शुक्रवार, 25 जून 2021

अवैध बिजली चोरी पर नकेल

छापेमारी में चोरी करते 10 पकड़े गये, मुकदमा


वाराणसी 25 जून (सरफराज अहमद/दिल इंडिया लाइव) बिजली चोरों को लेकर पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम ने मोर्चा खोल दिया है। शहर अनलॉक होने के बाद आला अधिकारियों से मिले निर्देश पर शहर में छापेमारी शुरु हो गई है। हंकार टोला क्षेत्र में उस समय हड़कंप मच गया जब बिजली विभाग और विजिलेंस की टीम ने मारा छापा और डायरेक्ट कटिया कनेक्शन कर बिजली चोरी करते 10 लोग पकड़े गए। विभाग की ओर से सभी पर बिजली चोरी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है। जेई- पिन्टू कुमार सिंह ने बताया कि एटीसी लाइन लॉस कम करने के लिए आगे भी इस तरह की छापेमारी जारी रहेगी। इसके साथ ही अवैध रूप से बिजली का इस्तेमाल करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिससे वे आगे इस तरह का कार्य न कर सकें।

स्लॉटर हाउस को चालू कराने के लिए राज्यपाल को भेजा पत्र

कुरैशी समाज का उत्पीड़न बंद हो: कांग्रेस

वाराणसी 25 जून(दिल इंडिया लाइव) जिला व महानगर कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के संयुक्त तत्वाधान में अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम के आह्वान पर  प्रदेशव्यापी कार्यक्रम के तहत कांग्रेसजनों ने कुरैशी समाज पर निरंतर हो रहे हमले, गिरफ़्तारी को रोकने व अन्य पांच सूत्रीय मांगों का राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन  जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में अपर नगर मजिस्ट्रेट चतुर्थ श्री पुष्पेंद्र पटेल को सौंपा।, इस दौरान उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन ने कहा कि सरकार को चाहिए कि प्रदेश में बंद पड़े स्लॉटर हाउस को आधुनिक तकनीक के साथ चालू करें व जिन जिलों में स्लाटर हाउस नहीं है वहां नए स्लॉटर हाउस का निर्माण कराएं, सरकारी स्लॉटर हाउस न होने की वजह से निजी स्लॉटर हाउस स्वामी मीट को महंगे दामों पर बेचते हैं जिससे महंगाई चरम सीमा पर है, वही उत्तर प्रदेश सरकार छोटे दुकानदारों को लाइसेंस उपलब्ध कराये व नवीनीकरण प्रक्रिया को आसान करने का कार्य करें, वहीं सरकार को कुरैशी समाज के उत्पीड़न से बचने के लिए वह उनकी मदद के लिए उनके लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी करनी चाहिए।

अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव व वाराणसी प्रभारी 


शाहिद तौसीफ ने कहा कि कानपुर से लेकर हापुड़ तक बंद पड़े सभी चमड़े के कारखानों को प्रदेश सरकार द्वारा शीघ्र चालू करना चाहिए जिससे कि लोगों को रोजगार का अवसर मिले, वही कुरैशी समाज के  लोगों पर लगी रासुका वह फर्जी मुकदमों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए तथा निर्दोष पाए जाने वाले कुरैशी समाज के लोगों पर लगे मुकदमों को सरकार को वापस लेना चाहिए

 ज्ञापन देने वाले प्रमुख लोगों में हाजी ओकास अंसारी, शाहिद तौसीफ, कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन, प्रदेश कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष अशोक सिंह एडवोकेट कांग्रेस अल्पसंखयक विभाग के प्रदेश महासचिव अब्बास रिज़वी शफक जिला अध्यक्ष पार्षद रमज़ान अली महानगर अध्यक्ष पार्षद अफजाल अंसारी हिफाज़त हुसैन आलम ,अबू सैफ सलमान सुल्तान, अफसर खान, आदि थे।

कहीं आप ब्लड प्रेशर के मरीज़ तो नहीं !

जानिये सुपर फुड मारिंगा से दूर होगी बीपी की समस्या 

वाराणसी25 जून (दिल इंडिया लाइव)। मोरिंगा (सहजन) पाउड को पत्तियों से बनाया जाता है। इसमें ढेर सारे औषधीय गुण हैं। यह ब्लड प्रेशर की समस्या को तो दूर करता ही है, इसके सेवन से नींद भी अच्छी आती है। इस पाउडर से तैयार फेस पैक को चेहरे पर लगाने से मुहांसे, दाग-धब्बे और पिंपल्स जैसी समस्याएं दूर हो जाती है। कोरोना वायरस के चलते आजकल लोगों की लाइफ स्टाइल बदल गयी है। घर से बैठकर काम करना, डाइट पर ध्यान न देना, एक्सरसाइज की कमी और तनाव के चलते कई तरह की समस्याओं ने घेर लिया है। ऐसे में मोरिंगा जैसे सुपरफूड हेल्थ के लिए बहुत ही फायदेमंद है। 

- मोरिंगा की एक कप कटी हुई पत्तियां में आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी, विटामिन बी 6 और राइबोफ्लेविन होता हैं। इसमें पोटेशियम, विटामिन ए, विटामिन ई और मैग्नीशियम भी है। संतरे की तुलना में इसके पत्ते में विटामिन सी अधिक होता है इस लिए मोरिंगा बेहतर दृष्टि और इम्यूनिटी से लेकर हड्डियों की हेल्थ और त्वचा को ग्लोइंग बनाने तक, सब कुछ कर सकता है।

दाल और सोयाबीन में प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है लेकिन कभी-कभी आप प्रोटीन खाने के लिए ऐसी चीज खाना चाहते हैं जो बिना पकाए आप ले सकें। इसके लिए स्मूदी या सूप में मोरिंगा पाउडर को मिलाएं। मोरिंगा प्रोटीन से भरपूर होता है। 

आर्गेनिक हाट में मौजूद है सब कुछ

मोरिंगा लीफ पाउडद के अलावा हमारे यहां चावल, काला चावल, दालें, सरसो, तीसी, मूंगफली व तिल तेल, देशी गाय का घी, गुड, शहद, मोटे अनाज, दलिया, रागी, चना, मटर, मिश्रित आटा, मसाले, मुरब्बा, आचार,, मोरिंगा से बने उत्पाद, तुलसी अर्क, एलोवेरा, अश्वगंधा, शतावरी, अर्जुन छाल चूर्ण, सिरका, आंवला जूस, आंवला लड्डू, रॉकसाल्ट मौजूद हैं।


गुरुवार, 24 जून 2021

अदबी सिंधी संगत करायेगी अकादमिक यात्रा से परिचित

सिंधी साहित्य के शैदाई दयाराम नागवाणी

वाराणसी 24 जून (डॉली मेघनानी/दिल इंडिया लाइव)। कोरोना महामारी के दौर में जहाँ एक ओर लॉकडाउन के कारण सभी प्रकार की गतिविधियाँ थम गई है वहीं दूसरी ओर सामाजिक आभासीय माध्यमों के मंच से साहित्यकार साहित्यिक कार्यक्रमों को निरंतर गतिमान रखते हुए अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। 

शान्तिमोर्चा हिंदी दैनिक,अयोध्या के सम्पादक ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी ' सरल ' ने 'अदबी सिंधी संगत,उ.प्र.' नाम से ह्वाट्सएप समूह का गठन किया है। इसका मुख्य उद्देश्य सिंधी साहित्यकारों,संस्कृति कर्मियों, शिक्षकों व पत्रकारों की अकादमिक यात्रा के बारे में सभी सिंधियों को परिचित कराना है।

सरल सर ने मुझे बुजुर्ग सिंधी साहित्य सेवी दयाराम नागवाणी के अकादमिक योगदान को सबके सामने लाने की जिम्मेदारी सौंपी। वाराणसी में उनका आवास मेरे घर से कुछ मिनटों की दूरी पर ही था। मैं उनसे फ़ोन पर अनुमति लेकर उनके निवास पर गई और सिंधी साहित्य के शैदाई से बहुत कुछ जानने और सीखने का अवसर मिला।

श्री दयाराम नागवाणी का जन्म 05 जून सन् 1949 ई. में महाराष्ट्र के उल्हासनगर में हुआ था।1952 ई. में उनका परिवार वाराणसी आकर बस गया। उन्होंने यहाँ अंग्रेज़ी विषय में स्नातकोत्तर करने के साथ बीएड की पढ़ाई पूर्ण की।सन् 1969 ई.में बीएचयू के सेंट्रल हिंदू कॉलेज में अंग्रेज़ी के प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए और वहीं से सन्.... में अवकाश ग्रहण किया।

श्री नागवाणी जी को अंग्रेज़ी के अतिरिक्त सिंधी,पंजाबी व उर्दू भाषाओं का भी ज्ञान है।

श्री नागवाणी जी मूलत अंग्रेज़ी विषय के विद्वान हैं। किंतु मातृभाषा सिंधी होने के कारण उनका सिंधी भाषा - साहित्य के प्रति विशेष लगाव है।यही कारण है कि वे सिंधी साहित्य का निरंतर अध्ययन-मनन करते रहते हैं। उन्होंने सिंधी भाषा में अनेक फुटकर लेख लिखे जो विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं प्रकाशित होते रहे हैं। उनमें से उल्लेखनीय हैं : अयोध्या से प्रकाशित सिंधी - हिंदी पाक्षिक 'सिंधु गर्जना' में प्रकाशित उनका लेख 'इएं कोन थींदी काइमु सिंधियत' जिसमें वे सिंधी भाषा के अस्तित्व पर मंडराते ख़तरे पर चिंता करते हुए उसके संरक्षण की बात करते हैं और अपनी मातृभाषा सिंधी में ही बात करने पर बल देते हैं।

सिंधी युवा समिति,वाराणसी की 'समर्पण' में प्रकाशित उनका लेख ' सिंधु जी सुञाणप ' सिंधियों के इष्टदेव झूलेलाल पर केंद्रित है। वाराणसी से ही प्रकाशित एक अन्य वार्षिक स्मारिका 'सेवा' में संत कँवरराम पर आधारित प्रकाशित उनका लेख 'कलावंत कंवर' उनके लेखन की भाषा - शैली का उत्कृष्ट परिचय देता है। है।

वाराणसी से ही प्रकाशित मासिक पत्रिका 'सिंधु चेतना' में उनके सिंधी लतीफे भी छपते रहते थे।जो उनकी बहुगुणी प्रतिभा का दर्शन कराते हैं।

हिंदी दैनिक 'आज' समाचार पत्र में सिंधी भाषी महापुरुषों के चरित्र को सर्व समाज के समक्ष प्रकाश में लाने के उद्देश्य से हेमू कालाणी,भगत कँवरराम,साधु बेला आश्रम आदि विषयों पर इनके अनेक लेख प्रकाशित होते रहे हैं।

यद्यपि उनका मौलिक लेखन तो गौण है परंतु सिंधी की अरबी - फ़ारसी लिपि में प्रकाशित पुस्तकों का देवनागरी लिपि में लिप्यंतरण का कार्य उल्लेखनीय है जिनमें से एक पुस्तक प्रकाशित भी हो चुकी है। इस पुस्तक का शीर्षक है 'आदर्श जीवन या शंकर प्रकाश' जिसके लेखक द्वारिकाप्रसाद रोचीराम शर्मा हैं।यह पुस्तक सिंध के बहुत बड़े संत महाराज शंकरलाल शर्मा के जीवन पर केंद्रित है जो बाद में काशी में आकर बस गए थे। इसके अतिरिक्त नागवाणी जी कई अन्य पुस्तकों के लिप्यंतरण का कार्य भी कर रहे हैं।उनमें महत्वपूर्ण हैं मोहम्मद पुनहल ड॒हर द्वारा लिखित 'भग॒त कंवरराम साहिब : मुसलमाननि जी निगाह में' पुस्तक का देवनागरी लिप्यंतरण कार्य प्रगति पर है।यह पुस्तक कुल 256 पृष्ठों की है।इस पुस्तक में संत कंवरराम के विषय में 10 मुसलमान लेखकों के विचारों का संग्रह है।दूसरी पुस्तक ताज जोयो लिखित 'शहीद भगत कंवरराम: सिंधी  सभ्यता जो मजस्म रूप' का भी लिप्यंतरण का कार्य प्रगति पर है। यह पुस्तक कुल 300 पृष्ठों की है।

श्री नागवाणी जी द्वारा किया गया लिप्यंतरण का कार्य अत्यंत ही प्रशंसनीय है क्योंकि आजकल के सिंधी युवा अपनी मातृभाषा सिंधी  पढ़ना ही नहीं जानते हैं। सिंधी पुस्तकें देवनागरी लिपि में उपलब्ध होने से उनको भी लाभ मिल सकेगा और इस तरह से वे भी सिंधी साहित्य- संस्कृति से परिचित हो सकेंगे। 

श्री दयाराम नागवाणी जी से भेंट के मध्म हुई बातचीत में सिंधी साहित्य के प्रति उनका अगाध प्रेम परिलक्षित हो रहा था। संत कँवरराम के प्रति उनके मन में विशेष आदर का भाव है। उनके पास संत कँवरराम से संबंधित अनेक पुस्तकों का संग्रह है।26 अप्रैल, 2010 में संत कँवरराम की 125 वीं जयंती के अवसर पर भारत के  राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील के करकमलों से विमोचित भगत कँवरराम स्मारक डाक  टिकट आज भी उन्होंने सहेज कर रखा है।अंग्रेज़ी,सिंधी

और हिंदी भाषा की अनेक पुस्तकों के अतिरिक्त  सिंधी की पत्र - पत्रिकाएँ उनकी अलमारी की शोभा बढ़ा रहे हैं।बीच-बीच में बातों ही बातों में वे सिंधी भाषा के प्रति युवा पीढ़ी की उदासीनता पर चिंता भी व्यक्त कर रहे थे। नागवाणी जी इन दिनों कुछ अस्वस्थ हैं फिर भी सिंधी की सेवा के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।उन्होंने मुझे भेंट स्वरूप एक पुस्तक भी दी। मैं आभार प्रकट करती हूं आदरणीय सरल सर जी का कि जिनके कारण मुझे एक स्तरीय साहित्यसेवी दयाराम नागवाणी जी से मिलने का सुअवसर दिया।


(लेखक बीएचयू में शोध छात्रा है)

बुधवार, 23 जून 2021

संगीतकार वी. बालसारा

आज जीवित होते, तो सौ साल ‌के रहते !  

खेमचंद प्रकाश, गुलाम हैदर, नौशाद, लता मंगेशकर और राजकपूर जिनके पियानो के दीवाने थे ! 

जयनारायण प्रसाद Jai Narayan Prasad फेसबुक वाल से)


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)।संगीतकार वी. बालसारा न सिर्फ पियानो में पारंगत थे, बल्कि हारमोनियम और रवींद्र संगीत के भी 'मास्टर्स' थे। आज बालसारा साहेब जीवित होते, तो सौ साल के रहते।‌ उनके वाद्य संगीत के दीवाने खेमचंद प्रकाश, गुलाम हैदर, नौशाद, राजकपूर, लता मंगेशकर और शंकर-जयकिशन तक थे। देशभर में वी. बालसारा के चाहने वालों की लंबी फेहरिस्त हैं और बंगाल में तो कहना ही क्या ! 

वी. बालसारा की पैदाइश हालांकि बंबई में हुई थीं, लेकिन गुजरे वे कलकत्ता में। रवींद्रनाथ टैगोर के संगीत और बंगाल की संस्कृति उन्हें खींचकर कलकत्ता ले आई थीं। वर्ष 1954 में कलकत्ता आए, तो फिर लौटे नहीं। वी. बालसारा कलकत्ता और बंगाल के होकर रह गए।

बंबई में 22 जून, 1922 को एक संभ्रांत पारसी परिवार में वी. बालसारा का जन्म हुआ था। उनका निधन कलकत्ता में 24 मार्च, 2005 को हुआ। वी. बालसारा के संगीत के दीवानों में वैसे तो अनगिनत हैं, लेकिन एक महेश गुप्ता हैं, जो हर साल बालसारा की याद में संगीत का जलसा आयोजित करते हैं और संगीत के जानकारों को सम्मानित भी करते हैं। 

कहते हैं कि वी. बालसारा जब सिर्फ छह साल के थे, तब अपनी मां से हारमोनियम सीखा था। उनकी मां का नाम था- नजामेई। संगीत के परिवेश में बालसारा बड़े हुए, तो उन्हें पहली हिंदी फिल्म मिली 'बादल'। उस्ताद मुस्ताक हुसैन की इस फिल्म में वी. बालसारा सहयोगी संगीतकार थे। लेकिन, वर्ष बीतते न बीतते बालसारा को पहली स्वतंत्र फिल्म मिल गई। इस हिंदी फिल्म का नाम था- 'सर्कस गर्ल', जो वसंत कुमार नायडू ने बनाई थीं। साल था 1943 और इस फिल्म ने बालसारा को शोहरत के मुकाम तक पहुंचाया।

बंबई में 1940 से 1950‌ तक वी. बालसारा की अच्छी ‌धाक थीं।। वर्ष 1947 में संगीतकार नौशाद के साथ जुड़े। उससे पहले खेमचंद प्रकाश और गुलाम हैदर उनके चाहने वालों में थे। फिर, आरके फिल्म्स के बैनर तले राजकपूर के साथ रहे। गायिका लता मंगेशकर बालसारा के सबसे बड़ी प्रशंसक अब भी हैं। 1952 में संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन ने वी. बालसारा के साथ काम किया। बंबई में रहते हुए बालसारा ने सिने म्यूजिशियन एसोसिएशन की स्थापना की। उद्देश्य था गरीब संगीतकारों की आर्थिक मदद करना। इस संगीत-संस्था के वे सचिव भी रहे।

पियानो, माउथ आर्गन और हारमोनियम में वी. बालसारा   सिद्धहस्त थे। रवींद्र संगीत में भी वे पारंगत थे। जाने-माने संगीतकार ज्ञान प्रकाश घोष के आमंत्रण पर वर्ष 1954 में वी. बालसारा कलकत्ता क्या आए- यहीं के होकर रह गए। वर्ष 2005 में वी. बालसारा चल बसे। कलकत्ता में हिंद सिनेमा के पास (वेलिंगटन के नजदीक) अरकू दत्त लेन की दो मंजिला इमारत पर वे रहते थे। अब वहां कोई नहीं रहता। 

कलकत्ता में एक महेश गुप्ता हैं, जो वी. बालसारा‌ के पास कभी पियानो सीखने गए थे, सीख तो नहीं पाए‌ लेकिन बालसारा के ऐसे फैन बने कि वी. बालसारा की याद में एक संस्था बना डाली- बालसारा मेमोरियल कमिटी। इस संस्था के बैनर तले हर साल उनकी याद में संगीत का एक बेहतरीन जलसा होता है। इस जलसे में बंगाल के बड़े म्यूजिशियन जुटते हैं और वी. बालसारा को अपने तरीके से याद करते हैं। बालसारा के प्रति उनका समर्पण ऐसा कि सबकुछ अपने पैसे से करते हैं ! 


(नीचे‌ तस्वीर में संगीतकार वी. बालसारा (बांए) और दाहिनी तरफ महेश गुप्ता। फोटो सौजन्य : महेश गुप्ता)

आर्गेनिक हाट में आई गुड़ से बनी बुंदी की मिठाई


गुड़, स्वाद के साथ ही सेहत का भी खजाना

वाराणसी 23 जून (दिल इंडिया लाइव)। प्राकृतिक मिठाई के तौर पर पहचाना जाने वाला गुड़, स्वाद के साथ ही सेहत का भी खजाना है। आर्गेनिक हाट करौंदी में गुड़ से बनी कई तरह की मिठाई लोगों को न सिर्फ अपनी ओर आकर्षित कर रही है, बाल्कि लोग इसे खरीद भी रहे हैं। इस बुंदी के लड्डू की सोंधी खूश्बू व मिठास लोगों को खूब भाती है। इसे गुड़ही भी कहते हैं इसमें तिल, तिसी व सौफ भी मिलाया गया है। गुड़ पेट की समस्याओं से निपटने का आसान और फायदेमंद उपाय है। यह गैस बनना और पाचन क्रिया से जुड़ी अन्य समस्याओं को हल करने में सहायक है। खाना खाने के बाद गुड़ का सेवन पाचन में सहयोग करता है। इतना ही नहीं गुड़ सर्दी, जुकाम और खास तौर से कफ से भी राहत दिलाता है। रोजाना दूध या चाय में गुड़ का प्रयोग कर तमाम समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। 

कुछ प्रमुख खाद्य पदार्थों की सूची 

चावल, काला चावल, दालें, सरसो, तीसी, मूंगफली व तिल तेल, देशी गाय का घी, गुड, शहद, मोटे अनाज, दलिया, रागी, चना, मटर, मिश्रित आटा, मसाले, मुरब्बा, आचार,, मोरिंगा से बने उत्पाद, तुलसी अर्क, एलोवेरा, अश्वगंधा, शतावरी, अर्जुन छाल चूर्ण, सिरका, आंवला जूस, आंवला लड्डू, रॉकसाल्ट भी इस हॉट में मौजूद है।

मंगलवार, 22 जून 2021

आशा ट्रस्ट ने दिया "कोरोना योद्धा सम्मान पत्र"

'मेडिकल किट' देकर ग्रामीण चिकित्सको का सम्मान

ग्रामीण चिकित्सकों के कोरोना काल में किये गये योगदान की सराहना

वाराणसी 22 जून (दिल इंडिया लाइव)। कोरोना संकट के दौरान उल्लेखनीय सेवा प्रदान करने वाले ग्रामीण चिकित्सकों को चिन्हित करके  सामाजिक संस्था 'आशा ट्रस्ट' द्वारा  "कोरोना योद्धा सम्मान" से सम्मानित किये जाने का निर्णय लिया है। इस क्रम में मंगलवार को राजातालाब कस्बे में स्थित एक लॉन में ट्रस्ट द्वारा मनरेगा मजदूर यूनियन द्वारा चयनित किये गये क्षेत्र के 40 चिकित्सकों को सम्मानित किया गया। सम्मान पत्र के साथ ही उन्हें एक 'स्वास्थ्य रक्षक किट' भी प्रदान की गयी जिसमे आक्सीमीटर, थर्मामीटर, थर्मल स्कैनर, वेपोराइजर, फेस शील्ड, दस्ताना, मास्क, उपयोगी दवाएं आदि है जिसका चिकित्सा के दौरान प्रयोग किया जा सके।

इस अवसर पर कार्यक्रम का संयोजन कर रहे मनरेगा मजदूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठोर ने कहा कोरोना संकट की दूसरी लहर के दौरान गाँव गाँव में चिकित्सा सेवा से जुड़े लोगों का बहुत ही सराहनीय और उल्लखनीय योगदान रहा, जब सरकारी अस्पतालों और बड़े अस्पतालों में बेड और आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था उस समय दूर दराज गाँवों में चिकित्सकजन ने बड़े ही जिम्मेदारी से पीड़ित और संक्रमित लोगों को चिकित्सा सुलभ कराइ. इन चिकित्सको के पास प्रायः बड़ी डिग्री नही होती लेकिन इनका विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज करने का अनुभव कही बहुत ज्यादा है और यही कारण था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इन चिकित्सकों ने ग्रामीण क्षेत्र में हजारों लोगों की जान बचाई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि महेंद्र सिंह पटेल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में सेवा कर रहे निजी चिकित्सकों ने महामारी के दौर में मानवता की सेवा की मिसाल कायम की है, उन्हें प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है, इससे उनमे भविष्य में और बेहतर सेवा करने का आत्मविश्वास जगेगा.

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा ग्रामीण चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के उपयोग का  प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत है जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर वे और अच्छी सेवा दे सकें. उन्होंने कहा कि देश में सभी को बेहतर स्वास्थ्य के अधिकार के लिए जन आंदोलन की आवश्यकता है, जिसमे प्रति 1000 की आबादी पर न्यूनतम आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग हो।

किसान नेता योगीराज पटेल ने कहा कि प्रत्येक गाँव में मानदेय पर जन स्वास्थ्य रक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जिससे ग्रामीण क्षेत्र में  रक्तचाप, मधुमेह, ऑक्सीजन स्तर आदि सामान्य जांच की सुविधा आसानी से सुलभ हो सके.

कार्यक्रम में अनेक ग्रामीण चिकित्सकों ने कोरोना संकट काल के समय के अपने अनुभवों को साझा भी। किया।

कार्यक्रम के दौरान कोरोना अवधि में अपनी जान जोखिम में डाल कर पत्रकारिता की जिम्मेदारी का निर्वाह करने वाले ग्रामीण पत्रकार बंधुओं को भी स्वास्थ्य सुरक्षा किट एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से रेनु पटेल,महेश पांडेय,ओमप्रकाश,अरविंद पटेल,नेहा जायसवाल,अजय कुमार,अली हसन,प्रियंका,निशा,पूजा,रीना, मुस्तफा,श्रद्धा,रोहित,अरमान, महेंद्र,अनिता,नैना,पार्वती, सरस्वती,मंजू आदि लोग शामिल हुए।

सम्मानित किये गये चिकित्सक 
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प्रमाण पत्र देकर सम्मानित करते संस्था के पदाधिकारी

डॉ.जे.पी.पाल, पवन गुप्ता, प्यारेलाल, नागेश श्री, रामबली, रामदुलार, दशरथ, राजनाथ, अजय कुमार, प्रकाश कुमार, कल्लू प्रसाद यादव, विश्वास चंद्र, हंसराज, दयाराम,आर.के. पाल, ऋतु प्रिया सिंह, लालजी, लोहा सिंह, बाबुलाल, छविनाथ, लक्ष्मी शंकर यादव, धर्मा देवी, ए. के.वर्मा, रमेश, महंगू, मुन्ना, सुरेंद्र, गोविंद, राहुल, अभय, रामदुलार, शोभनाथ, राजेश केसरी, राजू, दिनेश राम, रविशंकर, नित्यानंद,

सम्मानित किये गये पत्रकार

राजकुमार गुप्ता, मयंक, मुश्ताक, दयाशंकर पांडेय, त्रिपुरारी यादव, रवि पांडेय, देवेंद्र वर्मा, कृष्णकांत मिश्रा आदि।

लखनऊ में नई सियासी पैतरेबाजी

भाजपा कार्यालय पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की तस्वीर  Lucknow (dil India live)। लखनऊ से नई सियासी पैतरेबाजी की खबर है। दरअसल भाजपा कार्...