शुक्रवार, 29 जुलाई 2022

Muharram 2022: चांद के दीदार संग शुरू होगा माहे मोहर्रम

मस्जिदों में होगा कर्बला के शहीदों का जिक्र, अज़ाखाने होंगे गुलज़ार

मोहर्रम के जुलूस मार्गों को दुरुस्त करने की उठी मांग

Varanasi (dil india live). Muharram 2022: ईदुल अजहा की 29 तारीख आज चांद रात है। अगर चांद का दीदार हो जाता है तो माहे मोहर्रम की शुरुआत हो जाएगी। मोहर्रम की एक तारीख 30 जुलाई को होगी। अगर चांद का दीदार नहीं होता है तो कल चांद देखकर मोहर्रम का महीना शुरू हो जाएगा। मस्जिदों में 1से 10 मोहर्रम तक कर्बला के शहीदों का जहां जिक्र होगा वहीं शिया काले लिवास पहन लेंगे, शिया ख़्वातीन अपनी चूड़ियां उतार देंगी और अज़ाखाने गुलज़ार हो जाएंगे। मोहर्रम की 10 तारीख को यौमे आशूरा मनाया जाता है। इसी दिन कर्बला में नबी के नवासे इमाम हसन, इमाम हुसैन समेत 72 लोगों को शहीद कर दिया गया था। शहीद होने वालों में छोटे छोटे बच्चे भी शामिल थे।

जुलूस मार्गों को दुरुस्त करने की उठी मांग

मोहर्रम पर उठने वाले जुलूस को देखते हुए डर्बीशायर क्लब के अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर ने बताया कि मोहर्रम शुरू होने वाला है ऐसे में जिस रास्ते से जुलूस गुजरेगा उन मार्गों के उखड़ा हुआ चौका और गड्ढों को ठीक किया जाए। सीवर लाइन ठीक कराया जाए व इमामबाड़ों के पास जिस जिस तरफ से जुलूस गुजरेगा चूने का छिड़काव कराया जाय। उन्होंने कहा कि लटका हुआ बिजली का तार ठीक कराया जाए। सैयद आलिम हुसैन रिजवी व सैयद फरमान हैदर ने कहा कि शहर भर में तकरीबन 25 अलग अलग अंजुमनों द्वारा 60 से ज्यादा जुलूस मोहर्रम में निकलता है। इसमें कई सैकड़ों साल कदीमी जुलूस भी है, जिसे गंगा जमुनी तहज़ीब के लिए भी याद किया जाता है।

Raksha bandhan: वाटरप्रूफ डिजायनर लिफाफे में डाक से राखी भेज सकेंगी बहनें

पोस्टमास्टर जनरल ने जारी किया वाटरप्रूफ डिजायनर राखी लिफाफे 

डाकघरों से शुरू होगी बिक्री

डाक विभाग द्वारा राखी भेजने को वाटरप्रूफ डिजायनर लिफाफे महज ₹10 में


Varanasi (dil india live). 11 अगस्त को देश दुनिया में रक्षा बंधन का पर्व मनाया जायेगा। भाई बहनों के साथ ही इस प्यार भरे त्योहार के लिए डाक विभाग ने भी तैयारियाँ आरंभ कर दी हैं। इसी क्रम में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने विशेष रुप से निर्मित रंगीन डिजाइनर वाटरप्रूफ राखी लिफाफे कैंट प्रधान डाकघर में आयोजित एक कार्यक्रम में जारी किए। अब वाराणसी परिक्षेत्र के अधीन - वाराणसी, भदोही, चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर व बलिया जिले के डाकघरों में बिक्री के लिए ये उपलब्ध होंगे।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि ये डिजानइर राखी लिफाफे वाटर प्रूफ तथा सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत हैं, जिससे बारिश के मौसम में भी बहनों द्वारा भेजी गई राखियाँ सुदूर रहने वाले भाइयों तक सुरक्षित पहुँच सकें। 11 सेमी X 22 से.मी. आकार के इन राखी लिफाफों का मूल्य  ₹ 10  मात्र है जो डाक शुल्क के अतिरिक्त है। वाटरप्रूफ लिफाफे के बाएं हिस्से के ऊपरी भाग में भारतीय डाक के लोगो और रक्षाबंधन की डिजाइन के साथ अंग्रेजी में राखी लिफाफा और नीचे दाहिने तरफ 'हैप्पी राखी'  लिखा गया है। राखी लिफाफे के पीछे आजादी का अमृत महोत्सव और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश भी अंकित है। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि रंगीन और डिजाइनदार होने की वजह से इन्हें अन्य डाक से अलग करने में समय की बचत और रक्षाबन्धन पर्व के पूर्व वितरण कराने में भी सहूलियत  होगी।  

बनारस में यहां उपलब्ध है लिफाफा

प्रवर डाक अधीक्षक श्री राजन राव और डाक अधीक्षक श्री पीसी तिवारी ने बताया कि राखी लिफाफा प्रधान डाकघर वाराणसी व वाराणसी कैंट सहित हिन्दू विश्वविद्यालय, लंका, सारनाथ, पं. दीन दयाल उपाध्यायनगर, वाराणसी सिटी, चंदौली मुख्य डाकघर, डी.एल.डब्लू, शिवपुर, कमच्छा, काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, ज्ञानपुर, भदोही, भेलूपुर, राजातालाब, सेवापुरी, चोलापुर, कबीरचौरा, बंगाली टोला, काशी आर.एस., महामंडल,  सकलडीहा, धानापुर, चकिया, चोलापुर, चौबेपुर, रामनगर, मंगारी, मंडुवाडीह, गोपीगंज, औराई, महराजगंज, बड़ागांव, डाकघरों में भी उपलब्ध है।

Postmaster General Krishna Kumar Yadav released waterproof designer Rakhi envelopes for sale  from Post offices

Waterproof Designer Envelopes for sending Rakhi by Postal Department, cost only ₹ 10

Now sisters will be able to send Rakhi by Post in a waterproof designer envelope

Varanasi (dil india live). Rakshabandhan festival, a symbol of brother-sister love, will be celebrated on 11th August and for this the Postal Department has already started preparations. Postmaster General of Varanasi Region, Shri Krishna Kumar Yadav,released specially made colorful designer waterproof Rakhi envelopes in a function organized at Varanasi Cantt. Head Post Office. These special Rakhi envelopes will now be available for sale in the Post offices of Varanasi, Bhadohi, Chandauli, Jaunpur, Ghazipur and Ballia districts under Varanasi Region.

Postmaster General, Shri Krishna Kumar Yadav informed that these designer Rakhi envelopes are waterproof and strong from the point of view of security, so that even in rainy season the Rakhi sent by sisters can reach the distant brothers safely. The cost of these 11 cm X 22 cm size Rakhi envelopes is ₹ 10 only which is in addition to the postage charges. Rakhi envelope in English with the logo of India Post and Rakshabandhan design on the upper left side of the waterproof envelope and 'Happy Rakhi' written on the lower right side. On the back of the Rakhi envelope, the logo of Amrit Mahotsav of Independence and Beti Bachao, Beti Padhao is also inscribed. Postmaster General Shri Krishna Kumar Yadav said that being colorful and specially designed; it would save time in segregating them from other mails and would also help in getting them delivered before Rakshabandhan festival.

Senior Superintendent of Post offices, Varanasi Shri Rajan and Superintendent of Post offices Shri PC Tiwari informed that Rakhi envelopes are available in Varanasi Head Post Office,  Cantt Head Post Office and also in other Sub Post offices named Hindu Vishwavidyalaya, Lanka, Sarnath, Pt. Deen Dayal Upadhyaya Nagar, Varanasi City, Chandauli MDG, DLW, Shivpur, Kamachha, Kashi Vidyapeeth, Sampurnanand Sanskrit University, Gyanpur, Bhadohi, Bhelupur, Rajatalab, Sewapuri, Cholapur, Kabirchaura, Bengali Tola, Kashi R.S., Mahamandal, Sakaldiha, Dhanapur, Chakia, Cholapur, Chaubepur, Ramnagar, Mangari, Also available at Manduwadih, Gopiganj, Aurai, Maharajganj, Baragaon  Post Offices of Varanasi East & West Division.  .


गुरुवार, 28 जुलाई 2022

COVID 19:संचार माध्यमों के जरिये कोविड-19 का प्रसार हुआ कम

टीकाकरण और कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर (कैब) ने निभाई अहम भूमिका

कोविड-19 से बचाव एवं सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान पर  मंथन    



Varanasi (dil india live). “कोविड-19 के प्रसार को कम करने में कोरोना रोधी टीकाकरण, सामुदायिक गतिविधियों एवं संचार माध्यमों ने अहम भूमिका निभाई है। प्रथम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, एएनएम, स्टाफ नर्स, डॉक्टरों ने दिन-रात ड्यूटी कर कोविड पॉज़िटिव मरीजों की देखभाल की। इस बीच कई लोगों ने अपनों को खोया। कई डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी जान गवाईं |,   इन सभी के बावजूद  विदेशों की तुलना में भारत में कोरोना की रफ्तार कम हो गयी है। कोविड के बचाव के टीकाकरण, कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर (कैब), सामुदायिक पहुँच एवं सहभागिता से आई जन जागरूकता से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है”।  

 यह बातें गुरुवार को कैंटोनमेंट स्थित एक होटल में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में आयोजित जन जागरण संस्थान, दी एशिया फाउंडेशन एवं दी यूरोपियन यूनियन के सहयोग से साउथ एशिया रीजनल प्रोजेक्ट टू स्ट्रेन्थ कम्यूनिटी रेसीलिएन्स टू कोविड-19 (कोविड-19 के प्रति सामुदायिक लचीलेपन को मजबूत) के तहत राज्य स्तरीय  कार्यशाला में कहीं गईं। कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी, एशिया फाउंडेशन की राष्ट्र स्तरीय प्रतिनिधि नंदिता बरुआ, सदस्य नीति आयोग, बाल अधिकार उपसमिति संजय मिश्रा ने किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य  उपरोक्त संस्थाओ के द्वारा पिछले साल फरवरी से जुलाई 2022 तक उत्तर प्रदेश के पाँच जिलों  (वाराणसी, चंदौली, गाज़ीपुर, जौनपुर और मिर्ज़ापुर) के 10 विकासखंड मे कोविड 19 से बचाव एवं सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान पर मंथन एवं उसके अनुपालन में आने वाली समस्याओं के  उपाय पर  विशेष चर्चा की गयी।

   इस दौरान सीएमओ ने कहा कि कोविड-19 के प्रसार को कम करने में कोरोना रोधी टीकाकरण, जन जागरूकता सम्बन्धी  सामुदायिक गतिविधियां, आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का गृह भ्रमण, जनपद प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभाग एवं गैर सरकारी स्वास्थ्य संगठनों ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसको भुलाया नहीं जा सकता। लोगों ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर स्वयं के  अपने परिवार को सुरक्षित किया है। उन्होने ज़ोर दिया कि मलिन  बस्तियों में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति व्यवहार परिवर्तन  करना  बेहद आवश्यक  है। कोरोना अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। कोरोना की एहतियाती  डोज़ समय से लगवा लें। मास्क, सेनिटाइजर और सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते रहें। 

    इसके अतिरिक्त राष्ट्र स्तरीय प्रतिनिधि नंदिता बरुआ, सदस्य नीति आयोग संजय मिश्रा एवं अन्य लोगों ने अपने विचार रखे। कार्यशाला में पांचों जिलों के चिन्हित ब्लॉक की आशा कार्यकर्ता, एएनएम, ग्राम प्रधान, प्रभारी चिकित्साधिकारी, डीएचईआईओ हरिवंश यादव, तीनों संस्थाओं के राज्य एवं जिला स्तरीय प्रतिनिधि एवं अन्य लोग शामिल रहे।

बुधवार, 27 जुलाई 2022

World hepatitis day 28 July

हेपेटाइटिस है गंभीर, जन जागरूकता से ही दूर होगी यह बीमारी

गर्भावस्था में जरूर कराएं जांच, बचेगी जच्चा-बच्चा दोनों की जान

जन्म के तुरंत बाद शिशु को लगवाएँ हेपेटाइटिस बी का टीका

सरकार ने की वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस उन्मूलन करने की पहल


Varanasi (dil india live).वायरल बीमारी के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। हेपेटाइटिस वायरस को पांच प्रकार यथा ए, बी, सी, डी और ई के रूप में जाना जाता है। यह सभी यकृत (लिवर) को प्रभावित करते हैं, लेकिन उत्पत्ति, संचरण और गंभीरता के संदर्भ में उनके बीच महत्वपूर्ण अंतर है। बता दें कि वर्ष 1967 में अमेरिकी डॉक्टर बारूक सैमुअल ब्लमबर्ग ने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी। नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक के सम्मान में उनके जन्मदिन पर विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी* ने कहा कि इस दिवस को हेपेटाइटिस के विभिन्न रूपों और उनके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस के साथ-साथ संबंधित बीमारियों के प्रबंधन, पता लगाने और रोकथाम में सुधार करना है। इस वर्ष दिवस की थीम ‘आई काँट वेट’ यानि ‘मैं इंतजार नहीं कर सकता हूँ’, जिसका मतलब है कि हेपेटाइटिस की जांच के लिए ज्यादा इंतजार न करें। समय रहते इसकी जांच और डॉक्टर के परामर्शानुसार उपचार कराएं । 

*सीएमओ* ने कहा कि हेपेटाईटिस नियंत्रण के लिये सरकार ने वर्ष 2030 तक देश से हेपेटाइटिस वायरस का उन्मूलन करने की पहल की है। इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम वर्ष 2018 में शुरु किया गया । इसका प्रमुख उद्देश्य हेपेटाइटिस का मुकाबला करते हुए वर्ष 2030 तक संपूर्ण देश से 'हेपेटाइटिस सी' का उन्मूलन करना, हेपेटाइटिस 'बी' एवं 'सी' से होने वाला संक्रमण तथा उसके परिणामस्वरूप सिरोसिस और लीवर कैंसर के कारण होने वाली रुग्णता एवं मृत्यु में कमी लाना, हेपेटाइटिस 'ए' और 'ई' से होने वाले जोखिम, रुग्णता एवं मृत्यु में कमी लाना है। 

रोकथाम 

•जागरूकता निर्माण और संचार व्यवहार में बदलाव

•हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण (जन्म पर खुराक, स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी)

•रक्त और रक्त उत्पादों की सुरक्षा

•सुरक्षित इंजेक्शन और सुरक्षित सामाजिक-सांस्कृतिक अभ्यास

•शुद्ध पेयजल तथा साफ़ एवं स्वच्छ शौचालय का उपयोग   

गर्भावस्था और हेपेटाइटिस बी 

शहरी सीएचसी दुर्गाकुंड की अधीक्षक व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सारिका राय ने कहा कि गर्भावस्था और गर्भस्थ शिशु को हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए समय पर समय जांच अवश्य करानी चाहिए। समय से जांच, उपचार और डॉक्टर से परामर्श से प्रसव के समय कोई समस्या नहीं आएगी। उन्होने कहा कि पॉज़िटिव होने पर प्रसव के दौरान यह वायरस माँ से शिशु तक पहुँचने की संभावना होती है। ऐसे में नॉर्मल और सिजेरियन दोनों तरह की प्रसव कराना संभव है। इसके अतिरिक्त कोई अन्य जटिलताएं नहीं होती हैं। डॉ सारिका ने बताया कि जन्म के तुरंत बाद शिशु को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए। यदि शिशु किसी कारणों से संक्रमित हो गया है, तो यह टीका उससे बचाव करेगा। हेपेटाइटिस बी होने पर इन बातों की संभावना रहती है जो इस प्रकार हैं - 

समय पूर्व शिशु का जन्म

गर्भपात

कम वजन का शिशु

गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) होना

कारण  

-दूषित भोजन-अशुद्ध पानी के सेवन से हेपेटाइटिस ए और ई संभावित।

-असुरक्षित यौन संबंध से हेपेटाइटिस-बी और सी (काला पीलिया) संभावित।

-असुरक्षित इंजेक्शन-उपचार से हेपेटाइटिस बी और सी संभावित।

-गर्भवती के बच्चे को भी काला पीलिया संभावित। 

बचाव 

-शौच से पहले, खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोएं।

-ठीक से पका हुआ भोजन, पानी उबालने के बाद ठंडा कर पिएं।

-रक्त चढ़वाना है तो लाइसेंस प्राप्त रक्त सेंटर से लें।

-सुई-रेजर किसी अन्य के साथ साझा न करें।

-सुरक्षित यौन संबंध बनाएं।

-बच्चे के जन्म के तुरंत बाद हेपेटाइटिस-बी का टीका लगवाएं।

यह भी जानना है जरूरी

-हेपेटाइटिस का उपचार व रोकथाम संभव है।

-हेपेटाइटिस के इलाज में लापरवाही से लिवर कैंसर हो सकता है।

-जिला अस्पताल सहित अन्य केंद्रों में जन्म लेने वाले शिशुओं का हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण होता है।

Bhadohi news: ज्ञानपुर में लगा डाक मेला

डिजिटल इंडिया में डाक विभाग निभा रहा अहम भूमिका

पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने किया डाक मेले का उद्घाटन



Bhadohi (dil india live). वित्तीय समावेशन और डिजिटल इंडिया में डाक विभाग अहम भूमिका निभा रहा है। एक ही छत के नीचे तमाम सेवाएं उपलब्ध कराकर डाकघरों को बहुउद्देश्यीय बनाया गया है। बचत, बीमा, आधार, पासपोर्ट, कॉमन सर्विस सेंटर, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक, रेलवे टिकट, गंगाजल की बिक्री जैसी तमाम सुविधाएं डाकघरों में उपलब्ध हैं। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने ज्ञानपुर में आयोजित डाक मेले में संबोधन के दौरान बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये।  इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया एवं सुकन्या समृद्धि योजना, डाक जीवन बीमा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के विभिन्न लाभार्थियों को पासबुक एवं पॉलिसी बॉन्ड का वितरण किया गया।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि आमजन में डाकघर की बचत योजनाएँ बेहद लोकप्रिय हैं और इनमें लोग पीढ़ी दर पीढ़ी सुरक्षित निवेश करते आ रहे हैं। भदोही जिले में अब तक 2.60 लाख बचत खाते, 21 हजार आईपीपीबी खाते और 16 हजार सुकन्या समृद्धि खाते खोले जा चुके हैं। 27 गाँवों को सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम, 9 गाँवों को सम्पूर्ण बीमा ग्राम एवं 3 गाँवों को 5 स्टार ग्राम बनाया जा चुका है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के तहत आरंभ 'सुकन्या समृद्धि योजना' बालिकाओं के सुरक्षित भविष्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के माध्यम से डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक आज एक चलते फिरते बैंक के रूप में कार्य कर रहे हैं। किसानों सहित अन्य तमाम लाभार्थियों के बैंक खातों में आने वाली डीबीटी राशि की निकासी के लिए अब किसी को भी बैंक या एटीएम जाने की जरूरत नहीं, बल्कि घर बैठे ही सभी अपने आधार लिंक्ड बैंक खाते से डाकिया के माध्यम से निकासी कर सकते हैं। आईपीपीबी में खाता होने पर डाकघर की सुकन्या, आरडी, पीपीएफ, डाक जीवन बीमा में भी ऑनलाइन जमा किया जा सकता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, वाहनों का बीमा, स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसी तमाम सेवाओं का लाभ भी डाकिया के माध्यम से लिया जा सकता है। सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने हेतु आधार जरूरी है, ऐसे में अब घर बैठे डाकिया के माध्यम से ही आधार से लिंक मोबाइल नम्बर भी अपडेट किया जा सकता है। श्री यादव ने बताया कि आमजन को विभिन्न सेवाओं के लिए भटकना न पड़े और सारी सेवाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध हो सकें, इसके लिए अब डाकघरों में भी काॅमन सर्विस सेंटर के माध्यम से एक साथ केंद्र व विभिन्न राज्य सरकारों की 73 सेवाएँ मिल रही हैं। वाराणसी पश्चिमी मंडल के अधीक्षक डाकघर श्री पीसी तिवारी ने कहा कि विभिन्न डाक योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु डाक विभाग द्वारा पहल की जा रही है।

ज्ञानपुर उपमंडल के डाक निरीक्षक अखण्ड प्रताप गोस्वामी ने बताया कि डाक मेले के दौरान 1,350 से ज्यादा डाकघर बचत बैंक खाते और 250 बेटियों के सुकन्या समृद्धि खाते खोले गए। डाक मेले में 3.15 लाख का डाक जीवन बीमा प्रीमियम जमा किया गया है एवं 300 से अधिक किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कराया। 

इस कार्यक्रम में डाकघर अधीक्षक, वाराणसी (पश्चिम) मण्डल पी. सी. तिवारी, ग्राम प्रधान रामापुर ज्ञानपुर रीता देवी, सभासद मोहम्मद अबरार,  निरीक्षक डाकघर अखण्ड प्रताप गोस्वामी, श्रीकान्त पाल, पोस्टमास्टर ज्ञानपुर उपडाकघर मुकेश श्रीवास्तव, सीनियर मैनेजर इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ज्ञानपुर निकेश कुमार पाण्डेय सहित तमाम स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी -कर्मचारी एवं सम्मानित जनता ने भागीदारी की।

गब्बर सिंह को देश दुनिया में आज किया जा रहा याद

बालीवुड के मशहूर अभिनेता अमजद खान की पुण्य तिथि




Varanasi (dil india live).बेहतरीन किरदार के जरिए अपने फैंस के दिलों पर अमिट छाप छोड़ने वाले फिल्मी दुनिया के गब्बर सिंह को आज देश दुनिया भर में याद किया जा रहा है। आज सुपर हिट फिल्म शोले के महा खलनायक अमजद खान कि पुण्य तिथि है। शोले में गब्बर सिंह का किरदार निभा कर देश दुनिया में चर्चित हुए अमजद खान आज भले ही हम लोगों के बीच नहीं हैं मगर आज भी उनकी कला और फिल्मों के जरिए सभी उन्हें याद कर रहे हैं।

भारतीय इतिहास में ऐसे कई कलाकारों के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने अपने बेहतरीन अभिनय की अमिट छाप छोड़ी है। शोले में गब्बर सिंह का किरदार निभाने वाले अभिनेता अमजद खान भी ऐसे ही कलाकारों में से एक हैं। डाकू के किरदार से घर-घर प्रसिद्ध हुए अभिनेता अमजद खान ने अपने इस किरदार को इतनी शिद्दत से निभाया कि लोगों के मन में उनकी डाकू वाली छवि आज तक मिट नहीं पाई है। अपनी दमदार आवाज और बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी के दम पर गब्बर सिंह हिंदी सिनेमा के खूंखार खलनायकों में आज भी अव्वल है। फिल्म जगत का नायाब सितारा आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कह गया था।

पेशावर में हुए थे पैदा

12 नवंबर 1940 को पेशावर में जन्मे अमजद खान ने अपने फिल्मी करियर में यूं तो कई फिल्मों में काम किया, लेकिन फिल्म शोले में गब्बर का किरदार निभा कर उन्हें जो शौहरत हासिल हुई, वह शायद ही किसी खलनायक को आज तक मिली हो। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि गब्बर सिंह के इस दमदार किरदार के लिए अमजद खान पहली पसंद नहीं थे। इस रोल के लिए पहले अभिनेता डैनी से संपर्क किया गया था, लेकिन उस समय फिल्म धर्मात्मा की शूटिंग में व्यस्त थे। ऐसे में उन्होंने शोले में इस किरदार को करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद यह रोल अमजद खान की झोली में आ गिरा और इस किरदार के चलते अमजद खान ने सभी को पछाड़ कर अमर हो गये।

गब्बर सिंह के लिए अमजद खान का नाम बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान के पिता सलीम खान ने सुझाया था। कौन जानता था कि सलीम खान का यह सुझाव नाम इतिहास के पन्नों में अमजद खान को हमेशा के लिए अमर कर देगा। गब्बर सिंह के किरदार के लिए चुने जाने के बाद इस किरदार में ढलना अमजद खान के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। फिल्म में अमजद खान के बोले गए डायलॉग आज भी लोगों की जुबां पर हैं। अमजद खान के अंदाज को लोगों ने सबसे ज्यादा पसंद किया वह अभिनेता का ओरिजिनल स्टाइल नहीं था। फिल्म में अमजद खान के बात करने का तरीका उनके गांव के एक धोबी से प्रेरित था।

दरअसल, अमजद खान के गांव में एक धोबी रहता था, जो रोज सुबह इसी अंदाज में लोगों से बात किया करता था। अभिनेता ना सिर्फ धोबी के इस स्टाइल से काफी प्रभावित थे, बल्कि उसे गौर से सुना भी करते थे। धोबी की इस शैली से प्रभावित होकर अमजद खान ने किसी और की शैली कॉपी करने की जगह धोबी के इस ठेठ अंदाज को अपनाने का फैसला किया और अभिनेता के इस फैसले में उन्हें हिंदी सिनेमा में एक अलग मुकाम पर पहुंचा दिया। शूटिंग के दौरान जब अमजद खान ने धोबी की स्टाइल में डायलॉग बोलना शुरू किया तो फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी समेत पूरी यूनिट हैरान रह गई और इस तरह शोले के गब्बर सिंह का यह किरदार हमेशा के लिए अमर हो गया। 

बाल कलाकार के तौर पर की थी इंडस्ट्री में इंट्री

1951 में फिल्म नाजनीन से बतौर बाल कलाकार इंडस्ट्री में कदम रखने वाले अभिनेता ने अपने करियर में कई फिल्में कीं। 17 साल की उम्र में बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले अमजद खान ने 1973 में आई फिल्म हिंदुस्तान की कसम के जरिए बतौर हीरो डेब्यू किया था। अपने लंबे फिल्मी करियर के दौरान अमजद खान ने परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, हीरालाल- पन्नालाल, सीता और गीता जैसी फिल्मों में भी काम किया था। 27 जुलाई 1992 में दिल का दौरा पड़ने से फिल्म जगत का यह नायाब सितारा हमेशा के लिए दूर चला गया। अभिनेता ने महज 51 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। कहना ग़लत न होगा कि अमजद खान कुछ दिन और रहे होते तो फिल्म इंडस्ट्री का इतिहास कुछ और ही होता।


मंगलवार, 26 जुलाई 2022

Shihab के हौंसले को सलाम

आंखों में काबा का ख्वाब संजोए, पैदल ही निकले हज करने केरल के शिहाब

2022 में शुरू किया सफर, 2023 में होगा मुकम्मल हज

जानिए कौन कौन से देशों से होकर पहुंचेंगा ये हज यात्री काबा



Sarfaraz Ahmad

Varanasi (dil india live). कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो....। किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि अगर इंसान ठान ले तो क्या नहीं कर सकता, इंसान चाहे तो आसमान में सुराख भी कर दे। लेकिन ज़रूरत है उस जुनून की, जिसकी बात शायर अपने कलाम में कर रहा है। ऐसे ही एक जूनूनी शख्स हैं केरल के ‘शिहाब’। वो केरल से मक्का तक पैदल ही हज के सफर पर निकल पड़े हैं। आज वो विभिन्न शहरों से होते हुए गुजरात पहुंचे। वहां लोगों ने उन्हें सिर आंखों पर बैठाया। जिस रास्ते से वो गुज़र रहें हैं। उनकी एक झलक पाने को सभी बेताब दिखाई दे रहे हैं।

शिहाब केरला से रवाना हुए और 2023 में हज से पहले मक्का पहुंचना उनका लक्ष्य है, ताकि वह हज का फरीजा अदा कर सकें। शिहाब करेला से निकल कर भारत के कई राज्यों को पार करते हुए पाकिस्तान, ईरान, फिर इराक, फिर कुवैत और अंत में सऊदी अरब के पवित्र मक्का शहर पहुंचेंगे। शिहाब ने अपनी अनोखी पैदल यात्रा के बारे में उनकी तैयारी को लेकर मीडिया से बात की। उन्होने बताया की उन्हे तैयारी करने में लगभग छह महीने का समय लग गया, क्योंकि उन्होंने भारतीय राजधानी नई दिल्ली में देश के दूतावासों के चक्कर लगाना पड़े अपनी यात्रा की परमीशन लेने के लिए। मक्का जाने का फैसला करने के बारे में, शिहाब कहते हैं, “मैंने पैदल ही हज की योजना बनाई रहा है। यह मेरी बचपन की ख्वाहिश थी। अल्हम्दुलिल्लाह। मैं अल्लाह का शुक्रिया अदा करता हूं। मेरी मां की दुआ से अल्लाह ने मेरी यह मन्नत और दुआ पूरी कर दी। सरकार ने मुझे पैदल हज पर जाने की इजाजत दे दी, सभी प्रक्रियाओं को मैंने पूरा कर लिया या। इंशा अल्लाह यात्रा मेरी 2022 में केरल से शुरू हो गई है जो 2023 में काबा में हज मुकम्मल करके पूरी होगी। शिहाब ने बताया कि कई लोगों ने उसकी यात्रा के रास्ते में मदद करने का वादा किया है, यह पुष्टि करते हुए कि यात्रा बहुत लंबी है और इसमें महीनों लगते है।

केरल में एक सुपरमार्केट चलाने वाले शिहाब का लक्ष्य भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक और कुवैत के रास्ते सऊदी अरब जाना है।शिहाब ने इस सैर के लिए आठ महीने तक तैयारी की। वह हर दिन कम से कम 25 किमी पैदल चलते हैं।केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और कई अन्य लोगों ने शिहाब को हज का ख्वाब पूरा करने में मदद की।वह कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब से होते हुए वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान में प्रवेश करेंगे। शिहाब कहते हैं कि

"मेरा लक्ष्य 280 दिनों में 8,640 किमी चलना है। मैं एक दिन में औसतन 25 किमी पैदल चल रहा हूं। मैं 2023 में हज करना चाहता हूं। मेरे परिवार, दोस्तों और अन्य लोगों ने मेरी यात्रा के लिए अपना सहयोग दिया है, "उन्होंने कहा कि उसके पास एक बेडशीट, कपड़े और एक10 किलो का बैग है। रास्ते में वह मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं और रात आराम करने के बाद फिर निकल पड़ते है, हज के सफर में...।"

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