शनिवार, 26 अगस्त 2023

General knowledge प्रतियोगिता में 43 बच्चे पुरस्कृत

धौरहरा के छात्र मनीराम अव्वल 

आशा ट्रस्ट ने आयोजित कराई थी स्वतंत्रता संग्राम सामान्य ज्ञान स्पर्धा 




Varanasi (dil India live).26.08.2023. सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट के तत्वावधान में चौबेपुर क्षेत्र के 8 विद्यालयों में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन विगत दिनों किया गया था. जिसमें कक्षा आठ के तीन सौ से अधिक बच्चे शामिल हुए. परीक्षा में प्रथम स्वाधीनता संग्राम 1857 से लेकर 1947 में आजादी मिलने तक की प्रमुख घटनाओं से सम्बन्धित 50 प्रश्न पूछे गये थे. उक्त परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर चयनित 43 बच्चों को शुक्रवार को उनके  विद्यालय में जाकर संस्था के कार्यकर्ताओं द्वारा पुरस्कृत किया गया। सभी विद्यालयों की संयुक्त स्पर्धा में पूर्व माध्यमिक विद्यालय धौरहरा के छात्र मनी राम ने प्रथम और यही के गौरव यादव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. जबकि संविलियन विद्यालय ढाखा की छात्रा रिया शर्मा द्वितीय स्थान पर रही. संस्था के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी. परीक्षा आयोजन में प्रमुख रूप से सौरभ, दीन दयाल सिंह, प्रदीप सिंह, रमेश प्रसाद, अमित कुमार, बृजेश कुमार आदि का प्रमुख योगदान रहा.

शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

Moris Edagar Daan डायोसिस आफ लखनऊ के फिर Bishop

11 साल बाद मिला दान को न्याय

बिशप पद पर मोरिस एडगर दान की बहाली से 'हर्ष' 

•सीएनआई की बैठक में ऐतिहासिक निर्णय, वोटिंग में मिले 15 वोट 



Varanasi (dil India live). 25.08.2023. डायोसिस आफ लखनऊ के बिशप पद पर मोरिस एडगर दान की 11 साल बाद बहाली हो गई है। चर्च आफ नार्थ इंडिया (सीएनआई) की एक्जीक्यूटिव कमेटी की 115 वीं बैठक में यह ऐतिहासिक निर्णय नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में लिया गया। माडरेटर बिशप बीके नायक की अध्यक्षता में हुई इस अतिमहत्वपूर्ण बैठक में नार्थ इंडिया के 27 डायोसिस के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में कोर्ट द्वारा मौरिस एडगर दान को बाइज्जत बरी होने पर चर्चा की गई। इसके बाद वोटिंग कराई गई। वोटिंग में दान को 15 वोट मिले, जिसके बाद उन्हें पद पर बहाल करने का निर्णय लिया सुनाया गया। इस फैसले के बाद लखनऊ डायसिस से जुड़े सभी जिलों में खुशी की लहर दौड़ गई।

2012 में पद से किए गए थे मुक्त

वित्तीय अनियमितता का आरोप लगने पर डायोसिस आफ लखनऊ के बिशप पद से मोरिस एडगर दान को वर्ष 2012 में पद से हटा दिया गया था। इसके बाद 2014 में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। तत्कालीन बिशप मोरिस एडगर दान पर लगभग चार करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगा था। उस बाबत सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। उसके बाद उन्हें 16 दिसंबर 2014 को जेल जाना पड़ा था। 

बिशप दान को मिला कांटों भरा ताज

लखनऊ डायसिस के बिशप को इस बार झोली में कांटों भरा ताज मिला है। बिशप के सामने चुनौतियों की लम्बी फेहरिस्त पद के साथ मिली है उससे वो कैसे मुकाबला करेंगे यह तो वक्त ही बताएगा। पीटर बलदेव के समय से पादरियों के वेतन, मसीही समुदाय की जमीनों व संपतियों पर लगातार कब्जा व सीएनआई चर्च को उससे अलग करने कि कोशिशों आदि से बिशप को सख्ती से निपटना होगा।


Dawat-e-Islami India के इज्तेमा में मुल्क से मोहब्बत को बताया ईमान



Varanasi (dil India live).25.08.2023. मस्जिद सुल्तानिया रेवड़ीतालाब में दावते इस्लामी इंडिया की ओर से अजीमुश्शान हफतावारीय इज्तेमा में अमन, मिल्लत और देश से मोहब्बत की सदाएं बुलंद हुई। 

यहां दावते इस्लामी के आलिमों ने मुल्क में अमन, मिल्लत और तरक्की के लिए जहां खास दुआएं की वहीं दूसरी ओर मौजूद लोगों से कहां गया कि इस्लाम में बिस्मिल्लाह की खास अहमियत है। बिस्मिल्लाह की बरकत से बड़े से बड़ा काम आसान हो जाता है। कोई भी काम शुरू करने से पहले अगर अल्लाह का नाम लिया जाए यानी बिस्मिल्लाह शरीफ कर लिया जाए तो अल्लाह रब्बुल इज्जत उसके उस कम को आसान कर देता है। डा. साजिद अत्तारी ने बताया कि हर जुमेरात को इंशा की नमाज़ के बाद देश भर में दावते इस्लामी इंडिया नेकी की राह दिखाने के लिए इज्तेमा का एहतमाम करती है। उसमें मुल्क की तरक्की की दुआएं होती है। क्यों कि रब फ़रमाता है कि मुल्क से मोहब्बत ईमान का हिस्सा है। कुरान में है ऐ ईमान वालो अल्लाह से डरों और सच्चों के साथ हो जाओ। दावते इस्लामी इंडिया लोगों को सच्चाई का रास्ता दिखाने के मिशन में लगा हुआ है।

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

Jain dharam: सामूहिक क्षमापना दिवस 27 को

आराधना भवन में होगा पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व


Badamer(dil India live)। जैन धर्म के प्रमुख पर्व पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के दौरान मनाये जाने वाले सांवत्सरिक क्षमापना के क्रम में जैन श्रीसंघ, बाड़मेर की ओर से इस वर्ष भी सामूहिक क्षमापना दिवस कार्यक्रम 27 अगस्त रविवार को प्रातः 9.00 बजे श्री जिन कान्ति सागर सूरी आराधना भवन में मुनिराज श्री विराट सागर जी मसा व साध्वी श्री नीति गुणा श्रीजी मसा आदि ठाणा पावन निश्रा व चतुर्विध संघ की उपस्थिति में मनाया जायेगा।

जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के महामंत्री किशनलाल वडेरा ने बताया कि जैन धर्म दुनिया का एकमात्र एक ऐसा धर्म है जो क्षमा को पर्व के रूप में मनाता है । एक-दूसरे से हुई भूलों व गलतियों के लिए क्षमा याचना करता है। जिसको लेकर जैन श्रीसंघ, बाड़मेर के तत्वावधान में 27 अगस्त रविवार को प्रातः 9.00 बजे श्री जिन कान्ति सागर सूरी आराधना भवन में मुनिराज श्री विराट सागर जी मसा व साध्वी श्री नीति गुणा श्री जी मसा आदि ठाणा पावन निश्रा में सामूहिक क्षमापना दिवस कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। जिसमें बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन सहित बड़ी संख्या में जैन समाज के गणमान्य नागरिक, माताएं, बहिनें शामिल होगी तथा सामूहिक रूप से समस्त जीव योनि से वर्ष भर की गलतियों व भूलों के लिए मिच्छामि दुक्कडम व खमत खामणा करेंगें।


Nehru ji की 75 साल की तपस्या का परिणाम है चन्द्रयान की असाधारण सफलता

नेहरूजी को याद किया जाना चाहिए 

  • एल. एस. हरदेनिया



चन्द्रयान की असाधारण सफलता के अवसर पर यदि किसी एक व्यक्ति को याद किया जाना चाहिए था तो उसका नाम जवाहरलाल नेहरू है। नेहरू के अनेक योगदानों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है वैज्ञानिक समझ। उन्होंने न सिर्फ आजाद होने के बाद वरन् आजादी के संघर्ष के दौरान भी देश में वैज्ञानिक समझ पैदा करने की आवश्यकता पर जोर देना प्रारंभ कर दिया था। वर्ष 1958 के मार्च माह में नेहरूजी ने संसद में विज्ञान नीति संबंधी प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव में उन्होंने स्पष्ट घोषणा की थी कि विज्ञान की हमारे देश के नागरिकों के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका है।

इसके अतिरिक्त नेहरूजी ने देश में अनेक ऐसे शिक्षण संस्थानों की स्थापना की जिनसे निकले छात्र देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। इन्हीं छात्रों ने चन्द्रयान को चांद तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसलिए ऐसे अवसर पर नेहरूजी की याद आना स्वाभाविक है। यह क्षमता हमने एक दिन में प्राप्त नहीं की है। यह हमारे देश की 75 वर्ष की तपस्या का परिणाम है। आज के शासकों को यह बात महसूस करनी चाहिए और इस सफलता में जिन-जिन का महत्वपूर्ण योगदान है उनके योगदान का भी स्मरण करना चाहिए।

(लेखक पत्रकार एवं राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक हैं, मोबाईल 9425301582)

mission chandrayaan-3 की सफलता के 'सिकंदर'






मिशन में इन वैज्ञानिकों की दिन-रात की मेहनत शामिल

Varanasi (dil India live). 24.08.2023. भारत चांद पर पहुंच गया है। वो भी वहां, जहां कोई कभी नहीं पहुंचा। जी हां साउथ पोल। 23 अगस्त की शाम 6.4 मिनट पर चांद पर सूरज उगते ही ISRO के चंद्रयान ने लैंडिंग कर इतिहास बनाया।चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचाने का यह इतिहास यूं ही नहीं रचा। इसके पीछे है सैकड़ों वैज्ञानिकों की दिन-रात की मेहनत शामिल है। इस सपने को साकार करने के लिए ISRO टीम के हर सदस्य के पास अपनी एक अलग जिम्मेदारी थी।लखनऊ की बेटी रितु कारिधाल के हाथों में लैंडिंग की कमान थी। वह मिशन की निदेशक थी। इसके अलावा यूपी के 5 वैज्ञानिक भी इस टीम का हिस्सा रहे हैं।

जानिए मिशन चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च हुआ था। इसे चांद की सतह पर लैंडिंग करने में 41 दिन का समय लगा। धरती से चांद की कुल दूरी 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है। ISRO के डायरेक्टर एस. सोमनाथ ने कहा था अगले 14 दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। प्रज्ञान रोवर लैंडर से बाहर आ गया है। प्रज्ञान हमें चांद के वातावरण के बारे में जानकारी देगा। हमारे कई मिशन कतार में हैं। जल्दी सूर्य पर आदित्य एल1 भेजा जाएगा। गगनयान पर भी काम जारी है।

UP के ''स्टार्स'' को भी पढ़िए 

मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के लिए ISRO के 50 वैज्ञानिकों ने दिन रात एक कर दिया। चंद्रयान लॉन्च होने के पहले इसके कलपुर्जे, टेक्नोलॉजी और ट्रैकिंग डिवाइस आदि पर विस्तार से कार्य किया गया। हर एक टेक्नोलॉजी की जांचा-परख की गई। इनमें UP के पांच वैज्ञानिकों का भी अहम किरदार है।

इस फेहरिस्त में पहला नाम आता है फिरोजाबाद के धर्मेंद्र प्रताप यादव का। दूसरा नाम है गाजीपुर के कमलेश शर्मा, तीसरे प्रतापगढ़ के रवि केसरवानी, चौथे फतेहपुर के सुमित कुमार व मुजफ्फरनगर के अरीब अहमद।

धर्मेंद्र प्रताप यादव अब्दुल कलाम से है प्रेरित 

23 अगस्त की सुबह जिले के टूंडला तहसील में एक छोटे से गांव टीकरी में मीडिया पहुंची। जहां शंभु दयाल ISRO में काम करने वाले वैज्ञानिक धर्मेंद्र प्रताप यादव के पिता हैं। घर में शंभु दयाल की पत्नी भगवान से चंद्रयान-3 की सफलता की कामना के लिए पूजा अर्चना कर रही थीं। बातचीत में शंभू दयाल ने कहा, ''आज का दिन हमारे परिवार के लिए बहुत बड़ा दिन है। आज देश इतिहास रचने वाला है।''

घर के बाहर इंजीनियर डीपी यादव साइंटिस्ट इसरो की नेम प्लेट लगी है। शाम को जैसे ही मिशन सफल हुआ, मिठाइयां बंटने लगीं। धर्मेंद्र यादव के पिता को फूल-माला से लाद दिया गया। भाई राहुल ने मीडिया को बताया, ''धर्मेंद्र भैया, इस मिशन में सक्रिय भूमिका में हैं। वह सिग्नल ट्रैकिंग टीम में हैं। जो चंद्रयान के संपर्क की लगातार मॉनिटरिंग करती है।'' राहुल ने बताया कि काम के चलते भैया और भाभी बेंगलुरु में रहते हैं। अंतिम बार वो फरवरी में गांव आए थे। इसके बाद करीब 15 दिन पहले उनसे फोन पर बात हुई थी। भाभी से बात हुई थी, वो बता रहीं थी चंद्रयान मिशन की सफलता के लिए वो 24 घंटे ऑफिस में रहते हैं।धर्मेंद्र के पिता पेशे से किसान हैं। धर्मेंद्र की सरकारी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी हुई। इसके बाद फिरोजाबाद के ब्रजराज सिंह इंटर कॉलेज से 12वीं तक पढ़ाई की। उन्होंने मथुरा के हिन्दुस्तान कॉलेज से बीटेक किया और फिर एमटेक की पढ़ाई जालंधर से की। इसके बाद से वो बेंगलुरु स्थित ISRO में 2011 से वैज्ञानिक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। परिवार वालों ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से प्रेरित होकर धर्मेंद्र विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़े।

गाजीपुर के कमलेश शर्मा शिक्षा में रहा टापर

गाजीपुर के रेवतीपुर गांव के तेजमल राय पट्टी के रहने वाले वैज्ञानिक कमलेश शर्मा मिशन चंद्रयान-3 टीम के अहम सदस्य हैं। 2010 से ISRO में कार्यरत कमलेश मंगलयान अभियान में प्राइम कंट्रोलर हैं। कमलेश शर्मा के पिता अधिवक्ता वेद प्रकाश शर्मा ने बताया कि कमलेश चंद्रयान-3 की रिव्यू टीम का हिस्सा हैं। देश के इस बड़े मिशन में बेटे के योगदान को लेकर उन्होंने खुशी जाहिर की। साधारण परिवार में 15 सितंबर 1986 को जन्मे कमलेश की शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई। हाईस्कूल और इंटर की शिक्षा आदर्श इंटर कालेज महुआबाग से ली। 12 वीं में कमलेश ने पूरे जिले में टॉप किया था। इसके बाद की पढ़ाई लखनऊ यूनिवर्सिटी से हुई। साल 2008 में गणित से परास्नातक करने वाले कमलेश ने कुल 10 गोल्ड मेडल हासिल किए। मीडिया कमलेश के घर पहुंची, तो पता चला उनके माता-पिता लखनऊ में हैं। पूरा परिवार चंद्रयान मिशन की कामयाबी के लिए प्रार्थना कर रहा है। पिता वेद प्रकाश ने बताया कि उनकी 15 दिन पहले बेटे से बात हुई थी। कमलेश मिशन चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग को लेकर बेहद बिजी हैं। बेटे ने कहा था कि इस बार मिशन जरूर सफल होगा। और वही हुआ। देश के लिए यह गौरव की बात है।

सैटेलाइट टीम का हिस्सा अरीब अहमद

मुजफ्फरनगर की खतौली कस्बे के मोहल्ले मिट्ठूलाल में जश्न का माहौल है। लोगों में मिठाइयां बांटी जा रही है। उत्सवी माहौल में काजी महताब सबसे ज्यादा खुश दिखाई दिए। खुश हों भी क्यों न, जिस मिशन के लिए देश का नाम विश्वभर में ऊंचा हुआ, उस मिशन की सफलता की पटकथा लिखने में उनके बेटे अरीब अहमद का भी हाथ है।अरीब अहमद ISRO में 2021 से कार्यरत हैं। पिता के मुताबिक, उनका बेटा चंद्रयान-3 की सैटेलाइट टीम का हिस्सा है। अरीब अहमद के पिता काजी मेहताब जिया ने कहा, देश के लिए यह गौरव का पल है। इसरो के वैज्ञानिकों की कमर तोड़ मेहनत ने देश को सफलता दिलाई है। यह कस्बे ही नहीं देश भर के लिए यादगार पल है।

प्रतापगढ़ के रवि का सुझाव रहा 'अनमोल' 

प्रतापगढ़ के कुंडा कस्बे के सरयूनगर में ओम प्रकाश केसरवानी की दुकान है। ओमप्रकाश ISRO वैज्ञानिक रवि केसरवानी के पिता हैं। चंद्रयान की सफलता के बाद घर-परिवार में उत्सव का माहौल है। रवि ने कुंडा में पांचवीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद वे पुणे चले गए। वहां से उन्होंने बीटेक किया। इसके बाद 2016 में इसरो से प्रशिक्षण लिया। 2019 में उनकी नियुक्ति साइंटिफिक टेक्निकल ऑफिसर-C के पद पर हुई।

टेक्निकल ऑफिसर के पद पर तैनात रवि की टीम ने चंद्रयान-3 में लगे 'शेप' (SHAPE) का सुझाव दिया था। इसने लैंडिंग में अहम रोल अदा किया। शेप लगने से यान सीधे धरती से जुड़कर प्रकाश ले रहा है। चंद्रयान-2 में ऐसी व्यवस्था नहीं थी। पिता रवि बताते हैं कि चंद्रयान की तैयारी से पहले सभी वैज्ञानिकों ने मीटिंग कर नए उपकरण जोड़ने के संबंध में सुझाव मांगे थे। तब रवि की टीम ने शेप का सुझाव दिया था।

सुमित ने डिजाइन किया कैमरा

फतेहपुर के विजय नगर निवासी सुमित कुमार मिशन चंद्रयान-3 में शामिल हैं। सुमित साल 2008 से इसरो के अहमदाबाद केंद्र में काम कर रहे हैं। वह वर्तमान में स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में तैनात हैं। चंद्रयान की कामयाबी के लिए सुमित के भाई सुशील, बहन प्रीति, भांजा कार्तिक ने बताया कि सकुशल लैंडिंग के लिए सुबह से प्रार्थना करते रहे।मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर में लगे अत्याधुनिक कैमरों को सुमित कुमार और उनकी टीम ने डिजाइन किया। लैंडर और रोवर में लगे पांच कैमरों को अत्याधुनिक तरीके से डिजाइन किया गया है। पेलोड में लगे कैमरों ने लैंडर और रोवर को चांद पर ठहरने की जगह और दिशा दिखाने में मदद की। सुमित अर्जुन सिंह के बेटे हैं।

Chandrayaan-3 Landing Success: चांद पर भारत


New delhi (dil India live). Chandrayaan-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत ने विश्व में एक नया इतिहास रच दिया है. Moon Missions Success के बाद अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चौथा सफल देश बन गया जिसने चांद पर सफल लैंडिग की है. इसी के साथ 23 अगस्त 2023 की तारीख ने भारत को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना दिया. भारत ने इससे पहले दो मून मिशन भेजे हैं. 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान 1 मिशन को लॉन्च किया गया था.  इसके बाद 22 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया गया. हालांकि ये मिशन सफल नहीं हो सका. भारत के पड़ोसी चीन ने चांग-ए 1 को 2007 में चांद पर भेजा. 23 नवंबर 2020 को चीन ने चांग-ए 5 लॉन्च किया. 

दुनिया के Moon Missions

दुनिया भर में अब तक कई मून मिशन हुए हैं. सबसे पहले रूस ने लूना-2 को चांद की सतह पर उतारा. लूना-2 एक इम्पैक्टर मिशन था यानी चांद की सतह पर इसकी हार्ड लैंडिग हुई थी. हालांकि, पहले इससे 4 जनवरी, 1959 को लूना-1 भी लॉन्च किया गया.

लूना-1 चांद के नजदीक पहुंचने वाला पहला मिशन बना, लेकिन ये चांद की सतह पर उतरने में कामयाब नहीं हो सका, क्योंकि लूना-1 की एंट्री चांद की ऑर्बिट में फेल हो गयी और ये सूर्य की ऑर्बिट में चला गया. 3 फरवरी, 1966 को लूना-9 चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला मिशन बना. 

चांद की कक्षा में जाने वाला पहला मानव

24 दिसंबर 1968 को नासा ने अपोलो 8 मिशन लॉन्च किया. चंद्रमा की कक्षा का चक्कर काटने वाला पहला मानव मिशन बना. इसके बाद अपोलो 9 और अपोलो 10 लॉन्च किया गया जो असफल रहे. 20 जुलाई 1969 को अपोलो 11 लॉन्च किया गया. इस मिशन में तीन अंतरिक्ष यात्री भेजे गए. अपोलो 11 के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग चांद पर कदम रखने वाले पहले इंसान बने. 

अपोलो 13- ‘सक्सेसफुल फेलियर’ 

11 अप्रैल 1970 को नासा ने अपोलो 13 लॉन्च किया. अपोलो 13 मिशन चांद की सतह पर इंसानों को उतारने का तीसरा प्रयास था, लेकिन सर्विस मॉड्यूल ऑक्सीजन टैंक के फटने के बाद मिशन को रोकना पड़ा. इस मिशन में अंतरिक्ष यान चांद के नजदीक से गुजरा. ऑक्सीजन की कमी की वजह से अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर वापस आना पड़ा. काफी मश्क्कत के बाद अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचा ली गई.

31 जनवरी 1971 को नासा के अपोलो 14 लॉन्च किया गया. इसमें मिशन कमांडर एलन बी शेपर्ड जूनियर, लूनर मॉड्यूल पायलट एडगर डी. मिशेल,  कमांड मॉड्यूल पायलट स्टुअर्ट ए. रूसा सवार थे. अपोलो 14 के मिशन कमांडर एलन शेपर्ड ने चांद पर गोल्फ खेलने वाले पहले इंसान बने. 

अपोलो 14 के बाद अमेरिका ने अपोलो 15 को चांद पर भेजा. 26 जुलाई, 1971 को अपोलो 15 अंतरिक्ष यान लॉन्च किया गया. इसमें मिशन कमांडर डेविड आर. स्कॉट, लूनर मॉड्यूल पायलट जेम्स बी. इरविन, कमांड मॉड्यूल पायलट अल्फ्रेड एम. वर्डेन सवार थे. अपोलो 15 के मिशन कमांडर डेविड आर. स्कॉट चांद पर जाने वाले सातवें व्यक्ति और चांद पर लूनर रोविंग व्हीकल चलाने वाले पहले व्यक्ति हैं.

चांद पर आखिरी मैन-मिशन

अपोलो 17 चांद पर जाने वाला आखिरी मैन-मिशन है. इसे  7 दिसंबर 1972 को लॉन्च किया गया था. यूजीन ए. सेर्नन, हैरिसन एच. श्मिट, रोनाल्ड ई. इवांस इस मिशन के अंतरिक्ष यात्री थे. युजिन सर्नन चांद पर कदम रखने वाले आखिरी इंसान हैं.

Moon Missions Success के लिए काशी में पूजा संग दुआख्वानी 








Varanasi (dil India live). चंद्रायन–3 Missions Success के लिए काशी में सभी सुबह से ही पलके बिछाएं हुए थे। एक ओर जहां पूजा–पाठ का दौर चला वहीं दूसरी ओर मस्जिदों में पांच वक्त की नमाजों के दौरान इमाम साहेबान ने दुआ में हाथ उठाया। उधर वाराणसी में भारत माता मंदिर के प्रांगण में विद्यापीठ के छात्र–छात्रों द्वारा चंद्रयान-3 के सकुशल लैंडिंग होने को लेकर प्रार्थना और दुआएं मांगी गई। इस दौरान हिंदू -मुसलिम दोनों वर्गों के छात्र–छात्राओं ने सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा पाठ एवं दुआखवानी में शामिल होकर देश की एकजुटता का पैगाम भी दिया। इस मौके पर मुस्लिम टोपी लगाए देशभक्ति की गाथा लिखते नजर आए तो हिन्दू छात्र मांथे पर तिलक लगाकर भारत मां के सच्चे सपूत होने की गवाही दे रहे थे। जहां एक ओर पांच वक्त की नमाजों के दौरान मस्जिदों में इमाम साहेबान ने, या अल्लाह चन्द्रायन–३ की लैंडिंग सफल हो जाए…जैसी दुआख्वानी की तो मस्जिद के तमाम नमाजियों ने आमीन…कहा। यह सिलसिला असर की नमाज के दौरान और तेज हो गया। इस दौरान ख्वातीन ने घरों में दुआएं मांगी। उधर चंद्रयान 3 की सफलता के बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में षोडशोपचार पूजन किया गया। 
वहीं बुधवार को आरती के पश्चात झूलेलाल मंदिर लक्सा वाराणसी में चंद्रयान 3 के सफल लैंडिंग के लिए सिंधी समाज के स्त्री-पुरुषों ने विशेष प्रार्थना (अरदास) किया।
ऐसे ही श्रावण मास शुक्ल सप्तमी पर जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर देवाधिदेव श्री 1008 पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में बुधवार को प्रातः से अपराहन तक भगवान पार्श्वनाथ की जन्म कल्याणक स्थली भेलूपुर में चन्द्रयान-3 की सफलता, वैज्ञानिको के अथक प्रयास, हमारे राष्ट्र का नाम स्वर्ण अक्षरों मे लिखा जाए, चांद पर तिरंगा लहराए के लिए विशेष पूजा में भक्तामबर बिधान कर सैकड़ो भक्तो ने भेलूपुर स्थित दिगम्बर जैन मन्दिर मे किया एवं भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याणक पर अभिषेक, शान्तिधारा, मंगल आरती कर निर्वाण लाडू (लड्डू) भक्तो ने चढाया। आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, महामंत्री अरूण जैन, समाज मंत्री तरूण जैन, सौरभ जैन, विजय जैन, विनोद जैन, सुधीर पोद्दार सहित काफी संख्या में महिलाए-पुरूष उपस्थित थे। व्यापारी नेता घनश्याम जायसवाल ने चंद्रयान की सफलता पर सोनारपुरा में लोगों में मिठाईयां बांटी एवं तिरंगा लेकर हर्ष का इजहार किया। सरकारी स्कूल इस आयोजन को लिए पहली बार शाम में खोले गए थे। 

भारत ने श्रेष्ठता साबित किया: सुधीर कुमार जैन

Varanasi (dil India live). काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति सुधीर कुमार जैन ने बुधवार को चन्द्रयान - 3 का चन्द्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग पर हर्ष जताते हुए कहा कि यह एक ऐसी बेमिसाल घड़ी है, जिसने न सिर्फ हर एक भारतवासी को गौरव के भाव से अभिभूत कर दिया है, बल्कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की श्रेष्ठता को एक बार फिर साबित किया है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में विद्यार्थी आज इस घटना के साक्षी बने हैं। विद्यार्थी जीवन में इस दृश्य को देखना विद्यार्थियों के लिए परिवर्तनकारी उत्साहवर्धन है। विश्वविद्यालय परिवार देश व इसरो की इस स्वर्णिम उपलब्धि पर गौरवान्वित है तथा सभी देशवासियों के साथ अपार हर्ष व रोमांच का अनुभव कर रहा है।

चंद्रयान-3 की सफलता से आईआईटियंस में उत्साह


Varanasi (dil India live). भारत का चंद्रयान-3 का चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के स्वर्णिम अध्याय का बुधवार को आईआईटी (बीएचयू) भी गवाह बना। चंद्रयान-3 के चंद्रमा की धरती पर लैंड होते ही खचाखच भरे एबीएलटी और जी-8 हॉल  ’वंदे मातरम’, ’भारत माता की जय’ और ’हर हर महादेव’ के जयकारों को गूंज उठा। संस्थान के ऐनी बेसेंट व्याख्यान संकुल के दो हॉल और इलेक्ट्रिकल विभाग में छात्रों की साइंस एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल द्वारा हॉल संख्या जी-8 छात्रों से खचाखच भरा रहा। सभी इस सुनहरे पल को अपने मोबाइल में कैद करने को व्याकुल रहे। चंद्रयान-3 के पल-पल चंद्रमा की धरती पर पहुंचने का सजीव प्रसारण देख तालियां बजती रहीं और चंद्रयान-3 ने जैसे ही चंद्रमा पर उतरा वैसे ही छात्रों, अधिकारियों और शिक्षकों का उत्साह देखते ही बन रहा था। इस अवसर पर एबीएलटी में लाइव प्रसारण देखने के बाद निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने इसरो के वैज्ञानिकों समेत देश और दुनिया के सभी भारतीयों को नए गौरव प्राप्त होने की बधाई दी। उन्होंने बताया कि इस उपलब्धि से अंतरिक्ष विज्ञान का अध्ययन कर रहे छात्रों को भी काफी मदद मिलेगी। सजीव प्रसारण के अवसर पर एबीएलटी में अधिष्ठाता रिसर्च एंड डेवलेपमेंट प्रोफेसर विकास कुमार दूबे, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर एलपी सिंह, अधिष्ठाता रिसोर्स एंड अल्मुनी प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव, डॉ आरके सिंह, रजिस्ट्रार इनचार्ज राजन श्रीवास्तव, संयुक्त कुलसचिव डॉ सर्वेश कुमार तिवारी, संयुक्त कुलसचिव लेखा स्वाति बिस्वास आदि अधिकारीगण उपस्थित रहे।

आर्यन के बच्चों ने किया खुशी का इजहार


Varanasi (dil India live). चांदपुर, इंडस्ट्रियल इस्टेट स्थित आर्यन पब्लिक स्कूल के बच्चों ने चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग पर खुशी का इजहार किया और वैज्ञानिकों को बधाई दिया।  बच्चों ने प्रबंधक रामाश्रय पटेल, सुनीता पटेल, शिखा पटेल, अंजलि भारद्वाज, सरोज पटेल, सरिता पटेल, नीरज कुमार पटेल, मातेश्वरी पटेल के मार्गदर्शन में चंद्रयान 3 का सजीव प्रतिबिंब बनाकर अपनी वैज्ञानिक सोच को भी दर्शाया। इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष रामाश्रय पटेल ने कहा कि चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण कर भारतीय वैज्ञानिकों ने दुनिया में भारत का झंडा बुलंद कर दिया है, आज भारत विज्ञान के हर क्षेत्र में आगे है। सफल प्रक्षेपण से आज पूरी दुनिया में भारत के वैज्ञानिकों की सराहना हो रही है। पटेल ने कहा कि यह हम लोगों के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है। चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण से अब चंद्रमा पर जीवन की संभावना, पानी की संभावना, चंद्रमा के अनेकों गुण  रहस्यों पर से पर्दा हटेगा। 

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