वेतन कटौती न हो, विरोध में उतरा शिक्षक संघ
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (पंजिकृत1160) के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में निर्णय लिया गया कि मृतक शिक्षको के आश्रितों के सहायतार्थ कार्यरत शिक्षको के एक दिन के वेतन की कटौती की जो बातें की जा रही है वो बिल्कुल निराधार और गलत व खिलाफ कानून है। पंचायत चुनाव में कोरोना महामारी से संक्रमित होकर दिवंगत हुए शिक्षकों शिक्षा मित्रों अनुदेशकों एवम कर्मचारियों के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार सरकारी नॉकरी एवम बीमार कर्मियों को 2 लाख रुपये की मांग यह संगठन दिनांक २३ मई को तथा इसके पूर्व भी कर चुका है। सरकार की अपील पर गत वर्ष शिक्षको ने मुख्यमंत्री सहायता कोष में दिया।इसके अतिरिक्त कोविड 19 से बचाव के लिए माह जनवरी 2020, जुलाई 2020 व जनवरी 2021 से मंहगाई भत्ता की किस्तो की धनराशि का भुगतान भी रोक दिया गया है इस प्रकार बेसिक शिक्षको के अनावश्यक रूप से रोके गए महंगाई भत्ते की क़िस्त तकरीबन 22000 करोड़ से अधिक सरकार के कोष में आज़ भी जमा है।
शिक्षको द्वारा अपने कर्त्तव्यो का सत्यनिष्ठा से पालन करने के साथ कोरोना महामारी में निरंतर आर्थिक रूप से सहयोग भी किया है किंतु दुख का विषय है कि जिन शिक्षको ने कोरोना जैसे भयंकर महामारी में तन मन धन से अपने जान की बाज़ी लगाकर सरकार के कार्यो में जनता के बीच निरंतर सहयोग करने का काम किया।ऐसे वैश्विक महामारी में यह जानते हुए की संक्रमण से मृत्यु होना संभावित है बावजूद उसके उन्हें बिना किसी युक्तियुक्त सुरक्षा सामग्री पंचायत के चुनाव में लगाया गया परिणामस्वरूप अब तक तकरीबन 1630 से ज्यादा शिक्षकों की मृत्यु भी हो गयी है तथा अभी भी निरंतर कोरोना से मरने की सूचना अन्य जनपदों से प्राप्त हो रहीं है जो दुर्भाग्यपूर्ण है दूसरी तरफ बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा एलानिया तौर पर दिनांक 19/5/2021 को मात्र 03 शिक्षको की कोरोना से मृत्यु होने का बयान तमाम मीडिया चैनलों पर दिया गया जो अत्यंत दुःखद शर्मनाक और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने की नापाक कोशिश है, जिसे कामयाब नही होने दिया जाएगा।सरकार द्वारा कोष में जमा धनराशि के बावजूद मृतक पीड़ित परिवार को अभी तक मुआवजा की धनराशि उपलब्ध नही कराई है जो कष्टप्रद है उन्होंने आगे कहा कि कतिपय स्वयंभू संगठन द्वारा दिवंगत शिक्षकों शिक्षा मित्रों अनुदेशकों व कर्मचारियों के हित को दर किनार करने की साजिश के साथ प्रदेश के बेसिक शिक्षकों के एक दिन के वेतन कटौती का फरमान बिना किसी अध्यापक की सहमति के जारी करना किसी भी दशा में न्याय संगत और समीचीन नही है ऐसे संघठनों का इतिहास रहा है कि पहले संघर्ष की घोषणा की जाती है और बाद में शिक्षक हित को ताक पर रखकर संघर्ष को गुपचुप तरीके से वापस लेने की प्रक्रिया अपनाते हुए शिक्षको की भावनाओ के साथ खिलवाड़ किया जाता है जो किसी भी दशा में सर्वमान्य नही है और न ही किसी भी दशा में होने का सवाल ही उठता है उन्होंने आगे कहा कि यदि कोई शिक्षक स्वेच्छा से अपने शिक्षक परिवार की मदद कर रहे है तो ये उनकी अपनी मर्ज़ी है किन्तु कोई भी शिक्षक अपने वेतन से ऐसे किसी के उदघोष पर इस प्रकरण में अपने एक दिन के वेतन की कटौती पर सहमत नही है। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की हठ धर्मिता गलत और तुगलकी आदेश के अनुपालन में ही प्रदेश में 1630 से ज्यादा कर्मी काल के गाल में समा गए है उनको कमपनसेट करने आर्थिक सहायता मुआवजा एवम योग्यतानुसार आश्रित परिवार के एक सदस्य को प्राथमिकता के आधार पर नौकरी देने की वैधानिक रूप से सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व निर्वाचन आयोग की बनती है। प्रदेश अध्यक्ष साहू ने इस आशय का पत्र बेसिक शिक्षा महानिदेशक को लिखकर जनपद के समस्त जिलों के वित्त एवम लेखाधिकारी को शिक्षको के वेतन से इस परिप्रेक्ष्य में किसी भी प्रकार की कटौती न किये जाने के लिए आदेश जारी करने तथा बिना किसी युक्तियुक्त कारण से विगत 18 माह से शिक्षकों एवम कर्मचारियों पर लागू किये जाने वाले एस्मा कानून को वापस लिए जाने की मांग की है इस आशय का पत्र उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग को भी प्रेषित कर रखा है।