शनिवार, 16 अप्रैल 2022

अब शिखा और शालिनी अग्रवाल के हाथों में दर्पण की कमान

महिला काशी दर्पण का 12 वां पद ग्रहण समारोह मना



वाराणसी 16 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। महिला काशी दर्पण की वर्ष " 2021 2022" की अध्यक्ष हीमा रस्तोगी की विदाई व नये सत्र 2022-2023 के लिए शिखा अग्रवाल को अध्यक्ष और शालिनी अग्रवाल को सचिव बनाये जाने का भव्य आयोजन एक होटल में किया गया।

सत्र बदलने के साथ ही नई अध्यक्ष व सचिव की टीम नई उमंग के साथ पदासीन हुई। उन्होंने अपनी नई सोच के साथ नये नये कार्यक्रम के साथ संस्था को नई ऊंचाई पर ले जाने का खाका खींचा। आयोजन के दौरान इस वर्ष पद ग्रहण समारोह पर लता मंगेशकर को श्रद्धांजली देते हुए उनके गाये गानों पर नृत्य व गायन का आयोजन कर संस्था सदस्यों द्वारा किया गया है। संस्था की संस्थापक अध्यक्ष मीनाक्षी अग्रवाल का स्वागत करते हुए वक्ताओं ने कहा कि मिनाक्षी अग्रवाल का हमेशा से यही प्रयास रहता है कि वे महिलओं की छिपी हुई प्रतिभा को बाहर निकालती है। यह मंच उन्होंने महिलओं के बेहतर सोच के साथ आगे आने के लिए बनाया है। इससे महिलाओं को आत्मनिर्भर होना समाजसेवा जैसे कार्यों के लिए प्रेरित किया और वह इस नेक कार्य में सफल रही।

आयोजन में संस्था की सदस्य दिव्या ने गीत पेश किया जहाँ में जाती हूँ होटो पे ऐसी बात...। लग जा गले, वो चलो, वो चली देखो प्यार की गली से सभी का दिल जीत लिया। इस मौके पर मुस्कान व वर्षा केशरी ने, मोरनी बागा में बोले स्वर... तो रूपाली ने पेश किया, अजीब दास्ता है ये...। स्वर व शिल्पी ने, तेरा मेरा प्यार अमर...व सीमा जायसयवाल ने दो घुटं मुझे भी पिला दें। हिमा ने जीया जले जा जले...प्रस्तुत कर लता मंगेशकर की याद ताजा कर दी।

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

प्राथमिक विद्यालय बनपुरवां में लगा नवीन नामांकन मेला

स्कूल चलो अभियान एवं रिपोर्ट वितरण 



वाराणसी १५ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। प्राथमिक विद्यालय बनपुरवा विकास क्षेत्र- काशी विद्यापीठ में नामांकन मेला, स्कूल चलो अभियान और कक्षा एक के छात्रों का रिपोर्ट कार्ड वितरण कार्यक्रम सम्पन्न किया गया। कार्यक्रम में अधिकतम अंक अर्जित करने वाले सभी बच्चों एवं उनके अभिभावकों को सम्मानित किया गया। आर्यन पटेल ने 300 में 283 अंक अर्जित कर प्रथम स्थान,शुभम राय ने 270 अंक प्राप्त कर द्वितीय स्थान वहीं परिधि यादव ने 267 अंक प्राप्त कर तृतीय स्थान प्राप्त किया। कक्षाध्यापिका छवि अग्रवाल की इस सराहनीय पहल द्वारा अभिभावक अपने बच्चों की प्रगति देखकर प्रसन्न हुए तथा विद्यालय का हर सम्भव सहयोग करने का आश्वासन दिया तथा विद्यालयी व्यवस्था पर संतोष एवं भरोसा जताया। विद्यालय प्रांगण में इस कार्यक्रम के आयोजन से समुदाय में विद्यालय के प्रति सकारात्मक सन्देश का प्रसार हुआ एवं नामांकन में सराहनीय वृद्धि हुई।

कलवारी में देखो ईसा शहीद हुए

गुड फ्राइडे पर चर्चेज में पढ़े गए ईसा मसीह के सात वचन





वाराणसी (dil India live)। पुण्य शुक्रवार या गुड फ्राइडे वो दिन है जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को गोल्गथा नामक पहाड़ पर, जो कलवारी नमक स्थान पर स्थित है, क्रुस पर चद़ाया गया था। इस घटना से पूर्व प्रभु यीशु मसीह को रोमी सैनिकों एवं धर्मगुरुओं द्वारा अत्यंत वेदनाओं एवं दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा और अंत में क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए। उनकी इस पवित्र मौत का आज मसीही समुदाय स्मरण कर अपनी आंखें नम करता दिखा। 
गूंजे यीशु मसीह के सात वचन
हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में अर्पण करता हूं। हे पिता इनको क्षमा कर, क्योंकि यह नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं...। गुड फ्राइडे पर शुक्रवार को प्रभु यीशु के ऐसे ही सात वचन फिर से गूंज उठे। वाराणसी में प्रभु यीशु के बलिदान को याद करने के लिए गुड फ्राइडे पर क्रूस मार्ग की यात्रा निकाली गई और प्रभु के सात वचनों को फिर से दोहराया गया।

कैंटोंमेंट स्थित सेंट मेरीज कैथड्रल चर्च में क्रूस यात्रा निकाली गई जिसमें प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने का नाट्य प्रदर्शन किया गया। यीशु को जो अमानवीय यातनाएं दी गईं थी उसका चित्रण देख लोग सहम उठे। वहां मौजूद हर शख्स की आंख से आंसू छलक उठा। शांति और प्रेम के लिए प्रभु यीशु के बलिदान को मसीही समुदाय ने गुड फ्राइडे के तौर पर याद किया। वाराणसी के बिशप यूजीन जोसेफ ने इससे पहले विशेष प्रार्थना की।  
सजा से मरण तक का सजीव चित्रण


कैथोलिक ईसाई समुदाय की ओर से सेंट मेरीज महागिरजा में बिशप यूजीन जोसेफ की अगुवाई में प्रभु यीशु मसीह के क्रूस मरण की गाथा का मंचन किया गया। इस दौरान उन्हें सजा दिए जाने से लेकर क्रूस मरण तक का सजीव नाट्य कलाकारों ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन फादर विजय शांति राज ने किया तो धन्यवाद फादर थामस सी ने दिया। इस दौरान मसीही समुदाय का हुजूम वहां जुटा हुआ था।
सुबह से ही जुटने लगे मसीही
 से ही गुड फ्राइडे पर चर्चेज में लोगों के पहुंचने का दौर शुरू हो गया था। सुबह प्रोटेस्टेंट मसीही समुदाय की आराधना शुरू हुई। इस दौरान पादरियों ने क्रूस पर दिए प्रभु के सात दिव्य वचन पढ़े, जिनको की गुड फ्राइडे के दिन प्रार्थना सभाओं में स्मरण किया जाता है। 

यीशु मसीह के मानने वाले इन वचनों को आत्मसाध कर जीवन मैं अपनाने का संकल्प लिया। पादरी सैम जोशुआ व पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि मौत के दिन को गुड फ्राइडे इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इसी दिन प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति को उनके पापों से बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए और सभी को उद्धार का अवसर प्रदान किया।

चर्च आफ बनारस के पादरी बेनजॉन ने बताया कि यीशु मसीह को घोर यातना दी गई, और क्रूस पर उन्हे चढ़ाया गया। क्रूस पर उनकी पवित्र मौत की खबर से कि कलवारी में ईसा शहीद हुए धरती रो पड़ी मगर चमत्कार तीसरे ही दिन हुआ जब ईसा मसीह पुनः जीवित हो उठे।

ऐसे ही लाल गिरजा में पादरी संजय दान, बेटेल फुल गास्पल चर्च में पादरी एंड्रू थामस, सीआई चर्च में पादरी दशरथ पवार, पादरी नवीन ज्वाय, विजेता प्रेयर मिनीस्ट्रीज में पादरी अजय कुमार व पास्टर एसपी सिंह ने प्रार्थना सभा को संबोधित करते हुए प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए सात वचन पढ़े।


बैसाखी पर इस तरह किया गया सेवा कार्य


बैसाखी पर लगा नि:शुल्क मेडिकल कैंप 

वाराणसी, 14 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। बैसाखी के पावन पर्व पर इंटरनेशनल एक स्टडी सर्किल एवं श्री गुरु नानक मिशन सेवा सोसायटी के संयुक्त रूप से अमृतसर तरनतारन नेशनल हाईवे पर स्थित सुल्तान वेट गांव में ऐतिहासिक गुरुद्वारा छ वी पता चाहिए श्री गुरु हरगोबिंद साहिब पर आज बैसाखी पर्व पर एक विशाल निशुल्क मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया। जिसमें मेले में आई हुई हजारों की संख्या में साध संगत को उसकी आवश्यकतानुसार अनुभवी डॉक्टरों द्वारा प्राथमिक चिकित्सा के उपरांत आवश्यक दवाएं निशुल्क प्रदान की गयी। जिसको क्षेत्रीय जनता ने काफी सराहा।

 इस कैंप में विशेष रुप से डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. बलविंदर सिंह, स.  हरजिंदर सिंह राजपूत, स. बलविंदर सिंह, लुक्का, सरदार सतनाम सिंह  सुल्तान क्डिया, स. तारी सिंह, सरदार नवजीत सिंह, श्री विनोद त्रिपाठी, के साथ ही इंटरनेशनल सिक्स स्टडी सर्किल के चेयरमैन सरदार सतनाम सिंह धुन्ना का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संयोजक संयुक्त रूप से स. हरजिंदर सिंह राजपूत, एवं स. जसविंदर सिंह कर रहे थे।

रमज़ान हेल्प लाईन: आपके सवालों का जवाब दे रहें हैं मुफ्ती साहब

ज़कात का पैसा निकालो तो फौरन हक़दार को अदा करो

 

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मैंने ज़कात का पैसा निकाला ही था कि एक अज़ीज ने उधार माग लिया और कहा कि कि, १० दिन में दे देंगे मगर रमज़ान की १३ तारीख हो गई हैअब तक ज़कात का पैसा नन्हीं मिला। मेरे लिए मुफ्ती साहब क्या हुक्म हैरमज़ान हेल्प लाईन में पुराना पुल के वसीम अहमद के इस सवाल के जवाब में उलेमा ने कहा कि ज़कात की जब नियत कर ली थी तो ज़कात का पैसा निकालने के बाद उस पर आपका भी कोई हक़ नहीं रहा, किसी को देने का तो सवाल ही नहीं उठता। ये सरासर गलत हैक्यों कि जब ज़कात का पैसा निकाला जाये तो उसे फौरन हक़दार को दे दिया जाये। उलेमा ने कहा कि जब वो शख्स रकम देगा तो ज़कात देना है अगर उसने वक्त पर रकम नहीं दी तो आपको ताबान देना होगायानी अपने पास से रकम देना होगा। जब वो दे दे तो उसे रख लें। रोज़ेदार रोज़ा पहले खोले की पहले दुआ पढ़ी जायेमो. रज़ा ने यह सवाल किया नयी बस्ती सेजिस पर उलेमा ने कहा कि पहले बिस्मिल्लाह करके रोज़ा खोले फिर रोज़े की दुआ पढ़े। रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई

9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

सौहार्द की मिसाल है रमज़ान का रोज़ा

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मुकद्दस रमज़ान का महीना हिन्दू-मुस्लिम एकता और सौहार्द की मिसाल है। रमजान के रोज़े के बहाने एक दस्तरखान पर दोनों कौम के लोग एक-दूसरे के नज़दीक आते हैंमुस्लिम कल्चर और तहज़ीब में वो टोपीकुर्ता पहन कर इस तरह से घुल मिल जाते हैं कि उनमें यह पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि कौन मुस्लिम है या कौन हिन्दू। यही नहीं बहुत से ऐसे हिन्दू हैं जो रोज़ा रखते हैंबहुत से ऐसे गैर मुस्लिम है जो रोज़ा रखने के साथ ही साथ मुस्लिम भाईयों को रोज़ा इफ्तार की दावत देते हैं। ये सिलसिला रमज़ान के बाद बंद नहीं होता बल्कि ये पूरे साल किसी न किसी रूप में जारी रहता हैचाहे वो ईद हो बकरीद होदशहरादीपावली व होली आदिइन त्योहारों को तमाम लोग एक साथ मनाते हैं। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे तौफीक देता है। आखिर क्या वजह है कि रमज़ान में ही इतनी इबादत की जाती हैदरअसल इस महीने को अल्लाह ने अपना महीना करार दिया हैरब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। यही वजह है कि एतेकाफ से लेकर तमाम इबादतों में सोने को भी रब ने इबादत में शामिल किया है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलमतू अपने हबीब के सदके में हम सब मुसलमानों को रोज़ा रखनेदीगर इबादत करनेऔर हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे और हम सबकी हर नेक तमन्ना व जायज़ ख्वाहिशात को पूरा कर दे..आमीन।

         जुबैर अहमद

(सामाजिक कार्यकर्ता वह सपा नेता हैं)

गुरुवार, 14 अप्रैल 2022

रमज़ान की एक रात हज़ार महीने की इबादत से बेहतर


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) 
यूं तो साल का सारा दिन और सारी रात अल्लाह के बनाये हुए हैंलेकिन रमज़ान महीने के दिन व रात को कुछ खास खुसूसियत हासिल है। इसकी वजह यह है कि मुकद्दस रमज़ान महीने के एक-एक पल को अल्लाह ने अपना बताया है। यह महीना बरकतों और रहमतों का है। इस महीने में इबादतों का सवाब कई गुना ज्यादा खुदा अता फरमाता है। इस महीने में मुकद्दस कुरान शरीफ नाज़िल हुई। रमज़ान में एक रात ऐसी भी है जो हज़ार महीनों की इबादत से बेहतर है। इसे शबे कद्र कहते हैं। इस रात हज़रत जिबरीले अमीन दूसरे फरिश्तों के साथ अर्श से ज़मी पर रहमतें लेकर नाज़िल हुए थे। यह वो महीना है जिसमें तोहफे हजरते इब्राहिम (हजरत इब्राहिम की पाक किताब) नाज़िल हुई। इसी महीने में हजरते मूसा की किताब तौरेत का भी नुज़ूल हुआ और यही वो महीना है जिसमें हजरते ईसा की किताब इंजील आसमान से उतारी गयी। इस महीने में बहुत सी मुबारक बातें पेश आयीं जिनसे इसकी फज़ीलत में चार चांद लग गया है। नज़ीर के तौर पर रसूले इस्लाम के पौत्र इमाम हसन मुजतबा पन्द्रह रमज़ान को पैदा हुए। इस्लामी लश्कर ने बद्र और हुनैन जैसी जंगों को इसी महीने में जीता। मुकद्दस रमज़ान में ही मुश्किलकुशा मौला अली की शहादत हुई जिससे पूरी दुनिया में उनके मानने वाले गमज़दा हुए मगर हज़रत अली ने इसे अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी बताया। हज़रत अली मुश्किलकुशा कहते हैं कि रोज़ा इसलिए जरूरी किया गया है ताकि बंदे के एखलाक को आज़माया जा सके और उनके खुलूस का इम्तेहान लिया जा सके और यही सच्चाई है कि दूसरे सारे फर्ज़ में इंसान कुछ करके अल्लाह ताला के हुक्म पर अमल करता है मगर रोज़े में कुछ चीज़ों को अंजाम न देकर अपने फर्ज़ को पूरा करके खुदा के हुक्म को मानता है। दूसरे किसी भी अम्ल में दिखावे की संभावना रहती है मगर रोज़े में ऐसा नहीं हो सकता। अल्लाह का कोई बंदा जब खुलूसे नीयत के साथ उसे खुश करने के लिए रोज़ा रखता है तो उसके बदले में खुदा भी उसकी दुआओं को क़ुबूल करता है। जैसा की रसूले अकरम (स.) और उनके मासूम वारिसों ने फरमाया है कि रोज़ेदार इफ्तार के वक्त कोई दुआ करता है तो उसकी दुआ वापस नहीं होती। ऐ पाक परवरदिगार हमें रोज़ा रखने की तौफीक दे। ताकि हमारी दुआओं में असर पैदा हो सके और खुदा के फैज़ से हमारी ईद हो जाये..आमीन। 

                    मौलाना नदीम असगर

शिया आलिम (जव्वादिया अरबी कालेजवाराणसी)

Hazrat Imam Zainul abedin इस्लाम की पहचान, इबादतों की शान

हज़रत जैनुल आबेदीन की जयंती पर सजी महफिलें, गूंजे कलाम Varanasi (dil India live). शाहीदाने कर्बला इमाम हुसैन के बेटे, इबादतों की शान चौथे हज...