हजरत बाबा बहादुर शहीद के 74 वें उर्स पर उमड़े जायरीन
Varanasi (dil India live). हजरत बाबा बहादुर शहीद रहमतुल्लाह अलैह का 74 वां उर्स अकीदत के साथ सम्पन्न हो गया। इस दौरान बाबा के आस्ताने पर अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा हुआ था।
इस मौके पर जश्ने ईद मिलादुन्नबी का जलसा भी हुआ जिसमें उलेमा ने मुल्क में अमन व मिल्लत पर ज़ोर दिया। ईद मिलादुन्नबी (स०) के जलसे की सद्भावना पार्क में सदारत मौलाना हसीन अहमद हबीबी (सदर काज़ी-ए-शहर बनारस) फरमा रहे थे। जलसे का आगाज़ कुरआन की तिलावत से किया गया। नाते-पाक का नजराना मोहम्मद फारुक उर्फ नवाब खान ने पेश किया। उलमाये-किराम ने रसूले पाक (स.) के फरमान पर रोशनी डालते हुए सभी जाति व धर्म के लोगों के बीच सद्भावना, प्रेम, भाईचारा जो समय की सख्त जरुरत है, इस पर विस्तार से प्रकाश डाला। बाबा बहादुर शहीद रह० का आस्ताना हिन्दू-मुस्लिम सर्व धर्म का संगम है। जिस्मानी बीमारी का जहां डाक्टर जवाब दे देते हैं, वहां आस्ताने पर उन खतरनाक बीमारियों का इलाज बाबा बहादुर शहीद रहमतुल्लाह अलैह के निगाहे फैज़ से होता है। रुहानी बीमारी, आसेब, जादू-टोना, टोटका का इलाज आस्ताने की खाक से होता है। जलसे में हजारों पुरुष महिला सर्व धर्म से अपनी आस्था रखने वाले लोगों ने शिकरत की। बाबा बहादुर शहीद रहमतुल्लाह अलैह के आस्ताने पर तकरीर के बाद सज्जादानशीन आस्ताना आलिया बहादुर शहीद की तरफ से मंच पर उलमा-ए-केराम एवं कमेटी की तरफ से नवनिर्वाचित सदर काजी-ए-शहर बनारस का माल्यार्पण (गुलपोशी) एवं शाल पेश करके जोरदार स्वागत किया गया। सदर काज़ी-ए-शहर बनारस ने अपने बयान में भारत की तरक्की (गंगा जमुनी तहजीब) को सिर्फ जुबानी जमा खर्च न करके प्रत्यक्ष रुप से दिखने पर जोर दिया। सदर काज़ी-ए-शहर बनारस की तकरीर के बाद सलातो सलाम व दुआ पर समापन हुआ। सभा का संचालन जावेद रिज़वी व धन्यवाद ज्ञापन समीउल्लाह बाबू भाई एवं तौसीफ अहमद ने किया।