रमज़ान का पैग़ाम-16
(30-04-2021)
(30-04-2021)
मेरठ (दिल इंडिया लाइव)। कोई हिन्दू, न मुसलमां, न ईसाई है, गुलशने हिंद में मिलजुल कर बहार आयी है...।
कोरोना महामारी से पैदा हुए हालात में ग़म और खौफ के बीच
दरअसल कोविडा संकट काल में अपनों ने भी मुंह मोड़ लिया है। सुख-दुख की क्या पूछना, जो अपना होने का दम भरते नहीं थकते थे, आज के हालात में वो अपनों को कंधा देने तक नहीं आ रहे हैं। एक ओर जहां अपने दूरी बना रहे हैं, वहीं मुस्लिम समाज के लोगों ने हिंदू बहन का अंतिम संस्कार कराकर सौहार्द की मिसाल भी पेश की है।
हापुड़ रोड रामनगर निवासी सुषमा अग्रवाल कई दिनों से बुखार से ग्रस्त थीं। वह घर में रहकर इलाज करा रही थीं। बुधवार सुबह उनकी मृत्यु हो गई है। जब अपने नहीं पहुँचे तो उनकी शव यात्रा में मुस्लिम समाज के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित हुए। उन्होंने सूरजकुंड पहुंचकर अंतिम संस्कार कराया। शव यात्रा में शामिल परवेज ने बताया कि हम सब पड़ोसी हैं और परिवार के साथ रहते हैं।
एक-दूसरे का सुख दु:ख में पूर्ण सहयोग करते हैं। आज इस मुश्किल घड़ी में अपने पड़ोसियों को सहयोग के लिए उनके साथ आए हैं। इस दौरान शकील, अहमद अंसारी, तसलीम, जावेद सिद्दीकी आदि ने कहा कि हमने कोई एहसान नहीं किया है बाल्कि इस्लाम में पड़ोसी के जो अधिकार है बस उसे ही अदा किया है।
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान हेल्प लाइन में शफीक ने फोन किया अर्दली बाज़ार से, मुफ्ती साहब एतेकाफ रखना फर्ज़ है या वाजिब? उलेमा ने कहा कि एतेकाफ न फर्ज है और न ही वाजिब, बाल्कि एतेकाफ सुन्नते कैफाया है। इब्राहिम ने सरैया से फोन किया, एतेकाफ का मायने क्या हैं? उलेमा ने कहा कि एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत में बैठना या खुद को अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना है। 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ कर देते है जिसका नाम एतेकाफ है। एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानी मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार होगा और पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा।
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। दुनिया जिस भूख से परेशान होती है उसी भूख को इस्लाम ने इबादत बना दिया। इस्लाम भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत के ज़रिये रोज़ेदारों को यह दिखाना चाहता है कि भूखे और प्यासे रहने का क्या दर्द है। जो गरीब है जिनके पास खाने को खाना नहीं पीने के लिए पानी नहीं है, मुफलिसी में जिन्दगी गुज़ार रहे हैं वो किस तरह अपनी जिन्दगी काट रहे हैं मोमिन इस बात को रोज़ा रखकर समझता है और रमज़ान में उन भूखे प्यासे जिन्दगी गुज़ारने वाले, गरीबों मिसकीनों के लिए इस्लामी टैक्स ज़कात और फितरा निकालता है ताकि उनकी भूख और प्यास तो मिटे ही साथ ही उन गरीबों की ईद भी मन जाये। उलेमा कहते हैं कि तमाम इबादतों में तो इंसान दिखावा कर सकता है मगर रोजा ही सिर्फ एक ऐसी इबादत है जिसमें किसी तरह का कोई दिखावा नहीं कर सकता। यही वजह है कि रब को राज़ी करने के लिए तमाम छोटे-छोटे बच्चे भी लाख मना करने के बावजूद रोज़ा रखते हैं। सिर्फ खाने-पीने से बाज रहने का नाम ही रोज़ा नहीं है, बल्कि रोज़ा रखने वाला तमाम बुराइयों से भी दूर हो जाता है। अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्तों पर अमल करते हुए पूरा महीना कठोर इबादतों में गुज़ारता है। रोज़ादार को चाहिये कि वो रोज़े में जैसे खाना-पीना छोड़ता है वैसे ही झूठ, गीबत, चुगली, बदग़्ाुमानी, इल्ज़ाम तराशी और बद ज़ुबानी भी छोड़ दे। पैगम्बरे इस्लाम नबी-ए-करीम हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.) ने फरमाया कि अगर कोई लड़ाई करने पर तुमसे अमादा रहे तो तुम उससे कह दो कि में रोज़े से हूं। मैं लड़ाई-झगड़ा नहीं चाहता। इस्लामी किताबों में आया है कि जो रमज़ान का रोज़ा रखेगा, उसे पहचानेगा और जिन गुनाहों से बचना चाहिये उससे बचा, आज़ा का रोज़ा रखा तो उसकी वो गुनाह जो उसने पहले की है उसे खुदा माफ कर देगा। इसलिए रोज़ेदार का रोज़ा ढाल का काम करता है। तभी तो हदीस में है कि, जो बुरी बात को कहना और उस पर अमल करना न छोड़े तो उसके भूखा-प्यासा रहने की रब को कोई ज़रूरत नहीं है। बल्कि रब तो बंदे को भूखा प्यासा रोज़ा रखने के लिए बतौर इम्तेहान यह देखना चाहता है कि मेरा बंदा मुझ से कितनी मोहब्बत करता है जो रब और उसके रसूल से मोहब्बत करता है रब उससे मोहब्बत करता है। ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदके में हम सब रोज़ेदारों को इबादत करने, रोज़ा रखने की तौफीक दे..आमीन।
वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। जैन समाज के रास्ट्रीय स्तम्भ समझे जामे वाले प्रचारक निर्मल जैन सेठी के निधन पर श्री दिगम्बर जैन महासमिती, वाराणसी संभाग ने शोक जताया है। समिति ने कहा कि जेैन प्रचारक निर्मल जैन सेठी का जाना हम सब लोगो को अखर गया, हम सब अपने दुःख को शब्दों में नही व्यक्त कर सकते। बस यही प्राथना करेंगे की प्रभु संपूर्ण भारत के जैन समाज को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करे, श्री दिगम्बर जैन महासमिती, वाराणसी संभाग स्वर्गीय निर्मल जैन सेठी को श्रद्धासुमन अर्पित करती है। इस अवसर पर डा. के के जैन, अध्यक्ष, प्रदीप चन्द जैन, विजय कुमार जैन उपाध्यक्ष, राकेश जैन महामंत्री, प्रमोद बागड़i, विनोद जैन चांदी, विनोद जैन जाली, कमल बागड़ा, वेवेकानंद जैन इत्यादि प्रमुख लोगो ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रोज़ादार बीमार हो या रोज़े की हालत में उसे खून की ज़रूरत हो तो क्या खून उसे चढ़ाया जा सकता है? है। यह सवाल गौरीगंज से चांद ने किया? इसके जवाब में उलेमा ने कहा कि खून चढ़ाया जा सकता है। खून चढाये जाने से रोज़ा नहीं टूठेगा। ऐसे ही बीमार रोजेदार को पानी भी चढ़ाया जा सकता है। पानी चढ़ाये जाने से उसका रोजा नहीं टूटेगा। हॉ पानी पीयेगा तो रोज़ा टूट जायेगा।
भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...