बुधवार, 6 अप्रैल 2022

तरावीह में गूंजती रही कुरान की आयतें

तरावीह करायी मुकम्मल तो हुआ हाफ़िज़ साहब का खैरमक़दम



वाराणसी ०६ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। लाठ सरैया और मखदूम शाह बाबा मस्जिद में तीन दिन की तरावीह की नमाज बीती रात मुकम्मल हुई। इस दौरान सैकड़ों लोगो ने तराबी की नमाज अदा किया।  इन दोनों मस्जिद में तरावीह की नमाज बुनकर बिरादराना तंजीम चौदहों के सरदार हाजी मकबूल हसन की अगुवाई में होती है। इस मौके पर सरदार मकबूल हसन ने बताया कि इन दोनों मस्जिद में वर्षो से ही तीन दिन की तरावीह की नमाज अदा की जाती है रमजान का चांद दिखने के बाद ही तरावीह की नमाज सभी मस्जिदों में शुरु हो जाती है। इसी तरह इन दोनों मस्जिद में भी तरावीह होती है। जिसमें सैकड़ो लोग शामिल होते हैं जो शांति पूर्वक नमाज अदा करते है। लाट सरैया में तरावीह की नमाज हाफिज मोहम्मद जुबैर ने अदा करायी और मखदूम शाह बाबा मस्जिद पर तरावीह की नमाज हाफिज नसीम अहमद ने पढ़ायी। तरावीह की नमाज खत्म होने के बाद सभी नमाजियों ने दोनों हफिजो को गले मिल कर माला पहना कर मुबारकबाद दिया। इस मौके पर तराबी की नमाज में मौजूद मौलाना इकबाल सिराजी, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, पार्षद तुफैल अंसारी, पूर्व पार्षद कल्लू, मतीन अंसारी, बाबू अंसारी, अब्दुल रब, यासीन अंसारी,  इम्तियाज अंसारी, सरदार गुलाम नबी, जुनैद, मुस्ताक,  फारुख,  बिस्मिल्ला अंसारी सहित चौदहों काबीना के सभी सदस्य मौजूद थे।

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

रमज़ान का रोज़ा मुसलमानों पर कब हुआ था फर्ज़ ?

 


रमज़ान हेल्पलाइन : सवाल आपके जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब

वाराणसी ०५ अप्रैल (दिल इंंडिया लाइव)। रमज़ान का रोज़ा उम्मते मोहम्मदिया पर कब फर्ज़ हुआ यह सवाल बड़ी बाज़ार से मो. शमीम ने रमज़ान हेल्प लाइन में किया। इस पर उलेमा ने कुरान और हदीस की रौशनी में जवाब देते हुए कहा कि 10 शाबान सन् 2 हिजरी को कुरान की आयते नाज़िल हुईजिसमें हुक्म हुआ कि ऐ मुसलमानों तुम पर रोज़ा फर्ज़ हो गया है। तभी से मुसलमान रोज़ा रख रहे हैं।

 रेवड़ीतालाब से मो. ज़फर ने फोन किया कि सहरी में नींद नहीं खुलीसुबह उठे तो भूलकर ब्रश कर लिया जब याद आया कि रोज़ा हैं तो ब्रश निकाल कर मुंह धो लियाइस पर रोज़ा होगा या नहींमुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी व सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी एवं मौलाना अज़हरूल क़ादरी ने जवाब दिया रोज़ा हो जायेगा क्यों कि आपको याद नहीं था और आपने फौरन ब्रश निकाल कर मुंह धो लिया। अगर आप याद आने के बाद भी ब्रश करते रहते तो रोज़ा नहीं होता। पिण्डा से वसीम ने फोन किया कि रोज़ा क्या खाकर खोला जायेइस पर उलेमा ने कहा कि इफ्तार यूं तो कुछ भी खाकर किया जा सकता है मगर नबी की सुन्नत खजूर है इसलिए खजूर या पानी से रोज़ा इफ्तार करना अफजल है। उसके बाद कोई भी इफ्तारी करें।

इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई

इन नम्बरों पर बात करके आप अपनी दुश्वारी का हल निकाल सकते हैं। मोबाइल नम्बर ये है- 9415996307, 9450349400, 9026118428,  9554107483

रोजेंदारों को जगाने तब आती थी टोलियां



सहरी का वक्त हो गया है, उठो रोज़ेदारो कुछ खां...। कुछ ऐसे ही अल्फाज अल सहर जब गली महल्लो में गूंजते तो तमाम रोजेदार बिस्तर से सहरी करने के लिए उठ बैठते थे। तीन दशक पहले बाकायदा रोजेदारों को जगाने के लिए हर मुहल्लो में टोलियां निकलती थी, आधुनिकता के चलते अब न तो टोलियां रहीं और न ही रमजान में जगाने वाली पुरानी तकनीक। एक समय रमजान शुरू होते ही देर रात घड़ी की सुईयां जब 3 बजे के करीब पहुंचती तो अचानक बनारस समेत पूर्वांचल के तमाम शहरों का नज़ारा बदलने लगता था। रोजादारों को जगाने के लिए टोलियां निकलती। यही नहीं, मस्जिदों से भी रोजेदारों को जगाने के लिए ऐलान होता, माइकों से आवाज आती है, जनाब! नींद से बेदार हो जाइए, सहरी का वक्त हो चुका है। एक रिपोर्ट...

सरफराज अहमद

वाराणसी ०५ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। सहरी का वक्त हो गया है, उठो रोज़ेदारो कुछ खां...। कुछ ऐसे ही अल्फाज अल सहर जब गली महल्लो में गूंजते तो तमाम रोजेदार बिस्तर से सहरी करने के लिए उठ बैठते थे। तीन दशक पहले बाकायदा रोजेदारों को जगाने के लिए हर मुहल्लो में टोलियां निकलती थी, आधुनिकता के चलते अब न तो टोलियां रहीं और न ही रमजान में जगाने वाली पुरानी तकनीक। एक समय रमजान शुरू होते ही देर रात घड़ी की सुईयां जब 3 बजे के करीब पहुंचती तो अचानक बनारस समेत पूर्वांचल के तमाम शहरों का नज़ारा बदलने लगता था। रोजादारों को जगाने के लिए टोलियां निकलती। यही नहीं, मस्जिदों से भीरोजेदारों को जगाने के लिए ऐलान होता, माइकों से आवाज आती है, नींद से बेदार हो जाइए, सहरी का वक्त हो चुका है। यही नहीं, कहीं-कहीं ढोल व नगाड़े भी बजाए जाते हैं और फिर आवाज लगाकर हर रोजे़दार को उठाने की कोशिश की जाती है रोजेदारों, सहरी का वक्त हो गया है, सेहरी खा लो, हजरात! सिर्फ आधे घंटे बचे हैं जल्दी सेहरी से फारिग हो जाएं। मसिजदों से रोजेदारों को जगाने की यह तकनीक तो आज भी कायम है मगर, रोजेदारों को जगाने वाली टोलिया अब बीते दिनों की बात हो गई। आज, आधुनिकता और तकनीक के इस दौर में सहरी में जगाने के तरीके यकीनन बदल गए हैं। आज सेलफोन, लैपटाप, आइपाट से जहां अजान की आवाजें आ रही है, वहीं इन्हीं तकनीक और साधन से सहरी में जागाने का सहारा ले रहे हैं। 

जी हां! पहले रमजान की सहरी में लोगों को जगाने के तरीके पहले जुदा थे, पूर्वांचल के ज्यादातर इलाकों में लोगों को जगाने के लिए सड़कों पर काफिले निकलते थे। लोगों की टोलियां गलियों व मुहल्लों में घूम-घूम कर रोजेदारों को मीठे-मीठे नगमों से बेदार करती हैं। लोगों को जगाने के लिए कव्वाली गाये जाते थे हम्द व नआते-शरीफ पढ़ी जाती थी और जब बात इससे  नहीं बनती तो ऐलान किया जाता है कि ह्यसहरी का वक्त है रोजेदारों, सहरी के लिए जाग जाओ। वाराणसी के गौरीगंज के मरहूम सैयद नवाब अली को लोग आज भी भूल नहीं पाये हैं। सैयद नवाब अली न सिर्फ रमजान बल्कि हमेशा फजर की नमाज के लिए लोगों को जगाया करते थे।

 बजरडीहा के शकील अहमद बताते हैं कि रमजान में लोगों को जगाने वाली टोलियों जैसी बेहतरीन परंपरा के गायब होने के पीछे आधुनिक तकनीक जिम्मेदार है। पहले जब समय जानने का कोई तरीका नहीं था, तब सहरी के लिए जगाने वाली काफिले की काफी अहमियत थी। लोगों को सोते से जगाने का यह एक अच्छा तरीका था, लेकिन अब लाउडस्पीकर से ही मसजिद से जगाने भर से काम चल जाता है।


सोमवार, 4 अप्रैल 2022

प्रवेश मे लाटरी प्रक्रिया समाप्त करने की मांग

वाराणसी ०४ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से सभी संबद्ध विद्यालय सेंट्रल हिंदू स्कूल ( सी एच एस ) में  लाटरी प्रक्रिया से प्रवेश रोकने की कांग्रेस ने मांग की है। महानगर कांग्रेस के उपाध्यक्ष फसाहत हुसैन बाबू उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेंहदी कब्बन ने संयुक्त रुप से लॉटरी प्रक्रिया का विरोध करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को लॉटरी प्रक्रिया को तत्काल रद्द कर प्रवेश परीक्षा करा कर छात्रों का प्रवेश  चाहिए। लॉटरी प्रक्रिया से विद्यालय प्रशासन की नियत में खोट नज़र आ रही है।

उक्त नेताओं ने विश्वविद्यालय के वी सी, परीक्षा नियंत्रक रजिस्ट्रार से अभिलंब प्रवेश मे लाटरी प्रक्रिया समाप्त कर पूर्व के भाती प्रवेश परीक्षा करा कर छात्रों का प्रवेश लें। लॉटरी प्रक्रिया से छात्रों का भविष्य चौपट हो सकता है साथ ही लॉटरी प्रक्रिया में होनहार छात्र का नुकसान होगा।

अब तो कोरोना जैसी महमारी भी नहीं है स्थिति सामान्य है तो विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रवेश परीक्षा कराने में क्या दिक्कत है आ रही है।

रोज़ा रखने वाले को खून दिया जा सकता है या नहीं?

रमज़ान हेल्प लाइन: आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रोज़ादार बीमार हो या रोज़े की हालत में उसे खून की ज़रूरत हो तो क्या खून उसे चढ़ाया जा सकता है? है। यह सवाल शमीम ने किया लोहता से? इसके जवाब में उलेमा ने कहा कि खून चढ़ाया जा सकता है। खून चढाये जाने से रोज़ा नहीं टूटेगा। 

रोज़ादार को पानी चढ़ाने का शरियत में क्या हुक्म है? उलेमा ने कहा कि बीमार रोजेदार को पानी भी चढ़ाया जा सकता है। पानी चढ़ाये जाने से उसका रोजा नहीं टूटेगा। हॉ पानी पीयेगा तो रोज़ा टूट जायेगा। 

रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

यहां होंगी आपकी रहनुमाई

रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाईके लिए उलेमा मौजूद हैं। मोबाइल नम्बर-: 9415996307, 9450349400, 9026118428,  9554107483

पैगामे रमज़ान २०२२: दुरुद पढ़ने वाला आसानी से जन्नत में होगा दाखिल


वाराणसी ०४ मार्च (dil India live )। रमज़ान की अज़मतों का क्या कहना, अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने तमाम रहमतों और बरकतों को इस मुकद्दस महीने में नाज़िल फरमाया। माहे रमज़ान नफ्स पर नियंत्रण का महीना है। ऐसे तो हर दिन-हर रात दुरुद शरीफ पढ़ने का बेहद सवाब है मगर नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया है कि जो इंसान कसरत से इस पाक महीने में दुरुद शरीफ पढ़ेगा उसे बरोज़ कयामत पुलसिरात पर से आसानी से जन्नत में दाखिल कर दिया जायेगा। इसलिए इस महीने में दुरुद कसरत से पढ़ने वालों की तादाद बढ़ जाती है। इस महीने की 21, 23, 25, 27 व 29 तारीख शबे कद्र कहलाती है जो हज़ार महीनों की इबादत से भी बेहतर है। इन रातों में तमाम मुस्लिम खूब इबादत करते हैं। मोमिन 20 तरीख से ईद का चांद होने तक एतेकाफ पर बैठता है। पैगम्बरे इस्लाम नबी-ए-करीम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स.) फरमाते हैं कि जिसने रमज़ान का रोज़ा रखा और उसकी हुदूद को पहचाना और जिन गुनाहों से बचना चाहिये, उससे वो बचता रहा तो उसकी वो गुनाह जो उसने पहले की है उसका कफ़्फ़ारा हो जायेगा रमज़ान का रोज़ा। अल्लाह हदीस में फरमाता है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। अल्लाह का मज़ीद इरशाद है, बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। जब रोज़ा का दिन हो तो बेहूदा बातों से दूर रहें और बुराईयों से बचे। रोज़ा चूंकि अल्लाह के लिए हैतो रोज़ा रखकर बंदा अल्लाह को ही पा लेता है। तो फिर जानबुझ कर कोई बंदा क्यों अपना नुकसान करेगा। इस महीने में इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवरदिगार तू नबी-ए-करीम के सदके में हम सबको बक्श दे और रोज़ेदारों को ईद की खुशियों के साथ नेक इंसान बनने की तौफीक दे..आमीन।

हफिज नसीम अहमद बशीरी

मदरसा हाफिज जुम्मन साहब


रविवार, 3 अप्रैल 2022

पहले रोज़े पर गूंजी अज़ान की सदाएं

खजूर और पानी से रोज़ेदारो ने खोला पहला रोजा

वाराणसी ०३ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। रमजान के पहले रोज़ मस्जिदों से जैसे ही आज़ान की सदाएं गूंजी, अल्लाह हू अकबर अल्लाह हू अकबर...। तमाम रोजेदारों ने खजूर और पानी से इस साल का पहला रोजा खोला। इस दौरान दस्तरखान पर तमाम लजीज पकवान सजाए गए थे। रोज़ादारो ने इफ्तार का लुत्फ उठाया। उधर दावते इस्लामी की ओर से रोज़ेदारो ने कंकड़ियाबीर मस्जिद में इशतेमाई रोज़ा इफ्तार का एहतमाम किया गया। यहां मुल्क और कौम के लिए दुआ भी की गई।
ऐसे ही शहर और आस पास के इलाकों में मुस्लिमों ने अज़ान की सदाओं पर इफ्तार किया। डर्बीशायर क्लब के अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर ने बताया कि रहमत का रमजान मुबारक का पहला अशरा शुरू हो गया। 

रमजान में शैतान होता है गिरफ्तार

डॉ साजिद अततारी कहते हैं कि
रमजान मुबारक बेहद मुकद्दस त्योहार है। रमजान मुबारक आते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है और जहन्नुम के दरवाजे रब बंद कर देता है।


शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...