रात भर चला नातिया कलाम का दौर, हुई नबी की चर्चा
Varanasi (dil india live). रविवार को ईद मिलादुन्नबी (पैगंबर हजरत साहब के जन्म दिन) पर निकले जुलूसे मोहम्मदी में आपसी सद्भाव और देश प्रेम का जज्बा देखने को मिला। शहर में निकले जुलूस में शामिल लोग इस्लामिक झंडे के साथ राष्ट्रध्वज भी लहराते हुए चल रहे थे। इसमें हिंदू भाइयों ने भी बढ़-चढ़ कर सहयोग किया। रात भर मुस्लिम इलाकों में नातिया कलाम का भी दौर जारी रहा। इस दौरान वरुणा पार के अर्दली बाजार में अंजुमन फैजाने नूरी की ओर से दो दिवसीय जलसा वह नातियां मुशायरा मिल्लत की नज़ीर पैश करता दिखाई दिया। यहां पर एक और खाने काबा का दीदार हुआ वहीं दूसरी हो बुर्ज खलीफा का खूबसूरत मॉडल सजाया गया था साथ ही इस्लामी झंडू के साथ शानदार देश की आन बान और शान तिरंगा भी लहराता दिखाई दिया। शायद इसे ही देश की गंगा जमुनी तहजीब का अद्भुत नजारा कहा जाता है। यहां हिंदू मुस्लिम एक साथ कंधे से कंधा मिलाएं खड़े नजर आये।
ईद मिलादुन्नबी पर निकलने वाला यह पूर्वांचल का सबसे बड़ा जुलूस है। इसमें वाराणसी के साथ ही आसपास के जिलों के लोग भी शामिल होते है। इसके चलते रविवार को लाखों की संख्या में लोग जुलूस में शामिल हुए। हाथों में इस्लामिक और तिरंगा झंडा था तो लबों पर सरकार की आमद मरहबा और नार-ए-तकबीर और नारे रेसालत के नारे थे।
इससे पूर्व रेवड़ी तालाब मैदान से सुबह 7.30 बजे जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया। जुलूस रविंद्रपुरी, शिवाला, मदनपुरा, मैदागिन, कबीरचौरा होते बेनियाबाग पहुंच कर सभा में परिवर्तित हो गया। मरकज़ी दावते इस्लामी जुलूस कमेटी का जुलूस बेनियाबाग मैदान पहुंचा। जहां पर मौलाना अब्दुल हादी खान हबीबी की सदारत व मौलाना कौसर रब्बानी जबलपुर के मुख्य आतिथ्य में जलसा हुआ जिसका संचालन मौलाना हसीन अहमद हबीबी कर रहे थे। तकरीर और दुआ के साथ जुलूस समाप्त हो गया। तकरीर में पैगंबर साहब के जीवन के बारे में बताया गया और उनके द्वारा बताए गए रास्तों पर चलने की बात कही गई। इसके अलावा देश और दुनिया में अमन और शांति के लिए दुआ की गई। शुक्रिया अबु ज़फ़र रिजवी ने दिया।
इसके पहले देर रात से रेवड़ी तालाब, मदनपुरा, दालमंडी, नई सड़क, अर्दली बाजार आदि जगहों पर जगह-जगह लगे स्टेज पर अंजुमनों ने नातिया कलाम पेश किया। नबी की शान में पेश किए गए नातिया कलाम में विजेता अंजुमनों को इनाम भी दिया गया।
12 रबीउल अव्वल को पैदा हुए थे प्यारे नबी
पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब का जन्म इस्लामिक माह रबीउल अव्वल की 12 तारीख को हुआ था। इस दिन को ईद मिलादुन्नबी, यौमुन्नबी या विलादत-ए-नबी के नाम से पुकारा जाता है। इस दिन को जश्न के रूप में मनाते हैं। घरों पर हरी झंडियां लगाई जाती हैं, जुलूस निकलते है और पूरे रबीउल अव्वल माह में जलसों का आयोजन होता है।