शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

इमाम हसन की शान में सजी महफ़िल

शायरों ने पेश किया कलाम, नमाज़ इफ़्तार और हुई दुआएं

वराणसी(दिल इंडिया लाइव)। 17 रमज़ान को मस्जिद मीर नज़ीर औरंगाबाद में क़दीमी महफ़िल का आयोजन किया गया। मेहफ़िल के संयोजक हाजी फरमान हैदर ने बताया के हर साल इस मेहफ़िल में बड़ी संख्या मे लोग शिरकत करते थे लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कुछ ही लोगों ने शिरकत कर रवायत को क़ायम रखा। महफ़िल की सदारत मौलाना ज़हीन हैदर ने की, मौलाना बाक़र रज़ा बलियवी ने नमाज़ अदा कराई। नमाज़ के बाद कोरोना के खातमे के लिए दुआ ख्वानी का भी आयोजन हुआ।

इस अवसर पर शायरों दिलकश ग़ाज़ीपुरी, बाकर बलियवी, शाद सिवानी, ज़ैन बनारसी, आमिर चंदौलवी, नक़ी बनारसी, नज़ाकत बनारसी, नबील बनारसी ने कलाम पेश किया। अंत में मस्जिद के मोतवल्ली ने लोगों का शुक्रिया अदा किया। हाजी फरमान हैदर ने बताया के शनिवार 18 रमज़ान की शाम से मौला अली की शहादत पर मजलिस मातम, अलम, ताबूत का सिलसिला शुरू होगा जो 21 रमज़ान मंगलवार की शाम तक चलेगा।

ज़कात दोगे तो माल नहीं होगा बर्बाद


रमज़ान का पैग़ाम-16

(30-04-2021)

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। ज़कात देना हर साहिबे नेसाब पर वाजिब है। साहबे नेसाब वो है जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी में से कोई एक होया फिर बैंकबीमापीएफ या घर में इतने के बराबर साल भर से रकम रखी हो तो उस पर मोमिन को ज़कात देना वाजिब है। ज़कात शरीयत में उसे कहते हैं कि अल्लाह के लिए माल के एक हिस्से को जो शरीयत ने मुकर्रर किया है मुसलमान फक़़ीर को मालिक बना दे। ज़कात की नीयत से किसी फक़़ीर को खाना खिला दिया तो ज़कात अदा न होगीक्योंकि यह मालिक बनाना न हुआ। हां अगर खाना दे दे कि चाहे खाये या ले जाये तो अदा हो गई। यूं ही ज़कात की नियत से कपड़ा दे दिया तो अदा हो गई। 

ज़कात वाजिब के लिए चंद शर्ते :

मुसलमान होनाबालिग होनाआकि़ल होनाआज़ाद होनामालिके नेसाब होनापूरे तौर पर मालिक होनानेसाब का दैन से फारिग होनानेसाब का हाजते असलिया से फारिग होनामाल का नामी होना व साल गुज़रना। आदतन दैन महर का मोतालबा नहीं होता लेहाज़ा शौहर के जिम्मे कितना दैन महर हो जब वह मालिके नेसाब है तो ज़कात वाजिब है। ज़कात देने के लिए यह जरूरत नहीं है कि फक़़ीर को कह कर दे बल्कि ज़कात की नीयत ही काफी है।

फलाह पाते हैं जो ज़कात देते है

नबी-ए-करीम ने फरमाया जो माल बर्बाद होता है वह ज़कात न देने से बर्बाद होता है और फरमाया कि ज़कात देकर अपने मालों को मज़बूत किलों में कर लो और अपने बीमारों को इलाज सदक़ा से करो और बला नाज़िल होने पर दुआ करो। रब फरमाता है कि फलाह पाते हैं वो लोग जो ज़कात अदा करते है। जो कुछ रोज़ेदार खर्च करेंगे अल्लाह ताला उसकी जगह और दौलत देगाअल्लाह बेहतर रोज़ी देने वाला है। आज हम और आप रोज़ी तो मांगते है रब से मगर खाने किइफ्तार कि खूब बर्बादी करके गुनाह भी बटौरते हैइससे हम सबको बाज़ आना चाहिए। 

उन्हे दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो

अल्लाह रब्बुल इज्जत फरमाता है जो लोग सोनाचांदी जमा करते हैं और उसे अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते उन्हें दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो। जिस दिन जहन्नुम की आग में वो तपाये जायेंगे और इनसे उनकी पेशानियांकरवटें और पीठें दागी जायेगी। और उनसे कहा जायेगा यह वो दौलत हैं जो तुमने अपने नफ्स के लिए जमा किया था। ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदके में हम सबका रोज़ा कुबुल कर ले और हम सबको ज़कात देने की तौफीक दे..आमीन।

   

               मौलाना शमशुद्दीन साहब

{इमामजामा मस्जिद कम्मू खानडिठोरी महालवाराणसी}

ज़कात और खैरात में क्या फर्क है?


रमज़ान हेल्प लाइन: आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। ज़कात और खैरात में क्या फर्क हैगैर मुस्लिम को इसमें से क्या दिया जा सकता है? पुुरानाापुल के वकील अंसारी के इस सवाल पर मुफ्ती बोर्ड के उलेमाओ ने जवाब दिया कि ज़कात मज़हबी टैक्स है इसलिए उसे अपने ही मज़हब के साहिबे निसाब को दिया जाना चाहिए। ज़कात गैर मुस्लिम को नहीं दिया जा सकताजबकि खैरात मुस्लिम व गैर मुस्लिम दोनों को दिया जा सकता है।

 ईद का चांद अगर कोई ख्वातीन देखे तो क्या वो चांद कमेटी के सामने गवाह बन सकती हैयह सवाल था मिर्जापुर से कुलसुम का। जवाब में उलेमा ने कहा कि ख्वातीन अगर चांद देखती है तो वो गवाह हो सकती है। ईद के चांद के लिए हुक्म है कि कम से कम दो लोग गवाह हों। अगर एक ही ने देखा तो वो गवाह नहीं हो सकती चाहे वो मर्द हो या ख्वातीन। अगर दो ख्वातीन ने चांद देखा है तो गवाह बन सकती है। 

रमज़ान हेल्प्लाइन में आये सवालो का जवाब दिया मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानम जान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने

इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई

इन नम्बरों पर बात करके आप अपनी दुश्वारी का हल निकाल सकते हैं। मोबाइल नम्बर ये है- 9415996307, 9450349400, 9026118428,  9554107483

गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

रमज़ान बना मिसाल

रोजेदारों ने किया हिन्दू बहन का अंतिम संस्कार

मेरठ (दिल इंडिया लाइव)। कोई हिन्दू, न मुसलमां, न ईसाई है, गुलशने हिंद में मिलजुल कर बहार आयी है...। 

कोरोना महामारी से पैदा हुए हालात में ग़म और खौफ के बीच


सौहार्द का मंज़र भी दिखाई दिया। घर से शमशान तक हिन्दुस्तानी तहज़ीब तब देखने को मिली जब एक हिन्दू बहन की अर्थी लिये मुसिलम रोज़ेदार सड़क पर नज़र आये।

 दरअसल कोविडा संकट काल में अपनों ने भी मुंह मोड़ लिया है। सुख-दुख की क्या पूछना, जो अपना होने का दम भरते नहीं थकते थे, आज के हालात में वो अपनों को कंधा देने तक नहीं आ रहे हैं। एक ओर जहां अपने दूरी बना रहे हैं, वहीं मुस्लिम समाज के लोगों ने हिंदू बहन का अंतिम संस्कार कराकर सौहार्द की मिसाल भी पेश की है।

हापुड़ रोड रामनगर निवासी सुषमा अग्रवाल कई दिनों से बुखार से ग्रस्त थीं। वह घर में रहकर इलाज करा रही थीं। बुधवार सुबह उनकी मृत्यु हो गई है। जब अपने नहीं पहुँचे तो उनकी शव यात्रा में मुस्लिम समाज के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित हुए। उन्होंने सूरजकुंड पहुंचकर अंतिम संस्कार कराया। शव यात्रा में शामिल परवेज ने बताया कि हम सब पड़ोसी हैं और परिवार के साथ रहते हैं।

एक-दूसरे का सुख दु:ख में पूर्ण सहयोग करते हैं। आज इस मुश्किल घड़ी में अपने पड़ोसियों को सहयोग के लिए उनके साथ आए हैं। इस दौरान शकील, अहमद अंसारी, तसलीम, जावेद सिद्दीकी आदि ने कहा कि हमने कोई एहसान नहीं किया है बाल्कि इस्लाम में पड़ोसी के जो अधिकार है बस उसे ही अदा किया है।


मुफ्ती साहब एतेकाफ फर्ज़ है या वाजिब

रमज़ान हेल्प लाइन: आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान हेल्प लाइन में शफीक ने फोन किया अर्दली बाज़ार से, मुफ्ती साहब एतेकाफ रखना फर्ज़ है या वाजिब? उलेमा ने कहा कि एतेकाफ न फर्ज है और न ही वाजिब, बाल्कि एतेकाफ सुन्नते कैफाया है। इब्राहिम ने सरैया से फोन किया, एतेकाफ का मायने क्या हैं? उलेमा ने कहा कि एतेकाफ का लफ्ज़ी मायनेअल्लाह की इबादत में बैठना या खुद को अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना है। 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ कर देते है जिसका नाम एतेकाफ है। एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानी मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार होगा और पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। 

रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई

9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

बुधवार, 28 अप्रैल 2021

दुनिया जिसे भूख कहती है, इस्लाम ने उसे इबादत बना दिया


रमज़ान का पैग़ाम-15 

(28-04-2021)

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। दुनिया जिस भूख से परेशान होती है उसी भूख को इस्लाम ने इबादत बना दिया। इस्लाम भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत के ज़रिये रोज़ेदारों को यह दिखाना चाहता है कि भूखे और प्यासे रहने का क्या दर्द है। जो गरीब है जिनके पास खाने को खाना नहीं पीने के लिए पानी नहीं हैमुफलिसी में जिन्दगी गुज़ार रहे हैं वो किस तरह अपनी जिन्दगी काट रहे हैं मोमिन इस बात को रोज़ा रखकर समझता है और रमज़ान में उन भूखे प्यासे जिन्दगी गुज़ारने वालेगरीबों मिसकीनों के लिए इस्लामी टैक्स ज़कात और फितरा निकालता है ताकि उनकी भूख और प्यास तो मिटे ही साथ ही उन गरीबों की ईद भी मन जाये। उलेमा कहते हैं कि तमाम इबादतों में तो इंसान दिखावा कर सकता है मगर रोजा ही सिर्फ एक ऐसी इबादत है जिसमें किसी तरह का कोई दिखावा नहीं कर सकता। यही वजह है कि रब को राज़ी करने के लिए तमाम छोटे-छोटे बच्चे भी लाख मना करने के बावजूद रोज़ा रखते हैं। सिर्फ खाने-पीने से बाज रहने का नाम ही रोज़ा नहीं हैबल्कि रोज़ा रखने वाला तमाम बुराइयों से भी दूर हो जाता है। अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्तों पर अमल करते हुए पूरा महीना कठोर इबादतों में गुज़ारता है। रोज़ादार को चाहिये कि वो रोज़े में जैसे खाना-पीना छोड़ता है वैसे ही झूठगीबतचुगलीबदग़्ाुमानीइल्ज़ाम तराशी और बद ज़ुबानी भी छोड़ दे। पैगम्बरे इस्लाम नबी-ए-करीम हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.) ने फरमाया कि अगर कोई लड़ाई करने पर तुमसे अमादा रहे तो तुम उससे कह दो कि में रोज़े से हूं। मैं लड़ाई-झगड़ा नहीं चाहता। इस्लामी किताबों में आया है कि जो रमज़ान का रोज़ा रखेगाउसे पहचानेगा और जिन गुनाहों से बचना चाहिये उससे बचाआज़ा का रोज़ा रखा तो उसकी वो गुनाह जो उसने पहले की है उसे खुदा माफ कर देगा। इसलिए रोज़ेदार का रोज़ा ढाल का काम करता है। तभी तो हदीस में है किजो बुरी बात को कहना और उस पर अमल करना न छोड़े तो उसके भूखा-प्यासा रहने की रब को कोई ज़रूरत नहीं है। बल्कि रब तो बंदे को भूखा प्यासा रोज़ा रखने के लिए बतौर इम्तेहान यह देखना चाहता है कि मेरा बंदा मुझ से कितनी मोहब्बत करता है जो रब और उसके रसूल से मोहब्बत करता है रब उससे मोहब्बत करता है। ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदके में हम सब रोज़ेदारों को इबादत करनेरोज़ा रखने की तौफीक दे..आमीन।

 

           डा. शाह मेराज

{सदरइस्लामिक हैंडवाराणसी}

सबको रुला गया निर्मल जैन सेठी का जाना


वाराणसी जैन समाज ने दी प्रचारक निर्मल जैन को श्रद्धांजालि

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। जैन समाज के रास्ट्रीय स्तम्भ समझे जामे वाले प्रचारक निर्मल जैन सेठी के निधन पर श्री दिगम्बर जैन महासमिती, वाराणसी संभाग ने शोक जताया है। समिति ने कहा कि जेैन प्रचारक निर्मल जैन सेठी का जाना हम सब लोगो को अखर गया, हम सब अपने दुःख को शब्दों में नही व्यक्त कर सकते। बस यही प्राथना करेंगे की प्रभु संपूर्ण भारत के जैन समाज को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करे, श्री दिगम्बर जैन महासमिती, वाराणसी संभाग स्वर्गीय निर्मल जैन सेठी को श्रद्धासुमन अर्पित करती है। इस अवसर पर डा. के के जैन, अध्यक्ष, प्रदीप चन्द जैन, विजय कुमार जैन उपाध्यक्ष, राकेश जैन महामंत्री, प्रमोद बागड़i, विनोद जैन चांदी, विनोद जैन जाली, कमल बागड़ा, वेवेकानंद जैन इत्यादि प्रमुख लोगो ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

रोज़ेदार की तबीयत खराब होने पर खून चढ़ाया जा सकता है?


रमज़ान हेल्प लाइन: आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रोज़ादार बीमार हो या रोज़े की हालत में उसे खून की ज़रूरत हो तो क्या खून उसे चढ़ाया जा सकता है? है। यह सवाल गौरीगंज से चांद ने किया? इसके जवाब में उलेमा ने कहा कि खून चढ़ाया जा सकता है। खून चढाये जाने से रोज़ा नहीं टूठेगा। ऐसे ही बीमार रोजेदार को पानी भी चढ़ाया जा सकता है। पानी चढ़ाये जाने से उसका रोजा नहीं टूटेगा। हॉ पानी पीयेगा तो रोज़ा टूट जायेगा। 

रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई

रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाईके लिए उलेमा मौजूद हैं। मोबाइल नम्बर-: 9415996307, 9450349400, 9026118428,  9554107483

ख़त्म हो गई एक यात्रा....


कोरोना से लड़ते हुए हीरालाल ने तोड़ दिया दम

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)।आखिर हीरालाल यादव जी ने भी आगरा मेडिकल कॉलेज में 10 दिनों तक कोरोना से लड़ते हुए दम तोड़ दिया। पर्यावरण संरक्षण से लेकर, नशा उन्मूलन, बेटियों को बचाने तक के लिए उन्होंने देश ही नहीं विदेशों में भी लम्बी-लम्बी साइकिल यात्राएं कर लोगों को जागरूक किया। सबसे रोचक तो यह था कि वे यह यात्राएँ बिना सीट वाली साइकिल से करते थे। जब मैं अण्डमान - निकोबार द्वीप समूह में था, उस दौरान उन्होंने मुझसे पहली बार बात की। उसके बाद वे अण्डमान भी आये और उनके चित्रों की एक प्रदर्शनी भी वहाँ लगवाई गई। फिर तो लगभग जहाँ भी पोस्टेड रहा, वे वहाँ आते रहे, मुलाकातें होती रहीं। बेहद मस्तमौला, मिलनसार, जिंदादिल और लोगों को अपना बनाने की कला उनमें बखूबी थी। उनका सामाजिक दायरा भी कभी विस्तृत था। कभी वे स्व. कल्पना चावला के पिताजी से बात कराते तो कभी सबसे कम आयु में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव जैसे वीरों से, तो कभी सुदूर क्षेत्रों में काम कर रहे किसी पर्यावरण प्रेमी और समाज सेवी से। वे अक्सर स्कूलों में जाते और विद्यार्थियों से देश प्रेम, पर्यावरण सुरक्षा, नशा निषेध जैसे मुद्दों पर संवाद करते।  गोरखपुर से निकलकर मुम्बई तक उन्होंने जीवन के विभिन्न अनुभवों को आत्मसात किया, गरीबी को नजदीकी से देखा, पर उनका हौसला सदैव बुलंद रहा। फेसबुक पर कोरोनाग्रस्त होने के बाद उन्होंने अपनी अंतिम पोस्ट में लिखा- "मैं जीना चाहता हूँ".....पर आजीवन पर्यावरण की रक्षा हेतु घूम-घूम कर वृक्ष लगाने वाले हीरालाल यादव जी को भी कोरोना अपना ग्रास बना गया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस दुःख को सहने की शक्ति दें। !! ॐ शान्ति ॐ !!

(पोस्ट मास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव के फेसबुक वाल से)


#HiralalYadav #Cyclist #environmentalist

रमज़ान का पैग़ाम-14 (27-04-2021)


आओ खुशी मनाओ, ये जश्न है 
जन्नत के सरदार’ का

वाराणसी (दिल इंडिया ल़इव)। रमज़ान का चांद होते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है और जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं। यह भी रमज़ान की खासियत है कि इसमें नबी-ए-करीम (स.) के बड़े नवासे जन्नत के सरदारशेरे खुदा मौला अली व बीबी फातेमा के साहबज़ादे इमाम हसन की पैदाइश 15 रमज़ान सन् हिजरी को मदीना मुनव्वरा में हुई थी। यही वजह है कि जन्नत के सरदार का हम जश्न मनाते हैं। 

ऐसे ही मुकद्दस रमज़ान की 21 तारीख को ही मुश्किलकुशा हजरत मौला अली की मस्जिदें कुफा में शहादत हुई थी। हज़रत अली काबा में पैदा हुए और मस्जिद में शहीद हुए। मुश्किलकुशा हजरत अली फरमाते हैं कि जब रोज़ेदार इफ्तार के वक्त दुआ करता है तो वो ज़रुर कुबुल होती है और रोज़ा जिस्म की ज़कात है। परवरदिगार फरमाता है कि माहे रमज़ान कितना बरकतों और रहमतो का महीना है इसका अंदाजा बंदा इसी से लगा ले कि इस महीने में हमने दुनिया की सबसे मुकद्दस किताब कुरान मजीद नाज़िल फरमाया है। 

छठवें इमाम ज़ाफर सादिक ने फरमाया कि जिन चीज़ों से रोज़ा टूटता है उसमें झूठगीबतचुगलखोरीदो मोमिन के बीच लड़ाई करानाकिसी के लिए गलत नज़र रखनाझूठी कसम खाना शामिल है। रोज़ा तकवे का सबब और अल्लाह की नज़दीकी हासिल करने का ज़रिया है। रोज़ा जहन्नुम से बचाने की ढाल है और जन्नत में दाखिले का ज़रिया है। ऐ अल्लाह तू हम सबको सही राह दिखा। परवरदिगार हम सबको रमज़ान के रोज़े रखने की तौफीक दे और रोज़े की कामयाबी पर सभी को ईद की खुशियां दे...आमीन 

              सैयद फरमान हैदर

       {प्रवक्ताशिया जामा मस्जिद वाराणसी}

सोमवार, 26 अप्रैल 2021

रमज़ान हेल्प लाइन: आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब

खजूरकिशमिशमुनक्के पर भी निकाल सकते हैं फितरा

-ईद की नमाज़ के पहले अदा कर दें सदका-ए-फित्र

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान में फितरा कितना निकाला जाना चाहिए हैयह सवाल नसीम ने दालमंडी से किया। जवाब में उलेमा ने कहा कि किलो 45 ग्राम वो गेंहू जिस क्वालिटी का मोमिनीन खाने में इस्तेमाल करते है उस के हिसाब से एक आदमी को अपना फितरा निकालना है। इसका खास ध्यान रखने की ज़रुरत है कि हम किस क्वालिटी का गेंहू खाते हैं। मसलन आप अगर 20 रुपये किलों का गेंहू खाते हैं तो यह रकम तकरीबन 45 रुपये आती है। शब्बीर ने रामनगर से फोन किया कि गेंहू के अलावा और भी कुछ निकाला जा सकता हैइस पर उलेमा ने कहा कि जो अमीर है वो जौखजूरकिशमिश व मुनक्का जिस क्वालिटी का खाते हैं उस पर भी फितरा दें तो ज्यादा अफज़ल होगा। क्यों कि गेंहू सबसे सस्ता हैजो लोग केवल गेहूं पर डिपेंड है उनके लिए तो ठीक है मगर जो अमीर हैजौखजूरकिशमिश व मुनक्का भी लगातार इस्तेमाल करते हैं उन्हें चाहिए कि इसमें से किसी एक के बराबर फितरा निकाल कर गरीब को ईद की नमाज़ के पहले अदा कर दें। रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।


इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई

रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाईके लिए उलेमा मौजूद हैं। मोबाइल नम्बर-: 9415996307, 9450349400, 9026118428,  9554107483

रमजान में नाजिल हुई थीं आसमानी किताबें



रमज़ान का पैग़ाम -13 

(26-04-2021)

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) यूं तो साल का सारा दिन और सारी रात अल्लाह के बनाये हुए हैंलेकिन रमज़ान महीने के दिन व रात को कुछ खास खुसूसियत हासिल है। इसकी वजह यह है कि मुकद्दस रमज़ान महीने के एक-एक पल को अल्लाह ने अपना बताया है। यह महीना बरकतों और रहमतों का है। इस महीने में इबादतों का सवाब कई गुना ज्यादा खुदा अता फरमाता है। इस महीने में मुकद्दस कुरान शरीफ नाज़िल हुई। रमज़ान में एक रात ऐसी भी है जो हज़ार महीनों की इबादत से बेहतर है। इसे शबे कद्र कहते हैं। इस रात हज़रत जिबरीले अमीन दूसरे फरिश्तों के साथ अर्श से ज़मी पर रहमतें लेकर नाज़िल हुए थे। यह वो महीना है जिसमें तोहफे हजरते इब्राहिम (हजरत इब्राहिम की पाक किताब) नाज़िल हुई। इसी महीने में हजरते मूसा की किताब तौरेत का भी नुज़ूल हुआ और यही वो महीना है जिसमें हजरते ईसा की किताब इंजील आसमान से उतारी गयी। इस महीने में बहुत सी मुबारक बातें पेश आयीं जिनसे इसकी फज़ीलत में चार चांद लग गया है। नज़ीर के तौर पर रसूले इस्लाम के पौत्र इमाम हसन मुजतबा पन्द्रह रमज़ान को पैदा हुए। इस्लामी लश्कर ने बद्र और हुनैन जैसी जंगों को इसी महीने में जीता। मुकद्दस रमज़ान में ही मुश्किलकुशा मौला अली की शहादत हुई जिससे पूरी दुनिया में उनके मानने वाले गमज़दा हुए मगर हज़रत अली ने इसे अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी बताया। हज़रत अली मुश्किलकुशा कहते हैं कि रोज़ा इसलिए जरूरी किया गया है ताकि बंदे के एखलाक को आज़माया जा सके और उनके खुलूस का इम्तेहान लिया जा सके और यही सच्चाई है कि दूसरे सारे फर्ज़ में इंसान कुछ करके अल्लाह ताला के हुक्म पर अमल करता है मगर रोज़े में कुछ चीज़ों को अंजाम न देकर अपने फर्ज़ को पूरा करके खुदा के हुक्म को मानता है। दूसरे किसी भी अम्ल में दिखावे की संभावना रहती है मगर रोज़े में ऐसा नहीं हो सकता। अल्लाह का कोई बंदा जब खुलूसे नीयत के साथ उसे खुश करने के लिए रोज़ा रखता है तो उसके बदले में खुदा भी उसकी दुआओं को क़ुबूल करता है। जैसा की रसूले अकरम (स.) और उनके मासूम वारिसों ने फरमाया है कि रोज़ेदार इफ्तार के वक्त कोई दुआ करता है तो उसकी दुआ वापस नहीं होती। ऐ पाक परवरदिगार हमें रोज़ा रखने की तौफीक दे। ताकि हमारी दुआओं में असर पैदा हो सके और खुदा के फैज़ से हमारी ईद हो जाये..आमीन। 

                    मौलाना नदीम असगर

शिया आलिम (जव्वादिया अरबी कालेजवाराणसी)

रविवार, 25 अप्रैल 2021

प्रख्यात शास्त्रीय गायक पण्डित राजन मिश्र का निधन

डीएवी के पुरातन छात्र थे पंडित राजन मिश्र

वााराणसी(दिल इंडिया लाइव)। पद्म भूषण शास्त्रीय गायक पंडित राजन मिश्र का कोरोना से दिल्ली के सेंट स्टीफेंस हॉस्पिटल में निधन हो गया। अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। बनारस घराने के प्रख्यात शास्त्रीय गायक पण्डित राजन मिश्र के निधन की खबर जैसे ही काशी पहुँची।लोग शोकाकुुल हो गये। यही नही देश दुनिया के तमाम संगीत प्रेमियों में इस महान शास्त्री गायक के जाने का ग़म है। 


वाराणसी के डीएवी पीजी कालेज में पूर्व छात्र एवं प्रख्यात शास्त्रीय गायक पण्डित राजन मिश्र के आकस्मिक निधन पर डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह ने गहरा दुःख व्यक्त किया। अपने शोक संदेश में डॉ. सिंह ने कॉलेज के पुरातन छात्र पद्म भूषण पंडित राजन मिश्र के योगदान को याद करते हुए कहा कि महाविद्यालय को जब भी उनकी आवश्यकता हुई, वे हर मौके पर उपलब्ध रहे। उनके निधन से सम्पूर्ण महाविद्यालय में शोक की लहर है। उनके निधन से कॉलेज परिवार की व्यक्तिगत क्षति हुई है, जिसकी भरपाई कभी नही हो सकती है। महाविद्यालय के मंत्री/प्रबंधक श्री अजीत कुमार सिंह ने भी अपने निकट सम्बन्ध को याद करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है।

ज़कात का पैसा निकालो तो फौरन हक़दार को अदा करो

रमज़ान हेल्प लाईन: आपके सवालों का जवाब दे रहें हैं मुफ्ती साहब

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मैंने ज़कात का पैसा निकाला ही था कि एक अज़ीज ने उधार माग लिया कि, 15 दिन में दे देंगे मगर रमज़ान बीतने वाला हैअब तक ज़कात का पैसा नन्हीं मिला। मेरे लिए मुफ्ती साहब क्या हुक्म हैरमज़ान हेल्प लाईन में सरैया के वसीम अहमद के इस सवाल के जवाब में उलेमा ने कहा कि ज़कात की जब नियत कर ली थी तो ज़कात का पैसा निकालने के बाद उस पर आपका भी कोई हक़ नहीं रहा, किसी को देने का तो सवाल ही नहीं उठता। ये सरासर गलत हैक्यों कि जब ज़कात का पैसा निकाला जाये तो उसे फौरन हक़दार को दे दिया जाये। उलेमा ने कहा कि जब वो शख्स रकम देगा तो ज़कात देना है अगर उसने वक्त पर रकम नहीं दी तो आपको ताबान देना होगायानी अपने पास से रकम देना होगा। जब वो दे दे तो उसे रख लें। रोज़ेदार रोज़ा पहले खोले की पहले दुआ पढ़ी जायेमो. रज़ा ने यह सवाल किया 

लोहता से
जिस पर उलेमा ने कहा कि पहले बिस्मिल्लाह करके रोज़ा खोले फिर रोज़े की दुआ पढ़े। रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई

9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

रमज़ान का पैग़ाम-12(25-04-2021)

 सब्र व एखलाक में नरमी सिखाता है रमजान


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) मुकद्दस रमज़ान हमें सब्र करने के साथ ही अपने एखलाक में नरमी की सीख भी देता है। रमज़ान दूसरे मज़हब के साथ मिल्लत का पैगाम देता है। इसकी वजह यह है कि एक रोज़ेदार को रमज़ान में अल्लाह ने हर उस काम से बचने का हुक्म दिया हैजिसकी इजाज़त शरीयत नहीं देती। इसी के चलते 12 महीनों में इस एक महीने का अपना अलग मुकाम है। रमज़ान इबादत और अदब का महीना तो है ही साथ ही इस पूरे महीने एक रोज़ेदार नफ्स पर कंट्रोल के साथ ही बेशुमार इबादत करते हुए तमाम तरह का सब्र अख्तियार करता है। मेरे प्यारे नबी (स.) ने फरमाया है कि ये महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। रमज़ान में मासूम बच्चों व नौकरों से ज्यादा मेहनत व कड़े काम न लोयह महीना इबादत और अदब व एहतराम का भी महीना है। इस महीने में अल्लाह के रसूल का हुक्म है कि रमज़ान आते ही बंदियों को रिहा कर दो। इस महीने में झगड़ा और फसाद को सख्ती से मना फरमाया गया है। इसलिए मोमिनीन को चाहिए कि मारपीटबहसलड़ाई-झगड़ा छोड़कर अमन और मिल्लत की नज़ीर पेश करें। जैसा हमारा रब चाहता है हमारे नबी (स.) चाहते हैं। रोज़ेदार रमज़ान का रोज़ा रख कर जहां ज़ाति तौर पर अपनी इस्लाह करता है वहीं वो एक अच्छा समाज भी बनाता है। ऐसे तो हर महीने हर दिन हर घंटे इंसान को पड़ोसियों के साथदूसरे मज़हब के साथ नरमी का हुक्म है मगर रमज़ान में खुसूसियत के साथ एक परिवार दूसरे परिवार का हक अदा करेपड़ोसी मुसलमान हो या हिन्दू या दूसरे मजहब का उसके साथ नरमी बरती जाए। यूं तो हर दिन झगड़ा करना हराम करार दिया गया है। मगर इस बरकत वाले महीने की बरकत हासिल करने के लिए पूरे महीने रोज़दार को अपनी और दूसरों को तकलीफ पहुंचाने वाली हरकतों से बचना चाहिए। यह महीना बक्शीश का महीना है। इसलिए बंदों को चािहए कि अल्लाह और उसके रसूल से अपने तमाम गुनाहों के लिए रो-रोकर माफी मांगे। देर रात तक खूब इबादत करे। ऐ परवरदिगार तू नबी-ए-करीम के सदके में हम सबको रोज़ा रखनेइबादत करने की तौफीक दे ताकि हम सबकी जिन्दगी कामयाब हो जाये.. आमीन।

           

               मो. शाहिद खां

{सदरहिन्दुस्तानी तहजीब वाराणसी}

जी हां मैं हूँ नन्हें रोज़ेदार

हट्टे-कट्टे बेरोज़ेदारों के लिए आईना है नन्हा अज़हान

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। भीषण गर्मी से लोगों का बुरा हाल है, मगर धूप, उमस और भीषण गर्मी की परवाह किये बिना भी बहुत से छोटे-छोटे बच्चे रोज़ा रख रहे हैं। ऐसे ही बच्चों की फेहरिस्त में शामिल है। हुकुलगंज के नन्हे रोज़ेदार मोहम्मद अज़हान। आदिल इस्लाम व नौशीन परवीन के लख्ते जिगर अज़हान ने आज अपनी जिन्दगी का पहला रोज़ा रखा। सात साल की छोटी सी उम्र में रोज़ा रखकर इस नन्हें रोज़ेदार ने उन बेरोज़ेदारों को आईना दिखाया है जो हट्टे-कट्टे होकर भी रब की रज़ा के लिए रोज़ा नहीं रखते। आदिल कहते हैं कि हम लोगों को यकीन ही नहीं हुआ कि अज़हान सच में रोज़ा रख लेगा मगर जब 12  बजे तक उसने कुछ नहीं खाया तो हम लोगों ने भी मना नहीं किया। शाम में जब अज़ान हुई तो रोज़ा खोलकर नन्हें अज़हान ने पूरी कायनात के लिए दुआएं की।


मुख्तार अंसारी को भी कोरोना

मुख्तार समेत बांदा जेल के 291 कैदी बीमार

बांदा(दिल इडिया लाइव)। उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में भी कोरोना फैल गया है। यहाँ खास बात यह है कि जेल में बंद मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी कोरोना संक्रमित हो गये है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जेल जाकर सैंपल लिया था। रविवार को आई रिपोर्ट में 291 लोग संक्रमित मिले हैं। इसमें मुख्तार अंसारी सहित जेल के कई बंदी पॉजिटिव पाए गए हैं। फिलहाल मुख्तार अंसारी की हालत स्थिर है। बांदा में कुल संक्रमितों की संख्या 6760 पहुंच गई है। सक्रिय संक्रमितों की संख्या 1538 है। जिले में अब तक कुल 76 मौतें हुईं हैं। 


कोरोना से निजात की दुआ संग चढ़ी चादर


गाज़ी मियां की लगन संग शादी की सस्म शुरु

वाराणसी (दिल इंंडिया लाइव) वाराणसी के बड़ी बाजार स्थित हजरत सैयद सलार मसूद गाजी मियां रहमतुल्लाह अलैह की शादी के सवा महीने पूर्व आज लगन रखी गयी। इस दौरान कोरोना महामारी को देखते हुए जहां सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखा गया था, वहीं कोरोना से निजात की दुआएं भी मांगी गई। इसके बाद कुछ ही देर में दरगाह बंद कर दिया गया। इसी के साथ गाज़ी मियां की लग्न के साथ ही गाज़ी मियां की शादी की रस्म की शुरुआत भी हो गई।



दरगाह गाज़ी मियां के गद्दीनशीन/सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी की देखरेख में हल्दी की रस्म निभाई गई। आयोजन में इलाकाई जायरीन और दरगाह कमेटी के सदर हाजी सिराजुद्दीन अहमद, नियाजुद्दीन हाशमी, डा. अजीजुर्रहमान, जीशान अहमद, अब्दुल अब्दुल्लाह हाशमी की अगुवाई में फातिहा और चादर पोशी की गयी और जायरीनों को हल्दी लगायी गयी। जिसमें कुछ ही अकीदतमंदों ने हिस्सा लिया। अन्त में सभी इलाकाई साथियों का  दरगाह कमेटी के लोगों ने शुक्रिया अदा किया ।

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

पता करो कोई पड़ोस में भूखा तो नहीं है...

रमज़ान का पैग़ाम: 11(24-04-2021)

रब कहता है मांगों न दूं तो कहो, मगर हमें मांगना ही नहीं आता


वाराणसी (अमन/दिल इंडिया लाइव) पूरी दुनिया कोरोना कि आपदा से खौफज़दा है, मरने वालों और बीमार होने वालो का आंकड़ा रोज़ नया रिकार्ड बना रहा है इस बार कोरोना कि रफतार काफी तेज़ है, इस बार कोई ये भी नही कह रहा है कि कोरोना जमातियो ने या नमाज़ियो ने फैलाया कहीं कोई किसी पर दोष भी नही दे रहा है बल्कि सब यही चाह रहे हैं कि किसी तरह वो इसकी जद में न आये मुसलमानो के लिए तो ईमान मज़बूत करने का ये वक्त है, क्यों कि कोरोना आपदा के साथ ही एक ऐसा महीना भी आ गया है जिस महीने को रब ने अपना महीना कहा है, रब तो यहाँ तक कहता है कि मांगो न दूं तो कहना मगर हम कितने बदनसीब हैं कि हमें मांगना ही नही आता हम रमज़ान का रोज़ा रख रहे हैं मगर हम मांग नहीं पा रहे हैं कि, मौला कोरोना कि आपदा दूर कर दे रोज़ मस्जिदों से ऐलान हो रहा है कि आज फला का इंतेकाल हो गया, आल फला गुज़र गया मगर हमें क्या हो गया है कि हम केवल और केवल अपना सोचते हैं हमारी इफ्तार कि थाली में वो सारे लज़ीज़ पकवान हो जो दुनिया में बेहतर माने जाते हैं भले ही रहमतपुर, पुरानापुल, बजरडीहा, जोल्हा और लोहता कि गरीब बस्ती में कारोबार खराब होने कि वजह से फाके का मंज़र हो, वहाँ के रोज़ेदारो को रोज़ा खोलने के लिए खजूर तो दूर पानी भी अगर मयस्सर न हो तो कैसे खुद को हम मुसलमान कहेंगे

इस्लाम कह रहा है कि पता करो कोई पड़ोस में भूखा तो नहीं हैं, अगर कोई तुम्हारे पड़ोस में भूखा हैं, उसके घर पर इफ्तारी का सामान नही है तो उसकी भूख मिटाना, उसे इफ्तारी का सामान मुहैया कराना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है मगर हम पहले अपना पेट भरने के चक्कर में अपनी ज़िम्मेदारी भूलते जा रहे हैं इस्लाम ने अगर पड़ोसी का अधिकार दिया है तो ज़कात का सिस्टम भी बनाया है ताकि हर साहिबे निसाब अपने दौलत और जमा कमाई का शरीयत कि ओर से तय मानक (ढाई फीसद (2.5%) ) के हिसाब से गरीबो को ज़कात दे दें ताकि वो भी रमज़ान और ईद कि खुशियां मना सकें, मगर जब पूरा रमज़ान जाने लगेगा तब ज़कात निकाली जायेगी तो किसी का क्या भला होगा इस्लाम यह भी कह रहा है कि एक हाथ से दो तो दूसरे को पता न चले कि क्या दिया और किसे दिया, कितना दिया आज ज़कात देने में भी दिखावा और चालाकी कि जा रही हैं शायद यही वजह है कि तमाम आपदाएं और परेशानिया हमें घेरे हुए हैं   

ज़कात देना हर साहिबे नेसाब पर वाजिब है। साहबे नेसाब वो है जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी में से कोई एक होया फिर बैंकबीमापीएफ या घर में इतने के बराबर साल भर से रकम रखी हो तो उस पर मोमिन को ज़कात देना वाजिब है। ज़कात शरीयत में उसे कहते हैं कि अल्लाह के लिए माल के एक हिस्से को जो शरीयत ने मुकर्रर किया है मुसलमान फक़़ीर को मालिक बना दे। ज़कात की नीयत से किसी फक़़ीर को खाना खिला दिया तो ज़कात अदा न होगीक्योंकि यह मालिक बनाना न हुआ। हां अगर खाना दे दे कि चाहे खाये या ले जाये तो अदा हो गई। यूं ही ज़कात की नियत से कपड़ा दे दिया तो अदा हो गई। ज़कात वाजिब के लिए चंद शर्ते है : मुसलमान होना (इसलिए कि ये इस्लामी टैक्स है)बालिग होनाआकि़ल होनाआज़ाद होनामालिके नेसाब होनापूरे तौर पर मालिक होनानेसाब का दैन से फारिग होनानेसाब का हाजते असलिया से फारिग होनामाल का नामी होना व साल गुज़रना। आदतन दैन महर का मोतालबा नहीं होता लेहाज़ा शौहर के जिम्मे कितना दैन महर हो जब वह मालिके नेसाब है तो ज़कात वाजिब है। ज़कात देने के लिए यह जरूरत नहीं है कि फक़़ीर को कह कर दे बल्कि ज़कात की नीयत ही काफी है।

फलाह पाते हैं जो ज़कात देते है

नबी-ए-करीम ने फरमाया जो माल बर्बाद होता है वह ज़कात न देने से बर्बाद होता है और फरमाया कि ज़कात देकर अपने मालों को मज़बूत किलों में कर लो और अपने बीमारों को इलाज सदक़ा से करो और बला नाज़िल होने पर दुआ करो। रब फरमाता है कि फलाह पाते हैं वो लोग जो ज़कात अदा करते है। जो कुछ रोज़ेदार खर्च करेंगे अल्लाह ताला उसकी जगह और दौलत देगाअल्लाह बेहतर रोज़ी देने वाला है। आज हम और आप रोज़ी तो मांगते है रब से, मगर खाने किइफ्तार कि खूब बर्बादी करके गुनाह भी बटौरते हैइससे हम सबको बाज़ आना चाहिए। 

उन्हे दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो

अल्लाह रब्बुल इज्जत फरमाता है जो लोग सोनाचांदी जमा करते हैं और उसे अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते उन्हें दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो। जिस दिन जहन्नुम की आग में वो तपाये जायेंगे और इनसे उनकी पेशानियांकरवटें और पीठें दागी जायेगी। और उनसे कहा जायेगा यह वो दौलत हैं जो तुमने अपने नफ्स के लिए जमा किया था। ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदके में हम सबको ज़काते देने की तौफीक दे..आमीन

(लेखक दिल इंडिया लाइव के सम्पादक हैं।)

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...