सोमवार, 2 अगस्त 2021

कल गाज़ीपुर में चलेगा मेगा टीकाकरण अभियान

लक्ष्य:  1 दिन में 53 हजार लोगों का होगा टीकाकरण

गाज़ीपुर 2 अगस्त (दिल इंडिया लाइव)। कोविड-19 वैक्सिनेशन इन दिनों पूरे देश मे युद्व स्तर पर किया जा रहा। इस कार्यक्रम में तेज़ी लेन के लिए 3 अगस्त को पूरे जनपद में मेगा टिकाकरण किया जाएगा। जिसको लेकर माइक्रोप्लान बना लिया गया है। अब तक जनपद में 7.77 लाख लोगो का टीकाकरण किया जा चुका है। अब तक किये गए टीकाकरण में 57674 लोगो का टीकाकरण कर ट्रामा सेंटर मोहम्दाबाद प्रथम स्थान पर है।

एसीएमओ डा. उमेश कुमार ने बताया कि इस मेगा टीकाकरण अभियान में सभी ब्लॉकों का लक्ष्य तय कर दिया गया है। जिसके सापेक्ष में वैक्सीन का आवंटन भी कर दिया गया है। जिसमे करंडा 3000, मनिहारी 3000, जमनिया 3000, मोहम्मदाबाद 3600,जखनिया 3600, देवकली  3500,सैदपुर 3600, भदौरा 3600,सुभकारपुर 3000 ,मिर्जापुर 3000, बाराचवर 3500,बिरनो 2800,गोड़उर 2600, कासीमाबाद 3600, मरदह 3000, रेवतीपुर 2600, अर्बन 2000 टीकाकरण करने का लक्ष्य दिया गया है इन सभी लोगों को वैक्सीन उपलब्ध करा दी गई है। उन्होंने बताया कि टीकाकरण के साथ ही डेटा पोर्टल पर अपलोड करना है, यानी जब वैक्सीनशन का कार्य बंद हो तो अपडेशन भी पूरा होना चाहिए।अगले दिन के लिए नही छोड़ना है।

रविवार, 1 अगस्त 2021

10 जिलों से होकर गुजरेगी जन अधिकार चेतना यात्रा

6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस पर सारनाथ में होगा समापन

वाराणसी 1 अगस्त(दिल इंडिया लाइव)। सभी नागरिकों के लिए बेहतर एवं समान शिक्षा, उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं, सम्मानजक रोजगार और खेती किसानी की बेहतरी सुनिश्चित करने के अधिकार की मांग के समर्थन में सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट एवं एक देश समान शिक्षा अभियान के संयुक्त तत्वावधान में 7 दिवसीय जन अधिकार चेतना यात्रा का शुभारम्भ मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गांव लमही से किया।




इस अवसर पर समाजवादी चिंतक अफलातून ने कहा चाहे जो भी सरकार सत्ता में आये लेकिन देश के सभी नागरिकों के लिए उच्चस्तरीय शिक्षा, सुलभ स्वास्थ्य, सम्मानजनक रोजगार (आजीविका) के अवसर और खेती किसानी के परेशानियों का मौलिक सवाल प्रायः अनुत्तरित ही है ऐसे में आम व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं परिवारजनों को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवा दिला पाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है, युवा वर्ग चाहे वह गांव का हो या शहर का आज रोजगार और आजीविका के अवसर खोजने के लिए भटकने को मजबूर है। सार्वजनिक क्षेत्र में आउट सोर्सिंग,  संविदा प्रणाली और सेवा प्रदाता कम्पनियों द्वारा ठेकेदारी पर काम लेने के बढ़ते चलन से पढ़े लिखे युवकों का शोषण दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. खेती किसानी और स्वरोजगार में भी जोखिम दिनों दिन बढ़ रहा है।

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि जन अधिकार चेतना यात्रा के माध्यम से हम सभी के लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के अधिकार और खेती किसानी से जुड़े मुद्दे को आमजन की आवाज बनाना चाहते हैं जिससे ये सवाल तमाम राजनैतिक पार्टियों और चुनाव में आने वाले प्रत्याशियों तक पहुंचे और वे इसके प्रति संवेदनशील बन सकें सदन में जाने पर उनकी कोई जवाबदेही सुनिश्चित हो। यात्रा के संयोजक दीन दयाल सिंह ने बताया कि लमही (वाराणसी) से प्रारंभ होकर यात्रा गाजीपुर, मऊ,  बलिया,  देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, आजमगढ़, जौनपुर होते हुए हिरोशिमा दिवस पर 6 अगस्त को सारनाथ वाराणसी पहुंचेगी. इस दौरान यात्रा दल के साथी रास्ते में पड़ने वाले गावों, बस्तियों, कस्बो और शहरों में पर्चे, पोस्टर, स्टीकर, जन गीत, जन संवाद आदि के माध्यम से अपनी 4 सूत्रीय मांगो के पक्ष में समर्थन जुटाएंगे. यात्रा में 12 सदस्य शामिल हैं. जिनमे दीन दयाल, अजय पटेल, महेंद्र राठौर, मनोज कुमार, श्रद्धा पटेल, प्रियंका जायसवाल, अजय पटेल, दिव्या पांडेय, राजकुमार गुप्ता, सुरेश राठौर, अरविंद मूर्ति शामिल है।

इस अवसर पर राम जनम, चंचल मुखर्जी, प्रदीप सिंह, सूरज पांडेय, विनय सिंह, रमेश प्रसाद, केशव शरण , राजेश, हरीश पाल आदि उपस्थित रहे।

आखिर क्यों चिंता में हैं नज़ीर और कबीर के वंशज



बुनकर सरदारों ने अपने हालात पर जतायी चिंता

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी, चौदहो, पांचों के सभी सरदार साहेबान की एक खास बैठक चौदहो के सरदार मकबूल हसन अंसारी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।  बैठक में सभी सरदार साहिबान ने वाराणसी से बुनकरों के पलायन करने पर जहां चिंता जतायी वहीं बुनकरों पर कमर तोड़ महंगाई व बेरोजगारी से जो असर हो रहा है उस पर आर्थिक तंगी के समय बुनकरों का बुरा हाल है। तमाम बिजली बकायों के चलते बुनकर बनारस से दूसरे जगहों को पलायन कर रहे हैं। बुनकर को रोकने के लिए सरकार ने कोई ठोस योजना नहीं बनाई तो बनारस से बनारसी सनद बर्बाद हो जाएगी। सभी सरदार साहिबान ने इसके लिए प्रदेश और केंद्र सरकार से मिलकर बुनकरों के लिए ठोस कदम उठाये, जिससे बुनकरों की समस्या का हल हो सके। बैठक में सरदार एकरामुद्दीन, बाईसी, सरदार मकबूल हसन अंसारी चोदहो, सरदार हाजी अली अहमद, तंजीम पांचों,  सरदार हाजी जिÞयाउल हसन तंजीम पांचो, हाजी अब्दुल वहीद, मौलाना अब्दुल अजीज, अब्दुल्लाह अंसारी, हाजी अब्दुल हमीद, हाजी सैयद हसन अंसारी, हाजी रिजवानुल्लाह, मौलाना नईम, हाजी रहमतुल्लाह आदि उपस्थित थे। बैठक का संचालन इसरत उस्मानी ने किया।

शनिवार, 31 जुलाई 2021

जातिवाद, क्षेत्रवाद से परे समूचे राष्ट्र के उन्नायक रहे लोकमान्य तिलक - शैलेष तिलक

डीएवी में वेबिनार में तिलक के प्रपौत्र ने ररवा विचार


वाराणसी, 31 जुलाई(दिल इंडिया लाइव)। डीएवी पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग के तत्वावधान में महान क्रांतिकारी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 100 वीं पुण्यतिथि पर उनके जीवन एवं विचारों पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता लोकमान्य तिलक के प्रपौत्र शैलेष श्रीकांत तिलक ने कहा कि उनके दैहिक अवसान के सौ वर्ष बाद भी तिलक के विचार उतने ही प्रांसगिक है जितने ब्रिटिश साम्राज्य मे थे। अंग्रेजी शिक्षा पद्धति से अलग राष्ट्र के प्रति जागृति लाने वाली शिक्षा नीति की बुनियाद उन्होंने ही सबसे पहले रखी। उनका मत था कि लोकशिक्षा के जरिए ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है। उनकी पत्रकारिता ने भी लोगों के दिल में क्रांति का बीजारोपण किया। उनकी मुखर लेखनी अंग्रेजी हुकुमत की ऑखों में सदैव किरकिरी बनी रही। शैलेष तिलक ने यह भी कहा कि तिलक जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद से परे समूचे भारत राष्ट्र के वह उन्नायक है जिन्होंने सिर्फ समाज के लिए जीवन समर्पित किया।

विशिष्ट वक्ता महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार अरविन्द गोखले ने कहा कि तिलक के जीवन को किसी सीमा से बांध कर नही देखा जा सकता है। तिलक ध्यान योगी और कर्म योगी दोनों ही रहे। समाज में व्याप्त कुरितियों के खिलाफ उनकी लड़ाई में विधवा लड़कीयों को शिक्षित कर उन्हें स्वावलम्बी बनाने की सोच उनके विराट व्यक्तित्व की गवाही देता है। उन्होंनें कहा कि काशी उनके लिए श्रद्धास्थल के समान रही और 1906 के राजघाट के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने वह यहॉ आये।

अध्यक्षीय सम्बोधन में प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह ने कहा कि लोकमान्य तिलक अपने विचारों, कार्यो, सर्मपण और त्याग की भावना से देहावसान के 100 वर्ष बाद भी सबके विचारों में जिन्दा है। तिलक ने जिस प्रकार से स्वराज को अपना जन्मसिद्ध अधिकार बतलाया वह आज भी हमारे अन्दर आत्मचेतना की भावना जागृत करती है। महात्मा गांधी से पूर्व तिलक ही राष्ट्रीय एकता के ध्वजवाहक रहे, उनके द्वारा शुरू किया गया गणपति पूजन और उनकी पत्रकारिता ने सदैव देश को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया।

इस अवसर पर प्रो. आर.पी.पाठक, प्रो. बिन्दा परांजपे, प्रो. मानवेन्द्र पुण्डीर, डॉ. राजकुमार, डॉ. घनश्याम दूबे, डॉ. सतीश कुमार ंिसंह आदि प्रबुद्धजनों ने भी तिलक के जीवन दर्शन पर विचार व्यक्त किया। संयोजन डॉ. विनोद कुमार चौधरी, संचालन डॉ. शोभनाथ पाठक, डॉ. प्रतिभा मिश्रा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संजय कुमार सिंह ने दिया।

राष्ट्रीय आयुष मिशन का प्रशिक्षण

भारतीय चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने के लिए प्रचार-प्रसार पर जोर 


गाजीपुर (दिल इंडिया लाइव)। राष्ट्रीय आयुष मिशन स्थानीय समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आशा एवं ए एन एम प्रशिक्षण की शुरुआत भदौरा ब्लॉक के स्वास्थ अधीक्षक डा.  हारून के कर कमलों द्वारा कराया गया। चिकित्सा अधिकारी डा. राकेश रोशन ने प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने के लिए प्रचार  प्रसार पर करने पर जोर दिया उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं को आयुर्वेद एवं योग में स्वास्थ्य की अवधारणा मधुमेह का रोकथाम एवं नियंत्रण सामान्य औषधीय पौधे एवं उनके प्रयोग के बारे में जानकारी दी, साथ ही उनको प्रशिक्षित करते हुए गांव गांव कस्बे मोहल्लों में जाकर भारतीय परंपरा योग के द्वारा खास तौर पर मधुमेह संचारी गैर संचारी रोगों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी जो दी गई है  उसे  लोगों के बीच इस जानकारी को बांटे और उन्हें जागरूक करें।

 जिला समन्वयक परितोष अवस्थी ने कहा कि हमारा उद्देश्य हर ब्लॉक पर आशा और एएनएम को जागरूक कराना और उन के माध्यम से दूर-दराज गांवों की जनता को योग एवम आयुर्वेद के माध्यम से किस प्रकार स्वस्थ रखा जा सकता है यह प्रयास किया जा रहा है इस मौके पर डॉ सुजीत कुमार डॉ बीके यादव इंटिको लखनऊ से सौरभ  श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।

शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस पर जाने क्या उठी मांग

मानव तस्करी रोकथाम बिल हर हाल में पारित हो

बंधुआ मजदूरी से पायी मुक्ति, अब बनेंगे दूसरों की शक्ति 

बंधुआ मजदूरी से मुक्त तीन सौ युवाओं के समूह ने सांसदों को भेजा ज्ञापन

वाराणसी 30 जुलाई (दिल इंडिया लाइव)। बंधुआ मजदूरी से मुक्त लगभग तीन सौ युवाओं के समहू ‘आजाद शक्ति’ ने अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस पर शुक्रवार को सांसदों को ज्ञापन भेज कर उनसे अनुरोध किया कि वह उनकी पीड़ा को संसद तक पहुंचाने के साथ ही प्रस्तावित मानव तस्करी  रोकथाम बिल का समर्थन करें, ताकि उनके जैसा और काई भी व्यक्ति बंधुआ अथवा बाल मजदूरी का शिकार न बने। मानव तस्करी हर हाल में रुके और ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।

‘आजाद शक्ति’ ऐसे तीन सौ युवाओं का समूह है जो कभी बंधुआ मजदूर थे। इस अभिशाप से मुक्त होने के बाद अब वह वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, जौनपुर व संतरविदासनगर भदोही में बाल, बंधुआ मजदूरी व मानव तस्करी के खिलाफ लड़ार्इ लड़ रहे हैं। प्रस्तावित मानव तस्करी रोकथाम बिल के समर्थन में इस संगठन से जुड़े लोगों ने शुक्रवार को अंतराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस पर अपने-अपने जिलों में सांसदों के नाम सम्बोधित ज्ञापन उनके प्रतिनिधियों को सौंपा। आजाद शक्ति के कल्लू वनवासी और बाबूलाल के नेतृत्व में वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय कार्यालय में ज्ञापन सौंपा गया। चंदौली में देवेन्द्र कुमार, चन्द्रीका व भदोही में मुनीबजी, वीरेन्द्र के नेतृत्व में, जौनपुर में पन्ना वनवासी, हरिकेश व मिर्जापुर में रामआसरे, लालफुल के नेतृत्व में समूह के लोगों ने सांसद प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंप कर उनसे अपनी पीड़ा संसद तक पहुंचाने की मांग की। कहा कि वह प्रस्तावित ’मानव तस्करी रोकथाम विधेयक’ हर हाल में संसद में समर्थन करें।

क्या है मानव तस्करी रोकथाम विधेयक

प्रस्तावित विधेयक के मसौदा के अनुसार,  मानव तस्करी के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को कम से कम सात साल की जेल होगी, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है। दोषी पर कम से कम एक लाख रुपये का और अधिकतम पांच लाख रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। मानव तस्करी के अवैध व्यापार से अर्जित धन प्राप्त संपत्ति को भी विस्तृत प्रावधानों के साथ जब्त किया जा सकेगा। इसके अलावा, तस्करी के गंभीर रूप में वर्गीकृत अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रस्ताव किया गया है। 

विधेयक का उद्देश्य

इसका उद्देश्य व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की तस्करी पर अंकुश लगाना है। पीड़ितों को उनके अधिकारों का सम्मान करते हुए देखभाल,  सुरक्षा और पुनर्वास प्रदान करने और उनके लिए एक सहायक कानूनी,  आर्थिक और सामाजिक वातावरण बनाने पर जोर देना इसका मुख्य उद्देश्य है।

आज भी प्रासंगिक हैं मुंशी प्रेमचन्द के साहित्यिक व सामाजिक विमर्श


डाककर्मी के पुत्र ने लिखी साहित्य की नई इबारत: पीएमजी  कृष्ण कुमार यादव

वाराणसी 30 जुलाई (दिल इंडिया लाइव)। हिन्दी साहित्य के इतिहास में उपन्यास सम्राट के रूप में प्रसिद्ध मुंशी प्रेमचंद के पिता अजायब राय श्रीवास्तव लमही, वाराणसी में डाक मुंशी (क्लर्क) के रूप में कार्य करते थे। ऐसे में प्रेमचंद का डाक-परिवार से अटूट सम्बन्ध था। मुंशी प्रेमचंद को पढ़ते हुए पीढ़ियाँ बड़ी हो गईं। उनकी रचनाओं से बड़ी आत्मीयता महसूस होती है। ऐसा लगता है मानो इन रचनाओं के  पात्र हमारे आस-पास ही मौजूद हैं। प्रेमचंद जयंती (31 जुलाई) की पूर्व संध्या पर उक्त उद्गार चर्चित ब्लॉगर व साहित्यकार एवं वाराणसी  परिक्षेत्र  के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने व्यक्त किये। 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि लमही, वाराणसी में जन्मे डाककर्मी के पुत्र मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य की नई इबारत  लिखी। आज भी तमाम साहित्यकार व शोधार्थी लमही में उनकी जन्मस्थली की यात्रा कर प्रेरणा पाते हैं। हिंदी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936  तक के कालखंड को 'प्रेमचंद युग' कहा जाता है। प्रेमचंद साहित्य की वैचारिक यात्रा आदर्श से यथार्थ की ओर उन्मुख है। मुंशी प्रेमचंद स्वाधीनता संग्राम के भी सबसे बड़े कथाकार हैं। श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाक विभाग की ओर से 30  जुलाई 1980 को उनकी जन्मशती के अवसर पर 30 पैसे मूल्य का एक डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है। 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, प्रेमचन्द के साहित्यिक और सामाजिक विमर्श आज भूमंडलीकरण के दौर में भी उतने ही प्रासंगिक हैं और उनकी रचनाओं के पात्र आज भी समाज में कहीं न कहीं जिन्दा हैं। प्रेमचंद ने साहित्य को सच्चाई के धरातल पर उतारा। प्रेमचन्द जब अपनी रचनाओं में समाज के उपेक्षित व शोषित वर्ग को प्रतिनिधित्व देते हैं तो निश्चिततः इस माध्यम से वे एक युद्ध लड़ते हैं और गहरी नींद सोये इस वर्ग को जगाने का उपक्रम करते हैं। श्री यादव ने कहा कि प्रेमचन्द ने अपने को किसी वाद से जोड़ने की बजाय तत्कालीन समाज में व्याप्त ज्वलंत मुद्दों से जोड़ा। उनका साहित्य शाश्वत है और यथार्थ के करीब रहकर वह समय से होड़ लेती नजर आती हैं।


(चित्र में : मुंशी प्रेमचंद की जन्मस्थली लमही, वाराणसी में पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव)

Hazrat Imam Zainul abedin इस्लाम की पहचान, इबादतों की शान

हज़रत जैनुल आबेदीन की जयंती पर सजी महफिलें, गूंजे कलाम Varanasi (dil India live). शाहीदाने कर्बला इमाम हुसैन के बेटे, इबादतों की शान चौथे हज...