बुधवार, 2 अप्रैल 2025

VKM Varanasi main ऑटिज़्म जागरूकता संगोष्ठी

न्यूरोडायवर्सिटी समाज को अधिक संवेदनशील और समावेशी बनने की प्रेरणा देती है-डा. तुलसी 

Varanasi (dil India live). आज, 2 अप्रैल को, वसंत कन्या महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग और मनस्विनी क्लब के संयुक्त तत्वावधान में ऑटिज़्म जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय की प्राचार्या के उत्साहवर्धन से हुई। उन्होंने इस तरह के कार्यक्रमों को और व्यापक स्तर पर आयोजित करने का सुझाव दिया। बीएचयू की एम.एस. डा. दिव्या सिंह ने अपने संबोधन में ऑटिज़्म से प्रभावित व्यक्तियों की चुनौतियों, उनकी विशेषताओं और समाज में उनके समावेशन के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. तुलसीदास (डायरेक्टर, देवा इंस्टीट्यूट फॉर डिसेबिलिटी रिहैबिलिटेशन एंड एंपावरमेंट) ने अपने संबोधन में कहा कि न्यूरोडायवर्सिटी केवल एक दृष्टिकोण नहीं, बल्कि एक ऐसी सीख है जो समाज को अधिक संवेदनशील और समावेशी बनने की प्रेरणा देती है। इस दौरान बी.एच.यू. के कुछ शोध छात्रों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के लगभग 100 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने नाटक भी प्रस्तुत किया, जिसमें ऑटिज़्म और समाज में समावेशन की महत्ता को दर्शाया गया।

कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राम  प्रसाद सोनकर द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. शुभ्रा सिन्हा, डॉ. अंजू लता सिंह, डॉ. खुशबू मिश्रा, डॉ. शशि प्रभा कश्यप, डॉ अंशु शुक्ला सहित कई अन्य शिक्षक एवं शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

देश दुनिया में आज मनाया जा रहा है विश्व ऑटिज्म दिवस

आईए जानते हैं ऑटिज्म क्या है इसे कैसे रोका जा सकता है 

ऑटिज्म एक विश्वव्यापी समस्या है। इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) के नाम से भी जाना जाता है, यह एक न्यूरोलॉजिकल और विकासात्मक विकार है जो संचार, सामाजिक संपर्क और व्यवहार को प्रभावित करता है। प्रभावित बच्चों और उनके माता-पिता को अपने परिवार, समाज और यहाँ तक कि जीवन भर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 160 बच्चों में से 1 को ASD है। ASD के सटीक कारणों को अभी भी पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, लेकिन शोध बताते हैं कि यह आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों से जुड़ा हुआ है।

  • डॉ. शशि प्रभा कश्यप

Varanasi (dil India live). हर साल 2 अप्रैल को हम विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाते हैं। ऑटिज्म एक विश्वव्यापी समस्या है। इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) के नाम से भी जाना जाता है, यह एक न्यूरोलॉजिकल और विकासात्मक विकार है जो संचार, सामाजिक संपर्क और व्यवहार को प्रभावित करता है। प्रभावित बच्चों और उनके माता-पिता को अपने परिवार, समाज और यहाँ तक कि जीवन भर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 160 बच्चों में से 1 को ASD है। ASD के सटीक कारणों को अभी भी पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, लेकिन शोध बताते हैं कि यह आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों से जुड़ा हुआ है।

इसकी विशेषता निम्न में कठिनाइयाँ हैं:

1. सामाजिक संपर्क: सामाजिक संकेतों को समझने और व्याख्या करने, बातचीत शुरू करने या बनाए रखने और संबंधों को विकसित करने और बनाए रखने में परेशानी।

2. मौखिक और अशाब्दिक संचार: मौखिक और अशाब्दिक संचार में कठिनाई, जैसे कि भाषा विकास में देरी या अनुपस्थिति, आवाज़ की टोन को समझने में कठिनाई और आँख से संपर्क करने में परेशानी।

 3. व्यवहार के प्रतिबंधित और दोहराव वाले पैटर्न: दोहराव वाले व्यवहार, जैसे हाथ फड़फड़ाना या शरीर हिलाना, और प्रतिबंधात्मक रुचियाँ, जैसे किसी विशिष्ट विषय में गहरी रुचि।

जब हम इसके प्रकारों के बारे में बात करते हैं तो ऑटिज़्म:

1. ऑटिस्टिक डिसऑर्डर (क्लासिक ऑटिज़्म)

 भाषा विकास, सामाजिक संपर्क और संज्ञानात्मक विकास में महत्वपूर्ण देरी की विशेषता है।

2. एस्परगर सिंड्रोम

सामाजिक संपर्क और दोहराव वाले व्यवहारों की कठिनाइयों की विशेषता है, लेकिन भाषा विकास में महत्वपूर्ण देरी के बिना।

3. व्यापक विकासात्मक विकार (PDD-NOS)

सामाजिक संपर्क और संचार में कठिनाइयों की विशेषता है, लेकिन ऑटिस्टिक विकार के लिए पूर्ण मानदंडों को पूरा किए बिना।

हम इसके कारणों और जोखिम कारकों के बारे में बात करते हैं

1. आनुवंशिकी: ऑटिज़्म या अन्य विकासात्मक विकारों का पारिवारिक इतिहास।

2. पर्यावरणीय कारक

 वायु प्रदूषण के लिए जन्मपूर्व जोखिम, माता-पिता की उन्नत आयु और गर्भावस्था के दौरान मातृ संक्रमण।

 3. मस्तिष्क की संरचना और कार्य

मस्तिष्क की संरचना और कार्य में असामान्यताएं, विशेष रूप से सामाजिक संचार में शामिल क्षेत्रों में।

जब हम इसके लक्षणों और निदान के बारे में बात करते हैं, तो ऑटिज़्म के लक्षण व्यापक रूप से भिन्न हो सकते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:

• विलंबित या अनुपस्थित भाषा विकास

• आँख से संपर्क करने में कठिनाई

• सामाजिक संकेतों को समझने में परेशानी

• दोहराव वाला व्यवहार

• संवेदी संवेदनशीलता।

निदान आमतौर पर निम्नलिखित के संयोजन के माध्यम से किया जाता है:

• व्यवहार संबंधी अवलोकन

• विकासात्मक आकलन

• चिकित्सा मूल्यांकन

जब हम इसके उपचार और सहायता के बारे में बात करते हैं तो ऑटिज़्म का कोई इलाज नहीं है, प्रारंभिक हस्तक्षेप और सहायता परिणामों में काफी सुधार कर सकती है।  उपचार विकल्पों में ये शामिल हो सकते हैं:

• व्यवहार संबंधी उपचार (जैसे, अनुप्रयुक्त व्यवहार विश्लेषण)

• भाषण और भाषा चिकित्सा

• व्यावसायिक चिकित्सा

• संबंधित स्थितियों (जैसे, चिंता, एडीएचडी) को प्रबंधित करने के लिए दवाएँ

और उचित समर्थन और समायोजन के साथ, ऑटिज़्म से पीड़ित व्यक्ति संतुष्टिदायक और सार्थक जीवन जी सकते हैं।


(लेखक मनोविज्ञान विभाग, वी.के.एम, कमच्छा में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)


मंगलवार, 1 अप्रैल 2025

Banaras में ही केवल मनाई जाती है 'Choti Eid'

ईद के दूसरे दिन से मोमिन रखतें हैं '6 नफिल रोज़ा' फिर आती है छोटी ईद 

अज़ान की सदाओं पर खोला पहला नफिल रोज़ा 
हज़रत शाह तैय्यब बनारसी के आस्ताने पर जुटे अकीदतमंद (फाइल फोटो)

Varanasi (dil India live)। पूरी दुनिया में छोटी ईद केवल बनारसी ही मनाते है। बनारस में ईदुल फित्र के दूसरे दिन से छह नफिल रोज़ा मोमिन रखते हैं। ईद के सातवें दिन फिर छोटी ईद की खुशियां मनाई जाती है। इस दौरान शहर के औरंगाबाद और मंडुवाडीह में छोटी ईद का मेला भी लगता है। आज लोगों ने ईद के दूसरे दिन नफिल रोज़ा रखा और शाम में अज़ान की सदाओं पर खजूर और पानी से रोज़ा खोला। इस दौरान इफ्तार की थाली लज़ीज़ पकवान से सजी हुई थीं। जिसका रोज़ादारो ने लुत्फ उठाया। जो लोग रोज़ा नहीं थे, वो अपने रिश्ते नातेदारों, अजीजों और दोस्तों से दूसरे दिन ईद मिलने पहुंचे। एक दूसरे से गले मिले और उन्हें मुबारकबाद दी।

छोटी ईद और हज़रत शाह तैय्यब बनारसी का उर्स

मंडुवाडीह स्थित कुतुबे बनारस हज़रत शाह तैयब बनारसी रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स 'छोटी ईद' के रूप में मनाया जाता है। उर्स के मौके पर आस्ताना परिसर में दिन भर मेला लगा रहता है। मेले में विभिन्न व्यंजनों का लोग जहां लुत्फ लेते हैं वहीं बच्चे खूब मस्ती करते हैं। छोटी ईद के मौके पर हजरत शाह तैयब बनारसी के आस्ताने पर हाजिरी देने के लिए देश के कोने-कोने से अकीदतमंदों की जुटान होती है। शाम होते ही आस्ताने पर पैर रखने की भी जगह नहीं बचती। बाबा की मजार पर गुलपोशी व चादरपोशी कर फातेहा पढ़ने वालों का सिलसिला देर रात तक चलता रहता है। इस दौरान फज्र की नमाज के बाद कुरआनख्वानी के साथ ही उर्स शुरू होता है। वहीं इशा की नमाज के बाद कुल शरीफ में अकीदतमंद शामिल होते हैं। इस मौके पर देश में अमन व खुशहाली के लिए दुआएं मांगी जाती है। वर्षो से चले आ रहे दस्तूर के मुताबिक छोटी ईद शानों-शौकत के साथ मनाई जाती है। मदरसा दारुल उलूम तैयबिया मोइनिया दरगाह शरीफ मंडुवाडह के प्रिंसिपल मोहम्मद अब्दुस्सलाम रशीदी ने बताया कि उर्स ईद के सातवें दिन मनाया जाता है। आयोजन को लेकर क्षेत्र ही नहीं बल्कि दूर दराज से आने वालों में काफी उत्साह रहता है। लोग एक-दूसरे को छोटी ईद कि मुबारकबाद देते हैं। हर कोई खुशी से लबरेज नजर आता है। 

औरंगाबाद में भी लगता है मेला

छोटी ईद पर औरंगाबाद में भी मेला लगता है। इस मौके पर हज़रत हवा शाह वह हज़रत हिम्मत शाह का अकीदत के साथ उर्स मनाया जाता है। उर्स के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ता है। गुस्ल, फातिहा और चादर पोशी का दौर देर रात तक उर्स में चलता है। यहां भी छोटी ईद कि मुबारकबाद देने और खुशियां मनाने दूर दराज से लोग जुटते हैं।

VKM Varanasi के मनोविज्ञान विभाग के मनस्विनी क्लब का शौर्य सेंटर भ्रमण

छात्राओं ने ऑटिज्म और सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित बच्चों संग बिताए समय, की बातचीत

Varanasi (dil India live). वसन्त कन्या महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के मनस्विनी क्लब ने विश्व ऑटिज्म दिवस के उपलक्ष में सुसुवाही स्थित शौर्य सेंटर फॉर थेरेपी का शैक्षणिक भ्रमण किया। इस दौरान छात्राओं ने ऑटिज्म और सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित बच्चों के साथ बातचीत की और उनकी दिनचर्या व थेरेपी प्रक्रियाओं को करीब से समझा। क्लब के सदस्यों ने शौर्य सेंटर द्वारा संचालित विशेष विद्यालय का भी दौरा किया, जहाँ उन्होंने विशेष जरूरतों वाले बच्चों की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन किया।

इस भ्रमण का उद्देश्य विशेष बच्चों की चुनौतियों और उनकी शिक्षा व थेरेपी से जुड़े पहलुओं को समझना था। Psyconnect से मिस तुलिका के नेतृत्व में यह यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हुई, जिसमें छात्राओं ने गहरी संवेदनशीलता और सीखने की जिज्ञासा दिखाई।

results distribution एवं नामांकन समारोह का आयोजन

शिक्षा वो चाभी है जिससे बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास का ताला खुलता है-एहतेशामुल हक़ 

मेधावी छात्रों को किया गया पुरस्कृत


 मोहम्मद रिजवान 

Varanasi (dil India live)। विकासखंड चिरईगांव के प्राथमिक विद्यालय गौराकलां में शैक्षिक सत्र 2024-25 का वार्षिक परीक्षा फल वितरण समारोह आयोजित कर मेधावी छात्र एवं छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रिंसिपल आरती देवी ने संचालन वरिष्ठ अध्यापिका रेखा उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम में कक्षा 1 से 5 तक के सभी प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र एवं छात्राओं को स्मृति चिन्ह व कॉपी पेन देकर पुरस्कार व प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। सभी कक्षाओं में शत प्रतिशत उपस्थिति, बेहतरीन कार्य एवं हिंदी व अंग्रेजी के बेस्ट हैंडराइटिंग वाले सभी बच्चों को भी पुरस्कृत किया गया। 


मुख्य अतिथि एसआरजी डॉ. राजीव कुमार सिंह ने संबोधित करते हुए कहा इस ग्रामीण अंचल में परिषदीय विद्यालय में इस तरह का शानदार आयोजन काबिले तारीफ है शानदार सांस्कृतिक आयोजन शिक्षकों की मेहनत का परिणाम है जो कि बेहतर पठन-पाठन के माहौल में बहुत ही सहायक है। उन्होंने बच्चों को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं भी दिया। प्रिंसिपल आरती देवी ने अतिथियों का पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर स्वागत कर सम्मानित किया। इस अवसर पर अटेवा पेंशन बचाओ मंच के जिला उपाध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक ने कहा कि शिक्षा व चाभी है जिससे बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास का ताला खुलता है बच्चे स्कूल में 6 से 7 घंटा तक शिक्षा ग्रहण करते हैं इसके बाद बच्चे अपने घर को जाते हैं तो अभिभावकों को भी चाहिए कि बच्चों का होमवर्क पूरा करें। विद्यालय में होने वाली शैक्षिक व सांस्कृतिक गतिविधियों, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज, खेलकूद प्रतियोगिता में बच्चों को बढ़ चढ़कर भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।


इस अवसर पर प्रिंसिपल आरती देवी, ग्रामप्रधान राजेश कुमार राजू, एस आर जी डॉ राजीव कुमार सिंह, अटेवा के ज़िला उपाध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक, रेखा उपाध्याय, सादिया तबस्सुम, अनीता सिंह, शशिकला, प्रमिला सिंह, ज्योति कुमारी, शक्ति कुमारी, रीना, रीता, सोनी, आशा, त्रिलोकी प्रसाद गुप्ता व काफी संख्या में अभिभावकगण, छात्र एवं छात्राएं उपस्थित थे।

Mahaveer jayanti जानिए कब है, क्या है इस पर्व का इतिहास

मैत्री भवन में महावीर जयंती पर संगोष्ठी 6 अप्रैल को 

Varanasi (dil India live)। भगवान महावीर की जन्म जयंती इस बार 10 अप्रैल को मनाईं जाएगी। हालांकि बनारस में कैथोलिक ईसाई समुदाय के वाराणसी धर्म प्रांत द्वारा संचालित मैत्री भवन इस आयोजन को सभी धर्मों के साथ 6 अप्रैल को सेलीब्रेट करेगा। मैत्री भवन के निदेशक फादर फिलीप डेनिस कहते हैं कि "काशी में जैन धर्म" का क्या रोल है, भगवान महावीर की शांति की शिक्षा कितनी कारगर, इस विषय पर एक संगोष्ठी मैत्री भवन, भेलूपुर में आयोजित की जा रही है। जिसमें सभी धर्मों के लोग शिरकत करेंगे। मुख्य अतिथि पीयुष मोर्डिया (IPS) अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, वाराणसी,  प्रमुख वक्ता प्रो. कमलेश कुमार जैन, प्रो. सुमन जैन, डा. विवेकानंद जैन, डा. आनंद कुमार जैन जैन धर्म की शांति और भाईचारे की शिक्षाओं को सभी बुद्धिजीवियों से साझा करेंगे। आयोजन में फादर फिलिप डेनिस एवं फादर येन अतिथियों का स्वागत करेंगे। यह आयोजन 6 अप्रैल को दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक मैत्री भवन सभागार में आयोजित किया गया है।

जानिए कौन हैं महावीर जैन कहां हुए पैदा 

जैन ग्रंथों के अनुसार  भगवान महावीर का जन्म चैत्र माह (हिंदू कैलेंडर) के शुक्ल पक्ष की 13 तारीख को बिहार के कुंडल ग्राम (अब कुंडलपुर) में हुआ था, जो पटना के निकट है। उस समय, वैशाली को राज्य की राजधानी माना जाता था। हालांकि, महावीर के जन्म का वर्ष विवादित है। श्वेतांबर जैन के अनुसार, महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि दिगंबर जैन 615 ईसा पूर्व को उनका जन्म वर्ष मानते हैं। उनके माता-पिता - राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला ने उनका नाम वर्धमान रखा था।


श्वेतांबर समुदाय की मान्यताओं के अनुसार, महावीर की मां ने 14 स्वप्न देखे थे, जिनकी व्याख्या बाद में ज्योतिषियों ने की, जिनमें से सभी ने कहा कि महावीर या तो सम्राट बनेंगे या ऋषि (तीर्थंकर)। जब महावीर 30 वर्ष के हुए, तो उन्होंने सत्य की खोज में अपना सिंहासन और परिवार छोड़ दिया। वे 12 वर्षों तक एक तपस्वी के रूप में निर्वासन में रहे। इस दौरान, उन्होंने अहिंसा का प्रचार किया और सभी के साथ सम्मान से पेश आएं। इंद्रियों को नियंत्रित करने में असाधारण कौशल दिखाने के कारण उन्हें "महावीर" नाम मिला। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि जब महावीर 72 वर्ष के थे, तब उन्हें ज्ञान (निर्वाण) प्राप्त हुआ था। 

सोमवार, 31 मार्च 2025

Varanasi समेत Desh Duniya में Eid का जश्न

पहले रब की बारगाह में सिजदा, फिर गले मिलकर दी ईद कि मुबारकबाद 

Varanasi (dil india live). Desh Duniya में मुक़द्दस Ramadan का एक माह का रोजा कामयाबी से मुकम्मल करने बाद सोमवार को मुसलमानों ने ईद की खुशियां मनायीं। यूं तो खुशियों का आगाज़ ईद के चांद के दीदार के साथ ही हो गया था जब हिंदुस्तान में ईद का चांद देखा जा रहा था तब खाड़ी देशों में ईद कि खुशियां मनाई जा रही थी। हिंदुस्तान में ईद का जश्न ईदुल फित्र कि नमाज़ अदा करने के बाद अपने शबाब पर पहुंच गया। मज़हबी शहर Varanasi में तो ईद का मज़ा और रंग ही औरों से जुदा है। यहां सभी मज़हब के लोग मिलजुल कर एक साथ ईद का जश्न मनाते है।

आईपीएस ने गले मिलकर दी ईद की मुबारकबाद 


Varanasi में ईद का त्योहार उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस बीच लंगडे हाफिज मस्जिद में ईद की नमाज पढ़ने के बाद अकीदतमंदों ने एक दूसरे से गले मिलकर बधाई दी। वहीं आईपीएस सरवणन टी दालमंडी में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने लोगों को गले लगाया और ईद की मुबारकबाद दी। इस दौरान एक छोटे बच्चे को भी उन्होंने हाथ मिलाकर ईद की बधाई दी। वहीं हिंदू वर्ग ने नमाजियों पर पुष्पवर्षा कर मिसाल पेश किया। लोगों के लिए यह एक सुखद एहसास था। ईद पर्व के मौके पर वाराणसी में गंगा जमुना तहजीब की यह मिसाल कबीर और नज़ीर के शहर बनारस में उस पर की याद ताज़ा कर गई, जब जयचंद की हार के बाद बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनारस में सौहार्द की ईद देखी थी। उस ईद में हिंदू मुस्लिम की अलग अलग पहचान करना मुश्किल था कि कौन हिन्दू है और कौन मुसलमान। सोमवार को भी मस्जिद में ईद की नमाज अदा करने के बाद हिंदू भाइयों ने नामजियों पर पुष्पवर्षा के साथ ही गले मिलकर ईद मुबारक कहा। तो काशी के लोगों को बनारस की पहली ईद की याद आ गई।


Varanasi में दो दर्जन ईदगाह और 500 से ज्यादा मस्जिदों में इबादतगुजारों ने रब के सामने जहां सिर झुकाया वहीं अपनी रोजी-रोटी, देश की तरक्की और अमन के लिए रब की बारगाह में हाथ उठाया। मस्जिदों और ईदगाहों में नमाजियों का सैलाब नमाज अदा करने उमड़ा था। सुबह 6 बजे से 10.30 बजे के बीच ईद की नमाज मोमिनीन ने अकीदत के साथ अदा की। मस्जिदों व ईदगाहों के आसपास मेले जैसा माहौल दिखा। नमाज पूरी होते ही एक-दूसरे से गले मिलकर सभी ने ईद की मुबारकबाद दी। बड़ों ने छोटों को ईदी दिया तो वे निहाल हो उठे। गरीबों और मिसकीनों का भी लोगों ने ख्याल रखा। किसी ने फितरे की रकम तो किसी ने सदका व खैरात देकर गरीबों की मदद की। 

यहां अदा हुई नमाज़े ईदैन


कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच  ईदगाह पुरानापुल पुल्कोहना में मौलाना शकील, ईदगाह गोगा की बाग जलालीपुरा में मौलाना नुरुल हसन, ईदगाह शक्कर तालाब अहले हदीस में मौलाना अहसन जमील मदनी, ईदगाह मस्ज़िद लंगर नवापुरा में मौलाना इरशाद रब्बानी, जामा मस्ज़िद खोज़ापुरा मैदान में मौलाना जाहिर अहमद, मस्ज़िद शहीद बाबा सरैयां बाजार में हाफिज गुलाम, मस्ज़िद सुन्नी इमामबाडा सरैया में मौलाना इक़बाल अहमद सेराज़ी, शिया इमामबाडा सरैयां में मौलाना जफ़रुल हुसैनी, बड़ी मस्ज़िद सरैयां पक्का महाल हाफिज खैरुद्दीन, जामा मस्ज़िद कमल गडहा में मौलाना आज़ाद, नई मस्ज़िद शिया हज़रात दोषीपुरा में मौलाना जफ़र हुसैन, मीनार वाली मस्ज़िद कमालपुरा में मौलाना निजाम ने नमाज अदा कराया। मस्जिद लाट सरैया में मौलाना जियाउर्रहमान ने नमाज तो खानकाह शक्कर तालाब में मुफ्ती-ए-बनारस अहले सुन्नत मौलाना मोइनुद्दीन अहमद फारुकी प्यारे मियां, शाही मस्जिद ढाई कंगूरा में हाफिज नसीम अहमद बशीरी, शाही मुगलिया मस्जिद बादशाहबाग में मौलाना हसीन अहमद हबीबी, मस्जिद लंगड़े हाफिज में मौलाना जकीउल्लाह असदुल कादरी, सदर इमामबाड़े में मौलाना जफरुल हुसैनी, ईदगाह विद्यापीठ में मुफ्ती शमीम, मस्जिद उल्फत बीबी में मौलाना साकीब रजा, मस्जिद खाकी शाह में मौलाना मुनीर, जामा मस्जिद कम्मू खां डिठोरी महाल में मौलाना शमशुद्दीन साहब ने नमाज अदा करायी।

शाही मस्जिद ज्ञानवापी में मौलाना अब्दुल आखिर नोमानी, मस्जिद नगीना में हाफिज सैफुल मलिक, मस्जिद सुल्तानिया में अब्दुल्लाह सऊद अत्तारी, मदनपुरा अल्लू की मस्जिद हाफिज अनस, ऊंची मस्जिद में मौलाना एहसन कमाल, ढोमन की मस्जिद में कारी फराज अहमद, मस्जिद बरतला में वासिफ रज़ा, मस्जिद जहांगीर हटिया में हाफ़िज़ शुऐब व हाफिज मो. ताहिर ने मस्जिद याकूब शहीद में नमाज अदा करायी। खोजित कुआं में मौलाना वकील अहमद मिस्बाही, ईदगाह मस्जिद लाटशाही में हाफिज हबीबुर्रहमान, जामा मस्जिद नदेसर में मौलाना मजहरुल हक, मस्जिद टकटकपुर कब्रिस्तान में मौलाना अजहरुल कादरी, मस्जिद शाह तैय्यब बनारसी में मौलाना अब्दुस्सलाम, मस्जिद हज़रत शाह मूसा में हाफ़िज़ ख़ालिक़ जमाल, मस्जिद नगीना में हाफिज सैफुल मलिक, मस्जिद सुल्तानिया में अब्दुल्लाह सऊद अत्तारी, मदनपुरा अल्लू की मस्जिद में मौलाना शकील, ऊंची मस्जिद में मौलाना एहसन कमाल, ढोमन की मस्जिद में कारी फराज अहमद, ईदगाह दायम खां हाफिज नसीर, मस्जिद बरतला में अयाज महमूद व हाफिज मो. ताहिर ने मस्जिद याकूब शहीद में नमाज अदा करायी। ऐसे ही मस्जिद बुलाकी शहीद अस्सी, मस्जिद नईबस्ती गौरीगंज, मस्जिद हबीबिया गौरीगंज, आलमगीर मस्जिद धरहरा, मस्जिद कुश्ताबेगम, मस्जिद मदीना, मस्जिद गौसिया, मस्जिद ताराशाह, मस्जिद छित्तनपुरा इमलिया तले, मस्जिद नूरैन समेत शहर और आसपास की मस्जिदों में ईदुल फितर की नमाज पूरी अकीदत के साथ अदा की गई। इसी के साथ ईद का सप्ताह भर चलने वाला महापर्व शुरू हो गया। इस हिंदू-मुस्लिम से गले मिलने का नजारा गंगा-जमुनी शहर Varanasi की तस्वीर पेश करने में सफल रहा। लोहता, लालपुर, कोटवा, बाबतपुर, रामनगर, मिल्कीपुर आदि ग्रामीण इलाकों में भी ईद की खुशियां धूमधाम से मनायी गयीं। Varanasi में ईद की नमाज सकुशल संपन्न होने पर जिला व पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली। इस दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा ईद-उल-फितर के अवसर पर प्रमुख मस्जिदों व ईदगाहों पर व्यवस्था संभाली। लाट सरैया में मुस्तैद पुलिस कर्मियों को ईद की नमाज को सकुशल सम्पन्न होने पर चौदहो के सरदार मकबूल हसन, हाजी मो. सुहैल आदि ने ईद की मुबारकबाद पेश की।


घरों में चला दावतों और जश्न का दौर 

ईद जैसे ग्लोबल पर्व पर सेवइयों की घुलन ने हर एक को अपने आगोश में ले लिया, हर आमो-खास ईद के रंग में रंगा नजर आया। ईद की नमाज अदा कर लौटे लोगों ने दूसरे वर्ग के लोगों को ईद की दावत दी। मुस्लिम घरों में दावतों का शुरू हुआ सिलसिला देर रात तक चलेगा। हिंदू-मुस्लिमों ने गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। कई जगहों पर ईद पार्टी रखी गयी थी। पार्टी में शामिल होने वालों के हिसाब से मीनू तैयार किया गया था। कुछ मुस्लिम घरों में गैर-मुस्लिमों के लिए सेवइयों के साथ नवरात्र को देखते हुए शाकाहारी सब्जी और पूड़ी का इंतजाम भी था। यहां ईद मिलने समाजिक संगठनों व सियासी दलों के लोगों का हुजूम जुटा हुआ था। 


ईदी पाकर निहाल हुए बच्चे

माहे रमज़ान का रोज़ा मुकम्मल करने के बाद लाखों मुसलमानों ने मज़हबी शहर बनारस में सभी मज़हब के लोगों संग मिलकर ईद की खुशियां मनायी। खुशियों का आगाज़ नमाज़-ए-ईदुल फित्र अदा करने के साथ हुआ। शहर के तकरीबन एक दर्जन ईदगाह और पांच सौ से ज्यादा मस्जिदों में इबादतगुज़ारों ने रब के सामने जहां सिर झुकाया वहीं अपनी रोज़ी रोटी, देश की तरक्की और खुशहाली के लिए रब की बारगाह में हाथ उठाया। इस मौके पर मस्जिदों और ईदगाहों में नमाजियों का जन सैलाब नमाज़ अदा करने उमड़ा हुआ था।


दीनी और दुनियावी दोनों तालीम करें हासिल 

दीनी और दुनियावी दोनों तालीम हासिल करना मौजूदा वक्त में सभी लोगों के लिए जरूरी है। अगर आप बेहतर तालीम अपने बच्चों को देंगे तो उनका मुस्तकबिल संवर जाएगा। बहुत लोग कहते हैं कहा से पढ़ाई कराएं पैसा नहीं है। मैं आपसे कह रहा हूं आज वो दौर है की सरकार की बहुत सी स्कीम है जिसका फायदा लेकर मुफ्त में या बहुत कम पैसों में तालीम हासिल की जा सकती है। मैं तो ये कहता हूं कि चटनी रोटी ही क्यों न हासिल करना पड़े मगर हर हाल में बच्चों को दीनी के साथ ही आधुनिक तालीम भी दें। यह तकरीर मशहूर आलिम मौलाना अजहरुल कादरी ने मस्जिद टकटकपुर में ईद की नमाज़ से पहले की। उन्होंने कहा कि नबी ने कहा था इल्म हासिल करना चाहते हो तो चीन तक जाना हो तो जाओ। उस दौर में अरब से चीन की दूरी कितनी ज्यादा थी, न तो ट्रेन थी न जहाज़ फिर भी तालीम के लिए चीन तक जाने के लिए कहना तालीम के महत्व को व अहमियत को बयां करता है।


पुरखों के दर पर हाजिरी

ईद की नमाज के बाद लोगों ने शहर के कब्रिस्तानों में जाकर वलियों, बुजुर्गों व अपने पुरखों के दर पर हाजिरी लगाई और फातेहा पढ़ा। टकटकपुर, हुकुलगंज, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, बजरडीहा, जलालीपुरा, गौरीगंज, फातमान आदि आस्ताने पर हाजिरी लगाई गई। हजरत लाटशाही बाबा, चंदन शहीद, हजरत याकूब शहीद, बहादुर शहीद, हज़रत शाह तैय्यब बनारसी, हरदाम शाह बाबा, हज़रत शाह मूसा व पीर आले शाह बाबा आदि के आस्ताने पर भी अकीतदमंदों का हुजूम उमड़ा। 

हज कमेटी के सदस्य सर्वर सिद्दीकी ईदगाह में लोगों को मुबारकबाद देते