शनिवार, 6 अगस्त 2022
Moharram 8th: अंर्दली बाजार में दुलदुल, अलम, ताबूत का जुलूस कल
Ganga jamuni tahzeeb: मंदिर जैसा इमामबाड़ा
तब हिंदू कुम्हार ने बनाई थी इमाम हुसैन की ताजिया
Varanasi (dil india live). है इमामबाड़ा मगर बनावट मंदिर जैसी है। देखने वाला देखता और सोचता ही रह जाता है कि यह क्या अजूबा है, आखिर मंदिर जैसा इमामबाड़ा क्यों बनाया गया? दरअसल बनारस कि आबो हवा ही कुछ ऐसी है कि कोई मुस्लिम नूर फातेमा शिव का मंदिर बनवाती हैं, तो हिंदू कुम्हार इमाम हुसैन कि आस्था और अकीदत में इमामबाड़ा।
वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट स्थित इस अनोखे इमामबाड़े की बुनियाद की कहानी एक हिंदू कुम्हार की अकीदत से जुड़ी हुई है। कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन से कुम्हार को अकीदत थी। इस मोहब्बत के कारण ही इस इमामबाड़े का नाम कुम्हार का इमामबाड़ा पड़ा। इसमें एक ओर जहां शिया मुस्लिम मजलिस करते हैं तो वहीं हिंदू हाथ जोड़कर अकीदत से फूल चढ़ाते हैं। शहर ही नहीं बल्कि दुनिया का लगभग हर इमामबाड़ा गुंबदनुमा होता है, जो मस्जिद या मकबरे की सूरत में नजर आता है। वहीं हरिश्चंद्र घाट के कुम्हार का इमामबाड़ा मंदिर की तरह दिखता है। मुहर्रम आते ही यहां के हिंदू इसकी साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम कराते हैं।
इमामबाड़े का क्या है इतिहास
हरिश्चंद्र घाट स्थित कुम्हार का इमामबाड़ा लगभग डेढ़ सौ साल कदीमी है। इसकी देखरेख एक हिंदू कुम्हार परिवार कर रहा है, तो वहीं सरपरस्ती शिया वर्ग के हाथ में है। इमामबाड़े के मुतवल्ली सैयद आलिम हुसैन रिजवी इमामबारगाह का इतिहास बताते हैं, तकरीबन डेढ़ सौ साल पहले हरिश्चंद्र घाट के पास एक हिंदू कुम्हार परिवार रहता था। कुम्हार का एक बेटा था, जो हर वर्ष मुहर्रम पर मिट्टी की ताजिया बनाया करता था। पिता ने पहले तो बच्चे को ताजिया बनाने से मना किया। जब वह नहीं माना तो उसकी खूब पिटाई की। पिटाई के बाद बच्चा इतना बीमार हुआ कि वैद्य, हकीम भी काम न आए। बेटे को लेकर पिता की चिंता बढ़ने लगी। मंदिर, मस्जिद, मजार पर उसने हाजिरी लगाई, लेकिन कोई फायदा न हुआ। फिर एक दिन कुम्हार ने सपने में देखा कि एक बुजुर्ग उसके सामने खड़े हैं। वह कह रहे हैं कि तेरा बेटा मुझसे अकीदत रखता है। तुमने उसे ताजिया बनाने से रोक दिया, तो वह बीमार पड़ गया है। अगर तुम्हें उससे मोहब्बत नहीं है तो मैं उसे अपने पास बुला लेता हूं। कुम्हार ने स्वप्न में ही अपनी गलती मानते हुए कहा कि बस एक बार आप मुझे माफ करके मेरे बच्चे को ठीक कर दें। इस पर बुजुर्ग ने कहा कि नींद से उठकर देख, तेरा बच्चा खेल रहा है। सैयद आलिम हुसैन अपने बड़े-बुजुर्गो की जुबानी बातों को याद करते हुए बताते हैं कि नींद से जगकर कुम्हार ने देखा कि जो बच्चा गंभीर रूप से बीमार था, वह न केवल पूरी तरह स्वस्थ था, बल्कि बच्चों के साथ खेल भी रहा था। यह नजारा देखकर कुम्हार ने सिर्फ खुश हुआ बल्कि उसकी इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों से अकीदत बढ़ गई।
बना दिया मंदिर जैसा इमामबाड़ा
हिंदू कुम्हार की आस्था के कारण ही इमामबाड़े के निर्माण के समय इसको मंदिर जैसा रूप दिया गया और नाम भी कुम्हार का इमामबाड़ा रखा गया। उसी समय से आस-पास के हिंदू भाइयों की आस्था इमामबाड़े से जुड़ गई। मुहर्रम में जब भी इमामबाड़ा खुलता है, वहां दोनों मजहब के लोग जुटते हैं। इसके अलावा 9 वीं व 10 वीं मुहर्रम का विश्व प्रसिद्ध दूल्हे का जुलूस यहां सात बार सलामी भी देता है। आलिम हुसैन बताते हैं कि उन दिनों अवध के नवाब शहादत हुसैन अपने पिता से नाराज होकर बनारस आ गए थे। उन्हीं की वंशज बाराती बेगम ने कुम्हार के बेटे का इमाम हुसैन के प्रति लगाव देख यह इमामबाड़ा बनवाया। इसकी देख रेख युद्ध-कौशल की शिक्षा देने वाले सैयद मीर हसन के परिवार को सौंपी गई। सैयद आलिम हुसैन और उनका परिवार उन्हीं का वंशज हैं। यह कुनबा डेढ़ सौ साल से कुम्हार के इमामबाड़े की देख रेख कर रहा है।
शुक्रवार, 5 अगस्त 2022
Medical treatment:ब्रेस्ट में गांठ है तो न घबरायें, जांच करायें
‘सम्पूर्णा क्लिनिक’ साबित हो रहा वरदान
Varanasi (dil india live). अध्यापिका स्वाति (40 वर्ष) उस रात नहीं सो पाईं जब उन्हें अपने स्तन पर उभरी गांठ का अहसास हुआ। उन्हें लगा कि कहीं यह स्तन कैंसर तो नहीं। सुबह होते ही वह ‘सम्पूर्णा क्लीनिक’ पहुंची। जांच के बाद डॉक्टर ने जब उन्हें बताया कि यह एक सामान्य गांठ है। कुछ ही दिन में ठीक हो जाएंगी। इसी तरह ममता (38 वर्ष ) को दो वर्ष से ब्रेस्ट में गांठ थी। गांठ में कभी दर्द नहीं हुआ, इस वजह से उन्होंने उसे कभी गंभीरता से भी नहीं लिया। अचानक उनके निप्पल से श्राव होने लगा। उपचार के लिए वह सम्पूर्णा क्लिनिक पहुंची। जांच में जब पता चला कि यह स्तन कैंसर के लक्षण हैं। वह रोने लगी। उन्हें अफसोस हुआ कि उन्होंने ब्रेस्ट में हुई गांठ के प्रति लापरवाही क्यों बरती। समय रहते यदि उपचार कराया होता तो यह दिन आज न देखना होता।
पं. दीनदयाल चिकित्सालय में स्थिति ‘सम्पूर्णा क्लिनिक’ में ऐसे मामले अक्सर देखने को मिलते हैं। इसको लेकर महिलाओं को सावधान एवं सतर्क रहने की आवश्यकता है। सम्पूर्णा क्लिनिक ’की प्रभारी व वरिष्ठ चिकित्सक डा. जाह्नवी सिंह कहती हैं स्तन में बनी कोई भी गांठ को नजरअंदाज करना एक बड़ी मुसीबत को आमंत्रण देने जैसा है। हालांकि हर गांठ से कैंसर नहीं होता है। फिर भी सतर्क रहना चाहिए।
डा. जाह्नवीं कहती है “स्तन कैंसर का प्रमुख लक्षण स्तन में गांठ को माना जाता है, लिहाजा स्तन में गांठ का पता चलते ही आम तौर पर महिलाएं घबरा जाती हैं, जबकि उन्हें घबराना नहीं चाहिए।“ वह बताती है कि आम तौर पर ब्रेस्ट में होने वाले बदलाव पीरियड्स के दौरान, पीरियड्स बंद होने के दौरान अथवा गर्भावस्था के दौरान होते है। दरअसल महिलाओं मे हार्मोन्स के बदलाव व ब्रेस्ट टिशूज में फैट बढ़ने के कारण भी गांठ बन जाती है। कुछ महिलाओं के स्तन में कई छोटी-छोटी गांठ हो जाती है। कुछ में सिर्फ एक बड़ी गांठ बन जाती है। उन्हें चिकित्सक की सलाह पर अपनी जांच करानी चाहिए।
छोटी गांठ से हो सकती कैंसर की शुरूआत
डा. जाह्नवी बताती हैं कि स्तन कैंसर की शुरुआत ब्रेस्ट में छोटी गांठ से भी हो सकती है। शुरूआती स्थिति में चिकित्सक की सलाह पर गांठ की जांच कराकर कैंसर का निदान किया जा सकता है लेकिन इसमें बरती गयी लापरवाही ही बाद में मरीज के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है। "
स्तन की नियमित रूप से खुद करें जांच
डा. जाह्नवी बताती है कि स्तन कैंसर महिलाओं में सर्वाधिक पाया जाने वाला कैंसर है। पहले 40 से 45 वर्ष की महिलाओं के स्तन कैंसर से पीड़ित होने की संभावना सबसे अधिक रहती थी पर अब 30 से 40 वर्ष की महिलाओं में भी इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस संकट से बचने के लिए महिलाओं को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि उनके स्तन में कहीं कोई गांठ तो नहीं उभर रही। इसके लिए 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को अपने स्तन की जांच हर माह स्वयं करनी चाहिए और वर्ष में एक बार चिकित्सक से उसका परीक्षण कराना चाहिए। गांठ का पता चलते ही फौरन चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए ताकि इसका परीक्षण हो सके कि गांठ कैंसर युक्त है या कैंसर मुक्त। स्तन की जांच स्वयं कैसे करें? इस बारे में जानकारी के लिए किसी चिकित्सक अथवा पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय में स्थित ‘सम्पूर्णा क्लिनिक ’में सम्पर्क किया जा सकता है।
यह है खतरे की घंटी
• स्तन में किसी तरह की गांठ
• निप्पल से किसी तरह का श्राव
• निप्पल का अंदर की ओर धंसना
• स्तन की स्किन संतरे के छिलके की तरह होना
• किसी एक स्तन के आकार में परिवर्तन
Moharram 5th: पांचवीं मोहर्रम पर पेश हुआ आंसुओं का नजराना
मारा गया हैं तीर से बच्चा रबाब का, बच्चा भी वो था जो दिल था रबाब का...
Varanasi (dil india live). कहती थी ये शीरी खुले सर हाय ए हुसैना, किस शान से मेहमां मेरे घर आये हुसैना....व, मारा गया हैं तीर से बच्चा रबाब का, बच्चा भी वो था जो दिल था रबाब का...। यह दर्द भरा नौहा जब दरगाहें फातमान में शहनाई की धुनों पर गूंजा तो बरबस ही लोगों के ज़ेहन में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की याद ताजा हो गई।
दरअसल पांचवीं मोहर्रम को भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां शहनाई के जरिए कर्बला के शहीदों को आंसुओं का नजराना पेश करते थे। पांचवीं मोहर्रम को यह रवायत एक बार फिर अदा की गई। इस दौरान उस्ताद के परिवार के आफाक हैदर खाँ, ज़ाकिर हुसैन, उस्ताद नाज़िम हुसैन, नासिर अब्बास, अखलाक हुसैन आदि ने शहनाई के जारिए आंसुओं का नजराना पेश किया। यहां कार्यक्रम का संचालन शकील अहमद जादूगर ने किया।
इससे पूर्व वक्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली, छत्तातला, गोविंदपुरा से अलम का जुलूस उठया मुनाजिर हुसैन मंजू की अगुवाई में उठाया गया। जुलूस से पूर्व मुजफ्फरपुर के मर्सिया ख्वां वज्जन खां के बेटे ने सवारी पढी। इसके अलावा जुलूस में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजनों ने शहनाई पर मातमी धुन पेश किया। जुलूस विभिन्न क्षेत्रों से होता हुआ दरगाहें फातमान पहुंच कर सम्पन्न हुआ।
गुरुवार, 4 अगस्त 2022
Moharram 4rt: जैदी दरें हुसैन पर झुकती है कायनात...
दर्द भरे नौहों संग निकली कुम्हार की ताजिया, हुआ मातम
Varanasi (dil india live). जैदी दरे हुसैन पर झुकती है कायनात... नासिर हुसैन जैदी के इस दर्द भरे नौहे के साथ चार मोहर्रम को कुम्हार के ताजिये का जुलूस शिवाला में आलीम हुसैन रिजवी के इमामबाड़े से उठा। जुलूस गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर पहुंच कर समाप्त हुआ। जुलूस में रास्ते भर अंजुमनों ने नौहाखवानी व मातम का नजराना पेश किया। जुलूस की अगुवाई सैयद आलिम हुसैन रिजवी कर रहे थे।
चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक गया। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खाँ इमामबाड़ा से रात में उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त हुआ।
पांचवीं मोहर्रम को वक्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली, छत्तातला, गोविंदपुरा से अलम का जुलूस उठया जाएगा, जिसमें मुजफ्फरपुर के मर्सिया ख्वां वज्जन खां के बेटे सवारी पढ़ेंगे। इसके अलावा जुलूस में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजन शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे। ऐ से ही छठवीं मोहर्रम को विश्व प्रसिद्द 40 घंटे तक चलने वाले दुलदुल का जुलूस कच्ची सराय (दालमंडी) इमामबाड़े से शाम 5 बजे उठेगा। इस जुलूस में हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ कई मश्शूर बैंड भी मौजूद रहते हैं जो मातमी धुन बजाते हैं। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाता है। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाता है और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होता है। यह जुलूस लगातार 6 से 8 मोहर्रम तक चलता रहता है।
बुधवार, 3 अगस्त 2022
Vitamin a: “बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए सरकार बेहद गंभीर” – सौरभ श्रीवास्तव
कैंट विधायक ने बच्चों को विटामिन-ए पिलाकर किया अभियान का शुभारंभ
जनपद में 3.56 बच्चों को पिलाई जा रही विटामिन ए – सीएमओ
बुधवार व शनिवार को स्वास्थ्य केन्द्रों पर पिलाई जाएगी विटामिन ए
Varanasi (dil india live). बच्चों को सुपोषित रखने के लिए बुधवार को ‘विटामिन ए सम्पूरण’ कार्यक्रम ‘बाल स्वास्थ्य पोषण माह’ की शुरुआत की गयी । भेलूपुर स्थित स्वामी विवेकानंद मेमोरियल चिकित्सालय पर टीकाकरण सत्र के दौरान *कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी* ने अख्तर (3), अंश (3) सहित अन्य बच्चों को विटामिन-ए पिलाकर अभियान का शुभारंभ किया ।
इस अवसर पर कैंट विधायक ने कहा कि प्रदेश सरकार बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए बेहद गंभीर है। बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए कई योजनाएँ व अभियान चलाये जा रहे हैं। उन्होने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पहले घंटे के अंदर माँ का पीला गाढ़ा दूध, छः माह तक सिर्फ स्तनपान व सम्पूर्ण टीकाकरण के साथ ही साथ साल में दो बार विटामिन-ए खुराक पिलाना आवश्यक है। उन्होने अपील की है कि सभी माताएँ जिनके बच्चे नौ माह पूर्ण कर चुके हैं, वह अपने बच्चों को विटामिन-ए की खुराक अवश्य पिलाएँ। यह अभियान बुधवार एवं शनिवार को स्वास्थ्य केन्द्रों में आयोजित होने वाले ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस सत्रों (वीएचएनडी एवं यूएचएनडी) पर विटामिन-ए निःशुल्क पिलाई जाएगी ।
सीएमओ ने कहा कि बुधवार से जिले के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बाल स्वास्थ्य पोषण माह अभियान की शुरुआत की गयी। बुधवार व शनिवार को लगने वाले वीएचएसएनडी व यूएचएसएनडी सत्रों सहित स्वास्थ्य केन्द्रों पर पर जनपद के नौ माह से पाँच वर्ष तक के लक्षित 3.56 लाख को विटामिन ए की खुराक पिलायी जायेगी। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 2.17 लाख व नगरीय क्षेत्रों के 1.36 लाख बच्चे चिन्हित किए गए हैं। सभी केन्द्रों पर पर्याप्त मात्रा मेन विटामिन ए भेज दी गयी है। *सीएमओ* ने कहा कि अभियान के दौरान पूर्ण टीकाकरण (24 माह तक), सम्पूर्ण टीकाकरण, वजन लेना और अति कुपोषित बच्चों को चिन्हित करना, सभी बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाना, एक घंटे के अंदर और छह माह तक सिर्फ स्तनपान को लेकर जन जागरूकता, आयोडीन युक्त की नमक के सेवन के प्रति जागरूक करने पर ज़ोर दिया जाएगा। कोविड-19 संक्रमण से बचाव एवं नियमों को ध्यान में रखते हुये अभियान के तहत सभी गतिविधियों का आयोजन किया जाए। वीएचएसएनडी व यूएचएसएनडी सत्रों के दौरान बच्चों को अलग-अलग चम्मचों से विटामिन ए खुराक पिलायी जाए।
इस अवसर पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ एके पांडे, चिकित्सा अधीक्षक डॉ क्षितिज तिवारी, डीएचईआईओ हरिवंश यादव, यूनिसेफ से डीएमसी डॉ शाहिद, एएनएम ममता सिंह, आशा कार्यकर्ता नेहा पांडे, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं अन्य लाभार्थी माताएं व उनके बच्चे मौजूद रहे।
न होने दें विटामिन-ए की कमी
विटामिन ‘ए’ की कमी से बच्चों में नजर का कमजोर होना, रात्रि के समय कम दिखाई देना, अंधेपन का शिकार हो जाना, रूखी आँख, रूखी त्वचा और त्वचा से संबन्धित समस्या हो सकती है। इसकी कमी से बचपन में होने वाली दस्त जैसी आम बीमारियाँ भी जानलेवा हो सकती हैं। इन सभी कमियों को पूरा करने के लिए बच्चों को विटामिन ए की खुराक देना बेहद आवश्यक है।
Pariwar niyojan:महिला नसबंदी में वाराणसी, प्रदेश में टॉप पर
जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े में हुईं 1718 महिला नसबंदी
परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने में महिलाएं आगे, बढ़ी जागरूकता
Varanasi (dil india live). परिवार को सीमित और खुशहाल रखने के लिए सरकार प्रत्येक स्तर पर प्रयास कर रही है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए जनपद में विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) से शुरू हुये जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा सफलतापूर्वक चलाया गया। इस पखवाड़े में जनपद वाराणसी ने प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल किया है। *जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा* ने इस उपलब्धि के लिए स्वास्थ्य विभाग को सराहा और भविष्य में भी इसी तरह के प्रयास किए जाने की उम्मीद जताई।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि समस्त सरकारी चिकित्सालयों और स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रयास से जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा में 1718 महिला नसबंदी की गईं। इस उपलब्धि से वाराणसी ने पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल किया है। वहीं पिछले वर्ष पखवाड़े में 1525 महिला नसबंदी की गईं थी। इस उपलब्धि के लिए सभी ग्रामीण व शहरी सीएचएच व पीएचसी की आशा कार्यकर्ता, एएनएम सहित चिकित्साधकारियों, नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ राजेश प्रसाद, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक संतोष सिंह, सहयोगी संस्थाओं यूपीटीएसयू के वरिष्ठ जिला परिवार नियोजन विषेषज्ञ, पीएसआई इंडिया के कार्यों की सराहना की। अच्छे कार्य करने वाले ग्रामीण और नगर के चिकित्साधिकारियों एवं स्टाफ को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होने कहा कि समुदाय में परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने में जागरूकता बढ़ी है। जनपद के सभी सार्वजनिक स्थलों पर कंडोम बॉक्स लगाने के लिए विभाग प्रयासरत है, जल्द ही इसको पूरा किया जाएगा।
जिला कार्यक्रम प्रबन्धक (डीपीएम) संतोष सिंह ने बताया कि 11 से 31 तक जुलाई तक चलाये गए पखवाड़े के तहत चार ब्लॉक में बेहतर प्रदर्शन रहा जिसमें चोलापुर में 258, हरहुआ में 256, आदर्श ब्लॉक सेवापुरी में 211 एवं अराजीलाइन में 204 महिला नसबंदी की गयी । वहीं चिरईगांव में 171, पिंडरा में 142, काशी विद्यापीठ में 135 और बड़ागांव में 120 महिला नसबंदी की गईं। इसके साथ ही 24 शहरी पीएचसी के अंतर्गत 63, जिला महिला चिकित्सालय पर 74, एलबीएस चिकित्सालय रामनगर में एक और निजी चिकित्सालयों पर 77 महिला नसबंदी हुईं।
इसके अतिरिक्त पखवाड़े में 28 पुरुष नसबंदी भी की गईं। इसमें सबसे अधिक शहरी पीएचसी पर नौ, सेवापुरी व हरहुआ में पाँच-पाँच, चोलापुर व काशी विद्यापीठ में तीन-तीन, बड़ागांव और पिंडरा में एक-एक पुरुष नसबंदी हुई। पिछले वर्ष पखवाड़े में 9 पुरुष नसबंदी की गईं थीं। पखवाड़े के अंतर्गत 3,104 इंटरवल आईयूसीडी, 678 पोस्टपार्टम आईयूसीडी, 41 पोस्ट अबॉरशन आईसीयूडी, 1906 अंतरा तिमाही गर्भ निरोधक इंजेक्शन, 2.34 लाख कंडोम, 25,401 छाया, 16,287 माला एन एवं 4264 आपातकालीन गर्भ निरोधक गोली की सेवाएँ दी गईं।
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