बुधवार, 10 अप्रैल 2024

Eid यानी खुशियों का खजाना

सबको खुशियां बांटने का नाम है ईद

 


Varanasi (dil India live ). रमज़ान के बाद जब ईद आये तो इस बात का पता करो कहीं कोई रो तो नहीं रहा है, कोई ऐसा घर तो नहीं बचा है जहां ईद के लिए सेवईयां न हो। कोई पड़ोसी भूखा तो नहीं है। अगर ऐसा है तो उसकी मदद करना हर साहिबे नेसाब पर वाजिब है। दरअसल अरबी में किसी चीज़ के बार-बार आने को उद कहा जाता है उद से ही ईद बनी है। ईद का मतलब ही वो त्योहार है जो बार-बार आये। यानी जिसने रोज़ा रखा है उसके लिए ईद बार-बार आएगी। ईद तोहफा है उनके लिए जिन्होंने एक महीना अपने आपको अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया। यही वजह है कि रमज़ान और ईद एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर रमज़ान होता और ईद न होती तो हमें शायद इतनी खुशी न होती। खासकर छोटे-छोटे बच्चे जिन्हें किसी से कोई लेना देना नहीं होता मगर वो इसलिए खुश होते हैं कि रमज़ान खत्म होते ईद आयेगी, ईदी मिलेगी। इसे ईद-उल-फित्र भी कहते हैं क्यों कि इसमें फितरे के तौर पर 2 किलों 45 ग्राम गेंहू जो हम खाते हो उसके दाम के हिसाब से घर के तमाम सदस्यों को सदाका-ए-फित्र निकालना होता है। दरअसल ईद उसकी है जिसने रमज़ान भर इबादत किया और कामयाबी से रमज़ान के पूरे रोज़े रखे। नबी-ए-करीम (स.) ईद सादगी से मनाया करते थे। इसलिए इस्लाम में सादगी से ईद मनाने का हुक्म है। एक बार नबी (स.) ईद के दिन सुबह फज्र की नमाज़ के बाद घर से बाज़ार जा रहे थे कि आपको एक छोटा बच्चा रोता हुआ दिखाई दिया। नबी (स.) ने उससे कहा आज तो हर तरफ ईद की खुशी मनायी जा रही है ऐसे में तुम क्यों रो रहे हो? उसने कहा यही तो वजह है रोने की, सब ईद मना रहे हैं मैं यतीम हूं, न मेरे वालिदैन है और न मेरे पास कपड़े और जूते-चप्पल के लिए पैसा। यह सुनकर नबी (स.) ने उसे अपने कंधों पर बैठा लिया और कहा कि तुम्हारे वालिदैन भले नहीं हैं मगर मैं तुम्हे अपना बेटा कहता हूं। नबी-ए-करीम (स.) के कंधे पर बैठकर बच्चा उनके घर गया वहां से तैयार होकर ईदगाह में नमाज़ अदा की। जो बच्चा यतीम था उसे नबी-ए-करीम (स.) ने चन्द मिनटों में ही अपना बेटा बनाकर दुनिया का सबसे अमीर बना दिया। इसलिए ईद आये तो सभी में आप भी खुशियां बांटे, सबको खुशी दें, सही मायने में तभी आपकी ईद होगी। अल्लाह ताला सभी को रोज़ा रखने की तौफीक दे ताकि सभी की ईद हो जाये..आमीन।

                    डा. मो. आरिफ

{लेखक मुस्लिम मामलो के जानकार व इतिहासकार हैं

रविवार, 7 अप्रैल 2024

मस्जिद में तरावीह मुकम्मल कराने पर मिली स्कूटी

मुकम्मल की कुरान तो हाफिज साहेब को मिला इनाम में





Varanasi (dil India live). अमूमन मस्जिदों में मुक़द्दस रमजान की खास नमाज़ तरावीह मुकम्मल कराने पर मस्जिद कमेटी के लोग कैश की शक्ल में इनामात से नवाजते हैं ताकि तरावीह मुकम्मल कराने वाले हाफिजे कुरान की हौसला अफजाई भी हो जाए और उनकी ईद भी हंसी खुशी मन जाए।इससे इतर दालमंडी स्थित मस्जिद रंगीले शाह में जब हाफिज मोहम्मद सैफ कादरी ने तरावीह मुकम्मल कराई तो उन्हें मुक़तदी से मिला खास इनाम चर्चा का विषय बन गया। मस्जिद में तरावीह मुकम्मल कराने पर उन्हें इनाम में स्कूटी मिली। वो इनाम में मिली स्कूटी खुद चला कर अपने घर गए। हाफिज सैफ़ खुश थे कि उन्हें रब ने रमज़ान मुबारक में तरावीह मुकम्मल कराने पर बेहतरीन तोहफा दिया है। ख़ुदा का लाख लाख शुक्र है। वहीं दूसरी ओर मुक़तदी भी खुश थे कि उन्होंने एक ऐसी काम की चीज दी है जो हमेशा हाफिज साहब के काम आएगी। 

शनिवार, 6 अप्रैल 2024

बच्चा रोज़ा रखने की जिद करें तो मना न करें, रब के हुक्म से रखता है रोज़ा

 

नन्हें रोजेदार भाइयों ने कमाल कर दिया




Varanasi (dil India live)। काजी सादुल्लापूरा जैतपुरा के रहने वाले नन्हें मासूम दो सगे भाइयों ने इतनी कम उम्र में मुक़द्दस रमजान में शिद्दत की गर्मी के बावजूद रोजा रख कर लोगों को आश्चर्य चकित कर दिया। मुहम्मद ज़ीशान 10 वर्ष जो कक्षा 5 का छात्र है तो छोटा भाई 8 वर्ष, कक्षा 3 का छात्र है। घर के लोगों के मना करने पर भी दोनों भाइयों ने रब की रज़ा के लिए रोजा रखा। घर का दीनी माहौल होने का ही नतीजा है कि दोनों भाई खुशी खुशी मस्जिद में नमाज़ पढ़ने भी जाते हैं, कुरआन शरीफ की तिलावत भी करते हैं। दोनो मासूम रोजेदारों ने शाम में इफ्तारी के वक्त मुल्क में अमन मिल्लत और क़ौम की तरक्की के लिए अल्लाह से दुआ जब मांगी तो घर के तमाम लोग... आमीन कहते दिखें। सुल्तान क्लब के अगुवा डा. एहतेशामुल हक़ ने कहा कि इस्लाम में कहा गया है कि जब कोई बच्चा रोज़ा रखने को कहें तो उसे मना न किया जाए क्यों बच्चा रब के हुक्म से रोज़ा रखता है।

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

अलविदा अलविदा ...माहे रमज़ान अलविदा

 Varanasi (dil India live )। ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदक़े में इस मुल्क में अमन और तरक्की दे, जो लोग परेशानहाल हैं उनकी परेशानी दूर कर, जो बेरोज़गार हैं उन्हें रोज़गार दे, जो बेऔलाद हैं उन्हें औलाद दे, जिसने रमज़ान में रोज़ा रखा इबादत की उसे कुबुल कर, जो नहीं रख सकें उन्हें हिदायत दे, की वो आगे अपनी जिंदगी इबादत में गुजारे। अलविदा जुमे को नमाज़ के बाद मस्जिद ईदगाह लाटशाही में जब इमाम हाफिज़ हबीबुर्रहमान ने कुछ ऐसी ही दुआएं की तो तमाम लोग...आमीन, कह उठें। इस दौरान इमाम साहब ने कहा कि रब के बताए हुए रास्ते पर चल कर ही हमें कामयाबी मिल सकती है। जो रास्ता नबी ने दिखाया वहीं रास्ता अमन, इल्म, इंसानियत और मोहब्बत का रास्ता है। जो इस रास्ते पर चलेगा वही दीन और दुनिया दोनों में कामयाब होगा। इस दौरान शहर 






भर की तमाम मस्जिदों में अलविदा नमाज़ पर खुतबा पढ़ा गया, अलविदा, अलविदा माहे रमज़ा अलविदा, तेरे आने से दिल खुश हुआ था, तेरे जाने से दिल रो रहा है अलविदा, अलविदा माहे रमज़ा अलविदा...। इस दौरान मस्जिद कम्मू खां डिठोरी महाल में मौलाना शम्सुद्दीन साहब, मस्जिद मुग़लिया बादशाह में मौलाना हाफिज़ हसीन अहमद हबीबी, मस्जिद लंगड़े हाफिज़ में मौलाना ज़कीउल्लाह असदुल क़ादरी, मस्जिद शक्कर तालाब में मौलाना मोइनुद्दीन अहमद फारुकी प्यारे मियां, मस्जिद बुलाकी शहीद अस्सी में मौलाना मुजीब, मस्जिद खाकी शाह में मौलाना मुनीर, मस्जिद उस्मानिया में मौलाना हारुन रशीद नक्शबंदी ने नमाज़ अदा करायी। ऐसे ही बनारस की तकरीबन पांच सौ मस्जिदों में अकीदत के साथ नमाज़े अलविदा अदा की गयी। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली। 

अदा किया रब का शुक्रिया 

इस्लाम धर्म के लोगों ने इस दिन अल्लाह की इबादत के साथ इस बात का शुक्र अदा किया कि उन्हें माह-ए-रमजान में रोजा रखने, तरावीह पढ़ने और अल्लाह की इबादत करने का रब ने मौका दिया। अब पता नहीं अगली बार यह मौका मिलेगा या नहीं।

जकात, फितरा देने में करें जल्दी

इस दौरान मस्जिदों से इमाम साहेबान ने अलविदा जुमा पर रोजेदारों से अपील किया कि फितरा, ज़कात देने में जल्दी करें ताकि गरीबों की भी ईद हो जाए।

शनिवार, 30 मार्च 2024

दुरुद पढ़ने वाले आसानी से होंगे जन्नत में दाखिल

 माहे रमज़ान नफ्स पर नियंत्रण का महीना 

Varanasi (dil india live)। रमज़ान की अज़मतों का क्या कहना, अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने तमाम रहमतों और बरकतों को इस मुकद्दस महीने में नाज़िल फरमाया। माहे रमज़ान नफ्स पर नियंत्रण का महीना है। ऐसे तो हर दिन-हर रात दुरुद शरीफ पढ़ने का बेहद सवाब है मगर नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया है कि जो इंसान कसरत से इस पाक महीने में दुरुद शरीफ पढ़ेगा उसे बरोज़ कयामत पुलसिरात पर से आसानी से जन्नत में दाखिल कर दिया जायेगा। इसलिए इस महीने में दुरुद कसरत से पढ़ने वालों की तादाद बढ़ जाती है। इस महीने की 21, 23, 25, 27 व 29 तारीख शबे कद्र कहलाती है जो हज़ार महीनों की इबादत से भी बेहतर है। इन रातों में तमाम मुस्लिम खूब इबादत करते हैं। मोमिन 20 तरीख से ईद का चांद होने तक एतेकाफ पर बैठता है। पैगम्बरे इस्लाम नबी-ए-करीम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स.) फरमाते हैं कि जिसने रमज़ान का रोज़ा रखा और उसकी हुदूद को पहचाना और जिन गुनाहों से बचना चाहिये, उससे वो बचता रहा तो उसकी वो गुनाह जो उसने पहले की है उसका कफ़्फ़ारा हो जायेगा रमज़ान का रोज़ा। अल्लाह हदीस में फरमाता है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। अल्लाह का मज़ीद इरशाद है, बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। जब रोज़ा का दिन हो तो बेहूदा बातों से दूर रहें और बुराईयों से बचे। रोज़ा चूंकि अल्लाह के लिए हैतो रोज़ा रखकर बंदा अल्लाह को ही पा लेता है। तो फिर जानबुझ कर कोई बंदा क्यों अपना नुकसान करेगा। इस महीने में इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवरदिगार तू नबी-ए-करीम के सदके में हम सबको बक्श दे और रोज़ेदारों को ईद की खुशियों के साथ नेक इंसान बनने की तौफीक दे..आमीन।

   हाजी फारुक खां  {हज खिदमतगार व इसरा के जनरल सेक्रटरी हैं }

शुक्रवार, 29 मार्च 2024

गुड फ्राइडे : हे पिता इनको क्षमा कर, क्योंकि यह नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं...

यीशु के क्रूस पर दिए सात वचन फिज़ा में गूंजे, लोगों की भींग गई पलकें 

यीशु मसीह ने क्रूस पर अपने प्राण दिए त्याग 




Varanasi (dil India live). हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में अर्पण करता हूं...। हे पिता इनको क्षमा कर, क्योंकि यह नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं...।

 गुड फ्राइडे पर शुक्रवार को प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए ऐसे ही सात वचन जब फिज़ा में गूंज उठे तो मसीही समुदाय के लोगों की पलकें भींग गई। जहां प्रोटेस्टेंट वर्ग की ओर से पुण्य शुक्रवार को विशेष आराधना के साथ ही क्रूस पर दिए ईसा मसीह के अंतिम सात वचनों को दोहराया गया वहीं उसे अपनी जिंदगी में उतारने कि सभी न प्रतिज्ञा की। वाराणसी धर्म प्रान्त कि ओर से प्रभु यीशु के बलिदान को याद करने के लिए गुड फ्राइडे पर क्रूस मार्ग की यात्रा निकाली गई। पुण्य शुक्रवार या गुड फ्राइडे वो दिन है जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को गोल्गथा नामक पहाड़ पर, जो कलवारी नमक स्थान पर स्थित है, क्रुस पर चद़ाया गया था। इस घटना से पूर्व प्रभु यीशु मसीह को रोमी सैनिकों एवं धर्मगुरुओं द्वारा अत्यंत वेदनाओं एवं दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा और अंत में क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए। उनकी इस पवित्र मौत का आज मसीही समुदाय स्मरण कर अपनी आंखें नम करता दिखा। कैंटोंमेंट स्थित सेंट मेरीज कैथड्रल में क्रूस यात्रा निकाली गई जिसमें प्रभु यीशु को मौत के पूर्व दी गई कठोर सजा व क्रूस पर चढ़ाए जाने का नाट्य द्वारा प्रदर्शन किया गया। यीशु को जो अमानवीय यातनाएं दी गईं थी उसका संजीव चित्रण देख लोग सहम उठे। वहां मौजूद हर शख्स की आंख से आंसू छलक उठा। शांति और प्रेम के लिए प्रभु यीशु के बलिदान को मसीही समुदाय ने गुड फ्राइडे के तौर पर याद किया। वाराणसी के बिशप यूजीन जोसेफ ने इससे पहले विशेष प्रार्थना की।  

सजा से मरण तक कि झांकी 

कैथोलिक ईसाई समुदाय की ओर से सेंट मेरीज महागिरजा में बिशप की अगुवाई में प्रभु यीशु मसीह के क्रूस मरण की गाथा का मंचन किया गया। इस दौरान उन्हें सजा दिए जाने से लेकर क्रूस मरण तक का सजीव नाट्य कलाकारों ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन पल्ली पुरोहित ने किया। इस दौरान मसीही समुदाय का हुजूम वहां जुटा हुआ था। सुबह से ही गुड फ्राइडे पर चर्चेज में लोगों के पहुंचने का दौर शुरू हो गया था। सुबह प्रोटेस्टेंट मसीही समुदाय की आराधना शुरू हुई। इस दौरान पादरियों ने क्रूस पर दिए प्रभु के सात दिव्य वचन पढ़े, जिनको की गुड फ्राइडे के दिन प्रार्थना सभाओं में स्मरण किया जाता है। यीशु मसीह के मानने वाले इन वचनों को आत्मसाध कर जीवन मैं अपनाने का संकल्प लिया। पादरी सैम जोशुआ व पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि मौत के दिन को गुड फ्राइडे इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इसी दिन प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति को उनके पापों से बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए और सभी को उद्धार का अवसर प्रदान किया। चर्च आफ बनारस के पादरी बीएन जॉन, सेंट पाल चर्च के पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि यीशु मसीह को घोर यातना दी गई, और क्रूस पर उन्हे चढ़ाया गया। क्रूस पर उनकी पवित्र मौत की खबर से कि कलवारी में ईसा शहीद हुए धरती रो पड़ी मगर चमत्कार तीसरे ही दिन हुआ जब ईसा मसीह पुनः जीवित हो उठे। ऐसे ही लाल गिरजा में पादरी संजय दान, बेटेल फुल गास्पल चर्च में पादरी एंड्रू थामस, ईसीआई चर्च में पादरी दशरथ पवार, पादरी नवीन ज्वाय, विजेता प्रेयर मिनीस्ट्रीज में पादरी अजय कुमार व पास्टर एसपी सिंह ने प्रार्थना सभा को संबोधित करते हुए प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए सात वचन पढ़े।

बंदे को अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देता है मुकद्दस रमज़ान


 फिर रमजान की दौलत पाने जुटे हुए हैं ख़ुदा के नेक बंदे

Varanasi (dil india live)। बंदे को हर बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाला पाक महीना रमजान शुरू हो चुका है। इस मुकद्दस महीने की रूहानी चमक से दुनिया एक बार फिर रोशन हो चुकी है, और फिजा में घुलती अजान और दुआओं में उठते हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे कि मिसाल पेश कर रहे हैं। दौड़-भाग और खुदगर्जी भरी जिंदगी के बीच इंसान को अपने अंदर झांकने और खुद को अल्लाह की राह पर ले जाने की प्रेरणा देने वाले रमजान माह में भूख-प्यास समेत तमाम शारीरिक इच्छाओं तथा झूठ बोलने, चुगली करने, खुदगर्जी, बुरी नजर जैसी सभी बुराइयों पर लगाम लगाने की मुश्किल कवायद रोजेदार को अल्लाह के बेहद नजदीक पहुंचा देती है।

रमजान की फजीलत

माहे रमजान में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम इच्छाओं को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादत गुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है, इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए ही अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रमजान इंसान के अंदर जिस्म और रूह है। आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है रमजान में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में दोजख  के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते है।

रमज़न के तीन अशरे

अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को 10-10 दिन केे तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है। जबकि तीसरा अशरा 'जहन्नुम से आजादी' का है। इस आखिरी अशरे में रब रोज़ा रखने वाले को जहन्नुम से आजाद कर देता है।

रमजान माह  की विशेषताएं

महीने भर के रोज़े  रखना, रात में तरावीह की नमाज़ पढना, क़ुरान की तिलावत करना, एतेकाफ़ में बैठना, अल्लाह से दुआ मांगना, ज़कात देना, अल्लाह का शुक्र अदा करना। इसीलिये इस माह को नेकियों और इबादतों का महीना माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान पढना। जिससे क़ुरान पढना न आने वालों को क़ुरान सुनने का सबाब ज़रूर मिलता है।रमजान को नेकियों का मौसम-ए-बहार  कहा गया है। रमजान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह की इबादत ज्यादा करता है। अपने अल्लाह को खुश करने के लिए रोजो के साथ, कुरआन, दान धर्म करता है यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है, इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं। यानी जिसने माह भार रोज़ा रखा ईद उसी की है। या हर मुुसलमान को रोज़ा रखने कि तौफीक देेे…आमीन।

मो. रिज़वान (वाराणसी के युवा पत्रकार हैं) 

फूलों की खेती और उससे बने उत्पाद आर्थिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी-भक्ति विजय शुक्ला

Sarfaraz Ahmad  Varanasi (dil India live). फूलों की बढ़ती मांग और ग्रामीण किसानों तथा महिलाओं में फूलों की खेती के प्रति रुचि को देखते हुए, ...