गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

अन्नदाता किसान देश पर करेगा राज


किसान पदयात्रा का काशी में समापन

  • चंपारण से गांधी-शास्त्री जयंती पर हुई थी शुरु

वाराणसी 20 अक्टूबर(dil india)। चंपारण से गांधी-शास्त्री जयंती के दिन २ अक्टूबर को शुरू हुई १९ दिनी ४०० किसानों की पदयात्रा २० अक्टूबर को वरुणा नदी किनारे शास्त्री घाट पहुंची। वाराणसी, चंदौली, मऊ, आजमगढ़, बलिया, गाजीपुर और मध्य प्रदेश के किसानों ने वाराणसी के नागरिक संगठनों के साथ मिलकर मुख्य रूप से ओडिशा से आये किसान पदयात्रियों का स्वागत किया।

शास्त्री घाट में अपराह्न १ से ४ बजे तक आयोजित सभा में संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय समिति के डाक्टर सुनिलम ने कहा कि किसान विरोधी तीनों काले कानूनों का विरोध करते हुए पंजाब के किसान दिल्ली में दो दिन की रैली के लिए आ रहे थे, और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पानी, खाई और चट्टान के पत्थर से रोकने का प्रयास किया, रैली नहीं रुकी, ११ महीनों से लगातार धरना चल रहा है, यह देश के किसानों का त्याग भरा जज्बा है जो सफलता पाए बिना रुकेगा नहीं| कर्नाटक के किसान नेता वी आर पाटील ने कहा की ७ नवम्बर तक कन्याकुमारी से लेकर दिल्ली तक एक बृहद किसान यात्रा शुरू हो रही है जो देश के विभिन्न प्रदेशों का भ्रमण करते हुए किसान आन्दोलन की पहली वर्षगाँठ के दिन २६ नवम्बर को दिल्ली पहुंचेगी और मोदी सरकार को लालाकरेगी |  सोशलिस्ट किसान यूनियन के राष्ट्रिय अध्यक्ष डॉ. संदीप पाण्डेय ने कहा कि शायद यह सरकार के कान बंद हैं, यदि यह सरकार किसानों की पुकार नहीं सुन रही है तो २०२२ के उत्तर प्रदेश चुनाव और २०२४ के लोक सभा चुनाव में देश की जनता अन्नदाता के अपमान के बदले में सत्तासीन पार्टी को सबक सिखाएगी | उन्होंने कहा की सरकार के लोग तालिबानियों से वार्ता करने रूस जा रहे है  लेकिन ११ महीनों से आंदोलनरत किसानों से बात नहीं कर रहे हैं |

कार्यक्रम की शुरुवात में चंदौली से

कार्यक्रम की शुरुवात में चंदौली जिले के किसान नेता सुरेश यादव के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन के  लोग लखीमपुर में शहीद हुए किसानों का अस्थि कलश ले आये और मौन रखकर उन शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी| पदयात्रा के संयोजक अक्षय कुमार एवं हिमांशु तिवारी, बिहार किसान संघर्ष समिति के नेता दिनेश सिंह, एकता परिषद् बिहार के प्रदीप प्रियदर्शी, नीति भाई, सुनील सहस्रबुद्धे, बलिया के किसान नेता अखिलेश सिंह और राघवेन्द्र सिंह, मोरादाबाद के किसान नेता राकेश रफीक आदि ने भी सभा को संबोधित किया। वाराणसी के वरिष्ठ समाजवादी नेता विजय नारायण ने अध्यक्षता की। फादर आनंद ने पदयात्रा समापन सभा की तरफ से एक ग्यारह-सूत्री प्रस्ताव को पढ़कर सुनाया जिसे सभी लोगों ने ध्वनी मत से पारित किया | कार्यक्रम की शुरुवात में राम जनम ने सभी पदयात्रियों का स्वागत करते हुए कहा कि बनारस कबीर, रैदास, बाबा भोलेनाथ और मुंशी प्रेमचंद की नगरी है, और इसी शहर से किसान विरोधी क़ानून की चुनौती दी जानी चाहिए|  पारमीता ने संचालन ने किया। कसभा शुरू होने से पूर्व लोकविद्या जन आंदोलन और प्रेरणा कला मंच के कलाकारों ने जन जागृति के गीत गाये|

कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के किसान नेता ईश्वर चंद के नेतृत्व में सतना, कटनी, जबलपुर के ५० किसान महिलायें और ओडिशा के सेशादेव नंदा, उमाकांत भारत, निनई राज, रश्मि रंजन स्वाइन, मुनवर अली, अमृतसर से राष्ट्रीय महिला किसान मोर्चा की दलजीत कौर, सर्व सेवा संघ, वाराणसी के राम धीरज, अनूप श्रमिक, मनीष शर्मा, डॉक्टर मुनीज़ा रफीक खान,डॉ मोहम्मद आरिफ,राजेन्द्र चौधरी, शहजादी, श्रीप्रकाश, बुनकर नेता अहमद, धनंजय त्रिपाठी, सच्चिदानंद ब्रह्मचारी, सतीश सिंह, रमण पन्त, गोकुल दलित, सागर गुप्ता, अधिवक्ता प्रेम प्रकाश यादव, नंदलाल मास्टर,  आदि उपस्थित रहे। भारतीय किसान यूनियन, स्वाराज किसान आन्दोलन, कृषिभूमि बचाओ मोर्चा, किसान एकता मंच, जय किसान आंदोलन, किसान मजदूर एकता परिषद, पूर्वांचल किसान यूनियन, जॉइंट एक्शन कमेटी, भगत सिंह छात्र मोर्चा, लोकसमिति, लोकचेतना समिति, कम्युयूनिस्ट फ्रंट, पूर्वांचल बहुजन मोर्चा, रिदम, साझा संस्कृति मंच, खदान मजदूर यूनियन और बुनकर यूनियन  के सदस्य लोग उपस्थित रहे|


सभा में पारित प्रस्ताव

गांधीजी के नेतृत्व में किसानों के चंपारण सत्याग्रह के 104 साल बीत जाने के बाद भी भारत के किसानों को खेती - किसानी के सवाल पर आंदोलन करना पड़ रहा है। तब और अब में फर्क सिर्फ इतना आया है कि तब अंग्रेज शासन कर रहे थे और अब भारतीय। उस समय नील की खेती और उसके दाम को ब्रिटिश कंपनियां नियंत्रित कर रही थी । अब दुबारा से खेती को कंपनियों को देनी की साजिश है ।

तीनों काले कानून के विरोध में और एम. एस. पी के गारंटी के कानून के लिए देशभर के किसान पिछले ग्यारह महीनों से दिल्ली के बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के सामूहिक नेतृत्व में आंदोलित हैं , लेकिन सरकार है कि उसके कानों में जूं तक नहीं रेंग रही।लोगों द्वारा चुनी गयी सरकार का ऐसा रवैया लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं। 

ऐसे दौर में हम सब लोगों का कर्तव्य है कि किसान के इस जीवन- मरण प्रश्न को देश भर में जोर - शोर से सत्याग्रह के माध्यम से ले जाया जाए। जनजागरण के लिए सत्याग्रह के तौर पर हम साथियों ने उसी चंपारण से पदयात्रा करने का निर्णय लिया, जहाँ गांधी जी ने किसानों के लिए 1917 में सत्याग्रह किया था । आइए हम सब मिल कर एक साथ एकजुट होकर यह प्रस्ताव देश भर में सवाल के रुप ले जाएं।

लोकनीति सत्याग्रह के प्रधानमंत्री से ग्यारह सवाल-

1.लोकतंत्र में अलोकतांत्रिक निर्णय क्यों? 650 से ज्यादा किसानों के शहादत के बाद भी किसानों से मिलने के लिए आपकी संवेदना क्यों नहीं जगी ? 

2. तीनों काले कानून कब वापस होंगे? 

3. एम. एस. पी. पर कानूनी गारंटी क्यों नहीं ? 

4. नौजवानों के रोजगार पर फैसला कब ? किसानों को सामाजिक सुरक्षा भत्ता क्यों नहीं ? 

5. कमर तोड़ महंगाई से राहत कब ? 

6.करोना से दिखाई दिए विफल स्वास्थ्य सिस्टम की जिम्मेदारी किसकी ? अस्पतालों की हालत कब सुधरेगा ? 

7.पढ़ाई, दवाई, कमाई, महंगाई, उचित मूल्य जैसे जरुरी सवाल सत्ता में आने के इतने साल बाद भी आपके एजेंडे में क्यों नहीं? 

8.मजदूरों के पलायन और बढ़ती अमीरी- गरीबी असमानता का जिम्मेदार कौन ?

9. कॉर्पोरेट और विदेशी कंपनियों के हाथ की कठपुतली सरकार कब तक बनी रहेगी? 

10.प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंन लूट की छूट कब तक?

11. लखीमपुर के किसानों को न्याय मिले , गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा बर्खास्त हो।

हम हज़ारों किसान बनारस में एकजुट होकर यह प्रस्ताव पारित कर रहें हैं की इन सवालों को देश भर में ले जायेंगे और प्रधानमंत्री जी को जवाब देने के लिए मजबूर करेगे।

बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

बदल रही हाथी की चाल


बसपा के लिए चुनौती बना मिशन फतह 2022 !

-बेस वोट रहा नहीं, नेता कोई बचा नहीं

वाराणसी(dil india)। कभी तिलक तराजू और तलवार...का नारा देकर सियासत में सिफर से शिखर तक पहुंचने वाली बहुजन समाज पार्टी इस बार कठिन दौर से गुज़र रही है। बसपा का बेस वोट भाजपा में शिफ्ट हो जाने से बसपा प्रमुख मायावती चिंतित है। कभी बसपा ने नारा दिया था यूपी हुई हमारी है, अब दिल्ली की बारी है मगर हुआ उल्टा, यूपी भी गयी और दिल्ली तो पहले से ही दूर है। अगर संगठन का जायजा लिया जाये तो मायावती और सतीश चन्द्र मिश्रा के बाद पार्टी में दूर-दूर तक कोई सूरमा नज़र नहीं आ रहा है जो कोई करिश्मा करता दिखाई दे। बसपा से बाहर जाने वालों की लम्बी फेहरिस्त है। हाल के महीनों में नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया। इससे बसपा मुस्लिम वोट बैंक को भी लेकर परेशानियों में घिर गयी।  अब पार्टी महासचिव के कंधे पर बसपा से ब्राहम्णों को जोड़ने का भार है मगर सतीश चन्द्र मिश्रा इसमें कितना सफल होंगे ये तो वक्त ही बतायेगा। फिलहाल बसपा दुविधा और परेशानियों के दौर से गुज़र रही है। एक रिपोर्ट...

बहुजन समाज पार्टी किस कदर कठिन दौर से गुज़र रही है इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि अन्य दलों से अलग चलने वाली बहुजन समाज पार्टी भी अब दूसरे सियासी दलों की राह पर है। बसपा 31 साल के इतिहास पर अगर नज़र डालें तो सब कुछ बदला-बदला सा नज़र आ रहा है। इस चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए बहुजन समाज पार्टी लोक लुभावने वायदे कर रही है। बसपा अब बहुजन समाज के बजाय सर्वसमाज की बाते करती दिखाई दे रही है। प्रबुद्ध वर्ग गोष्ठियां पिछले दिनों की गयी। भाजपा की तरह सत्ता में आने पर धार्मिक एजेंडे को भी धार देने की बात कर रही है। इसको देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बसपा अपना मूल रंग-ढंग बदल चुकी है।

प्रबुद्ध वर्ग गोष्ठी से नैया होगी पार!

बसपा अमूमन घोषणा पत्र नहीं जारी करती है और न ही यह बताती है कि वह सत्ता में आने पर क्या करेगी, लेकिन इस बार मायावती ने यह साफ कर दिया हैं कि वह सत्ता में आने पर क्या-क्या करने वाली हैं। प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी के समापन पर सभी संस्कृत स्कूलों को सरकारी सुविधाएं देने, वित्तविहीन शिक्षकों के लिए आयोग बनाने और तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाने का वादा तो मायावती ने किया ही साथ में यह भी साफ कर दिया कि अब वो सत्ता में आने पर स्मारक, पार्क व संग्रहालय नहीं बनवाएंगी यह भी साफ कर दिया कि अयोध्या, काशी व मथुरा का विकास कराएंगी। वो सभी वर्गों को ध्यान में रख कर चुनावी वायदे कर रही हैं। इस बार उनकी नज़र सभी वर्ग के वोट पर है। वो युवाओं को रोजगार देने की बात कर रही हैं तो कर्मियों की मांगों को पूरा करने के लिए आयोग बनाने की बात कर रही हैं। किसानों के हितों की बात कर रही हैं, तो सिखों को भी खुश करने के लिए वायदे कर रही हैं। ब्राह्मण, मुस्लिम, महिला, मजदूरों के लिए उनके चुनावी एजेंडे में बहुत कुछ है।

मुख्तार अंसारी को कभी वक्त का सताया हुआ इंसान बताने वाली मायावती ने टिकट न देने का पहले ही ऐलान करके सभी को चौका दिया।  मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफज़ाल अंसारी गाज़ीपुर से बसपा के सांसद हैं मगर उनके भी दूसरे दलों में जाने की अटकलें लगातार आ रही है सच्चाई क्या है यह तो आने वाला समय बतायेगा मगर मुख्तार के सबसे बड़े भाई शिबगतुल्लाह अंसारी सपा की साइकिल पर सवार हो चुके हैं। ऐसे में बहुत हद तक अफज़ाल और मुख्तार के भी सपा में जाने के संकेत मिल रहे हैं। इसके चलते भी बसपा को आंशिक नुकसान होना तय है। क्यों कि कहा जाता है कि अंसारी परिवार पूर्वांचल की गाजीपुर, मऊ समेत कई सीटों पर अपना प्रभाव रखता है वो भले जीते या न जीते समीकरण उनके ही इशारों पर बनते रहे हैं। सपा प्रमुख जब तक मुलायम सिंह यादव थे तब उन्होंने अंसारी बंधुओं और अतीक सरीखे नेताओं को अपने साथ रखा था मगर जब कमान अखिलेश यादव के हाथ में आयी तो उन्होंने अंसारी परिवार से दूरी बना ली थी। 

माया का ट्वीट वार

अमूमन मीडिया खासकर सोशल मीडिया  से दूरी बनाए रखने वाली मायावती। समय-समय पर मीडिया को कोसने वाली बसपा अब सोशल मीडिया का सहारा ले रही है। मायावती को हर मुद्दे अब ट्वीट करने में मज़ा आ रहा है। सतीश चंद्र मिश्र बकायदे पीआर एजेंसी लगाए हुए हैं। यानी अब बसपा समझ गयी है कि सभी को साथ लेकर चलना होगा और सोशल मीडिया आज का बहुत ज़रूरी हथियार है।

दूसरे दलो में गए बसपा के ये चेहरे 

कांशी राम के खास सहयोगी राज बहादुर कभी बसपा के खास चेहरे हुआ करते थे। सबसे पहले बसपा से बाहर हुए, उनके अलावा आरके चौधरी, डॉक्टर मसूद, शाकिर अली, राशिद अल्वी, जंग बहादुर पटेल, बरखू राम वर्मा, सोने लाल पटेल, राम लखन वर्मा, भागवत पाल, राजाराम पाल, राम खेलावन पासी, कालीचरण सोनकर, रामवीर चौधरी, बाबूराम कुशवाहा, स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी और अब उदय लाल मौर्य आदि अनेक ऐसे नेता हैं जो बसपा में थे।  इनमें आरके चौधरी, काली चरण सोनकर व सोने लाल पटेल ने अपनी पार्टी बना ली थी। इसमें से कई तो अब इस दुनिया में भी नहीं हैं।

शानदार गीतों पर हुआ डांडिया-गरबा

डांडिया संग सेल्फी की रही धूम

  • कोविड के बाद डांडिया का पहली बार जमा रंग


वाराणसी 20 अक्टूबर (dil india)। रंग-बिरंगी रोशनी, बॉलीवुड बीट्स के संग गुजारी गीतों के धुनों पर सखियों की जो मस्ती शाम ढलते ही शुरू हुई वो देर रात तक चलती रही।वातावरण में गुजराती गानों की धुन और हाथों में डांडिया स्टिक लिए ताल के साथ लय मिलाते कदम, जहां मौजूद हर महिलाएं डांडिया नाइट का आनंद ले रही थी। महिलाएं, युवतियां दिलकश गीतों के साथ ताल मिलाती नज़र आयी। काफी युवतियां नृत्य के साथ स्मृतियां सहेजने के लिए सेल्फी लेती आयी।

यह नज़ारा था होटल मदीन का। यहां महिला काशी दर्पण संस्था की ओर से झंकार त्योहारों की आयोजन के तहत डांडिया नाइट का आयोजन किया था। आयोजन में रंग-बिरंगे परिधानों में महिलाएं, युवतियां गुजराती गानों पर डांडिया व गरबा के साथ ही पंजाबी गानों पर घंटो थिरकती दिखी। इस मौके पर कई एक्टिविटीज हुईं, नृत्य के साथ ही दीपावली मनाते हुए हाऊजी में भी सभी ने हिस्सा लिया और जमकर मस्ती की।


इससे पहले डांडिया नाइट में गुजरात के लोकगीतों और फिल्मी गानों में महिलाओं ने युगल गीत, समूह नृत्य पर डांडिया व गरबा किया। नीधि, शालिनी अग्रवाल, मिहिका, संगीता, मुस्कान, शिल्पी, रुपाली, प्रीति,नेहा, श्रुति,तृप्ति, मोनिका, रौशनी, उपासना,पारुल, शालिनी,नूतन, सेडी, शिखा, विनीता, सुमीता, श्वेता और मीनाक्षी अग्रवाल ने खूब मस्ती की।
 लायंस क्लब वाराणसी की विभिन्न शाखाओं की ओर से महमूरगंज स्थित लॉन में डांडिया नाइट का आयोजन किया गया। इसमें क्लब के सदस्यों ने ढेर सारी मस्ती की। मुख्य अतिथि मंडलाध्यक्ष चैतन्य पांड्या रहे। इस दौरान पीके सिंह, दीपक अग्रवाल, क्षितिज शर्मा, भावना पांड्या, पूजा भल्ला, सुमन, सत्य प्रकाश गुप्ता, दिवाकर मिश्रा आदि मौजूद रहे। वहीं, द दीवा क्लब की ओर से तरना स्थित लॉन में डांडिया नाइट का आयोजन किया गया। जिसमें महिलाओं ने ढेर सारी मस्ती की और रोचक खेलों में हिस्सा लेकर उपहार जीते।

वाराणसी व्यापार मंडल और यूथ क्लब की ओर से महमूरगंज स्थित एक लान में डांडिया महोत्सव का आयोजन हुआ। वाराणसी महिला व्यापार मंडल और पूर्वांचल महिला व्यापार मंडल की पूरी टीम ने पूरे जोश खरोश के साथ डांडिया महोत्सव में हिस्सा लिया। मुख्य अतिथि अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा रहे। इस दौरान रमेश निरंकारी, सुनीता सोनी, चांदनी श्रीवास्तव, नीलिमा चौबे, राकेश त्रिपाठी, निर्मला देवी, आलोक, डॉली, प्रतिमा आदि मौजूद रहे

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

करवाचौथ उत्सव में जुटी काशी की प्रुबद्ध महिलाए

डांडिया संग महिलाओं ने की खूब मस्ती

वाराणसी (dil india)। काशी प्रबुद्ध महिला मंच ने करवाचौथ उत्सव रविंद्रपुरी स्थित एक रेस्टोरेंट में मनाया। मां की आराधना के साथ इस दौरान डांडिया भी खेला गया। करवाचौथ की कहानी सुन सभी ने अखंड सुहाग की माता से प्रार्थना की। इस अवसर पर कई तरह के गेम्स कराए गये। सामाजिक कार्य के तहत जरूरतमंद महिलाओं को सुहाग पिटारा साड़ी वितरित की गई। 


आये हुए लोगों का स्वागत अध्यक्ष अंजलि अग्रवाल ने किया।  संचालन प्रिया अग्रवाल कर रहीं थीं। कार्यक्रम का खूबसूरत संयोजन शोभा कपूर ने किया। 
 ममता तिवारी ने  धन्यवाद ज्ञापित किया। 
कार्यक्रम में ममता पांड्या,संगीता अग्रवाल, चंद्रा शर्मा,गीता खन्ना, रीता,अमृता, छवि, नूतन, कमलेश गुप्ता, स्वाति, ममता जायसवाल, विक्की सर्राफ, पूनम, रेनू कैला इत्यादि ने सहभागिता दी।


मिशन पिंक हेल्थ के तहत लगा शिविर

बच्चों को दी गई स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण जानकारी

लखनऊ (dil india)। मिशन पिंक हेल्थ के अंतर्गत डॉ मिथिलेश सिंह व डॉक्टर अनूप सिंह द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में स्कूल के बच्चों को उनके स्वास्थ्य से संबंधित जरूरी जानकारी दी गई। किस प्रकार साफ और सफाई के द्वारा हम स्वस्थ रह सकते हैं इसके बारे में डॉक्टर मिथलेश सिंह ने पूर्व माध्यमिक स्कूल के बच्चों को बताया बच्चियों को मेंस्ट्रूअल साइकिल और उससे होने वाली समस्याओं के बारे में और उसका निदान बताया।


 

स्वास्थ्य शिविर में बच्चों की स्वास्थ संबंधी जांच की गई तथा उन्हें दवा व टॉनिक उपलब्ध कराई गई। लड़कियों को सेनेटरी पैड उपलब्ध कराते हुए उसके बारे में जागरूक किया और झिझक को छोड़कर सामान्य प्रक्रिया मानते हुए इससे संबंधित समस्या से अपनी माता शिक्षक और डॉक्टर को बताने को कहा गया। कार्यक्रम का आयोजन मिशन पिंक हेल्थ के द्वारा शिक्षक प्रतिनिधि रीना त्रिपाठी द्वारा पूर्व माध्यमिक विद्यालय कमलापुर के समस्त स्टाफ के सहयोग से आयोजित किया गया जिसमें प्रधानाध्यापक अलका रंजन, सहायक अध्यापक रेनू कनौजिया, शूची श्रीवास्तव, अनुदेशक पूनम सिंह सहित समस्त स्टाफ के सहयोग से संपन्न हुआ।

Julus-e-muhammadi:जुलूस ने पेश किया सौहार्द और मिल्लत की नज़ीर


जुलूस-ए-मोहम्मदी में इस्लामिक झंडे संग लहराया तिरंगा 

  • कोरोना काल के बाद पहली बार निकला जुलूसे मोहम्मदी     



सरफराज अहमद

वाराणसी (dil india)। इस्लाम धर्म के पैगंबर हज़रत मोहम्मद (स.) की यौमे पैदाइश (जन्मदिन) की खुशी में मंगलवार को जोश और खुशी के माहौल में मोमिन झूम उठे। कोरोना काल में दो साल तक कोई जुलूस नहीं निकला था। कोविड के बाद निकले इतने बड़े जुलूस में लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। शहर काज़ी मौलाना गुलाम यासीन साहब की अगुवाई में निकले जुलूस में कई इलाकों से निकला जुलूसे मोहम्मदी भी शामिल हो गया। जुलूस में शामिल लोगों के सिरों पर रंग-बिरंगा साफा और टोपी था तो हाथ में इस्लामी परचम। इस दौरान अमन और मिल्लत के साथ ही कौमी यकज़हती व देश भक्ति भी देखने को मिली। जुलूस में शामिल लोग इस्लामी परचम के साथ ही शान से तिरंगा  लहराते चल रहे थे। 
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
फजर की नमाज के बाद रेवड़ीतालाब से जुलूस उठने का सिलसिला शुरू हुआ। बच्चे, युवा और पुरुष सभी वाहन व पैदल जुलूस लेकर निकले।जुलूस में सुरक्षा के कड़े इंतेज़ाम किये गये थे। इस दौरान शहर के करीब सभी मार्गों पर छोटा-बड़ा जुलूस दिखा। जुलूसों में नबी की शान में नातिया कलाम गूंज रहा था। 
वही, सरकार की आमद मरहबा..., आका की आमद मरहबा..., मुस्तफा या मरहबा... आदि सदाएं बुलंद हो रही थीं। मरकजी दावते इस्लामी जुलूसे मुहम्मदी कमेटी एवं मुफ्ती बोर्ड के सदर मौ. अब्दुल हादी खां व जनरल सेके्रटरी मौ. हसीन अहमद हबीबी की निगरानी में जुलूस रेवड़ी तालाब के अजहरी मैदान से उठा। 



 जिसमें शिवाला, गौरीगंज, बजरडीहा, ककरमत्ता, मदनपुरा, अर्दली बाज़ार आदि मुहल्लों के जुलूस भी शामिल हो गया। जुलूस भेलूपुर, गौरीगंज, रवींद्रपुरी, शिवाला, सोनारपुरा, मदनपुरा, गोदौलिया, चौक, मैदागिन, कबीरचौरा, पियरी होते हुए बेनियाबाग पहुंचा। इस बार बेनियाबाग में जगह न होने की वजह से साइकिल स्टेंड के पास डायस लगाया गया था जिस पर उलेमा ने तकरीर की। आयोजन के दौरान विमिन्न संस्थाओं ने जुलूस का इस्तकबाल किया। बेनिया में हुए जलसे में आल इंडिया काजी बोर्ड के अगुवा मौलाना कौसर रब्बानी, मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, मौलाना हसीन अहमद हबीबी, मौलाना अंजूम रजा नूरी, मौ. उजैर आलम आदि ने नबी की पैदाइश पर रोशनी डाली। इस दौरान शायरों ने कलाम पेश किया। गोदौलिया, चौक, मैदागिन, लोहटिया आदि स्थानों पर मुस्लिमों के साथ ही हिन्दू संगठनों ने भी जुलूस का स्वागत किया। पानी, फलहार व अन्य खाद्य सामग्री जुलूस में बांटी गयी।

अमन, भाईचारगी व सौहार्द नबी की तालीम

उलेमा ने कहा कि पैगम्बर हज़रत मोहम्मद (स.) का जन्म ही ऐसे समय में हुआ था।  जब लोग आपस में खून के प्यासे थे, जमीन और दौलत के लिए लड़ रहे थे। कबीले-कबीले से लड़ रहे थे। उस समय अरब के रेगिस्तान में नूर के रुप में हज़रत मोहम्मद  (स.) का जन्म हुआ। करीब 15 सौ सालों से उनकी सीरत की रोशनी सबको सराबोर करती चली जा रही है। उन्होंने इंसानियत और भाईचारे का संदेश दिया। हम सबको नबी ने इंसानियत और कुबार्नी सिखाया। ऐसी इंसानियत जिसमें हम सबको अपना भाई समझें और किसी का दिल ना दुखाएं। दूसरों की खुशी के लिए अपनी जो सबसे प्यारी चीज है उसे कुर्बान करने को तैयार रहें। इसलिए हमें हर हाल में जैसी भी स्थिति आए मोहम्मद (स.) की सीरत पर अमल करते हुए अमन, भाईचारगी व सौहार्द के साथ रहना चाहिए। तभी हमारे साथ मुल्क की तरक्की हो पाएगी। मोहम्मद (स.) के दुनिया में आने के बाद तमाम हुमूमते खत्म हो गईं। इंसानियत व अमन का राज कायम हुआ। नबी से जिसने नफरत की, उसे सजा नहीं उन्होंने दुआ दी। ऐसा किरदार हज़रत मोहम्मद (स.) का था जिसे सारी दुनिया मानती है।

Eid miladunnabi: आमदे मुस्तफा पर रौशन हुआ सारा जहां

आज किसकी आमद से हर तरफ उजाला है...

  • हर तरफ नूर की बारिश
  • नबी की शान में पेश हुए कलाम


वाराणसी (dil india)। आमदे मुस्तफा की खुशी में सोमवार की शाम और फिर रात मुसालिम इलाके रौशनी और सजावट से इतराते नज़र आये। इस दौरान सारा जहां नबी की मोहब्बत और अकीदत लुटाता नज़र आया। हर तरफ नूर की बारिश और डायसो से नबी की शान में कलाम पेश करते शायरों का जज्बा और जुनून देखते ही बन रहा था। यह नज़ारा था अर्दली बाज़ार मुख्य रोड का। मौलाना शमशुद्दीन साहब की अंगुवाई में यहां देर रात तक शायरों ने जहां कलाम पेश किया वही उलेमा की तकरीर से भी अकीदतमंद फैज़याब हुए। मध्यरात्रि तक शायरों के कलाम यहां गूंज रहे थे।


उधर मरकजी यौमुन्नबी कमेटी की ओर से ईद मिलादुन्नबी पर, आज किसकी आमद से हर तरफ उजाला है, आखिरी पैयंबर है और नूर वाला है... व, आमीना का लाल देखो जगमग जगमग करता है...। जैसे कलाम पेश करते हुए सोमवार की रात जुलूस निकाला गया। जुलूस बेनियाबाग के पूर्वी छोर हड़हा मैदान से निकला। इसके बाद सराय हाड़हा, छत्तातले, नारियल बाजार, दालमंडी, नई सड़क, मस्जिद खुदा बख्श, कुरैशबाग मस्जिद, उस्ताद बिसमिल्लाह खान मार्ग होकर भीखा शाह गेट पर पहुंचकर समाप्त हुआ। 


जुलूस की अगुवाई कमेटी के अध्यक्ष शकील अहमद बबलू,पूर्व चेयरमैन अल्पसंख्यक आयोग व महामंत्री जियाउद्दीन खां कर रहे थे। जुलूस के बाद मौलाना ज़कीउल्लाह असदुल कादरी ने नबी की सीरत पर रौशनी डाली। कहा कि पैंगबरे इस्लाम धर्म के अंतिम पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद (स.) किसी एक के लिए नहीं बाल्कि सारी दुनिया के लिए रहमत बनकर आए थे। अगर नबी को मानते हो तो उनके बताये हुए रास्तो पर चलों।इस दौरान आगा कमाल अहमद, रेयाज़ अहमद नूर, मोहम्मद अबरार खान, शकील अहमद सिद्दीकी, अब्दुल अलीम, इमरान अहमद, शकील, दिलशाद अहमद आदि मौजूद थे।

जगमगा उठा मुसलिम इलाका

इस दौरान अर्दली बाजार, पक्की बाजार, मकबूल आलम रोड, नदेसर, लल्लापुरा, हबीबपुरा, नई सड़क, दालमंडी, सराय हड़हा, रेवड़ी तालाब, मदनपुरा, गौरीगंज, शिवाला, बजरडीहा, शक्कर तालाब, जलालीपुरा, कोयला बाजार, पीली कोठी, बड़ी बाजार आदि इलाकों में विद्युतीय सजावट देखने को मिली। 


शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...