मंगलवार, 16 नवंबर 2021

गौसुल वारा कॉन्फ्रेंस कल

 वाराणसी 16 नवंबर (dil india live)। ज्श्ने गौसुल वारा कॉन्फ्रेंस का आयोजन शिवाला की दूल्हे वाली गली में 17 नवंबर को होगा। आयोजन के मेहमाने खास प्रमुख इस्लामी विद्वान मौलाना सैयद कौसर रब्बानी होंगे। तकरीर, मिलाद और उनकी दुआओं के बाद ग़ौसे पाक का लंगर चलेगा।

आयोजक मो. रवालिद ने बताया कि बाद नमाज मगरिब मिलाद शरीफ और बाद नमाज ईशा लंगरे आम का इंतजाम किया गया है। लंगर में गौस-ए-पाक के सभी चाहने वालों से शिरकत की खुसूसी गुज़ारिश की गई है।

सोमवार, 15 नवंबर 2021

सलमान खुर्शीद को बदनाम करने की काजिश

वाराणसी 15 नवंबर(dil india live)। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी विधि विभाग की एक बैठक कचहरी परिसर में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह एडवोकेट की अध्यक्षता में हुई। बैठक में अधिवक्ताओं ने !भाजपा द्वारा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर गलत आरोप लगाते हुए भ्रामक प्रचार किये जाने की निंदा की गई। कांग्रेस  विधि विभाग से जुड़े अधिवक्ता समाज से जुड़े लोगों ने कहां की शशांक शेखर त्रिपाठी एडवोकेट काशी प्रांत संयोजक भाजपा विधि प्रकोष्ठ द्वारा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद साहब पर अनरगल आरोप लगाकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है जो निंदनीय है। जबकि सलमान खुशी जी द्वारा हिंदुओं भाइयों के खिलाफ कोई भी टिप्पणी नहीं की गई नोटिस भेजने की बात शशांक शेखर द्वारा कही गई जो भ्रामक है अभी तक सलमान खुर्शीद जी को कोई भी नोटिस प्राप्त नहीं हुई है।

बैठक में उपस्थित लोगों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि शशांक शेखर त्रिपाठी व भाजपा के अन्य लोग यदि अपना भ्रामक प्रचार बंद नहीं करते हैं तो उन लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई, वह मानहानि की कार्रवाई की जाएगी।

बैठक में अशोक कुमार सिंह एडवोकेट, अजीत मद्धेशिया एडवोकेट, वीरेंद्र कुमार पंडित एडवोकेट, सैयद अफसकासन्न एडवोकेट, राजेश गुप्ता एडवोकेट सहित अधिवक्ता समाज में अपनी बात रखी।

लखनऊ में होगी ऐतिहासिक शंखनाद रैली: विजय कुमार बंधु

एनपीएस और  के खिलाफ़ 

देश भर में संघर्ष जारी रहेगा: सरदार अमरीक

संयुक्त कर्मचारी सम्मेलन बसुंधरा प्रेक्षागृह में संम्पन्न




वाराणसी 14 नवंबर (dil india live)। शनिवार को पूर्वोत्तर रेलवे के वसुंधरा प्रेक्षागृह में एन पी एस, निजीकरण के विरोध में एवं पुरानी पेंशन बहाली हेतु संयुक्त कर्मचारी सम्मेलन संम्पन्न, सम्मेलन में भारी संख्या में रेलवे कर्मचारियों के साथ शिक्षक व केंद्र, राज्य के कई विभाग के कर्मचारियों ने भागीदारी की।

संयुक्त कर्मचारी सम्मेलन के मुख्य अतिथि- नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम(एन एम ओ पी एस)के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष श्री विजय कुमार बंधू ने कहा कि यदि नई पेंशन योजना सही है तो इसे मंत्री, सांसद, विधायक क्यों नहीं ले रहे है, हम लगातार नई पेंशन योजना के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन कर रहे है, हम लोगों ने नई दिल्ली के रामलीला मैदान में एतिहासिक रैली किया,अब आगामी 21नवम्बर को लखनऊ के इको गार्डेन पार्क में पुनः आप तमाम कर्मचारियों के सहयोग से एनपीएस व निजीकरण के खिलाफ एतिहासिक शंखनाद रैली करेगें।

सम्मेलन के मुख्य वक्ता, फ्रंट अगेंस्ट एन पी एस इन रेलवे FANPSR के राष्ट्रीय अध्यक्ष  श्री सरदार अमरीक सिंह ने कहा कि आज केन्द्र सरकार देश की सभी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई रेल, सेल, भेल, कोल, बीएसएनएल, एअर पोर्ट, बंदरगाह, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सहित जल जंगल जमीन सब कुछ अपने चहेते पूंजीपतियों को सौप देना चाहती है,आज हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हो रहा यह संयुक्त कर्मचारी सम्मेलन देश भर के कर्मचारियों को एक दिशा देने का काम करेगा, क्योंकि जब रेलवे की उत्पादन इकाइयों को निगमीकरण के लिए 18 जून 2019 को 100डे एक्सन प्लान आया था, उसके खिलाफ यही से डीएलडब्ल्यू, वाराणासी के बहादुर साथियों ने आंदोलन की शुरूआत की थी,जिसे हम इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन की तरफ़ से देश भर में ले जाकर नई दिल्ली में संयुक्त मोर्चा बनाकर 100डे एक्सन प्लान रोकने में कामयाब हुए थे,आज मौद्रीकरण पाइप लाइन के नाम पर रेलवे सहित सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों पर बड़ा हमला है, हम पुनः नई दिल्ली के बॉर्डर पर संघर्ष रत किसानों से सीखते हुए रेलवे कर्मचारियों के साथ छात्रों, किसानों, नौजवानों के साथ एकता बनाकर एन पी एस व निजीकरण के खिलाफ देश भर में संघर्ष जारी रखेंगे।डॉ कमल उसरी राष्ट्रीय प्रचार सचिव नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे NMSR ने कहा कि भारतीय रेलवे आम जनता की जीवन रेखा है, इसे सार्वजनिक क्षेत्र में बचाये रखने की जिम्मेवारी सिर्फ़ रेलवे कर्मचारियों पर छोड़ने के बजाय आम अवाम को भी इसे यानी रेलवे को सार्वजनिक क्षेत्र में बचाने की चुनौती स्वीकार करते हुए नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे के साथ एकजुटता जाहिर करते हुए संघर्ष जारी रखना होगा।एस एस होंडा (जोन महासचिव ऑल इंडिया लोकों रनिंग स्टाफ़ एसोसिएशन AILRSA )ने कहा कि कोरोना संकट के समय हम रेलवे कर्मचारियों ने अपने हजारों साथियों की शहादत देते हुए ऑक्सीजन, जीवन रक्षक दवाएं और लाखों टन खाद्यान सामग्री एक जगह से दूसरी जगह पहुचाया, हम सभी देश हित में रेलवे का संचालन करते हुए पूरा जीवन लगा देते है लेकिन हमारे बुढापे का सहारा पुरानी पेंशन योजना हमसे छीन ली गई है,

संयुक्त सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए एन ई रेलवे मेंस कांग्रेस NERMC अध्यक्ष श्री अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि 1 जनवरी से 2004 से सरकारी सेवा भर्ती हुए रेलवे कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना(ops) समाप्त करके शेयर मार्केट आधारित नई पेंशन योजना को लागू कर दिया गया है, तमाम अध्ययन बताते है कि नई पेंशन योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए सिर्फ़ एक धोखा है।संयुक्त कर्मचारी सम्मेलन में मुख्य रूप से अटेवा पेंशन बचाओ मंच वाराणसी के ज़िला संरक्षक रामचंद्र गुप्ता,प्रदेश उपाध्यक्ष सत्येंद्र राय, ज़िला संयोजक/अध्यक्ष विनोद यादव, ज़िला सह संयोजक डॉ एहतेशामुल हक, ज़िला संगठन मंत्री जफर अंसारी, ज़िला सोशल मीडिया प्रभारी सुरेंद्र प्रताप सिंह ,महानगर अध्यक्ष गुलाब चंद कुशवाहा,प्रमोद पटेल,इमरान अंसारी,महबूब आलम, वीरेन्द्र कुमार पाल, दुर्गेश पाण्डेय, मिथिलेश लोहार, पंकज कुमार पाल, अभिषेक रंजन, पप्पू सिंह, के पी यादव, रंजीत कुमार, रविन्द्र यादव, आलोक श्रीवास्तव, अजय सिंह, राजपति पाल, दिलीप पंडित, सुदीप कुमार,इत्यादि सहित वीएलडब्ल्यू, वाराणासी, पूर्वोत्तर रेलवे, उत्तर रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, "अटेवा" पेंशन बचाओ मंच, राज्य सफाई कर्मचारी, राज्य सरकार व केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों शिक्षकों ने भागीदारी की।संयुक्त कर्मचारी सम्मेलन का संयोजन और संचालन राष्ट्रीय महासचिव फ्रंट अगेंस्ट एन पी एस इन रेलवे- कॉम राजेन्द्र कुमार पाल ने औऱ धन्यवाद ज्ञापन पूर्वोत्तर रेलवे वर्कर्स यूनियन मंडल मंत्री कॉम राकेश कुमार पाल ने किया।

रविवार, 14 नवंबर 2021

आधुनिक भारत के निर्माता: पं. नेहरू

 14 नवंबर जन्मदिन पर खास

नेहरू न होते तो क्या होता?



 डॉ. मोहम्मद आरिफ़.

वाराणसी 14 नवंबर (dil india live)। आज आजादी के पचहत्तरवें वर्ष भी पं.जवाहर लाल नेहरू चर्चा में हैं। उनपर आरोप -प्रत्यारोप की बारिश हो रही है।वजह साफ है कि नेहरू के सपनों के भारत से हम विमुख हुए हैं । एक नए तरह के भारत निर्माण की प्रक्रिया जारी है जिसके विरोध में नेहरू आज भी चट्टान की तरह खड़े है।जाहिर है बिना उन्हें हटाये ये राह आसान नहीं है। नेहरू ने 15 अगस्त 1954 को लाल किले की प्राचीर से एलान किया था "अगर कोई मजहब या धर्म वाला यह समझता है कि हिंदुस्तान पर उसी का हक़ है,औरों का नहीं,तो उससे हिंदुस्तान का सम्बंध नहीं।उसने हिंदुस्तान की राष्ट्रीयता,कौमियत को समझा नहीं है,हिंदुस्तान की आजादी को नहीं समझा है,बल्कि वह हिंदुस्तान की आजादी का एक माने में दुश्मन हो जाता है,उस आजादी को धक्का लगाता है,उस आजादी के टुकड़े बिखेरता है क्योंकि हिंदुस्तान की जड़ है आपस में एकता और हिंदुस्तान में जो अलग अलग मजहब-धर्म,जातियां हैं,उनसे मिलकर रहना।उनको एक दूसरे की इज्जत करना है,एक दूसरे का लिहाज करना है।....हमें हक़ है अपनी-अपनी आवाज़ उठाने का,लेकिन किसी हिंदुस्तानी को यह हक़ नहीं है वह ऐसी बुनियादी बातों के खिलाफ आवाज़ उठाए जो हिंदुस्तान की एकता को,हिंदुस्तान के इतिहास को कमजोर करे,अगर वो ऐसा करता है तो हिंदुस्तान के और हिंदुस्तान की आजादी के खिलाफ गद्दारी है।"

जिस "आइडिया ऑफ इंडिया" की कल्पना नेहरू ने की थी उसमें भारत को न केवल आर्थिक एवं राजनैतिक दृष्टि से स्वावलम्बी होना था बल्कि ग़ैर साम्प्रदायिक भी होना था। ये नेहरू ही थे जिन्होंने समाजवाद के प्रति असीम प्रतिबद्धता दिखाई और धर्म निरपेक्षता तथा सामाजिक न्याय को संवैधानिक जामा पहनाया। प्रगतिशील नेहरू ने विविधता में एकता के अस्तित्व को सदैव बनाये रखते हुए विभिन्न शोध कार्यक्रमों तथा पंचवर्षीय योजनाओं की दिशा तय की।जिस पर चलकर भारत आधुनिक हुआ। नेहरू ने राजनैतिक आज़ादी के साथ-साथ आर्थिक स्वावलम्बन का भी सपना देखा तथा इसको अमली जामा पहनाते हुए कल-कारखानों की स्थापना , बांधों का निर्माण ,बिजलीघर, रिसर्च सेन्टर,विश्वविद्यालय तथा उच्च तकनीकी संस्थानों की उपयोगिता पर विशेष बल दिया। महिला सशक्तिकरण और किसानों के हित के लिए कटिबद्ध नेहरू दो मजबूत खेमों में बंटी दुनिया के बीच मजलूम और कमजोर देशों के मसीहा बनकर उभरे। उन्हें संगठित कर गुट निरपेक्षता की नीति का पालन किया और शक्तिशाली राष्ट्रों की दादागिरी से इनकार करते हुए अलग रहे।उन्होंने न केवल व्यक्ति की गरिमा बल्कि अभिव्यक्ति की आजादी का भी भरपूर समर्थन किया।संसद में और संसद के बाहर भी इसे बचाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई चाहे उनपर कितने भी गंभीर हमले हुए हों। आज नेहरू को नकारने की सोच रखने वाली शक्तियां अधिक मुखर हुई हैं, ऐसे में नेहरू की वैज्ञानिक सोंच पर फिर से विचार करने पर मजबूर कर दिया है कि यदि उनके द्वारा स्थापित संस्थाओं का अस्तित्व न होता तो इस संकट की घड़ी में क्या होता।1947 में भारत न तो महाशक्ति था और न ही आर्थिक रूप से सक्षम और आत्मनिर्भर। बटवारे में बड़ी आबादी का हस्तांतरण हुआ पर जिस तरह सड़कों पर कोविड 19 के दौरान लोग मारे -मारे फिर रहे थे। उनका कोई पुरसाहाल नहीं था ऐसा नेहरू ने विभाजन के समय भी सीमित संसाधनों के बावजूद नहीं होने दिया।अपनी सीमा के अंदर सबको सुरक्षित रखा जबकि उनके सामने तब भी आज ही की तरह अंध आस्था के लिए आमजन के दुरुपयोग करने वाले संगठन खड़े थे।

  15 अगस्त 1954 को लालकिले से नेहरू हमें आजादी के मायने बता रहे हैं "आजादी खाली सियासी आजादी नहीं,खाली राजनीतिक आजादी नहीं।स्वराज और आजादी के मायने और भी हैं,वह सामाजिक और आर्थिक भी है। अगर देश में कहीं गरीबी है, तो वहां आजादी नहीं पहुंची,यानी उनको आजादी नहीं मिली, जिससे वे गरीबी के फंदे में फंसे हैं।जो लोग गरीबी और दरिद्रता के शिकार हैं वे पूरी तरह से आजाद नहीं हुए हैं उनकी गरीबी और दरिद्रता को दूर करना ही आजादी है।.....अगर हिंदुस्तान के किसी गाँव में किसी हिंदुस्तानी को, चाहे वह किसी भी जाति का हो, या अगर हम उसको चमार कहें,हरिजन कहें,अगर उसको खाने-पीने में,रहने-चलने में वहां कोई रुकावट है,तो वह गांव कभी आजाद नहीं है,गिरा हुआ है।...अभी यह न समझिये कि मंज़िल पूरी हो गयी है। यह मंज़िल एक जिंदादिल देश के लिए आगे बढ़ती जाती है,कभी पूरी नहीं होती।" नेहरू के सपनों का भारत तो सदृढ़ रूप में खड़ा है। उनकी कल्पना साकार रूप ले चुकी है परंतु आजादी के आंदोलन के दौरान लगभग दस वर्षों तक जेल की सजा काट चुके नेहरू को हम याद करने की औपचारिकता भी नहीं निभाते और न ही वे अब हमारे सपनों में ही आते हैं। "भारत एक खोज" और इतिहास तथा संस्कृति पर अनेक पुस्तकों के लेखक नेहरू आज मात्र पुस्तकों की विषय वस्तु बनकर रह गए हैं।कही -कहीं तो उन्हें वहां भी जगह नहीं मिल रही है। किसी भी देश ने अपने राष्ट्र निर्माता को शायद ही ऐसे नज़रअंदाज़ किया हो जैसा हमने नेहरू को किया। आज की पीढ़ी को राष्ट्रीय आंदोलन के मूल्यों के प्रति सचेत करने की ज़रूरत है।उन्हें भारतीय राष्ट्रवाद, आज़ादी के आंदोलन के मूल्य और नेहरू के योगदान को बताने की जरूरत है।


ये कार्य कौन करेगा ?

 साम्प्रदायिक ताक़तें तो करने से रही वे सदैव नेहरू विरोधी रही हैं। लेकिन कांग्रेस भी कम दोषी नहीं है, उसने कभी भी नेहरू के योगदान एवं उनके व्यक्तित्व पर चर्चा करने की ज़हमत नहीं उठायी, न ही आज़ादी के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया। वास्तव में कांग्रेस भी मूल्य, पारदर्शिता,अभिव्यक्ति की आज़ादी,प्रजातंत्र के प्रति नेहरूवियन सोंच से डरती है। भारतीय राष्ट्रवाद के सबसे बड़े दुश्मन विंस्टन चर्चिल ने 1937 में नेहरू के बारे में कहा था कि  "कम्युनिस्ट, क्रांतिकारी, भारत से ब्रिटिश संबंध का सबसे समर्थ और सबसे पक्का दुश्मन"...। अठारह साल बाद 1955 में फिर चर्चिल ने कहा "नेहरू से मुलाकात उनके शासन काल के अंतिम दिनों की सबसे सुखद स्मृतियों में से एक है"... "इस शख़्स ने मानव स्वभाव की दो सबसे बड़ी कमजोरियों पर काबू पा लिया है; उसे न कोई भय है न घृणा"...

इसमें कोई संशय नही होना चाहिए कि साम्प्रदायिक आधार पर विभाजित इस देश में साम्प्रदायिक सद्भाव की अवधारणा और सभी को साथ लेकर चलने की नीति व तरीके की खोज जवाहरलाल नेहरू ने ही की थी ।उन्होंने अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारतीय सिनेमा को न केवल प्रोत्साहित किया बल्कि हर सम्भव सहायता भी प्रदान की।नतीजा यह हुआ कि उस दौर में तमाम ऐसी फिल्में बनीं जो हमारी राष्ट्रीय पहचान बन गईं।इन फिल्मों ने सामाजिक,आर्थिक,धार्मिक, राष्ट्रीय एकता और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त किया।इसी सिद्धांत और उनकी सामाजिक उत्थान की अर्थ नीति के ही कारण साम्प्रदायिक व छद्म सांस्कृतिक संगठनों  का लबादा ओढ़े  राजनीतिक दल चार सीट भी नहीं जीत पाते थे।



20 सितम्बर 1953 को नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखा "साम्प्रदायिक संगठन, निहायत ओछी सोच का सबसे स्पष्ट उदाहरण हैं।यह लोग राष्ट्रवाद के चोले में यह काम करते हैं।यही लोग एकता के नाम पर अलगाव को बढ़ाते हैं और सब तबाह कर देते हैं।सामाजिक सन्दर्भों में कहें तो वे सबसे घटिया किस्म के प्रतिक्रियावाद की नुमाइंदगी करते हैं।हमें इन साम्प्रदायिक संगठनों की निंदा करनी चाहिए।लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस ओछेपन के असर से अछूते नहीं है।" साम्प्रदायिकता के सवाल पर नेहरू का दृष्टिकोण बिल्कुल साफ था।यहां तक कि उन्होंनेअपने साथियों को भी नहीं छोड़ा।नेहरू ने 17 अप्रैल 1950 को कहा *"मैं देखता हूँ कि जो लोग कभी कांग्रेस के स्तम्भ हुआ करते थे,आज साम्प्रदायिकता ने उनके दिलो-दिमाग पर कब्जा कर लिया है।यह एक किस्म का लकवा है,जिसमें मरीज को पता तक नहीं चलता कि वह लकवाग्रस्त है।मस्जिद और मंदिर के मामले में जो कुछ भी अयोध्या में हुआ,वह बहुत बुरा है। लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि यह सब चीजें हुई और हमारे अपने लोगों की मंजूरी से हुईं और वे लगातार यह काम कर रहे हैं।" 

नेहरू धर्म के वैज्ञानिक और स्वच्छ दृष्टिकोण के समर्थक थे।उनका मानना था कि भारत धर्मनिरपेक्ष राज्य है न कि धर्महीन।सभी धर्म का आदर करना और सभी को उनकी धार्मिक आस्था के लिए समान अवसर देना राज्य का कर्तव्य है।नेहरू जिस आजादी के समर्थक थे,जिन लोकतांत्रिक संस्थाओं और मूल्यों को उन्होंने स्थापित किया था आज वे खतरे में है। मानव गरिमा, एकता और अभिव्यक्ति की आजादी पर संकट के बादल मंडरा रहे है।

अब समय आ गया है कि हम एकजुटता, अनुशासन और आत्मविश्वास के साथ लोकतंत्र को बचाने का प्रयास करें। हम  आज़ादी के आंदोलन के मूल्यों पर फिर से बहस करें और एक सशक्त और ग़ैर साम्प्रदायिक राष्ट्र की कल्पना को साकार करने में सहायक बनें। हमारे इस पुनीत कार्य में नेहरू एक पुल का कार्य कर सकते हैं।



(लेखक इतिहासकार और सामाजिक चिंतक हैं।)

सुरक्षित रहे मान-सम्मान, नारी शक्ति को कराया ज्ञान

वन स्टॉप सेंटर में लगा विधिक साक्षरता शिविर

 



वाराणसी 14 नवम्बर(dil india live)। बाल दिवस एवं अमृत महोत्सव के अंर्तगतजिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से रविवार को वन स्टॉप सेंटर में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इसमें बालिकाओं, किशोरियों व महिलाओं को उनके अधिकारों के साथ ही हितकारी योजनाओं की जानकारी दी गयी। नारी शक्तिका मान-सम्मान सुरक्षित कैसे रहेऔरवह कैसेसशक्त बनें, के बारे में जानकारी दी गयी।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की विधिक सलाहकार रेखा श्रीवास्तव ने शिविर में बाल विवाह, बाल भिक्षावृत्ति, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, लैंगिक उत्पीड़न, घरेलू हिंसा अधिनियम की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने किशोरियों व महिलाओं से कहा कि आप अपने अधिकारों का प्रयोग करें, लेकिन यह सब कानून के जरिए होना चाहिए। यदि वह घरेलू हिंसा, भ्रूण हत्या, दहेज जैसी समस्याओं से ग्रसित है तो उन्हें बेहिचक कानून का सहारा लेना चाहिए।

वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी रश्मि दुबे ने कहा कि यह एक ऐसा केन्द्र है जहां एक ही छत के नीचे महिलाओं की सभी समस्याओं के निदान की व्यवस्था है। उन्हें विधिक परामर्श देने के साथ ही उनको स्वालम्बी बनाने का भी प्रयास किया जाता है। कोई भी महिला घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर दुर्व्यव्हार जैसी अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए इस केन्द्र की मदद ले सकती हैं।   

शिविर के प्रारम्भ में किशोरियों, महिलाओं को ‘वन स्टॉप सेंटर का भ्रमण कराया गया। इस दौरान सीएससी प्रभारी साधना सिंह ने केन्द्र की गतिविधियों से उन्हें अवगत कराया। शिविर में शामिल होने आई सोनपुरा की किशोरी रागिनी ने बताया कि यहां आने से उसे कई हितकारी योजनाओं की जानकारी मिली है, जिनसे वह लाभान्वित हो सकती हैं। शिविर में लोक चेतना समिति की पूनम, सुजीत, सुरेश भी मौजूद रहे।

बुनकरों की मजदूरी बढ़ी


बनारसी वस्त्र की कीमतों में भी हुई वृद्धि  

  • बुनकर सरदारों ने किया एलान
  • बुनकर महापंचायत में लिया गया महत्वपूर्ण फैसला


वाराणसी 14 नवंबर (dil india live)। कमरतोड़ महंगाई एवं बनारसी वस्त्र में उपयोग होने वाले  जरी और धागों की कीमतों में भारी उछाल से गंभीर आर्थिक संकट एवं पलायन को मजबूर बुनकरों के सामूहिक हितों तथा बनारसी सनत के संरक्षण हेतु बुनकरों की मजदूरी एवं तैयार माल के दामों में वृद्धि की घोषणा आज मुत्तहिदा बुनकर बिरादराना तंजीम के सभी सरदार साहिबान की ओर से सामूहिक रूप से की गई ‌तंजीम बाईसी के सरदार इकरामुद्दीन की अध्यक्षता में बुनकर कॉलोनी, नाटी इमली में आयोजित बुनकर पंचायत में बड़ी संख्या में बुनकरों ने भाग लिया जिसमें बुनकरों के पलायन को रोकने और बनारसी वस्त्र कला के संरक्षण के दृष्टिगत निम्न फैसले किए गए :

1-बेतहाशा महंगाई के मद्देनजर  बुनकरों की मज़दूरी में 20% की त्वरित वृद्धि की जाए।

2-बनारसी साड़ी एवं वस्त्रों को स्थानीय एवं घरेलू बाजार में 25% की वृद्धि के साथ बिक्री की जाए।

3- तानी की जुड़ाई कारीगर के जिम्मे रहेगी ।

4-काम की बनवाई गिर्हस्ता के जिम्मे रहेगी।

5- पिछले कुछ दिनों में बुनकरों के साथ बड़े पैमाने पर ठगी के मामले सामने आए हैं जिसमें कुछ बाहरी लोग व्यापारी के भेष में यहां दुकानें खोलकर बुनकरों की बड़ी रकम लेकर रफू चक्कर हो जाते हैं। चूंकि आमतौर पर यहां उधार माल बेचने की प्रवृत्ति है इसलिए सभी बुनकर साथियों से अपील की जाती है कि वह किसी भी नई फर्म या अजनबी व्यक्ति को माल बेचने से पहले पूरी तरह से उस व्यक्ति की जांच परख कर लें और पूर्ण रूप से संतुष्ट होने पर ही माल बेचें। तंजीम बाईसी के सरदार इकरामुद्दीन, चौदहों के सरदार हाजी मकबूल हसन, पांचों के सरदार हाजी अली अहमद और सरदार हाजी जियाउल हसन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस बुनकर पंचायत में की गई सभी घोषणाओं का पंचायत में उपस्थित बुनकरों ने एक स्वर में समर्थन किया।

कार्यक्रम का प्रारंभ कारी अताउल गफ्फार कासमी की तिलावत से हुआ। संचालन इशरत उस्मानी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक अब्दुल्लाह अंसारी ने किया। कार्यक्रम को मुख्य रूप से हाजी रियाजुद्दीन खान, यासीन फरीदी, मौलाना फैयाजुद्दीन कासमी, हाजी नूरुद्दीन, रमजान अली, हाफिज जमाल नोमानी, अखलाक अहमद महतो आदि ने संबोधित किया।

इस अवसर पर जैनुल हुदा, रमजान अली पार्षद, मौलाना अब्दुल अजीज, हाजी अब्दुल वहीद, हाजी नसीर अहमद, हाजी मोईनुद्दीन, मोहम्मद हनीफ, हाजी आफताब आलम मौलाना नईम, सरदार अब्दुल रहीम, मुनाउ सरदार आदि के अतिरिक्त बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

शनिवार, 13 नवंबर 2021

बाल सुरक्षा सप्ताह मनेगा आज से

बाल यौन शोषण के खिलाफ करेंगे जागरुकता 

वाराणसी,13 नवम्बर।(dil india live)। बच्चों एवं किशोरों के यौन शोषण को रोकने के लिए ‘राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम' के तहत 14 से 20 नवम्बर तक प्रदेश के सभी जिलों में ‘बाल सुरक्षा सप्ताह’ का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर बाल यौन शोषण के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबंधक डा. वेद प्रकाश ने इस सम्बंध में प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भेजकर कार्यक्रमों के आयोजन का निर्देश दिया है जो बाल यौन शोषण के मुददे पर लोगों को संवेदनशील बनाने के साथ ही बच्चों के लिए और सुरक्षित माहौल दे सके। ‘बाल सुरक्षा सप्ताह’ में किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत पीयर एजुकेटर द्वारा साथिया समूह के साथ तथा विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के साथ विभिन्न मनोरंजक गतिविधियों जैसे क्विज प्रतियोगिता, पोस्टर चार्ट, जिंगल मेकिंग प्रतियोगिता आदि आयोजित कर इससे सम्बंधित जानकारी प्रदान करने और उन्हें जागरूक बनाने के साथ-साथ प्रोत्साहित करेंगे।  इन प्रतियोगिताओं में विजेता बच्चों व किशोरों को  प्रमाणपत्र के साथ सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक ब्लॉक के दो इण्टर कालेजों में किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही किशोर स्वास्थ्य काउंसलर / फेमिली प्लानिंग काउंसलर भी जागरुकता अभियान चलायेंगे। उपकेन्द्र स्तर पर ‘किशोर स्वास्थ्य और कल्याण दिवस’ एवं ’किशोर मित्रता क्लब’ की बैठकों का भी आयोजन किया जाएगा।


मझवा से पहले SP मुखिया अखिलेश यादव का बनारस में जोरदार स्वागत

Varanasi (dil India live). सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को बनारस पहुंचे। बनारस के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ...