तम्बाकू व गुटखे की लत से हो रहा मुख कैंसर
फेफड़े के कैंसर में भी धूम्रपान सबसे बड़ा कारण
Varanasi (dil india live). केस-1 घौसाबाद निवासी 55 वर्षीय संतोष शर्मा (परिवर्तित नाम) का जबड़ा पूरी तरह नहीं खुल रहा था। एक माह से हालत यह हो गयी थी कि भोजन भी उनके मुख में किसी तरह जा पाता था। स्थिति जब बदतर हो गयी तब वह एक माह पूर्व उपचार कराने के लिए पं. दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के दंत रोग विभाग में पहुंचे। बताया कि वह गुटखा खाने के लती हैं और उनका जबड़ा पूरी तरह जकड़ गया है। जब जांच हुई तो पता चला कि उन्हें मुंह का कैंसर है।
केस-2 तम्बाकू युक्त पान के शौकीन बसहीं के रहने वाले 60 वर्षीय शिवकुमार (परिवर्तित नाम) के मुंह में हुए छाले ठीक नहीं हो रहे थे। जबड़ा न खुलने की उन्हें भी शिकायत थी। दो माह पहले पं. दीन दयाल चिकित्सालय के दंत रोग विभाग में जांच कराया तो पता चला कि उन्हें भी मुंह का कैंसर है।
पं. दीनदयाल चिकित्सालय स्थित दंत रोग विभाग की प्रभारी डा. निहारिका मौर्य बताती हैं कि सिर्फ संतोष और शिवकुमार ही नहीं उनकी ओपीड़ी में हर हफ्ते चार-पांच ऐसे मरीज आते हैं जिन्हें जबड़ा पूरी तरह न खुलने या फिर मुंह के अंदर छाले के ठीक न होने की शिकायत होती है। इनमें कई ऐसे भी मरीज होते हैं जो मुख कैंसर की चपेट में आ चुके होते हैं अथवा उनमें मुख कैंसर के प्रारम्भिक लक्षण होते हैं। वह बताती हैं कि इस वर्ष जनवरी माह में आठ सौ लोग दंत रोग विभाग में उपचार कराने आये। इनमें जबड़ा पूरी तरह न खुलने की शिकायत वाले तीस मरीज थे। इनमें सात तो उपचार से ठीक हो गये जबकि शेष 23 की जांच हुई तो उनमें तीन को मुंह का कैंसर निकला जबकि 20 में मुख कैंसर के शुरुआती लक्षण पाये गये। इन सभी को बीएचयू रेफर कर दिया गया। वह बताती हैं कि मुख कैंसर अथवा उसके प्ररम्भिक लक्षण वालों में अधिकांश वह लोग होते है, जो तम्बाकू उत्पादों के लती होते हैं। डा. निहारिका बताती हैं कि खैनी, सुंघनी, गुल, सुपारी व गुटखा का सेवन से दांत तो खराब होते ही है, यह मसूड़ों में भी घाव करता है। इससे जबड़े में जकड़न शुरू हो जाती है। शुरुआती दौर में उपचार से यह पूरी तरह ठीक हो जाता है लेकिन अधिक समय तक इस जकड़न का रहने से कैंसर होने की आशंका रहती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी कहते हैं कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन से केवल मुख कैंसर ही नहीं फेफड़े, गले और मुंह का कैंसर भी होता है। फेफड़े के कैंसर के मामलों में धूम्रपान सबसे बड़ा कारण है और लगभग दो तिहाई मामले इससे जुड़े होते हैं। इसके अलावा अन्य कारणों से कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष चार फरवरी को ‘विश्व कैंसर दिवस’ मनाया जाता है। हर वर्ष इसके लिए नई थीम तय कि जाती है। इस वर्ष की थीम है ‘क्लोज द केयर गैप’। उन्होंने बताया कि विश्व कैंसर दिवस पर जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।
राष्ट्रीय कैंसर, हृदय रोगं, मधुमेह एवं स्ट्रोक नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम (एनपीसीडीपीएस) व राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) के नोडल अधिकारी डा. मोइजुद्दीन हाशमी ने बताया कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन से हो रहे मुख कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ओरल हेल्थ प्रोग्राम चलाया जा रहा है। सरकार भी इसे लेकर काफी गंभीर है। मुंह व दंत रोगों की पहचान व समय रहते उपचार की निःशुल्क व्यवस्था आम नागरिकों तक पहुंचे इसके लिए ही स्वास्थ्य विभाग ने जिले के सभी हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर इसकी जांच की व्यवस्था की है। इसके लिए दो सौ से अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ( सीएचओ) को बकायदा प्रशिक्षित किया गया है।
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