सोमवार, 19 अप्रैल 2021

रमज़ान का पैग़ाम-7(19-04-2021)


दुरुद पढ़ने वाले आसानी से होंगे जन्नत में दाखिल

वाराणसी(दिल इडिया लाइव)। रमज़ान की अज़मतों का क्या कहनाअल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने तमाम रहमतों और बरकतों को इस मुकद्दस महीने में नाज़िल फरमाया। माहे रमज़ान नफ्स पर नियंत्रण का महीना है। ऐसे तो हर दिन-हर रात दुरुद शरीफ पढ़ने का बेहद सवाब है मगर नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया है कि जो इंसान कसरत से इस पाक महीने में दुरुद शरीफ पढ़ेगा उसे बरोज़ कयामत पुलसिरात पर से आसानी से जन्नत में दाखिल कर दिया जायेगा। इसलिए इस महीने में दुरुद कसरत से पढ़ने वालों की तादाद बढ़ जाती है। इस महीने की 21, 23, 25, 27 व 29 तारीख शबे कद्र कहलाती है जो हज़ार महीनों की इबादत से भी बेहतर है। इन रातों में तमाम मुस्लिम खूब इबादत करते हैं। मोमिन 20 तरीख से ईद का चांद होने तक एतेकाफ पर बैठता है। पैगम्बरे इस्लाम नबी-ए-करीम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स.) फरमाते हैं कि जिसने रमज़ान का रोज़ा रखा और उसकी हुदूद को पहचाना और जिन गुनाहों से बचना चाहियेउससे वो बचता रहा तो उसकी वो गुनाह जो उसने पहले की है उसका कफ़्फ़ारा हो जायेगा रमज़ान का रोज़ा। अल्लाह हदीस में फरमाता है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। अल्लाह का मज़ीद इरशाद हैबंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। जब रोज़ा का दिन हो तो बेहूदा बातों से दूर रहें और बुराईयों से बचे। रोज़ा चूंकि अल्लाह के लिए हैतो रोज़ा रखकर बंदा अल्लाह को ही पा लेता है। तो फिर जानबुझ कर कोई बंदा क्यों अपना नुकसान करेगा। इस महीने में इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवरदिगार तू नबी-ए-करीम के सदके में हम सबको बक्श दे और रोज़ेदारों को ईद की खुशियों के साथ नेक इंसान बनने की तौफीक दे..आमीन।
  

     हाजी इम्तियाज़

{हज खिदमतगारवाराणसी}

रविवार, 18 अप्रैल 2021

'कंट्रोल रूम फाॅर कोविड, शुरु करेगी भाजपा

प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय में होगा हेल्प लाईन

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) वाराणसी के सांसद, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रविन्द्रपुरी एक्सटेंशन स्थित संसदीय जनसंपर्क कार्यालय में 19 अप्रैल से कंट्रोल रूम फार कोविड शुरू किया जाएगा। जिसके दो नंबर जारी किए जा रहें है जो क्रमशः लैंडलाइन नंबर 0542-2314000 और मोबाइल नंबर 9415914000 है। कोरोना संक्रमित मरीज या उनके परिजन 24 घंटे में कभी भी इन नंबरों पर फोन करके आवश्यकतानुसार अस्पताल में भर्ती, आक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाई आदि के साथ ही  कंट्रोल रूम में मौजूद डॉक्टरों से परामर्श भी ले सकेंगे। सभी जानकारी, सलाह व सहायता टेलीफोन के माध्यम से ही दी जाएगी।

लाकडाउन में भी कोरोना का बरपा कहर

वाराणसी में आज कोरोना से 10 कि मौत

कोरोना पाजिटिव हुए 1597

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। वाराणसी में कोरोना का कहर लाकडाउन के बावजूद बरपा। इसके चलते जहां दस लोगों की मौत हो गयी वही 1500 से भी ज्यादा लोग कोरोना पाजिटिव पाये गये। वाराणसी के प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी के अनुसार आज 18 अप्रैल को कोरोना के कुल 1597 पॉजिटिव मरीज मिले हैं, जबकि 1150 मरीज स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज कर दिये गये। वर्तमान में 14975 एक्टिव मरीज हैं, जबाकि राविवार को 10 मरीज की मौत हो गयी। वाराणसी में अब तक कोरोना महामारी से 437 लोग की मौत हो चुकी है।

रमज़ान का पैग़ाम-6(18-04-2021)

मुकद्दस रमज़ान: सवाब ही सवाब, बरकतें ही बरकत

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। जिस महीने में सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत अल्लाह बंदे पर निछावर करता है। उस मुकद्दस बेशुमार खूबियों वाले महीने को रमज़ान कहा जाता है। रमज़ान महीने का एक और सुन्नतों भरा तोहफा खुदा ने हमें सहरी के रूप में अता किया है। रोज़े में सहरी का बड़ा सवाब है। सहरी उस गिज़ा को कहते हैं जो सुब्ह सादिक से पहले रोज़ेदार खाता है। सैय्यदना अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि ‘‘नबी-ए-करीम (स.) सहरी के वक्त मुझसे फरमाते कि मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ। मैं कुछ खजूरें और एक बर्तन में पानी पेश करता।’ इससे पता यह चला कि सहरी करना बज़ाते खुद सुन्नत है और खजूर व पानी से सहरी करना दूसरी सुन्नत है। नबी ने यहां तक फरमाया कि खजूर बेहतरीन सहरी है। नबी-ए-करीम (स.) इस महीने में सहाबियों को सहरी खाने के लिए खुद आवाज़ देते थे। अल्लाह और उसके रसूल से हमें यही दर्स मिलता है कि सहरी हमारे लिए एक अज़ीम नेमत है। इससे बेशुमार जिस्मानी और रुहानी फायदा हासिल होता है। इसलिए ही इसे मुबारक नाश्ता कहा जाता है। किसी को यह गलतफहमी न हो कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है सहरी के बिना भी रोज़ा हो सकता है मगर जानबूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं है क्यों कि इससे रोज़ेदार एक अज़ीम सुन्नत से महरूम हो जायेगा। यह भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं है। कुछ खजूर और पानी ही अगर बानियते सहरी इस्तेमाल कर लें तो भी काफी है।


 रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर कियाउस पर अमल करते रहे वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया ‘‘तीन चीज़ों को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त महबूब रखता है। एक इफ्तार में जल्दीसहरी में ताखीर और नमाज़ के कि़याम में हाथ पर हाथ रखना।’ नबी फरमाते हैं कि इस पाक महीने को जिसने अपना लियाजो अल्लाह के बताये हुए तरीकों व नबी की सुन्नतों पर चल कर इस महीने में इबादत करेगा उसे जन्नत में खुदावंद करीम आला मुक़ाम अता करेगा। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़ेदार की सेहत दुरुस्त हो जाती है। रोज़ेदार अपनी नफ्स पर कंट्रोल करके बुरे कामों से बचा रहता है। ये महीना नेकी और मोहब्बत का महीना है। इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है क्यों कि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता हैइसलिए कि रब ने इस महीने को अपना महीना कहा है। ऐ पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की इबादतनबी की सुन्नतों पर चलने की व रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा..आमीन।
     

       हाफिज मौलाना शफी अहमद

{सदरअंजुमन जमात रजाए मुस्तफाबनारस}

रमज़ान हेल्पलाइन :आपके सवाल का जवाब दे रहे मुफ्ती साहब

ख्वातीन के मस्जिद में एतेकाफ करने का क्या तरीका हैं?


वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। शमीमा ने बजरडीहा से फोन किया क्या ख्वातीन मस्जिद में एतेकाफ कर सकती हैं? अगर हाँ, तो उसका तरीक़ा क्या है? इस सवाल पर उलेमा ने जवाब दिया कि ख्वातीन को मस्जिद में एतेकाफ का हुक्म नहीं हैखास कर अहले सुन्नत वल जमात से इत्तेफाक रखने वाली ख्वातीन को। ख्वातीन घर के एक हिस्से में एतेकाफ पर बैठ कर परवरदिगार की इबादत कर सकती हैं।जौनपुर से मो. वाज़े ने फोन किया कि रोज़े की हालत में सिर पर तेल का इस्तेमाल किया तो रोज़ा होगा या नहींजवाब में उलेमा ने कहा कि तेल लगानेसुरमा लगानेखुशबू सूंघने से रोज़ा नहीं टूटता ये पहले भी बताया जा चुका है। चोलापुर से अंसार ने सवाल किया कि रात में सो गया सहरी में नींद नहीं खुलीइसलिए कुछ सहरी नहीं कर सकाआंख खुली तो सुबह हो गयी थीबिना सहरी के ही मैं रोज़ा रह गयामेरा रोजा हुआ या नहींजवाब था किजी हां रोज़ा हो जायेगासहरी करना सुन्नत है अनजाने में सहरी छूट गयी तो कोई हर्ज नहीं है। हां जान बूझ कर सेहरी छोड़ना सख्त मना है। रमज़ान हेल्प लाईन में आये सवालो का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबीमौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई

इन नम्बरों पर बात करके आप अपनी दुश्वारी का हल निकाल सकते हैं। मोबाइल नम्बर ये है- 9415996307, 9450349400, 9026118428,  9554107483

शनिवार, 17 अप्रैल 2021

रमज़ान का पैगाम-5(17-04-2021)


रोज़ेदार करता है रमज़ान में अपनी नफ्स पर कंट्रोल

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। रब फरमाता है रमज़ान मेरा महीना है। इसका बदला मैं ही दूंगा। यही वजह है कि बंदा ग्यारह महीना तो अपनी तरह गुज़ारता है मगर एक महीना वो पूरी तरह अल्लाह के बताये तरीक़ों और रास्तों पर चलकर गुज़ारता है तो रब भी राज़ी हो जाता है। इसलिए मोमिनीन को चाहिए कि वो किसी को दुख न देंपूरे महीने इबादत करें। यह पाक महीना कसरत से नमाज़ अदा करनेकुरान की तेलावतलोगों की गलतियां माफ करने में गुज़ारना चाहिएसाथ ही इस महीने में ज़कातखैरात व फितरा देकर इबादतगुज़ार अपना रोज़ा पाक-साफ तो करता ही है साथ ही दूसरों की मदद करके गरीब मोमिन की ईद भी हंसी-खुशी करा देता हैं। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़दार की सेहत भी दुरुस्त हो जाती है और वो बुरे कामों से बचा रहता है। रोज़ेदार रमज़ान में अपनी नफ्स पर कट्रोल करता हैदुनिया की तमाम लज़्ज़तो से बचता हुआ अपने रब के लिए दिन भर भूखा प्यासा रहता है और शाम में रोज़ा इफ्तार करके रब का शुक्र अदा करता है। रोज़ा रोज़ेदार की इस्लाह करता है और नेकी की राह दिखाता है। नबी-ए-करीम (स.) ने इसे इबादत और सब्र का महीना बताया। रमज़ान के रोज़े सौहार्द की मिसाल हैं। इस महीने मुस्लिम के साथ ही बड़ी तादाद में गैर मुस्लिम भी रोज़ा रखते हैं। रहमतमगफिरत और जहन्नुम से आज़ादी के 10-10 दिन के रब ने तीन अशरे तय किये हैं। इन अशरों में बंदा अपने रब की खूब इबादत करता हैं। इसलिए इसे फायदे और मुनाफे का भी महीना कहते हैं। जो अक्लमंद हैं वो पूरे महीनें बड़ी संजीदगी से रोज़ा रखनेइबादत करने और गरीबों को खैरातजकातफितरा देने में गुज़ारता है। अल्लाह का नेक बंदा किसी भी तरह से इबादत करके मुनाफा लेना चाहता है। वो समझता हैं कि इस महीने अपने मुनाफे में बढ़ोतरी करेंक्यों कि इस महीने में अल्लाह रब्बुल इज्ज़त इबादत के फायदे 70 गुना तक ज्यादा कर देता हैं। तो फिर जानबुझ कर कोई बंदा क्यों अपना घाटा करेगा। जो शक्स पूरे महीने इबादत करेगाअपनी नमाज़े वक्त पर अदा करेगातहज्जुद में उठकर नमाज़े अदा करेगातरावीह पढ़ेगा और सब्र करेगाउसे इनाम के तौर पर जिंदगी में ईद अता फरमाई जायेगा व आखिरत में उसे जन्नत में जगह मिलेगी। क्यों कि ईद उसी की है जिसने पूरे महीने इबादत कीनफ्स पर कंट्रोल किया। किसी को दुख नहीं दियाकिसी तरह का झगड़ा नहीं किया। या रब नबी-ए-करीम के सदके और तुफैल में हम सबको रमज़ान का रोज़ा रखने और पांचों वक्त नमाज अदा करने की तौफीक अता फरमा..आमीन।

       हाफिज़ नसीम अहमद बशीरी

(इमाम शाही मस्जिद ढाई कंगूरावाराणसी)

रमज़ान हेल्प लाइन: सवाल आपके जवाब दे रहें मुफ्ती साहब

रोज़े की नियत रात और दिन की एक ही है या अलग अलग?

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रामनगर से फिरोज़ ने सवाल किया, मुफ्ती साहब, क्या रोज़े की नियत रात और दिन की एक ही है या अलग अलगइस पर उलेमा ने कहा कि सुबह सादिक से पहले की नियत है बिस्सौमी गदीन नवैईतु मिन शहरी रमज़ान। और अगर सूरज निकलने के बाद से ज़वाल के पहले नियत करें तो पढ़ेनवैईतू अन असूमा हाज़ल यौमा लिल्लाही तआला मिन फ़रदी रमज़ान।

भदोही से तारिक ने पूछा, मुफ्ती साहब रोज़ा रखकर अगर कोई रोज़ेदार आंखों में काजल लगाता है तो शरियत का उसके लिए क्या हुक्म है? जवाब में उलेमा ने कहा कि रोज़े की हालत में काजल लगाने से रोज़ेदार को बचना चाहिए। क्यों कि रोज़ेदार जब आंखों में काजल लगाता है तो काजल का असर हलक में पता चलता हैऐसे में हुक्म यह है कि काजल रोज़े की हालत में लगाने से बचा जायेहालांकि अगर कोई रोज़ेदार काजल लगाये हुए है तो रोज़े पर उसका कोई असर नहीं पड़ेगा मगर शरियत में बचने का हुक्म है। 

रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई

रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद हैं। इन नम्बरों पर बात करके आप अपनी दुश्वारी का हल निकाल सकते हैं। मोबाइल नम्बर ये है-: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483 

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भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...