#Guru Nanak Jayanti 2020
धरती से अज्ञानता का अंधेरा दूर करने आये थे गुरु नानक देव
देवो की दीपावली
गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन मनाई जाती है. इस दिन देवों की दीवाली यानी देव दीपावली भी होती है। इसके चलते भी नानक जयंती का महत्व और बढ़ जाता है।
गुरु नानक जयंती पर शबद कीर्तन किया जाता है। हालांकि इस बार कोरोना के कारण भव्य नगर कीर्तन आदि के कार्यक्रमों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए गये है। इसके चलते कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन करते हुए नानक देव जयंती मनायी जायेगी।
गुरु नानक जयंती कैसे मनाएं
30 नवंबर को कार्तिक पूर्णमा है। उससे दो दिन पूर्व यानी 48 घंटे पूर्व गुरुद्वारों में ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है। उसके बाद चतुर्दशी यानी पूर्णिमा से एक दिन पूर्व नगर कीर्तन निकाला जाता है। एक सुंदर पालकी में गुरु ग्रंथ साहिब को रखा जाता है और भजन कीर्तन करते हुए नगर भ्रमण होता है।
फिर कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाव पर्व के दिन अमृत बेला में सुबह 3 बजे गुरु नानक देव जी की जयंती का उत्सव आरंभ होता है। अमृत बेला सुबह 6 बजे तक होता है। इसमें ध्यान और प्रार्थना करते हैं। भजन, कथा और कीर्तन के बाद भंडारा लगता है। गुरु नानक देव जी ने समाज में फैले अंधविश्वास, घृणा, भेदभाव को दूर करने के लिए सिख संप्रदाय की नींव रखी। उन्होंने समाज में आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने के लिए लंगर की परंपरा शुरु की थी। इसमें सभी जाति और संप्रदाय के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
निर्गुण उपासना पर दिया जोर
गुरु नानक देव जी ने 'निर्गुण उपासना' पर जोर दिया और उसका ही प्रचार-प्रसार किया। वे मूर्ति पूजा नहीं करते थे और न ही मानते थे। ईश्वर एक है, वह सर्वशक्तिमान है, वही सत्य है। इसमें उनका पूरा विश्वास था।
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