सोमवार, 13 सितंबर 2021

पर्वाधिराज 10 लक्षण पर्व का चौथा दिन

भारत वसुंधरा धार्मिक विविधताओं का देश

वाराणसी । श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे 10 दिवसीय पर्युषण पर्व की चतुर्थ दिवस सोमवार को प्रातः चौथे अध्याय “उत्तम शौच धर्म “ पर भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली भेलुपूर में प्रवचन व्याख्यान देते हुए जैन मुनि विशद सागर जी महाराज ने कहा-“उत्तम शौच का अर्थ है मन को मांजना ।पहले दिन क्रोध को भगाया ,दूसरे दिन मान को मारा,  तीसरे दिन मन को बच्चे की तरह सरल किया और आज मन को मांजने की बात हो रही है । किसी ने पूछा संसार छोटा है या बड़ा ? हमने कहा संसार न छोटा है ना बड़ा । जिसकी कामना ,वासनाएँ बढ़ी है ,उसका संसार बड़ा है और जिसकी कामना , वासना कम है उसका संसार छोटा है । संतों का संसार का संसार इच्छाए सीमित है ।”मुनिश्री ने कहा -“पर्युषण शुद्ध रूप से आध्यात्मिक पर्व है ,इसमें आत्मचिंतन ही नहीं , आत्ममंथन की प्रक्रियाए भी निहित है ।सभी जीवों में मनुष्य ही सर्वश्रेष्ठ जीव है ।श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए पर्यूषण पर्व का तोहफ़ा मिला है ।इन दिनों जैन धर्मावलंबी १० वृत्तियों का व्रत लेकर उपवास ,साधना, पूजा आदि क्रियाएं कर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं ।इन दिनों सांसारिक क्रियाएं छोड़कर , इन्द्रियों को संयमित कर त्याग-तपस्या , आत्मा भावना , धर्मग्रंथों का अध्ययन कर तीर्थंकरों का पूजन अभिषेक करते हैं मुनि श्री ने कहा -“भारत वसुंधरा धार्मिक विविधताओं का देश है ,यह पर्व मानव के कल्याण के लिए हैं । यह मनुष्य को क्षमा वान बनाता है । यह पर्व लोक और परलोक में सुख देने वाला है । आत्म शुद्धि के साथ जैन धर्म में अहिंसा का सर्वोच्च स्थान है ।

4-4  तीर्थंकरों की नगरी होने से वाराणसी जैनों की बहुत बड़ी तीर्थ स्थली कही जाती है।

सोमवार को प्रातः सारनाथ में भगवान श्रेयांसनाथ जी , भदैनी में भगवान सुपार्श्वनाथ मंदिर, भेलुपूर  में भगवान पार्श्वनाथ जी, चंद्रपुरी में चंद्रप्रभु भगवान की मंदिरो में श्रावकों ने तीर्थंकरों का अभिषेक कर मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया। सायंकाल खोजवा स्थित जैन मंदिर में पंडित फूलचंद प्रेमी ने भी शास्त्र प्रवचन किया ।भगवंतो की आरती , प्रश्नोत्तरी , जिनवाणी पूजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।

आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन , राजेश जैन , अरुण जैन , तरुण जैन , विनोद जैन , आलोक जैन , विजय जैन , ललित पोद्दार उपस्थित थे।

                                      

हिंदी दिवस विशेष: तीन पीढ़ियों संग हिंदी के विकास में जुटे हैं वाराणसी क्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिले हैं हिंदी के लिए कई सम्मान




वाराणसी 13 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। देश में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को ही संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था, इसके बाद से हर साल इसे 'हिंदी दिवस' के रूप में मनाया जाने लगा। हिंदी को लेकर तमाम विद्वान, संस्थाएँ, सरकारी विभाग अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इन सबके बीच एक परिवार ऐसा भी है, जिसकी तीन पीढ़ियाँ हिंदी और हिंदी साहित्य की अभिवृद्धि के लिए निरंतर अपने लेखन के माध्यम से प्रयासरत हैं।

भारतीय डाक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी एवं सम्प्रति वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव के परिवार में उनके पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव के साथ-साथ पत्नी सुश्री आकांक्षा यादव और दोनों बेटियाँ अक्षिता व अपूर्वा भी हिंदी को अपने लेखन से लगातार नए आयाम दे रहे हैं। देश-विदेश में तमाम सम्मानों से अलंकृत यादव परिवार की रचनाएं प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ रेडियो और दूरदर्शन पर भी प्रसारित होती रहती हैं। हिंदी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में इस परिवार का नाम अग्रणी है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन पश्चात वर्ष 2001 में हिंदी माध्यम से अपने प्रथम प्रयास में ही भारत की प्रतिष्ठित ‘सिविल सेवा’ में चयन पश्चात श्री कृष्ण कुमार यादव सूरत, कानपुर, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, प्रयागराज, जोधपुर, लखनऊ व वाराणसी में विभिन्न पदों पर पदस्थ रहे हैं। 

प्रशासनिक सेवा के दायित्वों के निर्वहन के साथ श्री कृष्ण कुमार यादव की अभिलाषा (काव्य संग्रह), अभिव्यक्तियों के बहाने, अनुभूतियाँ और विमर्श (निबंध संग्रह), क्रांति यज्ञ : 1857-1947 की गाथा, जंगल में क्रिकेट (बाल गीत संग्रह) एवं 16 आने - 16 लोग सहित कुल सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक - साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता व प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु शताधिक सम्मान प्राप्त श्री यादव को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल भी सम्मानित कर चुके हैं।

श्री कृष्ण कुमार यादव के पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव हिंदी में निरंतर लेखन कार्य कर रहे हैं। वहीं पत्नी सुश्री आकांक्षा यादव की भी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हिंदुस्तानी एकेडमी, प्रयागराज द्वारा प्रकाशित "आधी आबादी के सरोकार" इनकी चर्चित पुस्तक है। 'दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति' सम्मान से विभूषित यादव दम्पति को नेपाल, भूटान व श्रीलंका में आयोजित 'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन' में “परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान” सहित अन्य सम्मानों से नवाजा जा चुका है। जर्मनी के बॉन शहर में ग्लोबल मीडिया फोरम (2015) के दौरान 'पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड' श्रेणी में सुश्री आकांक्षा यादव के ब्लॉग 'शब्द-शिखर' को हिंदी के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है। 

सनबीम स्कूल, वरुणा, वाराणसी में अध्ययनरत इनकी दोनों बेटियाँ अक्षिता (पाखी) और अपूर्वा भी इसी राह पर चलते हुए अंग्रेजी माध्यम की पढाई के बावजूद हिंदी में सृजनरत हैं। अपने ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' हेतु अक्षिता को भारत सरकार द्वारा सबसे कम उम्र में 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया जा चुका है। अक्षिता को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, नई दिल्ली (2011) में भारत के पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने ‘श्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर‘ सम्मान से अलंकृत किया, तो अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, श्रीलंका (2015) में भी अक्षिता को “परिकल्पना कनिष्ठ सार्क ब्लॉगर सम्मान” से सम्मानित किया गया। अपूर्वा ने भी कोरोना महामारी के दौर में अपनी कविताओं से लोगों को सचेत किया।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि, सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है।हिन्दी सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि हम सबकी पहचान है, यह हर हिंदुस्तानी का हृदय है। डिजिटल क्रान्ति के इस युग में हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता है। वहीं, सुश्री आकांक्षा यादव का मानना है कि, आज परिवर्तन और विकास की भाषा के रूप में हिन्दी के महत्व को नये सिरे से रेखांकित किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति में भी हिंदी को महत्ता दी गई है।

डाक विभाग मनायेगा 14 से 28 सितंबर तक हिंदी पखवाड़ा

वाराणसी 13 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। डाक विभाग द्वारा 14 से 28 सितंबर, 2021 तक 'हिंदी पखवाड़ा' का आयोजन किया जाएगा। क्षेत्रीय कार्यालय, वाराणसी में 14 सितंबर को शाम 3 बजे वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव द्वारा इसका शुभारंभ किया जाएगा। सहायक निदेशक (राजभाषा) राम मिलन ने बताया कि इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं  का आयोजन किया जाएगा। 15 सितंबर को हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता (विषय-आजादी का अमृत महोत्सव), 16 को हिंदी टंकण प्रतियोगिता, 17 को हिंदी काव्य पाठ प्रतियोगिता, 20 को हिंदी टिप्पण एवं आलेखन प्रतियोगिता, 21 को हिंदी पत्र लेखन प्रतियोगिता (विषय - कोविड-19 के दौर में डाक विभाग की भूमिका पर मित्र को पत्र), 22 को हिंदी श्रुतलेखन प्रतियोगिता, 23 को हिंदी कार्यशाला और 28 सितंबर को समापन समारोह और पुरस्कार वितरण होगा। सभी प्रतियोगिताओं में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा।

रविवार, 12 सितंबर 2021

पर्युषण पर्व के तीसरे दिन जैन मंदिर में दर्शन,पूजन व पूजन

छल से प्राप्त लक्ष्मी शाश्वत नहीं रहती नष्ट हो जाती है: मुनि विशद सागर



वाराणसी 12 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)| पर्युषण पर्व के तीसरे दिन जैन मंदिर भेलूपुर में प्रातः से विविध धार्मिक कृत्य प्रारंभ हुए। योग , ध्यान , सामायिक , भगवंतो का जलाभिषेक ,शांति धारा मुनिश्री के मंत्रोच्चारण के साथ किया गया ।रवि व्रत के साथ भगवान सुपार्श्वनाथ जी के गर्भ कल्याणक पूजा भी संपन्न हुई ।श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे दस दिवसीय दशलक्षण पर्व के तृतीय दिवस पर रविवार को प्रातः आचार्य मुनि 108 विशद  सागर जी तृतीय अध्याय “ *उत्तम* *आर्जव* *धर्म* “ पर व्याख्यान देते हुए कहा -“हम सब को सरल स्वभाव रखना चाहिए ,कपट का त्याग करना चाहिए ।कपट के भ्रम में जीना , दुखी होने का मूल कारण है ।आत्मा ज्ञान,  ख़ुशी , प्रयास ,विश्वास जैसे असंख्य गुणों से सिंचित है । सीधा-सादा सरल होना ही सहजता है और सहजता ही जीवन में आ जाना ही सरलता है ।”मुनि श्री ने कहा -“जो मनुष्य अपने मन से कपट करना ,धोखा देना ,चोरी करना ,ऐसी भावों को निकाल देता है व अपने स्वभाव को सरल व विनय से युक्त बना लेता है ।उसे ही उत्तम आर्जव धर्म कहते हैं ।कपटी व्यक्ति स्वयं ही अपने को धोखा देता है , वह दूसरे की अपेक्षा स्वयं अपनी ही हानि अधिक करता है ।मनुष्य अगर छल कर लक्ष्मी प्राप्त कर लेता है तो वह लक्ष्मी शाश्वत नहीं रह पाती है ,नष्ट हो जाती है । मुनि जी ने कहा तन उजला किस काम का जब तक मन में मैल , मन का मैल ही करें शुरू मन मुटाव का खेल । “कपट नरक का द्वार है मत कर माया चारी ,  आर्जव धर्म को धार चपल मन हो निज सुख तैयारी ।” 

रविवार को प्रातः भगवान सुपार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली भदैनी (जैन घाट ) में भगवान के गर्भ कल्याणक की विशेष पूजा की गई ।प्रातः सारनाथ ,चंद्रपुरी , नरिया ,  भदैनी  मैदागिन  एवं ग्वालदास  साहूलेन में प्रातः 10 लक्षण पूजन अभिषेक किया गया ।सायंकाल मंदिरों में प्रतिक्रमण , सामयिक ,शास्त्र प्रवचन , जिनवाणी पूजन , तीर्थंकरो एवं देवी पद्मावती जी की आरती की गई । सायंकाल भेलुपूर मंदिर जी में महिला मंडल द्वारा स्वर्ग सोपान का मंचन किया गया। आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरुण जैन, विजय जैन, अजित जैन, सौरभ जैन, विनोद जैन, पंकज जैन उपस्थित थे।

‘मिशन शक्ति’ अभियान ने अन्याय से लड़ने का दिया हौसला

  • बाल विवाह से मिली ‘मुक्ति’, अब बनेगी दूसरों की ‘शक्ति’

सखी केन्द्र के प्रयासों से शादी शून्य घोषित करने का हुआ फैसला


वाराणसी, 12 सितम्बर(दिल इंडिया लाहव)। अपने मां-बाप को वह समझाती रही कि वह अभी नाबालिग है, लिहाजा उसकी शादी न करें। उसने यह भी बताया कि नाबालिग की शादी कानूनन जुर्म है। फिर भी उस किशोरी की जबरन शादी कर उसे ससुराल भेज दिया गया। ससुराल में भी उसने अपने साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ विरोध जारी रखते हुए सखी केन्द्र (वन स्टाप सेंटर) से मदद मांगी। सखी केन्द्र के प्रयास से यह शादी ‘शून्य’ घोषित हुई। साथ ही ससुराल वालों ने दहेज में मिले सामान और नकदी भी वापस किया। न्याय पाने के बाद अब इस किशोरी ने बाल विवाह के खिलाफ लोगों को जागरूक करना अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है।

चौबेपुर क्षेत्र की रहने वाली संगीता (परिवर्तित नाम) आगामी नवम्बर माह में 18 वर्ष (बालिग) होगी। इस बीच उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके परिवार वालों ने उसकी शादी रोहनियां निवासी युवक से तय कर दी। संगीता को जब यह पता चला तभी उसने इसका विरोध किया। माता-पिता को उसने यह समझाने की कोशिश किया कि अभी उसके पढ़ने -लिखने की उम्र है। वैसे भी उसकी उम्र 18 वर्ष की नहीं हुई है। इससे कम उम्र में शादी करना कानूनन जुर्म है, लिहाजा वह लोग ऐसा अपराध न करें। लेकिन उसके सारे तर्को की अनदेखी करते हुए गत चार जून को उसकी शादी कर उसे जबरन ससुराल भेज दिया गया। बकौल संगीता ‘ नाबालिग शादी का उसने ससुराल में भी विरोध जारी रखा। वह पूरे रात-दिन अपने आप को कमरे में बंद रखती थी। केवल भोजन अथवा नित्यकर्म जैसे जरूरी कार्यो के लिए ही कमरे से बाहर निकलती थी। उसने फोन कर नाते-रिश्तेदारें से मदद मांगी लेकिन मदद के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। इस बीच सोशल मीडिया के जरिए उसे सखी केन्द्र के बारे में जानकारी मिली और हेल्पलाइन का नम्बर मिला। अनचाही शादी से मुक्ति के प्रयासों को हौसला तब और बढ़ा जब उसे ‘मिशन शक्ति’ अभियान की जानकारी मिली। भरोसा हो गया कि हेल्पलाइन पर वह कॉल करेगी तो मदद मिलेगी। हुआ भी ऐसा।

सखी केन्द्र (वन स्टॉप सेंटर) की प्रभारी रश्मि दुबे बताती हैं कि 14 अगस्त को संगीता की मिली शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी गयी। संगीता के माता-पिता के साथ ही उसके ससुराल वालों को भी सेंटर में बुलाया गया। उन्हें बताया गया कि संगीता का बालविवाह कर दोनों पक्षों ने अपराध किया है।  ऐसे में संगीता  की इच्छा मुताबिक या तो वह लोग इस रिश्ते को तोड़ दें अथवा कानूनी कार्रवार्इ के लिए तैयार रहें। तब संगीता के माता-पिता और उसके ससुराल वालों को अपनी गलती का एहसास हुआ। ससुराल वालों ने संगीता से रिश्ता खत्म करने के साथ ही दहेज में मिले सामान व नकदी वापस करने की बात मान ली। सखी केन्द्र की प्रभारी रश्मि दुबे बताती है कि वैसे तो इस रिश्ते  तोड़ने का संगीता के मायके और ससुराल वालों ने केन्द्र में लिखित समझौता किया लेकिन उसकी शादी को ‘शून्य’ घोषित करने की कानूनी औपचारिकताएं भी पूरी करा दी गयी है ताकि भविष्य में उसे किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

 बाल विवाह के खिलाफ करेगी जागरूक

संगीता अब अपने माता-पिता के साथ ही रहती है । वह कहती है कि अब वह अपनी पढ़ार्इ पूरी करने के साथ ही अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है। ताकि समाज में अपना योगदान दे सके। वह बताती है कि अब उसने तय किया है कि वह बाल विवाह के खिलाफ लोगों को जागरूक करेगी ताकि उसके जैसी और कोर्इ किशोरी इसका शिकार न बने।

 क्या है बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम

किसी भी बालक का विवाह 21 साल एवं बालिका की 18 साल की उम्र होने के बाद ही शादी की जा सकती है। यदि कोई भी व्यक्ति इस निर्धारित उम्र से काम उम्र में शादी करता है तो उसे बाल विवाह करार दिया जायेगा। भले ही वह सहमति से ही क्यों न किया गया हो। सहमति से किया गया बाल विवाह भी कानूनी रूप से वैध नहीं होता। ऐसे बाल विवाह को किसी भी एक व्यक्ति द्वारा ‘शून्य’ घोषित करवाया जा सकता है।  बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम -2006 के अंतर्गत बाल विवाह होेने पर दो वर्ष की सजा अथवा एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों का प्राविधान है।

शनिवार, 11 सितंबर 2021

दशलक्षण पर्व : दूसरे दिन हुआ प्रवचन


ख़ुशी चाहते हो तो कभी भगवान को मत भूलना: मुनि विशद सागर

  • पर्युषण महापर्व का दूसरा दिन, मंदिरों में जुटे जैनी
  • मंदिरों में हुआ प्रवचन के उपरांत भजन, जिनवाणी, पूजन
  • मार्दव धर्म मृदुता, कोमलता, विनम्रता और झुकने का धर्म 

वाराणसी 11 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। मन को मान में नहीं अपने भगवान के गुणगान में लगाने वाले के पास अहंकार , अभिमान कोशों  दूर रहता है ,और उत्तम मार्दव धर्म उसके पास सदा रहता है ।श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन शनिवार को प्रातः भगवान पार्श्वनाथ की जन्म स्थली भेलुपूर में चातुर्मास कर रहे श्री 108 आचार्य मुनि विशद सागरजी महाराज ने अपने मुखारविंद से कहा -“मार्दव धर्म कहता है कि, नभ में जाना है तो नमना सीखो, अपने अहंकार का त्याग करो। मार्दव धर्म मृदुता, कोमलता, विनम्रता और झुकने का धर्म है। जो व्यक्ति झुकता है वही महान बनता है।



 “ मुनि श्री ने कहा ,”त्याग स्नेह  से श्रेष्ठ है ,चरित्र सुंदरता से श्रेष्ठ है, मानवता सम्पत्ति से श्रेष्ठ है  परंतु परस्पर संबंधों को जीवित रखने से अधिक कुछ भी श्रेष्ठ नहीं हैं, इसलिए संबंधों की हमेशा रक्षा कीजिए। सदाचारी बनना है तो अभिमान को तजना होगा।” 

प्रातः ही मंदिर जी में तीर्थंकरों का अभिषेक के साथ मानव के कल्याण के लिए रिद्धि- सिद्धी , बुद्धि-वृद्धि प्रदायक विधान आयोजित किया गया। द्वितीय दिवस पर भी नगर की समस्त जैन मंदिरों में तीर्थंकरों का पूजन अभिषेक के साथ व्रत -उपवास ,स्वाध्याय , जाप  इत्यादि किया गया ।

सायंकाल मंदिरों में प्रवचन के उपरांत भजन, जिनवाणी, पूजन , शास्त्र पूजन, तीर्थंकरों की आरती की गई। महिला मंडल द्वारा भेलुपूर जैन मंदिर में आर्यिका 105 श्री सरसमति माताजी के सानिध्य में बच्चों द्वारा स्तुति और भजन प्रस्तुत किया गया |आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, प्रधान मंत्री अरूण जैन, विनोद जैन, तरुण जैन , राजकुमार बागड़ा, सुधीर पोद्दार, रत्नेश जैन, निशांत जैन उपस्थित थे।

सरदार हाजी अब्दुल कलाम के जनाज़े में उमड़ा जनसैलाब


बाइसी के सरदार हुए सुपुर्दे-खाक



वाराणसी 11 सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी अब्दुल कलाम को आज अर्रा स्थित उनके खानदानी कब्रिस्तान में सुपुर्दे-खाक किया गया। इस मौके पर बाईसी तंजीम के कार्यवाहक सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ़ दरोगा अपनी पूरी काबीना के साथ मिटटी में मौजूद थे। उन्होंने बताया की सरदार हाजी अब्दुल कलाम साहब ने बहुत ही कम समय में ही समाज में नेक कामो से लोकप्रियता हासिल कर ली थी। उसी का नतीजा था की आज उनकी मिटटी में हजारो हज़ार बुनकर अपना अपना कारोबार बन्द कर मिटटी में शामिल हुए। उनके चाहने वालो में हिन्दू-मुसिलम सभी बड़ी तादाद में सरदार साहब को मिटटी देने पहुचे हुए थे। नगर के तमाम गद्दीदार भी मिटटी में शामिल हुए। हाजी अब्दुल समद ने कहा कि कलाम साहब की भरपाई करपाना मुश्किल है वो बुनकर समाज की एक मज़बूत कड़ी थे जो आज  हम सब को छोड़ कर चले गये। 

जनाजे की नमाज़ सरदार साहब के बड़े पुत्र स्वालेह अंसारी ने पढ़ाया। और ये दुःख भरी खबर सुन कर पूर्व सांसद डा. राजेश मिश्रा ने अपनी  शोक संवेन्दना पेश की और उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि इस दुःख की घड़ी में उनके परिवार को सहन शक्ति प्रदान करे।


इनकी रही खास मौजूदगी

हाजी मंजूर, हाजी हाफिज नसीर, पूर्व विधायक अजय राय, पूर्व विधायक समद अंसारी, राघवेंद्र चौबे, सरदार मक़बूल हसन, सरदार हाशिम अंसारी, हैदर महतो, फैसल महतो, आसिफ अंसारी, परवेज़ अंसारी, सरदार अतिकुल्ला अंसारी, सरदार नूरुद्दीन, हाजी इश्तियाक, हाजी यासीन माइको, बाबूलाल किंग, अफ़रोज़ अंसारी, हाजी ओकास अंसारी, गुलशन अली, सीताराम केशरी, बेलाल अंसारी, हाजी बाबू, शमीम अंसारी, डा. एहतेशामुल हक, इदरीस अंसारी, रमजान अली, अतीक अंसारी, अनवारुल, किशन दीक्षित, कुरैशी, हाजी बाबू, हाजी महबूब अली, हाजी नेसार, हाजी अब्दुल रहीम, मो. हारुन  हाजी यासीन अंसारी, रेयाज़ अहमद, मौलाना शकील, छोटक, सरदार मोईनुद्दीन, इशरत उस्मानी, तुफैल अंसारी, हाजी रहमतुल्ला सहित हजारो की तादाद में लोग मिटटी में शामिल हुए । 

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...