गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

Cristmas पर 24 की रात शुरु होगी प्रभु यीशु मसीह की आराधना

सज रही चरनी, सेंट मेरीज़ महा गिरजा में इतराने लगा सेंटा 

  • Cristmas पर उत्सव संग सावधानी कि बिशप कि अपील
  • महा गिरजाघर में इस बार भी नहीं लगेगी दुकानें
Cristmas कि अगुवाई में जुटे मसीही समुदाय के लोग 




Varanasi (dil india live)। चीन में कोरोना महामारी से मचे कोहराम पर भारत भी सतर्क है। यही वजह है कि Cristmas के global पर्व पर भी इस बार एहतियात बरतने का न सिर्फ ऐलान किया गया है बल्कि इस बार भी प्रभु यीशु के जन्म पर लगने वाला क्रिसमस मेला चर्च कम्पाउंड में नहीं लगाये जाने का फैसला लिया गया है। St. Mary's महा गिरजाघर में क्रिसमस के दौरान भीड़ न हो इसके लिए पुलिस प्रशासन के साथ ही फादर्स व ब्रदर्स भी नजर रखेंगे साथ ही न तो कोई स्टाल लगाए जाएंगे और न ही हुजूम जुटने दिया जाएगा। यही नहीं 24 दिसंबर की मध्यरात्रि को प्रभु यीशु के जन्म का जश्न हर साल वाराणसी के महागिरजा में शुरु होता था मगर इस बार भी संभावित कोरोना संक्रमण के चलते प्रभु यीशु के जन्म का समय बदल कर रात 11.30 के बजाये इस साल भी 10.30 बजे से ही प्रार्थना शुरू करने की तैयारी है। 

यह बातें गुरुवार को वाराणसी धर्मप्रांत के अध्यक्ष bishop यूजीन जोसेफ ने कही। उन्होंने कहा कि क्रिसमस की तैयारी अंतिम चरण में है। महा गिरजाघर, बिशप हाउस सजाया गया है। उन्होंने कहा कि क्रिसमस के उत्सव में पूरी तरह सावधानी बरते। बताया कि चरनी चर्चेज़ सजाने का काम तेज़ हो गया। महागिरजा समेत सभी चर्चेज़ रौशनी से नहा उठे हैं। घर से लेकर चर्च तक मसीही समुदाय क्रिसमस की तैयारियों को अंतिम रुप देने में जुटा हुआ है। शुक्रवार को बिशप हाउस में क्रिसमस मिलन कार्यक्रम भी शाम में होगा। पत्रकारवार्ता में फादर हेनरी, फादर सुसाई राज, फादर फिलीप डेनिस, फादर थामस आदि मौजूद थे।

Cristmas news: Sunday के कंधे पर बैठ कर आएगा crismas व new year 2023

Cristmas tree में गूंजे कैरोल, झूमे मसीही 



Varanasi (dil india live)। संडे के कंधे पर बैठ कर इस बार क्रिसमस और नया साल 2023 आएगा। जी हां क्रिसमस का ग्लोबल पर्व 25 दिसंबर इस बार संडे को पड़ रहा है। नया साल भी इतवार को ही पड़ेगा। इससे मसीही समुदाय में खास उत्साह है। 
दरअसल पादरी आदित्य कुमार कि माने तो मसीही समुदाय में संडे का खास महत्व है। मसीही समुदाय में संडे न सिर्फ आराधना और प्रार्थना का दिन है बल्कि इसे जीत का दिन भी कहते हैं। पास्टर एंड्रू थामस बताते हैं कि संडे यीशु मसीह का दिन है, दुनिया इसे छुट्टी के दिन के नाम से भी जानती है। पादरी बेन जान कि माने तो संडे को जीत का दिन इसलिए कहा गया है कि संडे को प्रभु यीशु मसीह मौत को मात दे कर कब्र से जी उठे थे और तब ईस्टर कि खुशी मनाई गई थी। तभी से संडे छुट्टी और प्रार्थना का दिन हो गया। पादरी नवीन ज्वाय वह पास्टर दशरथ पवार कहते हैं कि संडे का मसीही समुदाय में खास महत्व है। लम्बे समय के बाद क्रिसमस और नया वर्ष इतवार को पड़ रहा है। इससे लोगों में उत्साह ज्यादा है।

चर्च आफ बनारस में cristmas 

चर्च आफ बनारस में cristmas tree का आयोजन किया गया। यहां पादरी बेन जान ने आराधना कराते हुए कहा कि हम मसीही है इसका हमें गर्व है, हमें अपने सांसारिक जीवन पर चिंतन-मनन कर यह आकलन करना हैं कि मसीही होने के नाते हमने अब तक के जीवन में प्रभु यीशु के आदर्शों पर कितना अमल किया। उन्होंने कहा कि हम आभारी है प्रभु यीशु के। हमारा फर्ज हैं कि हम भी प्रभु यीशु की सदा स्तूति करें।

इस अवसर पर Vikas Mishra, Akhilesh, Andrew, Ashish, Alok, aradhna, Asher john, Riddkant, Chandrashekhar Dogra आदि मौजूद थे।

बेटल फुल गास्पल चर्च में cristmas 

crismas सीजन के तमाम आयोजन सभी गिरजाघरों में हर शाम हो रहे हैं। इस दौरान गिरजाघरों में प्रभु यीशु की स्तूति के गीत गूंज रहें हैं।, आराधना और प्रार्थना का दौर अलग अलग चर्चेज में सुबह से शाम तक चलता रहा। शुक्रवार को शाम में बेटल फुल गास्पल चर्च में क्रिसमस ट्री का आयोजन होगा। कार्यक्रम कि अगुवाई पास्टर एंड्रू थामस करेंगे। 

मंगलवार, 20 दिसंबर 2022

Aadivasiyo ने 1857 से पूर्व ही अंग्रेजों का विरोध शुरू कर दिया :डॉ मोहम्मद आरिफ

देश के लिए Aadivasiyo का सशक्तिकरण जरूरी : रणजीत कुमार

आदिवासी संस्कृति और अस्मिता की रक्षा जरूरी: हिदायत आज़मी

हमें अपनी लड़ाई खुद एकजुट होकर लड़नी होगी : अयोध्या प्रसाद



Sonbhadra (dil india live). सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज ब्लॉक के बहुआर में आज राइज एंड एक्ट के तहत सेंटर फॉर हार्मोनी एंड पीस द्वारा  भारत की परिकल्पना और आदिवासी समाज पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें आदिवासी जीवन और उनकी संस्कृति की चर्चा की गई।

भारत की परिकल्पना आदिवासियों के योगदान की चर्चा किये बिना अधूरी है। आदिवासियों की जीवन शैली उनके संघर्ष,हक- अधिकार, न्याय,शासन पद्धति , रीति रिवाज, धर्म,दूसरे समाजों से उनका सम्पर्क और त्योहार आदि भारतीय पुरातन संस्कृति का अटूट हिस्सा हैं।आदिवासी प्रकृति के साथ-साथ मानव जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखते हैं।आदिवासी महापुरुषों ने 1857 के पूर्व ही अंग्रेजों की नीयत को समझ लिया था।उन्होंने अपनी संस्कृति और अस्मिता की रक्षा के लिए हथियार उठाया न की किसी संस्कृति के विरुद्ध। आजादी के आंदोलन से लेकर भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। उक्त बातें राइज एंड एक्ट द्वारा आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने कही।

    डॉ मोहम्मद आरिफ ने कहा कि आजादी के आन्दोलन के दौरान ये सपना देखा गया था कि स्वतन्त्र भारत मे आदिवासियों को उनकी संख्या के अनुपात एवं अनुरूप पद प्रतिष्ठा प्राप्त होगा पर अभी तक ऐसा नहीं हो पाया।उनके संसाधनों पर राज्य जबरन कब्जा कर रहा है।हमें शिक्षा,रोजगार,स्वास्थ्य के लिए सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत है। अयोध्या प्रसाद ने कहा कि आदिवासी समुदाय मूलनिवासी है पर शिक्षा और नौकरियों में पिछड़ा हुआ है।राज्य उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है। यदि आदिवासी समाज जागरूक हो जाये और आपस मे एकजुटता स्थापित करे तो समस्या का समाधान हो समता है।

हिदायत आज़मी ने  सम्बोधित करते हुए कहा कि आज अधिवासी समूहों के साथ खड़ा होने की जरूरत है।उनके योगदान पर  विस्तृत चर्चा की जरूरत है। इसी के लिए हमें समाजिक केंद्र की स्थापना करनी होगी जो उनके अस्मिता और सम्मान की लड़ाई अन्य समाजों को साथ लेकर लड़े।भारत की परिकल्पना में सामाजिक न्याय,गरिमापूर्ण जीवन और शांति की ही कल्पना की गई है।

सामाजिक कार्यकर्ता रणजीत कुमार ने कहा कि तमाम सरकारी योजनाएं है जिनका लाभ वंचित समुदाय नही उठा पा रहा है।पढा-लिखा न होना इसका सबसे बड़ा कारण है।हमें अपने समाज को सशक्त करना है साथ ही साथ एकजुट भी करना होगा।संविधान में जो भी अधिकार दिए गए हैं हम उन अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष भी करना होगा।कार्यक्रम में रॉबर्ट्सगंज ब्लॉक के बहुआर, बढ़ौना, कुकराही, उरमौरा, बीचपाई, मडरा, बघुआरी, बसौली आदि गांवों के आदिवासियों ने सैकड़ों की संख्या में कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम के दौरान आदिवासियों के नायक बिरसा मुंडा,तिलका मांझी, सिद्धू-कानू आदि के जीवनी, और संघर्षों के बारे में भी बताया गया । 

इस मौके पर राजेश्वर, निर्मला, नीरा, बलिराम, अवधेश, विजेंद्र, चांदनी, रिंकू, शिवसागर, अनिता आदि की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही। कार्यक्रम का संचालन कमलेश कुमार और धन्यवाद ज्ञापन ज्योति ने किया।

सोमवार, 19 दिसंबर 2022

Varanasi 22 को पहुंचेगी bharat जोड़ो यात्रा, ऐतिहासिक होने का congress कर रही दावा





Varanasi (dil india live). वाराणसी महानगर कांग्रेस के उपाध्यक्ष (प्रशासनिक) फसाहत हुसैन बाबू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन, पार्षद विनय कुमार शादेजा, कांग्रेस विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह एडवोकेट ने जारी एक संयुक्त विज्ञप्ति में कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा के समर्थन में उत्तर प्रदेश के सभी प्रांतीय अध्यक्षों के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा कि सफलता से सत्ता पक्ष के लोग घबरा गए हैं।

उक्त नेताओं ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा पूर्व मंत्री, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रयागराज जोन के प्रांतीय अध्यक्ष, अजय राय के नेतृत्व में 22  दिसंबर को वाराणसी में सारनाथ से लगभग 22 किलोमीटर तक लम्बी यात्रा निकलने वाली ऐतिहासिक होगी। इस यात्रा का मकसद अन्याय के खिलाफ लड़ाई, भेदभाव के खिलाफ खड़े होना है और उनके खिलाफ एकजुट होना है। भारत जोड़ो यात्रा भारत के साजसेवी लोकतंत्र बनाए रखने, अन्याय के खिलाफ लोगों को लामबंद करने का एक मिशन।

उक्त नेताओं ने कहा कि इस यात्रा की तैयारी के सिलसिले में प्रत्येक वार्डों में जनसंपर्क जारी है लोग इस यात्रा में अपनी स्वेच्छा से शामिल होने की बात कर रहे हैं। इस यात्रा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे जी, अल्पसंख्यक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बृजलाल खाबरी का भी वाराणसी आगमन हो रहा है।

Tirthankar parshvanath के जन्म कल्याणक पर निकली भव्य रथयात्रा




Varanasi (dil india live)। जैन धर्म के 23 वें Varanasi में जन्मे तीर्थंकर श्री 1008 पार्श्वनाथ के 2898 वे जन्म कल्याणक पर सोमवार को भव्य रथयात्रा निकाली गई। 

गर्भ, जन्म, तप एवं ज्ञान कल्याणक की विशेष पूजन के उपरांत सोमवार को श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में प्रातः 9:30 बजे श्री दिगम्बर जैन पचांयती मन्दिर ग्वाल दास साहू लेन से शोभायात्रा प्रारम्भ होकर सोराकुआं, ठठेरी बाजार होते हुए चौक पहुंची। चौक थाने के समीप से तीर्थंकर के विग्रह को एक विशाल रजत रथ के कमल सिंहासन पर इन्द्रों ने विराजमान कराया। वहा उपस्थित समाज के लोगों ने भगवान की आरती उतारी। पुनः 11 बजे राजशाही रथयात्रा प्रारंभ हुई। गजरथ रथयात्रा में पार्श्वनाथ जी के जीवन से मोक्ष तक की झांकिया शामिल थी। 

जिस विशाल रथ पर भगवान विराजमान थे उसे भक्तगण स्वयं खीच कर अपनी श्रध्दा समर्पित कर रहे थे। श्रद्धालु श्रावक रास्ते भर आरती एवं पुष्प बर्षा कर रहे थे। आधा दर्जन बैन्ड पार्टीया द्वारा भक्ति धुन बजाकर माहौल को धर्ममय बना रहे थे। छोटे-छोटे बच्चे घोडो पर सवार थे। रथयात्रा का मुख्य आकर्षण रजत की धूप गाड़ी, 108 चंवरो वाली गाड़ी, राजशाही साज-सज्जा वाला विशाल रजत हाथी सबका ध्यान बरबस अपनी ओर खींच कर आकर्षित कर रहा था। 

रथयात्रा बांसफाटक, गौदोलिया होते हुए सोनारपुरा पहुंची। वंहा राजस्थान से आई भजन मंडली द्वारा भजनो की विशेष प्रस्तुती हुई। रास्ते भर केशरिया परिधानों में सजी धजी महिलाओं द्वारा भजनों की प्रस्तुती एवं जयकारा लगाया जा रहा था। रथयात्रा में अंहिसा परमो धर्म की जय, जीयो और जीने दो का जयकारा भक्तगण लगा रहे थे रथयात्रा मे अंहिसा परमो धर्म का बैनर, जैन धर्म का बैनर, झंडी गाड़ी, झंडे, ध्वज पताका भी लोग लेकर चल रहे थे। बीच-बीच मे जय-जय जिनेन्द्र देव की भव सागर नाव खेव की बोल कर तीर्थंकर के प्रति अपनी आस्था प्रगट कर रहे थे। 

रास्ते मे कई जगह रथयात्रा का स्वागत किया गया। भेलूपुर स्थित भगवान की जन्म स्थली जैन मन्दिर पहुंचने पर स्वागत एवं देवाधिदेव की आरती उतारी गई। मन्दिर परिसर में भगवान के विग्रह को बडे रजत रथ पर से उतार कर भक्तो ने रजत नालकी पर विराजमान कर बधाई गीत मेरी आली आज बधाई गाईया, ढोल, मंजीरा, ताल बाजै नौबत शहनाईया की प्रस्तुती हुई। 

तत्पश्चात भगवान को मन्दिर में रजत पाण्डुक शिला में विराजमान कर 108 कलशो से अभिषेक प्रक्षाल एवं विशेष पूजन किया गया। सोमवार को ही जैन धर्म के 8 वें तीर्थंकर चन्द्र प्रभु भगवान का भी जन्म कल्याणक धूम धाम से चन्द्रपुरी चौबेपुर जैन मन्दिर एवं भेलूपुर स्थित जैन मंदिर मे मनाया गया। आयोजन में प्रमुख रूप से समाज के अध्यक्ष दीपक जैन उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर सी जैन, विनोद जैन, संजय जैन प्रधान मन्त्री अरूण जैन समाज मन्त्री तरूण जैन विनय जैन प्रदीप जैन, सुधीर पोद्दार निशांत जैन संयोजक रत्नेश जैन, राजेश भूषण जैन उपस्थित थे।

रविवार, 18 दिसंबर 2022

Atewa ने ops की मांग को लेकर भरी हुंकार

अटेवा व रेलवे संगठन का संयुक्त पेंशन महासम्मेलन 

बीएलडब्लू में जुटे हजारों कर्मचारी व अधिकारी 





Varanasi (dil india live). पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाली आन्दोलन के क्रम में ATEWA/ NMOPS/ IREF/ FRONT AGAINST NPS IN RAILWAY के द्वारा BLW वाराणसी में संयुक्त पेंशन महासम्मेलन किया गया। अध्यक्षता सरबजीत सिंह (अध्यक्ष--IREF) एवं संचालन सुशील कुमार सिंह ने किया।समस्त अतिथियों का स्वागत, बुके, शाल और स्मृति चिन्ह देकर किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ATEWA के प्रदेश अध्यक्ष एवं NMOPS के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि OPS किसी के लिए चंद रुपया होगा किन्तु हम सभी शिक्षकों/कर्मचारियों/अधिकारीयों के लिये जीवन मरण का प्रश्न है, यह बुढ़ापे की लाठी है। उन्होंने बताया कि NMOPS के बैनर तले देशभर में आंदोलन चल रहा है, जिसमें राजस्थान, छत्तीसगढ, झारखण्ड, पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश की सरकारें OPS को लागू कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने मुद्दा (OPS) के लिए स्वार्थी है, हम किसी पार्टी के खिलाफ नहीं हैं किन्तु जो पार्टी हमारे मुद्दा (OPS) की बात करेगा, हम सभी शिक्षक/कर्मचारी/अधिकारी उसके साथ रहेंगे। बंधु ने कहा कि OPS के लिए हम सभी वो सब कुछ करेगे जो लोकतांत्रिक रूप से सही होगा। अर्धसैनिक बलों की पुरानी पेंशन बहाल करना ही होगा। सांसद विधायक को चार चार पेंशन और कर्मचारियों को एक भी नहीं, बंधु ने निजीकरण का बिरोध करते हुए कहा कि इससे युवाओं का भविष्य अंधकारमय होगा। 

    ATEWA के प्रदेश महामंत्री एवं NMOPS के राष्ट्रीय सचिव नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि बुढ़ापा को सुखमय बनाने के लिये OPS बहुत जरूरी है,आप सभी शिक्षक/कर्मचारी/अधिकारी साथियों जो अभी भी गुट गुट मे बटे है वो बुढ़ापे को सुरक्षित रखने के लिए ATEWA/NMOPS के बैनर तले होने वाले हर आन्दोलन मे बढ़चढ़कर हिस्सा लें। 

FRONT against NPS in railway के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड अमरीक सिंह ने कहा कि रेल्वे मे आये दिन हो रहे निजीकरण को बंद किया जाय एवं NPS रद्द कर सभी को पुरानी पेंशन योजना OPS से आच्छादित किया जाय। हम सभी रेल्वे के साथी OPS के लिए हर प्रकार की लड़ाई NMOPS के बैनर तले लड़ने के लिए हरवक्त तैयार है।

IREF के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड मनोज पांडे ने कहा कि NMOPS एवं रेल्वे का मिलन पुरानी पेंशन दिलवा कर ही मानेगा,आप सभी बंधुजी का तन मन धन से सहयोग कीजिये। 

   IREF के राष्ट्रीय महासचिव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा है कि केन्द्र सरकार अपने अड़ियल रवैया को छोड़कर OPS बहाल करें और निजीकरण को अविलंब बंद करें। 

            आज के महासम्मेलन में अटेवा के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्येंद्र राय, महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष रंजना सिंह, प्रदेश सोशल मीडिया प्रभारी दानिश इमरान, सह प्रभारी नीतीश प्रजापति, पूर्व संयोजक विनोद यादव, संरक्षक रामचन्द्र गुप्ता, उमेश, चंद्रप्रकाश, बहादुर सिंह, अटेवा वाराणसी के ज़िला संयोजक चंद्रप्रकाश गुप्त, ज़िला सहसंयोजक डॉक्टर एहतेशामुल हक, प्रमोद पटेल, मनबोध यादव, राम हरक चौधरी, ज़िला महामंत्री बी एन यादव, ज़िला कोषाध्यक्ष गुलाब चंद्र कुशवाहा, जफ़र अंसारी, सुरेंद्र प्रताप सिंह, अंजनी सिंह, राजेन्द्र पाल, प्रदीप यादव, सुशील कुमार सिंह, शकील अहमद, अजय यादव, भृगु नाथ ठाकुर, मार्कण्डेय यादव, चिराग अली, अंजना सिंह, अनीता सिंह, हिना, राशिद अनवर, यशोवर्धन त्रिपाठी, अली इमाम, जाबिर, ग्रीश्चंद्र यादव, सफीउर्रहमान, चंदन सिंह, राजकुमार मौर्य, सारिका दुबे, मनीषा चौहान, सीमा यादव, इमरान अंसारी, संदीप यादव, शैलेश कुमार, आनंद पांडेय, राजेश प्रजापति, राम मूर्ति, शिव मुनि, डॉक्टर नजमुस्सहर, सलमा जमाल, देवेंद्र पांडेय, अशोक यादव, सुमैया अंसारी, रहमत अली, राघवेद्र सिंह व आतिफ मोहम्मद खालिद इत्यादि सहित भारी संख्या में शिक्षक कर्मचारी अधिकारी मौजूद थे।

Urdu inqlab ya bagawat की नहीं मुहब्बत की ज़बान

Urdu journalism के दो सौ साल, हुई संगोष्ठी 

हिन्दुस्तानी जुबां है Urdu, किसी एक धर्म से जोड़ना गलत



Varanasi (dil india live). उर्दू पत्रकारिता ही बेहतर हिन्दुस्तान के निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभा सकती है। उर्दू हिन्दुस्तानी जुबान है इसे किसी एक धर्म से जोड़ना गलत है। उर्दू पत्रकारिता के दो सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आज पराड़कर स्मृति भवन मैदागिन में राइज एंड एक्ट के तहत सेंटर फॉर हार्मोनी एंड पीस के तत्वावधान में "उर्दू पत्रकारिता कल और आज" विषय पर आयोजित सेमिनार में ये बातें प्रोफेसर दीपक मलिक ने कहीं। 

      उन्होंने कहा कि उर्दू पत्रकारिता आज के दौर में अहम भूमिका निभा सकती है। उसकी वजह ये है कि उस पर किसी तरह का दबाव नहीं है। उन्होंने कहा कि उर्दू -हिन्दी के भेद से ही समाज टूट रहा है। आजादी से पहले उर्दू सबकी जुबान थी। देश के बंटवारे ने उसे एक खास धर्म की भाषा ज्ञान लिया गया जबकि पाकिस्तान की भाषा उर्दू नहीं है। बीएचयू के प्रोफेसर आर के मंडल ने कहा कि पत्रकारिता भाषा की बंदिशों से स्वतंत्र है।पत्रकारिता की बुनियाद सच्चाई पर है न कि भाषा पर है, इसलिए उर्दू पत्रकारिता को मुसलमानों के साथ जोड़ना सही नहीं है।

 बीएचयू के डॉ अफ़ज़ल मिस्बाही ने कहा कि उर्दू साम्प्रदायिकता की नहीं बल्कि इन्किलाब और मोहब्बत की ज़बान है। वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकरण ने कहा कि उर्दू जनता को जोड़ने वाली और रेशमी एहसास दिलाने वाली ज़बान है। डॉ क़ासिम अंसारी ने कहा कि आज की उर्दू पत्रकारिता में समय के साथ उर्दू के मुश्किल शब्दों के इस्तेमाल को आसान शब्दों में बदलने की ज़रूरत है। वरिष्ठ पत्रकार उज्जवल भट्टाचार्य ने कहा कि हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि वह कौन से कारण हैं जिससे आजादी के दौरान जो उर्दू अखबार मुख्यधारा के हुआ करते थे आज वह संकट में हैं।

वरिष्ठ पत्रकार केडीएन राय ने कहा कि उर्दू न इंकलाब की भाषा न ही बगावत की, ये मुहब्बत की भाषा है। 

संगोष्ठी का संचालन डॉ.मोहम्मद आरिफ और धन्यवाद तनवीर अहमद  एडवोकेट ने किया। संगोष्ठी में सैयद फरमान हैदर, डॉ रियाज अहमद, आगा नेहाल, कुंवर सुरेश सिंह, रणजीत कुमार, हिदायत आज़मी, डॉ सत्यनारायण वर्मा, डॉ अरुण कुमार, धर्मेंद्र गुप्त साहिल, अज़फर बनारसी, अर्शिया खान, मैत्री भवन के निदेशक, ईसाई धर्म गुरु फादर फिलिप डेनिस,  कलाम अंसारी, आगा निहाल, जितेंद्र कुमार आदि ने भी विचार व्यक्त किये।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...