इलाज ही नहीं अभिभावक की भी भूमिका निभा रहा एनएनसीयू
• डिस्जार्च होकर घर पहुंचने के बाद भी लिया जाता है शिशु का हाल
• बच्चे के सम्पूर्ण विकास पर एक वर्ष तक रखी जाती है नजर
वाराणसी 30 मार्च(dil India live ). हैलो मैं एसएनसीयू (सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट) से बोल रहा हूं। आप का बच्चा स्वस्थ है न, जरूरत हो तो बताइएगा, हम आपकी सेवा में हर पल तत्पर हैं। बच्चे के स्वास्थ का ख्याल रखिएगा....और हमें भी अवगत कराते रहिएगा । गौराकला-चिरईगांव निवासी राज मिश्र के मोबाइल पर जब यह कॉल आयी तो उन्हें एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ कि डिस्चार्ज होकर घर पहुंचने के बाद भी अस्पताल वाले उनके लाडले का इस तरह से भी ख्याल रखेंगे।
राज मिश्र बताते हैं कि जन्म के समय काफी कम वजन का होने के कारण उन्होंने अपने बेटे को राजकीय महिला जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया था। लगभग एक माह तक चले उपचार के बाद स्वस्थ हो जाने पर बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी। घर पहुंचने के दूसरे रोज ही एसएनसीयू से आये कॉल से एक बारगी तो उन्हें घबराहट हुर्इ पर वास्तविकता का पता चलने पर उन्होंने अस्पताल कर्मियों के इस व्यवहार को सराहते हुए उन्हें धन्यवाद दिया।
एसएनसीयू प्रभारी एवं वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मृदुला मल्लिक बताती हैं कि दरअसल एसएनसीयू से डिसचार्ज होने वाले प्रत्येक शिशु के स्वास्थ्य और उसके विकास पर पूरे एक वर्ष तक नजर रखना और जरुरत के अनुसार चिकित्सकीय सलाह देना भी हमारी जिम्मेदारियों का एक हिस्सा है। इसके तहत ही एसएनसीयू से शिशु के अभिभावको को कॉल कर बच्चे की सेहत के बारे में पूछताछ की जाती है। इतना ही नहीं शिशु को एसएनसीयू में बुलवाकर उसके स्वास्थ्य का परीक्षण भी किया जाता है।
एसएनसीयू और अभिभावकों के बीच एक सेतु का काम करने वाले डेटा आपरेटर (डीओ) अजीत कुमार मिश्र बताते है जब कोई शिशु ठीक होकर घर जाने लगता है तब उसके अभिभावकों का पूरा विवरण हम दर्ज कर लेते हैं। शिशु के घर पहुंचने के ठीक दूसरे दिन हम उसके अभिभावक को फोन कर उनसे बच्चे की स्थिति की जानकारी लेते है। साथ ही उन्हें सलाह देते हैं कि वह अपने क्षेत्र की आशा, एएनएम अथवा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अथवा नजदीकी स्वास्थ्य केन्द् के सम्पर्क में रहकर बच्चे की स्थिति से उन्हें अवगत कराते रहे। उसी रोज पुनः शाम को फोन कर यह जानते हैं कि उन्होंने उन लोगों से सम्पर्क किया या नहीं। पुनः यह प्रक्रिया तीसरे, सातवें, चौदहवें के साथ ही 21वें व 28वें रोज की जाती है। साथ ही इसका पूरा विवरण दर्ज किया जाता है। इस दौरान अगर यह पता चल जाता है कि शिशु की हालत ठीक नहीं है तो उसे एसएनसीयू में बुलवाकर जरूरत के अनुसार उसका उपचार किया जाता है। इतना ही नहीं डिसचार्ज होकर घर जाने के बाद प्रत्येक शिशु को एक वर्ष के भीतर कुल पांच बार एसएनसीयू में बुलवाकर उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। इस दौरान यह देखा जाता है कि बच्चे का विकास सामान्य रूप से हो रहा है या नहीं। अजीत मिश्र बताते हैं कि इस तरह एक वर्ष के भीतर हम प्रत्येक बच्चे से कुल 12 बार सम्पर्क में रहकर उसके स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखते हैं। वह बताते है कि वर्ष 2020 में डिसचार्ज होने वाले शिशुओं में 399 के सम्पर्क में हम पूरे वर्ष रहे। इसी तरह वर्ष 2021 में डिसचार्ज हुए 580 शिशुओं में 440 बच्चों से बराबर सम्पर्क बनाये रखा। इस वर्ष अब तक 94 बच्चे यहां से डिसचार्ज हो चुके है जिनमें 43 से सम्पर्क बनाया जा चुका है।