मंगलवार, 19 दिसंबर 2023

Mother Haleema की ‘ नुमाइश’ में छात्र- छात्राओ संग टीचर्स भी हुए पुरस्कृत






Varanasi (dil India live).19.12.2023. प्रतिभा और कल्पना का सपना जब साकार होता है तो कुछ अनोखी चीज़ें जन्म लेती है। ऐसा ही नजारा दिखाई दिया मदर हलीमा सेंट्रल स्कूल की नुमाइश में। नुमाइश का एसबीआई की शाखा प्रबंधक सुम्बुल आबदी, स्कूल निदेशक नोमान हसन और मक़सूद ख़ान ने फ़ीता काट कर उद्घाटन किया। मदर हलीमा सेण्ट्रल स्कूल के दो दिवसीय प्रदर्शनी के पहले दिन सैकड़ों कला कृतियाँ एवं मॉडल्स प्रदर्शित किये गये, जिसमें प्रधानमंत्री के प्रयासों का नया संसद भवन, सेंट्रल विस्टा, मोहसिन, आमीश, ज़ाहिद वाराणसी का नया धार्मिक व पर्यटन स्थल नमो घाट, नैतिक केशरी अली हमज़ा, सूर्य का अध्ययन करने वाले आदित्य एल वन, मिसबाह, अलिमा, रोप वे, अमीना अवन्तिका, इसराइल- फ़िलिस्तीन के युद्ध में सकड़ों निर्दोषों के मरने का दृश्य कायनात और शिज़रा, बुर्ज ख़लीफ़ा, हमज़ा हसनैन, मैथ्स सिटी अनमता, हबीबा हाइड्रोलिक पॉवर ट्रैक सोलर एनर्जी ओवैस, लाल क़िला, रेन हार्वेस्टिंग और  बच्चों की अनेक कलाओं ने दर्शकों का मन मोह लिया। इस नुमाइश में स्कूल की भव्य सजावट के बीच लोग गेम और खाने का लुत्फ़ उठाते रहे। समापन समारोह के मुख्य अतिथि वाराणसी के मशहूर सर्जन डॉ रोहित गुप्ता एवं विशिष्ट अतिथि डॉ आरिफ़ ने टॉप टेन स्टूडेंट्स को पुरस्कृत किया। नुमाइश में प्रतिभाग करने वाले कोई ढाई सौ बच्चों को मेडल देकर पुरस्कृत किया गया।

आयोजन में विशेष भूमिका के लिए टीचर्स इस्मत जहाँ, अंजलि प्रजापति और फ़रह जमाल को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ आर के पाण्डेय, सुबहान, अंजना, मास्टर , इरफ़ान हसन, मास्टर अश्फ़ाक, शोएब, सभासद मुमताज़ खां, अफ़सर, मंज़र, दीपा, शिखा आदि मौजूद रहे।संचालन इमरान हसन, धन्यवाद मनीषा मिश्रा ने किया।

सोमवार, 18 दिसंबर 2023

DAV PG College: सिर्फ शिक्षित ही नही चरित्रवान भी बनाती है शिक्षा- प्रो. वी.के शुक्ला

DAV के 103 वें दीक्षांत  समारोह में पहुंचे कुलगुरु 






Varanasi (dil India live).18.12.2023. शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ धनार्जन मात्र नही है अपितु शिक्षा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब वह आपको चरित्रवान भी बनाती है। उक्त उदगार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वी.के. शुक्ला ने विश्वविद्यालय से सम्बद्ध डीएवी पीजी कॉलेज के 103 वें दीक्षांत समारोह के अंतर्गत सोमवार को आयोजित उपाधि वितरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त की। विश्वविद्यालय के मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र सभागार में आयोजित समारोह में प्रो. शुक्ल ने कहा कि मालवीय जी ने आजीवन चुनौतियों से लड़कर लक्ष्य प्राप्त करने की प्रेरणा दी है। यह जीवन सतत जिज्ञासा और सीखने के प्रति  प्रतिबद्धता का ही दूसरा नाम है। जीवन के इस पथ पर कभी सफलता तो कभी असफलता भी मिलेगी। असफलता को सफलता की सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ना ही दीक्षांत का उपलक्ष्य सार्थक करता है।

विशिष्ट अतिथि वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. जीसीआर जायसवाल ने कहा कि हम अत्यंत भाग्यशाली है जो महामना की संस्था से शिक्षा प्राप्त किये है। दीक्षांत के बाद वास्तविक जीवन अब शुरू होगा जिसमें महामना के आदर्श सबसे ज्यादा सहयोगी होंगे। अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. सत्यदेव सिंह ने कहा कि डिजिटल युग में शिक्षा को भी डिजिटल करना हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही। कॉमर्स, अर्थशास्त्र जैसे विषयों की लैब बनाकर विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान के साथ साथ व्यवहारिक शिक्षा भी प्रदान की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा की यह लौ जो मालवीय जी ने जलाई है वह युगों युगों तक अनवरत प्रज्ज्वलित रहे, यही हमारा प्रयास रहेगा।

स्वागत उद्धबोधन कार्यकारी प्राचार्य प्रो. सत्यगोपाल ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. समीर कुमार पाठक व संचालन डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी, डॉ. तरु सिंह, डॉ. पारुल जैन एवं डॉ. महिमा सिंह ने किया।

उपाधि पा खिले विद्यार्थियों के चेहरे

 उपाधि वितरण समारोह मे स्नातक एवं स्नातकोत्तर के कुल 1132 छात्र -छात्राओं को उपाधि प्रदान किया गया। विद्यार्थियों ने पारंपरिक साफा और उत्तरीय धारण कर मंच से उपाधि प्राप्त किया। डिग्री पाकर मेधावियों के चेहरे खिल उठे । 

इनकी रही उपस्थिति

 विभिन्न सत्रों में आयोजित उपाधि वितरण समारोह में समाज संकायाध्यक्ष प्रो. बिंदा परांजपे, कला संकायाध्यक्ष प्रो. मायाशंकर पाण्डेय, प्रो. एन.के. मिश्रा, प्रो. उपेंद्र पाण्डेय, प्रो. मृत्युंजय मिश्रा, प्रो. घनश्याम, प्रो. ओमप्रकाश भारती, प्रो. योगेश आर्य, प्रो. सुमन जैन, प्रो. वशिष्ठ द्विवेदी,  प्रो. आनन्द मिश्रा सहित समस्त विभागों के अध्यक्ष, समस्त अध्यापकगण उपस्थित रहे। डीएवी के उपाचार्य डॉ. राहुल, प्रो. मिश्रीलाल, प्रो. ऋचारानी यादव, प्रो. मधु सिसोदिया, प्रो. अनूप कुमार मिश्रा, प्रो. राकेश राम, प्रो. विनोद कुमार चौधरी, डॉ. विजयनाथ दुबे, प्रो. प्रशांत कश्यप, डॉ. हबीबुल्ला, डॉ. इंद्रजीत मिश्रा, डॉ. संजय सिंह, डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. मीनू लाकड़ा आदि उपस्थित रहे।

स्मारिका का हुआ विमोचन

समारोह में अतिथियों द्वारा डीएवी पीजी कालेज की अकादमिक उपलब्धियों पर आधारित स्मारिका का विमोचन किया गया। स्मारिका में नैक की उपलब्धियों के साथ विभागीय कार्यों का उल्लेख किया गया है।

सोमवार, 11 दिसंबर 2023

Christmas पर यीशु का करेंगे मसीही अभिषेक

सारी दुनिया को "अमन" के राजकुमार का इंतेज़ार




Varanasi (dil India live) 11.12.2023. दुनिया भर को अमन के राज कुमार का इंतेज़ार है। 24 दिसंबर की मध्यरात्रि बालक यीशु के जन्म का उल्लास शुरु होगा। इस रात मसीही प्रमु यीशु की स्तुति और अभिषेक करेंगे। क्रिसमस मसीही समुदाय का सबसे बड़ा पर्व क्रिसमस  माना जाता है। ईसाई धर्म के लोग इस त्योहार को ग्लोबल लेवल पर धूमधाम और उल्लास के साथ मनाते हैं। दुनिया भर में हर साल 25 दिसंबर क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है। ये एक ऐसा त्योहार है, जो तकरीबन 155 से 160 देशों में एक साथ मनाया जाता है। ड्स पर्व को हर उम्र के लोग क्रिसमस सेलिब्रेट करते हैं। यूं तो आमतौर पर लोग क्रिसमस का मतलब 25 दिसंबर ही जानते हैं मगर यह कम लोग जानते हैं कि क्रिसमस का जश्न क्रिसमस के पूर्व पड़ने वाले 4 इतवार पहले से ही शुरु हो जाता है। इस पर्व की तैयारियां महीने भर पहले ही शुरू हो जाती हैं। हाँ 24 दिसंबर की मध्यरात्रि यह पर्व अपने शबाब पर होता है। यह पर्व मध्यरात्रि से शुरु होकर तकरीबन सप्ताह भर तक चलता है।

किसमस पर क्रिश्चियन अपने घरों को रंग-बिरंगी लाइटों से जहां रौशन कर रहे हैं वही डेकोरेटिव आइटम्स से चर्च से लेकर घर कालोनी तक सजाये जा रहे हैं।

 क्रिसमस केक

क्रिसमस पर केक का वैसे ही महत्व है जैसे ईद पर सेवई और दीपावली पर मिठाई। भारत में तो केक बनवाने के लिए 15 दिन पूर्व से ही लोग बेकरी वाले के यहां बुकिंग के लिए पहुंचने लगते हैं।


क्रिसमस ट्री 

क्रिसमस के पूर्व ही मसीही घरों में क्रिसमस ट्री सजाया जाता हैं। मान्यता यह भी है कि क्रिसमस ट्री कई तरह के वास्तु निवारण का काम भी करता है। मसीही विद्वानों का कहना है कि क्रिसमस के पेड़ को घर में लगाने से घर से नकारात्मक उर्जा नष्ट होती है, यही वजह है कि क्रिसमस ट्री खुशी के इस मौके पर बेहद शुभ माना जाता है।


चरनी बनाने का दौर

क्रिसमस पर लोग अपने घर के आंगन में चरनी बनाते हैं। दरअसल गौशाले में ही बालक यीशु का जन्म हुआ था, इसालिए प्रभु यीशु के जन्म की झांकी चरनी के रूप में सजायी जाती हैं। 


ग्लोबल पर्व क्रिसमस

क्रिसमस ऐसे तो क्रिश्चियन पर्व है। लेकिन इसके उत्साह और उल्लास में सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं। यही वजह है कि दुनिया के लगभग सभी देश में क्रिसमस का त्योहार अलग-अलग तरह से धूमधाम से मनाया जाता है। कहीं चर्चेज में फंक्शन होता है तो कहीं प्रभु यीशु की याद में कैरोल गाते लोग घरों और सड़कों पर निकल पड़ते हैं।

राष्ट्रपति के हाथों गोल्ड मेडल पाकर झूम उठे मेधावी

आत्म-निर्भरता तथा स्वराज के लक्ष्यों के साथ विद्यापीठ की यात्रा शुरू हुई-राष्ट्रपति 

-विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने बताया विश्वविद्यालय का इतिहास 





Varanasi (dil India live).11.12.2023. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को वाराणसी में थी। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में शिरकत किया। यहां महामहिम ने 16 मेधावियों को अपने हाथों से मेडल प्रदान किया। राष्ट्रपति के हाथों मेडल पाकर छात्र छात्राएं झूम उठे। समारोह में राज्यपाल ने भी संबोधन दिया। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को बधाई दी और राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा काशी विद्यापीठ का सामाजिक और शैक्षिक योगदान अमूल्य है। 

इससे पहले राष्ट्रपति ने कलश में पानी डालकर दीक्षांत समारोह की शुरुआत की। राज्यपाल के संबोधन के बाद महामहिम ने सभी विद्यार्थियों, उनके शिक्षकों और परिजनों को बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा, बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में आना अपने आप में सौभाग्य की बात है। काशी का अभिप्राय है सदैव प्रकाशमान रहने और सदैव प्रकाशित रखने वाला ज्योतिपुंज। पिछले महीने काशी में देव दीपावली का पर्व भव्यता से मनाया गया। मुझे बताया गया है कि उस पर्व को 72 देशों के प्रतिनिधियों ने हमारे देशवासियों के साथ यहां मनाया। हिन्दी माध्यम में उच्च-स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए बाबू शिव प्रसाद गुप्त जी ने काशी विद्यापीठ की अपनी परिकल्पना की चर्चा महात्मा गांधी से की थी और गांधीजी ने उसे सहर्ष अनुमोदन प्रदान किया था। हमारे देश की स्वाधीनता के 26 वर्ष पूर्व, गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार आत्म-निर्भरता तथा स्वराज के लक्ष्यों के साथ, इस विद्यापीठ की यात्रा शुरू हुई थी। ब्रिटिश शासन की सहायता और नियंत्रण से दूर रहते हुए, भारतीयों द्वारा पूर्णत: भारतीय संसाधनों से निर्मित, काशी विद्यापीठ का नामकरण ‘महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ’ करने के पीछे हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त करने की भावना निहित है। उन आदर्शों पर चलना तथा अमृत-काल के दौरान देश की प्रगति में प्रभावी योगदान देना यहां के विद्यार्थियों द्वारा विद्यापीठ के राष्ट्र-निर्माता संस्थापकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का ध्येय वाक्य है विद्ययाऽमृतमश्नुते...। यह ध्येय वाक्य ईशा-वास्य उपनिषद से लिया गया है। ईश उपनिषद में यह बोध कराया गया है कि व्यावहारिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान एक दूसरे के संपूरक हैं। व्यावहारिक ज्ञान से अर्थ, धर्म और कामनाओं की सिद्धि होती है। विद्या पर आधारित आध्यात्मिक ज्ञान से अमरता यानी मोक्ष की प्राप्ति होती है।

चिर-नवीन की परिधि में विज्ञान तथा व्यावहारिक ज्ञान की आधुनिकतम धाराएं समाहित हैं। आप सभी विद्यार्थियों को चिर-पुराण और चिर-नवीन के समन्वय को अपनी शिक्षा, आचरण और जीवन में उतारना है। तब आप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, भारतीय परम्पराओं से जुड़े रह कर इक्कीसवीं सदी के आधुनिक विश्व में सफलताएं अर्जित करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि दो भारत रत्नों का इस संस्थान से जुड़ना महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की गौरवशाली विरासत का प्रमाण है। भारत रत्न डॉ. भगवान दास इस विद्यापीठ के पहले कुलपति थे और पूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री इस संस्था के पहले बैच के छात्र थे। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के विद्यार्थियों से अपेक्षा है कि वे शास्त्री जी के जीवन मूल्यों को अपने आचरण में अपनायें।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस विद्यापीठ की यात्रा हमारे देश की आजादी से 26 साल पहले गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार आत्मनिर्भरता और स्वराज के लक्ष्यों के साथ शुरू हुई थी। असहयोग आंदोलन से जन्मी संस्था के रूप में यह विश्वविद्यालय हमारे महान स्वतंत्रता संग्राम का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सभी छात्र स्वतंत्रता संग्राम के हमारे राष्ट्रीय आदर्शों के ध्वजवाहक हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि काशी विद्यापीठ का नाम महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ रखने के पीछे का उद्देश्य हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। उन आदर्शों पर चलकर अमृत काल में देश की प्रगति में प्रभावी योगदान देना ही विद्यापीठ के राष्ट्र-निर्माण संस्थापकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि वाराणसी प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र रहा है। आज भी इस शहर की संस्थाएँ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रों और शिक्षकों से ज्ञान के केंद्र की परंपरा को बनाए रखते हुए अपने संस्थान के गौरव को समृद्ध करते रहने का आग्रह किया।

65 में 51 छात्राओं ने जीता स्वर्ण 

वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45 वें दीक्षांत समारोह में सोमवार को मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 16 मेधावियों को गोल्ड मेडल और डिग्री प्रदान की। इस दौरान कुल 65 गोल्ड और 77692 छात्र छात्राओं को उपाधियां दी गई। 65 में से 51 छात्राओं ने गोल्ड मेडल की बाजी जीती है। वहीं, 14 लड़कों को गोल्ड मेडल मिला।

रविवार, 10 दिसंबर 2023

United Carol singing : मरियम के आंगन में गूंजा यीशु जन्म के गीत





Varanasi (dil India live). 10.12.2023. सेंट मैरीज़ महागिरजा में यूनाइटेड Carol सर्विस 2023 का भव्य आयोजन आगमन के दूसरे इतवार को किया गया। इस दौरान एक से एक खूबसूरत Carol गीतों से मरियम का आंगन देर शाम तक गूंजता रहा। Bishop के मुख्य आतिथ्य में हुए आयोजन में छोटे बड़े तकरीबन 32 चर्चेज ने हिस्सा लेकर यह एहसास करा दिया की अब यीशु जन्म का महापर्व क्रिसमस आने ही वाला है। इसमें बनारस और आसपास के सभी चर्च की कलीसिया मौजूद थी। यहां यह भी एक सुखद नजारा दिखाई दिया की, एक मंच पर प्रोटेस्टेंट व कैथोलिक साथ साथ नज़र आए। यहां Carol गीत संगीत के लगभग 2000 लोग गवाह बने। जहां एक ओर स्वादिष्ट व्यंजनों के स्टाल लगे थे, जिसमें कबाब, टिक्का, कॉफी, चाउमीन, केक, एग रोल, आइसक्रीम आदि का सभी लुत्फ उठाते नज़र आये वहीं Carol संग यीशु मसीह के जन्म की झांकी भी यहां देखने को मिली।

कार्यक्रम के अंत में होली नाइट का आयोजन किया गया, जिसमें सभी के हाथों में कैंडल थी और प्रभु यीशु मसीह के आगमन को लेकर गीत गाए जा रहे थे। इस दौरान सारी लाइटें ऑफ कर दिया गया था।सभी ने कैंडल जलाकर साइलेंट नाईट, होली नाईट...गीत पेश किया। यह आयोजन बहुत ही शानदार स्मरणीय रहा। लोगों ने बहुत ही शांति से यीशु मसीह के जन्मदिवस के आगमन के दूसरे संडे को, हैप्पी क्रिसमस, मैरी क्रिसमस...कि सदाएं बुलंद करते दिखे। एक दूसरे को बड़े दिन की बधाइयां दी और एक दूसरे को केक खिलाया। पास्टर बेन जान ने बताया कि यूनाइटेड Carol के साथ अब मसीही समुदाय क्रिसमस की अगुवाई में जुट जाएगा।कहीं चरनी तैयार की जाएगी तो कहीं केक। कपड़ों की खरीदारी तकरीबन सभी ने पहले ही कर ली है। जहां चर्चेज में पेंट बाकी है वहां भी एकाध दिनों में इसे पूरा कर लिया जाएगा। 

इन गायन मंडली ने पेश किया Carol 

बेथेलफुल गास्पल चर्च, थेल्मा डेविड गायन मंडली, विश्व ज्योति गुरुकुल, विजेता प्रेयर मिनिस्ट्रज, सेंट मेरीज इंग्लिश चर्च,  वाराणसी इंग्लिश फेलोशिप, विश्व वाणी, जीवन ज्योति, चर्च ऑफ बनारस पीलग्रीम्स मिशन, सीएनआई लाल गिरजाघर, सेंट जॉस, ग्रामीण संस्थान, काशी बेपटिस्ट चर्च, जीवन की आशा, आर्ट ऑफ लाइफ आदि ने यीशु जन्म के गीत पेश किए।

जनाबे फातिमा की याद में शब्बेदारी

शब भर गूंजी नौहाख्वानी व मातम की सदाएं


Varanasi (dil India live).09.12.2023. शनिवार को भदऊ चुंगी स्थित आले हसन मददन दरोगा के इमामबाड़े पर मौलाना नसीरुल मेंहदी के संयोजन में शब्बेदारी का आयोजन किया गया। शहर भर के मोमेनीन ने इसमें शिरकत की।  लियाकत अली ने अपनी सोजख्वानी से मजलिस का आगाज किया। इसके बाद शायरों ने कलाम पेश किए। इसमें प्रो.अजीज हैदर, रेहान बनारसी, मायल, रिजवान, अतश, अतहर बनारसी व मेंहदी बनारसी आदि शामिल रहे।  मौलाना गुलाम हुसैन जैदी ने मजलिस को खिताब करते हुए जनाबे फातिमा की जिन्दगी पर प्रकाश डाली। उनकी शहादत का बयान सुनकर लोगों के आंखों से आंसू छलक पड़े। इसके बाद नौहाख्वानी और मातम शुरू हुआ। शहर की नामचीन अंजुमनो ने अपने अपने अंदाज से नोहखवानी और मातम  किया। जिसमे मुख्य रूप से अंजुमन हैदरी, अंजुमन हुसैनिया, अंजुमन आबिदिया, अंजुमन आजादर, अंजुमन जफरिया, अंजुमन जववाड़िया, गुलजारिया, कासीमिया, सदाएं अब्बास, अंजुमन सज्जादिया, अंजुमन हाशीमिया, अंजुमन अवामी, अंजुमन कारवाने कर्बला आदि ने नौहाख्वानी व मातम किया। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया की बीबी फातिमा की शहादत पर मजलिसों का सिलसिला रविवार १७ दिसंबर तक जारी रहेगा। १६ दिसंबर को दरगाहे फ़ातमान में खवातीन जनाबे फातिमा का ताबूत उठाएंगी।

शनिवार, 9 दिसंबर 2023

माता-पिता विहीन 25 बच्चों का कराया विद्यारम्भ संस्कार

स्वनाथ बच्चों के प्रति समाज में जागरूकता जरूरी-प्रो. द्विवेदी 




Varanasi (dil India live). 09.12.2023. स्वनाथ (अनाथ) 25 बच्चों का शनिवार को विद्यारम्भ संस्कार कराया गया। निवेदिता इन्टर कालेज में आयोजित इस अनूठे कार्यक्रम का आयोजन स्वनाथ परिषद ने विभिन्न सामाजिक संगठनों व स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वनाथ परिषद काशी के सचिव शिशिर श्रीवास्तव ने सभी  अतिथियो को स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया।  इस मौके पर स्वनाथ परिषद के संस्थापक संरक्षक प्रशान्त हरतारकर ने बताया कि सनातन धर्म में जन्म से मृत्यु के बीच 16 संस्कार होते है। उनमें से 10 वां संस्कार विद्यारम्भ संस्कार होता है। यह संस्कार उन बच्चों का तो आसानी से हो जाता है जिनके माता-पिता होते है। ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता नहीं होते हैं वो अधिकांशतः विद्यारम्भ संस्कार से वंचित हो जाते हैं। ऐसे ही स्वनाथ (अनाथ) बच्चों का विद्यारम्भ संस्कार कराने का प्रयास स्वनाथ परिषद की ओर से किया जा रहा है। बीते वर्ष भी ऐसे ही आयोजन से स्वनाथ 20 बच्चों का विद्यारम्भ संस्कार कराया था। इस वर्ष 25 स्वनाथ बच्चों का विघारम्भ कराया जा रहा है ताकि ये बच्चे समय से शिक्षा शुरू कर देश का एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें। उन्होंने बताया कि  इन सभी अनाथ बच्चों का फालोआप स्वनाथ परिषद करता रहेगा। साथ ही "मिशन ममता" के तहत इन बच्चों के शिक्षा - दीक्षा की भी व्यवस्था की जायेगी। बताया कि परिषद की ओर से एडाप्सन व फोस्टर केयर से सम्बन्धित काउन्सलिंग भी की जा रही है। अनाथ बच्चों को आरक्षण देने के लिए स्वनाथ परिषद जल्द ही मुख्यमंत्री को पत्र भेजेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये प्रो0 राम प्रकाश द्विवेदी ने स्वनाथ परिषद के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि स्वनाथों के हित में उनके स्तर पर जो कुछ भी संभव हो सकेगा उसे वह पूरा करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ की नगरी में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को इन बच्चो का नाथ बनने की जरूरत है। यह तभी संभव हो पायेगा जब ऐसे बच्चों के प्रति समाज और जागरूक होगा। इसके लिए हमें हर स्तर पर प्रयास करना चाहिए। 

कार्यकम के विशिष्ठ अतिथि प्रशांत नागर ने कहा कि विद्यारम्भ संस्कार न होने से ऐसे स्वनाथ बच्चों की शिक्षा समय से शुरू नहीं हो पाती। नतीजा होता है कि उनके जीवन में भटकाव आता है जो इन बच्चों के भविष्य के लिए घातक हो जाता है। ऐसे में स्वनाथ परिषद की ओर से आयोजित स्वनाथ बच्चों के विद्यारम्भ संस्कार की जितनी भी सराहना की जाए कम है। उन्होंने कहा कि समाज को इस दिशा में आगे आना चाहिए और ऐसे ही और आयोजन कर स्वनाथ बच्चों को नया जीवन देने का प्रयास करना चाहिए। राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ई. अशोक यादव ने कहा कि देश में कोई बच्चा अनाथ नही हो सकता इसके लिए कानून मे भी फास्टर केयर कार्यक्रम को परिभाषित किया गया है। जरूरत है समाज को इस दिशा में आगे आने की है। राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य श्रीमती निर्मला सिंह पटेल ने कहा कि भविष्य में इन स्वनाथ (अनाथ) के लिये जो सहयोग होगा प्रदान किया जायेगा।  बाल संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह ने कहा कि कोई भी स्वनाथ (अनाथ) शिक्षा से वंचित न हो इसके लिए जरूरत है काशी के नागरिको को आगे आने की। ऐसा प्रयास हो कि काशी का कोई भी बच्चा अपने आप को स्वनाथ (अनाथ) न समझे। उसे लगे कि काशी के प्रत्येक नागरिक उसके संरक्षक है। सरकार द्वारा जारी कल्याणकारी योजनाओ से इन बच्चो को जोड़ा जायेगा। विद्यारम्भ संस्कार के पूजन कराने का कार्य गायत्री परिवार के सदस्यो ने किया गया। कार्यकम का संचालन डा. रचना अग्रवाल ने  और धन्यवाद ज्ञापित स्नेहा उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में शहर के कई समाज सेवी संगठनों ने भूमिका निभाई। कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर पधारे स्वनाथ (अनाथ) बच्चो का स्वागत तिलक लगा कर किया गया। कार्यक्रम के पश्चात बच्चों के अभिवावको ने बच्चों के साथ लंच किया और साथ में सेल्फी लेकर भविष्य में भी उनका ध्यान रखने की बात कही। कार्यकम को सफल बनाने में अभय पाण्डेय, मोती लाल अम्बुज उपाध्याय, आनन्द सिंह, खुश्बू, रितिका, अखिलेश कुमार, डा. राजेश श्रीवास्तव व आनन्द प्रभा की सहभागिता रही। 

इससे बड़ी कोई और पूजा नहीं

विद्यारम्भ संस्कार में शामिल स्वनाथ सुमित (परिवर्तित नाम) के अभिभावक नेहा कक्कड ने कहा कि विद्यारम्भ के लिए सुमित का अभिभावक बनकर उन्हें जो सुख मिल रहा है उसको वह शब्दों में बयां नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि इस पुनित कार्य से बड़ी कोई और पूजा नहीं हो सकती।

समाज को करेंगे जागरूक

समारोह में शामिल होने के लिए आये बासफाटक निवासी गोपाल जी सेठ ने कहा कि इस अनूठे कार्यक्रम में शामिल होने से उन्हें समाज में स्वनाथ बच्चों के लिए कार्य करने की प्रेरणा मिली है। अब वह और लोगों को इस दिशा में जागरूक करने का कार्य करेंगे।

'हमारी फिक्र पर पहरा लगा नहीं सकते, हम इंकलाब है हमको दबा नहीं सकते'

'बेटियां है तो घर निराला है, घर में इनसे ही तो उजाला है....' डीएवी कॉलेज में मुशायरे में शायरों ने दिया मोहब्बत का पैगाम Varanasi (d...