मंगलवार, 31 मई 2022

मेरे बाबा....और उनकी प्यारी बीड़ी



Lucknow (dilindialive)। यदि याददाश पर जोर देकर यह याद करने की कोशिश ही जाए बचपन में कपड़े की गुड़िया से खेलती मैं हाड़ मांस की अपने बाबा की दुलारी गुड़िया। गुड़िया नाम मेरे बाबा ने रखा था। अक्सर अपनी गोदी पर उठाकर बाहर मिट्टी के चबूतरे में बैठकर शाम को गपशप मारने वाले मेरे बाबा। 6 फुट लंबी कद काठी थी गोरा चिट्टा शरीर, धोती कुर्ता और कंधे में गमछा लिए अपनी छोटी सी दुनिया में अपनों के हीरो मेरे बाबा। निश्चित रूप से गांव में मनोरंजन के साधनों का अभाव होता है आपसी गपशप, छोटी मोटी चौपाले , खड़ंजे,मेड और नाली की लड़ाई में व्यस्त पूरा ग्रामीण समाज कहीं कौड़िया, लकड़ी, तो कहीं ताश के पत्ते फेटते भोले-भाले ग्रामीण।

     अपनी दिनचर्या में कठोर मेहनत करने वाले सुबह जल्दी उठकर और रात को जल्दी सोने वाले मेहनतकश किसान। हल और बैलों की जोड़ी से पूरे खेत का सीना चीर कर सोना उगाने वाले गांव के किसान ,जो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा ही दिखाई देते हैं मटमैला कुर्ता , कांछ वाली धोती और कंधे पर एक गमछा।

    इन सब में सबसे बड़ी विशेषता है आपसी मेल मिलाप होने पर बीड़ी की एक कश लगाना, तंबाकू जब बनती तो अकेले नहीं खाई जाती, बैठ कर खुद खाना और अपने साथियों को भी खिलाना ।यदि कुछ बड़ी चौपाल हुई तो हुक्के की गड़गड़ाहट और चिलम की सुगबुगाहट भी महसूस कर आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ाने की भावना का विकास करती दिखती। हाथ में बनी हुई तंबाकू, जात–पात, बड़े –छोटे का भेदभाव मिटाती भी गांव वालों को एक दूसरे से जोड़ने का बहुत ही आसान साधन हुआ करता था और शायद आज भी हमें गांव की अर्थव्यवस्था में यह देखने को मिल ही जाता है ।

           इन सभी के बीच मेरे बाबा इन सभी गुणों से संपन्न । निश्चित रूप से उनका प्यार और दुलार हम बच्चों में आज भी याद किया जाता है होली और दीपावली में टोकरी भर भर की मिठाई, आम के सीजन में भूसे में पकाए हुए आमों को निकालकर सभी बच्चा पार्टी को बैठा कर खिलाना। यदि इस आयोजन में बड़े लोग शामिल हो जाएं तो फिर क्या कहना आम की खुमारी के साथ तंबाकू के नशे और बीड़ी की धुए में कजरी ,फाग भजनों का आयोजन होना आम बात है।

       अपने कई नाती और पोतो के बीच मुझे अकेली गुड़िया को अपने पास पाकर बाबा काफी खुश होते थे । गांव की मिट्टी में खेलती उनकी गुड़िया यदि गंदी होती तो बड़े प्यार से  अपने गमछे से मुंह हाथ साफ़ करते अन्य को घर से साफ करा आने को कहते। अपने कंधे पर बैठाकर आधे गांव की यात्रा कराना हर शाम का एक प्रिय कार्य हुआ करता था। अपने साथ गांव के वरिष्ठ लोगों के पास ले जाना और एक छोटी सी टोकरी में चना देकर अपने इर्द-गिर्द ही बैठा कर रखने की उनकी अदा।  अक्सर ध्यान देते थे कि उनकी गुड़िया उनकी आंखों से ओझल ना हो जाए,कहीं किसी पड़ोसी के घर खेलने ना चली जाए इसीलिए एक मिट्टी की गाड़ी खरीदी और एक ढपाली भी और उसे अक्सर अपनी छोटी गुड़िया के हाथों में बांध देते हैं ताकि वह जब चलकर दूर जाने लगती तो गाड़ी में लगा हुआ छोटा सा डमरु  बजने लगता और पता चल जाता  था उनको। निश्चित रूप से यह चिंता थी, प्रेम था , स्नेह था....... प्यारी गुड़िया कुछ बड़ी हुई शहर में रहने लगी पर गर्मियों की छुट्टियों में जब बाबा दादी के घर जाते तो उनका प्रेम और स्नेह माथे से लेकर गालों से लेकर हथेलियों को कई बार  चूमना और काफी देर तक अपने प्यार से भरे हुए स्नेह और हृदय से लगा कर रखना वाकई अविस्मरणीय अनुभव था।

        निश्चित रूप से उनके मटमैले से में ले कुर्ते में एक अजीब सी बदबू होती है पर उस प्रेम और स्नेह के आगे सब कुछ बेकार। शहर से आए हुए बच्चों को अपने पास बैठा कर नहा धोकर पूजा करते हुए उनको आने वाले मंत्रों को बच्चों को भी सिखाना भोजन करने से पहले भोजन मंत्र और आचरण करने के तरीके बच्चों को बताना बिना नहाए हुए कुछ ना खाने का गांव के कोने से निकला और अपने नाती पोतों को सिखाया गया उनका नियम।

        समय बीतता गया।गांव की दिनचर्या के बीच सब होता पर साथ बीड़ी की लम्बी कश जरूर... एक बीड़ी से सुलगा हुआ धुआं, एक बंडल बीड़ी और फिर कई बंडल बीड़ी में जाकर अभी रुकने का नाम नहीं ले रहा था। और इसी क्रम में शुरू हुआ  खांसी का छोटे-छोटे टुकड़ों में शुरू खेल, एक लंबी अनवरत खांसी ने ले लिया । गांव के नीम हकीम डॉक्टर अक्सर खांसी की दवा दे देते, बीड़ी के साथ वह दवा भी पी ली जाती और कुछ राहत मिलती समय बीतता गया। 

          जब मैं कक्षा 5 में पढ़ती थी तब एक बार बाबा शहर है उनका इलाज बनारस के एक नामी अस्पताल में कराया गया विभिन्न जांचों से पता चला कि साधारण सी दिखती खांसी टीवी के उच्च स्तर में पहुंच चुके हैं। टीवी क्या होती है तब शायद मुझे नहीं पता था।

    खांसी तेज हो रही थी खांसी के साथ बलगम की मात्रा बढ़ रही थी और शरीर टूट रहा था जो कभी, लंबा सुडौल था अब पतला होता जा रहा था। बीड़ी की तलब परिवार वालों के मना करने के कारण कुछ कम तो होती थी पर शायद तलब ज्यादा हावी थी और बाबा एक बार फिर गांव चले गए।

            बहुत समझाया गया , लड़ाई झगड़ा करके मनाया गया पर वह ना माने फिर वही दवा का क्रम कभी टूटता तो कभी जुड़ता.... टीवी का इलाज बीच में रुक रुक कर चलता। खांसी के कई सीरप पी लिए जाते पर बीड़ी का मोह ना छूटता। दादी ने भी बहुत आग्रह किया.... ठीक है नहीं पीऊगा कहते तो, घर पर नहीं तो बाहर दोस्तों के साथ एक आद कश होने लगी ।जो व्यक्ति 60 साल का अनवरत जीवन जी सकता था वह अपनी आधी उम्र में टीवी की वजह से शरीर में सिर्फ हड्डियों का ढांचा मात्र बचा, कभी कबार उल्टी से भी खून आता।

          और एक दिन सभी औरतें अपने करवा चौथ के व्रत की पूजा की तैयारी कर रही थी तभी गांव से सूचना आई कि बाबा नहीं रहे ....मैं भी गई मैंने भी उन्हें देखा वह जो अपने हाथों से हमेशा अपनी गुड़िया का माथा चुमने के लिए खड़े रहते थे आज जमीन पर लेटे थे। हड्डियों का एक कंकाल जो आपने शायद प्रैक्टिकल लैब में देखा होगा पर साक्षात मैंने तब देखा....रात भर मैं उनके पार्थिव शरीर के पास बैठकर सोचती रही तंबाकू की क्रूरता....।

                 तब पता चला कि शायद तंबाकू रूपी जहर कितना भयानक है, हंसता खेलता है व्यक्ति हमेशा दूसरों की केयर करने वाला व्यक्ति ,तमाखू से जुड़ी हुई लत से, खुद को अलग ना कर सका , बीड़ी के धूंवे में ऐसा उड़ा कि आज सब कुछ होते हुए भी जमीन पर सफेद हड्डियों के ढांचे के रूप में निढाल था। गर्मियों की छुट्टियों के बाद हमारे शहर लौटने पर अपनी नम आंखों से हमें प्यार के साथ विदा करने वाला अब कोई नहीं था। खुशियां, हंसी, खेल, अपनों का प्यार, अपनों का दुलार और अपनों के लिए शायद कभी कम नहीं किया जा सकता है। नशे से दूर रहकर अपनों का प्यार और प्रगाढ़ता को और बढ़ाया जा सकता है। जो प्यार माता-पिता, बाबा दादी, भाई बहन, पति पत्नी, पिता पुत्र अपनों को कर सकते हैं वह शायद दुनिया में कोई नहीं कर सकता। 

        यह एक छोटी सी कहानी रूपी संस्मरण है पर शायद इसके शब्दों में वह प्रेम  आप को दिख रहा होगा जो मुझे फिर कभी नहीं मिला। आज भी 6 फुट की लंबी काया हाथ में लाठी धोती कुर्ता और गमछे के साथ किसी को देखती हूं तो मेरे प्यारे बाबा हमेशा याद आते हैं काश उन्होंने तंबाकू के नशे से दूरी बना ली होती तो आज हम उस दुख के क्षण से ,जानलेवा बीमारी से अपने प्रिय बाबा को ना खोते। संपूर्ण विश्व तंबाकू के नशे से मुक्त हो सके आइए विभिन्न माध्यमों से बच्चों को नशे से दूर रहने की मुहिम से जोड़े, अपने साथियों को बड़े बुजुर्गों को जागरूक करें। सिगरेट और बीड़ियो तंबाकू के पैकेट में बने हुए खतरनाक चित्रों से डरे।

 विश्व तंबाकू उन्मूलन दिवस विरोध से ज्यादा, एक जागरूकता अभियान है।आइए मिलकर दूरी नहीं आपस में जोड़ने का अभियान बनाएं। देश को तमाखू के नशे से दूर भगाएं। टीवी, कैंसर, लिवर सिरोसिस जैसी जानलेवा बीमारियों से अपनो को बचाएं।

रीना त्रिपाठी (लेखक सामाजिक कार्यकत्री हैं)

सोमवार, 30 मई 2022

एडवांस हस्ताक्षर कर गैर हाजिर मिले प्रभारी चिकित्सा अधिकारी

सीएमओ ने एपीएचसी कादीपुर का किया औचक निरीक्षण

वार्ड व्वाय व फार्मासिस्ट के अलावा अन्य कर्मचारी भी रहे गैरहाजिर


Varanasi (dil India live)। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने सोमवार को पीएचसी कादीपुर का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान वहां भारी गड़बड़ियां मिली। निरीक्षण में पता चला कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी एक दिन का एडवांस हस्ताक्षर कर गैर हाजिर है। यहीं नहीं एक वार्ड व्वाय व एक फार्मासिस्ट के अलावा अन्य कर्मचारी भी गैरहाजिर मिले।

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी सोमवार की सुबह 8ः25 बजे अतिरिक्त प्रा०स्वा०केन्द्र कादीपुर पहुंचे। निरीक्षण के समय राजेन्द्र प्रसाद फार्मासिस्ट तथा धनंजय सिंह वार्डव्वाय को छोड़ अन्य सभी कर्मचारी अनुपस्थित पाये गये। उन्होंने अनुपस्थित कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगने के साथ ही उनका उक्त दिवस का वेतन अदेय करने का निर्देश दिया। निरीक्षण में पता चला कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. अभिमन्यु सिंह उपस्थित पंजिका में एक दिन पूर्व ही हस्ताक्षर किये थे और ड्यूटी पर भी मौजूद नहीं थे। यह देख सीएमओं ने नाराजगी जतायी और कहा कि यह शासकीय नियमो का घोर उल्लधंन एवं अपने कर्तव्यों की प्रति उदासीनता हैं। उन्होंने इस मामले में उनसे जवाब तलब किया है। निरीक्षण के दौरान लेवर रूम का टेबिल टूटा मिला और सभी सामान अव्यवस्थित थें जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि वहां पर प्रसव का कार्य सम्पादित नहीं किया जाता। सीएमओं ने निर्देशित किया कि तत्काल लेबर रूम का टेबल का मरम्मत कराये तथा सभी सामान व्यवस्थित कर प्रसव का कार्य सम्पादित करायें। दवा काउन्टर पर फार्मासिस्ट द्वारा सभी दवाये अव्यवस्थित रूप से रखा हुआ था उसे व्यवस्थित रखने हेतु निर्देशित किया गया। लैब में सभी समान पूरी तरह से अव्यवस्थित था और सफाई संतोषजनक नहीं था तथा कोई भी रजिस्टर नहीं बनाया गया था जिससे कि यह देखा जा सके कि कौन सी जाँच कब की गयी हैं और कौन का सैम्पल कब का हैं। इस सम्बंध में एल०ए०को निर्देशित किया जाय कि लैंब को साफ रखें तथा एक रजिस्टर बनाकर उसमे प्रतिदिन क्या-क्या जाँच हुई और किसका सैम्पल लिया गया, उसका सही अंकन करें ।

सोनभद्र में बनेगा विरसा मुंडा केंद्र

नजरिया बदलें तभी आदिवासियों का कल्याण : फादर एक्का



Varanasi (dil India live) । नजरिया बदले बिना आदिवासी समाज का कल्याण असंभव है. आदिवासियों को समझने के लिए आदिवासी नजरिया होना जरूरी है। बिना इसके आदिवासी समाज का निर्माण नहीं हो सकता।

तरना स्थित नवसाधना केन्द्र में 'प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण' कार्यक्रम के अंतिम दिन नई दिल्ली स्थित भारतीय सामाजिक संस्थान के फादर  विनसेंट एक्का ने उक्त बाते कही। उन्होंने कहा कि देश में 705 आदिवासी समुदाय है लेकिन यह इस समाज का दुर्भाग्य है कि उनकी पूरी गिनती तक नहीं है। देश में आदिवासी समाज करीब 20 फीसदी है पर सरकारी गणना में सिर्फ़ 8.02 फीसदी ही बताया जाता है।

उन्होंने कहा कि आज आदिवासियों के स्वशासन का मुद्दा सबसे अहम है। विडम्बना देखिए कि साल 1996 में उनके विकास और उत्थान के लिए बना कानून आज तक लागू नहीं हो सका है। फादर एक्का ने कहा आदिवासियों के बीच डिलिस्टिंग का मुद्दा सबसे अहम होता जा रहा है। देश के कई राज्यों में अपनी पहचान बचाए रखने के लिए आदिवासी समाज आंदोलनरत है।हमेशा से सरकार और आदिवासी समाज में एक दूसरे को समझने को लेकर मतभेद रहा है। सरकार जिसे आवश्यक समझती है वह इस समाज को गैरजरूरी लगता है। ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि हम इस समाज के विकास के लिए अपना नजरिया बदले।

राइज एंड एक्ट और  सेंटर फार हार्मोनी एंड पीस व भारतीय सामाजिक संस्थान की तरफ़ से आयोजित इस शिविर में बदली परिस्थिति में 'सामाजिक कार्यकर्ताओं की क्या भूमिका हो' इस पर समूह चर्चा हुई। चर्चा में आशा ट्रस्ट के वल्लभाचार्य पांडेय ने तकनीक का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रीय एकता, शांति और न्याय के मुद्दों को उठाने पर बल दिया। प्रतिभागियों में असम के वरिष्ठ पत्रकार सैयद रबिऊल हक, एके लारी, उड़ीसा की पुष्पा, यूपी के अंकेश कुमार, अर्शिया खान, शमा परवीन, हरिश्चन्द्र, राम किशोर और विकास मोदनवाल आदि ने अपने-अपने विषय पर विचार व्यक्त किये।

समारोह में देश के अन्य राज्यों से आये प्रतिभागियों का यूपी चैप्टर की तरफ की तरफ से अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। साथ ही सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और पुस्तकें देकर सम्मानित किया गया। समारोह का संचालन आयोजक डा.मुहम्मद आरिफ़ ने किया। 'प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण' कार्यक्रम के अंतिम दिन ये तय हुआ कि जनपद सोनभद्र में डेढ़ एकड़ भूमि पर  विरसा मुंडा के नाम पर एक अध्ययन केंद्र बनाया जाएगा। केन्द्र का शिलान्यास 15अगस्त को होगा।

इस बात की जानकारी देते हुए आयोजक डा.मुहम्मद आरिफ़ ने बताया कि सोनभद्र जनपद के नगवा ब्लॉक के ग्राम तेनुडाही के रहने वाले रामजतन खरवार ने विरसा मुंडा के लिए जमीन देने का फैसला किया है. उन्होंने बताया कि केन्द्र का निर्माण वहां रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता रामजनम ,अयोध्या और कमलेश कुमार की देखरेख में किया जाएगा।

उन्होंने बताया सेन्टर फार हारमोनी एंड पीस की तरफ से  संजय सिंह के संपादन में जनपद  कुशीनगर के कसया से साझी विरासत की प्रतिनिधि पत्रिका 'सदभावना सागर' का प्रकाशन जल्द ही शुरू किया जाएगा।

Bishop Varanasi: 2015 में आज ही बिशप बने थे बिशप यूजीन जोसेफ

बिशप बनने के सात वर्ष पूरा होने पर सभी दे रहे हैं बधाई

वाराणसी धर्म प्रांत के तीसरे धर्माध्यक्ष हैं बिशप यूजीन जोसेफ 

Varanasi (dil India live)। आज ही के दिन 30 मई 2015 में पोप फ्रांसिस ने फादर यूजीन जोसेफ को वाराणसी का नया बिशप नियुक्त किया था। इस घोषणा के बाद जहां वाराणसी धर्म प्रांत को तीसरा बिशप मिल गया था वहीं फादर यूजीन जो बिशप राफी मंजली के इलाहाबाद तबादले के बाद से प्रशासक के अस्थाई पद पर आसीन थे। वो फादर से बिशप यूजीन हो गये थे।

जी हां आज वही दिन है जब  वैटिकन से घोषणा हुई थी कि वाराणसी के नये धर्माध्यक्ष बिशप यूजीन बना दिए गए हैं। तब नई दिल्ली स्थित देश के कैथोलिक बिशप सम्मेलन के मुख्यालय व वाराणसी के बिशप हाउस में इसकी सूचना मिलते ही खुशी की लहर दौड़ गई थी। आज उन्हें बिशप बनाए जाने के सात वर्ष पूरा होने पर न सिर्फ मसीही समुदाय बल्कि सभी उन्हें विश कर रहे हैं।

कौन हैं बिशप यूजीन जोसेफ

बिशप का जन्म 31 जुलाई, 1958 को राजकमंगलम, नागरकोइल, तमिलनाडु में हुआ था। कार्मेल स्कूल, नागरकोइल से स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने सेंट थेरेसा के माइनर सेमिनरी, अजमेर और फिर सेंट चार्ल्स सेमिनरी, नागपुर, महाराष्ट्र से शिक्षा लिया। उन्हें 10 अप्रैल 1985 को वाराणसी सूबा के लिए एक पुजारी नियुक्त किया गया था। उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय, वाराणसी से अंग्रेजी में मास्टर डिग्री और टाउनसेंड स्कूल ऑफ बिजनेस, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन एंड मैनेजमेंट में मास्टर्स की शिक्षा प्राप्त किया। वह अंग्रेजी, हिंदी और तमिल के जानकार है।

एक पुरोहित के रूप में वे सेंट थॉमस पैरिश, शाहगंज में सहायक पादरी और सेंट थॉमस इंटर कॉलेज में थे, माइनर सेमिनरी के वाइस-रेक्टर। वह सेंट जॉन इंटर-कॉलेज के प्रिंसिपल भी थे, अवर लेडी ऑफ लूर्डेस पैरिश, गाजीपुर के पुरोहित भी रहे। वे क्षेत्रीय ग्रामीण केंद्र के निदेशक और नव साधना कॉलेज, वाराणसी के प्राचार्य, सेंट मैरीज अस्पताल, वाराणसी के निदेशक और डायोसीज़ के एजुकेशन सोसाइटी के विक्टर महासचिव व वाराणसी के सेंट मैरी स्कूल ऑफ नर्सिंग के संस्थापक निदेशक समेत  विभिन्न पदों पर रहने के बाद 2015 में वाराणसी धर्म प्रांत के बिशप बनाते गये। वो 2016 में रोम की यात्रा पर गए तो उन्हें ईसाई धर्म के दुनिया के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप फ्रांसिस से मुलाकात करने और उनका आशीष पाने का सुअवसर प्राप्त हुआ।

रविवार, 29 मई 2022

World yoga: योग करने जुटे बेसिक स्कूल के बच्चे

योग प्रशिक्षण शिविर: बेहतर जीवनचर्या के लिए योग पर ज़ोर 


Varanasi (dil India live)। बेसिक शिक्षा परिषद जनपद वाराणसी द्वारा आयोजित योग प्रशिक्षण शिविर में आज प्राथमिक विद्यालय ठठरा (प्रथम ) सेवापुरी वाराणसी के प्रांगण में प्रधानाध्यापिका रेनू गुप्ता की देख रेख में योग शिविर का आयोजन किया गया। योग ट्रेनर स्वप्ना कपूर और स्कूल की अध्यापिकाका नीलम केशरी ने बहुत ही बेहतरीन योग ट्रेनिंग का संचालन किया।

स्वप्ना कपूर ने बताया कि हमारे व्यस्त दैनिक जीवन और गलत खानपान की वजह से हमें अनेक प्रकार की बीमारियां घेर लेती है। जिसका एकमात्र और सटीक उपचार हम योग के माध्यम से कर सकते हैं। हमें नियमित आधा घंटा समय योग के लिए निकालना चाहिए जिससे हमारा तन और मन दोनों शुद्ध और निरोग बनेंगे। कुल 560 छात्र-छात्राओं तथा अभिभावकों ने इस योग प्रशिक्षण शिविर का लाभ उठाया। प्रशिक्षण के उपरांत स्कूल की हेड मास्टर ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया।प्रशिक्षण में राजेश कुमार मौर्य, गोपी वर्मा, अनवरुद्दीन अंसारी, अमृता वर्मा, सीमा यादव, ईशा केशरी, खुशी केशरी, शिवानंद दुबे, रोशनी, तन्नू विश्वकर्मा, आंचल, मधु आदि उपस्थित रहे।

शनिवार, 28 मई 2022

Urs hazrat mukhtar ali shah

हज़रत लाटशाही बाबा के उर्स में उमड़ा जनसैलाब 

कोरोना काल के बाद उर्स में झूम के पहुंचे जायरीन 



Varanasi (dil India live)। सर्किट हाउस स्थित दरगाह हज़रत सैय्यद मुख्तार अली शाह उर्फ लाटशाही शहीद बाबा (रह.) के तीन दिवसीय उर्स में शनिवार को अकीदत का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से देर रात तक बाबा के दर पर अपनी अकीदत लुटाते दिखाई दिए। आलम यह था कि सर्किट हाउस, कचहरी के साथ सड़क पर पांव रखने भर की भी जगह नहीं थी। इससे पूर्व शाम को उल्फत बीबी के हाते से चादर-गागर का जुलूस निकला, जो कदीमी रास्ते से होता हुआ बाबा के आस्ताने पर पहुंचा। यहां बाबा की मजार पर चादरपोशी कर अकीदतमंदों ने मुल्क की सलामती व खुशहाली की दुआएं मांगी। तीन दिवसीय उर्स के दौरान कुरानख्वानी, फातेहा व लंगर का दौर चलता रहा। उर्स के मौके पर प्रशासनिक अधिकारियों संग बंगाल, बिहार, हरिद्वार, दिल्ली, अजमेर सहित पूर्वाचल भर से हजारों अकीदतमंदों ने बाबा के दर पर हाजिरी लगाकर दुआएं मांगी। उर्स के दौरान जहां दोनों वर्गों के लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था वहीं उर्स को देखते हुए लगे मेले में सभी ने अस्थाई दुकानों से खरीदारी की। बच्चे झूला वह चरखी का लुत्फ उठाते दिखाई दिए।

राजा चेतसिंह के थे सिपहसालार 

हज़रत लाटशाही शहीद बाबा (रह.) का असली नाम सैय्यद मुख्तार अली शाह था। बाबा फतेहपुर के रहने वाले थे। हज़रत लाटशाही बाबा 1742 में बनारस आए। आप काशी नरेश के शिवपुर परगना के शहर काजी थे। राजा चेतसिंह ने बाबा के इंसाफ और बहादुरी के चलते अपनी सल्तनत में सिपहसालार बनाया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1782, 1784 व 1786 में राजा चेतसिंह की ओर से जंग लड़ी। जंग में अंग्रेजों ने अपनी हार मानते हुए संधि की। इसके बाद अंग्रेजों की ओर से दूसरा गवर्नर भेजा गया। 1798 में उसने धोखे से जंग छेड़ दी। इस जंग में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए सैय्यद मुख्तार अली शाह लापरवाही बाबा शहीद हो गए। राजा चेतसिंह की ओर से उन्हें लार्ड गवर्नर नियुक्त होने के कारण इनका नाम बाद में लाटशाही बाबा पड़ गया। आज बाबा को मानने वाले देश दुनिया में फैले हुए हैं।

Cdo Varanasi से मिले शिक्षक

गर्मी की छुट्टी में ड्यूटी न लगाने की किया पुरजोर मांग 

शिक्षकों ने अपनी समस्याएं मुख विकास अधिकारी से की साझा 


Varanasi (dil India live)। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल ( पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ जनपद वाराणसी के जिलाध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय के नेतृत्व में शिक्षकों का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्य विकास अधिकारी से मिलकर ग्रीष्मावकाश में शिक्षकों से आए दिन अन्य गैर शैक्षणिक कार्य कराए जाने के संदर्भ में पत्रक दिया। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा प्रतिनिधि मंडल की बातो को ध्यान से सुना गया तथा इस संदर्भ में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से बात कर आवश्यक दिशा निर्देश देने का आश्वासन दिया गया। मुख्य विकास अधिकारी से चुनाव ड्यूटी के कारण रोके गए वेतन के संदर्भ में भी बात किया गया। इस पर सीडीओ द्वारा अवगत कराया गया की वेतन भुगतान से संबंधित आदेश कर दिया गया है।

प्रतिनिधि मंडल में जूनियर तथा प्राथमिक के संयुक्त  पदाधिकारीगण उपस्थित रहे। जिसमें विनोद कुमार उपाध्याय अध्यक्ष जूनियर शिक्षक संघ, रविन्द्र कुमार सिंह प्रांतीय उपाध्यक्ष व अध्यक्ष काशी विद्यापीठ, प्रतिमा कुमारी प्रांतीय उपाध्यक्ष, रविन्द्र नाथ यादव अध्यक्ष चिरईगांव व जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष वाराणसी, संतोष कुमार सिंह अध्यक्ष सेवापुरी, बाबूलाल अध्यक्ष नगर क्षेत्र, वीरेन्द्र कुमार सिंह संयुक्त मंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ, संजय सिंह, प्रशांत कुमार उपाध्याय जूनियर शिक्षक संघ, नागेश त्रिपाठी आदि लोग उपस्थित रहे।

शुक्रवार, 27 मई 2022

Haj 2022: हज की तीसरी किश्त जल्द करें जमा


Varanasi (dil India live). हज कमेटी आफ इंडिया ने हज की तीसरी और आखरी किस्त जमा करने का ऐलान कर दिया है। हज खिदमतगार हाजी अदनान खां ने बताया कि लखनऊ से जाने वाले हुज्जाज किराम से पर हाजी 1,89,350/- (एक लाख नवासी हज़ार तीन सौ पचास रूपया) 31मई तक जमा करना लाज़मी है l इसलिए हज की किश्त जमा करने में जल्दी करें।

जायरीन की हुई ट्रेनिंग 

25 May 2022 को सिटी गर्ल्स इंटर कालेज काज़ी सदुल्लाह पुरा  वराणसी मे वर्ष 2022 के हज के मुबारक सफर पे जाने वाले हज यात्रियों को कोई परेशानी न हो इसके लिए एक कैंप पूर्वांचल हज सेवा समिति के बैनर तले लगाया गया।
इस हज ट्रेनिंग कैंप कि शुरुआत तिलवते क़ुरान पाक़ मौलाना अब्दुल वहाब ने किया। इस प्रोग्राम कि सदारत करते हुए हाजी मो. ज़ुबैर ने कहा कि पूर्वांचल हज सेवा समिति हाजी सहेबान कि हर संभव मदद के लिए तय्यार है l घर से हज हाउस तक वहां से एयरपोर्ट तक और फिर वहां से मक्का और मदीना मे रहने और हज के दौरान् क्या सावधानियां बरतनी है उसके बारे में ऑडियो और वीडियो प्रोजेक्टर के माध्यम से मास्टर हज ट्रेनर अदनान खां के द्वारा हज के सफर के सम्बंध में जानकारी दी गई।
इस मौके पर पूर्वांचल हज सेवा समिति के हाजी अब्दुल अहद, डॉ अमीन, अहमद अली पप्पू, शम्शुल आरफीन, तारिक हसन खां, अख्तर हुसैन, तलत, अयाज़, रेयाज़ अहमद राजू,आसिफ, हाजी बाबू,ईसरार  अहमद, हाजी इम्तियाज़ इसके अलावा पप्पू मेडिकल, ओवेस्, सूफियांन, सोहेल्, इबाद आदि हाजियों कि खिदमत मे लगे रहे l

मंगलवार, 24 मई 2022

Ghazipur news: किराए पर चलने वाले उपकेंद्र को जल्द मिलेगा अपना भवन


Himanshu rai

Ghazipur (dil India live). उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा गांव के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा देने के लिए ग्रामीण इलाकों में उप केंद्र बनाए गए हैं। यहां पर एएनएम के माध्यम से टीकाकरण व अन्य कार्यक्रम चलाए जाते हैं। लेकिन जनपद में बहुत सारे उपकेंद्र ऐसे भी हैं जो किराए के मकान में सालों से चल रहे हैं। ऐसे ही उपकेंद्रों में से 24 उपकेंद्र को बनवाने के लिए उनके जमीन की स्वीकृति व बजट का आवंटन कर दिया गया है। जिसका निर्माण कई संस्थाओं के द्वारा जल्द ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

एसीएमओ डॉ केके वर्मा ने बताया कि इसके अलावा 20 और नए उपकेंद्र की मांग शासन से की गई है। जिसका लिस्ट शासन को भेजा जा चुका है। जिसके जमीन का चिन्हांकन आने वाले दिनों में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि केंद्रों पर परिवार कल्याण के कार्यक्रम,प्रसव, फैमिली प्लानिंग, टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की जांच एवं अन्य कार्य निशुल्क किए जाते हैं।

24 किराए पर चलने वाले उपकेंद्र जिनके लिए जमीन चिन्हित कर लिया गया है उनमें बाराचवर ब्लॉक का माटा, कटारिया मोहम्मदाबाद ब्लाक का परसा, शाहबाज कुली ,रेवतीपुर ब्लॉक का सुहवल पश्चिमी, तेजमल राय पट्टी ,सादात ब्लाक में बहरियाबाद, रायपुर, भीमापार, करंडा ब्लॉक का सहेडी, कासिमाबाद ब्लाक का दुधौड़ा, बरेसर, सुभाकरपुर का सकरा ,फतेहपुर अटवा, जमानिया ब्लॉक का भागीरथपुर, ढढ़नी भानुमलराय, देवकली ब्लाक का कुर्बान सराय ,तराव ,सैदपुर ब्लॉक का डहरा कला, बिशुनपुर मथुरा ,बिरनो ब्लॉक का हरखपुर, हरिहरपुर और मनिहारी ब्लॉक का टड़वा गांव शामिल है।

इसके अलावा अन्य 20  उपकेंद्र के लिए जो शासन को लिस्ट भेजी गई है। जिनका आने वाले दिनों में जमीनों का चिन्हांकन होगा। उसमें बाराचवर ब्लॉक का नारायणपुर ,डेहमा, भदौरा ब्लाक का दिलदारनगर टू, देवकली ब्लाक का पौटा, जेवल, गोड़उर का अमरुपुर ,लौवाडीह, अवथही, पलिया, जखनिया ब्लॉक का हरदासपुर कला, सोनहरा, खेताबपुर, खानपुर रघुवर ,करंडा ब्लॉक का पुरैना, मरदह ब्लाक का बरेंदा, मोहम्मदाबाद ब्लाक का नवापुरा ,ब्रह्मदासपुर, हरिहरपुर कोठिया, गौरा गांव शामिल है।

Aman का पैगाम देती हजरत सैयद याकुब शहीद की दरगाह

बनारस में मनाया जा रहा है हज़रत याकुब शहीद का उर्स


Varanasi (dil India live)। हजरत सैयद याकूब शहीद रहमतुल्लाह अलैह का आज सालाना उर्स मनाया जा रहा है। सोमवार की रात में बाबा का गुसल हुआ। गुसल के बाद उर्स शुरू हो गया। आज बाबा के दर सुबह से ही अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा हुआ है। कुरानख्वानी, फातेहा के साथ ही बाबा को चादरें चढ़ाने व मन्नत मुराद मांगने का दौर समाचार लिखे जाने तक जारी था।

हजरत सैयद याकुब शहीद

नगवां इलाके में मौजूद हजरत सैयद याकुब शहीद रहमतुल्लाह अलैह का आस्ताना हिंदू और मुस्लिम ही नहीं बल्कि सभी मजहब की अकीदत का मरकज़ है। यही वजह है कि यहां सभी हाजिरी लगाते हैं। 

बात 11वीं सदी की है। जब दुनिया के कई मुल्कों से होते हुए आप बनारस तशरीफ लाए, आपके साथ हज़रत अल्वी शहीद भी बनारस आए, आपको यह शहर इतना भाया कि आप यहीं के होकर रह गए। तवारीख देखी जाए तो बादशाह महमूद गजनवी के समय में कई सूफी संत बनारस आए और उन्होंने लोगों को खुदा और एकेश्वरवाद का पैगाम दिया। इसी सिलसिले में हजरत याकूब भी बनारस आए थे। उन्होंने दीन की तहरीर की बनारस के नगवां इलाके में कुटिया बनाकर रहने लगे। मस्जिद याकुब शहीद के इमामे जुमा हाफ़िज़ ताहिर की मानें तो उस दौर में हज़रत के पास लोगों का हुजूम उमड़ता था। उनके करिश्मों की चर्चा दूर तक थी। हज़रत ने जब पर्दा किया तो उनके मुरीदों ने उन्हें वहीं सुपुर्दे खाक किया। जहां हज़रत नमाज अदा किया करते थे वहीं एक शानदार मस्जिद याकुब शहीद भी आबाद है।

रविवार, 22 मई 2022

Ghazi miya ki shadi: मेले में उमड़े जायरीन, देर रात आयेगी बारात

दो साल बाद लगा मेला तो उमड़े लोग




Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live)। बड़ी बाजार स्थित सैयद सालार मसूद गाजी मियां की दरगाह पर दो वर्ष बाद मेले का आयोजन हुआ। दरगाह में बारात आज देर रात आयेगी। इस बारात में हिंदू और मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को हर साल मिलती है। दो साल से कोविड-19 के चलते दरगाह कमेटी ने मेले का आयोजन रद्द कर दिया था। मेले में पूर्वांचल भर से हजारों अकीदतमंद शामिल होते हैं। गद्दीनशीं हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने बताया कि मेले की मान्यता है कि जिस किसी भी जायरीन की मुराद पूरी होती है, वो इस मेले में आकर चादर, मलीदा वगैरह चढ़ाते हैं।  

उन्होंने बताया कि रात को 11 बजे बारात आएगी। इसके बाद हर साल की तरह आंधी-तूफान के बाद शादी को टाल दिया जाता है। मेले में पूरे पूर्वांचल भर से लोग आते हैं। कोरोना काल के चलते मेले में दो साल बाद गाजी मियां के दर पर दोनों मज़हब का जमावड़ा है, इससे लोगों में बहुत हर्ष है।

मना हज़रत अल्वी शहीद का उर्स

हज़रत अल्वी शहीद रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स भी सालारपुर में मनाया गया। इस दौरान लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था। जो गाजी मियां को चादर चढ़ाने आया वो हज़रत अल्वी शहीद के दर पर भी हाजिरी लगाता दिखा। हज़रत अल्वी शहीद पहुंचे हुए वली है। बादशाह महमूद गजनवी के दौर में वो हिन्दुस्तान दीन की तहरीर करने आए थे। उन्होंने बड़ी बाजार बनारस को अपना मरकज़ बनाया। हज़रत अल्वी शहीद के नाम पर ही उस इलाके का नाम अलईपुरा पड़ा।

जन अधिकारों के प्रति सचेत रह कर ही हम मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकेंगे : वल्लभाचार्य पाण्डेय

प्रेम, भाईचारा और सौहार्द्र की गौरवशाली परम्परा का देश है भारत : डा . मोहम्मद आरिफ

दो दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर प्रारंभ 


Varanasi (dil India live)। सामाजिक संस्था 'आशा ट्रस्ट' के तत्वावधान में  भंदहा कला स्थित प्रशिक्षण केंद्र पर दो दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर शनिवार को प्रारम्भ हुआ. शिविर में पूर्वांचल के 5 जिलों से लगभग 35 प्रतिभागी सम्मिलित हैं।

प्रशिक्षण शिविर के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए वरिष्ठ गांधीवादी विचारक एवं इतिहासकार डा. मोहम्मद आरिफ ने कहा कि भारत आपसी प्रेम, भाईचारा और सौहार्द्र की गौरवशाली परम्परा का देश है,  हमे अपनी संस्कृति और परम्पराओं पर गर्व करते हुए उन्हें संजोये रखने की जरूरत है,  इस पवित्र विरासत को बचाए रखना हमारे अस्तित्व का प्रश्न है.  सह अस्तित्व की यह भावना जो हमारी राष्ट्रीय धरोहर है, को बनाये रखना है तो हमे ऐसी ताकतों से भी होशियार रहना होगा जो अपने निहित स्वार्थ में समाज को जाति,  धर्म, भाषा और लिंग के आधार पर विभाजित करना चाहती हैं। आशा ट्रस्ट के समन्वयक बल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा  विभिन्न जन अधिकारों के प्रति आम जनता को सचेत रह करके ही हम मजबूत और जागरूक देश का निर्माण कर सकेंगे, हमे इन अधिकारों का व्यापक जन हित में प्रचार प्रसार करना चाहिये।

द्वितीय सत्र में जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वयक सदस्य अरविन्द मूर्ति ने कहा कि असंगठित खेत्र अथवा भवन निर्माण में लगे मजदूरो, खेती किसानी  के कार्य में लगे भूमिहीन किसान व खेतिहर मजदूरों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली अति आवश्यक है वर्तमान दौर में कार्पोरेट घरानों के दबाव में इस व्यवस्था पर अस्तित्व का संकट आसन्न है, हमे इसे मजबूत करने के लिए तत्पर होना इसके लिए खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में को संशोधित करने की भी आवश्यकता होगी।

शिविर के आयोजन में प्रदीप सिंह,  महेद्र राठोर, सूरज पाण्डेय, सतीश चौहान, हौशिला यादव आदि की प्रमुख भूमिका रही।

शुक्रवार, 20 मई 2022

राज्यपाल बोलीं शिक्षा के आंगन में सर्वाइकल कैंसर पर हो चर्चा

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीनेशन आवश्यक : राज्यपाल

  • कहा कि सर्वांगीण विकास के लिए अच्छी शिक्षा व बेहतर स्वास्थ्य की है अहम भूमिका
  • वाराणसी में हुई एचपीवी वैक्सीनेशन की हुई शुरुआत, राज्यपाल ने छात्राओं से लिया हालचाल
  • मंडलायुक्त सभागार में सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग
  •  कॉर्नर बनाकर छात्र-छात्राओं को किया जाए जागरूक, अभिभावक भी करें प्रतिभाग




Varanasi (dil India live) "30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर यानि बच्चेदानी के मुंह के कैंसर से बचाने के लिए 9 से 14 साल और 15 से 26 साल की बालिकाओं को ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) इंजेक्शन अनिवार्य रूप से लगवाना चाहिये।" यह कहना है राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का। राज्यपाल शुक्रवार को मंडलायुक्त सभागार में आयोजित सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग व वैक्सीनेशन के शुभारंभ पर जागरूकता एवं संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थीं।

राज्यपाल ने प्रशासन व विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि सर्वाइकल कैंसर एक चिंता का विषय है। कैंसर से ग्रसित महिलाओं में स्तन व सर्वाइकल कैंसर से ग्रसित महिलाओं की संख्या क्रमशः सर्वाधिक है। इसकी रोकथाम व नियंत्रण के लिए एचपीवी इंजेक्शन के बारे में जानकारी और जागरूकता भी होनी चाहिए। इसकी जागरूकता के लिए शिक्षा विभाग, स्कूलों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के माध्यम से गाँव-गाँव तक सर्वाइकल कैंसर के बारे में जानकारी दें। साथ ही इसके बचाव के लिए ग्रामीण और शहरी इलाकों में जन जागरूकता व स्क्रीनिंग कैंप समय –समय पर लगाएं। 

राज्यपाल ने मंडलायुक्त सभागार परिसर में जिले में एचपीवी वैक्सीनेशन का शुभारंभ फीता काटकर किया। शुक्रवार को करीब 250 बालिकाओं ने एचपीवी की पहला टीका लगाया गया। इसके पश्चात राज्यपाल ने टीकाकरण करवा चुकीं छात्राओं से बातचीत की। राज्यपाल की उपस्थिती में अर्पिता सोनकर (14), शानवी पाठक (14), जानवी सिंह (14), वैभवी सिंह (14), कशिश आनन (16) और अंकिता सिंह (18) को एचपीवी का टीका लगाया गया। इस दौरान राज्यपाल ने छात्राओं से समय से अगली डोज़ लगवाने के लिए कहा। इसके पश्चात राज्यपाल ने अपने उद्भोदन में कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन व उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी जनपद में शुक्रवार से एचपीवी वैक्सीनेशन का शुभारंभ हो चुका है। इससे पहले प्रदेश की राजधानी के राजभवन में सभी अधिकारियों की बच्चियों का एचपीवी वैक्सीनेशन कराया गया था। वाराणसी के पड़ोस के जिलों में भी सर्वाइकल कैंसर से बचाव का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रदेश में इसकी शुरुआत के लिए केंद्र स्तर पर यह विषय उठाया गया था। आईसीएमआर से भी इसके बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इसके बाद सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीनशन की शुरुआत की गयी। 

इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि पड़ोस के जिलों में 50 छात्रों को जेल में भ्रमण के लिए ले जाया गया। वहाँ हर एक बंदी के बारे में छात्राओं ने उनसे सम्पूर्ण जानकारी ली। ऐसे में देखा गया कि गलत कार्य और दहेज, बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं के लिए वह सजा काट रहे हैं। इसको दूर करने के लिए बच्चों को इसके बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। जीवन में हर विषय पर जानकारी व जागरूक होना कभी नुकसान नहीं करता बल्कि जीवन के पथ को और सुगम बनाता है। 

राज्यपाल ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर पर जागरूकता के लिए जूनियर व प्राइमरी स्कूलों, माध्यमिक स्कूलों, महाविद्यालयों और विश्व विद्यालयों में आधा घंटे तक चर्चा होनी चाहिए। बच्चों और उनके अभिभावकों से भी अपील की है कि 30 साल से ऊपर की महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए नियमित जांच करवाएं। स्कूलों, महाविद्यालयों और विश्व विद्यालयों में एक कॉर्नर बनाया जाए, जिसमें लक्षण, कारण, निदान और उपचार के बारे में जानकारी प्रदान की जा सके। इसके लिए विश्व विद्यालयों के कुलपतियों, विद्यालयों के प्रधानाचार्यों व शिक्षकों को इस विषय पर ज्यादा से ज्यादा जोर देने की जरूरत है। इन्हीं के माध्यम से घर-घर तक सर्वाइकल कैंसर से बचाव और वैक्सीनेशन पर जागरूक किया जा सकता है। इसके साथ ही एक मुहिम चलाई जाए जिससे जिले में एक दिन में अधिक से अधिक 300 बच्चियों को एचपीवी का टीका लगाया जा सके। अंत में राज्यपाल ने जनमानस से अपील की है कि जागरूक रहिए। कैंसर से बचिए। टीबी (क्षय रोग) से बचिए। गलत कार्य करने से बचिए। सर्वांगीण विकास के लिए अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य होना बेहद आवश्यक है जिस पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। 

इस मौके पर बीएचयू के कुलपति सुधीर जैन ने कहा कि राज्यपाल की इस पहल से जिले में सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग व जागरूकता अभियान शुरू हुआ है। यह अभियान 30 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए बेहद कारगर साबित होगा। इस मुहिम के बीएचयू के समस्त अधिकारी शत-प्रतिशत रूप से अपना सहयोग करेंगे। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि राज्यपाल की यह पहल देश के लोगों को स्वस्थ बनाए रखने में दूरगामी सोच को प्रदर्शित करता है। इस मुहिम को सफल बनाने के लिए काशी विद्यापीठ विश्व विद्यालय परिवार इस नेक पहल में पुरजोर कोशिश करेगा। 

इस मौके पर होमी भाभा कैंसर अस्पताल के निदेशक डॉ सत्यजीत प्रधान और लीड मेडिकल ऑफिसर डॉ रुचि पाठक ने प्रोजेक्ट ईशा और कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया गया कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के मार्गदर्शन व दिशा निर्देशन में होमी भाभा कैंसर अस्पताल के माध्यम से जिले भर में कैंसर स्क्रीनिंग और उपचार का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। अगले साल जुलाई तक करीब ढाई लाख लोगों की कैंसर स्क्रीनिंग का लक्ष्य रखा गया है। इस क्रम में अब तक एक लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। 

कार्यक्रम के अंत में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने राज्यपाल की इस नेक पहल के शुभारंभ के लिए धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया। कहा कि जन सामान्य के स्वास्थ्य लाभ के लिए वाराणसी सहित प्रदेश के सभी जिलों में राज्यपाल के निर्देशन में सर्वाइकल कैंसर से बचाव की मुहिम चलायी जा रही है। इसके सफलतापूर्वक संचालन के लिए प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, कुलपति, शिक्षक व आम जनमानस हर स्तर पर प्रयासरत है। जिलाधिकारी ने दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का आभार प्रकट करते हुये इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके साथ ही जिन बच्चों ने वैक्सीनेशन करवाया और उनके अभिभावकों, शिक्षकों और प्रधानाचार्य को प्रोत्साहित करते हुये इस मुहिम में जोड़े जाने का आव्हान किया। 

         इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक गोयल और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी सहित अन्य चिकित्सा अधिकारी, स्कूलों के प्रधानाचार्य, शिक्षक व स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन आईसीडीएस विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने किया।

बुधवार, 18 मई 2022

Ghazi miya ki shadi : सुल्तान के सिपाही रहेंगे मुस्तैद

गाज़ी मियां का मेला २२ को, सुल्तान क्लब लगाएगा खास शिविर

Varanasi (dil India live)। ऐतिहासिक गाजी मियां की शादी की रस्में अब अंतिम दौर में आ चुकी है। हल्दी, पलंग पीढ़ी वह मेहंदी की रस्म के बाद रविवार को बारात निकाली जाएगी और शादी की रवायत दोहराई जाएगी। गाजी मियां की शादी के एक दिन पहले हज़रत अल्वी शहीद का भी उर्स मनाया जाता है। इसके चलते तीन दिन तक चलने वाला गाजी मियां का मेला शनिवार से शुरू हो जाएगा जो सोमवार को सम्पन्न होगा।


"सुल्तान क्लब" की ख़ास बैठक

सामाजिक संस्था "सुल्तान क्लब" की एक आवश्यक बैठक रसूलपुरा स्थित कार्यालय में अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशामुल हक की अध्यक्षता व महासचिव एच हसन नन्हें के संचालन में आयोजित की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी 22 मई, रविवार को विश्व प्रसिद्ध गाज़ी मियां के मेले के अवसर पर इस वर्ष भी सामाजिक संस्था "सुल्तान क्लब" द्वारा बुनकर मार्केट बड़ी बाजर में दो दिवसीय चिकित्सा व भूले बिसरे सहायता शिविर का आयोजन किया जाएगा। मेले में सुल्तान क्लब के सिपाही मुस्तैद रहेंगे। शिविर में शहर के मशहूर चिकित्सक व गणमान्य लोगों की उपस्तिथि रहेगी। इस प्रकार के शिविर का आयोजन पिछले 27 वर्षों से संस्था करती आ रही है। इस मेले में सभी धर्मों के लोगों की मजूदगी रहती है।

        ज्ञात हो कि पिछले दो सालों से कोरोना महामारी (कोविड 19) के कारण, ऐतिहासिक मेले का आयोजन नहीं हो सका था, शिविर के अवसर पर कोरोना महामारी के पूर्ण निजात की दुआएं भी मांगी जाएगी। बैठक में डॉक्टर एहतेशामुल हक, अजय वर्मा, जावेद अख्तर, एच हसन नन्हें, मुख्तार अहमद, महबूब आलम, शमीम रियाज़, हाफिज मुनीर, अब्दुर्रहमान, नसीमुल हक, वफ़ा अंसारी इत्यादि थे।

शनिवार, 14 मई 2022

Bunkar sardar की कल होगी दस्तारबंदी

बुनकर तंजीम बाइसी के हाफिज मोईनुद्दीन बनेंगे नए सरदार



Varanasi (dil India live)। बुनकर बिरादराना तंजीम बाइसवीं के नये सदर के सिर इतवार को दस्तार का ताज सजेगा। बाकराबाद बुनकर कालोनी स्थित हाजी सफीउर्रहमान के आवास पर  बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के नये सरदार की दस्तारबंदी को ले कर बाईसी काबीना के सारे सदस्यों की एक अहम मीटिंग में सभी सदस्यों ने गहन विचार विमर्श कर परम्परा के अनुसार आपस में रायशुमारी कर बाईसी तंज़ीम के नए सरदार के रूप में सर्वसम्मति से हाजी हाफिज मोईनुद्दीन उर्फ़ कल्लू हाफीज़ जी को पिछले दिनों चुना था। इतवार को उनकी दस्तारबंदी परम्परागत तरीके से पुरानापुल स्थित ईदगाह में शाम 5:00 होगी। 

पता हो कि पिछले वर्ष बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाइसवीं के सदर सरदार हाजी अब्दुल कलाम का इंतकाल हो गया था। उनके इंतेक़ाल के बाद तत्तकाल कार्यवाहक सरदार की नियुक्ति परम्परा के अनुसार हुयी जिसमें गुलाम मोहम्मद उर्फ़ दरोगा को कार्यवाहक सरदार बनाया गया था। 

पिछले दिनों बाईसी काबीना की मीटिंग बुलाई गयी इस मीटिंग में सभी ने सर्वसम्मति से बाईसी तंज़ीम के नए सदर सरदार हाजी हाफिज मोईनुद्दीन उर्फ़ कल्लू हाफीज़ जी को चुन कर सभी सदस्यों ने उनको  मुबारकबाद दी। इस मौके पर हाजी हाफिज  मोईनुद्दीन ने कहा की सरदार हाजी कलाम साहब मेरे बड़े भाई थे वो अचानक हम सब को छोड़ कर इस दुनिया से चले गए। उनकी जगह लेना बहुत मुश्किल है। बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के काबीना के सभी सम्मानित सदस्यों ने मुझे नए सरदार के रूप में चुना है। मै सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हु और सभी लोगो को भरोसा दिलाता हूं की बाईसी तंज़ीम के परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए समाज के सभी लोगो को एक साथ लेकर चलने की पूरी कोशिश करूँगा। मेरे सामने जो भी मसले आएंगे मैं उन मसलो के साथ इंसाफ करूँगा। मै दिन रात मेहनत कर अपने समाज की भलाई के लिए काम करूँगा। मीटिंग में मौजूद कार्यवाहक सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ़ दरोग़ा, हाजी बाबू, मौलाना शकील अहमद, हाजी नसीर, हाजी यासीन माइको, हांजी अनवार, हाजी मो. स्वालेह, पार्षद गुलशन अली, अफरोज अंसारी, हाजी मुग़ल, हाजी महबूब, हाजी सफीउर्रहमान, हाजी मुमताज़, हाजी इश्तियाक, हाजी हाजी मोईनुद्दीन, मोबिन अंसारी, मो0 हारून, हाजी छोटक, हांजी मतिउल्लाह, सरदार नसीर, सरदार साबिर सहित कई लोग मौजूद थेI शुक्रिया हाजी ओकास अंसारी ने कहा।

Bharat ने सदैव किया जनभावना का सम्मान : योगी

डीएवी कॉलेज के प्रयास की सीएम ने की सराहना




Varanasi (dil India live)। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में पूरा विश्व भारत की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है। काशी आज पूरे देश का नेतृत्व कर रहा है, यहाँ के लोगो ने यहाँ से सांसद नही प्रधानमंत्री चुन कर भेजा है। उक्त उद्गार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीएवी पीजी कॉलेज में आजादी के अमृत महोत्सव पर समर्पित चौरी - चौरा शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित चौरी - चौरा : अपराजेय समर के नाट्य दृश्यांकन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काशी जो भी आया कुछ लेकर ही लौटा है, यहाँ से कोई खाली हाथ नहीं जाता है। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष में जनभावना का सम्मान सदैव सर्वोपरि रहा है, चौरी- चौरा की घटना उसी जनभावना का परिचायक है। चौरी चौरा की लड़ाई सामान्य मानव, ग्रामीण समाज ने स्वयं लड़ी। यह अत्यंत गौरव का विषय है कि चौरी चौरा पर पहला नाट्य मंचन उस जगह हो रहा है जिसका संबंध मदन मोहन मालवीय जी से है। मालवीय जी ने ही इस घटना का मुकदमा लड़ा और ना जाने कितनो को फाँसी के फंदे पर झूलने से बचाया। आज उन्ही के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अंग डीएवी पीजी कॉलेज ने इसका मंचन कराया, जो अभिनन्दन के पात्र है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि भारत अब आत्मनिर्भर भारत की ओर तेजी से बढ़ रहा है। काशी में बना काशी विश्वनाथ धाम अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा सहयोग किया है। धाम से समाज को कितना लाभ हुआ, समाज के अंतिम स्तर तक कार्यकरने वाले के जीवन स्तर में कोई भी बदलाव आया कि नही यह जानना  ओर समाज को उससे अवगत कराने का शोध कार्य भी डीएवी पीजी कॉलेज कार्य है। अंत मे योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आगामी 25 वर्ष भारत के लिए अमृत वर्ष के रूप में होंगे, जिसमे एक नए भारत का उत्थान पूरी दुनिया देखेगी।

स्वागत भाषण देते हुए प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह ने कहा कि  अंग्रेजी हुकूमत ने भारतीयों को बड़ी त्रासदियाँ दी है, उसकी एक बानगी मात्र है चौरी चौरा की घटना, हम उसका स्मरण कर आजादी के सभी नायकों को नमन कर रहे है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा महाविद्यालय प्रधानमंत्री के विजन डिजिटल लर्निग पर मजबूती से काम कर रहे है।

नाट्य मंचन देख भावुक नजर आए योगी- इंडोर स्टेडियम में आयोजित नाट्य मंचन के दौरान पूरे समय तक मौजुद रहे, इस दौरान नाट्य दृश्यों को देखकर कई बार वे भावुक भी नजर आए। 

चौरी चौरा विद्रोह देख सबकी ऑखें हुई नम

गोरखपुर के चौरा गॉव में ब्रिटिश हुकूमत के जुल्म के खिलाफ 04 फरवरी, सन् 1922 को ग्रामीणों के विद्रोह ने अंग्रेजी सरकार की चूले हिला दी। भगवान अहीर और नजर अली के नेतृत्व में सैकड़ो युवाओं ने जिस प्रकार पुलिसिया दमन का विरोध किया वह अंग्रेजो को भारतीय समाज की शक्ति का एहसास कराने के लिए काफी रही। गांधी जी के आह्वाहन पर युवाओं ने दमन की परवाह किये बगैर अंग्रेजों के पिठ्ठू बने सरदार संत बख्श सिंह, दारोगा गुप्तेश्वर सिंह जैसे जालिमों के अन्याय के विरूद्ध ना सिर्फ आवाज उठाई बल्कि समाज के सामान्य नागरिकों के क्रोध की अभिव्यक्ति को प्रकट करते हुए चौरी चौरा विद्रोह का इतिहास रचा।

यह दृश्य शुक्रवार को डीएवी पीजी कॉलेज में आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर चौरी-चौरा शताब्दी समारोह के अन्तर्गत आयोजित चौरी -चौराः अपराजेय समर के नाट्य दृश्यांकन में सजीव हो उठा। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गरिमामयी उपस्थिति में महाविद्यालय के इतिहास विभाग के छात्र - छात्राओं द्वारा मंचित इस नाट्य को देखकर महर्षि दयानन्द इण्डोर स्टेडियम में उपस्थित दर्शकों की ऑखें नम हो गयी। 100 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित इस घटनाक्रम को लम्बे समय तक राष्ट्रीय मुक्ति संग्राम का हिस्सा ही नही माना गया, बाद में यह घटना इतिहास में चौरी चौरा विद्रोह के रूप विख्यात हुई। नाट्य निर्देशन रंगकर्मी व्योमेश शुक्ल ने किया।

इससे पूर्व चौरी चौरा शताब्दी समारोह का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्रा, प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह, रेक्टर प्रो. वी.के. शुक्ला, प्रबन्धक अजीत कुमार सिंह यादव ने दीप प्रज्ज्वलन एवं मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर मार्ल्यापण से किया। मुख्यमंत्री का स्वागत डॉ. सत्यदेव सिंह ने स्मृति चिन्ह, उत्तरीय एवं पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया।

इनकी रही उपस्थिति 

इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो. विजय बहादुर सिंह, प्रो. जी.सी.आर. जायसवाल, प्रो. बिन्दा परांजपे, पद्मश्री पं. शिवनाथ मिश्रा, डॉ. उषा किरण सिंह, सभाजीत सिंह, प्रियंकदेव सिंह, डॉ. विनोद कुमार चौधरी सहित शिक्षा जगत के गणमान्य जन, प्रशासनिक अधिकारी एवं समस्त अध्यापक तथा कर्मचारी उपस्थित रहे। संचालन डॉ. समीर कुमार पाठक एवं धन्यवाद ज्ञापन राज्यमंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्रा ने दिया।

प्रभा के अमृत महोत्सव विशेषांक का हुआ विमोचन - आयोजन में महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका प्रभा के अमृत महोत्सव विशेषांक का विमोचन भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया।

Baba hardev singh ko kiya naman

संत निरंकारी मण्डल ने मनाया बाबा  हरदेव सिंह को समर्पित समर्पण दिवस



Varanasi (dil India live)। युगदृष्टा बाबा हरदेव सिंह का दिव्य सर्वप्रिय स्वभाव व उनकी विशाल अलौंकिक सोच मानव कल्याण के लिए समर्पित थी। उन्होंने पूर्ण समर्पण सहनशीलता एव विशालता वाले भावो से युक्त होकर ब्रह्मज्ञान रूपी सत्य के संदेश को जन जन तक पहुंचाया और विश्व बंधुत्व की परिकल्पना को वास्तविक रूप प्रदान किया। उक्त बातें समर्पण दिवस के अवसर पर वाराणसी जोन के जोनल इंचार्ज सिद्धार्थ शंकर सिंह ने संबोधित करते हुए कही। सत्संग की सारी व्यवस्था सेवादल के अधिकारियों के देख रेख में सेवादल के जवानों एव बहनों ने किया। संत निरंकारी सत्संग भवन मलदहिया वाराणसी पर जिलास्तरीय विशाल सत्संग में सैकड़ों निरंकारी भक्तों ने बाबा हरदेव सिंह महाराज के प्रेरक संदेश की कुछ भी बनो मुबारक है, पर पहले इंसान बनो, दीवार रहित संसार, एक को जानो, एक को मानो, एक हो जाओ आदि संदेशों से प्रेरणा लेते हुए सत्संग का आनन्द प्राप्त किया।

वक्ताओं ने कहा कि बाबा ने मानवता का दिव्य स्वरूप बनाने निरंकारी संत समागमों की अविरल श्रृंखला को निरंतर आगे बढ़ाया, जिसमें उन्होंने सभी को ज्ञानरुपी धागे में पिरोकर प्रेम एव नम्रता जैसे दिव्य गुणों से परिपूर्ण किया। इंसानियत ही मेरा धर्म है इस कथन को चरितार्थ करते हुए संत निरंकारी मिशन की शिक्षा को छोटे छोटे कस्बों से लेकर दूर देशों तक बाबा जी ने विस्तृत किया। उन्होंने सदैव यही समझाया कि भक्ति की धारा जीवन में निरंतर बहती रहनी चाहिए।

         बाबा हरदेव सिंह जी को मानव मात्र की सेवाओं में अपना उत्कृष्ट योगदान देने के लिए देश विदेश में सम्मानित भी किया गया। उन्हें 27यूरोपीय देशों की पार्लियामेंट ने विशेष तौर पर सम्मानित किया और मिशन को सयुक्त राष्ट्र यूएन का मुख्य सलाहकार भी बनाया गया। साथ ही विश्व में शांति स्थापित करने हेतु अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया गया।

          सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज बाबा हरदेव सिंह की सिखलाइयो का जिक्र करते हुए कहती है की बाबा ने अपना सम्पूर्ण जीवन ही मानव मात्र की सेवा में अर्पित कर दिया। मिशन का 36 वर्षो तक नेतृत्व करते हुए उन्होंने प्रत्येक भक्त को मानवता का पाठ पढ़ाकर उनका कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। सतगुरु माता जी अक्सर कहते है की हम अपने कर्म रूप में एक सच्चे इंसान बनकर प्रतिपल समर्पित भाव से अपना जीवन जिए यही सही मायने में बाबा जी के प्रति हमारा सबसे बड़ा समर्पण होगा, और उनके शिक्षाओं पर चलते हुए हम उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते है।

         

शुक्रवार, 13 मई 2022

Ghazi miya ki shadi: पलंग पीढ़ी बहराइच रवाना

गाज़ी मियां की मेदनी के जुलूस में उमड़ा जनसैलाब




Varanasi (dil India live)। शुक्रवार को बड़ी बाजार, सलारपुरा स्थित प्रसिद्ध सूफी संत हज़रत सैयद सलार मसूद गाजी‌ रहमतुल्लाह अलैह गाजी मियां की पलंग-पीढ़ी (मेदनी) का जुलूस गाजी मियां के गद्दीनशीन/सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी के नेतृत्व में उठाया गया। 
दरअसल गाजी मियां की शादी 22 मई को होना है। शादी के सवा महीने पहले से ही शादी की रस्में शुरू हो जाती है। इसी क्रम में आज मेदनी का जुलूस निकाला गया। जुलूस चौकाघाट तक दरगाह कमेटी के ओहदेदारानो की अगुवाई में निकाला गया। जुलूस में हाजी सिराजुद्दीन अहमद, नियाजुद्दीन हाशमी, डा. अजीजुर्रहमान, नोमान अहमद, अब्दुल अब्दुल्लाह, जीशान अहमद, मो.शमीम के साथ तमाम बनारस जिले से आये जायरीन के हुजूम के साथ सरकार के कोविड नियमों का पालन करते हुए बहराईच दरगाह के लिये रवाना किया गया। 
जुलूस में दरगाह कमेटी के प्रतिनिधिगण निजामुद्दीन (कोड़े बरदार), मो. छोटक (निशान बरदार), मो. आरिफ हाशमी गुड्डू (डंकेबरदार), मुन्ना फुहारा वाले (जमेदार) को अपने कदीमी रास्तों से होते हुए बहराईच दरगाह भेजा गया। जुलूस को इंस्पेक्टर जैतपुरा मथुरा राय ने आगे बढ़ाया। दरगाह कमेटी के सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने प्रशासन के लोगों का और जायरीन का शुक्रिया अदा किया।

गुरुवार, 12 मई 2022

13 may को दुनिया को अलविदा कह गए थे बाबा

ऐसे थे निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह

नफरत त्याग कर, विश्व में प्रेम और भाईचारा चाहते थे बाबा



Aman 

Varanasi (dil India live)।नफरत त्याग कर, विश्व में प्रेम और भाईचारा हो, लोग एक दूसरे से प्यार करें, अहिंसा का अंत हो। यह मिशन था संत निरंकारी मिशन प्रमुख बाबा हरदेव सिंह महाराज का। वो निरंकारी मिशन के चौथे प्रमुख थे। इनका जन्म 23 फरवरी 1954 को दिल्ली में पिता गुरबचन सिंह (बाबा जी) व माता कुलवंत कौर (राज माता) के यहां हुआ। इनका विवाह सविंदर कौर (सतगुरु माता) के साथ हुआ। बचपन से ही ये माता-पिता के साथ देश-विदेश की आध्यात्मिक यात्राएं किया करते थे।

24 अप्रैल, 1980 को बाबा गुरबचन सिंह के बलिदान के बाद इन्होंने मिशन की बागडोर संभाली और अपने पहले प्रवचनों में ही संगतों को नफरत त्याग कर, विश्व में प्रेम और भाईचारे की भावना को फैलाने के लिए यत्न करने को कहा। युवाओं को अच्छे कार्यों के प्रति प्रेरित करने के लिए इन्होंने रक्तदान शिविरों की शुरूआत की और नारा दिया ‘खून नालियों में नहीं नाड़ियों में बहना चाहिए।’ 24 अप्रैल 1986 से लगातार हर वर्ष देश-विदेश में रक्तदान शिविर लगने लगे जो आज भी जारी हैं और निरंकारी मिशन के नाम पर रक्तदान का वल्र्ड रिकार्ड बना। इन्होंने जात-पात, नशों के सेवन और दाज दहेज के नाम पर समाज में व्याप्त बुराइयों को अपने उपदेशों द्वारा मानव जीवन से निकालने का भरपूर प्रयास किया।

इन्होंने 36 वर्ष तक मिशन का नेतृत्व किया और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को खत्म करने के लिए अपने अनुयाइयों को वृक्षारोपण करने का आदेश दिया। इनके जन्म दिवस पर इनके अनुयायी सड़कों, सरकारी अस्पतालों, स्कूलों, रेलवे स्टेशनों आदि पर बड़े स्तर पर सफाई करते तथा वृक्ष भी लगाते हैं। इसके साथ ही मिशन द्वारा विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के आने पर राहत कार्य भी किए जाते हैं। इन्होंने अपना सारा जीवन मानवता की भलाई में काम करते हुए विश्व में अमन, चैन, शांति व भाइचारे की स्थापना के लिए समर्पित कर दिया।

13 मई को दुर्घटना में हुआ था निधन

13 मई 2016 की सुबह बाबा हरदेव सिंह महाराज पंचतत्व शरीर को छोड़ कर बिछोड़ा दे गए। उनका निधन एक दुर्घटना में हुआ था। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 13 मई को विश्व भर में मिशन के श्रद्धालुओं द्वारा समर्पण दिवस के तौर पर मना कर उनकी सराहनीय देन को याद किया जाएगा।

मानव सेवा ही मिशन

बाबा के देवलोग गमन के बाद सतगुरु माता सुदीक्षा मानवता की सेवा में जुटी हैं। समूचे विश्व में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाऊन जब लगा था, उस कठिन समय में माता सुदीक्षा के आदेश पर निरंकारी मिशन के सभी भक्त पूरे भारत में जरूरतमंदों की मदद को आगे आए थे।


माता सुदीक्षा ने पंजाब के निरंकारी भवनों को शेल्टर होम्स के रूप में उपयोग करने की पेशकश की थी। इसके अलावा पूरे विश्व में निरंकारी मिशन के स्वयं सेवकों द्वारा लॉकडाऊन के दौरान प्रशासन के दिशनिर्देशों के तहत जरूरतमंदों को राशन, लंगर, मास्क, सैनीटाइजर, दस्ताने, पी.पी. ई किट्स व हैड शील्ड किट्स आदि दान किया गया था।

एएनएम मनोरमा के काम से प्रभावित होकर स्टेट टीम ने किया ट्वीट

मनोरमा की तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल से किया ट्वीट



Himanshu rai
Ghazipur (dil India live)। स्वास्थ्य विभाग में नवजात शिशु से लेकर गर्भवती को समय-समय पर टीकाकरण करने वाली एएनएम जो स्वास्थ्य विभाग की निचली और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है। ऐसी ही एक एएनएम को डॉ मनोज शुक्ला जीएमआरआई लखनऊ ने उसके कार्यों से प्रभावित होकर उसकी तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है। साथ ही एनएचएम यूपी,डिजिटल इंडिया एवं आयुष्मान डीएचएम को टैग भी किया है। और इस ट्वीट को मिशन निदेशक अपर्णा यू ने रिट्वीट करते हुए लिखा है जब गाजीपुर की एएनएम  कर सकती है तो अन्य क्यों नहीं।

दरअसल जनपद में चल रहे सघन मिशन इंद्रधनुष 4.0 के तीसरे चरण का स्थलीय निरीक्षण करने स्टेट से डॉ मनोज शुक्ला जीएमआरआई लखनऊ और डॉ विजय अग्रवाल यूनिसेफ लखनऊ ने गाजीपुर का दौरा 9 मई को किया। जनपद के कई स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही कोल्ड चैन के रखरखाव की बहुत ही बारीकी से निरीक्षण किया। इस दौरान यह टीम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिरनो के भड़सर उपकेंद्र पर पहुंचा जहां पर एएनएम मनोरमा के द्वारा टीकाकरण का कार्य किया जा रहा था। उसके कार्य करने का तरीका देखकर निरीक्षण करने वाली टीम काफी प्रभावित हुई। क्योंकि मनोरमा टीकाकरण करने के साथ ही ऑफलाइन रिकॉर्ड मेंटेन के साथ ही ई कवच पोर्टल पर तत्काल ऑनलाइन भी कर रही थी। जो निरीक्षण करने वाली टीम को पूरे जनपद में यही मिली। जिससे प्रभावित होकर टीम ने एएनएम मनोरमा की फोटो अपने टि्वटर हैंडल से ट्वीट किया।

इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट कोल्ड चैन का भी निरीक्षण किया और वहां के रखरखाव और व्यवस्था से प्रभावित हर।साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदाबाद पर भी टीम गई। जहां पर कम जगह होने के बाद भी कोल्ड चैन रूम को अच्छे तरीके से रखने का प्रबंध किया गया था। और इनके फील्ड की एएनएम प्रीति गुप्ता का प्रदर्शन ठीक भी रहा। जिसे टीम ने सराहा।

जीवन में आये तूफान से भी नहीं रुके सेवा भाव के कदम

अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (12 मई) पर विशेष


 • हौसलों के उड़ान की मिसाल हैं   नर्सिंग सेवा में जुटीं यह  महिलाएं

 • मरीजों को परिवार का सदस्य मानकर सेवा करना है इनके जीवन का लक्ष्य





Varanasi (dil India live)। रात के अंधेरे में लालटेन लेकर घायलों की सेवा करने के साथ-साथ महिलाओं को नर्सिंग की ट्रेनिंग देने वाली फ्लोरेंस  नाइटेंगल को भला कौन नहीं जानता। क्रीमिया युद्ध में घायल सैनिकों के उपचार में अहम भूमिका निभाने वाली फ्लोरेंस नाइटेंगल को ‘लेडी विद द लैम्प’ के नाम से भी जाना जाता है। हर वर्ष उनकी याद में 12 मई  को ‘अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस’ मनाया जाता है। फ्लोरेंस  नाइटेंगल तो अब इस दुनिया  में नहीं हैं  लेकिन उनके पदचिन्हों पर चलते हुए नर्सिंग सेवा कर रहीं  महिलाओं की संख्या अनगिनत है।  आध्यात्मिक नगरी काशी में भी नर्सिंग सेवा में जुटी ऐसी ही महिलाओं ने अपनी अलग पहचान बना रखी है।

 *फिर भी नहीं रुके कदम-* 

मरीजों की सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना चुकीं  सुनीता के जीवन में आये तमाम तूफान भी उनके कदमों को रोक न सके। कोविड काल में अपनी जान पर खेल कर मरीजों के लिए किये गये योगदान को जहां एक नजीर के तांैर पर देखा जाता है वहीं किसी भी मरीज की अपने परिवार के सदस्य की तरह सेवा करना सुनीता को औरों से अलग पहचान दिलाता है। मण्डलीय चिकित्सालय में नर्स सुनीता बताती हैं कि बचपन से ही उनके मन में मरीजों की सेवा करने का भाव था। यही कारण था कि उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई  की ताकि अपने सपनों को वह साकार कर सकें। उनका सपना सच होता भी नजर आया जब उन्हें नर्स की नौकरी मिल गयी। ड्यूटी को वह पूजा मान मरीजों की सेवा में जुट गयीं । शेष समय वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने में गुजार देती थी। सबकुछ अच्छा चल रहा था। परिवार में बेटा निशांत और बेटी तृप्ति के साथ वह खुशहाल जीवन गुजार रही थी। तभी उनके जीवन में अचानक तूफान आ गया। वर्ष 2013 में उनके पति आशीष सिंह की हार्ट अटैक से हुई मौत ने उनका सारा  सुख-चैन छीन लिया। इस हादसे से वह काफी दिनों तक सदमें में रहीं। लगा कि सबकुछ छिन गया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने हिम्मत जुटाई और जीवन को पटरी पर धीरे-धीरे लाने का प्रयास करने के साथ ही पुनः मरीजों की सेवा में जुट गयी। मरीजों की सेवा वह इस भावना के साथ करती है, जैसे वह उनके परिवार का ही सदस्य हो।

 *मरीजों की सेवा ही जीवन का लक्ष्य-* 

गाजीपुर जिले की रहने वाली पूनम चौरसिया राजकीय महिला जिला चिकित्सालय में स्टाफ  नर्स है। पूनम बताती हैं कि पढ़ार्इ में वह शुरू से ही अव्वल रहीं। उनके सामने अन्य क्षेत्रों में भी कार्य करने के अवसर थे पर बचपन से ही उन्होंने नर्स बनने का सपना देख रखा था। इन्सान की सेवा को ही सबसे बड़ा धर्म मानने वाली पूनम बताती है कि नर्स की नौकरी पाने के बाद यह सपना साकार हो गया। वह जिला महिला चिकित्सालय के सर्जरी वार्ड में ड्यूटी करती हैं। आपरेशन के बाद दर्द से कराहती प्रसूताओं की सेवा करने से उन्हें एक अलग तरह का सुख मिलता है। वह बताती है कि कभी-कभी ऐसी भी प्रसूताएं उनके वार्ड में भर्ती होती है, जिनके परिवार में कोर्इ भी नहीं होता। तब उनकी जिम्मेदारी और भी बढ जाती है। ऐसे मरीजों का उन्हें अलग से ख्याल रखना होता है। मरीज और नर्स के बीच शुरू हुआ ऐसा रिश्ता बाद में ऐसे आत्मीय रिश्ते में बदल जाता है कि अस्पताल से घर जाने के बाद भी मरीज और उसके परिवार के लोग उनके सम्पर्क में रहते हैं।

 परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ समाज सेवा भी 

 सुनीता शादमान राजकीय महिला जिला चिकित्सालय में स्टाफ  नर्स हैं। उनकी डयूटी अधिकांशतः आपरेशन थियेटर में रहती है। वह बताती है कि यही एक ऐसी नौकरी है जिसमें परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने के साथ-साथ समाज सेवा का भी भरपूर अवसर मिलता है। सुनीता शादमान कहती है कि यही वजह थी कि उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई की और इस सेवा में जुट गयी। वह बताती है कि आपरेशन थियेटर में घबरा रही महिलाओं को ढांढस देना। वहां उन्हें अपने परिवार के सदस्य जैसा माहौल देकर उसकी पीड़ा को कम करने का प्रयास करती है। उनकी पूरी कोशिश होती है कि मरीज उनके सेवा व समर्पण भाव को याद रखे।

मंगलवार, 10 मई 2022

छह माह तक शिशु को सिर्फ मां का दूध दें, और कुछ नहीं

सीडीओ ने किया ‘पानी नहीं, केवल स्तनपान अभियान’ की शुरुआत 

30 जून तक चलेगा अभियान

सभी कंवर्जेंस विभागों के सहयोग से सफलतापूर्वक संचालित हो अभियान - सीडीओ

कहा - आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समुदाय को जागरूक करने में निभाएं अहम भूमिका 



Varanasi (dil India live)। आयुक्त सभागार में मंगलवार को 'पानी नहीं, केवल स्तनपान' अभियान का शुभारंभ मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिषेक गोयल ने किया । अभियान के प्रथम दिन जनपद के समस्त विकास खंडों की बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) एवं सुपरवाइजर का अभिमुखीकरण किया गया । इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डॉ एके मौर्य, जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) डीके सिंह एवं यूनीसेफ के मंडल समन्वयक अंजनी कुमार राय ने ' छह माह तक शिशु को सिर्फ मां का दूध' के महत्व के बारे में विस्तार से बताया।

      मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि अभियान के दौरान प्रत्येक ग्राम में सुपरवाइजर एवं सीडीपीओ भ्रमण का गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को स्तनपान के संबंध में प्रशिक्षित करें । इस अवसर पर पोस्टर का प्रारूप भी जारी किया गया । उन्होंने कहा कि शासन के निर्देश के क्रम में अभियान के तहत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग विभिन्न बैठकों में अभियान की कार्य योजना बनाए और व्यापक रूप से प्रचार - प्रसार करे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग संस्थागत प्रसव के प्रत्येक मामले में शिशु जन्म के बाद लाभार्थी परिवार को केवल स्तनपान पर अनिवार्य परामर्श दिया जाए। आशा कार्यकर्ता अधिक से अधिक लाभार्थी परिवारों तक परामर्श देने का प्रयास करें। ग्राम विकास विभाग स्वयं सहायता समूह की मासिक बैठकों में अभियान के संदेशों को प्रचारित करने में मदद करे। पंचायती राज विभाग लक्षित लाभार्थियों के यहां गृह भ्रमण कर अभियान के संदेशों का प्रचार-प्रसार कराए। बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग सरकारी एवं अनुदानित विद्यालयों में अध्यापकों द्वारा अभियान के संदेशों को विद्यार्थियों के माध्यम से प्रचारित कराने में सहयोग करे। खाद्य एवं रसद विभाग कोटेदारों के सहयोग से अभियान के संदेशों का प्रचार-प्रसार तथा लक्षित लाभार्थियों को परामर्श दिया जाए। डेवलपमेंट पार्टनर्स चिह्नित कार्य क्षेत्र में आईसीडीएस विभाग को प्रचार-प्रसार में सहयोग करे। सूचना, शिक्षा तथा संचार माध्यमों के प्रयोग से अभियान में सहभागी बनेंगे। 

       एसीएमओ डॉ एके मौर्य ने कहा कि शिशु की छह माह की आयु तक "केवल स्तनपान" उसके जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है, लेकिन जागरूकता की कमी से समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण छह माह तक "केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। परिवार के सदस्यों द्वारा शिशु को घुट्टी, शहद, चीनी का घोल, पानी आदि का सेवन करा दिया जाता है, जिसके कारण शिशुओं में कई प्रकार के संक्रमण हो जाते हैं, जोकि शिशु के स्वस्थ जीवन के लिए घातक सिद्ध होता है। शिशु के प्यासा रहने की आशंका मे उसे पानी देने का प्रचलन गर्मियों में बढ़ जाता है। माँ के दूध में अन्य पौष्टिक तत्वों के साथ-साथ पानी भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है और शिशु की पानी की आवश्यकता केवल स्तनपान से पूरी हो जाती है। अतः शिशु को छः माह तक, ऊपर से पानी देने की बिलकुल आवश्यकता नहीं होती है। ऊपर से पानी देने से शिशुओं में संक्रमण होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 

      डीपीओ डीके सिंह ने बताया कि यह अभियान 30 जून तक चलेगा। अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा समुदाय में छह माह तक के शिशुओं में केवल स्तनपान सुनिश्चित करना है। इसके साथ समुदाय में व्याप्त मिथक एवं भ्रांतियों को भी दूर किया जाएगा।

Ghazi miya ki shadi:जुमे को बहराइच जाएगी पलंग पीढ़ी

गाज़ी मियां की शादी: 22 को लगेगा मेला, मनेगा उर्स



Varanasi (dil India live) बड़ी बाजार स्थित हजरत सैयद सलार मसूद गाजी मियां रहमतुल्लाह अलैह की शादी की शादी की रस्म कोविड काल के बाद इस बार धूमधाम से अदा की जाएगी। शादी से पहले पलंग पीढ़ी, मेंहदी वो जोड़ा बनारस से बहराइच रवाना होगा।

गाज़ी मियां की शादी की रस्म के साथ शादी पर उर्स और मेले की तैयारियां भी अब तेज़ हो गई है। दरगाह हजरत गाज़ी मियां के सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने बताया कि 22 मई को गाज़ी मियां की बारात निकलेगी। इस दौरान तीन दिनों तक मेला लगेगा। बारात के पूर्व 13 मई को पलंग-पीढ़ी और जोड़े का जुलूस दरगाह से निकलेगा जो बहराइच रवाना होगा। उन्होंने कहा कि इस दौरान कोरोना महामारी से निजात की दुआएं भी मांगी जाएगी। उन्होंने कहा कि गाजी मियां की लग्न सवा महीने पहले ही अदा की जा चुकी है। गाजी मियां की शादी की रस्म की शुरूआत लग्न से ही हो जाती है। दरगाह गाजी मियां के गद्दीनशीन/सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने कहा कि रगाह कमेटी के सदर हाजी सिराजुद्दीन अहमद, नियाजुद्दीन हाशमी, डा. अजीजुर्रहमान,  अब्दुल अब्दुल्लाह, व नोमान अहमद हाशमी की अगुवाई में फातिहा और चादर पोशी की रस्म उर्स के दौरान अदा की जाएगी।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...