सोमवार, 6 दिसंबर 2021

वसीम हो गए हरबीर

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन हैं वसीम रिज़वी

लखनऊ 06 दिसंबर(dil india live)। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने सोमवार को इस्लाम को अलविदा कहकर हिंदू धर्म अपना लिया है। इसके साथ ही उन्होंने अपना नाम रखा है हरबीर नारायण सिंह त्यागी।सोमवार सुबह गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने सनातन धर्म में उनकी वापसी करवाई। इस मौके पर वसीम रिजवी ने कहा कि मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया गया है, हमारे सिर पर हर शुक्रवार को इनाम बढ़ा दिया जाता है, ऐसे में मैं सनातन धर्म अपना रहा हूं। देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में स्थित शिव शक्ति धाम डसना के पीठाधीश्वर महंत नरसिंहानंद गिरी ने वसीम रिजवी का डासना मंदिर में ही विधि विधान से संस्कार किया। बताया जा रहा है कि धर्म परिवर्तन के बाद वह त्यागी बिरादरी से जुड़ गए हैं और उनका नाम हरबीर नारायण सिंह त्यागी होगा। हाल ही में वसीम रिजवी डासना मंदिर में महंत नरसिंहानंद गिरी से मिले थे और उन्होंने धर्म से जुड़ी विभिन्न बातों पर चर्चा की थी। कट्टरपंथी विचार रखने वाले लोगों से लगातार वसीम रिजवी को धमकी मिल रही थी। पिछले दिनों उन्होंने अपनी वसीयत में भी लिख दिया था

बाबरी मसजिद की बरसी पर बंद रहा मुसलिम कारोबार

6 दिसंबर: दालमंडी कपड़ा मार्केट में पसरा सन्नाटा

बाबरी मस्जिद की बरसी पर सोमवार को मुस्लिम करोबार पूरी तरह बंद रहा। इससे करोड़ो के टर्न ओवर प्रभावित होने का अनुमान है। बता दे कि 1992 से लगातार बरसी मनाने का सिलसिला जारी है। इस बंदी से करोड़ो का टर्न ओवर प्रभावित होता है। एक रिर्पोट....

 



सरफराज अहमद

वाराणसी 6 दिसंबर (dil india live)। बाबरी मस्जिद की शहादत पर सोमवार को शहर के मुस्लिमों ने अपना कारोबार बंद रखा। इस दौरान प्रमुख मुस्लिम बाजार दालमंडी नई सड़क, कपड़ा मार्किट, बेनिया, सरायहड़हा, भीखाशाह गली, नारियल बाजार, छत्तातले, घुघरानी गली, कच्ची सराय, चाहमामा, कोदई चौकी व चौक आदि इलाके की दुकानों के शटर भी नही उठें। इन इलाकों में लोग वर्ष 1992 से लगातार मस्जिद शहीद किये जाने के गम में अपना- अपना करोबार बंद रखते है। पहले इसके लिए आलमीन सोसायटी बंद की अपील करती थी शिवाला में अध्यक्ष परवेज कादिर खाँ की अगुवाई में धरना दिया जाता था। घरों और मस्जिदों में दुअख्वानी होती थी।हालॉकि अब इसके लिए न तो कोई अपील होती है और न ही कोई एलान बावजूद इसके स्वेच्छा से सभी अपने करोबार को बंद रखते है। 

लग जाती हैं बंद की तख्तिया 

प्रमुख मुस्लिम इलाको में बंदी की अपील वाली तख्तिया लगी हुई है। जिस पर लिखा है कि आज काला दिवस है दुकाने नहीं खुलेंगी। एक अनुमान के मुताबिक बंदी से तकरीबन 5 से 10 करोड़ से ज्यादा का टर्न ओवर प्रभावित होता है। 

अमन के लिए बंद हुआ धरना

कुछ वर्ष पूर्व तक आलमीन सोसायटी की ओर से शिवाला पर धरना प्रदर्शन किया जाता था और मगर बनारस बंद की अपील जाती थी, मगर कुछ वर्ष पूर्व अमनो-मिल्लत बनाये रखने के लिए यह आयोजन बंद हो गया। मगर बनारस के मुस्लिम अपना कारोबार बंद करके अपने गम का इजहार करते है बंदी के चलते हड़हा सराय का बिसातबाने का कारोबार बेनिया का प्लास्टिक, नई सड़क का कपड़ा व्यवसाय, दालमंडी का इलेक्ट्रनिक पार्ट्स रेडीमेट होजरी समेत तमाम करोबार बंद रहता है।

यीशु आया ज़मी पे नाचे सारा आसमान....

आगमन के दूसरे संडे को कैरोल सिंगिंग संग सजे चर्च



 

वाराणसी 06 दिसंबर (dil india live)। प्रभु यीशु के आगमन के दूसरे संडे को कैरोल सिंगिंग संग चर्च सज गए। इस दौरान शहर भर के गिरजाघरों में गीत, यीशु आया जमी परे नाचे सारा आसमान-आसमान...। की गूंज फिज़ा में सुनाई देने लगी तो कहीं, अमन के राजकुमार तेरा हो अभिषेक...गाया गया।दरअसल क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया जायेगा मगर क्रिसमस सीजन का आगाज पिछले इतवार को ही हो गया था। इस संडे प्रभु यीशु आगमन का दूसरा संडे था। इस दौरान गिरजाघरो में यीशु की स्तूति के गीत देर रात तक गूंजते रहे। आराधना और प्रार्थना का दौर अलग अलग चर्चेज में सुबह से शाम तक चलता रहा। इसी के साथ अब क्रिसमस अपने रंग में रंगता चला जायेगा। 25 दिसंबर यानी प्रभु यीशु के जन्म पर क्रिसमस अपने शबाब पर होगा।

 आगमन काल प्रभु यीशु के आगमन की आध्यात्मिक तैयारी को कहते है जो आज से 2021 वर्ष पूर्व ईसा मसीह के जन्म के साथ पूरा हुआ था। उसी ईसा मसीह की जयंती के लिए खुद को हृदय से तैयार करने का समय आगमन काल कहलाता है। महागिरजा घर में फादर विजय शांतिराज, चर्च आफ बनारस में पादरी बेन जान, रामकटोरा चर्च में पादरी आदित्य कुमार, लाल चर्च में पादरी संजय दान, सेंट पाल चर्च में पादरी सैम जोशुआ सिंह, यीभु माता चर्च में फादर राजा, सेंट बेटलफुल गॉस्पल में पास्टर एंड्रू शामस व ईसीआई चर्च में नवीन ज्वाय व दशरथ पवार ने प्रार्थना कराई।

प्रभु यीशु का धन्यवाद

क्रिसमस भले ही 25 को दुनिया भर में मनाया जाता हो मगर क्रिसमस की तैयारियां क्रिसमस के पूर्व पड़ने वाले चार इतवारों में से पहले इतवार से ही शुरू हो जाती है। यह आगमन का दूसरा इतवार था। पास्टर एसपी सिंह ने कहा कि प्रभु यीशु ने हमें जो जिन्दगी दी है उसके सदा हम आभारी है, हमारा फर्ज हैं कि हम भी प्रभु यीशु की सदा स्तूति करें।

 

रविवार, 5 दिसंबर 2021

दीन की दावत दे गये मुफ्ती शमशाद

गौस़े आज़म की सजी महफिल, बंटी रात भर नेकी 



वाराणसी 05 दिसंबर(dil india live)। सरैयां नीबू की बाग़ में तंजीम फैजाने गौसे आजम कमेटी की ओर से सालाना जलसे का आयोजन किया गया। जलसे की सदारत मौलाना महबूब आलम साहब ने किया। घोसी से आये मशहूर आलिमे दीन मौलाना मुफ़्ती शमशाद आलम साहब ने अपनी तकरीर में  कहा की दीन के बताये हुए रास्ते पर अगर इंसान चले तो दुनिया और आखिरत दोनों संवर सकती है। आप सब ईमान के पक्के बनिए, पांचो वक्त नमाज अदा करिये और अपने बच्चों को दिनी और दुनियावी दोनों तालीम दें। तालीम से बढ़ कर कुछ नहीं है। आपस में मिल्लत बनाये रखिये, गरीबो की मदद करिए। मुफ्ती शमशाद साहब की नेकी की दावत के बाद नातिया मुशायरा हुआ। जिसमें टांडा से आये मशहूर शायर मुमताज़ टांडवी ने रूहानी नातिया कलाम पेश किया तो लोग, सुब्हान अल्लाह...की सदाएं बुलंद करते दिखें। 

सकलैंन वजाहत बनारसी और दानिश इलाहाबादवी ने भी उम्दा कलाम से लोगों को देर रात तक बांधे रखा। इस मौके पर मेहमाने खुसूसी पार्षद हाजी ओकास अंसारी, पार्षद शफीकुज़्ज़मा भी शामिल हुए। सरदार शोएब, सरदार मतिउर्रहमान, सिराजुद्दीन महतो, डॉ. अफ़ज़ाल, हफीजुर्रहमान अंसारी, नफीस कुरैशी, लाल, असीम अहमद आदि लोग मौजूद थे।

गंगा घाट पर जारी किया पिक्चर पोस्टकार्ड और विशेष विरूपण

काशी के वैभव को सहेजते हैं गंगा के घाट: पीएमजी

गंगा घाट पर प्राचीन काल से विकसित हुई भारतीय संस्कृति : कृष्ण कुमार यादव



वाराणसी 05 दिसंबर(dil india live)। काशी के गंगा घाटों की जगप्रसिद्ध महिमा है। यहां जीवन से लेकर मृत्यु तक का राग सुना जा सकता है। सिर्फ धर्म और अध्यात्म ही नहीं बल्कि ज्ञान की गंगा भी यहाँ बहती है। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने आजादी का अमृत महोत्सव के क्रम में 'वाराणसी के घाट' पर डाक विभाग द्वारा पिक्चर पोस्टकार्ड का अनावरण और विशेष विरूपण जारी करते हुए व्यक्त किये। प्रयाग फिलेटलिक सोसाइटी, इलाहाबाद के तत्वावधान में वाराणसी प्रधान डाकघर में आयोजित कार्यक्रम में पोस्टमास्टर जनरल ने प्रवर डाक अधीक्षक राजन राव, गंगा सेवा निधि ट्रस्ट बोर्ड के सचिव हनुमान यादव, सीनियर पोस्टमास्टर चंद्रशेखर सिंह बरुआ, प्रयाग फिलेटलिक सोसाइटी के संयोजक राहुल गांगुली संग उक्त पिक्चर पोस्टकार्ड का अनावरण किया।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि काशी में जीवनदायिनी गंगा नदी के किनारे अर्द्धचन्द्राकार में फैले हुए इन घाटों पर प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति विकसित हुई है। ये घाट काशी के वैभव और विरासत को सहेजते हैं। ऐसे में डाक विभाग द्वारा इन पर जारी पिक्चर पोस्टकार्ड राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे नए आयाम देंगे। श्रद्धालुओं, फिलेटलिस्ट, पर्यटकों, युवाओं, आमजन के साथ-साथ वाराणसी की विरासत को सहेजने वाले शोधार्थी भी इसे महत्वपूर्ण पाएंगे।

गंगा सेवा निधि ट्रस्ट बोर्ड के सचिव हनुमान यादव ने कहा कि गंगा घाट पर नित्य शाम होने वाली गंगा आरती की आकर्षक छटा इसे दिव्यता प्रदान करती है। देश-दुनिया से लोग आकर इसके मनोहारी दृश्य का साक्षी बनना चाहते हैं। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष आशीष तिवारी ने कहा कि डाक विभाग और प्रयाग फिलेटलिक सोसाइटी की यह पहल सराहनीय है। 

वाराणसी पूर्वी मण्डल के प्रवर डाकघर अधीक्षक राजन राव ने कहा कि गंगा के किनारे कुल 88 घाट इसे जीवंतता प्रदान करते हैं। ₹ 26 में ये पोस्टकार्ड वाराणसी फिलेटलिक ब्यूरो सहित देश के अन्य ब्यूरो में भी उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रयाग फिलेटलिक सोसाइटी के संयोजक राहुल गांगुली ने अतिथियों का स्वागत, सीनियर पोस्टमास्टर चंद्रशेखर बरुआ ने आभार ज्ञापन और गणेश गंभीर ने संचालन किया।

शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

अगहनी जुमे को नमाज़ अदा करने जुटा सैलाब

मुल्क में अमन और करोबार की बेहतरी की हुई दुआएं



वाराणसी 03 दिसंबर (dil india live)। आज पुरानापुल पुल्कोहना स्थित ईदगाह में बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ़ दरोगा के सदारत में अगहनी जुमे की नमाज अदा की गयी। इस दौरान मुल्क में अमन, मिल्लत व कोराबार में कामयाबी की दुआएं की।
 इस मौके पर सरदार गुलाम मोहम्मद ने बताया की अगहन के इस पवित्र महीने में पूरा बुनकर समाज अगहनी जुमे की नमाज हर साल ईदगाह में अदा करता है तक़रीर मौलाना शकील ने की। तक़रीर में मौलाना शकील
. साहब ने सभी से मिल्लत और भाई चारगी बनाने की अपील की। कहा की सभी लोग आपस में मोहब्बत रखिये मोहब्बत एक ऐसी चीज है जो सभी को एक धागे में पिरो कर एक साथ ले कर चलता है आज हम सब को इसी की जरुरत है। आपस में भाईचारगी बानी रहे उसके लिए दुआ की बुनकर भाइयो के कारोबार में बरक्कत के लिए दुआ की।मुल्क में सभी को रोजगार मिले उसके लिए दुआ की। अगहनी जुमे में बाईसी के सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ़ दरोगा ,बावनी पंचायत के सदर हाजी मुख्तार महतो, हासिम सरदार , कल्लू हाफिज , डॉक्टर शमशाद और हैदर महतो शामिल रहे।तक़रीर मौलाना शकील साहब ने की,मौलाना नुरुल हसन ने नमाज अदा कराई।

मरहूम अली आज़म हबीबी की बरसी

हुजुर मुजाहिदे मिल्लत के सच्चे सिपाही अली आज़म हबीबी

वाराणसी(dil india live)। अंजुमन तबलीग अहले सुन्नत व दावते नमाज़ के पूर्व प्रबंधक मरहूम अली आज़म हबीबी की दीनी खिदमात को भुलाया नहीं जा सकता। वो आला हज़रत को मानने वाले व सूफिज़्म के सच्चे सिपाही थे। हुजूर मुजाहिदे मिल्लत के मुरीद थे। मरहूम अली आज़म हबीबी ने हुजूर मुजाहिदे मिल्लत के मिशन नेकी और नमाज़ की दावत, दीन की खिदमात को अपनी जिंदगी का मक़सद बनाया। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की मोहम्मदाबाद गोहना तहसील के बंदीकला नगरीपार गांव में जन्मे अली आज़म हबीबी शिक्षा दीक्षा के बाद जिला उद्योग वाराणसी में कार्यरत होने के चलते शुरू से ही बनारस के गौरीगंज में किराये के मकान में रहते थे। यहीं पर दीनी जज़्बे और हुजूर मुजाहिदे मिल्लत की दुआ मिली और वो हुजूर के मिशन में लग गये। दीन की खिदमत के साथ ही बच्चो की परवारिश शिक्षा दीक्षा में भी उन्होने कोई कोताही नहीं होने दी। दीन के लिए ही बरेली शरीफ से मिले फतवे पर उन्होंने नसबंदी कानून के खिलाफ नौकरी छोड़ दी बाद में कानून वापस हुआ तो उन्न्हें फिर से बुलाकर नौकरी दी गई। दीन की राह में ये उनकी पहली ज़ीत समझी जा सकती है। सैकड़ो लोगों को उन्होंने दीन का रास्ता दिखाया। हुजूर मुजाहिदे मिल्लत की कायम अंजुमन तबलीग अहले सुन्नत व दावते नमाज़ के वो आजीवन प्रबंधक थे। वर्ष 2000 में जब वो जिला उद्योग केन्द्र से रिटायर हुए तो जो फंड विभाग से मिला उससे अपने बच्चो के लिए उन्होने 2002 में अर्दली बाजार में एक जमीन खरीदा जिस पर मकान बनवा कर वो वहीं रहने लगे। वर्ष 2019 में बीमारी के बाद 24 दिसंबर, 27 रबीउल आखिर को वो दुनिया से रुख्सत हो गये। उन्हें टकटकपुर कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक किया गया। आज उनकी बरसी है। वो हमेशा क़ौम की बेहतरी, बेदारी के लिए जीते रहें। किसी का कभी बुरा नहीं चाहा। किसी का हक नहीं मारा। हमेशा दूसरों की वो मदद करते दिखाई देते थे।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...