राथमिक शिक्षक संघ ने खोला मोर्चा

आनलाईन एटेंडेंस गलत, आदेश वापस ले सरकार : महेंद्र बहादुर सिंह 


Varanasi (dil India live)। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ पंजीयन 1160 जनपद वाराणसी के जिला अध्यक्ष महेंद्र बहादुर सिंह ने प्रांतीय नेतृत्व के आह्वाहन पर सरकार द्वारा जारी फेशियल उपस्थिति का पुरजोर विरोध करते हुए इसे अव्यावहारिक, विधि विरुद्द अमानवीय , दुर्भावनापूर्ण तथा विपरीत परिस्थितियों पर सम्यक और सद्भावना पूर्वक विचार किए बिना जल्दबाजी में जारी किया गया एक तुगलकी फरमान की संज्ञा दी। उन्होंने सभी शिक्षक संघटन से अपने वजूद सम्मान और अस्तित्व तथा आने वाली पीढ़ी के भविष्य को बचाने के लिए ऐसे तुगलकी आदेश के विरोध में एक मंच पर आने का आह्वान किया है उन्होंने आगे कहा की बिना मूलभूत व्यवस्था दिए, हाफ डे लिव, सभी स्थानों पर नेटवर्क की उपलब्धता, शिक्षको से गैर शैक्षणिक कार्य कराए जाने की बाध्यता पूर्व में दिए गए शिक्षक संघटनो द्वारा प्रार्थना पत्रों में निहित व जायज मांगों के साथ लंबित समस्याओं के निराकरण के बगैर फेशियल, आनलाइन उपस्थिति का आदेश औचित्यहीन और प्रतिसंहरीत किए जाने योग्य है। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य और दुःख व्यक्त किया कि आज 70 सालो में तो सरकार सभी दुर्गम जगहों पर बिजली पानी व सुगम सड़को का निर्माण नहीं करा पाई  वही दूसरी तरफ शिक्षको को अविलंब डिजिटल होने की बात की जा रही है जो हर दशा में निंदनीय अमानवीय और वापस लिए जाने योग्य है। उन्होंने आला अधिकारियों से ऐसे आदेश पर सद्भावनापूर्वक पुनर्विचार करते हुए उसे अविलंब वापस लेने की मांग की।

रविवार, 7 जुलाई 2024

Dawat-e-Islami ने चलाया पौधारोपण अभियान

दरख़्त बनने तक अपने बच्चों की तरह पालते हैं पौधों को -जीएनआरएफ




Varanasi (dil India live)। बढ़ते ग्लोबल वार्मिग और प्रदूषण के कारण जलवायु भी काफी हद तक प्रभावित हुई है। यदि हमने प्राकृतिक संसाधनों का सहारा नहीं लिया तो निकट भविष्य में हमें और भी गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। पेड़-पौधे बहुत महत्वपूर्ण हैं। एक शोध के अनुसार, एक पेड़ तापमान को कम से कम 4 डिग्री तक कम कर सकता है और साल भर में लगभग 20 किलो वायु प्रदूषण को अवशोषित कर सकता है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए दावत ए-इस्लामी हिंद के मानव कल्याण विभाग जीएनआरएफ (गरीब नवाज रिलीफ फाउंडेशन) ने 1 जुलाई से 10 जुलाई के बीच पूरे देश में बड़ी संख्या में पौधे लगाने का संकल्प लिया है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए वाराणसी में भी इतवार को बेनिया समेत कई जगहों पर वृक्षारोपण मुहिम चलाई गई। 

डा. साजिद अततारी ने बताया कि हम लोग न केवल पौधा लगाते हैं बल्कि उसे दरख्त बनने तक पौधे को अपने बच्चों की तरह पालते भी हैं ।डा. मुबससिर, मो. मोजममिल, हाफिज सलीम, शानू मदनी, मो. वसीम, अफरोज अततारी, जुलकरनैन बरकाती व अली अत्तारी आदि ने पौधारोपण किया। इस दौरान लोगों को पौधारोपण के लिए जागरूक भी किया गया।

गौरतलब है कि जीएनआरएफ के सदस्य कॉलेजों, स्कूलों, मदरसों और विभिन्न धार्मिक स्थानों पर प्रकृति बचाओ शीर्षक के तहत कार्यक्रम आयोजित करके लोगों से इस वृक्षारोपण अभियान में भाग लेने की अपील कर रहे हैं।

शनिवार, 6 जुलाई 2024

Varanasi परिक्षेत्र के Post master General के रूप में कृष्ण कुमार यादव ने डाक सेवाओं को दिए नए आयाम

पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव का अहमदाबाद स्थानांतरण, हुआ अभिनंदन


Varanasi (dil India live)। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव का स्थानांतरण इसी पद पर अहमदाबाद के लिए हो गया है। भारतीय डाक सेवा के वर्ष 2001 बैच के अधिकारी श्री यादव का कार्यकाल वाराणसी में 3 वर्ष 9 माह रहा। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल के रूप में श्री कृष्ण कुमार यादव ने डाक सेवाओं को न सिर्फ लोगों से जोड़ा बल्कि उसे व्यापक आयाम भी प्रदान किये। इस दौरान न सिर्फ विभागीय लक्ष्यों की प्राप्ति के मामले में वाराणसी परिक्षेत्र ने नए आयाम स्थापित किये, बल्कि डाक सेवाओं के बारे में जनजागरूकता और भागीदारी भी बढ़ी। वे वाराणसी परिक्षेत्र में सबसे लम्बे समय तक कार्य करने वाले पोस्टमास्टर जनरल भी रहे। 

क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित 'शुभकामना एवं अभिनंदन समारोह' में डाक विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव को सम्मानित किया और उनके नये दायित्वों के बारे में शुभकामनायें देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की। सहायक निदेशक श्री आरके चौहान और बृजेश शर्मा ने कहा कि विभागीय कार्यों में तत्परता के साथ -साथ सामाजिक और साहित्यिक सरोकारों से  अटूट लगाव, उन्हें एक संवेदनशील और लोकप्रिय अधिकारी के रूप में प्रतिष्ठित करता है। 

वाराणसी में अपने कार्यकाल के अनुभवों को शेयर करते हुए श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि पोस्टमास्टर जनरल के रूप में वाराणसी परिक्षेत्र में कार्य करना मेरे लिए सौभाग्य की बात रही। वाराणसी परिक्षेत्र में  सभी विभागीय योजनाओं  को तत्परता के साथ लागू किया गया और इसमें सभी विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों ने भरपूर सहयोग दिया। श्री यादव ने कहा कि काशी में सिर्फ नौकरी नहीं सेवा होती है। उन्होंने वाराणसी के लोगों की आत्मीयता की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहाँ के लोगों  ने जो सहयोग एवं स्नेह दिया, वह सदैव याद रहेगा। श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, यह एक खूबसूरत संयोग है कि सिविल सेवाओं में अपने करियर की शुरुआत मैंने वरिष्ठ डाक अधीक्षक, सूरत मण्डल (जुलाई 2003-सितंबर 2004) के रूप में की थी। उसके बाद क्रमशः  लखनऊ, कानपुर, अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह, प्रयागराज, जोधपुर, लखनऊ, वाराणसी होते हुए पुन: एक बार गुजरात में नियुक्ति का अवसर प्राप्त हुआ है। 

इस अवसर पर प्रवर डाक अधीक्षक वाराणसी पूर्वी राजीव कुमार, डाक अधीक्षक वाराणसी पश्चिमी विनय कुमार, इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के चीफ मैनेजर  बृज किशोर, डाक अधीक्षक बलिया हेमंत कुमार, डाक अधीक्षक जौनपुर परमानन्द कुमार, डाक अधीक्षक गाजीपुर पीके पाठक, सहायक निदेशक बृजेश शर्मा, आरके चौहान, सीनियर पोस्टमास्टर पीसी तिवारी, लेखाधिकारी प्लाबन नस्कर,  सहायक अधीक्षक पल्ल्वी मिश्रा, श्रीकांत पाल, डाक निरीक्षक अनिकेत रंजन, दिलीप पांडेय, राकेश कुमार, राहुल कुमार, श्रीप्रकाश गुप्ता, मनीष कुमार, अजिता कुमारी, अभिलाषा गुप्ता  सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

शनिवार, 29 जून 2024

क्लबों का नया सत्र जुलाई से, क्लबों की नई टीम करेगी पदभार ग्रहण



Varanasi (dil India live)। रोटरी क्लब और लायंस क्लब सेवा के क्षेत्र में ग्लोबल स्तर पर किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। उनका नया सत्र जुलाई से शुरू हो रहा है। वे समर्पण, सेवा व साहचर्य की भावना आमजन की सेवा करेंगे। हर क्लबों ने अपने लक्ष्य तय किए हैं। चुने गए नए पदाधिकारी अगले माह पदभार ग्रहण करने के साथ ही वर्षभर शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी मूलभूत सेवाएं लोगों को देंगे। जिले में दो हजार से अधिक क्लबों के सदस्य हैं। 

अकेले रोटरी इंटरनेशनल और लायंस इंटरनेशनल के जिले में 50 से अधिक क्लब हैं, जो सेवा कार्य में सतत लगे रहते हैं। वे गरीबों और जरूरतमंदों के लिए सहारा बन जाते हैं। उनका नया सत्र एक जुलाई से अगले वर्ष 30 जून तक चलता है। एक जुलाई से क्लबों के चुने गए नए पदाधिकारियों को शपथ दिलाई जाएगी। रोटरी इंटरनेशनल (डिस्ट्रीक-3120) के चयनित मंडलाध्यक्ष परितोष बजाज ने बताया कि मंडल के 30 जिलों में सौ क्लब है। इसमें बनारस में 22 क्लब है। छह इनरव्हील क्लब महिलाओं के लिए हैं। सभी क्लबों के पदाधिकारियों को शपथ दिलाने के साथ ही उनको सेवा कार्य लक्ष्य से अवगत कराया जाएगा। साथ ही वह अपने आगामी कार्ययोजनाओं को रखेंगे। लायंस इंटरनेशनल (डिस्ट्रीक-321 ई) के चयनित मंडलाध्यक्ष बलबीर सिंह बग्गा ने बताया कि मंडल के 27 जिलों में कुल 110 से अधिक क्लब हैं। बनारस में 24 क्लब हैं। क्लब के सदस्य प्राथमिक स्कूलों से लेकर मलिन बस्तियों तक सेवा कार्य करते हैं। उनको नए सत्र के लक्ष्य दिए जाएंगे।

रोटरी क्लब कुंभ मेला में लोगों के आंखों के ऑपरेशन, वैक्सीनेशन के अलावा वाटर कूलर और एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराता है। जबकि लायंस क्लब स्वास्थ्य सेवाओं के साथ गरीबों को डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराता है। गरीब लड़कियों की शादी, प्राथमिक विद्यालयों को गोद लेने जैसे कई सेवा कार्य किए जाते हैं।

पूर्व रोटरी क्लब की अनूठी सेवा नेकी की दीवार है, जो गरीबों व जरूरतमंदों के लिए सहारा बना है। रोटरी के पूर्व असिस्टेंट गवर्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि शहर में कुछ स्थानों पर नेकी की दीवार बनाई गई है। इसके जरिये पुराने कपड़े, घरों की सजावटी आदि सामग्री देने और लेने की व्यवस्था है।

शुक्रवार, 28 जून 2024

यही तो है बनारस की गंगा जमुनी तहजीब

मुफ्ती-ए-बनारस पहुंचे विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के आवास, जताया अफसोस 


Varanasi (dil India live)। गंगा जमुनी तहजीब का शहर बनारस ऐसे ही इस शहर को नहीं कहा गया है। यह शहर समय समय पर मिसालें पेश करता रहता है। शुक्रवार को भी एक ऐसी ही मिसाल देखने को मिली जब ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज़ के बाद अंजुमन मसाजिद का एक प्रतिनिधिमंडल मुफ्ती शहर एवं इमाम व ख़तीब जामा मस्जिद ज्ञानवाफी मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी के नेतृत्व में पूर्व महन्त कुलपति तिवारी के आवास पर पहुंचा। इस दौरान उनके पुत्र से मिलकर अपने मुस्लिम समुदाय की की ओर से शोक और संवेदना प्रकट किया। इस दौरान सभी ने स्वर्गीय तिवारी के नगर की सामाजिक जीवन में योगदान की सराहना की। कहा कि वह बनारस की गंगा जमुनी तहज़ीब को बढ़ाने में सदैव तत्पर रहते थे। उनका मुसलमानों से बहुत अच्छा सम्बंध रहा है यहां यह बताना आवश्यक है अपने जीवन काल में वह कई बार मौलाना अरशद मदनी से मिलने गए। कुछ माह पूर्व भी भानू मिश्रा के साथ देवबंद भी गए थे। मुफ्ती साहब ने आशा जताई कि  उनका परिवार भी उनके नक्शेकदम पर चलते हुए बनारस में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए काम करेगा। मीटिंग के दौरान ही महंत राजेन्द्र तिवारी जिन्हें लोग प्यार से बबलू भैया भी कहते हैं आ गये थे। इनका भी काशी की गंगा जमुनी तहज़ीब को बढ़ावा देने में बड़ा योगदान है और निष्पक्ष व निर्भीक बातों के लिए जाने जाते हैं। अंत में दिवंगत महंत कुलपति तिवारी के पुत्र ने मुस्लिम समुदाय द्वारा जताई जा रही एकजुटता के लिए आभार प्रकट किया। इस प्रतिनिधिमंडल में मुफ्ती साहब के साथ शमशेर अली, नक़ीब आलम, ऐजाज़ मोहम्मद इसलाही, एसएम यासीन (संयुक्त सचिव अंजुमन मसाजिद इंतेजामिया कमेटी) आदि थे।

'हमारी फिक्र पर पहरा लगा नहीं सकते, हम इंकलाब है हमको दबा नहीं सकते'

'बेटियां है तो घर निराला है, घर में इनसे ही तो उजाला है....' डीएवी कॉलेज में मुशायरे में शायरों ने दिया मोहब्बत का पैगाम Varanasi (d...