बुधवार, 24 जनवरी 2024

शुरू हुआ Hazrat Ali की जयंती का जश्न

Varanasi में कई जगह हुई महफिलें, घर घर हुआ जश्न




  • Mohd Rizwan
Varanasi (dil India live). बुधवार को देश और दुनिया के साथ ही शहर बनारस में भी शेरे खुदा, दमादे पयंबर मौला अली की १४६८ वीं जयंती पूरी अकीदत और जोशो-खरोश के साथ मनाई गई। इस दौरान दरगाहे फ़ातमान में मौला अली का रौज़ा सजाया गया और लोगों ने दुआखवानी की। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया की कदीमी महफिल इमानिया अरबी कॉलेज में इमामे जुमा मौलाना जफर हुसैनी के संयोजन में आयोजित की गई, जहां नामचीन शायरों ने कलाम पेश किया। वहीं स्वर्गीय मजाहिर हुसैन एडवोकेट के इमामबाड़े के अंदर उनके पुत्रों द्वारा मौला अली की महफिल का आयोजन किया गया। इसी तरह शहर के विभिन्न इलाकों में मौला अली की विलादत पर महफिल आयोजित हुई। फरमान हैदर ने बताया की १४६८ साल पहले मौला अली की विलादात काबे में हुई थी। पूरी दुनिया आपको मुश्किल कुशा के नाम से जानती है। इस सिलसिले में गुरुवार यानी २५ जनवरी को जुलूस-ए मौला अली टाउनहॉल से प्रातः ९ बजे पूरी अकीदत के साथ उठाया जाएगा। इसके पूर्व दोषीपुरा से आकर जुलूस टाउनहॉल पर ही शामिल होगा जो मैदागिन चौराहा, चौक, दालमंडी , नई सड़क, कालीमहाल, होता हुआ दरगाहे फातमान पोहचेगा और यहां नमाज के तुरंत बाद १२.३० बजे सेमिनार शुरू होगा जिसमें सभी धर्मो के नामचीन हजरत शिरकत करेंगे। जिसमें प्रो. विशंभर नाथ मिश्र महंत संकट मोचन, भाई धरमवीर सिंह, बिशप यूजीन जोसेफ, फादर फिलिप्स डेनिस, तिब्बती यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नेगी और मौलाना गुलाम रसूल और बिहार के मशहूर शायर सलीम अपने कलाम और तकरीर के जरिए मौला अली के जीवन पर रोशनी डालेंगे। मौला अली की जयंती का जश्न लगातार ५ दिनों तक जारी रहेगा और हर जगह महफिल सजती रहेगी। मौला अली के पिता का नाम अबू तालिब था और मां का नाम फातिमा बिनते असद था। मौला अली हजरत पयंबर के दामाद थे और बीबी फातिमा के शौहर थे। इमाम हसन और हुसैन जैसे बेटों के वालिद थे। जिन्होंने कर्बला की जंग में अपने 71 साथियों के साथ शहादत दी थी।

Hazrat Ali जयंती पर 25 को टाउन हॉल से निकलेगा जुलूस

दरगाह फातमान में होगा सेमिनार, एकत्रित होंगे सभी धर्म के विद्वान

file photo 

Varanasi (dil India live)। हजरत अली समिति के प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी हाजी सैयद फरमान  हैदर ने बताया कि इस वर्ष शेरे खुदा मुश्किल कुशा हजरत अली की जयंती पर हर साल की तरह 25 जनवरी को मनाई जाएगी। इस अवसर पर प्रातः  9:00 जुलूसे मौला अली टाउन हॉल से पूरी शान व शौकत के साथ उठेगा। यह जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ मैदागिन, नीची बाग, चौक, दालमंडी, नई सड़क, पितर कुंडा होता हुआ दरग़ाहे फातमान पहुंचेगा। वहां‌ नमाज के बाद सेमिनार का आयोजन होगा और इस सेमीनार में सभी धर्म के लोग एकत्र होंगे। फरमान हैदर ने बताया कि इस वर्ष  मुख्य अतिथि संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र, ईसाई धर्मगुरु बिशप यूजिन जोसेफ, धर्मवीर सिंह सिख समाज से, व प्रोफेसर रमेश चंद्र नेगी तिब्बत यूनिवर्सिटी, मौलाना गुलाम रसूल  और बिहार के मशहूर शायर सलीम साहब शिरकत करेंगे। जयंती की पूर्व संध्या पर मौला अली की महफिले सजाई जाएंगी और हर वर्ष मौला अली समिति के द्वारा जो जुलूस उठाया जाता है उसका पैगाम यही होता है कि ‌‌"अपने हो या पराय सबके साथ हो न्याय "हजरत अली ने इंसाफ के लिए अपनी जान दी थी और जब तक जिंदा रहे वो इंसाफ के लिए लड़ते रहे। फरमान हैदर ने बताया कि हमारे महासचिव डॉक्टर शफीक हैदर हमारे संरक्षक मौलाना शमीम उल हसन, मौलाना ज़मीरुल हसन आदि मौजूद रहेंगे।

सोमवार, 22 जनवरी 2024

Ajmer Sharif me khwaja का उर्स सम्पन्न

केवड़े से महका अजमेरी दरबार

ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती गरीब नवाज के दर से लौटने लगा दुनिया का रेला 


Ajmer (dil India live). हिंदलवली सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह के सालाना उर्स बड़े कुल की रस्म के साथ इतवार को संपन्न हो गया। दरगाह में बड़े कुल की रस्म पर अकीदतमंदों ने केवड़े और गुलाब जल से ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह शरीफ़ की दीवारों को धोया। जिससे अजमेरी दरबार परिसर महक उठा तो वहीं जायरीन ने दरगाह में हाजिरी लगाकर अपने और अपने परिवार की सलामती और खुशहाली की दुआ मांगी। इस दौरान दरगाह में मुल्क में अमन-चैन, भाईचारे और मोहब्बत के लिए भी दुआएं मांगी गई। ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स पर परंपरागत रस्मे निभाई जाती है। इन रस्मों में सबसे आखरी रस्म बड़े कुल की होती है। इस रस्म के बाद से ही दरगाह में आम दिनों की तरह व्यवस्थाएं शुरू हो जाती है। रविवार को दरगाह में बड़े कुल की रस्म के लिए बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद रहे। यूं तो जायरीन ने शनिवार की रात से ही दरगाह की दीवारों को गुलाब जल और केवड़े से धोना शुरू कर दिया था, जिसका सिलसिला रविवार को सुबह के दौरान भी देखने को मिला। यहां सुबह से ही दरगाह में जायरीन ने दरगाह की दीवारों से पानी बोतल में भरते हुए दिखाई दे रहे थे। बताया जाता है कि ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स का समापन विधिवत रूप से रजब की 6 तारीख को छोटे कुल की रस्म के साथ हो जाता है। 9 रजब की तारीख को दरगाह में बड़े कुल की रस्म अदा की जाती है। इस रसुमात को गुसल की रस्म भी कहा जाता है।

ये होती है बड़े कुल की रस्म

दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी के पूर्व सदर मोईन सरकार ने बताया कि कि कुल की रस्म के तहत दरगाह के खादिम आस्ताने में इत्र और गुलाब जल से मजार शरीफ को गुस्ल देते हैं। इसके बाद परिसर के अहाते को गुलाब जल और केवड़ा से धोया जाता है, वहीं, सूफीयत से जुड़े लोग आस्ताने के बाहर के क्षेत्र को केवड़ा और गुलाब जल से धोते हैं। उन्हें देखकर जायरीन भी केवड़ा और गुलाब जल से दरगाह को धोना शुरू कर देते हैं। सालों से कुल की रस्म के दौरान यही रसुमात होती आई है। जायरीन अपने साथ दरगाह की दीवार पर लगने वाले गुलाब जल और केवड़े के पानी को बोतलों में भरकर लाते हैं. उन्होंने बताया कि 9 रजब को मजार शरीफ को आखरी गुसल दिया जाता है। इस रस्म को कुल की रस्म कहते हैं। इस रसुमात के तहत मजार शरीफ को गुसल दिया जाता है। देश मे अमन चैन खुशहाली के लिए भी ख़ास दुआएं की गई।

कुल की रस्म के साथ उर्स संपन्न

खादिम सैयद फैसल चिश्ती ने कहा कि कुल की रस्म उर्स की आखरी रस्म होती है। इस रस्म के बाद से ही उर्स मेला सम्पन्न हो जाता है और जायरीन का रेला अपने घरों को लौटने लगता हैं। उन्होंने बताया कि कुल की रस्म के दौरान खादिम दरगाह आने वाले हर जायरीन के लिए दुआएं करते हैं। ताकि वो और उनका परिवार सलामत और खुशहाल रहे।

गुरुवार, 18 जनवरी 2024

Ajmer Sharif में बरस रही है रौनक

ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर सूफियाना कलाम सुन कर झूमे अकीदतमंद




Mohd Rizwan
Ajmer (dil India live). हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह सरकार गरीब नवाज का सालाना 812 वां उर्स पूरे परवान पर है। देश के कोने-कोने से जायरीन गरीब नवाज की दरगाह में अकीदत के फूल और मखमली चादर पेश कर मन्नतें व मुराद मांग रहे हैं। ख्वाजा के दर पर नूर की बारिश हो रही है हर तरफ रौनक ही रौनक है। सूफियाना कलाम सुन कर तमाम जायरीन झूम रहे हैं।

ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में उर्स के मौके पर देश के अलग-अलग कोनों से आए शाही कव्वाल अपनी कव्वालियों से अकीदतमंदों का दिल जीत रहे हैं। दरगाह में बीती रात खादिम कुतुबुद्दीन सखी की सदारत में महफिल ए कव्वाली का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर के कव्वालों ने एक से बढ़कर एक कव्वालियां सुनाई। 

इस मौके पर सुल्तान नजम, उस्मान गुलफाम, अजीम नाजा, सलीम जावेद, अवेश नजम, इमरान ताज, मुर्शिद आतिश, मेराज वारसी, अनीस नवाब, इरफान नजम, नासिर कादरी सहित अन्य कव्वालों में अपनी बेहतरीन कव्वालियों से समा बांधा। दरगाह के खादिम कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि गरीब नवाज के सालाना उर्स के मुबारक मौके पर हर साल ख्वाजा गरीब नवाज की शान में कव्वाली का आयोजन किया जाता है। जिसमें देश के जाने-माने कव्वाल ख्वाजा गरीब नवाज की शान में कव्वाली पेश करते हैं। बीती रात गरीब नवाज की शान में महफिल ए कव्वाली दालान हामिद अली साहब के सैयद कुतुबुद्दीन सखी की सदारत में महफिल का आयोजन किया गया जो अल सुबह तक चला। इस मौके पर देशभर से आए विभिन्न कव्वालों ने एक से बढ़कर एक कव्वालियां और कलाम पेश कर दरगाह में मौजूद अकीदतमंदों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

बुधवार, 17 जनवरी 2024

"मैं हूँ परम पुरख को दासा, देखन आयो जगत तमाशा"

तही प्रकाश हमारा भयो, पटना शहर विखै भव लयो।। 

दसवें पातशाह गुरु गोविन्द सिंह के प्रकाशोत्सव पर झूम उठी काशी

-श्रद्धा व उत्साह से मनाया गया प्रकाश पर्व 




Varanasi (dil India live). धर्मरक्षक, सरवंशदानी दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह महाराज का 357 वां प्रकाशोत्सव पौष मास की सप्तमी तिथि बुधवार को वाराणसी के समस्त संगत के सहयोग से एवं गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी द्वारा गुरुद्वारा, गुरुबाग एवं गुरुद्वारा बढीसंगत, नीचीबाग में बड़े ही श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया गया। बाहो प्रगटयो मरद अगंडा वरयाम अकेला, वाहो-वाहो गोविन्द सिंह आपे गुरू चेला, के शबद एवं बोले सो निहाल सत्श्री अकाल का जयकारा गूँजता रहा। दोनों गुरुद्वारों में दरबार साहिब को फूल-मालाओं एवं विद्युतीय झालरों से आकर्षक ढंग से सजाया गया था। सभी साध संगत ने पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब को मत्था टेका। इससे पहले मंगलवार को शाम 7:00 बजे से 9:30 बजे तक गरुद्वारा, गुरूबाग में हजूरी रागी जत्था भाई रकम सिंह गुरुद्वारा, बड़ीसंगत एवं बाहर से आये रागी जत्थों ने शबद गायन कर संगत को निहाल किया। इसके बाद प्रसाद वितरण हुआ।  वहीं बुधवार को प्रातः 3.45 बजे से 4.15 तक गुरुद्वारा बड़ीसंगत, नीचीबाग में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश एवं शहाना स्वागत से पर्व की शुरूआत हुयी। फूलों से सजी पालकी में गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में गुरू प्रेमियों ने परिक्रमा में भाग लिया। प्रातः 4:15 बजे से 5:00 बजे तक नाम सिमरन व 7:00 बजे तक शबद कीर्तन हुआ। 40 दिन से चल रहे श्री अखण्ड पाठ साहिब का लड़ीवार पाठ का समापन, अरदास एवं प्रसाद वितरण हुआ। गुरुद्वारा, गुरुबाग में सबेरे 9:30 बजे से 2:00 बजे तक कीर्तन दीवान सजा। प्रातः 9:30-10:30 बजे तक गुरुनानक इंग्लिश स्कूल व गुरूनानक खालसा बालिका इन्टर कालेज, गुरूबाग एवं गुरुनानक इंग्लिश स्कूल शिवपुर के बच्चों ने शबद गायन किया। प्रातः 10:30-11:00 बजे तक गुरुद्वारे के मुख्य ग्रन्थी भाई रंजीत सिंह ने कथा द्वारा व प्रातः 11:00-12:30 बजे तक सिक्ख धर्म के महान् रागी जत्था भाई मेहताब सिंह जालन्धर वाले एवं दोपहर 12:30-2:00 बजे तक भाई सुरजीत सिंह, बंगला साहिब दिल्ली वाले ने शबद कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया। विशिष्ट लोगों एवं बच्चों को सिरोपा देकर सत्कार दिया गया। अतिरिक्त. पुलिस आयुक्त सीपी चन्नप्पा, डीसीपी काशी जोन राम सेवक गौतम, सेवानिवृत्त जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा बिहार के कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने गुरुबाग में माथा टेक आर्शीवाद लिया। मुख्य ग्रंथी भाई संजीत सिंह ने दीवान समाप्ति के बाद अरदास किया एवं प्रसाद वितरण हुआ तथा गुरू का लंगर अटूट बरताया गया।
 शाम का दीवान गुरुद्वारा, नीचीबाग में सायं 7 बजे से 12 बजे रात्रि तक दीवान सजा, जिसमें काफी संख्या में लोगों ने श्रद्धापूर्वक मत्था टेक आशीर्वाद लिया। गुरुद्वारा साहिब की भव्य सजावट की गयी थी। बाहर से आये रागी जत्थे एवं हजूरी रागी जत्था भाई रकम सिंह जी गुरुद्वारा, बड़ीसंगत, नीचीबाग वाले "साचु कहीं सुन लेहु सबै, जिन प्रेम कियो तिनही प्रभ पायो" व "मैं हूँ परम पुरख को दासा, देखन आयो जगत तमाशा" शबद कीर्तन एवं उपदेश द्वारा संगत को निहाल किया। इस पावन गुरूपर्व पर श्री अखण्ड पाठ साहिब की समाप्ति एवं आरती हुई। इसी दौरान रात भर नाश्ता, चाय व लंगर प्रसाद का वितरण होता रहा। गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी की ओर से गुरुद्वारे के मुख्य ग्रन्थी भाई जगतार सिंह ने समूह सिख समाज एवं गुरु प्रेमियों को प्रकाशोत्सव की बधाईयां व धन्यवाद दिया। दीवान समाप्ति पर गुरुद्वारा, बड़ीसंगत, नीचीबाग के मुख्य ग्रंथी भाई जगतार सिंह ने अरदास की एवं गुरू का लंगर अटूट बरताया गया। 

मंगलवार, 16 जनवरी 2024

मुनव्वर राना का था बनारस से दिली रिश्ता

जिस्म पर मिट्टी मलेंगे पाक हो जायेंगे हम, 

ए ज़मीं एक दिन तेरी खुराक हो जायेंगे


Varanasi (dil India live)। मरहूम शायर मुनव्वर राना का जाना शायरी की दुनिया में बड़ी क्षति है। मुनव्वर राना का बनारस से दिली रिश्ता था। वो बेनियाबाग, पितरकुंडा, सनबीम कालेज व दिन दयाल जलान के यहां मुशायरों व काव्य गोष्ठी में हिस्सा लेने आते रहते थे। चकाचक बनारसी से उनकी नजदीकियां थी। बनारस की अवाम उनकी शायरी की मुरीद थी।

उनके इन्तेकाल पर बनारस में भी अफ़सोस है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव गाज़ीपुर प्रभारी फसाहत हुसैन बाबू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन, कांग्रेस विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह एडवोकेट ने कहा कि जिस्म पर मिट्टी मलेंगे पाक हो जायेंगे हम, ए ज़मीं एक दिन तेरी खुराक हो जायेंगे...।

उक्त नेताओ ने मुनव्वर राना की आत्मा की शांति के लिए खिराजे अकीदत पेश करते हुए कहा की उनका जाना अदबी दुनिया का बड़ा नुकसान है। उर्दू अदब में विशेष योगदान के लिए उन्हें शहीद शोध संस्थान उत्तर प्रदेश की ओर से माटी रतन सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार,खुसरो पुरस्कार , मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार , ज़ाकिर हुसैन पुरस्कार, सरस्वती समाज पुरस्कार सहित कई पुरस्कार से नवाजा गया।उक्त नेताओ कहा की उनके जाने से उर्दू युग व उर्दू अदब की बड़ी क्षति हुई है।

सोमवार, 15 जनवरी 2024

सदी के मशहूर शायर Munawwar Rana सुपुर्द-ए-खाक

फिल्म गीतकार व लेखक Javed Akhtar ने दिया कंधा 

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी खिराजे अकीदत पेश करने पहुंचे 




Varanasi (dil India live). सदी के मशहूर शायर मुनव्वर राना को आखिरी बिदाई देने फिल्म लेखक व गीतकार जावेद अख्तर सोमवार को लखनऊ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने शायर मुनव्वर राणा के जनाजे में न सिर्फ शामिल हुए बल्कि उनके जनाजे को कंधा भी दिया। इस मौके पर जावेद अख्तर ने कहा कि ''शायरी और उर्दू का यह एक बड़ा नुकसान है... मुझे इसका बेहद अफसोस है। यह नस्ल एक-एक करके जा रही है और इसकी भरपाई नहीं हो पाएगी, उनकी कमी हमेशा खलेगी... उनकी शायरी प्रेरक है, उनके लिखने का अपना अंदाज था। अच्छी शायरी करना मुश्किल है, लेकिन उससे भी ज़्यादा मुश्किल है अपनी लिखी शायरी करना।"

मरहूम मुनव्वर राणा के जनाजे में जावेद अख्तर काफी भावुक दिखे। जावेद अख्तर का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है। नेटिजंस जावेद अख्तर के इस वीडियो को देखने भर से काफी भावुक हुए जा रहे हैं।

उनके जनाजे में पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मरहूम मुनव्वर राना के दौलतखाने पर उन्‍हें खिराजे अकीदत देने पहुंचे। अखिलेश यादव ने कहा, "मुनव्वर राणा देश के बड़े शायर थे... ऐसे शायर बहुत कम होते हैं जो कई मौकों पर बहुत स्पष्ट होते हैं... मैं प्रार्थना करूंगा कि भगवान उनके परिवार को यह दुख सहने की हिम्मत दें।" इस दौरान मरहूम मुनव्वर राना के जनाजे में लोगों का जनसैलाब उमड़ा।

गौरतलब हो कि मुनव्वर राना का 71 वर्ष की आयु में रविवार मध्यरात्रि दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वो काफी समय से बीमार चल रहे राना यहां संजय गांधी पीजीआई में भर्ती थे। सोमवार को उन्हें लखनऊ के ऐशबाग कब्रिस्तान में सिपुर्द-ए-खाक किया गया। मुनव्वर राना उर्दू साहित्य के बड़े नाम थे। 26 नवंबर 1952 को रायबरेली में जन्मे राना को 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। मुनव्वर राना भले ही मां पर शायरी करने के लिए मशहूर हुए मगर वो ऐसे शायर थे जो हर मौजू पर शायरी करते थे।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...