रविवार, 6 नवंबर 2022

Giaravahin Sharif 2022

जानिए शेख अब्दुल क़ादिर जीलानी की जिंदगी 

Varanasi (dil india live). हजरत शेख अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह गौसे आजम कि जिंदगी पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी की माँ ने उन्हें 60 वर्ष के उम्र में जन्म दिया था। जो किसी मां द्वारा बच्चे को जन्म देने की एक सामान्य उम्र से कहीं ज्यादा है। ऐसा कहा जाता है कि हज़रत शेख अब्दुल कादिर जीलानी के जन्म के वक्त उनके सीने पर पैगंबर मोहम्मद (स.) के पैरों के निशान बने हुए थे। इसके साथ ही ऐसा माना जाता है उनके जन्म के वक्त जीलान में अन्य 1100 बच्चों ने जन्म लिया था और यह सभी के सभी बच्चे आगे चलकर इस्लाम के बड़े प्रचारक बने।

उनके जीवन की एक और भी बहुत प्रसिद्ध कहानी है, जिसके अनुसार जन्म लेने के बाद नवजात हजरत अब्दुल कदिर जीलानी ने रमजन के महीने में दूध पीने से इंकार कर दिया। जिसके बाद आने वाले वर्षों में जब लोग चांद देख पाने में असमर्थ होते थे। तब वह अपने चांद की तस्दीक इस बात से लगाते थे कि हज़रत शेख अब्दुल कादिर जीलानी ने दूध पिया या नही, यहीं कारण है कि उन्हें उनके जन्म से एक विशेष बालक माना जाता था।

इस कहानी से हर कौम हुई  जीलानी की दीवानी 

हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह गौसे पाक की ईमानदारी से जुड़ी एक ऐसी भी कहानी है जिसने दुनिया की हर कौम को उनका दीवाना बना दिया। कहानी कुछ यूं है कि जब शेख अब्दुल कादिर जीलानी 18 वर्ष के हुए तो वह अपने आगे की पढ़ाई के लिए बगदाद जाने के लिए तैयार हुए। उस वक्त उनकी माँ ने 40 सोने के सिक्कों को उनके कोट में डाल दिया और जाते वक्त उन्हें यह सलाह दी कि चाहे कुछ भी हो लेकिन वह अपने जीवन में कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे। इसके बाद वो बगदाद के लिए निकल पड़े।

बगदाद के रास्ते में उनके काफिले को कुछ डाकुओं ने घेर लिया। जिसमें एक लुटेरे ने हजरत जीलानी की तलाशी ली और कुछ ना मिलने पर उनसे पूछा कि क्या तुम्हारे पास कुछ नहीं है। इस पर शेख अब्दुल कादिर जीलानी ने कहा कि हाँ है, जिसके बाद वह लुटेरा जीलानी को अपने सरदार के पास ले गया और अपने सरदार को पूरी घटना बतायी और इसके पश्चात लुटेरों के सरदार ने पूछा तुम्हारे पास क्या है और कहां है? इस पर हजरत जीलानी ने मां द्वारा छुपा कर सिली गई जगह का सच बता दिया। इसके बाद डाकुओं ने चालीस सोने के सिक्कों को उनके पास से निकाल लिया। उनकी इस ईमानदारी को देखकर लुटेरों का वह सरदार काफी प्रभावित हुआ और उनके सिक्कों को वापस करते हुए, उनसे कहा कि वास्तव में तुम एक सच्चे मुसलमान हो। इसके साथ ही अपने इस हरकत का पश्चाताप करते हुए, दूसरे यात्रियों का भी सामान उन्हें वापस लौटा दिया। और डकैती छोड़ कर ईमान के रास्ते पर लौट आया।

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