मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

Congress ने president को लिखा पत्र

प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति बन्द करने का जताया विरोध 

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के महासचिव ने लिखा पत्र 


Varanasi (dil india live). उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कक्षा 1 से 10 तक मिलने वाली अल्पसंख्यक छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति को प्रतिबंधित करने के बाद, 2022 से बन्द कर दिया गया है। सरकार का यह कदम अल्पसंख्यक गरीबों को शिक्षा से रोकने कि एक साजिश प्रतीत होती है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि कांग्रेस सरकार ने जून 2006 में अल्पसंख्यकों के कल्याण व विकास के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रम में अल्पसंख्यक समुदाय के माता पिता से स्कूल शिक्षा पर उनके ऊपर पड़ने वाले बोझ को हल्का करने के एवं अल्पसंख्यक समुदाय में शिक्षा का स्तर ऊंचा करने के लिए प्री मैट्रिक छात्रवृति की शुरुआत की थी। इसे बन्द करने के केंद्र सरकार के कदम से लाखों अल्पसंख्यक मेधावी छात्रों का भविष्य अंधकार में चला जायेगा।

कांग्रेस ने पत्र के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति से आग्रह किया कि सरकार को अपने शिक्षा विरोधी फैसले को वापस लेना चाहिए। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के उपाध्यक्ष वाराणसी प्रभारी नईम अहमद प्रधान ने इस मुद्दे पर कहा कि प्री मैट्रिक छात्रवृति के बाद केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद साहब के नाम से कांग्रेस सरकार में शुरू की गई पांच सालों वाली मौलाना आज़ाद फैलोशिप योजना को भी बन्द करने का ऐलान कर दिया है, जबकि यह फेलोशिप योजना 6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी और सिख छात्रों को दी जाती थी जिसे उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस सरकार में शुरू किया गया था। यूजीसी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 और 2021-22 के बीच 738.85 करोड़ रुपये के संचयी संवितरण के साथ 6,722 उम्मीदवारों को फेलोशिप योजना के तहत चुना गया था। बीजेपी सरकार का यह कदम शत प्रतिशत अल्पसंख्यक विरोधी है, अगर सरकार ने मौलाना आज़ाद फेलोशिप को बन्द करने के फैसले को वापिस ना लिया तो देश में अल्पसंख्यक समुदाय के हजारों शोध उम्मीदवार एम फिल और पीएचडी करने जैसी शिक्षा से वँचित हो जायेंगे। इसलिए वित्तीय सहायता के रूप में केंद्र द्वारा प्रदान की जाने वाली पांच साल की फेलोशिप को बन्द करने के फैसले को बीजेपी सरकार को वापस लेना चाहिए।

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