गुरुवार, 14 अप्रैल 2022

पुण्य वृहस्पतिवार को महागिरजा में हुआ प्रभु भोज्य

निभाई गयी परम्परा, बिशप ने धोएं शिष्यों के चरण
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। पाम संडे बीतने के बाद आज थर्स डे पर चर्चेज़ और गिरजाघरों में प्रभु भोज्य का जहां लोगों में प्रसाद वितरित हुआ वहीं दूसरी ओर बिशप ने अपने शिष्यों का चरण खुद धोकर सैकड़ों साल पुरानी परम्परा को आगे बढ़ाया। कार्यक्रम का संयोजन फादर। विजय शांति राज ने किया।

दरअसल प्रभु यीशु अपने रोमी सैनिकों के हाथों गिरफ्तार किए जाने से पूर्व अपने शिष्यों के साथ अंतिम बार भोजन करने बैठे थे। इस दौरान यीशु ने एक रोटी के टुकड़े को उठाया और कहा ये मेरा शरीर है, इसके बाद रोटी को तोड़ा और अपने बारह शिष्यों में उसे बांट दिया। वहां पर उन्होंने नम्रता एवं दीनता के साथ लोगों की सेवा करने का संदेश दिया और अपने शिष्यों के पैरों को धोया। इसी रात्रि को कुछ समय के उपरान्त यीशु मसीह के ही चेलों में से एक यहूदा इस्करियोती ने यीशु मसीह को रोमी सैनिकों द्वारा पकड़वाया। यीशु मसीह को रोमी प्रशासन तंत्र एवं उस समय के धर्म गुरुओं ने क्रूस पर चढ़ाने का निर्णय लिया। ये सारी प्रक्रिया सेंट मेरीज़ महागिरजा में पवित्र वृहस्पतिवार के रुप में मनायी गई है। जिसमें यीथु अपने शिष्यों का पैर धोते है और प्रभु भोज्य का प्रसाद बांटते हैं।

गुड फ्राइडे को प्रभु चढ़ाये गए थे क्रूस पर

ये ही वो दिन है जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को गोल्गथा नामक पहाड़ पर जो की कलवारी नमक स्थान पर स्थित है क्रुस पर चद़ाया गया। इस घटना से पूर्व प्रभु यीशु मसीह को रोमी सैनिकों एवं धर्मगुरुओं द्वारा अत्यंत वेदनाओं एवं दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा और अंत में क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए।

क्रूस पर दिए प्रभु ने सात वचन

क्रूस पर से यीशु ने सात दिव्य वचन कहे जिनको गुड फ्राईडे के दिन प्रार्थना सभाओं में स्मरण किया जाता है। यीशु मसीह के मानने वाले इन वचनों को आत्मसाध कर जीवन मैं अपनाने का संकल्प लेते हैं। मसीहियों का ये विश्वास है कि इस दिन को शुभ शुक्रवार इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इस दिन प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाती को उनके पापों से बचाने के लिए अपने प्राण दिए और सभी को उद्धार का अवसर प्रदान किया।

ईस्टर पर जी उठे थे प्रभु यीशु

मसीहियों के विश्वास के अनुसार ईस्टर वो दिन है जिस दिन प्रभु यीशु मसीह मृतिकों में से जी उठे। यह दिन हर्ष एवं उल्लास का दिन है। इस दिन सभी गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभाओं का  आयोजन किया जाता है। कई जगहो पर इस दिन प्रभात फेरी भी निकाली जाती है और समस्त लोगों को पभु यीशु के जी उठने का संदेश दिया जाता है।

भगवान महावीर जयंती पर काशी में जश्न

तीर्थंकर महावीर के जन्म कल्याणक पर निकली भव्य शोभायात्रा



वाराणसी १४ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। जियो और जीने दो एवं अहिंसा का संदेश देने वाले तीर्थंकर महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक पर गुरुवार को भव्य शोभायात्रा निकाली गई । भगवान महावीर चांदी के रथ पर विराजमान हुए । कहीं चैती तो कहीं सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति हुई । मंगल ध्वनि के बीच हुआ रजत कलशो से अभिषेक । श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी की 2621 वी जयंती पर मैदागिन स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर से प्रातः 9:00 बजे पुष्प वर्षा एवं मंगल ध्वनियों के साथ भव्य रथ यात्रा निकाली गई । रथ यात्रा मैदागिन से प्रारंभ होकर बुलानाला , नीचीबाग , आसभैरव , चौक , ठठेरी बाजार होते हुए सोरा कुआँ पहुंची । चैत्र शुक्ल तेरस को पढ़ने वाली तीर्थंकर जयंती पर चैती “ धन-धन चैत की तेरस रामा भय महावीरा “ एवं भजनों की प्रस्तुति हुई ।जिस  सुसज्जित विशाल रथ पर आराध्य देव विराजमान थे ,उसे श्रद्धालु जन  स्वयं खींच रहे थे। यात्रा में गूंज रही राजस्थान से आई भजन मंडली एवं महिलाओं द्वारा प्रस्तुत धार्मिक भजनों की । शोभायात्रा में ध्वज पताका , अहिंसा , परमो धर्म का बैनर , समाज का बैनर चल रहा था । बैंड पार्टीयां धार्मिक  धुने बजाकर माहौल को भक्तिमय बना रही थी । बच्चे घोड़ों पर सवार होकर चल रहे थे । भारी संख्या में महिलाएं संगठित होकर सजे परिधानों में सामूहिक एवं भक्ति नृत्य कर अपनी आस्था प्रकट कर रही थी । रथयात्रा में बड़ा रजत हाथी , चंवर गाड़ी , धूप गाड़ी , झंडी गाड़ी रजत नालकी सभी को आकर्षित कर रही थी । इंद्रगण  भगवान को चंवर डोला रहे थे । पुरुष पारंपरिक वेश में केसरिया दुपट्टा ओढ़े भगवान महावीर के संदेशों का गुणगान कर उद्घोष कर नगर को गुंजायमान कर रहे थे । रास्ते में लोग पुष्प वर्षा के साथ तीर्थंकर की आरती एवं शोभायात्रा का स्वागत कर रहे थे । कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा शोभायात्रा का स्वागत रास्ते में किया गया । सोरा कुआँ पर आयोजित चैती के बाद तीर्थंकर महावीर के विग्रह को इंद्रो ने बड़े रजत रथ परसे उतार कर रजत नालकी पर विराजमान कराकर नालकी को कंधे से उठाकर ,”जय जय जिनेन्द्र देवकी , भवसागर नाव खेवकी”  का उद्घोष करते हुए ग्वालदास साहुलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर पहुँचे । वहाँ जन्मोत्सव की ख़ुशी में प्राचीन परंपराओं के साथ बधाई गीतों की प्रस्तुती हुई । शहनाई की मंगल ध्वनि के बीच घंटा घड़ियाल , ढोल , मंजीरे के साथ रजत पाण्डुक शिला पर भगवान को विराजमान कर इंद्रो ने 108 रजत कलशों से  अभिषेक एवं विशेष पूजन किया । 

शोभा यात्रा में प्रमुख रूप से समाज के अध्यक्ष श्री दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर.सी. जैन , विनोद जैन, संजय जैन, प्रधान मंत्री अरुण जैन , विनय जैन , समाज मंत्री तरुण जैन सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित थे । संयोजन रत्नेश जैन राजेश जैन आदि मौजूद थे 

साड़ी कारखाने में आग से चार जिंदा जले

दर्दनाक हादसे से अशफ़ाक नगर बुनकर मुहल्ले में मचा कोहराम




वाराणसी १४ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। मोहल्ला अशफ़ाक़ नगर में एक साड़ी फिनिशिंग का कार्य करने वाले कमरे में आग लगने से हुए हादसे में पिता,पुत्र समेत चार बुनकर जिंदा जल गए। इस हादसे में चारों की मौत हो गई।

हादसा सुबह लगभग 11:30 बजे का है। आग से कमरे के अंदर कार्य करने वाले 4 लोग घिर गए और बाहर नहीं निकल पाये। मोहल्ले वालों ने संकरी गली में स्थित कमरे में पानी डाल कर आग बुझाई और जबकि वहां रखा गैस सिलेंडर बाहर सुरक्षित निकाल लिया। जिसके चलते हादसा और विकराल रूप धारण नहीं कर सका। संकरी गली में आमने सामने कई घर हैं। आग में घिरे चारों व्यक्तियों की दुःखद मृत्यु अंदर ही कमरे में आग बुझने से पहले ही हो गई। जानकारी होते ही वरिष्ठ अधिकारीगण भी मौके पर पहुंचे पर उनके और फायर ब्रिगेड पहुंचने से पहले मोहल्ले वालों ने तत्परता से आग तो बुझा दी मगर मौत का मंज़र वो नहीं रोक सके। साड़ी फिनिशिंग के 12 फुट × 10 फुट के कमरे में साड़ी, फोम, फिनिशिंग सामग्री रखी थी जो सिंथेटिक थी और जिससे आग कमरे में तेजी से फैल गयी और आग रोकने के प्रयास में चारों लोग निकल ही नहीं पाए। 

पुलिस ने बताया कि आग जहां लगी वो सेराज़ अहमद का मकान B 21/221 अशफ़ाक़ नगर कालोनी में है । मकान मालिक बेंगलूर में रहते है। दुखद हादसे में मृतक एजाज़ 18 साल जिला अररिया बिहार, मुंतसिर 19 वर्ष जिला अररिया बिहार, आरिफ़ ज़माल 45 वर्ष अशफ़ाक़ नगर वाराणसी व शाबान 22 वर्ष अशफ़ाक़ नगर वाराणसी के रहने वाले थे। पुलिस ने चारों का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। घटना स्थल पर डीएम कौशलराज शर्मा, डीसीपी भेलूपुर प्रवीण सिंह समेत तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंचे हुए थे।

बुधवार, 13 अप्रैल 2022

रोज़ा इफ्तार में जुटे लोग, अदा की गई नमाजे

मगफिरत का दूसरा आशरा शुरू

वाराणसी १३ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। रमजान का दूसरा अशरा आज शुरू हो गया। इस दौरान तमाम रोजेदारों ने अज़ान की सदाओं पर ११ वा रोज़ा खोला। इस दौरान मुल्क में अमन और मिल्लत की दुआंए मांगी।

उधर वक़्फ़ मस्जिद व क़ब्रिस्तान ख़ास मौलाना मीर इमाम अली, पितरकुंडा में रोज़ा आफ़तार व मजलिसे ईसाले सवाब का आयोजन किया गया। यह आयोजन बनारस के पहले मुबल्लिग़, फ़िरक़ा ए जाफ़री के मोतब्बहिर, बनारस के पहले इमामे जुमा, ईमानिया अरबी कालेज के पहले प्रिंसिपल मौलाना सैयद इमदाद अली की याद में किया जाता हैं। इस दौरान जैसे ही आज़ान कि सदाएं बुलंद हुई तमाम लोगों ने नमाज अदा की। इसके बाद लज़ीज़ इफ्तार का लुत्फ उठाया। आयोजन में तमाम शख्सीयत शामिल हुई। अंत में शुक्रिया मुनाज़िर हुसैन मंजू ने कहा।

गुड फ्राइडे: ईसा मसीह की शहादत का दिन

गिरजाघरों में पढ़ा जाएगा यीशु के साथ वचन



वाराणसी १३ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। पुण्य शुक्रवार या गुड फ्राइडे 
वो दिन है जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को गोल्गथा नामक पहाड़ पर, जो कलवारी नमक स्थान पर स्थित है, क्रुस पर चद़ाया गया था। इस घटना से पूर्व प्रभु यीशु मसीह को रोमी सैनिकों एवं धर्मगुरुओं द्वारा अत्यंत वेदनाओं एवं दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा और अंत में क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए। उनकी पवित्र मौत को सभी हर साल गुड फ्राइडे के रुप में मनाते हैं। 

क्रूस पर दिए प्रभु ने सात वचन

क्रूस पर से यीशु ने सात दिव्य वचन कहे जिनको की गुड फ्राइडे के दिन प्रार्थना सभाओं में स्मरण किया जाता है। यीशु मसीह के मानने वाले इन वचनों को आत्मसाध कर जीवन मैं अपनाने का संकल्प लेते हैं। मौत के दिन को गुड फ्राइडे इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इसी दिन प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति को उनके पापों से बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए और सभी को उद्धार का अवसर प्रदान किया।

चर्च आफ बनारस के पादरी बेनजॉन व रामकटोरा चर्च के पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि यीशु मसीह को घोर यातना दी गई, और क्रूस पर उन्हे चढ़ाया गया। क्रूस पर उनकी पवित्र मौत की खबर से कि कलवारी में ईसा शहीद हुए धरती रो पड़ी मगर चमत्कार तीसरे ही दिन हुआ जब ईसा मसीह पुनः जीवित हो उठे।

महावीर जयंती का काशी में मनेगा उत्सव

भगवान महावीर के जन्म कल्याणक पर निकलेगी भव्य शोभायात्रा 


वाराणसी १३ अप्रैल (dil India live)। श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर श्री 1008 महावीर भगवान की 2621 वीं जन्म कल्याणक पर काशी में जश्न की तैयारी की गई है।

इस दौरान जहां विविध धार्मिक आयोजन होंगे वहीं गुरुवार 14 अप्रैल को प्रातः 8:15 बजे मैदागिन स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर से भगवान महावीर के जन्म कल्याणक पर भव्य शोभायात्रा, तीर्थंकर को चांदी के रथ पर विराजमान कराकर गाजे-बाजे के साथ निकाली जाएगी। यात्रा मैदगिन से प्रारंभ होकर बुलानाला, नीचीबाग,  आसभैरौ, चौक, ठठेरी बाज़ार होते  हुए सोरा कुआँ पहुँचेगी। वहाँ चैत्र मास में जन्मे तीर्थंकर महावीर के जन्म कल्याणक के उपलक्ष में चैती की प्रस्तुति होगी। पुनः सोरा कुआँ से रथयात्रा प्रारंभ होकर ग्वालदास साहुलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर जाएगी। जहां तीर्थंकर महावीर स्वामी का 108 रजत कलशो से अभिषेक एवं पूजन इत्यादि कई धार्मिक आयोजन किए जाएंगे। जैन समाज के उपाध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि 14 अप्रैल गुरुवार को ही शाम 7:00 बजे से ग्वालदास साहूलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में भगवान महावीर का  झूलनोत्सव मनाया जाएगा।

इस तरह समझे रमज़ान की खूबियां

रमज़ान का पैग़ाम: इबादत की कसरत होती है इस महीने


वाराणसी 13 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान की नेमतों और रहमतों का क्या कहना। रमज़ान तमाम अच्छाइयां अपने अंदर समेटे है। रमज़ान का रोज़ा रोज़ेदारों के लिए रहमत व बरकत का सबब बनकर आता है। इसमें तमाम परेशानियां और दुश्वारियां बंदे की दूर हो जाती हैं। नेकी का रास्ता ऐसे खुला रहता है कि फर्ज़ और सुन्नत के अलावा नफ्ल इबादत और मुस्तहब इबादतों की भी बंदा कसरत करता है। रोज़ा कितनी तरह का होता है इसे कम ही लोग जानते हैं। तो रमज़ान के रोज़े को तीन तरह से समझे। मसलन पहला, आम आदमी का रोज़ा: जो खाने पीने और जीमाह से रोकता है। दूसरा खास लोगों का रोज़ा: इसमें खाने पीने और जीमाह के अलावा अज़ा को गुनाहों से रोज़ेदार बचाकर रखता है, मसलन हाथ, पैर, कान, आंख वगैरह से जो गुनाह हो सकते हैं, उनसे बचकर रोज़ेदार रहता है। तीसरा रोज़ा खवासुल ख्वास का होता है जिसे खास में से खास भी कहते हैं। वो रोज़े के दिन जिक्र किये हुए उमूर पर कारबन भी रहते हैं और हकीकतन दुनिया से अपने आपको बिलकुल जुदा करके सिर्फ और सिर्फ रब की ओर मुतवज्जाह रखते हैं। रमज़ान की यह भी खसियत है कि जब दूसरा अशरा पूरा होने वाला रहता है तो, 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ करते है। जिसका नाम एतेकाफ है। एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानि मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार। पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। रमज़ान में एतेकाफ रखना जरूरी। एतेकाफ नबी की सुन्नतों में से एक है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना। हदीस और कुरान में है कि एतेकाफ अल्लाह रब्बुल इज्ज़त को राज़ी करने के लिए रोज़ेदार बैठते है। एतेकाफ सुन्नते रसूल है। हदीस व कुरान में है कि हजरत मोहम्मद रसूल (स.) ने कहा कि एतेकाफ खुदा की इबादत में रोज़ेदार को मुन्हमिक कर देता है और बंदा तमाम दुनियावी ख्वाहिशात से किनारा कर बस अल्लाह और उसकी इबादतों में मशगूल रहता है। इसलिए जिन्दगी में एक बार सभी को एतेकाफ पर बैठना चाहिए। या अल्लाह ते अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने और दीगर इबादतों को पूरा करने की तौफीक दे।..आमीन।

             डा. साजिद अत्तारी

(वरिष्ठ दंत चिकित्सक, बड़ी बाजार वाराणसी)


Hazrat Imam Zainul abedin इस्लाम की पहचान, इबादतों की शान

हज़रत जैनुल आबेदीन की जयंती पर सजी महफिलें, गूंजे कलाम Varanasi (dil India live). शाहीदाने कर्बला इमाम हुसैन के बेटे, इबादतों की शान चौथे हज...