हिंदी दिवस: सरल भाषा का प्रयोग ही राष्ट्र में एकता ला सकता-डॉ. प्रियंका सोनकर
1873 से पहले हिन्दी एक स्वरूप में आ चुकी थी
Varanasi (dil india live). वसंत कन्या महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा ‘हिंदी नई चाल में ढ़ली’ विषय पर ‘हिंदी दिवस समारोह’ का आयोजन किया गया। इस आयोजन की मुख्य वक्ता डॉ प्रियंका सोनकर हिंदी विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय थी।
कार्यक्रम का प्रारंभ संगीत विभाग की अध्यक्ष प्रो. सीमा वर्मा एवं डॉ. पूनम वर्मा के निर्देशन में संगीत विभाग की छात्राओं द्वारा सुमधुर कुलगीत प्रस्तुति से हुआ, जिसमें तबले पर संगत सौम्यकान्ति मुखर्जी ने की। मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने कहा कि आज हमने अपनी भाषा में बहुत परिवर्तन कर लिया है। क्षेत्रीय भाषाई प्रभाव से कोई नहीं बच सका। हम विभिन्न भाषाओं को ग्रहण करते हुए अपनी भाषा में कई भाषा एवं बोलियों का प्रयोग करते हुए उनमें परिवर्तन लाते हैं। हमारी सम्प्रेषणीयता वर्तमान समय में बहुत कम हो गई है। जिसकी वजह से आज हम शब्दों के चयन और प्रयोग से दूर होते जा रहे हैं। सम्वाद की कमी ने विश्व को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। हिन्दी के की-पैड के प्रयोग पर भी उन्होंने विशेष जोर दिया।
हिंदी दिवस की सभी को बधाई देते हुए हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. आशा यादव ने आभासी मंच के माध्यम से विषय प्रस्तवन में हिन्दी भाषा के विकास पर अपनी सुक्ष्म दृष्टि रखते हुए कहा कि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने पहली बार अपनी पुस्तक ‘कालक्रम’ में ‘हिन्दी नई चाल में ढली’ वाक्य का प्रयोग किया। यह वाक्य उस समय हिन्दी भाषा में आये बदलाव को दर्शाता है। जिसमें भाषा ने प्राचीनता को छोड़कर आधुनिक रूप धारण कर लिया। भारतेन्दु ने उर्दू के बहाने पश्चिमी घुसपैठ को रोकने तथा अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर विराम लगाने के हिन्दी भाषा को परिष्कृत रूप को स्थापित करने का पुरजोर प्रयास किया। हिन्दी भाषा के विकास में उनका यह योगदान अमूल्य है।
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तत्पश्चात मुख्य अतिथि डॉ. प्रियंका सोनकर ने हिंदी भाषा के ज्ञान को महत्व देते हुए कहा कि 1873 से पहले हिन्दी एक स्वरूप में आ चुकी थी। उस समय हिन्दी उर्दू का विवाद चल रहा था। अंग्रेजों ने फूट डालो राज करो नीति को अपनाते हुए शासकीय कार्यो के लिए अंग्रेजी और उर्दू भाषा के प्रयोग पर अधिक बल दिया। उन्होंने शिवप्रसाद सितारे हिंद, रामविलास शर्मा, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, अज्ञेय, ग़ालिब, दुष्यन्त आदि साहित्यकारों के कथनों का उदाहरण देते हुए तत्कालिन समय की भाषाई स्थिति को प्रस्तुत करने का प्रयास किया। आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हिन्दी भाषा ने जो रूप धारण कर लिया है। उसके लिए यह जरूरी है कि हम उसके साथ अपना ताल-मेल बैठायें, क्योंकि सरल भाषा का प्रयोग ही राष्ट्र में एकता ला सकता है। स्नातक तृतीय वर्ष की छात्रा मौसम कुमारी ने हिंदी भाषा पर सारगर्भित भाषण प्रस्तुत किया।
संपूर्ण कार्यक्रम के संयोजन का कार्य डॉ. प्रीति विश्वकर्मा एवं राजलक्ष्मी ने किया। कार्यक्रम का संचालन परास्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा अनन्या सृष्टि ने तथा धन्यवाद ज्ञापन परास्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा सौम्या सिंह ने किया। इस उपलक्ष्य में हिंदी विभाग से डॉ. सपना भूषण, डॉ शशि कला एवं अन्य विभाग से डॉ. कमला पाण्डेय सहित महाविद्यालय के सभी शिक्षकवृंदो की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया।
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर प्रतियोगिता
इलेक्टोरल लिटरेसी क्लब (ELC), वसंत कन्या महाविद्यालय द्वारा सेमिनार हॉल में एक अंतर-कॉलेज वाद-विवाद प्रतियोगिता अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के अवसर पर सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। वाद-विवाद का विषय था, “ट्रम्प टैरिफ एवं ट्रेड वॉर : भारत के लिए चुनौतियाँ और अवसर”। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्राओं में राजनीतिक जागरूकता, समालोचनात्मक चिंतन और विचार-विमर्श की लोकतांत्रिक परंपरा को प्रोत्साहित करना था। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या डॉ. रचना श्रीवास्तव द्वारा अध्यापकों, प्रतिभागियों एवं निर्णायकों के स्वागत से हुआ। प्रतियोगिता का मूल्यांकन करने के लिए विशिष्ट निर्णायक मण्डल उपस्थित रहा, जिसमें प्रो. अलका रानी (राजनीति शास्त्र विभाग यू.पी. कॉलेज), डाॅ. अखिलेश राय (समाज शास्त्र विभाग VKM कॉलेज) तथा डाॅ. सुप्रिया सिंह (अंग्रेज़ी विभाग VKM कॉलेज)।प्रतियोगिता में 6 टीमें (एनी बेसेंट, महामना, अरविंद घोष, गांधी, बी. आर. अम्बेडकर, कौटिल्य) शामिल थीं, प्रत्येक टीम में 8–10 सदस्य थे, किन्तु मूल्यांकन व्यक्तिगत स्तर पर किया गया। : टीमों को विषय के पक्ष एवं विपक्ष में बाँटा गया। : प्रत्येक प्रतिभागी को उद्घाटन वक्तव्य के लिए 1–1.5 मिनट का समय दिया गया। यह वाद-विवाद 3 चरणों में सम्पन्न हुई। इसमें 1. उद्घाटन वक्तव्य – 40 मिनट, 2. प्रश्न एवं प्रति-प्रश्न चरण – 30 मिनट, व 3. समापन वक्तव्य – 20 मिनट।
प्रतियोगिता के दौरान किसी प्रकार का कागज़ या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्रयोग करने की अनुमति नहीं थी; आवश्यकता पड़ने पर आयोजकों द्वारा A4 शीट उपलब्ध कराई जा रही थी।
प्रतियोगिता में विभिन्न महाविद्यालयों से आए छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतिभागियों ने सारगर्भित व तर्कपूर्ण विचार प्रस्तुत किए तथा प्रश्नोत्तर चरण में एक-दूसरे से सशक्त संवाद किया। अंतिम चरण के उपरांत निर्णायकों ने प्रतिभागियों के शोध, स्पष्टता एवं वक्तृत्व कौशल की सराहना की। तत्पश्चात परिणाम घोषित किए गए।
इन विजेताओं को दिया गया पुरस्कार
1st पुरस्कार – सौम्या त्रिपाठी (बीए राजनीति विज्ञान, द्वितीय वर्ष, VKM)
2nd पुरस्कार – आस्था चौरसिया (एमए अंतिम वर्ष राजनीति, VKM)
3rd पुरस्कार – रवि (फूड और टेक्नोलॉजी, BHU)
सर्वश्रेष्ठ वक्ता पुरस्कार – जीना जुबिलिकर पटनाइक (बीए प्रथम वर्ष, VKM) को मिला। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया।
प्रतियोगिता का संचालन सुचिता सिंह और बिगिनलु क्रि ऊर्जा एवं उत्साहपूर्ण ढंग से हुआ। अंत में इलेक्टोरल लिटरेसी क्लब की ओर से आभार ज्ञापन अंशिका त्रिपाठी द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें निर्णायकों, प्रतिभागियों और सभी सहयोगियों का धन्यवाद किया गया।
यह कार्यक्रम विभागाध्यक्ष —डॉ. आशीष सोनकर एवं प्रोफेसर डॉ. अनु सिंह , डॉ. सरोज उपाध्याय, डॉ. गौतम भारती तथा प्रवीरा सिन्हा (राजनीति विज्ञान विभाग) की उपस्थिति एवं मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। यह प्रतियोगिता केवल वाद-विवाद का मंच ही नहीं, बल्कि ज्ञान-विनिमय, तार्किक चिंतन और वसंत कन्या महाविद्यालय की शैक्षणिक एवं लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण भी रही।