जंज़ीर का मातम देख खड़े हुए रोंगटे
ग़म का अय्याम हुआ पूरा, अब मनेगी ईदे जेहरा की खुशी
Varanasi (dil india live) . दालमंडी के पुरानी अदालत सिथत शब्बीर और सफदर के अजाखाने से सैकड़ों वर्ष कदीमी साठे का जुलूस पूरी अकीदत के साथ निकाला गया। जुलूस में अंजुमन हैदरी चौक के नौहेखां दर्द भरे नौहों से लोगों को कर्बला के मंजर बयां कर रहे थे। दर्द भरे नौहों के बीच तमाम लोगों ने जंजीर का मातम किया। गढ़े हुसैन के आखिरी दौर में ज़ंजीर का मातम देख लोगों के रोंगटे खड़े हो गए।
Varanasi (dil india live) . दालमंडी के पुरानी अदालत सिथत शब्बीर और सफदर के अजाखाने से सैकड़ों वर्ष कदीमी साठे का जुलूस पूरी अकीदत के साथ निकाला गया। जुलूस में अंजुमन हैदरी चौक के नौहेखां दर्द भरे नौहों से लोगों को कर्बला के मंजर बयां कर रहे थे। दर्द भरे नौहों के बीच तमाम लोगों ने जंजीर का मातम किया। गढ़े हुसैन के आखिरी दौर में ज़ंजीर का मातम देख लोगों के रोंगटे खड़े हो गए।
दरअसल इमाम हसन वह इमाम हुसैन समेत कर्बला के मैदान में 72 लोग शहीद हुए। शहीदों की याद में ही शिया मुस्लिम 2 महीना 8 दिन ग़म मनाते हैं। साठे के जुलूस के साथ ग़म का अय्याम पूरा हो गया। अब शिया वर्ग ईदे जेहरा की खुशियों में डूबा नजर आएगा। उसके बाद यौमुननबी वीक मनेगा।
जुलूस अपने कदीमी रास्ते दालमंडी, नई सड़क, पाठक शेख सलीम, काली महाल, पितरकुंडा, लल्लापुरा होते हुए फातमान पर जाकर समाप्त हो गया। जुलूस में जगह जगह तबर्रुक बांटा गया। जुलूस में प्रमुख रूप से शहीद, अनवर काजिम, करार काजिम, नयाब रज़ , अब्बास मुर्तुजा शम्सी, लियाकत अली, शराफत अली, नदीम, शकील अहमद जादूगर समेत हजारों लोग मौजूद थे।
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