सोमवार, 28 दिसंबर 2020

सबसे चमकदार सितारा बुझ गया

सबको रुला गया फ़ारूक़ी का दुनिया से जाना

वाराणसी(राना सफ़वी/दिल इंडिया)। मौजूदा दौर के उर्दू साहित्य के बारे में मामूली जानकारी रखने वाले लोगों को मालूम होगा कि सबसे चमकदार सितारा बुझ गया है, शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी दुनिया से विदा हो चुके हैं।

वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे और उन्हें चाहने वाले उनके लिए दुआएँ कर रहे थे जिनमें मैं भी शामिल थी। हम चाहते थे कि कोई चमत्कार हो जाए और फ़ारूक़ी साहब हमारा साथ छोड़कर न जाएँ, लेकिन ये न हो सका।

उनकी बेटी मेहर अफशां ने ट्वीट करके बताया कि वे आज ही अपने इलाहाबाद वाले सुंदर घर में गए थे, जहाँ से वे शांति से इस दुनिया से कूच कर गए।

1935 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में जन्मे फ़ारूक़ी साहब ने अंग्रेज़ी साहित्य में एमए किया था. वे इंडियन सिविल सर्विस में थे, वे अपनी सरकारी ज़िम्मेदारियों के साथ-साथ साहित्य से भी पूरी तरह जुड़े रहे. वे शबख़ून नाम की पत्रिका का संपादन भी करते रहे।

वे अपने नज़रिए में आधुनिकतावादी थे, उर्दू साहित्य के आलोचक, विचारक, कवि और उपन्यासकार के तौर पर उनका काम दंग करने वाला है। उनके जाने के बाद भी लंबे समय तक उस विरासत की बातें होती रहेंगी, जो वे छोड़ गए हैं।

दास्तानगोई की परंपरा

उर्दू, फ़ारसी और अंग्रेज़ी पर न सिर्फ़ उनकी जबरदस्त पकड़ थी, बल्कि वे इन तीनों भाषाओं की क्लासिकल रवायत के भी माहिर थे. इलाहाबाद वाले घर की उनकी लाइब्रेरी तो किसी भी पढ़ने के शौकीन के लिए खजाने से कम नहीं है, वहाँ आपको दास्तान-ए-अमीर हम्ज़ा का पूरा सेट मिल सकता है।

उन्होंने दास्तानगोई की खत्म हो रही परंपरा को दोबारा ज़िंदा किया, उसमें नई जान फूंकी।

शम्स का मतलब सूरज होता है, वे समचुमच साहित्य के आकाश के सूरज थे, उन जैसा कद उनकी पीढ़ी में शायद ही किसी और का रहा हो।

उर्दू के किसी और रीडर की तरह मैं उनके लिखे को पढ़ने का इंतज़ार करती थी। उनसे मेरी पहली मुलाकात 2014 में एक आयोजन में हुई। यह वह दौर था जब उन्होंने अपने शानदार उपन्यास का अंग्रेज़ी अनुवाद किया था, यह उपन्यास 'द मिरर ऑफ़ ब्यूटी' के नाम से छपा था।

'कई चाँद थे सरे आसमां' एक ऐसा नॉवेल जिसे पढ़कर ग़ालिब और दाग़ के दौर के हिंदुस्तान की मुकम्मल जानकारी आपको मिलती है, उस वक्त की शायरी, लोगों का रहन-सहन, खान-पान, कला, सवारी, आम ज़िंदगी से लेकर शाही ज़िंदगी तक के ब्योरों से भरपूर यह उपन्यास आपको टाइम मशीन की तरह उस दौर में ले जाता है।

इतिहास, शायरी और मोहब्बत

मैंने उस वक्त उपन्यास पढ़कर खत्म किया था। मैंने किताब का बड़ा हिस्सा उर्दू में भी पढ़ा था। इस उपन्यास में वज़ीर खानम के चरित्र के चारों तरफ़ उनके समय, इतिहास, शायरी और मोहब्बत का बेहद सुंदर ताना-बाना बुना गया है, जो न सिर्फ़ सुंदर है, बहुत गहरा भी है।

यह वह दौर था जब मैं अनुवाद कर रही थी, जब भी मेरे मन में कोई सवाल होता तो उनसे ही पूछती, वे एक स्कॉलर के तौर पर इल्म बाँटने के मामले में बहुत दरियादिल थे, अपना भरपूर स्नेह और समय देते थे. वे हर किसी से पूरी गर्मजोशी और सच्चे लगाव के साथ मिलते थे।

मेरे लिए यह सब लिखना काफ़ी मुश्किल हो रहा है, मेरे कानों में उनकी आवाज़ गूंज रही है, वे कहते थे, "पूछ लो बेटा, पूछ लो, जब तक मैं हूँ."

उनकी आवाज़ के स्नेह, उनकी आँखों की चमक और मुस्कान को मैं महसूस कर सकती थी. वे अब इस दुनिया में नहीं हैं, यह यकीन करना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है।

हिंदी-उर्दू की बहस

मैं उन्हें ईमेल करती थी या व्हाट्सऐप मैसेज भेजती थी और वे समय मिलते ही कॉल करते थे. मेरे एक सवाल के जवाब में उन्होंने मुझे प्यार के लिए उर्दू के 21 शब्दों की सूची भेजी— इश्क, मोहब्बत, उल्फ़त, उंस, मोह, शफ़्तगी, आशनाई, प्रीत, प्रेम....वगैरह। मैंने लिखकर पूछा कि क्या प्रीत और प्रेम हिंदी के शब्द नहीं हैं?मैं दौलताबाद फ़ोर्ट में थी तभी उनका फ़ोन आया, उन्होंने बहुत प्यार से पूछा, "कहाँ घूम रही हो?" जब मैंने बताया तो बोले कि मैं दौलताबाद किले के बारे में तुम्हारे आर्टिकल का इंतज़ार करूँगा। मेरे सवाल के जवाब में उन्होंने मुझे समझाया कि यह हिंदी-उर्दू की बहस नहीं है, ये शब्द अवधी और ब्रजभाषा से उर्दू में दाखिल हुए, यह उस दौर की बात है जब हिंदी उस तरह से वजूद में नहीं थी जैसे हम उसे आज जानते हैं.


भाषा के मामलों में होने वाली ढेर सारी बहसों के बीच उनकी कमी बहुत खलेगी.


अदब की दुनिया आज ग़मगीन है, लेकिन यह मेरे लिए निजी हादसा भी है. वे मेरे लिए पिता की तरह थे, मेरे जीवन में छाँव की तरह थे. यह मेरी खुशक़िस्मती थी कि मैं उन्हें जानती थी

रविवार, 27 दिसंबर 2020

एसएमएस या व्हाट्सएप भेजकर आप भी मांग सकेंगे मनरेगा के तहत काम

जी हां मनरेगा में काम चाहिए तो उठाइए सेलफोन

गाजीपुर (हिमांशु राय/दिल इंडिया) मनरेगा के तहत कार्यों के आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने एक अनूठी पहल शुरू की है। इसके तहत अब काम पाने के लिए न तो विभागों के चक्कर काटने पड़ेंगे और न ही किसी की जी हुजूरी करनी पड़ेगी । ग्राम्य विकास विभाग ने इसके लिए बाकायदा मोबाइल नम्बर जारी किया है, जिस पर एसएमएस या व्हाट्सएप सन्देश भेजकर कोई भी मनरेगा के तहत काम की मांग कर सकता है । इससे ग्रामीण क्षेत्र के लाभार्थियों को बड़ी राहत मिलेगी। ग्राम्य विकास विभाग के राज्य मनरेगा सेल के अपर आयुक्त योगेश कुमार का कहना है कि ग्रामीण लाभार्थियों को काम दिलाने में मदद को विभाग हमेशा तत्पर है, इसी के तहत यह नई पहल की गयी है । मनरेगा सेल ने इसके लिए राज्य स्तर पर दो मोबाइल नम्बर- 9454464999 और 9454465555 जारी किया है । इसके साथ ही सभी खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) को भी निर्देशित किया गया है कि वह भी ब्लाक के स्तर पर दो नंबर आवंटित करें और पंचायत स्तर पर उन नम्बरों को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित-प्रसारित करें ताकि लोगों को मनरेगा के तहत काम पाने में सहूलियत हो । इसके तहत अब ग्रामीण लाभार्थियों को काम पाने के लिए इन नम्बरों पर एसएमएस या व्हाट्सएप सन्देश भेजना होगा। सन्देश प्राप्त होने के बाद विभाग जल्द से जल्द लाभार्थियों को काम दिलाने का प्रयास करेगा । इसके लिए उनको बेवजह न तो विभागों के चक्कर काटने पड़ेंगे और न ही कोई जुगत लगाने की जरूरत पड़ेगी । इस पारदर्शिता से अब ग्राम प्रधान, सचिव या सक्षम अधिकारी के सामने जी हुजूरी भी नहीं करनी पड़ेगी ।

अकादमी बीमर्स ने दोनों वर्गो में जीता खिताब

स्व. एबोनी बनर्जी स्मृति फुटबाल प्रतियोगिता

अकादमी बीमर्स ने प्रीतम नगर बॉयज़ को 2-0 से रौंदा

प्रयागराज(दिल इंडिया)। अकादमी बीमर्स ने प्रीतम नगर बॉयज़ को 2-0 से हराकर एबोनी बनर्जी स्मृति (U-15) फुटबाल प्रतियोगिता के खिताब पर कब्ज़ा जमाया। इससे पूर्व खेले गए (U-12) के फाइनल में अकादमी बीमर्स ने एनएफए लूकरगंज को भी 2-0 से हराकर विजेता होने का गौरव प्राप्त किया।

 इलाहाबाद स्पोर्टिंग फुटबाल अकादमी के तत्वावधान में एबीआईसी मैदान पर रविवार को खेले गए ख़िताबी मुकाबले में जो कि अकादमी बीमर्स और प्रीतम नगर बॉयज़ के मध्य खेले गए मुक़ाबले के 18वें मिनट में दो विपक्षी खिलाड़ी को छकाकर अकादमी बीमर्स के हसन अली ने शानदार गोल किया खेल के दूसरे हाफ में अकादमी के ज़र्रार अब्दुल्लाह ने 20 वें मिनट में गोल कर विजय सुनिश्चित कर दी। इससे पूर्व अंडर-12 के फाइनल में अकादमी बीमर्स ने एनएफए लूकरगंज को 2-0 से हराया, गोल मो अरमान और समीर सिंह ने किया।

अकादमी बीमर्स के मो अज़ीज़, अक्षत मिश्रा, हार्दिक मिश्रा, श्रेयांश गुप्ता, यशवर्धन त्रिपाठी, मयूरेश यादव और प्रिंस सागर तथा प्रीतम नगर बॉयज़ के कप्तान अली रज़ा, शिवम, ओम पांडेय और प्रशांत मिश्रा , शाश्वत पांडेय और युवराज गोंड का प्रदर्शन सराहनीय रहा।

कार्यक्रम के अतिथियों बिप्लब् घोष, संजीव चंदा, डॉ इमरान, डॉ अजय पाण्डेय ,अकरम खान ,और रविन्द्र मिश्र और डॉ भास्कर शुक्ला और अताउल्लाह खान खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया।

अकादमी के मुख्य प्रशिक्षक शादाब रज़ा ने धन्यवाद ज्ञापित एवं सहायक प्रशिक्षक अम्बर जायसवाल और सुरेंद्र कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया आज के मैच के निर्णायक रवि कुमार, आयुष मध्यान, अनुराग यादव और अभिनव श्रीवास्तव रहें।

इलाहाबाद स्पोर्टिंग फुटबाल अकादमी अंडर-15 प्रतियोगिता

अकादमी बीमर्स और प्रीतम नगर बॉयज़ फाइनल में




प्रयागराज(दिल इंडिया) एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज मैदान पर आयोजित स्व एबोनी बनर्जी स्मृति फुटबाल प्रतियोगिता जो कि (अंडर-15) आयु वर्ग में खेली जा रही है, जिसमे अकादमी बीमर्स, नेशनल फुटबॉल अकादमी लूकरगंज, प्रीतम नगर बॉयज़, अग्रसेन फुटबॉल अकादमी,और अकादमी फाइटर्स की टीमो ने भाग लिया, प्रतियोगिता लीग आधार पर खेली गई, जिसमे शीर्ष दो टीमो को प्रतियोगिता ने फाइनल में स्थान बनाया।

आज खेले गए (अंडर-15 आयु वर्ग) लीग मैचों में पहले मैच में प्रीतम नगर बॉयज़ ने नेशनल फुटबॉल अकादमी को 1-0 से हराया, विजेता टीम की ओर से गोल अली रज़ा ने किया, दूसरे मैच में अग्रसेन अकादमी ने अकादमी फाइटर्स को 1-0 से हराया, देवेश केसरवानी ने गोल किया। तीसरे मैच में नेशनल फुटबॉल अकादमी ने अग्रसेन फुटबाल अकादमी को 1-0 से हराया, गोल शाश्वत ने किया, आज का चौथा एंव अंतिम मैच अकादमी बीमर्स और फाइटर्स के बीच खेला गया, जिसमे अकादमी बीमर्स 5-0 से विजयी रही, विजेता टीम के लिए मो हसन, अक्षत मिश्र, हार्दिक मिश्रा, मो अरमान और श्रेयांश गुप्ता ने गोल किये। लीग मैच में सभी टीमो ने 4-4 मैच खेले, जिसमे अकादमी बीमर्स 10 अंको के साथ टॉप पर तथा प्रीतम नगर बॉयज़ और नेशनल फुटबॉल अकादमी लूकरगंज के  7-7 अंक रहे, किन्तु बेहतर गोल औसत के आधार पर प्रीतम नगर बॉयज़ फाइनल में अकादमी बीमर्स से खेलने का अधिकार प्राप्त किया ।

कल अंडर-15 आयु वर्ग फाइनल मैच से पहले अंडर-12 का फाइनल अकादमी बीमर्स और एनएफए, लूकरगंज के मध्य खेल जाएगा। मैच से पूर्व डॉ अजय पांडेय, डॉ. इमरान ,अकरम खान, रविन्द्र मिश्र, संजीव कुमार गोंड और जितेंद्र सिंह ने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त किया अकादमी के मुख्य प्रशिक्षक शादाब रज़ा ने अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम का संचालन किया। फाइनल मुकाबला रविवार अपराह्न ढाई बजे से खेला जाएगा। एबीआईसी के प्रधानचार्य स्वास्तिक बोस , अकादमी के सचिव बिप्लब् घोष और कोषाध्यक्ष संजीव चंदा पुरस्कार वितरित करेंगे।

शनिवार, 26 दिसंबर 2020

उमराव जान का ये देश प्रेम नहीं तो क्या है?


अंग्रेेजों की महाफिल सजाने से कर दिया था इंकार

ज़माना भूला मगर काशी ने बरसी पर किया याद

वाराणसी(दिल इडिया)। अवध की शान उमराव जान की 83 वीं बरसी के मौके पर शनिवार को वाराणसी के मातमान स्थित उनकी कब्र पर लोगों ने फूल चढ़ा उन्हे खिराजे अकीदत पेश कि और फातिहा पढा। सिगरा के फातमान सिथत कब्रिस्‍तान में कुछ साल पहले ही चुनार के बेशकीमती लाल पत्‍थरों से मकबरा बनने से उमराव जान की कब्र को पहचान मिली है।सामाजिक संस्‍था डर्बीशायर क्‍लब के अध्‍यक्ष शकील अहमद जादूगर की अगुवाई में उमराव जान को श्रद्धांजलि अर्पित करने लोग कब्र पर पहुंचे। कब्र पर गुलाब की पखुंडिया चढा़ई और फातिहा पढ़ा। 

शकील ने उमराव जान ने शोहरत की बुलंदियां छुई, मगर अंग्रेजों की महफिल सजाने से इंकार कर दिया। यही वजह थी कि दुनिया से रुख्सत होने का उमराव जान का सफर अवध की कोठियों से होता हुआ बनारस की तंग गलियों में पूरा हुआ। अंग्रेज उन्हें खोजते रहे मगर देश की मोहब्बत थी कि उमराव काशी में छुप कर रहने लगी और यहीं उन्हें मौत के आगोश में सोने के बाद दो गज जमीन नसीब हुई। 

फातमान कब्रिस्‍तान में एक तरफ शहनाई सम्राट भारतरत्‍न बिस्मिल्‍लाह खां का तो दूसरी तरफ फैजाबाद की मासूम लड़की अमीरन से उमराव बनीं उमराव जान का मकबरा है। दोनों के मकबरे एक जैसे और गंगा-जमुनी तहजीब के प्रतीक हैं। मकबरे में स्‍थापत्‍य कला की जुगलबंदी देखने को मिलती है।

क्रिसमस पर डीएम ने जाना गरीबों का हाल

ठंड से लोगो को बचाने प्रशासन उतरा सड़क पर

जिलाधिकारी ने गरीब एवं असहायों को बांटे कंबल

वाराणसी(दिल इंडिया)। जिले में बढ़ रहे कड़ाके की ठंड एवं शीतलहर को दृष्टिगत रखते हुए जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा क्रिसमस पर जरूरतमंद गरीबों एवं असहायो की सुध लेने सड़क पर निकल पड़े। उन्होंने गोदौलिया, गिरजाघर, दशाश्वमेध घाट तक पैदल ही चक्रमण कर के किनारे रह रहे लोगों को कंबल वितरण किया। इस दौरान उन्होंने लोगों को खुले आसमान में रहने की बजाए नजदीकी शेल्टर हाउस में रात्रि प्रवास करने को कहा। इस दौरान जिलाधिकारी ने लगभग 300 से अधिक लोगों को कंबल उपलब्ध कराएं। सोते हुए कई लोगों को सोने में ही जिलाधिकारी ने स्वयं अपने हाथों कंबल दिया




क्रिसमस पर सेल्फी संग मस्ती





उल्लास और उत्साह संग यीशु जन्म की झांकी

वाराणसी(दिल इंडिया)। यीशु मसीह के जन्म का पर्व क्रिसमस कोरोना महामारी के बावजूद उल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान विभिन्न चर्चेज़ में आराधना के बाद लोग मस्ती करते दिखाई दिये इस दौरान कही यीशु जन्म की झांकी दिखी तो कहीं लोग सेल्फी लेकर मस्ती करते दिखे। चर्च ऑफ बनारस छावनी में ईसा मसीह जन्मोत्सव पादरी बेन जॉन की अगुवाई में धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान प्रार्थना और आराधना के साथ ही यीशु जन्म पर आधारित ड्रामा व पंजाबी भांगड़े के साथ ही वेस्टर्न डांस का आयोजन किया गया जिसमें रेचल, ऐशर, आराधना, ममता, एस्तेर जॉय, सिलवीया, पूनम, विनीता और हेमंत व अखिलेश मसीह व विकास आदि व्यवस्था संभाले हुए थे। कार्यक्रम के बाद लोगों ने एक दूसरों से गले मिलकर क्रिसमस की बधाईयां दी। आयोजन का आन लाईन भी प्रसारण किया गया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन बेन जॉन व सू जॉन ने दिया।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...