रविवार, 28 फ़रवरी 2021

पहले अंतर्मन को ट्रांसफार्म करने की आवश्यकता, तभी देश होगा ट्रांसफार्म

राष्ट्रीय संगोष्ठी में जाने क्या बोले प्रो. बद्री नारायण 

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव/ प्रताप बहादुर सिंह)। सशक्त और समृद्ध हिन्दुस्तान के नए स्वप्न की ऊंची उड़ान है ट्रांसफार्मेशन की सोच, बस जरूरत है भारत को ट्रांसफार्म करने की ना कि उसे इण्डिया में परिवर्तित कर ट्रांसफार्म करने की। उक्त बातें प्रख्यात समाजशास्त्री एवं जीबी पन्त सामाजिक विज्ञान संस्थान, प्रयागराज के निदेशक प्रो. बद्री नारायण ने डीएवी पीजी काॅलेज के समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में ‘ट्रांसफार्मिंग इण्डिया-मुद्दे एवं चुनौतियाॅ‘ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता कही। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा अनुदानित संगोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए प्रो. बद्री नारायण ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का कितना भी विकास हो जाये यदि वहाॅ भेदभाव रहित समाज की स्थापना नही हो पाती तो वह राष्ट्र सही मायने में कभी भी ट्रांसफार्म नही हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत का गाॅव काफी पहले से ही आत्मनिर्भर है और सम्पूर्ण भारत लोगो का ज्ञान, रचनात्मकता, कार्य कुशलता और उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ही भारत के आत्मनिर्भरता का मूलमंत्र है। भारत की आत्मशक्ति ही भारत को हर प्रकार के संकट से बचाने में सफल होती है। प्रो. बद्री नारायण ने नये भारत की अवधारणा तभी सफल हो पायेगी जब यहाॅ जातीय और धार्मिक आधार पर होने विवाद और भेदभाव को पूरी तरह से खत्म किया जाये। वर्तमान साइबर दुनिया में यह भेदभाव और घटने की बजाये और बढ़ा है। ऐसे में सबसे पहले स्वयं के मन को ट्रांसफार्म करने की आवश्यकता है तभी देश सही मायने में ट्रांसफार्म हो पायेगा।

संगोष्ठी में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अजीत कुमार पाण्डेय ने भी आनलाइन व्याख्यान दिया। अध्यक्षता उपाचार्य प्रो. शिव बहादुर सिंह ने किया। संचालन विभागाध्यक्ष डाॅ. विक्रमादित्य राय ने किया। रिर्पोट संयोजिका डाॅ. सुषमा मिश्रा ने प्रस्तुत किया। स्वागत डाॅ. जियाउद्दीन, डाॅ. हसन बानो एवं डाॅ. नेहा चौधरी ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डाॅ. सत्यगोपाल, डाॅ. ऋचारानी यादव, डाॅ. समीर कुमार पाठक, डाॅ. आनन्द सिंह, डाॅ. प्रतिभा मिश्रा, डाॅ. निधि मिश्रा, डाॅ. अनुराग पाण्डेय आदि उपस्थित रहे। संगोष्ठी में देश



भर के विभिन्न शोध संस्थानों के 125 शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किया गया।


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