Varanasi (dil india live)। बुनकर कालोनी स्थित मदरसा बागे नूर में कक्षा 4 में पढ़ने वाला नन्हा कलीम हस्सान ने शिद्दत कि गर्मी में रोज़ा रख कर मिसाल कायम किया है। बड़ी बाज़ार के रहने वा समाजसेवी शमीम रियाज़ के इकलौता पुत्र कलीम रोजे के साथ ही नमाज़ की भी पाबंदी खुशी खुशी करता है। अपने छोटे छोटे दोस्तों के साथ वो इस कदर खेल-खेल में मस्ती करने लगता है कि रोज़ा भी है ये भूल जाता है। वक्त होने पर नमाज और कुरआन की तिलावत भी पाबंदी के साथ करता है। इफ्तार के दौरान कलीम रब से दुआ मांगता है कि, वालिदैन कि रोजी-रोटी में बरकत हो जाए, मुल्क में हमेशा अमन चैन बना रहे। समाज से तमाम बुराइयां दूर हो जाए।
रविवार, 26 मार्च 2023
शनिवार, 25 मार्च 2023
Masjid लाट सरैया में तरावीह मुकम्मल
Varanasi (dil india live). रमजान का पाक महीना चल रहा है सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज हो रही है। इसी कड़ी में आज सरैया स्थित मस्जिद मखदूम शाह बाबा में हाफिज मोहम्मद अहमद ने तीन दिन की तरावीह की नमाज मुकम्मल कराया। सरैया लाट मस्जिद पर भी तीन दिन की तरावीह की नमाज अदा कराई गई। इस मौके पर पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने बताया की मखदूम शाह बाबा की मस्जिद पर और लाट मस्जिद पर तीन दिन की तरावीह की नमाज बुनकर बिरादराना तंजीम चौदहों के सरदार हाजी मकबूल हसन साहब की सरपरस्ती में पढ़ाई जाती है। आज तीन दिन की तरावीह की नमाज अदा करने के बाद दोनो मस्जिदों में दोनो हाफ़िज़ ने मुल्क की तरक्की और भाई चारगी और अम्नो अमान के लिए वह सभी कि रोजी रोजगार में बरक्कत के लिए दुआएं की।
इस मौके पर मौजूद सरदार मकबूल हसन, शाहिद सलीम, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, पूर्व पार्षद कल्लू, बाऊ भाई, अब्दुल रब, गुलजार, नेसार, जुनैद, मतीन अंसारी सहित दोनो मस्जिदों में हजारों लोगो ने तीन दिन की तरावीह की नमाज मुकम्मल की।
Mohd Zeeshan रख रहा रमज़ान का रोजा
यह नन्हा रोजेदार रहेगा पूरे महीने रोज़ा
Varanasi (dil india live)। काजीसादुल्लापूरा बड़ीबाजार के रहने वाले समाजसेवी डॉक्टर एहतेशामुल हक के पुत्र मुहम्मद जीशान ने रमजान का पहला रोजा रख कर सभी को चकित कर डाला। कक्षा 4 में पढ़ने वाला जीशान सुबह सहरी में उठा और अपने माता पिता से कहा कि मैं रोजा रहूंगा। गार्जियन ने बहुत मना किया लेकिन बच्चे की ज़िद के आगे कौन मना करे। जीशान कहता है कि वो पूरे माह का रोज़ा रखेगा। नमाज़ भी मस्जिद में जाकर अदा करता है जिशान। यही नहीं कुरआन की तिलावत करना उसकी दिनचर्या में शुमार है।जीशान ने कहा कि मैं अपने रब से दुआ मांगूंगा और मेरा रब जरूर सुनेगा।
Ramadan Mubarak -2
फिर रमजान की दौलत पाने जुट गए ख़ुदा के नेक बंदे
Varanasi (dil india live)। बंदे को हर बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाला पाक महीना रमजान शुरू हो चुका है। इस मुकद्दस महीने की रूहानी चमक से दुनिया एक बार फिर रोशन हो चुकी है, और फिजा में घुलती अजान और दुआओं में उठते हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे कि मिसाल पेश कर रहे हैं। दौड़-भाग और खुदगर्जी भरी जिंदगी के बीच इंसान को अपने अंदर झांकने और खुद को अल्लाह की राह पर ले जाने की प्रेरणा देने वाले रमजान माह में भूख-प्यास समेत तमाम शारीरिक इच्छाओं तथा झूठ बोलने, चुगली करने, खुदगर्जी, बुरी नजर जैसी सभी बुराइयों पर लगाम लगाने की मुश्किल कवायद रोजेदार को अल्लाह के बेहद नजदीक पहुंचा देती है।
रमजान की फजीलत
माहे रमजान में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम इच्छाओं को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादत गुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है, इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए ही अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रमजान इंसान के अंदर जिस्म और रूह है। आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है रमजान में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में दोजख के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते है।
रमज़न के तीन अशरे
अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को 10-10 दिन केे तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है। जबकि तीसरा अशरा 'जहन्नुम से आजादी' का है। इस आखिरी अशरे में रब रोज़ा रखने वाले को जहन्नुम से आजाद कर देता है।
रमजान माह की विशेषताएं
महीने भर के रोज़े रखना, रात में तरावीह की नमाज़ पढना, क़ुरान की तिलावत करना, एतेकाफ़ में बैठना, अल्लाह से दुआ मांगना, ज़कात देना, अल्लाह का शुक्र अदा करना। इसीलिये इस माह को नेकियों और इबादतों का महीना माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान पढना। जिससे क़ुरान पढना न आने वालों को क़ुरान सुनने का सबाब ज़रूर मिलता है।रमजान को नेकियों का मौसम-ए-बहार कहा गया है। रमजान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह की इबादत ज्यादा करता है। अपने अल्लाह को खुश करने के लिए रोजो के साथ, कुरआन, दान धर्म करता है यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है, इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं। यानी जिसने माह भार रोज़ा रखा ईद उसी की है। या हर मुुसलमान को रोज़ा रखने कि तौफीक देेे…आमीन।
मो. रिज़वान (वाराणसी के युवा पत्रकार हैं)
शुक्रवार, 24 मार्च 2023
Gunji Azaan कि सदाएं, खोला गया पहला रोजा
लजीज इफ्तारी का रोजेदारों ने उठाया लुत्फ
Varanasi (dil india live). रमजान के पहले रोज मस्जिदों से जैसे ही अजान की सदाएं, अल्लाह हो अकबर, अल्लाह हो अकबर... की गूंज सुनाई दी, तमाम रोजेदारों ने खजूर और पानी से इस साल का पहला रोजा खोला। इफ्तार में कई तरह के लजीज पकवान संग शर्बत भी सजाया गया था। रोज़ा इफ्तार, और मस्जिदों में नमाज के साथ ही चारों तरफ नूर ही नूर, हर तरफ खुशी ही खुशी मुस्लिम बहुल इलाकों में देखने को मिली। रमजान की रहमत जहां बरस रही थी वहीं दूसरी ओर इफ्तार के बाद बाजार गुलजार हो गए। पहला रोजा जुमे को पड़ने की वजह से मस्जिदें पहले ही दिन नमाजियों से भरी हुई थी। इफ्तार के बाद लोगों ने बाजार का रुख किया। इस दौरान सहरी के लिए खरीदारी करते हुए मोमीनीन बाजारों में दिखाई दिए।
इससे इससे पहले मस्जिदों में जुमे की नमाज़ के दौरान इमाम साहब आने लोगों को नेकी की दावत दी। कहां यह महीना नेकियों का महीना है इस महीने की अजमत को समझें और बुराइयों को छोड़कर मोमिनीन ज्यादा से ज्यादा सवाब कमाने में जुट जाएं।
Ramadan Mubarak -1
यह महीना ही है नेकी, सवाब और बरकत वाला
Varanasi (dil india live)। जिस महीने में सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत अल्लाह बंदे पर निछावर करता है। उस मुकद्दस बेशुमार खूबियों वाले महीने को रमज़ान कहा जाता है। रमज़ान महीने का एक और सुन्नतों भरा तोहफा खुदा ने हमें सहरी के रूप में अता किया है। रोज़े में सहरी का बड़ा सवाब है। सहरी उस गिज़ा को कहते हैं जो सुब्ह सादिक से पहले रोज़ेदार खाता है। सैय्यदना अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि ‘‘नबी-ए-करीम (स.) सहरी के वक्त मुझसे फरमाते कि मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ। मैं कुछ खजूरें और एक बर्तन में पानी पेश करता।’ इससे पता यह चला कि सहरी करना बज़ाते खुद सुन्नत है और खजूर व पानी से सहरी करना दूसरी सुन्नत है। नबी ने यहां तक फरमाया कि खजूर बेहतरीन सहरी है। नबी-ए-करीम (स.) इस महीने में सहाबियों को सहरी खाने के लिए खुद आवाज़ देते थे। अल्लाह और उसके रसूल से हमें यही दर्स मिलता है कि सहरी हमारे लिए एक अज़ीम नेमत है। इससे बेशुमार जिस्मानी और रुहानी फायदा हासिल होता है। इसलिए ही इसे मुबारक नाश्ता कहा जाता है। किसी को यह गलतफहमी न हो कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है सहरी के बिना भी रोज़ा हो सकता है मगर जानबूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं है क्यों कि इससे रोज़ेदार एक अज़ीम सुन्नत से महरूम हो जायेगा। यह भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं है। कुछ खजूर और पानी ही अगर बानियते सहरी इस्तेमाल कर लें तो भी काफी है।
मौलाना शफी अहमद
{सदर, अंजुमन जमात रजाए मुस्तफा, बनारस}
गुरुवार, 23 मार्च 2023
Ramadan Mubarak2023: रमजान की रौनक से फिर रौशन हुई दुनिया
चांद देखने मस्जिदों, घरों व छतों पर उमड़ा हुजूम
मस्जिदों से लेकर बाजार तक में छायी रमजान की रौनक
Varanasi (dil india live)। चांद के दीदार के साथ माहे रमजान का आज शाम आगाज़ हो गया। मोमीनीन ने एक दूसरे को इस मुकद्दर महीने कि शुरुआत पर रमजान मुबारक कह कर विश किया। यह सिलसिला सोशल मीडिया पर भी चलता रहा। इससे पहले चांद देखने मस्जिदों, घरों व छतों पर लोगों का हुजूम उमड़ा। घर से मस्जिद, मस्जिद से बाजार तक रमजान की रौनक से रोशन हो उठे।
दरअसल रहमतों का महीना रमजान शुरू होते ही नमाजे तरावीह की खास नमाज मस्जिदों में शुरू हो गई। अल्लाह के नेक बंदे रमजान की रहमतों को पाने के लिए मस्जिदों में उमड़ पड़े। तरावीह की नमाज खत्म होते ही लोग सहरी के लिए खरीदारी करते दिखाई दिए। खजूर, इमरती, ब्रेड, मक्खन, दूध आदि लेने लोगों का हुजूम बाजार में देर रात तक जुटता है।
हाफ़िज़ शफी अहमद बताते हैं कि माहे रमजान में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम ख्वाहिश को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादतगुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है। कारी शाहबुद्दीन कि मानें तो इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए ही अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रमजान इंसान के अंदर जिस्म और रूह है। आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है।
रमज़ान शुरू होते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। इस माह में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना रब बढ़ा देता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में दोजख के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते है।
रमज़ान तीन अशरों कि अहमियत
अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को 10-10 दिन केे तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है। यानी रोज़ादारो की मगफिरत कर देता है। तीसरा अशरा जहन्नुम से आज़ादी का है। जिसने तीनों अशरा कामयाबी से पूरा किया रब उसे जहन्नुम से आज़ाद कर देता है।
माहे रमजान क्या है
महीने भर के रोज़े रखना, रात में तरावीह की नमाज़ पढना, क़ुरान की तिलावत करना, एतेकाफ़ में बैठना, अल्लाह से दुआ मांगना, ज़कात देना, अल्लाह का शुक्र अदा करना। इसीलिये इस माह को नेकियों और इबादतों का महीना माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान पढना। जिससे क़ुरान पढना न आने वालों को क़ुरान सुनने का सबाब ज़रूर मिलता है।रमजान को नेकियों का मौसम-ए-बहार कहा गया है। रमजान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह की इबादत ज्यादा करता है। अपने अल्लाह को खुश करने के लिए रोजो के साथ, कुरआन, दान धर्म करता है यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है, इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं। यानी जिसने माह भार रोज़ा रखा ईद उसी की है।
Birju Maharaj की याद में हुआ कथक महोत्सव, कलाकारों ने दिखाया हुनर
...वो क्या गये चमन से नज़ारे चले गये Varanasi (dil India live)। पंडित बिरजू महाराज की स्मृति में कथक महोत्सव का आयोजन परम्परागत रूप में बुधव...
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मुकम्मल की कुरान तो हाफिज साहेब को मिला इनाम में Varanasi (dil India live). अमूमन मस्जिदों में मुक़द्दस रमजान की खास नमाज़ तरावीह मुकम्मल कर...
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कामिल व फाज़िल मदरसा छात्रों को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया जाए-हाजी दीवान साहेब ज़मा - मदरसा नियमावली से अगे बढ...
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सुल्तान ने 275 लोगों का किया स्वास्थ्य परीक्षण निःशुल्क दवा वितरित की गई व 25 गुमशुदा बच्चों को अभिभावकों से मिलाया गया Varanasi (dil India...