Varanasi (dil india live). इनरव्हील क्लब वाराणसी मित्रम द्वारा द्वारिका होटल लंका, BHU ट्रॉमा सेंटर के सामने नवगठित टीम का शपथ ग्रहण समारोह मनाया गया। इसमें मुख्य अतिथि PAT अंजलि अग्रवाल गेस्ट ओफ़ ऑनर एसोसीएशन ट्रेज़रर अर्चना बाजपेई, ESO आशा अग्रवाल, कोऑर्डिनेटर रेणु कैला एवं अन्य क्लब की अतिथि मौजूद रहीं। मित्रम की सभी सदस्य इस समारोह में हर्षोल्लास से उपास्थित हुई। नवगठित टीम में नूतन रंजन ने अध्यक्ष पद की शपथ लिया, सेक्रेटेरी- चंद्रा शर्मा, वाइस प्रेसिडेंट- ममता तिवारी, ट्रेज़रर- सरोज राय, ISO- रीता कश्यप , एडिटर - उमा केशरी ने भी अपना पद ग्रहण का शपथ लिया। अध्यक्ष नूतन रंजन ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें बाधाइयाँ दीं। कार्यक्रम का संचालन शीला अग्रवाल एवं धन्यवाद ज्ञापन वाइस प्रेसिडेंट ममता तिवारी ने किया। इस अवसर पर क्लब की सभी सदस्य - रीता भट्ट, रानी केशरी, अमृता शर्मा, पल्लवी केशरी, सतरूपा केशरी, मंजु केशरी , सुनीता अग्रवाल, रेखा अग्रवाल, निशा अग्रवाल, सुषमा अग्रवाल, अमृता रानी, पारुल, सरिता, संगीता अग्रवाल आदि मौजूद थीं।
बुधवार, 13 जुलाई 2022
एएमयू का बजट घटाये जाने से अल्पसंख्यक कांग्रेस में रोष
Varanasi (dil india live). अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का बजट घटाए जाने से कांग्रेसियों में रोष व्यक्त किया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेंहदी कब्बन ने एक विज्ञप्ति में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का बजट 62 करोड़ से घटाकर 9 करोड़ करने को लेकर अल्पसंख्यक कांग्रेस में रोष है।
कब्बन ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव भी नहीं हो रहा हैं जिससे छात्रों की जायज मांग विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष नहीं उठ पा रही हैं। यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तावित एएमयू के चार बड़ केंद्रों को जल्द से जल्द शुरू करने की भी मांग की है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का बजट 100 करोड़ करने की कांग्रेस जनों ने मांग की है। उन्होंने अपने बयान में आगे कहा कि सरकार बजट में कटौती कर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को बंद करने की साजिश रच रहा है। जल्द ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम के नेतृत्व में एक जन आंदोलन चलाया जाएगा जिसकी शुरुआत पहले मानव संसाधन मंत्रालय को ज्ञापन देकर की जाएगी।
पं. दीनदयाल चिकित्सालय में फिर से शुरु हुई दंत चिकित्सा सेवा
नये संसाधनों, उपकरणों के साथ दंत रोगियों का हो रहा निःशुल्क उपचार
Varanasi (dil india live). दंत रोगियों को अब इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय में दंत चिकित्सा सेवा फिर से शुरू कर दी गयी है। नये संसाधनों के साथ शुरू की गयी इस सेवा का दंत रोगी लाभ उठा सकते हैं।
पं. दीनदयाल चिकित्सालय दंत विभाग की प्रभारी डा. निहारिका मौर्या ने बताया कि ओपीडी में हर रोज औसतन 40 से 50 मरीज देखे जा रहे हैं। जरूरत के अनुसार उनकी सर्जरी भी की जा रही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल दंत चिकित्सा की सभी जरूरी सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं। मसलन खराब दांत को निकालना, उनकी सफाई, फीलिंग आदि उपचार किये जा रहे हैं।
दांतोंके प्रति न बरतें लापरवाही
डा. निहारिका कहती हैं दांत हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। इसके प्रति बरती गयी लापरवाही न केवल हमारे स्वास्थ्य बल्कि व्यक्तित्व पर भी प्रभाव डालता है। शरीर के अंदर होने वाली कई बीमारियों का कारण खराब दांत और खराब मसूढ़े होते हैं। लिहाजा इनके प्रति सभी को संवेदनशील होना चाहिए। आम तौर पर दांत की बीमारियों की लोग अनदेखी करते हैं। चिकित्सक के पास तब जाते है जब उन्हें दांत या मसूढ़े में तेज दर्द होने लगता है, जबकि थोड़ी सी सावधानियों से हम दंत रोगों से बच सकते हैं। डा. निहारिका ने कहा कि दांतों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए खाने के बाद उसे अच्छी तरह साफ करना जरूरी होता है। ऐसा न करने पर खुराक दांतों में फंस जाता है और कुछ समय बाद उसमें सड़ांध शुरू होजाती है। वह कहती हैं कि एक ही ब्रश कई महीनों तक इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उसे समय-समय पर बदलते रहना चाहिए ताकि खराब ब्रश दांतों व मसूढ़ों को नुकसान न पहुंचा सकें।
यहां करें सम्पर्क
डा. निहारिका का कहना है कि दंत रोग होने पर उसका तुरंत उपचार कराना चाहिए। पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय के कक्ष संख्या 313 में किसी भी कार्यदिवस में सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक दंत चिकित्सा सेवा निःशुल्क उपलब्ध है। दंत रोगी इसका लाभ उठा सकते हैं।
अत्याधुनिक नंदघरों का लोकार्पण
ब्लाक प्रमुख ने किया लोकार्पण
25 को सौंपी गई चाभियाँ
आराजी लाईन के 14 नंद घर की आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को मिला आईएसओ प्रमाण पत्र
Varanasi (dil india live). वाराणसी के आराजीलाईन ब्लॉक के ग्राम सभा रखौना स्थित नंदघर में अवार्ड रिवार्ड कार्यक्रम का अयोजन वेदांता की सहयोगी संस्था हुमाँना पीपल टू पीपल इंडिया के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आराजीलाईन ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि डा. महेंद्र सिंह पटेल विशिष्ट अतिथि सीडीपीओ अंजू चौरसिया ने रखौना गाँव सहित चयनित 14 नंद घर की आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को आईएसओ प्रमाण पत्र और उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र सम्मानित किया। इस दौरान सराहनीय कार्य के लिए कार्यकत्री को उपहार देकर सम्मानित किया गया, इसके पहले अतिथियों ने रखौना गाँव के कायाकल्प हुए अत्याधुनिक नंदघर का दीप प्रज्वलन कर लोकार्पण किया, अंत में संस्था के पदाधिकारियों ने चयनित कायाकल्पित 25 नंद घरों की चाभियाँ अतिथियों के हाथों कार्यकत्रियो को सौंपा यानी उक्त नंदघरो को हैंडओवर किया। कार्यक्रम में जिला समन्वयक भानू सिंह, वेदांता से रोहित कुमार, उप जिला समन्वयक अर्जुन कुमार, आजाद सिंह, प्रमोद कुमार, संगीता देवी, श्रृंखला श्रीवास्तव, चांदनी राय उपस्थित रहे। जिला समन्वयक भानू सिंह के द्वारा नंद घर के बारे मे विस्तार से बताया गया और साथ ही ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि डा. महेंद्र सिंह पटेल ने भी नंद घर कार्यक्रम की सराहना की कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता, अनिल पटेल, शोभनाथ पटेल, विक्रमा पटेल, कमल, राहुल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। संचालन रामसिंह वर्मा ने किया तो वही आभार अर्जुन कुमार ने किया।
भारतीय सांस्कृतिक पर्व गुरुपूर्णिमा
Dr. Sanjay Kumar
MP (dil india live). भारतीय संस्कृति में गुरु का विशेष महत्व माना गया है। गुरु ही मनुष्य में ज्ञान का आधान करता है। इसलिए आषाढ पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। यद्यपि भारत देश ऋषि प्रधान देश रहा है, हर युग में ऋषियों के प्रति आदर - सम्मान का भाव देखने को मिलता है।काश्यप, आंगिरा, भृगु, वशिष्ठ, अगस्त्य, भारद्वाज, जमदग्नि, विश्वामित्र, याज्ञवल्क्य, जैमिनी, बाल्मीकि, दुर्वाषा आदि की एक वृहद ऋषि परंपरा देखने को मिलती है। इन सभी के प्रति शिष्यों द्वारा अपार श्रद्धा का भाव भी दृष्टिगोचर होता है। यह देश ज्ञान वैभव का देश है। यहाँ अपरा और परा विद्याओं का संगम है। आत्मा तथा शारीर के साथ ही आदिभौतिक , आदिदैविक और आध्यात्मिक चिन्तन परम्परा का विकास ऋषियों के मनीषा से ही व्यक्त होती है। भारत में ज्ञान के मूलभूमि ऋषि ही हैं। क्योंकि सभी शास्त्र उन्ही के द्वारा श्रुत परंपरा से संरक्षित रहे हैं। इसलिए ऋषि परंपरा को ही गुरुपरंपरा के रूप वन्दना की जाती है। लेकिन एक मान्यता के अनुसार महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन हुआ था। उन्हीं के सम्मान में आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन ही गुरु पूर्णिमा पर्व का आयोजन होता है। ऐसा भी बताया जाता है कि इसी दिन महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों व मुनियों को सर्वप्रथम श्रीमाद्भागवद्पुरण का उपदेश दिया था। श्रीमाद्भागवद्पुरण उनके अट्ठारह पुराणों में इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि इसमें भगवत- भक्ति के द्वारा मोक्ष का मार्ग बतलाया गया है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि महर्षि वेदव्यास ने ब्रह्मसूत्र को लिखना इसी दिन प्रारंभ किया था। इसलिए वेदांत दर्शन के प्रारंभिक दिन को गुरुपूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है| ब्रह्मसूत्र वेदान्त दर्शन का वह ग्रन्थ है जो जीव–व्रह्म की एकता की घोषणा करता है। यहाँ यह भी बताना उचित होगा कि भक्ति काल के संत श्रीघासीदास का जन्म भी आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही हुआ था। जो कबीर दास के शिष्य थे|पूर्णिमा के दिन का भौगोलिक रूप से भी अत्यधिक महत्व माना जाता है। इस दिन चंद्रमा का पृथ्वी के जल से सीधा संबंध होता है| फलत: समुद्र में ज्वार- भाटा उत्पन्न हो जाता है। चंद्रमा समुद्र के जल को अपनी ओर खींचता है। यह क्रिया मनुष्य को भी प्रभावित करती है क्योंकि मनुष्य के शरीर में भी अधिकांश भाग जल का ही है |इसलिए मनुष्य के शरीर की जल की गति बदल जाती है |गुण में भी परिवर्तन हो जाता है। आत्म- विस्तार की स्थिति बनने लगती है जिससे एक अपूर्व आनंद की अनुभूति है।
महर्षि वेदव्यास संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे।उन्हें कृष्ण द्वैपायन भी कहा जाता है | वे आदि गुरु हैं| इसलिए उनके जन्मदिन आषाढ़पूर्णिमा को गुरुपूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वेदांत दर्शन व अद्वैत वाद के संस्थापक वेदव्यास ऋषि पाराशर के पुत्र थे तथा उनकी माता का नाम सत्यवती था। पत्नी आरुणि से उत्पन्न महान बाल योगी सुखदेव इनके पुत्र हैं| एक परंपरा के अनुसार पांडू, धृतराष्ट्र और विदुर भी महर्षि वेदव्यास के संतान माने जाते हैं | वेदव्यास ने महाभारत, ब्रह्मसूत्र ,18 पुराण ,18 उपपुराण की रचना किए हैं |इसके अतिरिक्त इन्होंने वेदों को उनके विषय के अनुसार ऋग्वेद, यजुर्वेद ,सामवेद, अथर्ववेद के रूप में चार भागों में विभाजित किया है| महर्षि वेदव्यास की शिष्य परंपरा में पैल ,जैमिनी, वैशंपायन, समन्तु मुनि , रोमहर्षण आदि का नाम महत्वपूर्ण रूप से सामने आता है| यह आषाढ़ पूर्णिमा गुरु महात्मा का पर्व है| इस दिन गुरु की पूजा का विधान शास्त्रों में मिलता है |गुरुपूर्णिमा वर्षा ऋतु में पङती है। इस दिन से 4 महीने तक परिव्राजक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान का प्रकाश चारों ओर बिखेरते हैं। यह 4 माह प्राकृतिक रूप से बहुत रमणीय होता है| ना अधिक गर्मी पड़ती है ना सर्दी का भान होता है| इसलिए चाहे ज्ञान क्षेत्र हो या अध्ययन क्षेत्र हो दोनों दृष्टि से यह समय बड़ा ही उपयुक्त माना जाता है। ऐसे समय में साधक द्वारा की गई साधना फलीभूत होती है। ठीक वैसे ही जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा की शीतलता एवं पौधे उत्पन्न करने की शक्ति मिलती है वैसे ही गुरु के सानिध्य में उपस्थित होकर साधकों की ज्ञानशक्ति, भक्ति, शांति और योग की प्राप्ति होती है।
यद्यपि भारतीय संस्कृति ऋषियों का आचरण –व्यावहार द्वारा परिष्कृत संस्कृति है | यहाँ पर ऋषियों –मुनियों के प्रति जीवन के प्रारम्भिक काल से ही श्रद्धा का भाव देखने को मिलता है | ऋषि अपने आचरण मात्र से शिष्यों के अन्त: करण में ज्ञान का प्रकाश प्रज्वलित कर देता है |ऋषि ज्ञान का प्रकाश अत्यंत गंभीर ,गुरु व भारी होता है | इसी लिए उपदेशक ऋषियों को गुरु की संज्ञा से विभूषित किया गया है |गुरु शब्द दो वर्णों के योग से बना है –गु और रु | गु का अर्थ होता है–अंधकार या अज्ञान तथा रु का अर्थ होता है– हटाने वाला या अवरोधक। इसलिए गुरु शब्द का अर्थ अज्ञान को हटाने वाला या अंधकार को दूर करने वाला होता है। गुरु का ज्ञान भारी है, गुरु का कार्य भारी है और गुरु की सेवा भी भारी ही है | इसलिए वह गुरु कहलाता है | गुरु ही अज्ञान तिमिर का अपने ज्ञानांजन शलाका से हरण कर देता है |यानि अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने का कार्य गुरु ही करता है | जिसके सम्बन्ध में ठीक ही कहा गया है –
अज्ञान तिमिरंध्श्च ज्ञानांजन शलाकया |
चक्षुन्मिलितं येन तस्मै श्री गुरुवे नम: ||
एक बात और ध्यान देने योग्य है कि गुरु का महत्व सभी धर्मों व सम्प्रदायों में है | जैन, बौद्ध , सिक्ख ,इसाई,पारसी,इस्लाम आदि सभी किसी न किसी रूप में गुरु की सत्ता में विश्वास रखते है | सभी गुरु का आदर करते हैं |क्योंकि गुरु ही सबके ज्ञान का आधार है | मैं ऐसा धर्म ,संप्रदाय ,जाति नहीं देखता हूँ जो विना गुरु का हो , सबके अपने –अपने गुरु हैं |गुरु के महात्म्य के सम्बन्ध में आदिकवि वाल्मीकीय भी कहते हैं –
स्वर्गोधनं वा धान्यं वा विद्या पुत्रा: सुखानि च |
गुरुवृत्यनुरोधेन न किंचिदपि दुर्लभम् || (१/३०/३६)
अर्थात् गुरुजनों की सेवा का अनुसरण करने से स्वर्ग ,धन ,धान्य,विद्या ,पुत्र ,और सुख कुछ भी दुर्लभ नहीं होता है | यहाँ सेवा से अभिप्राय गुरु का अनुशासन है, उसका निर्देश ही सेवा है | भारतीय परंपरा में गुरु को व्रह्म , विष्णु और महेश के समकक्ष मानते हुए का गया है _
गुरुर्वह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:|
गुरु साक्षात् परव्रह्म तस्मै श्री गुरवे नाम ||
हिंदी के भक्तकवि तुलसीदास भी गुरु -गौरव के विषय में कहा है –
श्रीगुरुचरन सरोज रज निज मनु मुकुर सुधारी |
वरनऊँ रघुबर विमल जसु जो दायक फल चारी ||
इस प्रकार भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान बहुत श्रेष्ठ है। सभी मनुष्य के जीवन में ज्ञानी गुरु की महती आवश्यकता होती है। गुरु ही जीवन लक्ष्य का प्रकाशक होता है। मनुष्य जीवन तो एक हाड.–मास के पुतले के समान है| उस पुतले को ज्ञान संपन्न ,गुण सम्पन्न और विवेक संपन्न गुरु ही बनता है। उसके विना देवता भी अधूरे हैं। राम और कृष्ण भी विना गुरु के ज्ञानी नहीं बन सके। गुरु शास्त्र और शस्त्र से शिष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। वही जीवन में परम ज्योति जलाता है। इतिहास साक्षी बिना गुरु के ज्ञान से कोई भी संवृद्ध नहीं हुआ है। यह गुरुपूर्णिमा पर्व समस्त ऋषि व गुरुपरंपरा का प्रतीक शुभ दिवस है।
(लेखक संस्कृत विभाग, डाक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर ( म.प्र.) में सहायक आचार्य हैं।
Mo.No.8989713997,9450819699
Email-drkumarsanjayBhu@gmail.com)
मंगलवार, 12 जुलाई 2022
गर्भवती न करें नादानी वर्ना गर्भस्थ को हो सकती है परेशानी
गर्भावस्था में कुपोषण की जद में आने का मां ही नहीं बच्चे पर भी पड़ता है दुष्प्रभाव
अविकसित अंग, ब्रेन डैमेज के साथ ही गर्भपात का भी रहता है जोखिम
Varanasi (dil india live). यदि आप गर्भवती हैं तो पौष्टिक आहार पर विशेष ध्यान दें। इसमें जरा सी भी लापरवाही सिर्फ गर्भवती ही नहीं बल्कि गर्भस्थ के लिए भी नुकासनदायक हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुपोषण से समय से पहले जन्म, गर्भपात जैसी समस्या के अलावा अविकसित अंग, ब्रेन डैमेज जैसी गंभीर बीमारियों का भी सामना शिशु को करना पड़ सकता है।
जिला महिला चिकित्सालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मधुलिका पाण्डेय का कहना है कि अच्छी सेहत के लिए शरीर को पोषक तत्वों की विशेष जरूरत होती है। एक महिला के लिए यह नितांत जरूरी तब और हो जाता है जब वह गर्भवती होती हैं । गर्भावस्था में होने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए मां को पोषक तत्व ही सहारा देता है। गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए भी यह जरूरी होता है। शरीर को पर्याप्त पोषक तत्वों के न मिलने से गर्भवती कुपोषित हो जाती है।
कुपोषण से गर्भवती को जोखिम
डा. मधुलिका का कहना है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कुपोषण होता है, प्रसव के दौरान उनको ज्यादा जोखिम रहता है। कुपोषण से ग्रसित ऐसी महिलाएं कभी-कभी गर्भपात की भी शिकार हो जाती हैं । ऐसी अधिकतर गर्भवती आयरन की कमी के चलते एनीमिया की समस्या से ग्रसित हो जाती हैं। उनके शरीर में लालरक्त कणिकाएं कम हो जाती हैं, जिसकी वजह से उन्हें पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती है। प्रोटीन और ब्लडप्रेशर इतना बढ़ जाता है कि उससे गर्भवती को जान का भी जोखिम रहता है।
गर्भस्थ को जोखिम
जिला महिला चिकित्सालय की *बाल रोग विशेषज्ञ डा. मृदुला मल्लिक* बताती हैं कि मां के कुपोषित होने से गर्भ में पल रहे शिशु का ठीक से विकास नहीं हो पाता। इससे उसकी गर्भ में ही मृत होने की आशंका बनी रहती है अथवा वह अविकसित अंगों वाले शिशु के रूप में भी जन्म लेता है। ऐसे अधिकतर बच्चे जन्म के समय कम वजन वाले होते हैं और कई बीमारियों से उनके ग्रसित होने की आशंका ज्यादा होती है। बड़े होने पर ऐसे बच्चों में ब्रेन डैमेज, ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर,डायबिटीज होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है।
बरतें सतर्कता-
स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मधुलिका पाण्डेय का कहना है कि स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए गर्भधारण के साथ ही महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। इसके लिये उन्हें पौष्टिक आहार का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना जरूरी होता है। इसके साथ ही उन्हें समय-समय पर अपने करीब के स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराते रहना चाहिए। यहां से निःशुल्क मिलने वाली आयरन व कैल्शियम की गोली का सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार करना चाहिए | आंगनबाड़ी कार्यकताओं के माध्यम से सरकार की ओर से वितरित किये जा रहे निःशुल्क पोषक आहार का लाभ उठाना चाहिए। उनका कहना है कि गर्भवती को हर चार घंटे में कुछ न कुछ जरूर खाना चाहिए।हरी सब्जियां, दाल, राजमा, सोयाबीन, काबुली चना, दूध, अण्डा, मांस के साथ ही केला, अनानास,संतरा जैसे फल भी गर्भवती लिए फायदेमंद होते हैं।गर्म व मसालेदार चीजें खाने से गर्भवती को बचना चाहिए।गर्भवती को सब्जियों का सूप और जूस लेना चाहिए।
रविवार, 10 जुलाई 2022
Eid-ul-azha mubarak 2022: ईदुल अजहा की नमाज़ के साथ बकरीद का जश्न शुरु
कुर्बानी से पहले किया ईदुल अजहा की नमाज़ अदा
Varanasi (dil india live). देश-दुनिया के साथ ही बनारस में सुबह ईदुल अजहा की नमाज़ के साथ बकरीद का जश्न पूरी अकीदत के साथ शुरु हो गया। नमाज के बाद लोगों ने एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद दी। मसजिदों और ईदगाह से नमाज़ मुकम्मल करके अकीदतमंद घर पहुँचे जहां कुर्बानी का सिलसिला शुरु हुआ। नमाज़ के दौरान उलेमा ने अपनी तकरीर में जहां लोगों को दीन के रास्ते पर चलने की दावत दी वही बकरीद के दिन को कुर्बानी और त्याग का दिन बताया। उलेमा ने कहा कि जानवर का गोश्त और हड्डी रब के पास नहीं जाती बाल्कि रब हमारी नियत देखता है, इसलिए हमे चाहिए कि जब भी हमारी जरुरत हो हम कुर्बानी के लिए तैयार रहे। वो कुर्बानी धन, दौलत, जानवर ही नहीं बाल्कि अपनी कौम और वतन के लिए भी हो सकती है। इस दौरान मुल्क में अमन, मिल्लत बुराईयों के खात्मे के लिए भी दुआएं मांगी गई।
पता हो कि इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के मुताबिक, कुर्बानी का त्योहार बकरीद रमजान के दो महीने बाद आता हैं। इस्लाम धर्म में बकरीद के तीन दिन आमतौर पर छोटे-बड़े जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। इस दिन जानवर को अल्लाह की राह में जहां कुर्बान कर दिया जाता हैं। वहीं काबा में ज़ायरीन हज के अरकान मुकम्मल करते हैं।
बकरीद की जाने क्या है कहानी
बकरीद पैगम्बर हजरत इब्राहिम की सुन्नत है। एक बार खुदा ने हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लेने के लिए आदेश दिया कि हजरत अपनी सबसे अजीज की कुर्बानी दें। हजरत इब्राहिम के लिए सबसे अजीज उनका बेटे हजरत इस्माइल थे, जिसकी कुर्बानी के लिए वे तैयार हो गए। उन्हे कुर्बानी के लिए ले भी गये मगर ऐन कुर्बानी से पहले रब ने हजरत इस्माईल की जगह ये कहते हुए कुर्बानी के लिए दुम्बा भेज दिया कि वो हज़रत इब्राहिम का इम्तेहान ले रहे थे और इम्तेहान में वो पास हो गये, तभी से कुर्बानी का पर्व मनाया जाता है।
अल सुबह हुई नमाजें
इस साल 10 जुलाई को पूरे देश में बकरीद का पर्व शुरु हुआ। ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज सुबह 6 बजे से लेकर 10.30 बजे तक अदा की गई। कई जगहों पर मस्जिद और ईदगाहों के आसपास मेले जैसा माहौल दिखाई दिया। नमाज़ मुकम्मल करके जब मोमिन घर पहुंचे, घरों में सेवईयों का लुत्फ उठाया।
शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण
बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...
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मुकम्मल की कुरान तो हाफिज साहेब को मिला इनाम में Varanasi (dil India live). अमूमन मस्जिदों में मुक़द्दस रमजान की खास नमाज़ तरावीह मुकम्मल कर...
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सुल्तान ने 275 लोगों का किया स्वास्थ्य परीक्षण निःशुल्क दवा वितरित की गई व 25 गुमशुदा बच्चों को अभिभावकों से मिलाया गया Varanasi (dil India...
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असामाजिक तत्वों से समाज का सभी वर्ग संयुक्त रुप से करे मुकाबला : हाफिज़ उबैदुल्लाह सांप्रदायिक तत्व देश के विकास में हैं बाधक, ऐसे तत्वों के...