मंगलवार, 16 मार्च 2021

सीमा ने इनकी ज़िदगी में फैलाया उजियारा

एक रुपये से बदल दी कई ज़िंदगी

-बिलासपुर की बेटी ने बुलंद हौसले से छेड़ी बड़ी जंग

छत्तीसगढ़ (अमन/दिल इंडिया लाइव) बिलासपुर शहर के कौश्लेंद्र राव कॉलेज में एलएलबी अंतिम वर्ष की छात्रा सीमा वर्मा ने महज एक रुयये की छोटी सी रकम से समाज में शिक्षा का उजियारा फैलाने की बड़ी जंग छेड़ रखी है। इसका नतीजा है कि पिछले 5 सालों में 13 हज़ार से अधिक ज़रुरतमंद स्कूली बच्चों को शिक्षण सामग्री उपलब्ध करवा चुकी हैं और 34 स्कूली बच्चों की पढ़ाई का एक वर्ष का पूरा खर्च भी उठा चुकी हैं। इस समय सीमा 50 बच्चों को स्वयं निःशुल्क शिक्षा दे रही हैं।

कौन हैं सीमा, क्या है एक रुपया मुहिम

मूलतः छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर की रहने वाली सीमा अपनी पढ़ाई के साथ एक रुपया मुहिम चलाती है। इस मुहिम के ज़रिए सीमा जरूरतमंद और गरीब बच्चों की मदद करती है। सीमा ने दिल इंडिया को बताया कि उसके साथ पढ़ने वाली सुनीता यादव एक दिव्यांग है। वह ट्राईसिकल की मदद से कॉलेज आती थी।  मैं चाहती थी कि उसे इलेक्ट्रॉनिक ट्राईसिकल दिलवाए। उसने इस विषय पर अपने कॉलेज के प्रिंसिपल से बात की। उनका जवाब आया- एक हफ्ते बाद आना। इसके बाद सीमा ने सोचा इसके बारे में बाजार में भी पता कर लिया जाए। सीमा बताती हैं कि उसके दिमाग में पहले से ही यह बात चल रही थी कि सहेली को कैसे भी इलेक्ट्रॉनिक ट्राईसिकल दिलाना है, फिर चाहे इसके लिए उसे कॉलेज के छात्रों के बीच क्यों न चंदा करना पड़े।

सीमा अपने कॉलेज से ट्राईसिकल के बार में पता करने के लिए निकली। उसे काफी मशकक्त के बाद दुकान मिली मगर जब उसका दाम पूछा तो उसकी कीमत सुनकर होश उड़ गये। कीमत थी 35 हज़ार रूपये है और इसे दिल्ली से आर्डर पर मंगवाना पड़ता था। सीमा उस वक्त को याद करते हुए बताती है कि वह पल काफी कठिन था, लेकिन किसी भी हाल में वह अपनी सहेली सुनीता के लिए ट्राईसिकल लेना चाह रही थी।

पंचर वाले ने दिखाया रास्ता




सीमा इसके बाद वहां से निकलकर एक पंचर वाले की दुकान पर जा पहुंची और पंचर बनाने वाले से इस विषय में जानकारी मांगी तो उसने पूछा कितना पढ़ी लिखी हो ? सीमा ने जवाब दिया – बीएससी फाइनल ईयर में।

पंचर वाले ने कहा मैडम। ये सरकार फ्री ऑफ़ कॉस्ट देती है। सीमा ने इसके प्रोसेस के बारे में पूछा। फिर उसने बताया कि उसे जिला पुर्नवास केंद्र जाना चाहिए, जहाँ आपको डाक्यूमेंट्स समिट करने होंगे, जिसमे 6 महिना या साल भर तक का वक़्त लग सकता है।

तब सीमा ने उससे पूछा कि इसे जल्दी पाने का कोई और रास्ता है क्या ? उसने सीमा को कलेक्टर या कमिश्नर के पास जाने का सुझाव दिया। 

सीमा ने बताया इसके बाद वह अपने एक दोस्त के साथ कमिश्नर ऑफिस गई। जहाँ उसने कमिश्नर समेत अन्य अधिकारियों को सुनीता के बारे में बताया। उसने कमिश्नर ने कहा कि सुनीता उसकी क्लासमेट है और उसके दिव्यांग होना उसके लिए अभिशाप बना हुआ है। जिसके चलते उसे एक साल ब्रेक भी लगा है।

सीमा ने बताया कि कमिश्नर ऑफिस में सीमा कि बात सुनने के बाद वहां के अधिकारियों ने डॉक्यूमेंट जमा करने के लिए कहा। इसके बाद उसने सभी डॉक्यूमेंट जमकर दिए। दस्तावेज जमा करने के बाद दूसरे दिन एडिशनल कमिश्नर ने सीमा को कॉल कर कहा अपनी फ्रेंड को डाक्यूमेंट्स में साइन करने के लिए ऑफिस ले आओ। दस्तावेजों में हस्ताक्षर कराने के बाद तत्कालीन कमिश्नर सोनमणि बोरा के हाथों से इलेक्ट्रॉनिक ट्राईसिकल मिल गई।

सीमा बताती है की इस घटना से उसने अपने जीवन में तीन बाते सीखी – सीमा कहती है कि वह औरों कि तरह अपने घर में बैठी होती तो उसकी सहेली को ट्राईसिकल नहीं मिल पाती। यदि पंचर वाले ने उसे गाइड नहीं किया होता तो उसे मालूम ही नहीं चलता सरकार कि ओर से दिव्यांगजनों के लिए योजना चलती है। हमारे और सरकार के बीच कितनी ज्यादा कम्युनिकेशन गैप है।

बीएचयू से मिला ‘एक रुपया मुहिम’ का आईडिया

सीमा ने बताया कि जिस प्रकार बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय लोगों से एक-एक पैसा इक्कठा कर बनवाया गया था, इसी कांसेप्ट में साथ मैं लोगों से एक-एक रूपये मांग कर इक्कठा करती थी जो जरुरतमंदों कि जरूत में काम आती है।

सीमा ने बताया कि जब उसने पैसा इक्कठा करने की शुरू कि तो उसने लगभग ₹2,34,000 तक इक्कठा किया। इन रूपये से  हम बच्चों की फीस भरते जा रहे थे , स्टार्टिंग में तो मैंने खुद लोगों से बच्चों के लिए मिले पैसों से उनकी फीस भरी और धीरे-धीरे लोग खुद मेरे बच्चों से जुड़ने लगे। जैसे बिलासपुर के तत्कालीन SP मयंक श्रीवास्तव ने 6 बच्चों को गोद ले लिया था। इसके बाद आईपीएस और बिलासपुर रेंज के आईजी रत्नलाल डांगी ने भी सीमा को आर्थिक सहायता दी और उसके समाज सेवा के इस काम सराहा, सीमा आईपीएस डांगी और अपनी माँ को अपने जीवन की प्रेरणा भी मानती है।

सीमा कहती हैं – यह कार्य युवाओं को मोटिवेट करने के लिए भी करती हैं। बच्चों को गुड टच, बैड टच, पॉक्सो एक्ट,मौलिक अधिकारों, बाल विवाह,राइट टु एजूकेशन, बाल मजदूरी,आदि की जानकारी भी सीमा देती हैं। सीमा सभी लोगो से अपील करती हैं आप अपने फील्ड से रिलेटेड जानकारी अपने घर वालो को, आस पास वालों को देकर उन्हें जागरूक कर सकते है। जागरुकता से ही अपराध में कमी आएगी।

सीमा के काम को काफी सराहना मिली है और अब तक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर के दो दर्जन से ज्यादा पुरस्कार उन्होंने मिलें हैं।

सोमवार, 15 मार्च 2021

सुभाष सिंह अध्यक्ष, अत्री भारद्वाज महामंत्री बने


काशी पत्रकार संघ का चुनाव परिणाम घोषित

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। काशी प्रत्रकार संघ के विभिन्न पदो के लिए हुए चुनाव में वोटों की गिनती के बाद सुभाष सिंह का अध्यक्ष व अत्री भारद्वाज का महामंत्री पद पर कब्जा हो गया। कौन जीता कितना मत मिला देखें-:

अध्यक्ष सुभाष चंद्र सिंह 

उपाध्यक्ष के 3 पदों पर उमेश गुप्ता कमलेश चतुर्वेदी पुरुषोत्तम चतुर्वेदी

महामंत्री अत्रि भारद्वाज

मंत्री राधेश्याम कमल सुनील शुक्ला

कोषाअध्यक्ष जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव

कार्यकारिणी के 10 पदों पर 

रामआत्मा श्रीवास्तव

आलोक मालवीय

जय नारायण मिश्रा नागेंद्र पाठक मोहम्मद अशफाक सिद्दीकी विनय शंकर सिंह आलोक कुमार श्रीवास्तव सौरव बनर्जी रोशन कुमार जायसवाल अश्वनी श्रीवास्तव

अश्वनी श्रीवास्तव और राजेंद्र यादव टाई होने पर राजेंद्र यादव ने बड़प्पन दिखाते हुए अपना नाम वापस लेकर अश्वनी श्रीवास्तव को आगे करके जिता दिया।

प्रेस क्लब निर्विरोध चुने गए विजयी उम्मीदवार-

अध्यक्ष चंदन रुपानी

उपाध्यक्ष संजय गुप्ता

मंत्री पंकज त्रिपाठी 

संयुक्त मंत्री देव कुमार केसरी 

कोषाध्यक्ष शंकर चतुर्वेदी 

प्रबंध समिति के 5 पदों पर हरिशंकर श्रीवास्तव,अनु, सुरेंद्र नारायण तिवारी, विपिन सिंह, पंकज कुमार मिश्रा, राजेश सेठ।

रविवार, 14 मार्च 2021

शबे बरात 28 को


शबे बरात का चांद दिखने का ऐलान

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। देश के विभिन्न हिस्सो में रविवार की शाम चांद देखे जाने के बाद शिया और सुन्नी दोनों वर्ग की चांद कमेटियों ने 28 मार्च को शबे बरात मनाये जाने का ऐलान किया है। शहर काज़ी मुजफ्फरनगर काज़ी तनवीर आलम ने ऐलान किया कि 29 रजब का चांद देख लिया गया है, लिहाज़ा शाबान की पहली तारीख 15 मार्च को होगी, 28 को शबे बरात मनाया जायेगा। 

ऐसा ही ऐलान लखनऊ से फरंगी महली व शिया मौलाना सैफ अब्बास ने भी किया है। उन्होने कहा कि 28 मार्च शबे बरात के पूर्व 17 मार्च को हजरत इमाम हुसैन की यौमे वेलादत मनायी जायेगी। ऐसा ही समाचार बनारस समेत पूर्वांचल के तमाम हिससों से मिलने का क्रम जारी हैं

सासाराम के तीन युवकों की बेरहमी से हत्या!


खून से लतपथ शव मिर्जापुर में मिलने से सनसनी

मिर्ज़ापुर (हिमांशु राय/दिल इंडिया लाइव)। चुनार थाना क्षेत्र के नंदुपुर गाँव में सड़क के किनारे तीन युवकों की लाश मिलने से समसनी फैल गयी। एक बारगी देखने से पता चलता है कि तीनों की बेरहमी से हत्या कर शव को सड़क के किनारे फेका गया है।खून से लतपथ ये तीनो शव मिर्ज़ापुर-वाराणसी बार्डर के पास की है। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुँच गयी और घटना की जाँच में जुट गयी है।

मिर्जापुर पुलिस ने बताया कि तीनों शव की पहचान किया जा चुका है, मृतक के परिवार को पुलिस द्वारा सूचना दी जा चुकी है। मृतक में पिंटू यादव उर्फ राजकुमार ,दूसरा ओम, तीसरा पिंटू कुमार सासाराम जिला बिहार के रहने वाले हैं। पुलिस के द्वारा बताया गया कि प्रथम दृष्टया इन तीनों की हत्या कर के कहीं और से शव लाकर मिर्जापुर के बॉर्डर में रखा गया, फिलहाल पुलिस सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है जांच कर आरोपियों को चिन्हित करने में लगी है।

Saree में नारी सब पर भारी

नारी कमज़ोर नहीं, हर जगह मनवा रही शाक्ति का लोहा  

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। अखिल भारतीय वैश्य महिला महासम्मेलन द्वारा साड़ी में नारी सब पर भारी, विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। अध्यक्ष अंजलि अग्रवाल ने स्वागत करते विषय की स्थापना की। उन्होंने कहा नारी कमजोर नहीं,आज हर क्षेत्र में अपनी शक्ति का लोहा मनवा रही। घर बाहर सामंजस्य स्थापित कर मैनेजमेंट क्षमता से निरंतर आगे बढ़ती जा रही। सचिव सुशीला जायसवाल ने अपनी बात रखते कहा कि नारी को कम आंकना भूल होगी वो कोमलता सहजता एवम् दृढ़ इच्छाशक्ति से सशक्त हो रही। इरा, नीलू ने अपने विचार रखते समाज से अपील करी की शिक्षा सुरक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए महिलाओं को उचित स्थान देना चाहिए। शिव स्तुति मिथिलेश एवम् इंदु ने प्रस्तुत की तो


संचालन जयंती एवम् प्रीती ने किया,धन्यवाद संगीता अग्रवाल ने किया,रश्मि,गीता,ममता जायसवाल,रीता ,गुडिया कमलेश गुप्ता इत्यादि 15 महिलाओ को सम्मानित किया गया।

शुक्रवार, 12 मार्च 2021

गेंहू की नई किस्म दूर करेगी आयरन की कमी

कुपोषण के खिलाफ ये आटा लड़ेगा ज़ंग

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। अब गेंहू की नई किस्म शरीर में आयरन और जिंक की कमी को दूर करेंगी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के सहयोग से हाईजिंक व आयरन वाले इस गेहूं के आटे से बनी रोटी से पोषण मिलेगा। यह आटा खासकर बच्चों के विकास के लिए सर्वोत्तम है। आयरन और जिंक से भरपूर किस्म खासतौर पर महिलाओं में आयरन की कमी के साथ ही बच्चों को कुपोषण से बचाने में भी मददगार साबित होंगा। गेहूं की इस नई प्रजाति के विकास में कृषि विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों नेेे महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस नई किस्म को चंदौली व बनारस के आसपास के जिले के किसानों ने लगाया है। इससे तैयार आटा कुपोषण के विरूद्ध जंग को तैयार है। 
आर्गेनिक हाट करौंदी में यह आटा मौजूद हैं। इसके संचालक आनंद कुमार मिश्र बताते हैं कि हाईजिंक व आयरन वाला आटा के साथ ही करेले का स्पेशल अचार, गिर गाय का घी, अर्जुन छाल पाउडर, बेल चुर्ण, आंवला चूर्ण, कालमेघ, त्रिफला चूर्ण, शहद तथा जैविक जौ का आटा, मडुवा आटा, मल्टीग्रेन, तिल व सरसो का जैविक तेल, बाजरा, मूंगफली, च्यवनप्राश, सुगंधित चावल, गुड़ के साथ ही रसोइ में उपयोग के सभी सामान मिलते हैं। 

आयरन जिंक की कमी से यह नुकसान

भारत में आयन और जिंक की कमी के कारण सूक्ष्म पोषक तत्व एवं कुपोषण की कमी पाई जाती है। 80 फीसदी गर्भवती महिलाओं और 6 से 35 साल तक की उम्र के 74 फीसदी बच्चों में आयरन की कमी पाई जाती है। आयरन की कमी के कारण महिलाओं में गर्भधारण करने में परेशानी, गर्भधारण के दौरान बच्चे की मृत्यु होने के मामले सामने आते हैं। वहीं, जिंक की कमी के कारण बच्चों की शारीरिक वृद्धि रूकने के साथ ही दस्त, निमोनिया जैसी कई बीमारियों का शिकार उन्हें होना पड़ता है। 

गुरुवार, 11 मार्च 2021

shabe meraj 2021: लो आ गई इबादत की रात

आज रखा जा रहा है रोज़ा, पूरी रात होगी इबादत

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) इस्लामी त्योहारो में शब-ए-मेराज का  खासा महत्व है। यह हर साल इस्लामिक महीने रजब की 27वीं तारीख को मनाया जाता है। 

आज ही शब-ए-मेराज की रात है इस्लाम में ऐसा माना जाता है कि रजब के महीने की 27 वीं तारीख को पैगंबर-ए-इस्लाम (अल्लाह के रसूल) हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से मिलने मेराज गये थे।जहाँ पर नबी कि रब से मुलाकात हुई थी। इसीलिए इस रात को 'पाक रातभी कहा जाता है। शब-ए-मेराज एक अरबी शब्द है, अरबी में शब का मतलब रात और मेराज का मतलब आसमान होता है। इस्लामी किताबो में है कि मेराज कि शब  हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम ने सऊदी अरब के शहर मक्का से येरुसलम  की बैत उल मुकद्दस मस्जिद तक का सफर तय किया थाऔर फिर बैत उल मुकद्दस मस्जिद से सातों आसमान की सैर करते हुए अल्लाह से मिलने गये थे। यह सब इतने कम वक्त में हुआ कि इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता कि नबी रब से मिलकर चले आये और उनके घर के दरवाज़े कि कुंडी जाते वक्त जो हिल रही थी वो लौटने पर भी हिल रही थी। यह भी रब का एक मोजिज़ा ही था।

ये है शब-ए-मेराज का इतिहास

शब-ए-मेराज भी नबी के मोजज़ो में से एक माना जाता है। इस रात  हज़रत मोहम्मद (स.) ने न सिर्फ मक्का से येरुशलम का सफर किया, बल्कि सातों आसमानों की यात्रा की और आखिर में सिदरत-ए-मुंतहा (जहां तक पैगंबर-ए-इस्लाम के अलावा कोई इंसान या अवतार नहीं जा सका) के पास उनकी मुलाकात अल्लाह से हुई. तभी से इस शब यानी शब-ए-मेराज का मुस्लिम जश्न मनाते है।

रखा जाता है रोज़ा

इस्लाम में शब-ए-मेराज की रात की बड़ी फजीलत (खूबी) है, कहा जाता है कि जो इस दिन रोजा रखता हैउसे बड़ा सवाब मिलता है. जो इंसान इस रात अल्लाह की इबादत करता है और कुरान की तिलावत (पढ़ना) करता हैउसे कई रातों की इबादत करने वाले के बराबर सवाब मिलता है। इस रात को खास नमाज़ और नबी पर दूरूद (सलाम) पढ़ा जाता है।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...