...हे नारी
हे नारी,तू सबकी आशा है, अभिलाषा है
भावों को मुझे रूप देती, ऐसी तू मधुभाषा है ,
कभी बनी माता जब तो, कहलाती तब तू जननी है,
जब बन गई प्रेयसी किसी की कहलाती मृगनैनी है
जब बन गई किसी की बहू, तो तू भाग्यलक्ष्मी है कहलाती
राखी में किसी का प्यार संजोए, बहन भगिनी बन जाती है
तब भी इस निर्दयी समाज ने पल पल तुझे सताया है
जब भी जन्म हो बेटी का कहते मनहूस ये साया है:
हे समाज, सुन ले आज तू , नारी ही अभिमान सभी का नारी ही जग जननी है, थोड़ा सा सम्मान कर
तू इसका, यही महिला सशक्तिकरण है।
दीपशिखा
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