गुरुवार, 20 जनवरी 2022

लक्ष्य के मुताबिक हर किसी को लगी कोविड टीके की पहली डोज

कोविड की पहली डोज़ का आंकड़ा पहुंचा 100 प्रतिशत

एक साल में 50 लाख से अधिक डोज लग चुकी है टीके की  

जिले में गुरुवार को 43,176 लाभार्थियों को लगा टीका

गुरुवार को 13,136 लोगों को पहली व 28,348 लोगों को लगी दूसरी डोज़

वाराणसी, 20 जनवरी (dil india live) जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देशन में जिले में कोविड-19 टीकाकरण का महा अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। इसी कड़ी में  जनपद कोरोना की पहली डोज़ लगाने में 100 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल कर चुका है। कुछ दिवस पूर्व जनपद ने टीके की 50 लाख  डोज़ लगाने की उपलब्धि हासिल की थी। 

इस उपलब्धि के लिए जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों की सराहना की है। उनका कहना है कि लगातार प्रयास कर दूसरी डोज़ की  भी जल्द से जल्द शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल करें। जिलाधिकारी ने  इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि 15 से 17 वर्ष के किशोर-किशोरियों के टीकाकरण लक्ष्य को भी जल्द से जल्द हासिल करना है, इसके लिए सभी लोग हरसंभव प्रयास करें |        

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि जिले में गुरुवार को कोरोना की पहली डोज़ का आंकड़ा 100 फीसदी पहुँच चुका है। जनपद में गुरुवार को 43,176 लाभार्थियों का टीकाकरण किया गया। *इसके साथ ही जिले में एक साल में 29,79,345 (100.3%) पहली डोज़ एवं 19,20,499 (64.6%) दूसरी डोज़ लग चुकी है। इस तरह से जिले में टीके की कुल 50,96,707 डोज़ लग चुकी हैं। एक साल में 26,71,064 पुरुषों व 24,12,542 महिलाओं को कोविड टीके की डोज़ लगाई गईं। अब वाराणसी जनपद कोरोना की पहली डोज़ से शत-प्रतिशत प्रतिरक्षित हो चुका है। 

इस उपलब्धि के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों, हेल्थ केयर व फ्रंटलाइन वर्कर सहित अन्य विभागों और संस्थाओं द्वारा दिये गए अहम योगदान की प्रशंसा की और उन्हें धन्यवाद दिया है । इसके साथ ही उन्होने उम्मीद जताई है कि इसी तरह उत्साहपूर्वक कार्य करते हुये टीकाकरण के अन्य लक्ष्य को भी जल्द ही प्राप्त करेंगे। 

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ वीएस राय ने बताया कि गुरुवार को जिले के विभिन्न टीकाकरण केन्द्रों पर आयोजित 596 सत्रों में कुल 43,176 लाभार्थियों का टीकाकरण किया गया, जिसमें 13,136 लाभार्थियों को प्रथम डोज तथा 28,348 लाभार्थियों को दूसरी डोज एवं 1,692 लोगों को प्रीकाशनरी डोज़ का टीका लगाया गया। इस क्रम में 15 से 17 वर्ष के 4,254 लाभार्थियों को, 18 से 44 वर्ष के 27,236 लाभार्थियों को, 45 से 59 वर्ष के 6,459 लाभार्थियों एवं 60 वर्ष से ऊपर के 3,481 लाभार्थियों को कोरोना का टीका लगाया गया।

इसके साथ ही जिले में एक साल में 18 से 44 वर्ष के 31,66,270 व 45 से 59 वर्ष के 10,19,093 एवं 60 वर्ष से ऊपर के लोगों में कुल 5,62,820 कोरोना डोज़ लग चुकी हैं। तीन जनवरी से अब तक 15 से 17 वर्ष के 1,83,810 (71.3%) किशोर-किशोरियों को पहली डोज़ लग चुकी हैं। वहीं 10 जनवरी से अब तक 13,053 प्रीकॉशनरी डोज़ लगाई जा चुकी हैं।

मंगलवार, 18 जनवरी 2022

वाराणसी ने हासिल की 50 लाख कोविड डोज़ लगाने की बेमिसाल उपलब्धि

जिले में 38,576 लाभार्थियों को लगा कोविड का टीका

15,431 लोगों को पहली व 21,711 लोगों को लगी दूसरी डोज़

वाराणसी, 18 जनवरी (dil india live)।  मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल एवं जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देशन में जिले में कोविड-19 टीकाकरण का महा अभियान चरणबद्ध तरीके से चल रहा है। इस क्रम में जनपद मे मंगलवार को जिले में करीब 38,576 लाभार्थियों का टीकाकरण किया गया। इसी के साथ वाराणसी ने मंगलवार को 50 लाख से अधिक कोविड डोज़ लगाने की बेमिसाल उपलब्धि हासिल कर ली है। इस उपलब्धि के लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों और संस्थाओं ने अपना अहम योगदान दिया है, जो काफी सराहनीय है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि मंगलवार को जिले के विभिन्न टीकाकरण केन्द्रों पर आयोजित 613 सत्रों में कुल 38,576 लाभार्थियों का टीकाकरण किया गया, जिसमें 15,431 लाभार्थियों को प्रथम डोज तथा 21,711 लाभार्थियों को दूसरी डोज एवं 1,434 लोगों को प्रीकाशनरी डोज़ का टीका लगाया गया। इस क्रम में 15 से 17 वर्ष के 5,841 लाभार्थियों को, 18 से 44 वर्ष के 23,545 लाभार्थियों को, 45 से 59 वर्ष के 5,187 लाभार्थियों एवं 60 वर्ष से ऊपर के 2,511 लाभार्थियों को कोरोना का टीका लगाया गया।

      सीएमओ ने बताया कि अभी तक जिले में कुल 50,03,423 कोरोना डोज़ लगाई जा चुकी हैं। इसमें से 29,58,872 (99.6%) पहली डोज़ व  18,60,259 (62.6%) दूसरी डोज़ एवं 1,0,065 प्रीकॉशनरी डोज़ लगाई जा चुकी हैं। इसके साथ ही अब तक 1,74,228 (67.6%) किशोरों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है।

घर पर ही सही देखभाल से कोरोना को दें मात

इंटीग्रेटेड कमांड व कंट्रोल सेंटर से रखी जा रही निगरानी, मिल रहा परामर्श

Himanshu Rai 

गाजीपुर 18 जनवरी (dil india live)। कोविड-19 के मामले बढ़ जरूर रहें हैं लेकिन पहली दो लहर जैसी गंभीर स्थिति संक्रमितों में इस बार नहीं देखी जा रही है । बहुत से लोगों में तो कोई खास लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, फिर भी उनकी रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है । ऐसी स्थिति में घर पर ही रहकर कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए और स्वास्थ्य महानिदेशालय से जारी दवाओं का सेवन करते हुए कोरोना को आसानी से मात दिया जा सकता है । इसके साथ ही सरकार द्वारा कोविड की जांच, उपचार और रेफर के लिए बनाए गए इंटीग्रेटेड कमांड व कंट्रोल सेंटर से संक्रमितों की निगरानी की जा रही है और जरूरी परामर्श भी दिए जा रहे हैं।

डॉ. के के वर्मा ने बताया की स्वास्थ्य महानिदेशालय ने इस बार कोविड को मात देने के लिए समिति द्वारा निर्धारित दवाओं की सूची जारी करने के साथ ही कोरोना से निपटने के लिए की गईं तैयारियों और बरती जाने वाली सावधानियों का भी जिक्र किया है । पत्र के मुताबिक इंटीग्रेटेड कमांड व कंट्रोल सेंटर से होम आइसोलेशन के पात्र मरीजों के स्वास्थ्य की स्थिति की निरंतर निगरानी की जा रही है । किसी होम आइसोलेटेड मरीज के लक्षण युक्त हो जाने या उसे चिकित्सकीय सहायता की जरूरत होने पर इलाज व संदर्भन की सुविधा मिल रही है । इसके अलावा जन सामान्य को कोविड से बचाव के उपायों और प्रदेश में उपलब्ध कोविड की जांच व इलाज की उपलब्ध सेवाओं के बारे में अवगत कराया जा रहा है । चिकित्सीय सलाह की सुविधा पूरे समय के लिए उपलब्ध है। ई-संजीवनी एप के माध्यम से घर पर ही अनुभवी चिकित्सकों द्वारा मुफ्त कंसल्टेंसी की सुविधा दी जा रही है । सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर मुफ्त कोविड टीकाकरण किया जा रहा है । नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त कोविड जांच और लक्षण युक्त व्यक्तियों के लिए उपचार की सुविधा मौजूद है । विशेष परिस्थितियों में हेल्पलाइन नंबर- 1800-180-5145 और 104 नंबर की भी मदद ली जा सकती है । ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि परिवार में कोई व्यक्ति कोविड पाजिटिव है तो होम आइसोलेशन के नियमों का पालन करें और घर से बाहर न निकलें । इसके अलावा यदि खुद कोविड के लक्षणों से ग्रसित हैं तो खुद को परिवार के अन्य सदस्यों से दूर रखें और घर से बाहर न निकलें ।

 होम आइसोलेशन में रहने वाली 40 वर्षीया कलावती (बदला हुआ नाम)  ने बताया कि कोविड पाजिटिव की रिपोर्ट आने के बाद उन्हें घर पर ही मेडिकल किट मुहैया करा दी गई थी और दिन में तीन-चार बार इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर से फोन पर हालचाल ली जाती है और आक्सीजन लेवल की भी जानकारी ली जाती है । 

इन परिस्थितियों में हेल्पलाइन या डाक्टर से संपर्क करें : 


लगातार कई दिनों तक 101 डिग्री से अधिक का बुखार 

सांस फूलना और सांस लेने में परेशानी होना 

पल्स आक्सीमीटर से नापने पर आक्सीजन का स्तर 94 फीसद से कम आना 

भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने पर  


छोटे बच्चों में कोविड के लक्षण : 


बुखार, खांसी, जुकाम 

लगातार रोना 

दूध/खुराक लेना बंद कर देना 

दस्त लगना 

पसली चलना 

निढाल पड़ जाना 


12 वर्ष से अधिक के लोगों में कोविड के लक्षण : 


बुखार, खांसी, जुकाम व थकावट 

सिर दर्द व बदन दर्द 

स्वाद या गंध की चेतना का चला जाना 

बुखार के साथ दस्त 

बुखार के साथ त्वचा पर चकत्ते


कोविड से बचाव एवं सावधानियाँ : 


हमेशा मास्क का इस्तेमाल करें 

मास्क को ठीक तरह से पूरे मुंह व नाक को ढकते हुए लगाएं 

सोशल डिस्टेंसिंग (छह फुट की दूरी) का पालन करें 

अनावश्यक घर से बाहर न निकलें 

लक्षण आने पर खुद को परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रखें और जांच कराएं 

बार-बार साबुन-पानी से अच्छी तरह से हाथों को धुलते रहें 

समय से कोविड टीकाकरण जरूर कराएं  


दवाओं के साथ इन बातों का भी रखें ख्याल : 


सांस संबंधी व्यायाम, योग व प्राणायाम दिन में 20 से 30 मिनट तक करें (सहज महसूस करने पर ही) 

दिन में तीन से चार बार श्वसन दर (रेस्परेटरी रेट) व आक्सीजन सेचुरेशन (पल्स आक्सीमीटर से) अवश्य नापें, यह 94 फीसद अथवा इससे अधिक होना चाहिए 

पर्याप्त मात्रा में हल्का गर्म/गुनगुना पानी पियें 

उच्च रक्तचाप व किसी पुरानी बीमारी का उपचार चल रहा है तो उसे डाक्टर के परामर्श से जारी रखें

कोविड काल में क्लीनिक करेगा जरुरतमंदों का उपचार


वाराणसी 18 जनवरी(dil india live)। साईं वंदना वेलफेयर एंड रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा चिकित्साकीय क्लीनिक 'रोशनी क्लिनिक एंड चाइल्ड केयर' का उद्घाटन संस्था की संस्थापक वंदना सिंह ने किया। इस क्लीनिक का उद्घाटन संस्था द्वारा कोविड-19 कि तीसरी लहर को देखते हुए किया गया है। ऐसे समय में जब तीसरी लहर अपने उठान पर है। लोग डरे हुए हैं, ऐसे समय में गरीब व जरूरतमंद लोगों का उपचार करना संस्था द्वारा खोली गई इस क्लीनिक का खास मकसद है। यहां डा. यस कुमार लोगों को चिकित्सा सुविधा  देंगे। यह क्लिनिक पहाड़ी गेट बीएलडब्लू में खोला गया है। संस्था की संस्थापक वंदना सिंह ने कहा कि कोई बच्चा या बड़ा उपचार से वंचित ना हो इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा। इस मौके पर वंदना सिंह ने डा. यस. कुमार का आभार प्रकट किया और कहा कि इस नेक कार्य के लिए आगे आए हैं उनका हम सब आभार व्यक्त करते हैं। संस्था उपाध्यक्ष अरविंद सिंह ने सभी का स्वागत किया।

कथक सम्राट बिरजू महाराज का काशी से था खास जुडाव

2019 में अंतिम बार आये थे काशी, बच्चों को दिया था कथक की टिप्स

नटराज संगीत एकेडमी के प्रोग्राम में करना था उन्हें मार्च में शिरकत 





वाराणसी 17 जनवरी (dil india live)। लखनऊ घराने के मशहूर कथक कलाकार पंडित बिरजू महाराज का अंतिम बार मार्च में बनारस आने का ख्वाब अधूरा ही रह गया। वो 2003 से लगतार हर साल बनारस आते थे और यहां बच्चों को कथक की बारिकियों से रुबरु कराते थे, मगर कोविड के चलते 2019 के  बाद बनारस आना उनके लिए ख्वाब सरीखा हो गया। बनारस से पं बिरजू महाराज का गहरा लगाव था। उनकी बनारस में एक मात्र शिष्या संगीता सिन्हा कहती वो भले ही लखनऊ में पैदा हुए मगर वो बनारस से हमेशा जुड़े रहे। वह हर साल नटराज संगीत एकेडमी में आकर संगीत की नई पौध को कथक की बरीकियों से रुबरु कराते थे। पिछले दिनों लखनऊ और दिल्ली में मैं उनके साथ थी। बच्चों को कथक की बरीकियों से रुबरु कराने के लिए मार्च में उन्हें नटराज संगीत एकेडमी आने के लिए मैं तैयार करके आयी थी मगर ईश्वार को तो कुछ और ही मंजूर था। यह अनहोनी हो गई।, यह कहते हुए संगीता सिन्हा की आंखे भर आयी। उन्होने कहा कि कथक के जादूगर थे गुरुजी। उनका बनारस आने का सपना अधूरा ही रह गया।  

पंडित बिरजू महाराज का भले ही लखनऊ के कालिका-बिन्दादिन घराने से रिश्ता रहा हो, लेकिन धर्म और संगीत की नगरी बनारस से उनका संगीत के अलावा पारिवारिक रिश्ता भी था। पहले ससुराल फिर समधियाना दोनों उन्होंने बनारस में ही बनाया। यही वजह है कि उनके निधन की खबर से बनारस स्तब्ध है। कथक सम्राट बिरजू महाराज के आंखों की मुद्रा से राधा-रानी की कलाओं की पेशकश हो या फिर तबले की थाप संग पैरों की जुगलबंदी, इसका जैसा अद्भुत मिलन पंडित बिरजू महाराज के नृत्य में देखने को मिलता था, वो खुद में बेहद खास था। गिरिजा देवी के गुरु पंडित श्रीचंद्र मिश्र की बेटी अन्नपूर्णा देवी बिरजू महाराज की पत्नी थीं। कबीरचौरा संगीत घराने वाली गली में पंडित बिरजू महाराज का ससुराल है। वहीं, ख्यात सारंगीवादक पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र के पुत्र पंडित साजन मिश्र के साथ बिरजू महाराज की बेटी कविता का विवाह हुआ है। उनके एक भाई ने बनारस घराने के ख्यात पंडित रामसहाय की शागिर्दी में तबला वादन सीखा था। पंडित बिरजू महाराज का खुद बनारस से बहुत गहरा जुड़ाव था। बनारस के राजेन्द्र प्रसाद घाट, अस्सी घाट पर होने वाले कार्यक्रम हो या फिर देश भर के संगीतकारों की जुटान का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण संकट मोचन संगीत समारोह। इन आयोजनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पंडित बिरजू महाराज बनारस जरूर पहुंचते थे। काशी में होने वाले ध्रुपद मेले में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहता था। यही वजह है कि प्रतिष्ठित अवार्ड पद्म विभूषण से सम्मानित 83 वर्षीय बिरजू महाराज ने दिल्ली के साकेत हॉस्पिटल में अंतिम सांस लेने की खबर काशी पहुंचते ही मानो संगीत घराने में कोहराम मच गया। 

सीखने और सीखाने की अदभूत ललक

संगीत सिन्हा बताती है कि बिरजू महाराज में सीखने और सीखाने की अदभूत ललक थी। वो एक शानदार ड्रमर भी थे, जो आसानी और सटीकता के साथ लगभग सभी ड्रम बजाते थे। उन्हें खासतौर पर तबला और नाल बजाने का शौक था। वह  सितार वाद्य, सितार, सरोद, वायलिन, सारंगी आसानी से बजा लेते थे। उन्होंने इन सबका किसी औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया। वो सदैव कथक के प्रमोशन के लिए परेशान रहते थे। यही वजह है कि छोटे-छोटे बच्चों के प्रोग्राम में भी मेरे बुलाने पर काशी हर साल आते थे।

 अच्छन महाराज थे बिरजू महाराज के गुरु

बिरजू महाराज के अच्छन महाराज व लच्छू महाराज थे। अच्छन महराज कोईऔर नहीं बल्कि उनके पिता थे, तो लच्छू महाराज चाचा। उनकी मां भी उनकी गुरु की श्रेणी में ही आती थीं। यूं तो इनके पिता का नाम जगन्नाथ महाराज था, जो लखनऊ घराने से थे और अच्छन महाराज के नाम से जाने जाते थे। पिता ने बचपन से ही अपने यशस्वी पुत्र को कला दीक्षा देनी शुरू कर दी थी। ठुमरी सम्राट महादेव प्रसाद मिश्र के पुत्र पं. गणेश मिश्र कहते है कि बिरजू महाराज को कथक विरासत में मिली थी। अच्छन महाराज के निधन के बाद उन्होने कथक नृत्य प्रशिक्षण लेना शुरू किया। आज बिरजू महाराज भले ही हम लोगोें के बीच नहीं है मगर उनकी कला और उनके काम सदैव हम लोगों को उनकी याद दिलाती रहेगी। उनका जाना वास्तव देश दुनिया के संगीत प्रेमियों के लिए सदमे जैसा है।


सोमवार, 17 जनवरी 2022

बच्चों का रखें ख्याल, खांसी आए-पसली चले तो डाक्टर से मिलें

सर्दी के साथ बढ़ी कोरोना की रफ्तार, आक्सीजन सेचुरेशन 94 फीसद से अधिक होना जरूरी

 लक्षण विहीन, मामूली लक्षण वाले पाजिटिव व लक्षण युक्त के लिए दवाएं तय 

 


वाराणसी, 17 जनवरी (dil india live)। कड़ाके की सर्दी के बीच कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए इस वक्त छोटे बच्चों की सेहत का खास ख्याल रखना सभी के लिए बहुत ही जरूरी है । यह कहना है  *श्री शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ डा. एस.पी. सिंह* का। उन्होंने बताया कि एक साल तक के बच्चे को अधिक खांसी आ रही हो, पसली चल रही हो, बच्चा दूध व खुराक लेना बंद कर दे, तेज बुखार हो और दस्त न रुके तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक से जरूर संपर्क करें । इसके साथ ही दिन में तीन-चार बार बच्चे के सांस लेने की दर (रेस्परेटरी रेट) और आक्सीजन सेचुरेशन (पल्स आक्सीमीटर से) जरूर नापें, आक्सीजन सेचुरेशन 94 फीसद व उससे अधिक ही होना चाहिए । इससे कम होने पर चिकित्सक से सलाह ली जानी चाहिए ।    

 *मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी* ने बताया कि विभिन्न आयु वर्गों के कोविड पाजिटिव व लक्षणयुक्त व्यक्तियों के इस्तेमाल के लिए दवाओं को “मेडिकल किट” के जरिये  उपलब्ध कराने को कहा गया है । इसके तहत शून्य से 12 साल तक के बच्चों को तीन श्रेणी में बांटते हुए और 12 साल से ऊपर वालों के लक्षणों के आधार पर जरूरी दवाओं के सेवन की सलाह दी गई  है । इसके तहत शून्य से 12 माह, एक से पाँच साल और छह से 12 साल तक के बच्चों की तीन श्रेणी बनाई गई है और लक्षणों के आधार पर व कोरोना पाजिटिव होने की स्थिति में निर्धारित दवाओं के सेवन की सलाह दी गई है।व मेडिकल किट में शामिल निम्न दवाएं शामिल की गई है।

 12 माह तक के शिशुओं के लिए दवा किट

पेरासिटामोल ड्राप 

मल्टीविटामिन ड्राप 

ओआरएस पैकेट 

एक से पांच वर्ष के बालकों के लिए दवा किट

पेरासिटामोल सिरप  

मल्टीविटामिन सीरप 

ओआरएस पैकेट  

 छह से 12 वर्ष के बालकों के लिए दवा किट

पेरासिटामोल 

मल्टीविटामिन 

आईवरमेक्टिन टेबलेट 

ओआरएस 

 12 वर्ष से अधिक उम्र के लिए

टेबलेट पेरासिटामोल 

टेबलेट आईवरमेक्टिन 

टेबलेट एजिथ्रोमायिसिन 

टेबलेट विटामिन-सी 

टेबलेट जिंक 

टेबलेट/ कैप्सूल विटामिन-बी काम्पलेक्स 

विटामिन डी-3 

 इस तरह करना है दवाओं का सेवन

 शून्य से 12 माह तक के शिशुओं के लिए

लक्षण युक्त शिशु (जिनका कोविड टेस्ट रिजल्ट अभी ज्ञात नहीं है या टेस्ट नहीं हुआ है) तथा पाजिटिव शिशु जिनको केवल बुखार है, उनको पैरासिटामाल ड्रॉप बुखार आने की स्थिति में देना है। ध्यान रहे इसे खाली पेट नहीं देना है । शून्य से दो माह तक के शिशु को पैरासिटामाल ड्रॉप दशमलव पाँच मिली. दिन में तीन बार देना है, तीन से छह माह तक के शिशु को एक मिली. दिन में तीन बार और सात से 12 माह के शिशु को एक मिली. दिन में चार बार बुखार आने पर देना है । मल्टी विटामिन का ड्रॉप छह माह तक के शिशुओं को नहीं देना है, सात से 12 माह तक के शिशु को दशमलव पाँच मिली. सात दिन तक देना है । इसके अलावा दस्त की स्थिति में ओआरएस का घोल थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दें ।  

 एक से पाँच वर्ष के लिए 

 पैरासिटामाल सिरप (बुखार आने पर दें, ध्यान रहे खाली पेट नहीं देना है)- एक से दो वर्ष के बच्चे को पाँच मिली. छह घंटे के अंतराल पर दिन में चार बार, दो से तीन वर्ष को 10 मिली. आठ घंटे के अंतराल पर दिन में तीन बार, तीन से पाँच वर्ष के बच्चे को 10 मिली. छह घंटे के अंतराल पर दिन में चार बार देना है । मल्टीविटामिन सिरप- एक से दो वर्ष के बच्चे को ढाई  मिली. रात को एक बार, दो से पाँच वर्ष तक के बच्चे को ढाई मिली. सुबह और रात को सात दिन तक देना है । ओआरएस का घोल दस्त आने पर देना है ।   

 छह से 12 वर्ष के लिए 

 टैबलेट पैरासिटामाल (500 मिलीग्राम) बुखार आने पर आधी गोली दिन में तीन बार (खाली पेट नहीं देना है)-आठ घंटे के अंतराल पर, टैबलेट आइवरमेक्टिन छह मिलीग्राम-रात को खाना खाने के एक घंटे बाद एक गोली तीन दिन तक, मल्टीविटामिन टैबलेट- रात को सोने से पहले एक गोली सात दिन तक, ओआरएस का घोल दस्त आने पर देना है । 

 12 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लिए 

 टैबलेट पैरासिटामाल (500 मिलीग्राम) की एक गोली दिन में तीन बार-,  टैबलेट आइवरमेक्टिन 12 मिलीग्राम- रात के खाने के बाद  (गर्भवती व धात्री महिलाओं और 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं देना है), टैबलेट एजिथ्रोमायिसिन-500 मिलीग्राम दिन में एक बार के साथ ही टैबलेट विटामिन-सी, टैबलेट/कैप्सूल विटामिन बी काम्प्लेक्स, विटामिन डीथ्री की एक गोली भी प्रतिदिन देनी है । इन दवाओं के सेवन के साथ ही सांस संबंधी व्यायाम, योग व प्राणायाम करने की सलाह दी गई है ।  हल्का गर्म या गुनगुना पानी प्रतिदिन अधिक मात्रा में पियें और दिन में तीन से चार बार आक्सीजन सेचुरेशन पर ध्यान दें । आक्सीजन सेचुरेशन 94 फीसद से अधिक होना चाहिए ।

कथक सम्राट पं.बिरजू महाराज का जाना

निधन की खबर से बनारस संगीत घराना शोक में डूबा 

काशी में शोक, संकट मोचन संगीत समारोह, ध्रुपद मेले में लगाते थे हाजिरी

सीएम योगी सहित कई ख्यातिलब्ध लोगों ने दी श्रद्धाजंलि



वाराणसी 17 जनवरी (dil india live)। मशहूर कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। पद्म विभूषण से सम्मानित बिरजू महाराज (83 ) ने रविवार और सोमवार की दरमियानी रात अंतिम सांस ली। उनके पोते स्वरांश मिश्रा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस बारे में जानकारी दी। गायक अदनान सामी ने भी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उनके निधन की खबर मिलते ही सीएम योगी ने शोक जताया।

लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ में हुआ था। इनका असली नाम पंडित बृजमोहन मिश्र था। ये कथक नर्तक होने के साथ साथ शास्त्रीय गायक भी थे। बिरजू महाराज के पिता और गुरु अच्छन महाराज, चाचा शंभु महाराज और लच्छू महाराज भी मशहूर कथक नर्तक थे। बिरजू महाराज ने देवदास, डेढ़ इश्किया, उमराव जान और बाजी राव मस्तानी जैसी फिल्मों के लिए डांस कोरियोग्राफ किया था। इसके अलावा इन्होंने सत्यजीत राय की फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' में म्यूजिक भी दिया था।

 पंडित बिरजू महाराज का भले ही लखनऊ के कालिका-बिन्दादिन घराने से रिश्ता रहा हो, लेकिन धर्म और संगीत की नगरी बनारस से उनका संगीत के अलावा पारिवारिक रिश्ता भी था।पहले ससुराल फिर समधियाना दोनों उन्होंने बनारस में ही बनाया। यही वजह है कि उनके निधन की खबर से बनारस स्तब्ध है। धर्म और संगीत की नगरी बनारस से उनका संगीत के अलावा पारिवारिक रिश्ता भी था। पहले ससुराल फिर समधियाना दोनों उन्होंने बनारस में ही बनाया।यही वजह है कि उनके निधन की खबर से बनारस स्तब्ध है।कथक सम्राट बिरजू महाराज के आंखों की मुद्रा से राधा-रानी की कलाओं की पेशकश हो या फिर तबले की थाप संग पैरों की जुगलबंदी, इसका जैसा अद्भुत मिलन पंडित जी के नृत्य में देखने को मिलता था, वो खुद में बेहद खास था।गिरिजा देवी के गुरु पंडित श्रीचंद्र मिश्र की बेटी अन्नपूर्णा देवी बिरजू महाराज की पत्नी थीं. कबीरचौरा की संगीत घराने वाली गली में पंडित जी का ससुराल है।वहीं, ख्यात सारंगीवादक पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र के पुत्र पंडित साजन मिश्र के साथ बिरजू महाराज जी की बेटी कविता का विवाह हुआ है।वहीं उनके एक भाई ने बनारस घराने के ख्यात पंडित रामसहाय जी की शागिर्दी में तबला वादन सीखा था। पंडित जी का खुद बनारस से बहुत गहरा जुड़ाव था।बनारस के अस्सी घाट पर होने वाले कार्यक्रम हो या फिर देशभर के संगीतकारों की जुटान का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण संकट मोचन संगीत समारोह. इन आयोजनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पंडित बिरजू महाराज बनारस जरूर पहुंचते थे।काशी में होने वाले ध्रुपद मेले में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहता था।

'हमारी फिक्र पर पहरा लगा नहीं सकते, हम इंकलाब है हमको दबा नहीं सकते'

'बेटियां है तो घर निराला है, घर में इनसे ही तो उजाला है....' डीएवी कॉलेज में मुशायरे में शायरों ने दिया मोहब्बत का पैगाम Varanasi (d...