देश के शानदार चर्च की कहानी
वाराणसी (दिल इंडिया)। वाराणसी के कैंरोमेंट स्थित सेंट मेरीज़ महागिरजा देश के शानदार चर्चो में शामिल है, इसे महागिरजा यानी कैथड्रल भी कहा जाता है। वाराणसी धर्मप्रांत द्वारा संचालित महागिरजा को सुंदरता और भव्यता 8 अगस्त 1970 को वाराणसी धर्मप्रांत के पहले बिशप बने स्व. पैट्रिक डिसूजा ने अपने कार्यकाल में प्रदान किया था।उनसे पहले बनारस आगरा धर्मप्रांत द्वारा संचालित होता था। मैत्री भवन के निदेशक फादर फिलिप डेनिस बताते हैं कि यूं तो सेंट मेरीज़ चर्च की संगे-बुनियाद एक अस्तबल में 1840 में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान रखी गयी थी, मगर इसका लिखित इतिहास 1920 से मिलता है। बाद में पैट्रिक डिसूजा के प्रयास से ही इस चर्च को महागिरजा का दर्जा मिला। महागिरजा को भव्यता प्रदान करने के लिए 1989 में स्व. पैट्रिक डिसूजा ने पुन: निर्माण कार्य शुरू कराया और परिणाम स्वरुप कुशल वास्तुविद् की डिजाइन पर यह कैथड्रल 1993 में तैयार हुआ तो ईसाई ही नहीं बल्कि सभी धर्म के लोगों ने कैथड्रल की सराहना की। यहाँ लम्बे समय तक बिशप राफी मंजली थे वर्ष 2013 में उनका तबादला इलाहाबाद हो गया। इस समय वाराणसी धर्मप्रांत के अगुआ बिशप यूज़ीन जोसेफ है। और महागिरजा के पल्ली पुरोहित फादर विजय शांतिराज।
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