सोमवार, 3 मार्च 2025

VKM Varanasi का सात दिवसीय एनएसएस शिविर शुरू

राष्ट्र केवल एक क्षेत्र या लोगों का समूह नहीं है; यह साझी संस्कृति विरासत और मूल्यों से बंधी इकाई-डॉ. कृष्णानंद



Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय वाराणसी द्वारा सात दिवसीय विशेष एनएसएस शिविर का आयोजन राजकीय प्राथमिक विद्यालय, छित्तूपुर खास, बीएचयू में किया गया। पहले दिन आत्म-अनुशासन, स्वस्थ जीवन शैली प्रशिक्षण, स्वास्थ्य और राष्ट्र निर्माण के लिए मूल्यवान पाठों से भरा था। डॉ. शशि प्रभा कश्यप (कार्यक्रम अधिकारी, एनएसएस, यूएनआई: 014 ए) ने अनुशासन और आत्म-देखभाल के महत्व पर प्रकाश डाला। स्वास्थ्य और करियर पर योग के प्रभाव के बारे में अपना व्यक्तिगत अनुभव उन्होंने साझा किया। उन्होंने स्वयंसेवकों को समग्र विकास के लिए मानसिक स्वास्थ्य को जिम्मेदारियों के साथ संतुलित करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद सत्र की शुरुआत "दैनिक जीवन में बुनियादी योग अभ्यास" विषय से हुई। अतिथि वक्ता योग साधना केंद्र, मालवीय भवन, बीएचयू के वरिष्ठ योग प्रशिक्षक डॉ. योगेश कुमार भट्ट ने योग मंत्र से व्याख्यान शुरू किया और अनुशासित जीवन शैली, उचित नींद और पोषण पर जोर दिया। उन्होंने चक्रासन, भुजंगासन, वज्रासन, मंडूकासन और उष्ट्रासन जैसे कुछ प्रमुख आसनों का प्रदर्शन किया और शरीर के लचीलेपन, पाचन, स्वास्थ्य और तनाव से राहत में उनके लाभ और भूमिका के बारे में भी बताया। उन्होंने साइनस के प्राकृतिक उपचार (नाक के मार्ग में तिल का तेल लगाना) के बारे में भी बताया और पीसीओडी और हार्मोनल असंतुलन को संबोधित किया, हार्मोनल विनियमन और तनाव में कमी में योग की भूमिका पर प्रकाश डाला। स्वयंसेवकों को उनका मुख्य संदेश था "दूध पिएं, व्यायाम करें, अपना कर्म करें और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करें।" ध्यान बढ़ाने और चिंता को कम करने के लिए ध्यान तकनीकों के साथ सत्र का समापन हुआ।

लंच ब्रेक के बाद दूसरा सत्र दोपहर 2:00 बजे शुरू हुआ। सत्र की शुरुआत "मेरा भारत आउटरीच कार्यक्रम" विषय से हुई। अतिथि वक्ता एसवीडीवी, बीएचयू  डॉ. कृष्णानंद ने भारत के सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका और राष्ट्रीय सेवा योजना के बारे में बताया। उन्होंने मेरा युवा भारत पोर्टल के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि मेरा भारत पोर्टल युवाओं को नेतृत्व कौशल विकास और स्वयंसेवा के अवसरों में सशक्त बनाता है। उन्होंने मदन मोहन मालवीय को उद्धृत करते हुए कहा, "एक राष्ट्र केवल एक क्षेत्र या लोगों का समूह नहीं है; यह साझा संस्कृति, विरासत और मूल्यों से बंधा एक इकाई है।" इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्वयंसेवकों को पंजीकरण के लिए मार्गदर्शन किया और अपने करियर की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए माई भारत पोर्टल पर एक पेशेवर सीवी बनाने के बारे में बात की। निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि पहले दिन एनएसएस शिविर के लिए एक मजबूत नींव रखी गई, जिसमें योग के माध्यम से आत्म-अनुशासन और सक्रिय भागीदारी के माध्यम से राष्ट्रीय सेवा का संयोजन किया गया। स्वयंसेवक अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में इन पाठों को लागू करने के लिए प्रेरित प्रेरित हुए। आज के सत्य दिवसीय शिविर में चितरपुर ग्राम की पार्षद,  विद्यालय की प्राचार्या के साथ-साथ अन्य शिक्षिकाएं तथा 50 स्वयं सेविकाएं मौजूद थी। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयंसेवी का अनुकृति के द्वारा किया गया। तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर शशी प्रभा कश्यप के द्वारा किया गया। शिविर का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।

bharat में महिलाएं वैदिक काल से ही सशक्त- प्रो. कल्पलता पांडेय

फेमिनिस्ट रिसर्च में प्रामाणिकता पर दिया गया कार्यशाला में जोर


Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा वाराणसी में 3 से 9 मार्च  तक फेमिनिस्ट रिसर्च मेथोडोलॉजी पर एक कार्यशाला का आगाज़ किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्राओं को नारीवाद के बारे में जागरूक करना, इसकी विभिन्न शोध पद्धतियों को समझाना और फेमिनिस्ट रिसर्च के दौरान अनुसंधान की नैतिकता से अवगत कराना है।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की शुरुआत महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव की अगुवाई में हुआ। उन्होंने अतिथियों का उत्साहपूर्वक स्वागत किया और कहा कि ऐसी कार्यशालाएँ छात्राओं के लिए अत्यंत लाभकारी और महत्वपूर्ण होती हैं, जिससे वे इस विषय की जटिलताओं को समझ सकें।

उद्घाटन सत्र की मुख्य वक्ता प्रो. कल्पलता पांडेय, (पूर्व कुलपति, जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया) थीं। उन्होंने नारीवाद के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फेमिनिस्ट रिसर्च में प्रामाणिकता होनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि फेमिनिस्ट रिसर्च मेथोडोलॉजी वास्तव में एक पश्चिमी अवधारणा है। उनके अनुसार, भारत में महिलाएँ वैदिक काल से ही सशक्त रही हैं, इसलिए किसी नारीवादी आंदोलन की आवश्यकता नहीं है। बस, उन्हें उनके अधिकार और सशक्तिकरण को याद दिलाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सशक्तिकरण शक्ति और भावनात्मक बुद्धिमत्ता के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।


द्वितीय सत्र की मुख्य वक्ता प्रो. चंद्रकला पडिया मैडम थीं। उन्होंने कहा कि इतिहास में हमेशा पुरुषत्व (मास्कुलिन) को महत्व दिया गया है, न कि फेमिनिन को, जो उचित नहीं है। उन्होंने समानता की परिभाषा को चुनौती देते हुए कहा कि फेमिनिस्ट रिसर्च में गुणात्मक (क्वालिटेटिव) और सहभागी (पार्टिसिपेटरी) अनुसंधान अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, उन्होंने फेमिनिस्ट रिसर्च में रिफ्लेक्सिविटी (आत्मविश्लेषण) और पारदर्शिता के महत्व पर भी जोर दिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रतिमा सिंह ने किया। विषय प्रवर्तन कार्यशाला की संयोजिका डॉ अनुराधा बापुली ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सह-संयोजिका डॉ सिमरन सेठ ने किया। इस अवसर पर प्रो. सीमा वर्मा, डॉ. आरती चौधरी, डॉ. सरोज उपाध्याय, डॉ. पूनम वर्मा सहित अन्य समिति सदस्य एवं संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

Ramzan mubarak (2) नबी और उनके घराने वालों का रोज़ा

रमज़ान का रोज़ा, सब्र और उम्मत की देखिए मोहब्बत 

Varanasi (dil India live). हजरत अली के घर में सभी ने रोजा रखा। हजरत फातिमा ने भी रोजा रखा, दो बच्चे है उनके अभी छोटे है पर रोजा रखा हुआ है। मगरिब का वक़्त होने वाला है, इफ्तारी का वक़्त है, सभी मुसल्ला बिछा कर रो-रोकर दुआ मांगते हैं। हजरत फातिमा दुआ खत्म करके घर में गयी और चार (4) रोटी लायी, इससे ज्यादा उनके घर में अनाज नही है। हजरत फातिमा चार रोटी लाती है। पहली रोटी अपने शौहर हज़रत अली के सामने रख दी। दूसरी रोटी अपने बड़े बेटे हसन के सामने। तीसरी रोटी छोटे बेटे हुसैन के सामने रख दी और एक रोटी खुद रख ली। 

मस्जिद-ए-नबवी में अज़ान हो गयी, सभी ने रोजा खोला, सभी ने रोटी खाई। मगर दोस्तो...अल्लाह की कसम वो फातिमा थी जिसने आधी रोटी खाई ओर आधी रोटी को दुपट्टे से बांधना शुरू कर दिया। हजरत अली ने यह देखा और कहा के फातिमा तुझे भूख नहीं लगी, एक ही तो रोटी है उसमे से आधी रोटी दुपट्टे में बांध रही हो? फातिमा ने कहा। जी, हो सकता है मेरे बाबा जान (नबी पाक) को इफ्तारी में कुछ ना मिला हो, वो बेटी कैसे खायगी जिसके बाप ने कुछ खाया नही होगा?

फातिमा दुपट्टे में रोटी बांध कर चल पड़ी है उधर हमारे नबी मगरिब की नमाज़ पढ़ा कर आ रहे हैं हजरत फातिमा दरवाजे पर है देखकर हुजूर कहते हैं ऐ फातिमा तुम दरवाजे पर कैसे, फातिमा ने कहा ए अल्लाह के रसूल अंदर तो चले। हज़रत फातिमा की आंखों में आंसू थे, कहा जब इफ्तार की रोटी खाई तो आपकी याद आ गयी कि शायद आपने खाया नहीं होगा इसलिए आधी रोटी दुपट्टे से बांध कर लाई हूँ।

रोटी देखकर हमारे नबी की आंखों में आंसू आ गए और कहा, ए फातिमा अच्छा किया जो रोटी ले आई वरना चौथी रात भी तेरे बाबा की इसी हालात में निकल जाती। दोनों एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं। अल्लाह के रसूल ने रोटी मांगी, फातिमा ने कहा बाबा जान आज अपने हाथों से रोटी खिलाऊंगी और चौड़े चोड़े टुकड़े किये और हुजूर को खिलाने लगी। रोटी खत्म हो गयी और हजरत फातिमा रोने लगती है। हुजूर पाक ने देखा और कहा के फातिमा अब क्यों रोती हो? कहा अब्बा जान कल क्या होगा? कल कौन खिलाने आयेगा? कल क्या मेरे घर में चुहला जलेगा ? कल क्या आपके घर में चुहला जलेगा? नबी ने अपना प्यारा हाथ फातिमा के सर पर रखा और कहा कि फातिमा तू भी सब्र करले और मैं भी सब्र करता हूँ। हमारे सब्र से अल्लाह उम्मत के गुनाहगारों के गुनाह माफ करेगा।

अल्लाह हो अकबर ये होती है मोहब्बत जो नबी को हमसे थी, उम्मत से थी। ये गुनाहगार उम्मती हम ही है जिनके लिए हमारे नबी भूखे रहे, नबी की बेटी भूखी रही! और आज हम लोग क्या कर रहे हैं, उनके लिए। कल कयामत के दिन मैं ओर आप क्या जवाब देंगे? अब भी वक्त है पूरे रमज़ान रब से दुआएं करें, वो जो दे दे उसमें गुजारा करें और रब का शुक्र अदा करें। 

रविवार, 2 मार्च 2025

भगवान श्रेयांश नाथ हुए चांदी की नालकी पर सवार

भक्तों ने फूल और भजनों से की प्रभु की आराधना





Varanasi (dil India live). जैन धर्म के 11 वें तीर्थंकर भगवान श्रेयांशनाथ का जन्म जयंती महोत्सव बहुत धूमधाम से सारनाथ स्थित भगवान श्रेयांश नाथ की जन्मस्थली पर मनाया गया। इस अवसर पर जैन समाज द्वारा भगवान श्रेयांश नाथ को चांदी की नालकी पर सवार कर गाजे बाजे के साथ सारनाथ के क्षेत्र में भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा में श्री दिगंबर जैन समाज काशी द्वारा अत्यंत प्राचीन सोने चांदी के साजो-सामान से शोभा यात्रा की खूबसूरती को बढ़ाया गया था। जैन समाज द्वारा भगवान की अष्टधातु की प्रतिमा को चांदी की नालकी पर विराजमान कर उपस्थित महिलाएं और पुरुष बड़े ही भक्ति भाव से भजन की प्रस्तुति कर रहे थे। इस अवसर पर प्रस्तुत भजन एक दिन जब मौत की शहजादी आएगी ना सोना काम आएगा, ना चांदी काम आएगी। तुमसे लागी लगन ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा। मेटो मेटो जीसंकट हमारा। जग के दुख की तो परवाह नहीं है सर्व सुख की भी चाह नहीं है...।इत्यादि भजन उपस्थित लोगों के मन को मोहित कर ले रहे थे।क्या पुरुष, क्या स्त्री और क्या बच्चे शोभा यात्रा में जैसे सभी मंत्र मुग्ध हो गए थे। शोभा यात्रा में महिलाएं केसरिया साड़ी में तो पुरुष अधिकतर सफेद कुर्ता पैजामा जैसे ड्रेस कोड में थे। शोभा यात्रा में गाजे बजे वाले अपने अपने इंस्ट्रूमेंट्स से जुलुस की शोभा को बढ़ा रहे थे। शोभा यात्रा मंदिर के द्वार से प्रारंभ हो कर सारनाथ में ही परिक्रमा लगाते हुए पुनः मंदिर परिसर में आ कर समाप्त हुई। तत्पश्चात विश्व शांति के लिए भगवान श्रेयांश नाथ की अष्ट धातु की 12 की प्रतिमा और 12 फिट ऊंची विशाल पदमांसन प्रतिमा का 108 स्वर्ण और रजत कलशों से पूजन और पंचांभिषेक किया गया। जुलुस का संचालन समाज के उपाध्यक्ष और संयोजक राकेश जैन द्वारा किया गया। पूरे कार्यक्रम की अध्यक्षता जैन समाज के अध्यक्ष आरसी जैन और डॉ के.के. जैन ने किया। इस अवसर पर प्रधान मंत्री प्रदीप चंद जैन, समाज मंत्री विनोद जैन ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर संरक्षक दीपक जैन, विनय जैन, संजय जैन, आदिश जैन, विमल जैन, सुधीर कुमार पोद्दार, पवन जैन, दीपक जैन, अजय जैन इत्यादि प्रमुख लोग मौजूद थे।

चार तीर्थंकरों की जन्मस्थली को मिले संरक्षण

श्री दिगंबर जैन समाज काशी के अध्यक्ष आरसी जैन, उपाध्यक्ष राकेश जैन, संजय जैन, प्रधानमंत्री प्रदीप चंद जैन, समाज मंत्री विनोद जैन ने शासन और प्रशासन से  काशी में स्थित जैन धर्म की चार जन्मस्थली का कल्याण करने की मांग की है। इस अवसर पर जैन समाज के उपाध्यक्ष राकेश जैन ने कहा कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से चार तीर्थंकरों का जन्म स्थली काशी है। सरकार काशी विश्वनाथ धाम की तर्ज पर जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली का भी विकास करे। जिससे काशी में धार्मिक तीर्थ यात्री और बढ़ जाएंगे साथ में काशी में आने वाली रेवेन्यू में भी बढ़ोतरी होगी ।

मस्जिदों से गूंजी Azan की सदाएं...अल्लाह हो अकबर, अल्लाह हो अकबर

अज़ान की सदाएं सुन कर मोमिनीन ने खोला रमजान का पहला Roza

Mohd Rizwan 

Varanasi (dil india live). रमजान के पहले रोज मस्जिदों से जैसे ही अजान की सदाएं, अल्लाह हो अकबर, अल्लाह हो अकबर... की गूंज सुनाई दी, तमाम रोजेदारों ने खजूर और पानी से इस साल का पहला रोजा खोला। इफ्तार में कई तरह के लजीज पकवान संग शर्बत भी सजाया गया था। रोज़ा इफ्तार, और मस्जिदों में नमाज के साथ ही चारों तरफ नूर ही नूर, हर तरफ खुशी ही खुशी मुस्लिम बहुल इलाकों में देखने को मिली। रमजान की रहमत जहां बरस रही थी वहीं दूसरी ओर इफ्तार के बाद बाजार गुलजार हो गए। पहला रोजा इतवार को पड़ा है, जिसके चलते रोजेदारों को छुट्टी होने से थोड़ा राहत मिली। फजर से लेकर सभी नमाजो में मस्जिदें पहले ही दिन नमाजियों से भरी हुई नज़र आयी। इफ्तार के बाद लोगों ने बाजार का रुख किया। इस दौरान सहरी के लिए खरीदारी करते हुए मोमीनीन बाजारों में दिखाई दिए। 

इस दौरान कई मस्जिदों में नमाज़ के दौरान इमाम साहब आने वाले लोगों को नेकी की दावत देते भी दिखाई दिए। कहां यह महीना नेकियों का महीना है इस महीने की अजमत को समझें और बुराइयों को छोड़कर मोमिनीन ज्यादा से ज्यादा सवाब कमाने में जुट जाएं। उधर ख़्वातीन दोपहर से ही लजीज इफतारी बनाने में जुटी हुई थी। देखते ही देखते कब वक्त इफ्तार का हो गया पता ही नहीं चला और मस्जिदों से अज़ान की सदाएं गूंज उठी रोजेदारों ने पहला रोजा खोला और मुल्क में अमन, मिल्लत और क़ौम की तरक्की के लिए दुआएं मांगी।

मस्जिद लंगड़े हाफिज में रोजा इफ्तार

रमजान उल मुबारक के पहले रोज मस्जिद लंगडे हाफिज नयी सड़क में शाहिद अली खान मुन्ना की अगुवाई में रोजेदारों ने बड़ी अकीदत और एहतेराम के साथ रोज़ा खोला। इस मौके पर हाजी मोहम्मद शाहिद अली मुन्ना ने लंगड़े हाफिज मस्जिद में मग़रिब की अजान दी, फिर क्या था रोज़दारों ने खजूर और शरबत से रोजा खोल कर अल्लाह पाक से दुआ मांगी और मुल्क की तरक्की, कारोबार की बेहतरी के लिये अल्लाह से दुआएं मांगी। रोजेदारों को रोजा इफ्तार कराने में आरिफ चौधरी, मोहम्मद आज़म, गुलाम अहमद, अकबर, कमरूदीन, भोलू, अब्दुल्लाह, मो. फजलुर्रहमान आदि मौजूद थे।

VKM Varanasi News: एनएसएस का सात दिवसीय विशेष शिविर कल से

राजकीय प्राथमिक विद्यालय व पंचायत भवन में जुटेंगे एनएसएस स्वयंसेवी

Varanasi (dil India live)। वसंत कन्या महाविद्यालय द्वारा एनएसएस का सात दिवसीय विशेष शिविर का आयोजन एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी, (यूनिटः 014 A) डॉ. शशि प्रभा कश्यप, द्वारा 3 मार्च से 9 मार्च 2025 तक राजकीय प्राथमिक विद्यालय एवं पंचायत भवन, अंबेडकर ग्राम, छित्तूपुर खास, बीएचयू में किया जाएगा। डा. शशि प्रभा कश्यप ने बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना शैक्षणिक विस्तार में एक महान प्रयोग है। यह निरंतर सामुदायिक संपर्क के माध्यम से छात्र-छात्राओं और शिक्षकों में स्वैच्छिक कार्य की भावना पैदा करता है। यह हमारे शैक्षणिक संस्थानों को समाज के करीब लाता है। यह दिखाता है कि ज्ञान और कार्रवाई को कैसे जोड़ा जाए ताकि ऐसे परिणाम प्राप्त किए जा सकें जो सामुदायिक विकास के लिए वांछनीय हों। इस एनएसएस सात दिवसीय विशेष शिविर के आयोजन का उद्देश्य स्वयंसेवकों और समुदाय के बीच जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है। प्रत्येक दिन एक विशिष्ट विषय को समर्पित है, जिसका उद्देश्य शिक्षित करना, सशक्त बनाना और सकारात्मक बदलाव लाना होगा। विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को अपनी अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए आमंत्रित किया जायेगा और प्रतिभागियों को शामिल करने के लिए विभिन्न विषयों पर रैलियां, स्किट, भाषण, पोस्टर प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसी इंटरैक्टिव गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। सात दिवसीय एनएसएस कार्यक्रम के पहले दिन 3 मार्च को सत्र 1 में दैनिक जीवन में बुनियादी योग अभ्यास अतिथि वक्ताः डॉ. योगेश कुमार भट्ट, वरिष्ठ योग प्रशिक्षक, योग साधना केंद्र, बीएचयू होंगे तो सत्र 2 में मेरा भारत आउटरीच कार्यक्रम के अतिथि वक्ताः डॉ. कृष्णानंद आचार्य होंगे। इस सत्र का उद्देश्य प्रतिभागियों को बेहतर स्वस्थ जीवन के लिए दैनिक जीवन में बुनियादी योग अभ्यासों को शामिल करने के बारे में शिक्षित करना होगा। दूसरे सत्र में मेरा भारत आउटरीच कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा। यह युवाओं के लिए एक मंच है, जो भारत की समृद्ध विरासत, सांस्कृतिक मूल्यों, नौकरी के अवसरों और राष्ट्र निर्माण में युवाओं की जिम्मेदारियों पर जोर देता है।

Ramzan Mubarak (1) - हक़ की जिन्दगी जीने का रास्ता दिखाता है रमज़ान

रमजान आते ही फिज़ा में होती है नूर की बारिश 

Varanasi (dil India live)। हिजरी कलैंडर का 9 वां महीना रमज़ान है। ये वो महीना है जिसके आते ही फिज़ा में नूर छा जाता है। चोर चोरी से दूर होता है, बेहया अपनी बेहयाई से रिश्ता तोड़ लेता है, मस्जिदें नमाज़ियों से भर जाती हैं। लोगों के दिलों दिमाग में बस एक ही बात रहती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा इबादत की जाये। फर्ज़ नमाज़ों के साथ ही नफ्ल और तहज्जुद पर भी लोगों का ज़ोर रहता है, अमीर गरीबों का हक़ अदा करते हैं, पास वाले अपने पड़ोसियों का, कोई भूखा न रहे, कोई नंगा न रहे इस महीने में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे जहां तौफीक देता है। वहीं गरीबो, मिसकीनों, लाचारों, बेवा, और बेसहरा वगैरह की ईद कैसे हो, कैसे उन्हें उनका हक़ और अधिकार मिले यह रमज़ान ने पूरी दुनिया को दिखा दिया, सिखा दिया। यही वजह है कि रमज़ान का आखिरी अशरा आते आते हर साहिबे निसाब अपनी आमदनी की बचत का ढ़ाई फीसदी जक़ात निकालता है। और दो किलों 45 ग्राम वो गेंहू जो वो खाता है उसका फितरा।

सदका-ए-फित्र ईद की नमाज़ से पहले हर हाल में मोमिनीन अदा कर देता है ताकि उसका रोज़ा रब की बारगाह में कुबुल हो जाये, अगर नहीं दिया तो तब तक उसका रोज़ा ज़मीन और आसमान के दरमियान लटका रहेगा जब तक सदका-ए-फित्र अदा नहीं कर देता। रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। परवरदिगारे आलम इरशाद फरमाते है कि माहे रमज़ान कितना अज़ीम बरकतों और रहमतो का महीना है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि इस पाक महीने में कुरान नाज़िल हुआ। इस महीने में बंदा दुनिया की तमाम ख्वाहिशात को मिटा कर अपने रब के लिए पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोज़ा रखता है। नमाज़े अदा करता है। फ़र्ज़ Namaaz के अलावा तहज्जुद, चाश्त, नफ्ल अदा करता है। इस महीने में वो मज़हबी टैक्स ज़कात और फितरा देकर गरीबों-मिसकीनों की ईद कराता है। 

अल्लाह फ़रमाता है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। यह महीना नेकी का महीना है इस महीने से इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने, दीगर इबादत करने, और हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे ..आमीन।


Ramzan ka 8 roza मुकम्मल, मंगल को पूरा होगा अशरा

मस्जिद बुद्धू छैला समेत कई मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल  मोहम्मद रिजवान  Varanasi (dil India live). मुक़द्दस रमजान का पहला अशरा रहमतों का अपन...