सच्ची लगन-मेहनत को बनाया फण्डा, कर्तव्य पथ पर गाड़ा सफलता का झण्डा
Varanasi (dil india live).कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...
इस पंक्ति को चरितार्थ कर दिखाया है स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी नारी शक्ति ने। सच्ची लगन, कड़ी मेहनत से न केवल उन्होंने अपने-अपने कार्यक्षेत्र में सफलता का झण्डा गाड़ा है बल्कि विभाग का भी मान बढ़ाया है। उनके बेहतर कार्यो को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अब उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि चोलापुर सीएचसी पर तैनात डा. गायत्री ने जिले की सभी सीएचसी में वर्ष 2022 में अप्रैल से दिसम्बर माह के बीच सर्वाधिक सिजेरियन प्रसव कराया है। इसी तरह इस दौरान स्वास्थ्य उपकेन्द्र सिंधौरा की एएनएम रीता देवी ने सर्वाधिक सामान्य प्रसव व पीएचसी हरहुआ की आशा कार्यकर्ता संगीता ने सर्वाधिक संस्थागत प्रसव कराया है लिहाजा उन्हें गणतंत्र दिवस के अवसर पर सीएमओ कार्यालय में आयोजित समारोह में सम्मानित किया जायेगा।
स्वास्थ्य विभाग ने जिन प्रतिभाओं को सम्मानित करने का निर्णय लिया है उनमें शामिल है सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र चोलापुर में तैनात डा. गायत्री । डा. गायत्री ने वर्ष 2022 में अप्रैल से दिसम्बर के बीच 116 सिजेरियन प्रसव कराकर जिले की सभी सीएचसी में चोलापुर सीएचसी को पहले स्थान पर ला दिया है। डा. गायत्री बताती है कि वह इस सीएचसी पर वर्ष 2016 में तैनात हुर्इ थी। तब संसाधनों के अभाव के चलते यहां बहुत कम ही सिजेरियन प्रसव हो पाते थे। तैनाती के बाद से लगातार किये गये प्रयासों का नतीजा रहा कि संसाधनों की कमी पूरी हुर्इ। साथ ही संस्थागत प्रसव के साथ ही सिजेरियन प्रसव भी कराने में सफलताएं मिलने लगी। लगातार किये गये ऐसे ही प्रयासों का नतीजा है कि आज यह सीएचसी सिजेरियन प्रसव कराने के मामले में पहले स्थान पर है।
कुछ ऐसी ही कहानी है पिण्डरा ब्लाक के सिंधौरा स्वास्थ्य उपकेन्द्र में तैनात एएनएम रीता देवी की । उन्होंने वर्ष 2022 में अप्रैल से दिसम्बर माह के बीच 478 सामान्य प्रसव कराने की सफलता हासिल की है। रीता देवी बताती है कि वह इस उपकेन्द्र पर वर्ष 2007 से तैनात है। रात हो या दिन वह इलाके की गर्भवती महिलाओं की सेवा में 24 घंटे तत्पर रहती हैं। वह बताती है कि प्रसव के लिए उनके उपकेन्द्र पर आयी गर्भवती कर्इ बार बेहद घबरार्इ हुर्इ होती है। उनके परिजन भी चिंता में होते है। तब उनका पहला फर्ज होता है उन्हें समझाना और भरोसा दिलाना कि सब अच्छा होगा। ऐसे समय में उनकी आत्मीयता ही मरीज और उनके परिजनों का हौसला बढ़ाता है। उनके ऐसे ही प्रयासों का नतीजा है कि उनके उपकेन्द्र पर सामान्य प्रसव की संख्या ज्यादा है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हरहुआ की आशा कार्यकर्ता संगीता ने भी कुछ ऐसे ही प्रयासों से अपनी अलग पहचान बनायी है। वर्ष 2022 में अप्रैल से दिसम्बर माह के बीच आशा कार्यकर्ता संगीता ने 64 संस्थागत प्रसव कराने की सफलता प्राप्त की है। संगीता बताती है कि वर्ष 2007 में उनकी तैनाती हुर्इ। उन्हें मंसापुर, हरहुआडीह व हरहुआ बाजार क्षेत्र की जिम्मेदारी मिली है। उनका पूरा प्रयास होता है कि क्षेत्र के हर घर से वह बराबर सम्पर्क में रहें। इसके लिए वह क्षेत्र में बराबर भ्रमण करती रहती है। जिस घर की महिला के गर्भवती होने की जानकारी उन्हें होती है वह फौरन उससे सम्पर्क करती है। उसे स्वास्थ्य केन्द्र पर लेजाकर जांच कराती है और दवाएं दिलवाती है। इस दौरान वह उन्हें संस्थागत प्रसव के फायदे भी बताती है। ऐसे ही प्रयासों का नतीजा है कि उन्हें यह सफलता मिली है।