जश्ने ईदे गौसिया पर बड़े पीर साहब की हो रही हैं फातेहा
Varanasi (dil India live). हज़रत गौसे आज़म शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां (बड़े पीर साहब) का उर्स-ए-पाक ‘ग्यारहवीं शरीफ’ का जश्न ईदे गौसिया के रूप में अदबो-एहतराम के साथ आज देश दुनिया में मनाया जा रहा है। फजर की नमाज़ के बाद से ही मदरसों, मस्जिदों व घरों में कुरानख्वानी, फातिहा व महफिल-ए-गौसुलवरा का आयोजन मंगलवार को शुरु हो गया। सुबह फज्र की नमाज के बाद कुराख्वानी, नियाज-फातिहा का जो सिलसिला शुरू हुआ वो पूरे दिन ही नहीं बाल्कि पूरे महीना चलता रहेगा। इस दौरान जगह जगह गौस़े पाक का लंगर भी चला। शिवाला, गौरीगंज, बजरडीहा, मदनपुरा, रेवड़ी तालाब, नयी सड़क, लल्लापुरा, कोयला बाजार, चौहट्टा लाल खां, जलालीपुरा, सरैया, बड़ी बाजार, अरदली बाजार, मकबूल आलम रोड आदि जगहों पर गोसे पाक का ईदे गौसिया का जश्न देखने को मिला।
गौसे पाक यानी वलियों के सरदार
मस्जिद टकटकपुर के इमामे जुमा मौलाना अज़हरूल कादरी कहते हैं कि अल्लाह के वलियों में सबसे ऊंचा मरतबा हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी यानी गौस-ए-आज़म का है। हमारे औलिया-ए-किराम व मशायख जिस रास्ते से गुजरे उन रास्तों में तौहीद व सुन्नत-ए-नबी का नूर व खुशबू फैल गई। हिन्दुस्तान में ईमान व दीन-ए-इस्लाम बादशाहों के जरिए नहीं आया बल्कि हमारे इन्हीं बुजुर्गों, औलिया व सूफिया के जरिए आया। ऐसे लोग जिनके चेहरों को देखकर और उनसे मुलाकात करके लोग ईमान लाने पर मजबूूर हो जाते थे। हमें भी इनकी तालीमात पर मुकम्मल अमल करना चाहिए। जिससे दुनिया व आखिरत की कामयाबी मिलेगी।
मौलाना अज़हरुल कादरी ने कहा कि हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां अम्बिया अलैहिस्सलाम के सच्चे जानशीन हैं। इस्लाम व ईमान की रोशनी इन्हीं के जरिए से हम तक पहुंची है। हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अपने मुरीदों के लिए फरमाते हैं कि जब तक मेरा एक-एक मुरीद जन्नत में नहीं चला जाएगा तब तक मैं भी जन्नत में नहीं जाऊंगा।