शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

कम्बल वितरण समारोह में जुटे सैकड़ों



Varanasi (dil india live). निःशुल्क कम्बल वितरण समारोह का आयोजन मोहल्ला रसूलपूरा, बाकराबाद में मरहूम हाजी मोहम्मद फारुख साहब के निकट मैदान में गया। इस निःशुल्क कम्बल वितरण समारोह में ज़रूरत मंदों को  सोसाइटी फॉर ब्राईट फ्यूचर की जानिब से बड़ी संख्या में कम्बल वितरण किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी अशफाक अहमद डब्लू ने नेक काम के लिए आयोजकों की सराहना की।  

इस मौके पर मुस्लिम जावेद अख्तर (सचिव सुल्तान क्लब), सरफराज खान (राष्ट्रीय सचिव अल्पसंख्यक सभा सपा), सुलेमान अख्तर अंसारी (समाज सेवी), ऐनुल हक अंसारी (समाज सेवी), ज़ीशान अख्तर अंसारी, मेराज अहमद अंसारी,  शमीम रज़ा, अज़हर सिद्दीकी, डाक्टर एम. अकबर (अध्यक्ष जमात ए इस्लामी हिन्द बनारस), उर्फी साहब एवं इलाके के गणमान्य लोग उपस्थित थे ।

Sant Ravidas ka anokha Mandir




Varanasi (dil india live)। मजहबी शहर बनारस गंगा जमुनी तहजीब के लिए देश दुनिया में विख्यात है। यहां मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर व गुरुद्वारों के ऐतिहासिक दस्तावेज पग पग पर मौजूद है। यही वजह है कि इनके दर्शन के लिए देश दुनिया से भक्त खींचे चले आते हैं। ऐसा ही ऐतिहासिक और अनूठा आस्था का एक केन्द्र है, राजघाट पर स्थित संत रविदास मंदिर। यह मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है। यह मंदिर जहां श्रम साधना का संदेश देता है वहीं सर्वधर्म समभाव की एक शानदार मिसाल भी है।

संत रविदास सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे। इसका अंदाजा उनकी स्मृति में राजघाट में बनाए गए मंदिर को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। यह मंदिर संत रविदास के संदेशों के अनुकूल बनाया गया है। राजघाट स्थित संत रविदास का मंदिर सर्वधर्म समभाव का इकलौता ऐसा प्रतीक है जहां पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौद्ध धर्म के दर्शन होते हैं। सभी धर्मों के प्रतीक चिन्ह को मंदिर के गुंबद पर स्थान दिया गया है।

दी रविदास स्मारक सोसायटी के महासचिव सतीश कुमार उर्फ फगुनी राम ने बताया कि मंदिर का शिलान्यास 12 अप्रैल 1979 में हुआ और 1986 में बनकर जब तैयार हुआ तो सभी देखते रह गए। मंदिर पर पांच गुंबद हैं जिन पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई एवं बौद्ध धर्म के मंगल चिह्न अंकित हैं। इस मंदिर का निर्माण देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम ने कराया था। उन्होंने बताया कि संत रविदास मानवता, समता व समरसता के पोषक थे। इसी भावना को केंद्र में रखकर बाबू जगजीवन राम ने इस मंदिर की स्थापना की। यह मंदिर सभी जाति एवं धर्म के लोगों के लिए सदैव खुला रहता है। मंदिर के सुनहरे गुंबद से जब सूर्य की रोशनी टकराती है तो मंदिर की छटा और बढ़ जाती है। बेहद खूबसूरत एवं भव्य मंदिर की चमक दूर से ही दिखाई देने लगती है।


संत शिरोमणि गुरु रविदास जयंती कि तैयारी पूरी 

संत रविदास की जयंती को मनाने के लिए मंदिर में तैयारियां पूरी हो गई हैं।  रविदास जयंती पर दर्शनार्थियों का मंदिर में तांता लगा रहता है। खासकर पंजाब से तो जत्थे में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचते हैं। जगजीवन राम की बेटी व पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार हर साल मंदिर में मत्था टेकने आती हैं। इस बार भी वो यहां आ चुकी हैं।

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

World cancer day (विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी )

तम्बाकू व गुटखे  की लत से हो रहा  मुख कैंसर

फेफड़े के कैंसर में भी धूम्रपान सबसे बड़ा कारण



Varanasi (dil india live). केस-1 घौसाबाद निवासी 55 वर्षीय संतोष शर्मा (परिवर्तित नाम) का जबड़ा पूरी तरह नहीं खुल रहा था। एक माह से हालत यह हो गयी थी कि भोजन भी उनके मुख में किसी तरह जा पाता था। स्थिति जब बदतर हो गयी तब वह एक माह पूर्व उपचार कराने के लिए पं. दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के दंत रोग विभाग में पहुंचे। बताया कि वह गुटखा खाने के लती हैं और उनका जबड़ा पूरी तरह जकड़ गया है। जब जांच हुई तो पता चला कि उन्हें मुंह का कैंसर है। 

 केस-2 तम्बाकू युक्त पान के शौकीन बसहीं के रहने वाले 60 वर्षीय शिवकुमार (परिवर्तित नाम) के मुंह में हुए छाले ठीक नहीं हो रहे थे। जबड़ा न खुलने की उन्हें भी शिकायत थी। दो माह पहले पं. दीन दयाल चिकित्सालय के दंत रोग विभाग में जांच कराया तो पता चला कि उन्हें भी मुंह का कैंसर है। 

पं. दीनदयाल चिकित्सालय स्थित दंत रोग विभाग की प्रभारी डा. निहारिका मौर्य बताती हैं कि सिर्फ संतोष और शिवकुमार ही नहीं उनकी ओपीड़ी में हर हफ्ते चार-पांच ऐसे मरीज आते हैं जिन्हें जबड़ा पूरी तरह न खुलने या फिर मुंह के अंदर छाले के ठीक न होने की शिकायत होती है। इनमें कई ऐसे भी मरीज होते हैं जो मुख कैंसर की चपेट में आ चुके होते हैं अथवा उनमें मुख कैंसर के प्रारम्भिक लक्षण होते हैं। वह बताती हैं कि इस वर्ष जनवरी माह में आठ सौ लोग दंत रोग विभाग में उपचार कराने आये। इनमें जबड़ा पूरी तरह न खुलने की शिकायत वाले तीस मरीज थे। इनमें सात तो उपचार से ठीक हो गये जबकि शेष 23 की जांच हुई तो उनमें तीन को मुंह का कैंसर निकला जबकि 20 में मुख कैंसर के शुरुआती लक्षण पाये गये। इन सभी को बीएचयू रेफर कर दिया गया।  वह बताती हैं कि मुख कैंसर अथवा उसके प्ररम्भिक लक्षण वालों में अधिकांश वह लोग होते है, जो तम्बाकू उत्पादों के लती होते हैं। डा. निहारिका बताती हैं कि खैनी, सुंघनी, गुल, सुपारी व गुटखा का सेवन से दांत तो खराब होते ही है, यह मसूड़ों में भी घाव करता है। इससे जबड़े में जकड़न शुरू हो जाती है। शुरुआती दौर में उपचार से यह पूरी तरह ठीक हो जाता है लेकिन अधिक समय तक इस जकड़न का रहने से कैंसर होने की आशंका रहती है। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी कहते हैं कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन से केवल मुख कैंसर ही नहीं फेफड़े, गले और मुंह का कैंसर भी होता है। फेफड़े के कैंसर के मामलों में धूम्रपान सबसे बड़ा कारण है और लगभग दो तिहाई मामले इससे जुड़े होते हैं। इसके अलावा अन्य कारणों से कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष चार फरवरी को ‘विश्व कैंसर दिवस’ मनाया जाता है। हर वर्ष इसके लिए नई थीम तय कि जाती है। इस वर्ष की थीम है ‘क्लोज द केयर गैप’। उन्होंने बताया कि विश्व कैंसर दिवस पर जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।

 राष्ट्रीय कैंसर, हृदय रोगं, मधुमेह एवं स्ट्रोक नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम (एनपीसीडीपीएस) व राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) के नोडल अधिकारी डा. मोइजुद्दीन हाशमी ने बताया कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन से हो रहे मुख कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ओरल हेल्थ प्रोग्राम चलाया जा रहा है। सरकार भी इसे लेकर काफी गंभीर है। मुंह व दंत रोगों की पहचान व समय रहते उपचार की निःशुल्क व्यवस्था आम नागरिकों तक पहुंचे इसके लिए ही स्वास्थ्य विभाग ने जिले के सभी हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर इसकी जांच की व्यवस्था की है। इसके लिए दो सौ से अधिक  सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ( सीएचओ) को बकायदा प्रशिक्षित किया गया है।

 बचाव ही सबसे बेहतर उपाय
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला सलाहकार डा. सौरभ प्रताप सिंह कहते हैं-मुख व दंत रोगों का सबसे बड़ा कारण तम्बाकू उत्पादों का सेवन है। लिहाजा तम्बाकू उत्पादों का सेवन तत्काल बंद करना ही, मुख व दंत रोगों से बचाव का सबसे बेहतर उपाय है। रोग का जरा भी लक्षण नजर आये तो तत्काल उपचार शुरू करायें। सभी सरकारी चिकित्सालयों में इसके निःशुल्क उपचार की व्यवस्था है।

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

Health news: विद्यापीठ का हरपालपुर और सेवापुरी का अर्जुनपुर गाँव कालाजार प्रभावित

कालाजार उन्मूलन : शुरू हुआ सक्रिय रोगी खोज अभियान

सात फरवरी तक चलेगा अभियान, आशा घर-घर जाकर करेंगी स्क्रीनिंग

प्रभावित गाँव के सीमावर्ती में चलेगा अभियान




Varanasi (dil india live). कालाजार उन्मूलन के लिए सरकार बेहद गंभीर है । इसी क्रम में राष्ट्रीय कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में बुधवार से कालाजार संभावित लक्षण वाले मरीजों को खोजने के लिए एक्टिव केस डिटेक्शन (एसीडी) यानि सक्रिय रोगी खोज अभियान शुरू किया गया । यह अभियान सात फरवरी तक चलेगा जिसमें आशा कार्यकर्ता कालाजार प्रभावित क्षेत्रों सहित सीमावर्ती गाँव में घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग करेंगी । 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है वह कालाजार प्रभावित इलाकों में घर-घर जाकर सभी सदस्यों की स्क्रीनिंग करें और संभावित व्यक्ति पाये जाने पर ब्लॉक स्तरीय चिकित्सा प्रभारी को सूचित करें जिससे वहाँ त्वरित कार्रवाई की जा सके और उस इलाके में इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (आईआरएस) छिड़काव भी किया जा सके । एसीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि जनपद में पूर्व से ही संचारी रोग नियंत्रण व दस्तक अभियान चलाया जा रहा है । अभियान के जरिये समुदाय को डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया, चिकनगुनिया के साथ कालाजार को लेकर जागरूक किया जा रहा है । अभियान में संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों की किट के माध्यम से जांच की जा रही है, पॉजिटिव पाए जाने पर उनको उपचार पर रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि जल जमाव और दीवारों में नमी होने से कालाजार रोग पाँव पसारने लगते हैं।

जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पाण्डेय ने बताया कि जनपद के दो ब्लॉक के दो गाँव कालाजार से प्रभावित हैं । इसमें काशी विद्यापीठ का हरपालपुर और सेवापुरी का अर्जुनपुर गाँव कालाजार प्रभावित है। इनके आसपास के गाँव जैसे काशी विद्यापीठ के केसरीपुर, खुलासपुर, परमानंदपुर, रहीमपुर, कनईसराय और इस्लामपुर तथा सेवापुरी के बसहुनचक, भीषमपुर, मटुला, तख्खू की बौली और ककरहवाँ में स्क्रीनिंग अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए काशी विद्यापीठ में 14 टीमें और सेवापुरी में 6 टीमें तैयार की गईं हैं। एक आशा एक दिन में 50-50 घर कवर करेंगी। नए रोगी फिर से न मिले इसके लिए नियमित रूप से सक्रिय रोगी खोज अभियान के साथ चलाया जा रहा है। वहीं पूर्व में जिस गांव में कालाजार के मरीज मिले हैं वहां कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए आईआरएस छिड़काव नियमित किया जा रहा है। 

दो सालों में नहीं मिला कोई नया मरीज

डीएमओ ने बताया कि जिले के काशी विद्यापीठ ब्लॉक में साल 2008 व 2009 में कालाजार के रोगी पाए गए थे, उसके बाद साल 2017 तक कोई रोगी नहीं मिला। लेकिन साल 2018 में एक, साल 2019 में दो और साल 2020 में एक कालाजार मरीज पाया गया। यह रोगी काशी विद्यापीठ के हरपालपुर और सेवापुर के अर्जुनपुर गाँव में ही पाये गए । इसके बाद अब तक कालाजार का एक भी मरीज नहीं पाया गया। लेकिन सतर्कता बरतते हुये इन गांवों के साथ सीमावर्ती गाँव में समय-समय पर सक्रिय रोगी खोज अभियान और दवा का छिड़काव कर बचाव किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कालाजार, बालू मक्खी के काटने होता है जिसको शीघ्र निदान, उपचार और कीटनाशक दवा से छिड़काव से नियंत्रित किया जा सकता है।     

लक्षण

• बुखार रुक-रुक कर या तेजी से तथा दोहरी गति से आता है

• भूख कम लगती है, शरीर में पीलापन और वजन घटने लगता है 

• स्प्लीन यानि तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ने लगता है 

• त्वचा-सूखी, पतली और शल्की होती है और बाल झड़ने लगते हैं 

• शरीर में खून की कमी बहुत तेजी से होने लगती है

रोकथाम 

• घर को साफ रखना चाहिए। दीवार एवं आसपास के कोनों की नियमित और पूरी सफाई आवश्यक है। 

• घर में प्रकाश आना चाहिए।

• रोगी एवं स्वस्थ व्यक्ति की कड़ी (बालू मक्खी) को नष्ट करने के लिए छिड़काव जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक कराएं तथा तीन महीने तक घरों में में किसी प्रकार की सफेदी और पुताई न कराएं। 

• कमरे के जमीन से दीवार की कुछ ऊंचाई तक पक्की दीवार की चुनाई कराएं।

khwaja gharib Nawaz का बड़ा कुल सम्पन्न, लौटने लगे जायरीन



Varanasi (dil india live). Rajasthan (राजस्थान) के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 811 वां सालाना उर्स पूरी अकीदत के साथ सम्पन्न हो गया। कल ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह के उर्स पर बड़े कुल की रस्म अदा की गई। बड़े कुल के साथ सालाना उर्स संपन्न हो गया। इसी के साथ काशी से अजमेर उर्स में जियारत करने गए बनारस के लोगों का जत्था अब अपने घरों को लौट रहा है।

इससे पहले अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह पर कल सुबह बड़ा कुल जिसे नवीं का कुल कहा जाता है सुबह आठ बजे खुद्दाम-ए-ख्वाजा ने मजार शरीफ पर कुल की रस्म अदा की और आस्ताना शरीफ के साथ दरगाह परिसर को केवड़े एवं गुलाबजल से गुसल कराया गया। इस दौरान देश में अमन चैन, खुशहाली की दुआओं में लोगों ने हाथ फैलाया।

कुल की रस्म में खुद्दाम ए ख्वाजा ने ही सभी धार्मिक क्रिया पूरी की और फातिहा के बाद खादिमों की अंजुमन की ओर से उर्स संपन्न होने का ऐलान कर दिया गया। बड़े कुल के मौके पर देश दुनिया से आए ख्वाजा के दीवानों की सकुशल घर वापसी के लिए भी दुआ की गई। इतना ही नहीं उर्स के शांतिपूर्वक एवं सफलता के साथ संपन्न होने पर सभी का शुक्रिया अदा किया गया।

पाकिस्तान के 240 जायरीन ने की जियारत 

उर्स मे शरीक होने आये पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के 240 सदस्यों का दल भी सायं अजमेर शरीफ उर्स में जियारत करने के बाद रवाना हो गया। पाकिस्तान के दल ने दोनों देशों के बीच मोहब्बत का पैगाम दिया।

बुधवार, 1 फ़रवरी 2023

Basic teacher सामुदायिक सहभागिता की बन रहे मिसाल



Varanasi (dil india live). प्राथमिक विद्यालय बनपुरवां काशी विद्यापीठ में पुनः दानोत्सव मनाया गया। ज्ञात हो कि हर वर्ष दो बार भव्य रूप से दानोत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसके सूत्रधार का श्रेय विद्यालय की ही सहायक अध्यापिका छवि अग्रवाल को जाता है जो अपने नवीन प्रयोगों और तकनीकी दक्षताओं के लिए प्रदेश भर में जानी जाती हैं। विद्यालय के प्रति इनके विशेष लगाव और प्रयासों का ही नतीजा है कि इनका पूर्व विद्यालय पयागपुर आज ज़िले के सुंदर विद्यालयों में गिना जाता है। वर्तमान में बनपुरवा में सहायक अध्यापक के पद पर होते हुए भी अपने विद्यालय के कायाकल्प हेतु आप निरंतर प्रयासरत हैं। समुदाय के सहयोग से इनकी पहल पर इसके पहले भी विद्यालय को झूले , कम्प्यूटर, पंखे, सभी बच्चों के लिए टी शर्ट खेल सामग्री, 32 इंच एलईडी आदि प्राप्त हो चुकी है जो कि विद्यालय के अलुमनी शशांक और रेणु के द्वारा प्रदान की गयी थी।

आज के इस कार्यक्रम में वाराणसी एलिट राउंड टेबल से आशीष सिंघानिया, रोहन मधोक, हर्षित, अमित सुरभि मोदी जी के द्वारा विद्यालय के सभी नामांकित 303 बच्चों को डेस्ककिट दान में दी गयीं । कार्यक्रम में आशीर्वचन प्रदान करने महंत श्री शंकर पुरी महाराज मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान थे। शिक्षा विभाग से ज़िले के मुखिया बेसिक शिक्षा अधिकारी अरविंद कुमार पाठक का भी सानिध्य और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। बच्चों ने अपने बीच आए अतिथियों का स्वागत किया और उपहार पाकर प्रसन्न हुए। अंत में विद्यालय की प्रमुख अनुपम श्रीवास्तव द्वारा जनसमुदाय  के विश्वास और सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त किया गया। भविष्य में भी उनका सहयोग और स्नेह विद्यालय के लिए बना रहे इसी कामना के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

इस पहल की सराहना इसलिए आवश्यक है क्योंकि  आज के समय में हमें संसाधन की उतनी जरूरत नहीं लेकिन विश्वास की है जो उन्होंने विद्यालय के प्रति दिखाया वे विद्यालय आए और बच्चों के लिए सोचा,भविष्य की जरूरतें समझीं और पुनः आने का इरादा किया ।

Ruckmani के 35 माह के तप ने बना दिया tb champion

Xdr tb से स्वस्थ होकर बनीं 300 tb मरीजों की मददगार





Varanasi (dil india live). एक्सडीआर टीबी की मरीज रुक्मिणी 35 माह तक हर रोज कई-कई दवाओं के सेवन और सुबह-शाम के इंजेक्शन की असहनीय पीड़ा से ऊब चुकीं थीं। यहाँ तक कि एक वक्त वह जिन्दगी की आस तक छोड़ चुकी थीं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के बेहतर इलाज और परिवार वालों के हर वक्त ख्याल रखने व धैर्य बंधाने से अब पूरी तरह स्वस्थ हैं। इसी असहनीय पीड़ा के दौरान ठान लिया था कि अगर स्वस्थ हो गयी तो कुछ ऐसा करूंगी कि दूसरों को इस तरह के कष्ट से न गुजरना पड़े। अब टीबी चैम्पियन (tb champion) बनकर करीब 300 टीबी मरीजों की ruckmani मददगार बनी हैं। बीमारी से उनको यह सीख मिल ही चुकी थी कि समय से जाँच और उपचार न कराने का नतीजा कितना गंभीर हो सकता है।  

 मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के बाद टीबी के सबसे गंभीर रूप एक्सटेंसिवली ड्रग रजिस्टेंट (एक्सडीआर) टीबी के इलाज के दौरान मिली सीख का हवाला देकर वह अब दूसरों को ऐसी गलती न करने की नसीहत देती हैं। टीबी चैम्पियन (tb champion) के रूप में उनकी राह आसान की वर्ल्ड विजन इण्डिया संस्था ने। संस्था ने ट्रेनिंग देने के साथ ही मरीजों की सूची भी सौंपी जिनको सही मायने में संबल की जरूरत थी। अब वह 10-12 मरीजों का प्रतिदिन मनोबल बढाने के साथ ही बताती हैं कि दवा का सेवन नियमित रूप से करना है और साथ में पोषक आहार भी लेना है ताकि जल्दी स्वस्थ बन सकें। समुदाय में भी लोगों को बताती हैं कि दो हफ्ते से अधिक समय से बुखार बना हो, बलगम में खून आ रहा हो, वजन गिर रहा हो, भूख न लग रही हो तो स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की जाँच जरूर कराएँ। 

बड़ागांव ब्लॉक के कूंडी गांव की रुक्मिणी घरेलू कामकाज निपटाकर हर रोज दोपहर 12 बजे क्षय रोगियों की सूची लेकर बैठ जाती हैं। फोन पर शंकाओं का समाधान करने के साथ ही बीच में दवा छोड़ने वाले क्षय रोगियों या किसी तरह की दिक्कत का सामना कर रहे मरीजों को स्वास्थ्य केन्द्र तक ले जाती हैं। इस तरह रुक्मिणी क्षय रोगियों के संपर्क में तो रहती ही हैं विद्यालयों, सार्वजनिक स्थानों पर भी लोगों को जागरूक करती हैं। महिलाओं के समूह में बैठक कर क्षय रोग से बचाव और उपचार के बारे में भी समझाती हैं। एक वर्ष के भीतर लगभग 300 क्षय रोगियों से उन्होंने सम्पर्क किया है। इनमें 167 पुरुष, 126 महिलाएं व सात बच्चे शामिल हैं। इनमें 55 क्षय रोगी पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। क्षय रोगियों को समझाने में कई बार दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। वह बताती हैं कि बड़ागांव के ही ग्राम चिरई के अवनीश कुमार (18 वर्ष) जब दवा खाते थे तो पेट में दर्द होने लगता था। इस वजह से वह दवा बीच-बीच में बंद कर देते थे। समझाने पर लगातार दवा की और अब हालत में सुधार है। ऐसी ही स्थिति बसनी (बड़ागांव) के अजय पाण्डेय (42 वर्ष) की भी रही। दवा बीच में छोड़ने की वजह से उन्हें एमडीआर टीबी हो गयी। समझाया तो अब लगातार दवा खा रहे हैं।

 रुक्मिणी अपनी बीमारी को याद कर बताती हैं कि बीए -बीटीसी करने के बाद यूपीटेट की परीक्षा पास कर अध्यापिका बनना चाहती थी। इसके लिए प्रयासरत ही थी कि अक्टूबर-2017 में खांसी, बुखार व कमजोरी से परेशान रहने लगी। शुरू में निजी चिकित्सक से उपचार कराया पर लाभ नहीं मिला। छह माह तक चली दवा के बाद निजी डाक्टर ने दिल में छेद बताया और आपरेशन की बात कही। इससे घबरा गयी और बीएचयू के सर सुन्दर लाल चिकित्सालय पहुँची। जांच के बाद यह साफ हो गया कि दिल में छेद नहीं है। अप्रैल 2018 में बलगम जांच में पता चला कि टीबी का बिगड़ा रूप एमडीआर है। 15 दिन तक अस्पताल में भर्ती होकर उपचार कराया। लगभग 14 माह (अप्रैल 2018 से मई 2019) तक एमडीआर की दवा खाई लेकिन सांस लेने में दिक्कत, पैरों में तेज दर्द और कमजोरी बनी रही। जून 2019 में एक दिन अचानक हालत बिगड़ी तो अस्पताल में पुनः भर्ती करना पड़ा। अब टीबी का सबसे बिगड़ा रूप एक्सडीआर हो चुका था। महीने भर अस्पताल में रहने के बाद छुट्टी मिली। दवा के साथ ही हर रोज सुबह-शाम इंजेक्शन लगता था। इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद तक कानों में सीटी बजने की आवाज आती थी जिससे घबरा जाती थी। इच्छा होती थी कि दवा बंद कर दें लेकिन पति तपन कुमार के साथ ही ससुराल व मायके के लोग समझाते थे। तब उनकी इकलौती बेटी आराध्या महज दो वर्ष की थी। उसे  मायके में छोड़ना पड़ा। लगातार चल रहीं दवाओं के बीच होने वाली परेशानियों से ऊब चुकी थी। लगता था कि शायद नहीं बचूंगी। जून 2019 से फरवरी 2021 तक लगभग 21 माह एक्सडीआर की दवा चली। फरवरी 2021 में पूरी तरह ठीक हो गई और इसके साथ ही दवा बंद हो गयी। रुक्मिणी बताती हैं कि अप्रैल 2018 में निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 500 रुपये पोषक आहार के लिए मिलना शुरू हुआ जो फरवरी 2021 तक मिला। इस तरह 35 माह में 17500 रुपये पोषक आहार के लिए मिले।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...