शनिवार, 31 अगस्त 2024

यौमुन्नबी कमेटी ने किया हाजियों का खैरमकदम



Varanasi (dil India live). मरकज़ी यौमुन्नबी कमेटी की ओर से मुस्लिम मुसाफिरखाना दालमंडी में हज करके वापस आए हाजियों का इस्तकबाल किया गया और उनको सम्मनित किया गया। इस दौरान मरकज़ के मेम्बर्स ने हाजियों से दुआओं की दरख्वास्त किया। मौलाना जकीउल्लाह कादरी की सदारत में हुए इस आयोजन में मेहमान-ए-खुसूसी मुफ़्ती-ए-शहर बनारस अबदुल बातिन नोमानी, मौलाना हारुन रश्दी नक्शेबंदी थे। कमेटी के सदर हाजी शकील अहमद बबलू और हाजी महमूद खान ने हाजियों का इस्तकबाल किया। इस कार्याक्रम में अतहर जमाल लारी, नियाज अहमद मंजू, पूर्व विधायक हाजी अब्दुल समद अंसारी ने जायरीन को सममनित किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हाजी महमूद ने कहा कि हम लोग हर साल हाजियों का इस्तकबाल करते रहे हैं। हाजियों से दूओं की तल्ब करते है। हम अल्लाह की बरगाह में दुआ करते है की बनारस की गंगा जमुनी तहजीब को किसी की नज़र न लगे। हमरे शहर की आपसी मुहब्बत और भाईचारगी क़ायम रहे। 

कार्यक्रम का संचालन रियाज अहमद ‘नूर’ और इमरान खान ने किया। कार्यक्रम में मोहम्मद खालिद, बदरुद्दीन अहमद एडवोकेट, बसपा नेता एस. जावेद, शाहिद खां, हाजी रईस एडवोकेट, अब्दुल्ला, शकील अहमद सिद्दीकी, आगा कामाल, अबरार खान, रशीद इकबाल, वारिस बबलू, दिलशाद अहमद ‘दिल्लू’, राशिद सिद्दीकी, हाजी इकबाल, हाजी यासीन ‘गुडडू’, मुदासिर, मुमताज खान, अहमद, सोहराब आलम, अबदुल मन्नान, एस० जायद, अशरफ एडवोकेट, अली अख्तर, हाजी ग्यासुदीन, अजहर आलम ‘अजजू’, सऊद खान, रियाज, बाबू नकब, शफी उस्मानी, इमरान उस्मानी, महताब आलम, उरफ राजा, आरिफ सिद्दिकी, अतीक खान सोनू आदि शामिल थे।

Sawan में मोरनी बन के मैं नाचूं छमाछम...पर हुआ नृत्य

काशी प्रबुद्ध महिला मंच ने मनाया तीजोत्सव 


Varanasi (dil India live)। काशी प्रबुद्ध महिला मंच ने गुरुधाम स्थित एक रेस्तरां में तीज महोत्सव मनाया। बारिश की रिमझिम में हृदय कैसे प्रफुलित हो जाता है उसे 'नाचे मन मयुर" द्वारा संत्री ने आनंदित होकर अपनी प्रस्तुति दी। कार्यकम की शुरुआत अंजली अग्रवाल ने, पिया मेहदी लगा दे... से शुरु की। प्रिया अग्रवाल ने 'सावन में मोरनी बन के मैं नाचूं छमाछम...पर नृत्य किया। रेनू कैला ने भी सावन पर खूबसूरत गीत प्रस्तुत किया। नीतू व मनीषा ने "मोरनी बागा मां खोले आधी रात यां" पर नृत्य किया तो शोभा कपूर ने हाउजी व गेम्स का आनंद लेते हुये "आज फिर किल्यै चल्ली से मोती बन के " झूमते हुये कार्यकम में नृत्य किया। कार्यक्रम में शोभा, शालिनी सिंह, गीता अग्रवाल, ममता आदि उपास्थित रही। संचालन रेनू केला व धन्यवाद अध्यक्ष अंजली अग्रवाल ने किया।

शुक्रवार, 30 अगस्त 2024

Desh duniya से बरेली पहुंचे है Aala hazrat के दीवाने

उर्से आला हजरत : 2:38 पर होगा बरेली शरीफ में कुल शरीफ, पूर्वांचल में भी मनेगा उर्स 

बरेली। आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी के उर्स में शिरकत करने देश दुनिया से आला हजरत के दीवाने बरेली शरीफ पहुंचे हुए है आला हजरत का उर्स शनिवार को मनाया जाएगा। इस दौरान दोपहर 2:38 पर कुल शरीफ का एहतमाम किया गया है। यूं तो आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी का 106 वां तीन दिवसीय उर्स 29 अगस्त से ही शुरू हो चुका है। उर्स की व्यवस्था के लिए 1100 रजाकार लगाए गए हैं।

परचम कुशाई संग हुआ उर्स का आगाज़ 

परचम कुशाई की रस्म के साथ शुरू हुए उर्स में जुमा को नमाज-ए-फज्र कुरान ख्वानी और सुबह 09:58 मिनट पर रेहाने मिल्लत कॉन्फ्रेंस हुई। इसके बाद साढ़े दस बजे मुफस्सिर-ए-आज़म के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। समाचार लिखे जाने तक मशहूर उलेमा की तकरीर चल रही थी। मध्यरात्रि 01:40 पर मुफ़्ती आज़म-ए-हिन्द का कुल शरीफ होगा। उर्स के तीसरे व अंतिम दिन 31 अगस्त को दोपहर 02:38 पर आला हजरत के कुल शरीफ की रस्म अदा की जाएगी। उर्स में देश विदेश से लाखों की संख्या में आला हजरत के मुरीद शिरकत करेंगें।

जो लोग किसी वजह से बरेली शरीफ नहीं पहुंच सके हैं वो देश दुनिया में जहां भी रहेंगे आला हजरत को याद करेंगे। उनका कुल शरीफ कराएंगे। बनारस समेत पूर्वांचल में भी आला हजरत को मानने वाले लाखों की संख्या में है। बनारस की मस्जिदों मदरसों में भी उर्स आला हजरत मनाया जाएगा।

मंगलवार, 27 अगस्त 2024

Hindustan आना चाहते थे इमाम हुसैन: फरमान हैदर

कर्बला के 72 शहीदों की याद में शिवाला से निकला दुलदुल का जुलूस
शिवाला की मस्जिद खाकी शाह चौराहे पर तकरीर करते सैय्यद फरमान हैदर 
Varanasi (dil India live)। सैय्यद आलिम हुसैन रिज़वी के शिवाला स्थित अजाखाने से दुलदुल और अलम का कदीमी (प्राचीन) जुलूस निकला। जुलूस अपने क़दीमि रास्तों से होता हुआ शिवाला घाट जाकर सम्पन्न हुआ। जुलूस उठने से पहले मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना गुलज़ार मौलाई कर्बला के शहीदे आज़म इमाम हुसैन और उनके घर वालों के साथ जो ज़ुल्म हुआ उसे बयान किया। बयान सुन कर वहां मौजूद लोगों की आँखों से आँसू निकल पड़े। गलियों से होकर जुलूस सड़क पर जैसे ही आया शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सयैद फरमान हैदर ने तक़रीर करते हुए कहा की हिन्दुस्तान ही एक ऐसा मुल्क है जहाँ इमाम हुसैन आना चाहते थे लेकिन अफ़सोस की यज़ीद नामी ज़ालिम बादशाह ने इमाम हुसैन को कर्बला के मैदान में तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया, वही जुलूस में जवानों ने ज़ंजीर का मातम किया, जिसे देख कर लोगों की आँखे अश्क़बार हो गई। अतहर बनारसी, समर बनारसी, नासिर हुसैन ने पेशख़्वानी किया। अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने ताज़िये और अलम का जुलूस मस्जिद डिप्टी ज़फर बख़्त से निकाला नौहा पढ़ते हुए शिवाला घाट जाकर समाप्त हुआ।

सबकुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी...

हिंदुस्तान के महान गायक मुकेश की 48 वीं पुण्यतिथि
पितरकुंडा में मछलियों को चारा डालते मुकेश के फैंस 
Varanasi (dil India live)। डर्बीशायर क्लब के तत्वावधान में मंगलवार को पूर्वान्ह 11:00 बजे फिल्मी दुनिया के महान गायक मुकेश की 48 वीं पुण्यतिथि क्लब अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर के नेतृत्व में मनाई गई।इस दौरान क्लब मेम्बर्स ने पितरकुण्डा कुण्ड पर मछलियों को चारा खिलाते हुए मुकेश साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की। शकील अहमद जादूगर ने इस अवसर पर मीडिया से बातचीत में कहा कि मुकेश साहब मुम्बई में नायक बनने आए थे मगर वे एक गायक बनकर न सिर्फ उभरें बल्कि फिल्मी दुनिया में इतने नायाब गीत गाये की कुछ ही वर्षों में वो महान गायकों की फेहरिस्त में खड़े कर नज़र आए। शकील ने कहा कि वैसे तो मुकेश साहब ने हजारों गीत गाये हैं मगर कुछ उनके यादगार गीत, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा..., जिस गली में तेरा घर न हो बालमा उस गली से हमे तो गुजरना नहीं..., जो तुमको हो पसन्द वहीं बात करेंगे तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेंगे..., चल री सजनी अब क्या सोचे कजरा न बह जाय रोते रोते तेरी बिंदिया..., किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी सच है दुनियावालो हम हैं अनाड़ी...। जैसे गीत आज भी लोगों की जुबां पर है। शकील ने कहा कि मुकेश साहव राजकपूर के अलावा राजेन्द्र कुमार, राजेश खन्ना, धर्मेन्द्र, फिरोज खान, मनोज कुमार, अमिताभ बच्चन की आवाज बन चुके थे। उनके गाये सारे गीत आज भी लोग चाव से सुनते हैं। शकील ने कहा कि 27 अगस्त 1976 को अमेरिका के एक कार्यकम में गाना गाते हुए मुकेश साहब को दिल का दौरा पड़ा और वे वहीं इस फानी दुनिया से रूख्सत हो गए। 

इस मौके पर मुकेश साहेब के चित्र पर माला फूल चढ़ाया गया तथा कुण्ड की मछलियों को चारा खिलाते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में मुख्य रूप से हाजी असलम, हैदर मौलाई, आफाक हैदर, बाले शर्मा, विक्की यादव, पारस जायसवाल, मोहम्मद शाहिद, शाहिद आलम, चुना खान, बबलू गुप्ता, प्रदीप कुमार गुप्ता, अच्छे हुसैन, आकाश सिंह, इश्तियाक खान, मोहम्मद अली आदि मौजूद थे।

सोमवार, 26 अगस्त 2024

इमाम हसन, इमाम हुसैन समेत कर्बला के शहीदों का मना चेहल्लुम

निकला अलम, तुर्बत, दुलदुल व अमारी का जुलूस 






Varanasi (dil India live)। इमाम हसन इमाम हुसैन समेत कर्बला के शहीदों का चेहल्लुम सोमवार को देश दुनिया में अदबो-एहतराम के साथ मनाया गया। इस दौरान मजलिस, जुलूस व फातेहा का आयोजन किया गया। 

वाराणसी में भी शहर भर में विभिन्न अंजुमनों ने चेहल्लुम मनाया। अंजुमन इमामिया के संयोजन में अर्दली बाज़ार के मास्टर जहीर हुसैन के इमामबाड़े  से चेहल्लुम का जुलूस निकला। मौलाना गुलज़ार मौलाई ने मजलिस को खिताब किया। बाद मजलिस अलम, ताबूत, दुलदुल, अली असगर का झूला व अमारी का जुलूस  निकला जो अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ, पुनः उसी इमामबाड़े में सम्पन्न हुआ।

जुलूस अर्दली बाजार की मुख्य सड़क पर पहुंचने पर रांची से आए मौलाना तहजीबुल हसन ने नूरानी तकरीर की। जुलूस में अंजुमन अंसारे हुसैनी, अंजुमन हुसैनिया, अंजुमन जादे आखिरत, अंजुमन पैगामे हुसैनी ने नौहाखवानी व मातम करते चल रही थी। मौलाना तौसीफ अली ने जुलुस का परिचय कराया तो संचालन मौलाना बाकर रजा बलियाबी ने किया।

जगह जगह मोमनिनों के लिए पानी, शर्बत और अल्पाहार (तबरुक) वितरण किया जा रहा था। पूरा इलाका काले  कपड़ों पर लिखें श्लोक से पटा था।

जुलूस को सकुशल संपन्न कराने में एस एम जाफर, ज़फ़र अब्बास, फसाहत हुसैन बाबू, सुजात रुस्तम, इरशाद हुसैन, शददू, हसन मेंहदी कब्बन, दिलकश रिज़वी, तनवीर मेंहदी, राहिल नकवी, रियासत हुसैन, विक्की जाफरी, सबील हैदर, फैजान हुसैन, अमन मेंहदी, नजफ अब्बास ने मुख्य भूमिका अदा की।

उधर हजरत इमाम हुसैन की याद में 400 साल कदीमी काली तुरबत का अलम उठाया गया। चेहल्लुम के जुलूस इमामबाड़ा कच्चीसराय दालमंडी से मुतवल्ली   सैयद इकबाल हुसैन, लाडले हसन की देखरेख में इमामबाड़े से नौहाखवानी व मातम करते हुए उठाया गया। अंजुमन जावादिया की अगुवाई में जुलूस दालमंडी, नई सड़क, फटाक शेख सलीम, काली महाल, पितरकुंडा होते हुए दरगाहे फातमान जाकर सम्पन्न हुआ। अंजुमन के नौहाखां अफाक हैदर, साजिद हुसैन, कविश बनारसी का लिखा नौहा गूंजी है कर्बला में सदा मैं हुसैन हूं, नाना मेरे रसूले खुदा मैं हुसैन हूं... पेश किया तो तमाम लोगों ने मातम का नज़राना पेश किया। ऐसे ही कई नौहे फिज़ा में बुलंद हो रहे थे।

जुलूस में मुख्य रूप से जरगम हैदर, शकील हुसैन जैदी, हैदर मौलाई, शाहीन हुसैन, शारिक हुसैन, शरीफ जीशान, बादशाह अली, सकलैन हैदर, मसकन हैदर, रेहान हुसैन, शाह आलम, इमरान हुसैन आदि मौजूद थे। जुलूस का संचालन शकील अहमद जादूगर ने किया।

उधर वक़्फ मस्जिद व इमामबाड़ा  मौलाना मीर इमाम अली व मेहंदी बेगम गोविंदपूरा छत्तातले से ताजिया व अलम का चेहलुम का कदीमी जुलूस अपनी परंपराओं के अनुसार मुतवल्ली  सैयद मुनाज़िर हुसैन 'मंजू' के ज़ेरे एहतमाम उठा।जुलूस उठने के पूर्व मौलाना ने मजलिस पढ़ते हुए कर्बला में इमाम हुसैन व उनके साथियों की शहादत का जिक्र किया I जुलूस उठने पर कब्बन व शुजात खान व साथियो ने सवारी पढी - "जब गोरे गरीबा से वतन में हरम आए" I जुलूस नया चौक, गुदड़ी बाजार होते हुए दालमंडी स्थित हकीम काजिम के  इमामबाड़ा पहुँचा जहां से ज़ुलजनाह शामिल हुए और अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने नौहाखवानी व मातम कियाI

जुलूस दालमंडी, खजूर वाली मस्जिद, नई सड़क, शेख सलीम फाटक, तुलसी कुआं, काली महल, पितरकुंडा होते हुए लल्लापुरा स्थित फ़ातमान पहुँच कर समाप्त हुआ। ऐसे ही गौरीगंज, शिवाला, बजरडीहा, चौहट्टा लाल खां, दोषीपुरा, रामनगर आदि इलाकों में भी फातेहा, मजलिसे हुई और इमाम हुसैन का चेहल्लुम मनाया गया। देर रात तक शिया इमामबाड़ों और घरों से दर्द भरे नौहों की सदाएं बुलंद हो रही थी।

रविवार, 25 अगस्त 2024

आगरा कैथेड्रल आज मना रहा 175 वीं वर्षगांठ

जानिए इस महागिरजा का खूबसूरत इतिहास 


Aman 

Varanasi (dil India live)। आगरा कैथेड्रल आज अपनी स्थापना की 175 वीं वर्षगांठ मना रहा है। रविवार की शाम कैथेड्रल के 175 वर्ष पूरे होने की खुशी में जश्न मनेगा। शाम को प्रभु का शुक्रिया अदा करने के लिए धन्यवाद मास का आयोजन होगा।

खूबसूरत महागिरजा का शानदार इतिहास 

अपने भीतर सैकड़ों साल का इतिहास समेटे आगरा के वजीरपुरा रोड पर पीले रंग की ऊंची इमारत - कैथेड्रल ऑफ द इमैक्युलेट कॉन्सेप्शन देखते ही बनती है। कैथेड्रल (महागिरजा) ऐतिहासिक शहर आगरा में अपनी एक अलग पहचान रखता है। इस महागिरजा ने समय के कई पड़ाव देखे हैं और 1857 के विद्रोह के दौरान हुए नुकसान का बड़ा दंश भी झेला है, लेकिन अपनी रवायतों के साथ प्रभु का गुणगान करते हुए 175 साल पूरे कर शान से खड़ा है। यहां शाम को धन्यवाद मास होना है।

वर्तमान भव्य यहां गिरजाघर का निर्माण 1846 में तिब्बत हिंदुस्तान के तत्कालीन विकर अपोस्टोलिक, आरटी रेव आर्कबिशप डॉ जोसेफ एंटोनी बोरघी ओसी द्वारा शुरू किया गया था, जिन्होंने 1849 में पूर्ण संरचना को आशीर्वाद भी दिया था। इस भवन के वास्तुकार इटली के फ्लोरेंस के फादर बोनवेंचर थे और इतालवी वास्तुकला का प्रभाव शहर के मध्य में स्थित इस कैथेड्रल में स्पष्ट दिखाई देता है, जहां इन दिनों भव्य समारोह के लिए सजावट की गई है। इसका सामने का हिस्सा, संगमरमर के खंभे, खूबसूरत पेंटिंग, घंटाघर के बगल का गुम्बद के आकार का गिरजाघर शहर ही नहीं देश भर के लोगों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। इतालवी वास्तुकला की झलक है। कैथेड्रल आर्च डायोसिस के पल्ली पुरोहित फादर मिरांडा इग्नाटियस हैं। कैथेड्रल आगरा डायोसीज़ का केंद्र है, जिसका नेतृत्व वर्तमान में आगरा आर्क डिओसीज़ के आर्क बिशप डॉ. राफ़ी मंजली करते हैं, जो आगरा से पहले वाराणसी धर्म प्रांत के दूसरे बिशप थे।

मझवा से पहले SP मुखिया अखिलेश यादव का बनारस में जोरदार स्वागत

Varanasi (dil India live). सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को बनारस पहुंचे। बनारस के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ...