बुधवार, 22 सितंबर 2021

हो रही थी हल्दी की रस्म, आज होनी थी शादी


मण्डप में पहुंच कर रोका बाल विवाह

मिशन शक्ति’ अभियान में मिली बड़ी सफलता

वाराणसी, 22 सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)। दुर्गाकुण्ड क्षेत्र में एक किशोरी के बाल विवाह कराने का प्रयास, चाइल्ड लाइन की सक्रियता से विफल हो गया। फिलहाल किशोरी को एक ‘शेल्टर होम’ में रखा गया है और उसका चिकित्सकीय परीक्षण कराया जा रहा है। इस बाल विवाह को रोकने को प्रदेश में चल रहे ‘मिशन शक्ति’ अभियान में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नम्बर पर मंगलवार की दोपहर किसी ने सूचना दी कि दुर्गाकुण्ड क्षेत्र की मलिन बस्ती में रहने वाली लगभग 14 वर्षीय किशोरी का बाल विवाह हो रहा है। सूचना मिलते ही चाइल्ड लाइन के निदेशक मजू मैथ्यू ने जिला बाल कल्याण अधिकारी निरूपमा सिंह से संपर्क  किया। इसके बाद चाइल्ड लाइन व जिला बाल संरक्षण इकाई की एक टीम भेलूपुर पुलिस को साथ लेकर दुर्गाकुण्ड मलिन बस्ती पहुंची। इस टीम में अभय, प्रेरणा, आजाद, रामप्रताप, वंदना व राजकुमार शामिल थे। यह टीम जब पुलिस के साथ वहां पहुंची तब वहां मण्डप में किशोरी के हल्दी का रस्म चल रहा था। बाल विवाह के प्रयास को पुलिस के सहयोग से फ़ौरन रोक दिया गया। पूछताछ में पता चला कि कुछ साल पहले  किशोरी के पिता का निधन हो गया। उसकी मां सफाईकर्मी हैं और वह नशे की आदती हैं । इस वजह से किशोरी अपने भाई-भाभी के पास रह रही थी। इस बीच उसकी शादी लंका निवासी युवक से तय कर दी गयी थी। किशोरी को बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत किया गया। समिति के निर्देश पर उसे महमूरगंज स्थित एक शेल्टर होम में रखा गया है।

 बाल कल्याण अधिकारी निरूपमा सिंह ने बताया कि किशोरी पढ़ी-लिखी नहीं है। न ही उसके पास आयु का कोई  प्रमाणपत्र मिला। फिलहाल उसकी शादी रोक दी गई है। किशोरी के वास्तविक उम्र का पता लगाने के लिए उसका मेडिकल टेस्ट कराया जा रहा है। इसके बाद आगे की करवाई की जाएगी।

 बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम

किसी भी बालक का विवाह 21 साल एवं बालिका की 18 साल की उम्र होने के बाद ही शादी की जा सकती है। यदि कोई भी व्यक्ति इस निर्धारित उम्र से काम उम्र में शादी करता है तो उसे बाल विवाह करार दिया जायेगा। भले ही वह सहमति से ही क्यों न किया गया हो। सहमति से किया गया बाल विवाह भी कानूनी रूप से वैध नहीं होता। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम -2006 के अंतर्गत बाल विवाह होेने पर दो वर्ष की सजा अथवा एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों का प्राविधान है।

काशी की बेटी श्रुति ने जीता “पब्लिक पीस प्राईज”

श्रुति ने विश्व स्तर पर बढाया काशी और भारत का गौरव

वाराणसी 22 सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)| अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर, पब्लिक पीस प्राईज टीम  ने 2020-21 संस्करण के विजेताओं की घोषणा की है। यह पुरस्कार दुनिया का एकमात्र ऐसा सम्मान है जो लोगों की मान्यता पर ध्यान केंद्रित करने और शांति के लिए काम करने वालो के पहल पर केंद्रित है, जो कि जनता द्वारा ही प्रस्तावित, नामित और मंजूर किया जाता हैं।

इस वर्ष, महामारी की अनिश्चितताओं के बावजूद, स्थानीय टीमों द्वारा प्रस्तावित और समर्थित 9 लोग नामांकन के बाद फाइनलिस्ट के रूप में नामांकित हुए थे। ये सभी इन 5 देशों कनाडा, कोलंबिया, भारत, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) और पाकिस्तान से चुने गए है।

बड़े गर्व की बात है कि इस पुरस्कार के लिए दुनियाभर से इन 9 चयनित लोगो में से 2 लोग भारत के है जिनमे से एक श्रुति नागवंशी बनारस की बेटी ने भी यह पुरस्कार जीत कर बनारस को विश्व पटल पर गौरान्वित किया है। 

ये सभी प्रतिभागी विभिन्न पीढ़ियों और संस्कृतियों से आते हैं। ये चुने गए शांतिदूत अपने समुदायों में टूटे हुए बंधनों का पुनर्निर्माण कर रहे हैं | गलतफहमी, असमानता और तनाव जो कभी-कभी सदियों पुराने होते हैं। वे शब्दों, रंगमंच, मानवाधिकार शिक्षा के माध्यम से ये कार्य कर रहे है।

श्रुति नागवंशी को यह पुरस्कार उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया गया है।



बताते चले कि श्रुति नागवंशी एक महिला और बाल अधिकार कार्यकर्ता हैं और ग्रामीण महिलाओं सहित भारत में हाशिए के समूहों के लिए लगातार पैरवी कर रही हैं | वह मानवाधिकारों पर जननिगरानी समिति (पीवीसीएचआर) की संस्थापक सदस्यों में से एक हैं साथ ही सावित्री बाई फुले महिला पंचायत, एक महिला मंच की संस्थापक हैं | इन्होने महिलाओं और अन्य समूहों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण की पहल की है | सभी मानव जीवन और और उनके सम्मान के लिए दृढ़ विश्वास से उन्हें प्रेरित कर, शांति और न्याय के लिए आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक हिंसा के हजारों पीड़ितों के जीवन को मानवीय गरिमा दिलाने और यातना मुक्ति के लिए लगातार काम कर रही है ।

काशी में नारी शक्ति की मिसाल बन चुकी हैं यह महादानी

करके रक्तदान इन्होंने बचाया दूसरों की जान

  •  श्रुति, श्वेता व ज्योति भी संकट में आती हैं जरूरतमंदों  के काम



 वाराणसी  सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)  रक्तदान कर दूसरों की जिंदगी बचाने  में उन्हें बड़ा  सुकून मिलता है। उनका मानना है कि रक्तदान से बड़ा दुनिया  में कोर्इ दान नहीं होता। इसी सोच को लेकर रश्मि अब तक 24 बार रक्तदान कर दूसरों की जान बचा चुकी हैं । रश्मि की ही तरह श्रुति, श्वेता व ज्योति भी रक्तदान करने वाली महादानियों में शामिल हैं। काशी में नारी शाक्ति का मिसाल बन चुकी ये महिलाएं संकट में फंसे लोगों के लिए रक्तदान कर उन्हें नई जिंदगी देने का वह  काम करती हैं।


 सहेली पर संकट ने बनाया रक्तदाता 

सुंदरपुर की रहने वाली रश्मि सिंह पेशे से अध्यापिका हैं। पांच वर्ष पूर्व हुए एक वाकये का वह जिक्र करती हैं जिसने उन्हें रक्तदाता बना दिया। वह बताती हैं-‘तब उनकी शादी नहीं हुर्इ थी। कालेज के दिनों की एक सहेली को डेंगू हो गया था। उसे देखने के लिए उस रोज वह अस्पताल गयी थीं। सहेली की जान बचाने के लिए डाक्टर ने फौरन ब्लड चढ़ाने के लिए बोला था लेकिन उसके परिवार में कोर्इ भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जो खून देने की स्थिति में हो। तब खून के अभाव में सहेली की सांस थमती देख उन्होंने निर्णय लिया कि वह खुद रक्तदान कर उसकी जान बचायेंगी। सहेली के लिए रक्तदान करने के साथ ही उन्होंने रक्तदान के महत्व को जाना और संकल्प लिया कि अब वह दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए बराबर रक्तदान करती रहेंगी। तब से वह हर तीसरे माह रक्तदान करती हैं। कोरोना काल में भी यह सिलसिला नहीं थमा। 

30 की उम्र में 24 बार रक्तदान 

रश्मि की उम्र महज 30 वर्ष है। इस उम्र में  अब तक वह 24 बार रक्तदान कर चुकी हैं। उनका खून किसी की जान बचाने में काम आ रहा है, यह सोच कर उन्हें  सुकून मिलता है। रश्मि बताती हैं, ‘शादी के बाद शुरू-शुरू में उनके ससुराल वालों ने उन्हें रक्तदान  से रोकने की कोशिश की पर वह चोरी-छिपे रक्तदान कर ही आती थीं । फिर उन्होंने  ससुरालवालों को समझाया कि यह कार्य कितना पुनीत और जरूरी है। तब वह लोग भी मान गये। अब तो उनके पति भी इस कार्य में उनका सहयोग करते हैं।

मजहब की दीवार ख़त्म करता  है रक्तदान

रश्मि सिंह कहती हैं  - रक्तदान, महादान तो है ही, इसके साथ ही यह जाति और मजहब की दीवार को भी मिटाता  है। जिस समय जान बचाने के लिए रक्त की जरूरत होती है उस समय इन सभी दुश्वारियों से लोग दूर हो जाते हैं । इसलिए रक्तदान इन्सानियत से नाता जोड़ने का भी एक माध्यम है।

 यह  भी हैं  महादानियों में शामिल 

अब तक 12  बार रक्तदान कर चुकी केशव बिहार, नर्इ बस्ती-पाण्डेयपुर की रहने वाली श्रुति जैन की कहानी भी रश्मि सिंह से काफी मिलती जुलती है । तीन वर्ष पहले वह मैदागिन से घर लौट रही थीं। कबीरचौरा के पास हुर्इ दुर्घटना के बाद जुटी भीड़ को देखकर उनके भी पांव ठिठक गये। हादसे में घायल युवक को लोग अस्पताल ले जाने लगे तो पीछे-पीछे वह भी वहां पहुंच गयी। उस युवक का उपचार चल ही रहा था कि वहां उन्हें एक बुजुर्ग लोगों से गिड़गिड़ाते हुए दिखे । अस्पताल में भर्ती इस बुजुर्ग की बेटी की जान बचाने के लिए खून की जरूरत थी। बेटी के प्राण बचाने के लिए वह बुजुर्ग लोगों से मिन्नतें कर रहे थे,  पर सब उनकी बातों को अनसुनी कर दे रहे थे। श्रुति जैन बताती हैं ‘बुजुर्ग की स्थिति भांपकर मैने रक्तदान की अहमियत समझी। उनकी बेटी के लिए उस रोज किये गये रक्दान से जो सिलसिला शुरू हुआ वह आज भी जारी है। अब तो वह बाकायदा रक्तदान शिविरों का आयोजन करती हैं । इसमें उनकी कर्इ सहेलियां बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं।’ श्रुति से ही प्रेरणा लेकर चौक क्षेत्र की रहने उनकी सहेली श्वेता अग्रवाल भी कर्इ वर्ष से रक्तदान कर रहीं हैं। ज्योति, वंदना भी वह नाम हैं  जो लगातार रक्तदान करते हुए महादानियों में शामिल होकर शिव की नगरी काशी में नारी शक्ति की मिसाल बन चुकी हैं ।

 रक्त दान से लाभ

रक्तदान दूसरों की जिंदगी तो बचाता ही है, खुद की सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। मण्डलीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रसन्न कुमार कहते हैं रक्दान से कैंसर व मोटापे का खतरा तो कम होता ही है यह दिल की बीमारियों से भी बचाता है। रक्तदान के बाद शरीर की कोशिकाएं ज्यादा लाल रक्त कोशिकाओं के  निर्माण में जुट जाती है जो सेहत को सुधारता है। रक्दान से तुरंत पहले के हेल्थ चेकअप में हीमोग्लोबिन के स्तर का पता तो चलता ही है यदि कोइ संक्रमण होता है तो उसकी भी जानकारी मिल जाती है।

 यहां कर सकते हैं रक्दान

जिले में कुल 12 ब्लड बैंक हैं। इनमें कभी भी रक्तदान किया जा सकता है। किसी हादसे में घायल या अन्य जरूरतमंद को इन ब्लड बैंकों से  रक्त प्राप्त हो जाता है। जिले में कई स्वंयसेवी संस्थाएं भी सक्रिय हैं हो जो समय-समय पर रक्दान शिविरों का आयोजन कर इन सभी ब्लडबैंकों में रक्त जमा कराती हैं। इसके अलावा सरकारी स्तर पर भी रक्तदान के लिए भी अभियान चलाए जाते हैं।

जैन समाज ने 10 दिन व्रत रखने वालों का किया सम्मानं




वाराणसी 21 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। जैन समाज की राष्ट्रीय स्तरीय संस्था श्री दिगम्बर जैन महासमिति वाराणसी सम्भाग द्वारा पर्युषण पर्व पर जिन लोगो द्वारा 10 दिवसीय उपवास रखा गया था, उनको स्मृतिचिन्ह देकर और माल्यापर्ण कर उनका सम्मान किया गया। भेलुपर मंदिर में विराजमान आचार्य विशद सागर महाराज द्वारा सम्मानित होने वालों में किशोर जैन, विनोद जैन, आलोक जैन, कमल बागरां जैन, छाया जैन, श्वेता जैन, रजनी जैन, निधि जैन, श्रुति जैन, अर्चना जैन, मंजू जैन इत्यादि का सम्मान किया गया। 


इस अवसर पर उपस्थित महासमिति के अध्यक्ष बाल रोग विशेषज्ञ डा. केके जैन और वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रदीप चंद जैन द्वारा महा समिति द्वारा किये जा रहे जनहित के कार्यो से लोगो को अवगत कराया गया। क्रार्यक्रम का कुशल संचालन महामंत्री राकेश जैन द्वारा किया गया। प्रतिक जैन, प्रमोद बागर्रा, अशोक जैन, भूपेंद्र जैन आदि मौजूद थे।


मंगलवार, 21 सितंबर 2021

जो क्षमा मांगे वह वीर, जो क्षमा कर दें वह महावीर: आचार्य विशद सागर

पार्श्वनाथ की जन्मस्थली से दिया. विश्व मैत्री का संदेश

वाराणसी21सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। श्री दिगंबर जैन समाज काशी द्वारा भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म कल्याणक स्थली पर मंगलवार 21/9/2021 को अपराहन से क्षमावाणी पूजन भगवंतो का प्रक्षालन , विदव्त जनों का सम्मान एवं विश्व मैत्री क्षमावाणी का पर्व मनाया गया । विश्व शांति के लिए मंगल कामना एवं विशेष शांति धारा भी की गई ।




प्रारंभ में अपराहन 1:00 बजे से देवाधिदेव श्री 1008 पार्श्वनाथ जी का अभिषेक , पूजन , मंत्रोच्चारण सायंकाल तक चला ।क्षमावाणी पर्व पर अपना संदेश देते हुए आचार्य श्री 108 विशद सागर जी ने कहा -“ जो क्षमा मांगे वह वीर है , जो क्षमा कर दें वह महावीर है । “ आचार्य श्री ने कहा -“ भूल हो जाना मनुष्य का स्वभाव है , क्षमा करना देवीय स्वभाव है । हमारा अहंकार हमें क्षमा मांगने से रोकता है और तिरस्कार क्षमा देने में बाधक बनता है । अहंकार और तिरस्कार को त्याग कर क्षमा मांग लेने से ही तो मुक्ति का मार्ग प्राप्त होता है। क्षमा कल्पवृक्ष के समान है क्षमा से बड़ा कोई धर्म नहीं है । पश्चाताप की घड़ियां जीवन में हमेशा नहीं आया करती यह अपने स्वरूप तक ले जाने वाली घड़ियां हैं । क्षमा स्वरूप प्राप्ति का प्रवेश द्वार  है ।“ 

72 दिन के व्रत के धारक मुनि श्री 108 विशाल सागर जी महाराज ने कहा -“ जीवन में सुख , शांति , आनंद , प्रेम चाहते हो तो इस छोटे से वाक्य को जिंदगी का मूल मंत्र बनाओ - तुम सही , मैं गलत बात यहीं खत्म । उत्तम क्षमा क्योंकि क्षमा मांगने का परिणाम लाजवाब होता है । “ 

आर्यिका सरसमती माता जी ने कहा -“ जिनके जीवन में क्षमा अवतरित हो जाती है , वह पूज्य बन जाता है । जरा सोचो तो जो वस्तु तीन लोक में पूज्यता प्रदान करा दे वह कितनी मौलिक वस्तु होगी । “प्रोफ़ेसर अशोक जैन ने कहा -“ क्षमा धर्म वीरों का आभूषण है , क्षमा प्यार जताने का सर्वोत्तम तरीका है । प्रोफेसर फूलचंद्र प्रेमी ने कहा -“ क्षमा ही अहिंसा है , अपरिग्रह है । क्षमा से ही आध्यात्मिक शक्ति का विकास हो सकता है राजेश जैन ने कहा -“ जो क्षमा के अवतार होते हैं उससे क्षमा मांगने और क्षमा करने की बात ही नहीं क्योंकि उनके पास क्षमा हमेशा रहती है । “ 

प्रेम , वात्सल्य , सौहार्द एवं सद्भावना का जीवंत उदाहरण क्षमावाणी पर्व पर देखने को मिला। जिसमें छोटे-बड़े का भेदभाव मिटाकर बच्चे , बुजुर्ग , महिलाएं एवं पुरुष एक-दूसरे से अश्रुपूरित नेत्रों से खुशी के आंसू छलका कर सभी का पैर पकड़कर गले से गले मिलकर अपने द्वारा जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना कर क्षमा मांग रहे थे ।परस्परोपग्रहो जीवा नाम की भावना एक दूसरे के प्रति करुणा-दया का भाव रहे , यही क्षमावाणी का मुख्य उद्देश्य है । यही संदेश जैन धर्म पूरे विश्व में गुंजायमान करता है । यह पर्व प्रेम , करुणा , वात्सल्य और नैतिकता के भाव को जागृत करता है । क्षमावाणी पर्व पर जैन साधकों ने देश- विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों , इष्टमित्र , व्यापारी , शुभचिंतक सभी वर्ग के लोगों को क्षमावाणी कार्ड, दूरभाष, ईमेल, एसएमएस द्वारा संदेश देकर शुभकामना दी । विद्वत जनों एवं निर्जला व्रत करने वालों का सम्मान भी किया गया । 

आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन,  उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर.सी. जैन, विनोद जैन, तरुण जैन, रत्नेश जैन, निशांत जैन  उपस्थित थे।

विश्वमैत्री क्षमावाणी पर विशेष


साधु क्रोध रूपी शत्रु को क्षमा रूपी तलवार से कर देते हैं नष्ट

  • राजेश जैन 

वाराणसी 21 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। “कषायभाव हमारे जीवन से समाप्त हो जावें , इसीलिए यह क्षमावाणी का त्योहार  मनाया जा रहा है - राष्ट्रसंत संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज कहते हैं - क्षमाभाव को आत्मसात करने का आनंद अद्भुत ही हुआ करता है । आप लोग क्षमा धर्म का अभ्यास करो | “  साधु क्रोध रूपी शत्रु को क्षमा रूपी तलवार से नष्ट कर देते हैं | क्षमा कल्पवृक्ष के समान है, क्षमा के समान कोई धर्म नहीं है |“ क्षमा ऐसी वस्तु है जिससे सारी जलन शीलता समाप्त हो जाती है एवं चारों ओर हरियाली का वातावरण दिखाई देने लगता है “ क्रोध में उपयोग नहीं रहता और उपयोग क्रोध में नहीं रहता| इसका तात्पर्य यह है कि क्रोध के समय उपयोग क्रोध रूपी परिणत हो जाता है  | “ कषायों के वातावरण के साथ तो अनंत समय बिताया है , अब आत्मीयता के (वातावरण के)  साथ जियो | “


“ मतभेद और मनभेद को समाप्त करके एक हो जाओ , भगवान के मत की ओर आ जाओ फिर सारे संघर्ष समाप्त हो जाएंगे |” “ जो क्षमा के अवतार होते हैं , उससे क्षमा मांगने और क्षमा करने की बात ही नहीं क्योंकि उनके पास क्षमा हमेशा रहती है |”

क्षमा और प्रतिक्रमण के आंसू से साधु अपना सारा अपराध बहा देता है , धो लेता है फिर स्वयं क्षमा की मूर्ति बन जाता है | 

“ क्षमा मांगना नहीं क्षमामय बनना चाहिए | “

जिसके जीवन में क्षमा अवतरित हो जाती है, वह पूज्य बन जाता है | 

“ क्षमा मांगने जैसा पवित्र भाव और दुनिया में कोई भाव नहीं हो सकता |” 

सोमवार, 20 सितंबर 2021

पोषण माह के तहत अराजीलाइन में हुईं जनजागरूक गतिविधियां

स्वस्थ समाज, सुपोषित समाज’ का दिया संदेश

वाराणसी, 20 सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। राष्ट्रीय पोषण माह के तहत जनपद के सभी विकासखण्डों में पोषण व स्वास्थ्य से जुड़ी जन जागरूक गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं। जिसका लाभ बच्चों, किशोर-किशोरियों, गर्भवती व धात्री महिलाओं को आसानी से मिल रहा है। इस क्रम में सोमवार को अराजीलाइन विकास खंड में पोषण से जुड़ी जन जागरूक गतिविधियाँ आयोजित की गईं। इस दौरान ‘स्वस्थ समाज, सुपोषित समाज’ का संदेश भी जन जन तक पहुँच रहा है।  


       अराजीलाइन विकास खंड की बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) अंजु चौरसिया ने बताया कि पोषण माह के चतुर्थ सप्ताह के अंतर्गत ने अराजीलाइन में आंगनबाड़ी केंद्र जयापुर में पोषण पंचायत कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें लाभार्थियों के साथ पोषण पर चर्चा की गयी।


आंगनबाड़ी केंद्र पनियर में बच्चों का वजन व लंबाई ली गयी। इसके साथ ही हैंडवॉश की विधि सिखायी गयी। इसके अतिरिक्त बसंतपुर, भतसर, अयोध्यापुर, जलालपुर, कुरसोता, कपरफोरवा, मेहंदीगंज, बेनीपुर आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं द्वारा जन जागरूकता गतिविधियों जैसे पोषण सेनानी रैली, पोषण उत्सव, व्यंजन प्रतियोगिता, वजन व लंबाई आदि का आयोजन किया गया । इसके साथ ही सभी केन्द्रों पर पोषण तस्तरी व पोषण वाटिका प्रदर्शनी लगाई गयी, जिसमें लाभार्थियों को पोषण व स्वास्थ्य का महत्व बताया गया। इस मौके पर समस्त क्षेत्रीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएं मौजूद रहीं।

Hazrat Imam Zainul abedin इस्लाम की पहचान, इबादतों की शान

हज़रत जैनुल आबेदीन की जयंती पर सजी महफिलें, गूंजे कलाम Varanasi (dil India live). शाहीदाने कर्बला इमाम हुसैन के बेटे, इबादतों की शान चौथे हज...