मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

Sultan club के इफ्तार पार्टी में दिखी एकता की मिसाल

रोज़ा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है: मौलाना आखिर नोमानी 



Varanasi (dil india live)। सामाजिक संस्था" सुल्तान क्लब"की जानिब से रसूलपुरा बड़ीबाजर स्थित कार्यालय में मंगलवार को इस वर्ष भी रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन संस्था अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशमुल हक की अध्यक्षता व सचिव जावेद अख्तर के संचालन में किया गया।

       इफ्तार पार्टी में मुल्क व मिल्लत और अमन भाई चारे के लिए दुआ का एहतमाम किया गया। मगरिब की अज़ान की सदा ज्योंही गूंजी सभी सदस्यों ने खजूर से रोज़ा खोला,दस्तरख्वान पर तरह तरह के व्यंजन परोसे गए थे,और काशी की गंगा जमुनी तहजीब जैसा नजारा दिख रहा था।इस अवसर पर मुख्य अतिथि मौलाना अब्दुल आखिर नोमानी इमाम ईदैन शाही जामा मस्जिद ज्ञानबापी ने मगरिब की नमाज़ पढ़ाने के बाद कहा कि रोज़ा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है बल्कि तमाम बुराई से बचने का नाम रोज़ा है,जिस प्रकार हम बहुत सारे बुराई से इस माह में बचते हैं इसी प्रकार वर्ष के ग्यारह महीने भी हमें तमाम बुराइयों से बचना है,यह माह ट्रेनिंग लेकर आता है। रोज से कई बीमारी दूर भागती है,चिकित्सकों का भी कहना है कि स्वास्थ्य रहने के लिए मनुष्य को प्रत्येक माह कुछ रोज़ा (व्रत्त) जरूर रहना चाहिए।

       इस अवसर पर मुख्य अतिथि मौलाना अब्दुल आखिर नोमानी इमाम ईदैन शाही जामा मस्जिद ज्ञानवाप,सुल्तान क्लब के अध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक, उपाध्यक्ष महबूब आलम व अजय कुमार वर्मा, महासचिव एच हसन नन्हें, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज़, सचिव जावेद अख्तर, मौलाना अब्दुल्ला, अबुल वफ़ा अंसारी, मुख्तार अहमद, नसीमुल हक, मुहम्मद इकराम, हाफिज मुनीर, गुलाम मुनीर, हाजी नज़ीर, सुलेमान अख्तर, हाजी मोईउद्दीन, हाजी इकबाल, शमीम रज़ा, इम्तियाज इत्यादि थे।

सोमवार, 10 अप्रैल 2023

सजा Millat ka iftar


Varanasi (dil india live). दालमंडी स्थित सैयद अब्बास हुसैन के आवास पर मुर्तुजा अब्बास शमशी की कयादत में मिल्लत का इफ्तार सजा। रोजा इफ्तार दावत में वाराणसी के सभी धर्मों और मसलक के लोग उपस्थित हुए और अपने तरीके से इफ्तार दावत का लुत्फ उठाया। रमजान की 18 तारीख को तकरीबन 50 वर्षों से रोजा इफ्तार का कार्यक्रम यहां किया जाता है। इस कार्यक्रम में राघवेंद्र चौबे, आगा कमाल, प्रजा नाथ शर्मा, अतीक अंसारी, शांतनु राय, बच्चन अफजाल अंसारी, फरमान हैदर,  असलम खान, मोहम्मद सलीम, शकील अहमद जादूगर, डॉक्टर कबबन हुसैन, शकील अहमद, अनिल श्रीवास्तव अनु, एडवोकेट इकबाल हुसैन, हाजी इस्लाम आदि मौजूद थे। शुक्रिया सैयद अब्बास मुर्तजा फिरदौसी ने कहा। 

गुनाहों की माफी का बेहतरीन महीना है रमजान


बायोनेक फार्मास्यूटिकल प्रा लि की ओर से  संजय नगर कॉलोनी, काटन मिल में एक सामूहिक रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया। शाम को अजान की सदा जैसे ही बुलंद हुई लोगों ने खजूर से रोजा इफ्तार की शुरुआत की। इफ्तार के बाद   मुफ्तिए शहर बनारस मुफ्ती अब्दुल बातिन्न साहब ने नमाज पढ़ाई, और उन्होंने मुल्क में गंगा जमुनी तहजीब व  मुल्क में अमन शान्ति के लिए दुआ भी कराई, उन्होंने कहा की रमजान एक मुकद्दस पाक महीना है अल्लाह ने हम सबको अपने गुनाहों की माफी का महीना दिया है ,इसकी हम सबको कदर करनी चाहिए, और बुराइयों से बचना चाहिए। बायोमेक के डायरेक्टर श्री फैयाज अहमद खान ने आए हुए तमाम लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।

   इस मौके पर इफ्तार पार्टी में मॉडर्न पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल अब्दुल वफ़ा अंसारी, जमीअतुल अंसार के सेक्रेटरी इशरत उस्मानी, प्रेसिडेंट डाक्टर रियाज अहमद, डाक्टर मोहम्मद आरिफ, डॉक्टर नसीम, डाक्टर मोहम्मद इब्राहिम, डॉक्टर अर्सलान, डॉक्टर आसिफ, डाक्टर एहतेशामुल हक, डाक्टर लियाकत, डॉक्टर नियमुतुल्लाह,मौलाना निजाम,मुख्तार अहमद,सभासद रमजान अली और सामाजिक कार्यकर्ता के साथ साथ इलाके के काफी लोग मौजूद थे।

रविवार, 9 अप्रैल 2023

World homoeopathic day (10 april)

मीठी गोलियां नहीं किसी से कम, बच्चों का नहीं फूलने देती दम

 • निमोनिया ही नहीं अन्य बीमारियों में भी कारगर है होम्योपैथी

 • बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने में भी होती है मददगार


Varanasi (dil india live). होम्योपैथ की नन्हीं-मिठी गोलियों को किसी से कम न आकिये। यह सिर्फ बड़ों में ही नहीं बच्चों की बीमारियों में भी बेहद कारगर होती हैं। बच्चों को निमोनिया होने पर होम्योपैथ की गोलिया पसली चलने से तो रोकती ही है उनकी इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मददगार होती हैं। होम्योपैथ की दवाएं रोगों को जड़ से खत्म करती है और उनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। होम्योपैथी के प्रति जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. हैनीमैन के जन्मदिवस दस अप्रैल को हर वर्ष ‘विश्व होम्योपैथी दिवस’ के रूप में मनाते हैं।

होम्योपैथी विभाग के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. मनीष त्रिपाठी बताते हैं कि होम्योपैथ की दवाएं संक्रामक के साथ ही गैर संक्रामक बीमारियों में भी असरकारी होती हैं। वैसे तो यह सभी के लिए उपयोगी है लेकिन बच्चों व महिलाओं के उपचार में होम्योपैथी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। वह बताते हैं कि मौसम में परिवर्तन के साथ ही छह माह से अधिक के शिशुओं में निमोनिया अथवा स्वांस से सम्बन्धित रोगों की समस्याएं अधिक होती हैं। इसके अलावा दांत निकलते समय भी उन्हें परेशानियां होती हैं। दस्त व उल्टी से भी वे अक्सर ही परेशान रहते हैं। बच्चों की इन सभी बीमारियों में होम्योपैथ बेहद ही असरकारी होता है। खास कर निमोनिया व स्वांस सम्बन्धित रोग होने पर बच्चों का दम नहीं फूलने देता है। वह बताते है कि छह माह से अधिक के बच्चों को चिकित्सक के परामर्श से अगर होम्योपैथ की दवाएं दी जाएं तो वह उनके इम्यूनिटी को बढ़ाने में मददगार होती है। इससे बच्चे स्वस्थ तो रहते ही है जल्दी बीमार भी नहीं पड़ते है।

डॉ. मनीष बताते हैं कि होम्योपैथ के प्रति लोगों का झुकाव कितनी तेजी से बढ़ा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में स्थिति होम्योपैथ के कुल 15 राजकीय होम्योपैथ चिकित्सालयों में एक वर्ष के भीतर दो लाख  से अधिक मरीज देखे जा चुके हैं। इनमें 30 प्रतिशत बच्चे व 40 प्रतिशत महिलाएं शामिल रही। होम्योपैथ के ये राजकीय होम्योपैथ चिकित्सालय हरहुआ, मुनारी, ह्दयपुर, हिरामनपुर, गोबरहां, नैपुरकला, सीओ, सुल्तानीपुर, कैथी, कोटवा, महगांव के अलावा भेलूपुर, रामनगर, राजघाट व पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय पाण्डेयपुर में हैं। 

डॉ.  मनीष के अनुसार एलोपैथ, आयुर्वेद तथा प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों की ही तरह होम्योपैथी की भी अपनी अलग विशेषताएं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण आज होम्योपैथी विश्वभर में 100 से भी अधिक देशों में अपनाई जा रही है। वह कहते हैं कि होम्योपैथ की दवाओं के बारे में आम तौर पर गलत धारणा है कि इनका असर रोगी पर धीरे-धीरे होता है लेकिन इस चिकित्सा प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह रोगों को जड़ से दूर करती है और इन दवाओं के साइड इफेक्ट भी नहीं के बराबर होते हैं।

Ramadan Mubarak : 17

दिलों को जोड़ने का ज़रिया हैं रमजान के रोज़ा 


Varanasi (dil india live)। मुकद्दस रमज़ान का रोज़ा दिलों को जोड़ने का ज़रिया हैं। माहे रमज़ान हिन्दू-मुस्लिम एकता और सौहार्द की मिसाल है। रमजान के रोज़े के बहाने एक दस्तरखान पर दोनों कौम के लोग एक-दूसरे के नज़दीक आते हैं। मुस्लिम कल्चर और तहज़ीब में वो टोपी, कुर्ता पहन कर इस तरह से घुल मिल जाते हैं कि उनमें यह पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि कौन मुस्लिम है या कौन हिन्दू। यही नहीं बहुत से ऐसे हिन्दू हैं जो रोज़ा रखते हैं, बहुत से ऐसे गैर मुस्लिम है जो रोज़ा रखने के साथ ही साथ मुस्लिम भाईयों को रोज़ा इफ्तार की दावत देते हैं। ये सिलसिला रमज़ान के बाद बंद नहीं होता बल्कि ये पूरे साल किसी न किसी रूप में जारी रहता है, चाहे वो ईद हो बकरीद हो, दशहरा, दीपावली व होली आद।, इन त्योहारों को तमाम लोग एक साथ मनाते हैं। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे तौफीक देता है। आखिर क्या वजह है कि रमज़ान में ही इतनी इबादत की जाती है? दरअसल इस महीने को अल्लाह ने अपना महीना करार दिया है, रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। यही वजह है कि एतेकाफ से लेकर तमाम इबादतों में सोने को भी रब ने इबादत में शामिल किया है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सब मुसलमानों को रोज़ा रखने, दीगर इबादत करने, और हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे और हम सबकी हर नेक तमन्ना व जायज़ ख्वाहिशात को पूरा कर दे..आमीन।

         जुबैर अहमद

(सामाजिक कार्यकर्ता, वाराणसी)

Ramadan help line: एतेकाफ फर्ज़ है या वाजिब

आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं उलेमा 


Varanasi (dil india live)। रमज़ान हेल्प लाइन में शरीफ खां ने फोन किया हुकुलगंज से, मुफ्ती साहब एतेकाफ रखना फर्ज़ है या वाजिब? उलेमा ने कहा कि एतेकाफ न फर्ज है और न ही वाजिब, बाल्कि एतेकाफ सुन्नते कैफाया है। हाजी इब्राहिम ने सरैया से फोन किया, एतेकाफ का मायने क्या हैं? एतेकाफ के बारे में खास जानकारी दें। उलेमा ने कहा कि एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत में बैठना या खुद को अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना है। 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ कर देते है जिसका नाम एतेकाफ है। एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानी मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार होगा और पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। 

रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई

9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

Google search engine में देखें ईस्टर की कहानी

जब Yeshu मौत को मात देकर जी उठे 



aman

Varanasi (dil india live) Easter कि कहानी गूगल सर्च इंजिन में मौजूद है। आप अगर ईस्टर की जानकारी नहीं रखते हैं और जानकारी लेना चाहते हैं तो यह लेख पढ़  और ज्यादा जानना चाहते है तो Google search engine में खोजें। यूं तो ईस्टर जानने के लिए गुड फ्राइडे को जानना भी जरूरी है। दरअसल ईसा मसीह के चमत्कारों से डरकर रोमन गवर्नर पिलातुस ने उन्हें यरुशलम के पहाड़ पर घोर यातनाएं देकर क्रूस पर चढ़ा दिया था। क्रूस पर चढ़ाया जाने वाला दिन शुक्रवार था। दुनिया को पापों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रभु यीशु ने अपना बलिदान दिया था इसलिए इस दिन को पुण्य शुक्रवार या गुड फ्राइडे कहा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद प्रभु यीशु फिर जीवित हो उठे थे। बाइबल के मुताबिक, रोमी सैनिकों ने ईसा को कोड़ों से मारा। उनके सर पर कांटों का ताज सजाया और उन पर थूका। पीठ पर अपना ही क्रॉस उठवा कर, उन्हें उस पहाड़ी पर ले जाया गया, जहां उसी क्रॉस पर उन्हें लटका दिया गया। ईसाई धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार, सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन यीशु दिन जी उठे थे। इसी की खुशी में ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार मनाया जाता है। परंपरागत रूप से यह पर्व 40 दिनों तक चलता है जो ईस्टर संडे के दिन ख़त्म होता है। गुड फ्राइडे को लोग जहां शोक मनाते हैं, वहीं ईस्टर पर खुशियां लौट आती हैं। ईस्टर के दिन लोग चर्च और घरों में मोमबत्तियां जलाते हैं और इस दिन ईस्टर लंच का आयोजन भी किया जाता है।

ईस्टर पर लौटती है खुशियां

हजारों साल पहले इंसानियत के दुश्मनों ने प्रभु यीशु को क्रूस पर लटका दिया था। हर कोई इस क्रूर हादसे से सहम गया। शुक्रवार को हुए इस हादसे के बाद अचानक रविवार यानी ईस्टर को प्रभु यीशु फिर से जी उठे। मातम की घडि़यां खत्म हुई और हर तरफ खुशियों की लहर दौड़ गयी। प्रभु जी उठे हैं। अब हमारे दुखों का अंत होगा। कहीं भी कोई रोता बिलखता नहीं दिखेगा। हर किसी के मन में ऐसे ही जज्बातों का समंदर उमड़ता दिखता है।

आराधना में जुटे मसीही 

ईस्टर संडे को चर्जेज में स्पेशल प्रेयर का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में मसीही समुदाय के लोग शामिल हुए। वे सुबह सुबह अपने हाथों में कैंडिल लेकर चर्च पहुंचे और वहां प्रेयर किया। सेंट मेरीज महागिरजा बिशप यूजीन जोसेफ, लाल गिरिजा में पादरी संजय दान, सेंट पाल चर्च सिगरा में पादरी सैम जोशुआ सिंह, सेंट थॉमस चर्च गौदोलिया में पादरी न्यूटन स्टीवन, बेथेलफुल गोस्पल चर्च में पास्टर एंड्रू थामस, ईसीआई, चर्च सुंदरपुर में पास्टर नवीन ज्वाय व पास्टर दशरथ पवार, चर्च आफ बनारस में पास्टर बेनजान, रामकटोरा चर्च में पादरी आदित्य कुमार ने आराधना करायी और ईस्टर के महत्व पर प्रकाश डाला। तेलियाबाग चर्च, फातेमा चर्च, सेंट फ्रांसिस आफ असीसी चर्च सहित अन्य चर्चेज में भी प्रार्थना सभा का खास आयोजन किया गया। घरों और चर्चेज में लोगों ने प्रभु के जी उठने की खुशी में एक से बढ़कर कैरोल गाया। मसीही समुदाय के लोग अपने प्रियजनों की कब्रों पर श्रद्धा के फूल भी अर्पित करते दिखाई दिए।

मध्यरात्रि से ही शुरू हुआ जश्न 

प्रभु यीशु के जी उठने की खुशी में चर्चेज से लेकर घरों तक आकर्षक सजावट की गयी है। हर तरफ लोग खुशियां मनाते-बांटते दिखेंगे। सडे को जहा ईस्टर बन व एग खिला कर लोग एक दूसरे को मुबारकबाद देते दिखाई दिए, वही ईस्टर का जश्न सेंट मेरीज़ महागिरजा समेत तमाम चर्चेज में भी यीशु के जी उठने कि खुशी में मध्यरात्रि से ही शुरू हो गया।। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी में फेस्टिवल का उत्साह दिखाई दिया। 

शनिवार, 8 अप्रैल 2023

Dav pg College में मी टू पर व्याख्यान में बोली डॉ. अरूंधति

मी टू छवि खराब करने का मंच नहीं, एक आन्दोलन 



Varanasi (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में संचालित जेन्डर एवं सोसाइटी कोर्स के अन्तर्गत शनिवार को समसामयिक लैंगिक विमर्शः मी टू से जुड़े मिथकों पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता एमिटी विश्वविद्यालय, पटना में अंग्रेंजी विभाग की असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ. अरूंधति शर्मा ने मी टू सिर्फ एक शब्द नही है और ना ही यह किसी शख्शियत की छवि को खराब करने का जरिया बल्कि यह एक आन्दोलन है जिसका उद्देश्य समाज में सफेदपोश का नकाब ओढ़कर अनैतिक कृत्य को अंजाम देने वालो को बेनकाब करना है।

समाज में यह भ्रान्ति फैल गयी है कि मी टू आन्दोलन सिर्फ पुरूषों को बदनाम करने के लिए चलाया जाता है बल्कि वास्तविकता इससे उलट है। मी टू केवल महिलाओं की आवाज तक सीमित नही है, इस मंच का प्रयोग पुरूष भी अपने विरूद्व हुए लैंगिक उत्पीड़न के लिए करते है। डॉ. अरूंधति ने यह भी कहा कि हालांकि मी टू आन्दोलन उन महिलाओं के लिए बड़ा हथियार बन पाया जो समाज में सार्वजनिक रूप से अपने विरूद्ध हुए उत्पीड़न को व्यक्त नही कर सकती थी।

अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. विक्रमादित्य राय ने कहा कि आरंभ से ही मी टू को महिलाओं से ही जोड़ कर देखा गया है, यह सिर्फ एकपक्षीय आवाज नही है वरन पुरूष भी इस मंच का भरपूर इस्तेमाल कर रहे है। संचालन डॉ. सुष्मिता शुक्ला एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नेहा चौधरी ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. हसन बानो, डॉ. सुषमा मिश्रा सहित अन्य अध्यापक, शोधार्थी, एवं छात्र - छात्राएं शामिल रहे।

Om Prakash Rajbhar बोले आदर्श समाज के निर्माण में स्काउट गाइड का योगदान सराहनीय

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...