आगमन काल से ही शुरु होता है क्रिसमस का जश्न
मुक्तिदाता के आगमन का मनेगा जश्न
वाराणसी। (दिल इंडिया) क्रिसमस का ग्लोबल पर्व आगमनकाल के साथ ही अपने रंग में रंगता चला जाता है, यह पर्व 25 दिसंबर यानी प्रभु यीशु के जन्म पर अपने शबाब पर होता है।
क्या है आगमन काल
आगमन काल प्रभु यीशु के आगमन की आध्यात्मिक तैयारी को कहते है जो आज से 2020 वर्ष पूर्व ईसा मसीह के जन्म के साथ पूरा हुआ था। उसी ईसा मसीह की जयंती के लिए खुद को हृदय से तैयार करने का समय आगमन काल कहलाता है । चर्च आफ बनारस के पादरी बेन जाँन कहते हैं कि क्रिसमस से पूर्व के चार इतवार को आगमन काल कहा जाता है। इस बार आगमन का पहला इतवार 29 नवम्बर को है, इस दौरान हर मसीही अपने उस सांसारिक जीवन पर चिंतन -मनन कर यह आकलन करता हैं कि मसीही होने के नाते उन्होंने अब तक के जीवन में ख्रीस्तीय विश्वास आदर्शों को कितना जीया है। जो जिंदगी जी है, वह प्रभु के वचनों या उनके आदर्शों पर कितना खरा है। रामकटोरा चर्च के पादरी आदित्य कुमार की माने तो क्रिसमस भले ही 25 दिसंबर को दुनिया भर में मनाया जाता हो मगर क्रिसमस की तैयारियां क्रिसमस के पूर्व पड़ने वाले चार इतवारों में से पहले इतवार से ही शुरू हो जाती है।
*फिर आयेंगे यीशु*
सेंट मैरीज महागिरजा के पल्ली पुरोहित फादर विजय शांतिराज कहते है कि यीशु मसीह फिर आएंगे। जो संसार के सभी जीवित मृतकों का विचार करेंगे, जो उनके व्यतीत जीवन, आचार-विचार और कर्मों पर आधारित होगा। कब आएंगे यह तिथि तय नहीं है, इसलिए उनके स्वागत के लिए खुद को मन, वचन और कर्म से हम तैयार रखें।
*शुक्रवार को है क्रिसमस*
इस बार क्रिसमस शुक्रवार यानी 25 दिसंबर को है। क्रिसमस के पूर्व आगमन का पहला इतवार 29 नवम्बर को पड़ेगा। यानी इस वार, 29 नवम्बर से आगमन काल है। इसके साथ ही 6 दिसंबर,13 दिसंबर और 20 दिसंबर आगमन का क्रमशः 2, 3 और चौथा इतवार होगा। इन चारों इतवार का खास महत्व है। चार इतवार के बाद क्रिसमस की देश दुनिया में धूम मचेगी। हालांकि कोरोना काल को लेकर मसीही चिंतित भी हैं, कि क्रिसमस का पर्व वो पता नहीं पिछले वर्षों की भांती आज़ादी से मना भी पायेंगे या नहीं।
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